पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/११७

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बीजगणिते- इससे • परस्परं भाजितयोर्ययोर्य:- यह श्लोक उपपन्न हुआ | अथवा | भाज्य=८१ हार = १५ । यहां पहिली लब्धि ५ पहिला शेष ६, इसका हार १५ में भाग देनेसे दूसरी लव्धि २ दूसरा शेष ३, इसका पहिले शेष ६ में भाग देने से तीसरी लब्धि २ तीसरा शेष ० रहा | हर लब्धिका घात भाज्यरराशि के समान होता है, इस कारण दूसरा शेष ३ ·और तीसरी लब्धि २ से पहिला शेष ६ ज्ञात हुआ, इसी भांति पहिला शेष ६ और दूसरी लब्धि २ के वात १२ से ऊन हार दूसरा शेष होता है, इसलिये दूसरे शेष से जुड़ा हुआ पहिला शेष दूसरी लब्धि का घात हार के समान है, जैसा---- पशे x दूल + दूशे = हार । ६x२ + ३ = १५ । = यहां पहिले शेषसे गुणी हुई दूसरी लब्धि है और पहिला शेष, दूसरे • शेष तीसरी लब्धिके घात के समान है इसलिये ऐसा रूप बना ---- दूल x दूशे x तील + दूशे हार | = हार को पहिली लब्धि से गुणकर उस में पहिले शेष के समान तीसरी लब्धि और दूसरे शेष के मत को जोड़ देनेसे भाज्यहुआ --- पल × दूल x तील x दूशे + पल x दूशे + तील x दूशे: =भाज्य | इस भाज्य में तीन खण्ड हैं और हार में दो खण्ड हैं, ये दोनों दूसरे शेष (दूशे ) से भागे हुए निःशेष होते हैं इसकारण भाज्य ८१ हार १५ दूसरे शेष ३ से भागे हुए दृढहुए भाज्य = २७ । हार= ५ भाज्य हार और क्षेप ये कुट्टक विधिके सहयोगी हैं कि किस गुणक से गुणित क्षेप से सहित वा रहित और हार से भक्त भाज्य निःशेष होगा, तो यहां जो लब्धि होगी वही लब्धि और गुणक गुण होगा अब उन के ज्ञान के लिये यत्न करते हैं — भाज्यमें हारका भाग देने से जो लब्धि मिलै उससे गुणा हुआ हार एक खण्ड, शेष के समान दूसरा खण्ड | जैसा-भाज्य १७३ में हार ७१ का भाग देने से २ लब्धि मिली और