पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३३६

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एकवर्णमध्यमाहरणम् | ३२३ इन का घनमूल लेना चाहिये तो पहिले पक्षमें प्रथमखण्ड याघ १ का घनमूल या १ आया, इसके तिगुने वर्ग याय ३ का उसके आदि यावद में भाग देने से रूरं लब्धि मिली उसका वर्ग ४ अन्त्य या १ से गुणने से या ४ हुआ फिर तीनसे गुणने से या १२ हुआ इसको इसके आदि या १२ में घटा दिया और लब्ध रू. २ के घन रू ८ को उसके आदि घटादिया यों निःशेषता हुई और घनमूल या १ रू रं हुआ। दूसरे पक्ष का घनमूल रू ३ आया। इनका समीकरण के अर्थ न्यास | या १ रू ३ में या ० रू ३ समीकरण करने से यावत्तावत्का मान ५ आया, यह द्वादशगुपित ६० राशिघन १२५ से जुड़ा हुआ १८५ षड्गुणित तथा पैससे जुड़े हुए राशि ५ के वर्गके समान है । उदाहरणम्- को राशिर्दिशतीक्षुण्णो राशिवर्गयुतो हतः ||६८|| द्धाभ्यां तेनोनितो राशिवर्गवर्गोऽयुतं भवेत् । रूपोनं वद तं राशिं वेत्सि बीजक्रियां यदि ॥६६॥ अत्र राशि: या १ | द्विशतीक्षणः या २०० | राशिवर्गयुतो जातः याव १ या २०० अयं द्वाभ्यां गु पितः याव २ या ४०० अनेनायं राशिवर्गवर्ग ऊनितो जात: ' यावव १ याव २ या ४००' अयं रूपोनायुत- सम इति समशोधने कृते जातो पक्षो