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पृष्ठम्:छन्दःशास्त्रम् (पिङ्गलः).djvu/९९

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गोविन्द घनमयूरम् घनाक्षरी चकिता चञ्चलाक्षिका चण्डवृष्टिप्रयातः वण्ही वन्द्रलेखा

चन्द्रसेना चन्द्रौरस स्वपलाय वपलानुष्टुप् चम्पकमाल चामरम् १७७ | चारु १४८| चारुहासेिनी १४१ | चित्रम् १८१ १५७| चित्रपदा १७८ | चित्ररेखा १०४

| १७० १५६ | वित्रा १४९ १४५ | चूडामणिः

? ? ?? १४१ | चेटीगति १०६ | चेतोहिता १७७ | छाया १०६ | जघनत्वपला गीतिपथ्या १०६ | जघनचपला गीलयन्तविपुला १६३| जघनचपला गीलादिविपुला १४५| जघनचपला गीत्युभयविपुला १५१ | जघनचपलादिवेिपुल १३७ | जघनवपलान्ताव १५१ | ज ११६ | जघनचपलाय गीतेिपथ्या १४५ | जघनचपलाय गीत्यादिविपुल). १४८ | जघनचपलाय गीत्यन्तविपुला जघनचपलार्या गीत्युभयविपुला ७६ | जघनचपलोद्भीतिपथ्या ११४ | जघनचपलोदीलयन्तविपुला १६१ | चघनचपलोद्भीत्यादिविपुला १६१ | जघनचपलोद्भीत्युभयांविपुला १५२.! जघनचपलोपगीपिध्या १५६ १६१ १५५७ १५१ १०७ १७३ १५१ १६३ ५१ ५१ ५२ ५२ ५२ ५२