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पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/१३८

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(१३०) ताजिकनीलकण्ठी । यय प्राप्त होते. बुध हो तो. मूर्च्छा वा अज्ञान और अपमान होवे बृहस्पति हो तो धर्मक्षय और जीविका कष्टसे होवे ॥ ४ ॥ • अनु - शुक्रेविलाससौख्यानां नाशः स्त्रीभिः समं कलिः ॥ सौरो भृत्यजनाद्दुःखं रुजो वातप्रकोपतः ॥ ५ ॥ ऐसाही शुक्र हो तो हास विलास सुखका नाश और स्त्रियोंसे कलह होवे शनि हो तो भृत्यमनुष्यसे दुःख और वात रोपसे रोग होवे ॥ ५ ॥ 'अनुष्टु०-ल पापयतं सौम्यैरदृष्टसहितं नृणाम् ॥ विवादंवञ्चनंदुष्टमशनंच पे विंदति ॥ ६ ॥ लग्न पापग्रहसे युक्त हो तथा शुभ ग्रहोंसे दृष्ट युक्त वा न हो तो मनुष्यों- को कलह होबे कोई ठगलेवे दुष्ट वस्तु खाने को मिले इतने फल होते हैं ॥६॥ शार्दूलवि●- जन्माब्दांग परंध्रपाब्दमुथहानाथाबलाढ्यास्तदा • रम्यंवर्षमुशंतिसर्वमतुलं सौख्यंयशोथंगमः ॥ पष्ठाष्टांत्यगता नचेदिहपुनस्तेदुःखभीतिप्रदानिर्वीय दिवर्षमेतदशुभवाच्यं शुभेक्षांविना ॥ ७ ॥ जन्मलग्नेश वर्षलग्नेश अष्टमेश वर्षेश और मुंथेश बलवान् हों तथा छठे आठवें बारहवें स्थानों में न हों तो सम्पूर्ण वर्षमें दैवज्ञ शुभही फल कहते हैं और अगणित सुख तथा यश और धनागमभी होते हैं जो उक्त ग्रह बलरहित हों और इनपर शुभ ग्रहोंकी दृष्टि भी न हो तो दुःख तथा भय देते हैं और सम्पूर्ण अशुभ फलही देते हैं, यदि निर्बल अशुभद्दष्ट ६।८ | १२ में भी हों उक्त ग्रह तो मृत्युही देते हैं ॥ ७ ॥ अनुष्टु-सूतौधनप्रदःखेटोधनाधीश चतौयदि || वर्षेनष्टौचित्तनाशान्यनिक्षेपापवाददौ ॥ ८ ॥ जन्ममें जो ग्रह धन देनेवाला है वह और जन्महीका धनभावेश वर्षमें नष्टबली हो तो धननाश तथा ( अपवाद ) कि मैंने इसको कुछ धन धरो- हर दियाथा इसने चुरालिया ऐसा कलंक लगे, जो उक्त दोनों बलवान हों तो धन देते हैं ॥ ८ ॥ ०. अनु… • ~ एवंसमस्तभावानां सूतौनाथाचपोषकाः ॥ अब्दैनष्टबलास्तेषां नाशायोह्याविचक्षणैः ॥ ९ ॥