पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/२४९

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फणि चतुर्वेदीकोष | २५० फणिन्, ( पुं. ) साँप | फणीश्वर, (पुं.) अनन्त | शेष | सर्पराज | फणिज्झक, ( पुं. ) लता विशेष | फण्ड, (पुं.) पेट उदर । फत्कारिन्, ( पुं. ) पक्षी विशेष | फर, (न. ) दाल | फरुबक, (न) बिलहरा | गिलौरीदान | फर्फरायते, ( क्रि. ) फड़फड़ानां । इधर उधर घूमना चमकना | फर्फरीक, ( पुं. ) खुला या फैला हुआ हाथ | छोटी डाली या कल्ला | कोमलता । फलू, (क्रि. ) फल का उपजना | फाड़ना । तोड़ना । फल, (न. ) लाभ | वृक्ष का फल | ढाल | कार्य | अभिप्राय प्रयोजन । जायफल । त्रिफला । तीर का अगला भाग दान | फलद, (पुं. ) वृक्षमात्र । फलदाता | फलश्रेष्ठ, (पुं. ) आम का पेड़ । अच्छे फल वाला । फलिन, (त्रि. ) फल वाला । फलेग्रहि, ( पुं. ) ठीक समय फलने वाला पेड़ | फलोदय, ( पुं. ) लाभ | स्वर्ग | हर्ष | फल्गु (त्रि. ) रम्य | मनोहर | व्यर्थ । में एक नदी । फल्गूत्सव, (पुं. ) होली का त्योहार । फल्य, ( न. ) फल लाने वाला । फूल । फाट्, बुलाने का शब्द फाटकी, (स्त्री.) फिटकरी । फाणि, ( पुं. ) करम्भ | हलवा । लप्सी । दही और सतू | सीरा | फाणित, ( न. ) कञ्ची खाण्ड | फाण्ट, (न. ) अनायास बनाया गया । वैद्यक के अनुसार फाँट औषध बनती है, वह फेंटकर ( थाली डाल कर : चीजें मिला कर घैसवा ) बनाई जाती है। फाण्ड, (न.) पेट उदर । बंहि फाल, ( न. ) हल की नोक । सीमन्त भाग | सिर पर की माँग । भाल । बलराम का नाम । शिव । फालंखला, ( स्त्री. ) पक्षी विशेष | फाल्गुन, ( पुं. ) हिन्दू वर्ष का बारहवाँ मास | अर्जुन का नाम । वृश्न विशेष । फाल्गुनी, ( स्त्री. ) नक्षत्र विशेष । फागुन की पूर्णिमा | फि, (पुं. ) दुष्टजन | गप्प | क्रोध | फिङ्गक, ( पुं. ) काँटेदार पूँछ वाला पक्षी विशेष | फिरङ्ग, (पुं. ) योरुप | फिरक्षियों का देश | गर्भा । आतशक | फु, ( पुं. ) मंत्रोच्चारपूर्वक फूँकना । फुक, ( पुं. ) पक्षी विशेष | फुट, (त्रि.) विदीर्ण | फटा हुआ | साँप का फन । 'फुप्फुस, (पुं. ) फेफड़ा फुल्ल, (क्रि. ) खिलना फुल, (त्रि.) खिला हुआ । पुष्प | फल । फुल्लरीक, ( पुं. ) जिल्त | जगह | सर्प । फेटकार, (पुं. ) चींख । फेरण-न; ( 9 ) फेन । झाग | थूक | बर्फ | फेर, }( पुं. ) शृगाल । गीदङ । फेरण्ड, फेरव, ( पुं. ) शृगाल | गीदड़ | राक्षस | धूर्त । फेरु, ( पुं. ) शृगाल | फेलू, (क्रि. ) जाना । फेल-ला, (न. श्री. ) उच्छिष्ट | जूठा | ब ब, ( पुं. ) युन्ना । बोना । वरुण | घड़ा | योनि । समुद्र । जल गमन तन्तु- सन्तान | सूचन | बहू, (क्रि. ) बढ़ना | उगना । दृढ़ करना । बंहिष्ठ, (त्रि.) बहुत ही ६