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पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/१९१

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लग्नेश मासेरा वर्षेश और भाषाटीकासमेता ।' ( १८३ ) लग्नांशनाथ ये चारो वा इनमेंसे कोई जिस भावनवांशस्वामीसे मित्रदृष्टि से देखे वा युक्त हों तथा चंद्रमाभी मित्र- दृष्टि से देखे वा युक्त हो तो उस भावसंबंधी सुख देता है. ऐसे योगमें जो जन्मकाल योग उससे उस भाव संबंधी अनिष्ट फल हो तो यहां मध्यम फल जानना. जो जो जन्मसेभी शुभफली हों तो यहां अधिक शुभ जानना ऐसेही निर्बल और शत्रुदृष्टिसें अनिष्ट फल होता है फल तारतम्यसे कहना १० अनुष्टु० - निर्बलाव्ययषष्ठाष्टपतयःशुभदायकाः || अन्येसवीर्य्याः शुभदाव्यत्ययेव्यत्ययःस्मृतः ॥ ११ ॥ बारहवें छठे आठवें भावके स्वामी तथा इनके नवांशस्वामी निर्बल और भावोंके स्वामी सबल हों तो शुभ फल देते हैं और ६/८/१२ भावोंके स्वामी सबल और भावोंके अबल कष्टफल देते हैं ॥ ११ ॥ उपजा ०-लगेशमासेशसमेशमंथाधिपाः षडष्टोपगताःसपापाः ॥ दृष्टाः खलः शत्रुशात्रमा सेव्याध्यादिविद्विड्भय दुःखदाः स्युः ॥ १२॥ लग्नेश मासेश वर्षेश और मुंथेश ६ | ८ | १२ भावों में हों पापयुक्तभी हों और पापग्रह शत्रुदृष्टि से देखते हों तो इस मासमें रोगादि क्लेश तथा शत्रु घातादि दुःख देते हैं ॥ १२ ॥ इंद्रव० - केंद्र त्रिकोणायगतास्तुलनमासान्दपावीर्य्ययुतानराणाम् || नैरुज्यशत्रुक्षयराज्यलाभमानोदयादद्भुतकीर्त्तिदाः स्युः ॥ १३ ॥ लग्नेश मासेश और वर्षेश वलवान् हों तथा केंद्र त्रिकोण और ग्यारहवें हों तो नीरोगवा शत्रुक्षय कुलानुमान राज्यलाभ मान उदय अद्भुत कीर्ति देतेहैं ॥ १३ ॥ अनुष्ट ० - इंथिहालग्रयोराशियबलीतत्रहद्दपाः ।। दशेशाः स्वांशतुल्याहैरित्युक्त कैश्चिदागमात् ॥ १४ ॥ यह सामान्य मासफल कहे हैं इसमें भी सूक्ष्म दशा और अंतर्दशासे जान- ना पात्यांशी दशाकी विधि पूर्ववतही है, जहां सौर वा सावन दिन३६० का