पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/१९

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२ बीजगणिते -... रू ६ धन हुआ । दूसरे स्थान में धन और ऋण का घात यदि ऋण न अङ्गीकार करें तो ‘ रू.६ रू ६ ' इनका योग क्योंकर शून्यात्मक होगा इस कारण धन और ऋण का घात ऋणही होगा। इसी प्रकार 'रू २ रू २१ इन दो राशि को ऋण तीन से गुणने से पहिले स्थान में धन और ऋण का घात ऋण रू ६ हुआ दूसरे स्थान में यदि ऋण ऋण का घात घन न अङ्गीकार करें तो ' रू ६ रू ६ ' इनका योग क्योंकर शून्य होगा इससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि ऋणात्मक राशियों का घात धनही होता है । ‘ स्वयोरस्त्रयोः स्वं वधः-~~ ' इस गुणनसूत्र की उपपत्ति स्पष्ट होती है ॥ उदाहरणम् - धनं धनेनर्णमृऐन निघ्नं द्वयं त्रयेण स्वमृणेन किं स्यात् ॥ २ ॥ न्यासः रूरू ३ धनं धनघ्नं धनं स्यादिति जातम रू ६ न्यासःरू रूई ऋण मृतघ्नं घनं स्यादिति जातम् रू ६ न्यासः। रू २३ घनमृणगुणमृणं स्यादिति जातम् रू ६ न्यासः रू २रू३ऋणं धनगुण मृणं स्यादिति जातम्रू ६. इति धनर्णगुणनम् । उदाहरण --- धन दो को धन तीन से, वा ऋण दो को ऋण तीन से, वा धन दो को ऋण तीन से अथवा ऋण दो को धन तीन से गुणकर गुणनफल अ लग-अलग बतलाओ ॥ ( १ ) न्यास | रू २ रू ३ । धन को धन से गुपने से गुणनफल रु ६ धन हुआ 1