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पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२१७

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भाषाटीकासमेता । (२०९ ) ● बाल चन्द्रमा वा बुध हो तो कुमारी कन्या शनिसे वृद्ध स्त्री सूर्ध्य तथा बृहस्पतिसे प्रसूतवती मंगल शुक्रसे कठोर स्वभावकी स्त्री प्रश्नसंबन्धी कहनी तथा पुरुषकी अवस्थदिभी ऐसेही विचारसे कहनी ॥ ५७ ॥ इति महीधरकृतायां प्रश्नतंत्रभाषाटीकायां संज्ञाप्रकरणम् ॥ १ ॥ यह प्रकरण समस्त आर्य्याछंदमें है | प्रथमलग्नभावप्रश्न कहते हैं । भूतंभवद्भविष्यन्मम किं कथयेतिजातपृच्छायाम् ॥ लम्रपतेः शशिनोवाबलमन्वेष्यंबलाभावे ॥ १ ॥ दृष्ट्वानवांशकबलंशुभ- दृग्योगंच सर्वकार्येषु प्रष्टुःशुभमादेश्यविपरीतंव्यत्ययादेव ||२|| जो कोई पूछे कि मेरा भूत वा भविष्य क्या हुवा वा होगा तो इस प्रश्नमें लग्नेश तथा चन्द्रमाका बल देखना. जो ये बली न हों तो नवांश बल देखना बलाधिक्य और शुभग्रह दृष्टि योगसे प्रष्टाके समस्त कार्यो में शुभ इससे विपरीत हो तो अशुभ कहना ॥ १ ॥ २ ॥ लो शोमूसरिफो यस्मात्तस्मादतीतमाख्येयम् || येनयुतस्तस्माद्भवदेष्ययेनेक्ष्यते तस्मात् ॥ ३ ॥ लग्नेशका जिस ग्रहसे मूसरिफ हो उसके अनुसार जैसे मूसरिफ होकर ईसराफ होगया हो तो कार्ग्य होगया और इत्थशाल हो तो कार्य्यं होताहै कहना और दृष्टिसे होनेवाला कहना, इत्थशालोंके भेद पहिले कह्रदियेहैं ॥ ३ ॥ भूत कहना यदि लग्नेलग्नपतिःसौम्ययुतोवाविलोकितःसौम्यैः ॥ तत्प्रष्टुर्व्याकुलताशरीरदोषाविनश्यंति ॥ ४ ॥ जो लग्नेश लग्नमें शुभग्रहों से युक्त वा दृष्ट हो तो प्रेष्टाके मन व्याकुलता और शरीर के समस्त दोष नाशहोते हैं ॥ ४ ॥ पापोयदिल पतिस्तदाकलिव्याधिधननाशाः ॥ सौम्येनिर्वृतिबुद्धिर्द्रव्याप्तिः सौख्यमतुलंच ॥ ५ ॥ १४