पृष्ठम्:धम्मपद (पाली-संस्कृतम्-हिन्दी).djvu/१८०

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

२५.२३ ॥ भिक्खुवा [ १६१ ( यो ह वै बद्रो भिक्षुर्के छुद्धशासने। स इमं लोकं प्रभासयत्यश्राम मुक इव चन्द्रमा र) अनुवाद— डुि यौवनमें युद-शासन (डुबोपदेव, बुद्ध ) में संलग्न होता है, वह मैघसे शुक चन्द्रमाकी भाँति इस कोकफो मकाशित करता है। २१-मितुर्ग समाप्त