पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/४५

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पो . चतुर्वेदीफोप | ४६ डः, (त्रि. ) अति ने वाला अवस्था विशेष बाल्यावस्था | | पढ, (त्रि. ) निररत व्यक्त निकाला गया। अपोदका, स्त्री.) शाकविशेष " पूर्ति नामक. शाक • अपोनपात्, (पुं. ) इस नाम से प्रसिद्ध एक देवता । ● (पुं.) तर्क का निराकरण |जयी कल्पना तर्क | त्याग | निषेध | अप्पतिः, (पुं..) जल का• स्वाभी | तरुण | " समुद्र । अप्रकाण्डः, ( पुं. ) शाखा हीन वृक्ष | खुत्थ .. प्रकाशः, (त्रि.) प्रकाश का अभाव | न समझने योग्य | जनान्तिक । गोपन | गुण, (त्रि.) जिसके उत्तमगुण न हां। व्याकुल घबड़ाया हुआ । शंखरः, (त्रि. ) प्रखरतारहित प्रगुण (त्रि.) व्याकुल । प्रकृष्टगुणहीन । अप्रणयः, (पुं.) अप्रीतिः । प्रीति का अभाव। प्रतः, (त्रि. ) तर्क के अयोग्य | मन के अगोचर | प्रतिकरः, (त्रि.) विश्वस्त | विश्वासपात्र | श्रप्रतिपक्षः, (त्रि.) प्रतियोगी विपक्ष शून्य" शत्रुरहित । प्रतिपत्तिः, ( स्त्री. ) यथार्थ का अज्ञान | अप्रतिभः, (त्रि.) अष्टलचित। प्रत्युत्पन्न भक्ति 1 अप्रगल्भ प्रतिमाहीन : अप्रतिमः, (त्रि. ) | असमान जिस के तुल्य दूसरा न हो । अप्रतिरथम्, (न. ) युद्धकी यात्रा | युद्धार्थ यात्रा के लिये किया गया मङ्गल सामवेद का एक भाग । जिसके समान दूसरा योधा न हो । विष्णु | श्रप्रतिरूपकथा, ( स्त्री. ) वैसा वचन जिस का उत्तर न हो। उत्तरहीन वचन | प्रतिष्ठः, (त्रि.) प्रतिष्ठित प्रतिष्ठारहित । तिः, (नि.) आवातशय विधा से चांभमृत नहीं । नविन | अप्रत्यक्षम्, ( न. ) प्रत्यक्ष मित्र | प्रत्यक्ष का अभाव | इन्द्रियों के अगोचर प्रत्ययः (पुं.) विश्वास | प्रधान ( न. ) प्रधान का अभाव : गौण | अप्रधृष्यः, (त्रि. ) अविचलनीय | तिरस्कार करने के अयोग्य | प्रमत्तः, (त्रि. ) प्रभादरहित | सावधान | अमेय (त्रि.) अचिन्त्य प्रभाव | यह ऐसाही है। इस प्रकार जिसका निश्चय न किया जा सके। प्रमेयरहित । अप्रशस्तम्, (त्रि.) श्रेष्ठ | विहित । प्रसङ्गः, (पुं. ) अव्यतिकर प्रसङ्ग का.' अभाव | प्रस्तुतः, (त्रि.) अनुपस्थित प्रकरण से. श्रप्राप्त । प्रस्तुतप्रशंसा, (स्त्री.) अर्थालगनशेप- अर्थ के कहने से प्राकरणिक का बोध होना । महत (भि.) अनाहत । विना जोती हुई भूमि । प्राकृतः, (त्रि.) सामान्य | जनसाधारण |. अप्राग्न्यम्, (त्र) । मुख्य नहीं। श्रप्राप्तः, (त्रि. ) अलब्ध नहीं पाया गया। अप्राप्तकाल, ( न. ) घचड़ा कर विपरीत कहना । अप्राप्तव्यवहारः, (त्रि.) व्यवहार से अनभिज्ञ | | नावालिग | अप्राप्ति:, ( सी.) लाभ का प्रभाव | न मिलना । कुण्डली का द्वादश स्थान | प्रामाणिक (त्रि.) प्रमाण न जानने वाला । वह वस्तु जो प्रमाणित न हो। अविश्वसनीय | श्रामाण्यम्, ( न. न. ) प्रभाग का अभाव । अप्रियम्, (नि.) यनिष्ट । अहित | कटु |