पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/४६

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श्रन्स चतुर्वेदीकोष । ४५ सरस्, (स्त्री.) देवाशना । उर्वशी श्रादि स्वर्ग की वेश्या फलः, (पुं. ) | ( त्रि. ) फलरहित वृक्ष निष्फल व्यर्थ । श्रफलप्रेसुः, (त्रि. ) फलाभिलापरहित । अफला, (स्त्री.) घीकुआर एक प्रकार की औषधी | (न.) इसके चार भेद होते हैं । ( १ ) श्वेत । ( २ ) काला। (३) पीला । (४) मटमैला रङ्ग | श्रबद्धम् (न. ) समुदायार्थशून्य वाक्य | निरर्थक वचन | परस्पर संबन्धहीन वाक्य | श्रद्धमुख, (त्रि.) दुष्टचन बोलने वाला । दुर्वचन वक्ता | वाचाल | मुहफट श्रवध्यम्, (त्रि.) वध के अयोग्य मारने ● के योग्य दण्ड के अयोग्य अबन्ध्यम्, (त्रि.) सफल । निष्फल नहीं | जिसके फल न रुके । अवलः, ( पुं. ) वरुण नामक वृक्ष (त्रि. ) दुर्बल | बलरहित | अबला (स्त्री) स्त्रीजाति | बाधः, (त्रि. ) पीड़ाशूत्र | पीड़ा- रहित । अबिन्धनः, (पुं.) वडवाग्नि विद्युत् | बिजली | अब्ज (न. ). कमल | चन्द्र संख्याविशेष | चरब १०००००००००। श्रब्जजः, ( पुं. ) विष्णु के नाभिकमल से उत्पन्न ब्रह्मा प्रजापति | अजभोगः, (पुं. ) कौड़ी। कमलकन्द | अब्जवाहन, (पुं.) शिव महादेव । जहस्तः, (पुं.) सूर्य दिवाकर | श्रब्जिनी ( स्त्री. ) नलिनी कमलिनी | कमलकी लता पद्मसुमूह | कहिरी । अब्जिनीपतिः, (श्री. ) भूर्य | ( पं . ) मेध | बादल | मोथा | एक पर्वत का नाम । वर्ष | सरल | ● अभ' ब्धिः, (पुं.) समुद्र | सागर | सिन्धु | अधिकः, ( पुं. ) समुद्र की भाग समुद्रफेन । एक प्रकार की औषधी | अधिद्वीप (स्त्री. ) पृथिवी | अब्धिनवनीतम्, (न. ) समुद्र के नवनीत ( मक्खन ) समान। चन्द्रमा | अब्धिफेन, (पुं. ) समुद्रफेन । अधिमण्डूकी, ( स्त्री. ) शुक्ति । सीप । अधिशयनः, (पुं. ) विष्णु । नारायण शेषशायी भगवान् > अब्भ्रम् (न.) मेघ । बांदल जो जल धारण करता है। अलिह, (पुं.) वायु । पवन ।' जो मेघों को उड़ा ले जाता है। ऊंचे पर्वत महल वृक्ष आदि। अब्धक, ( न. ) जो मेघा के समान बढ़े | धातुविशेष अवरक | श्रभ्र पुष्प, (पुं. ) जल वेतवृक्ष वेतसका पेड़ | श्रभ्रमातङ्गः, (पुं.) ऐरावत नाम का हाथी अब्भ्रमु, ( स्त्री. ) इन्द्र के हाथी ऐरावत की स्त्री । पूर्व दिशा की हथिनी अब्भ्रमुवल्लभ, (पुं.) ऐरावत हाथी | अभ्ररोह, (पुं.) वैदूर्य नामक मणि : प्रवाल | मूंगा | श्रब्रह्मण्यम्, (न. ) अवध्योक्ति # “ न मारो " इस अर्थ में इस का प्रयोग नाटकों में होता है । (पुं.) ब्राह्मण भक्तिहीन । ब्राह्मणः, ( पुं.) नीच ब्राह्मण । अधम ब्राह्मण | गैर ब्राह्मण । अभक्ष्यः, ( त्रि. ) खाने के योग्य | न खाने योग्य | अभद्र, (त्रि.) दुःख दुष्ट अशुभ | अभयम्, ( न. ) भय का न होना । भय रहित परमात्मा परमात्मा का ज्ञान । (भयं वै जनकप्राप्तोऽसि ) “श्रतिः” शास्त्र में कही हुई विधियों को विना सन्देह अनुष्ठान करनेवाला यात्रा का योगविशेष |