पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/२१४

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निंग्र चतुर्वेदीकोष | २१५ निग्रहस्थान, ( न. ) रोकने का स्थान | गौतम कथित षोडश पदार्थों में से अन्तिम पदार्थ | निग्राह, (पुं. ) शाप । कटुवचन | निघ, ( पुं. ) गेंद | वृक्ष | वृत्त । जितना ऊँचा उतना ही चौड़ा। पाप । निघण्टु, ( पुं. ) , अर्थ सहित शब्दसंग्रह | विशेष कर के वैदिक शब्दों का संग्रह | जिसे यास्क मुनि ने निरुक्त में किया है । वैद्यक का कोश जिसमें हर एक वस्तु के नाम और गुण-दोष हैं। निघस, (पुं. ) भोजन । श्राहार । निघ्न, (त्रि. ) अधीन गुणा गया । " द्विगुणान्त्यनिघ्न - "लीलावती । निचय, ( पुं. ) बढ़ा हुआ | ढेर | समूह | निचाय, (पुं. ) राशीकृत । समूह | निचित, (त्रि. ) पूरित | भरा हुआ । फैला हुआ । सङ्कीर्ण । मिला हुआ । रचा हुआ | निचोल, ( पुं. ) डोली का परदा | डुपट्टा | चादर ।. निज, (न. ) अपना निटल, ( न. ) कपाल । माथा । निराय, (न.) छिपा हुआ । गुप्त | रहस्यमय | नितम्ब, (पुं.) कटिदेश | चूतड़ | कन्धा | तट । किनारा कमर नितम्बिनी, ( स्त्री. ) स्त्री | नितरां, ( श्रव्य.) सदैव । अतिशय । विशेष कर के। नितल, (न.) बहुत नीचा । पाताल विशेष | नितान्त, (न. ) एकान्त । असाधारण | अतिशय । बहुत । सघन | नित्य, (न. ) निरन्तर अनन्त अक्षर | अन्त रहित । ( पुं. ) समुद्र । नित्यकर्म, ( न. ) सन्ध्यावन्दनादि प्रति- दिन करने योग्य कर्म | नित्यदा, (श्रव्य. ) सदा | सदैव । रोजरोज | निधा विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिये नित्य किया जाय । कोई सामयिक कृत्य जो समय पर सदैव किया जाय । नित्यमुक्त, (पुं. ) परमात्मा । और शेष विष्वक्सेन आदि सूरिंगण जिन्हें वेदों में “तद्विष्णोः परमं पदछ्रंसदा पश्यन्ति सूरयः ।” इत्यादि कहा है । नित्ययज्ञ, ( पुं. ) बलि - वैश्वदेव | अग्नि- होत्रादि । नित्यसत्त्वस्थ, ( त्रि. ) धैर्य्यवान् । नित्यसमास, ( पुं. ) समासविशेष । नित्यानध्याय, ( पुं. ) वेद न पढ़ने का नियत दिन । प्रतिपदा आदि । नित्याभियुक्त, ( त्रि. ) केवल शरीर की रक्षा करने वाला । योगाभ्यास में निरत | निदर्शन, (न. ) उदाहरण । अर्थालङ्कार । निदाघ, (पुं.) गरम । पसीना । गर्मी की ऋतु । निदाघकर, (पुं.) सूर्य निदान, ( न. ) आदिकारण | शुद्धि | बछड़े की रस्सी । अवसान । रोग निर्णय करने वाला। रोग का मूल कारण और सामान्य लक्षण तथा परिणामनिदर्शक ग्रन्थ विशेष | जैसे—“ निदाने माधवः प्रोक्तः । ” माधवनिदान ग्रन्थ । तथा और भी वैद्यक के ग्रन्थविशेष । रोग का कारण तपःफल की याचना | निदिग्ध, (त्रि. ) उपचित । बढ़ा हुआ । तेल मला गया । निदिध्यासन, ( न. ) ध्यान विशेष | विचारे हुए अर्थ में निमग्न होना | निदेश, ( पुं. ) शासन आज्ञा । कथन | पास । वर्तन । निद्रा, ( स्त्री.) नींद निधन, (पु.) मरण | नाश । कुल । लग्न से आठवाँ स्थान । निधान, ( न. ) आश्रय धनागार |