पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३२७

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३२० यावत्तावत् का अपवर्तन देने से समीकरण करने से ● अव्यक्तवर्गः पक्ष मूलप्रद हुए बीजगरिएते- याव ७ या १४ रु २१ यात्र ८ या १६ रु द याघ ० या ० रु २६ यात्र १ या ३० रू ० 9 इस सूत्रके अनुसार १५ का वर्ग जोड़ देने से याव० या ० रु १६६ याव १ या ३० रु २२५ इनके आये या ० रू. १४ या १ रू १५ समशोधन करने से यावत्तावत् का मान २६ आया | इससे या १ | या १ रू १ । या १ रू १ - इनमें उत्थापन देने से गच्छ २६ आदि १४ ४ और चय ७ हुआ। यहां आचार्य ने लावत्र के लिये रूपाधिक या- बत्तावत् चार गच्छ कल्पना किया या ४ रू १ । फिर उतरीति के अनु- और यहुआ या २ | या १ | इनका घात यायावर याघ ८ याच २. हुआ, यह अपने सातवें भाग- से युक्त करने से याब ६४ याव १६ is हुआ यह फल के समान है इसलिये उत्तरीति से फल लाते हैं ---व्येक पद या ४ से चय या १ को गुणने से याव ४ हुआ इसमें मुख या २ जोड़ने से अन्त्य धन याव ४ या २ हुआ । इसमें मुख जोड़कर करने से मध्य धन याव २ या २ हुआ | इसको पद या ४ रू १ से