पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३२५

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बीजगणिते~ याघ ८ याव १० या २, सममिति पक्षौ यावत्तावता- पवर्त्य समच्छेदीकृत्य वेदगमे शोधने च कृते जातौ पक्षो यावया ५४ रू● याव० या ० एतयोरष्टगुणयोः सप्तविंशतिवर्ग ७२६ युतयोर्मूले या ८ रु २७ या ० रू २६ पुनरनयो: समीकरणेनाप्तयावत्तावन्मानेन ७ उ- त्यापिता आत्तरगच्छाः १४ । ७ । २६ । अयोदाहरणान्तरमुपजातिकयाह व्येकस्येति । यत्र व्येवस्य एकेन हीनस्य गच्छस्य दलमर्धमादिः, आदेर्दलं प्रचयः, स्वस्य सप्तमभागेनाधिका चयादिगच्छामिहतिः फलं वर्तते तत्र चयादि- गच्छान् ब्रूहि | उदाहरण--- " जहां एकोन गच्छ का आधा आदि है, आदि का धाय है और अपने सातवें भाग से अधिक चय, आदि और गच्छ इनका घात फल है वहां पर चय, आदि और गच्छ क्या होगा | गच्छ का मान या १ कल्पना किया, एक से घटा हुआ उसका या १ रू १ या १ रु १ आदि हुआ आदिका आधा चय- २ अब ' व्येकपदन्नचयो मुखयुक् स्यात् इस सूत्र के अनुसार फल का या १ रू १ आनयन करते हैं ----व्येकपद या १ रू १ से न्वय को गुणने ..