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पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/१८८

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( १८० ) ताजिकनीलकण्ठी | मिलेंगी ऐसेही दिनप्रवेशभी जानना इसकी युक्ति इसी तंत्र के प्रथमाध्याय तीसरे श्लोककी टीकामेभी लिखीहै, उदाहरण - पूर्वलिखित जन्मकालीन सूर्य्यस्पष्ट ० । १८ । ४२ । ३१ है संवत् १९४३ वैशाख कृष्ण द्वादशी शनिवार इष्टघटी १३ । ५४ वर्षप्रवेश ३८ में भी सूर्य स्पष्ट ० | १८ । ४२ । ३१ मासप्रवेश के लिये इसमें एक जोड़के १ | १८ | ४२ | ३१ मांसप्रवेशका - लीन सूर्य्य स्पष्ट हुआ इसीका नाम मासार्क है, दूसरे महीने ज्येष्टकी कृष्ण- द्वादशीके समीप ज्येष्ठकृष्णषष्ठी सोमवार के दिन पंचांगमें अवधि उदयकाल - की है यह हाल २ । ०।० वारादि जानना इस दिन उदयकालिक सूर्य्य स्पष्ट १ । १० । ३५ । ३ गति ५७ | २७ है यह पंक्त्यर्क हुआ, इनका अन्तर करनाहै मासार्क १ । १८४२ । ३१ अधिक होनेसे इसमें पंतत्यर्क १ | १० | ३५ । ३ घटायके ० १८१७ | २८ रहा इसकी कला ४८७ | २८ हुई. गति ५७। २७ ३५७ को ६० से गुनाकर २७ जोड़- दिये ३४४७ हुये, कला ४८७ को ६० से गुनाकर २८ जोड़ दिये २९२४८ हुये गतिपिंड ३४४७ से कलापिंड २९२४८ में भाग लिया लब्धि ८ दिन हुये शेष १६७२ को ६० से गुनाकर १००३२० भागहार ३४४७ से भाग लिया लाभ २९ घटी हुई शेष ३५७ को ६० से गुनाकर २१४२० भागहारसे भागलिया लाभ ६ यह ८ | २९ । ६ वारादि पंक्त्यर्क कालिक वारादि २।० । ० में न्यूनाधिक करना है यहां मासार्क में पंक्त्यर्क घटाया गया इस लिये ८ । २९ । ६ वारको ७ से शेषकरके १ | २९ । ६ पंक्ति • वारादिमें जोड़ दिया तो मासप्रवेशका वारादि हुआ ३ | २९ । ६ज्येष्ठकृष्ण चतुर्दशीको मंगलवारहै इस दिन २९ घटी ६ पलामें द्वितीय मासप्रवेश हुआ ऐसेही दिनप्रवेशभी जानना इसकी कल्पित रीति उदाहरण सहित इसी तंत्रके प्रथमाध्याय तीसरे श्लोककी टीकामें लिखीहै दोनों प्रकार सिद्धहैं. विशेष बोधके लिये जगह २ लिखाहै ॥ १ ॥ २ ॥ अनुष्ट :- मासप्रवेशकालेपिग्रहान्भावांसाधयेत ॥ तत्रमासतनोर्नाथोसन्थेशोजन्मपस्तथा ॥ ३ ॥ त्रिराशिपोदिननिशोरखींदुभपतिस्तथा ॥ अन्दप्रवेशलग्नेश एषांवीयधिकस्तनुम् ॥ ४ ॥