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पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२६२

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ताजिकनीलकण्ठी । || अथ दशमस्थानप्रश्नः । राज्याप्तिप्रश्नलग्नेलग्नेशेशशिनिवानभःपतिना तमुथशिलेवरहशाराज्यंरूपक्रमाद्भवति ॥ १ ॥ राज्यलाभ प्रश्नमें लग्नेश वा चंद्रमा दशमेशसे मुथशिली हो मित्रदृष्टि भी हो तो कुलानुमान राज्य ख मिले ॥ १ ॥ अन्योन्यभवनगमनाःक्रूराभावेथचिंतितप्राप्तिः ॥ लग्नेशेनान्येनचसौम्येनांबरस्थमुथशिलेप्येवम् ॥ २ ॥ लग्नेश दशम दशमेश लग्नमें पापरहित हों तो चिंतित राज्य सुख मिले, . तथा नेशसे किसी दशमस्थ शुभग्रहका मुथशिल हो तौभी यही फल होगा २ मंदग्रहे बलवतिक्रूरवियुक्तोयदाशशीविबलः || मँदेबलिनिभ्रमणाद्वाज्यप्राप्तिर्भवेत : ॥ ३ ॥ योगकर्त्ताओंमें मन्दगति ह व वान् पापरहित चंद्रमा भी निर्बल हो शनि बलवान् हो तो भ्रमणसे प्रश्नवालेको राज्यसुख मिले ॥ ३ ॥ लग्नाधिपतौस्वगृहेलाभोराज्यस्यतुंगगेभोमे ॥ । लग्नांबराधिपौयदिकंबूलौकेंद्रगेंदुमुथशिलतः ॥ ॥ अपनी राशिमें लग्नेश और अपने उच्चमें मंगल हों तो राज्यलाभ होवे. जो लग्नेश और दशमेश मुथशिली केंद्र में चंद्रमासे कंबूली हों तो वही फल हना ४ उत्तमराज्याप्तिः स्वक्षच्चइंदुतोविपुला ॥ यत्र क्षैलग्नेशस्तत्पतिर भेगृहेतदाकार्य्यम् ॥ ५ ॥ नस्यादस्तेक दिशमहशाकटुकताकार्ये ॥ राज्यप्राप्तौसत्यांय दिपृच्छतिकोपिपरिणतिचतदा ॥ ६ ॥ लग्नेश दशमेशके इत्यशालमें चंद्रमा स्वराशि वा उच्चगत कंबूली अर्थात् उत्तमोत्तम कंबूल हो तो राज्यप्राप्ति उत्तम और बहुत होवे जिस राशिमें लग्नेश है उसका स्वामी अशुभ राशिमें हो तो राज्यसंबंधी कार्ग्य न होवे जो वह अस्तंगत हो तो कष्टसे होगा जो शत्रुदृष्टिसे दृष्ट हो तो कार्य में कोई प्रकार कडुवाई आवेगी ॥ ५ ॥ ६ ॥ . ( २५ ) 1