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पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/१०६

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(९८). 'ताजिकनीलकण्ठी । बांधव, सपिण्ड सातपुरुष पर्यन्तका नाम है, सत्यालीक वणिग्भावका पचय है प्रसव गर्भाधान सन्तानोत्पत्तिका नाम है ॥ ६० ॥ ६५ ॥ . • अनुष्टु० - दासत्वं परकर्मोक्तमन्यत्स्पष्टंस्वनामतः ॥ निरूप्याणियथायोग्यंकुलजातिस्वरूपतः ॥ ६१ ॥ ३६॥ परकर्म दासत्वका पर्याय है इतने सहमों के नाम द्वयर्थ होनेसे पर्याय कहे गये शेष सहमोंकें प्रकट नाम हैं जैसे पुण्य विवाह आदि यथायोग्य कुल, तथा जाति विचारके फल कहना ॥ ६१ ॥ ३६ ॥ अनुष्ट ० - शुभयोगेक्षणात्सौख्यं पत्युर्वीर्थ्यानुसारतः ॥ दारिद्र्यमृतिमांद्यारिकलिपुक्तोविषयँयः ॥ ६२ ॥ ३७ ॥ सम्पूर्ण सहम शुभग्रहके दृष्टेि तथा योगसे सहमेशके वीर्य्यानुसार शुभफल देते हैं परन्तु दारिद्र्य, मृत्यु, मांय, कलह ये ४ सहम विपरीत फल देतेहैं अर्थात शुभयोगेक्षण, तथा स्वामी बलवान् होनेमें भावसदृश अशुभ फल और पापयोग दृष्टि तथा सहमेशके निर्बल होनेमें नाम गुणसे विपरीत शुभ फल देते हैं ।। ६२ ।। ३७ ॥ . अनुष्टु० - प्रश्नकालेपिसहमविचार्य्यप्रष्टुरिच या || - सर्वेषामुपयोगोत्र चित्रंपृच्छतियजनाः ॥ ६३ ॥ ३८ ॥ जिसका जन्मपत्र हो तो प्रथम जन्म के तदुत्तर वर्षके सहम विचारने जन्म पत्र जिसका न हो उसके प्रश्न लग्नसे पुण्यादि सहम विचार करना ( यतः ) मटा अनेकमकार प्रश्न पूँछते हैं सहमोंसे सभी प्रकार कहदेना ॥६३॥ ३८॥ वसंत ० - आसीदसी मगुण मंण्डितपण्डिताग्योव्याख्यद्भुजं- गपदवीः श्रुतिवित्सुवृत्तः ॥ साहित्यरीतिनिपुणोगणिताग- मज्ञश्चिन्तामणिर्विपुलगर्गकुलावतंसः ॥ ६४ ॥ ३९ ॥ इस तंत्रकी समाप्तिमें ग्रंथकर्त्ता अपने नामांदि कहता है कि साधु शास्त्र पांडित्यादि निःसीम गुणोंसे भूषित तथा पंडितों में श्रेष्ठ तथा शेषनागके वाणी पातंजलादि महाभाष्य की व्याख्या करनेवाला तथा वेदज्ञान जाननेवाला तथा शुभाचरण युक्त और गणितादि ज्योतिश्शास्त्र पारंगम साहित्य का