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पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२०६

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( १९८) •ताजिकनीलकण्ठी । 7 पूर्वदिशाका स्वामी, सत्वगुण, राजा, पिता, क्षत्रिय जाति, ग्रीष्मऋतु, रक्त- वर्ण, चपलस्वभाव, शहतके रंग सदृश नेत्र, पितधातु शूरमा और बारीक केश ये रूप गुण सूर्य्यके हैं ॥ १ ॥ कफोवर्षामृदुर्मातापयो गौरश्वसात्त्विकः ॥ जीववैश्यश्चरोवृत्तोमारुताशोविधुः सुदृ ॥ २ ॥ " कफ धातु, वर्षा ऋतु, कोमल शरीर, मातास्थान, जलतत्त्व, गौरवर्ण, सत्वगुण, प्राणदाता, वैश्यजाति, चरस्वभाव, गोलाकार, वायव्य दिशाका स्वामी, सुहावने नेत्र ये रूप गुण चंद्रमाके हैं ॥ २ ॥ ग्रीष्मःक्षत्रतमोरक्कोयाम्यः सेनाग्रणीश्वरः || युवा धातुश्चपिंगाक्षःऋरः पित्तंशिखीकुजः ॥ ३ ॥ ग्रीष्मऋतु क्षत्रियजाति तमोगुण रक्तवर्ण दक्षिण दिशाका स्वामी सेनापति चरस्वभाव, युवावस्था शुक्रधातु पीले नेत्र क्रूरप्रकृति पित्तप्रधान, अग्नि ये रूप गुण मंगलके हैं ॥ ३ ॥ ! शरदीशोहरिदीर्घः पंढामूलंकुमारकः ॥ लिपिज्ञउत्तरेशश्चशुद्रः सौम्यंस्त्रिधातुकः ॥ ४ ॥ शरदऋतु हरितरंग लंबा शरीर नपुंसक मूलंबस्तुका स्वामी कुमार अवस्था लिपि ( शिल्पविद्या जाननेवाला ) उत्तरदिशाका स्वामी शुद्रजाति सौम्य प्रकृति वातादि तीनों धातु ये रूप गुण बुधकेंहैं ॥ ४॥ सत्त्वंपीतोहिमः श्लेष्मादी घमंत्रीद्विजोनरः ॥ मध्वैशानीफोजीवोमधुगिलहक्तथा ॥ ५ ॥ सत्वगुण, पीलारंग, हिमस्वभाव, श्लेष्मप्रकृति, लंबा शरीर, मंत्रज्ञ, ब्राह्मण जाति, पुरुष, मधुरप्रिय, ईशानदिशाका स्वामी, कफधांतु, शहतसे नेत्रोंका रंग ये गुण बृहस्पतिके हैं ॥ ५ ॥ अनुष्टु० - शुक्रःशांतो द्विजोनारीवैश्यो मंत्री चरः सितः ॥ आग्नेयी दिकूकफञ्चाम्लः कुटिलासित र्द्धजः ॥ ६ ॥ 6