पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२७४

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

$ Se एकवर्णसमीकरणम् । २६७ तीयस्य पञ्चमांशेन तृतीयस्य नवमांशेन च हीनः सन् षष्टिर्भवति । द्वितीयराशिः प्रथमस्यार्धेन तृतीयस्य नवमांशेन च हीनः सन् षष्टि- र्भवति । तृतीयराशिः प्रथमस्याधेन द्वितीयस्य पञ्चमांशेन च होन: सन् षष्टिर्भवति तर्हि ते के राशयः, तान् वद || उदाहरण--- कोई तीन राशि हैं उनमें से पहिला राशि अपने आधे से, दूसरा अ पने पांचवें भाग से, तीसरा अपने नौवे भाग से युक्त होता है तो वे सब समान होजाते हैं । और पहिला राशि दूसरे के पांचवें भाग से तीसरे के नौबे भाग से होन हुआ साठ होता है । दूसरा राशि पहिले के आधे से और तीसरे के नौवे भाग से हीन हुआ साठ होता है। तीसरा राशि प हिले के आधे से और दूसरे के पांचवें भाग से हीन हुआ साठ होता है। तो बतलाओ वे कौन राशि हैं । यहां समराशि का मान यावत्तावत् १ है, अब राशि अज्ञात हैं इस लिये उन्हें विलोमविधि से जानना चाहिये सो इस भांति राशि अपने ती- सरे आदि भाग से हीन राशि होता है क्योंकि आधा ई पांचवां भाग 3 थस्वांशाधिकाने तु लवाट्योनो हरो हरः, अंश- और नौवां भाग ६ १ स्त्वविकृतः -- 'इस सूत्र के अनुसार हुए या या या । ये भाग १ १० समराशि में अलग अलग वटाने चाहिये क्योंकि 'स्वमृणं-'यह कहा है । इस प्रकार प्रत्येक राशि सिद्ध होते हैं । अथवा, राशि या १ है, यह अपने आंधे से युक्त करने से हुआ, इसका तीसरा भाग ही राशि का आधा है। इसीभांति और रा- शियों में भी जानो । अन्य प्रकृत में समराशि या १ है, इसे अपने ५