पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३०८

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एकवर्ण समीकरणम् | हुई । समगति ३०० में यावत्तावत् १ को घटादेने से क या १ रू३०० हुआ । वृक्ष और बावली का अन्तराल २०० हाथ है वही भुजका प्रमाण है । भुज और कोटि इन का वर्गयोग कर्णवर्ग के समान होता है इसलिये दो पक्ष हुए । याव १ या २०० रु ५०००० याव १ या ६०० रु ६०००० समीकरण करने से यावत्तावत् का मान ५० आया, यही उचलने का प्रमागा है । इस भांति भुज २०० कोटि १५० और कर्ण २५० हुआ । आलाप - पहिला वानर वृक्ष के छात्र से मूल को आया ( यो १०० हाथ उतरना पड़ा) फिर वहां से २०० हाथ पर बावली रही इसकारण २०० हाथ और चलनापड़ा यो ३०० हाथ पहिले की गति हुई दूसरा वानर ५० हाथ उनकर कगति से गयाथा इस कारण कमान २५० जोड़ देने से ३०० हाथ हुए, यो दूसरे को भी उतनाही जाना पड़ा। यहां ताल की उँचाई में यावत्तावत् को जोड़ देने से कोटि हुई या १ ता १ । समगति में यावत्तावत् १ को घटा देने से कर्ता हुआ या रं ता १ भु १ इनक योग करने से भुज से जुड़ी हुई दूनी ताल की उँचाई हुई ता २ भु १४/ यह कोटिकर्ता का योग है इसलिये उसका कोटिक के वर्गान्तररूप राज वर्ग में भाग देने से कोटिकान्तिर आवेगा वाद संक्रमण की रीति से कोटि कर जाने जायेंगे। इसी अभिप्रायको लेकर तालोवायो दयाहतो बाहुयुक्तः 6 कोटिश्रुत्यो : संयुतिः स्यात्तयाप्तः । बाहोवर्गः कोटिकर्णान्तरं स्या- , स्पश्चात्ताभ्यां कोटिक सुबोधौ ॥ १ art की जद से लगाकर बावली तक जो फासिला है वह भुरूप है ।।