पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/१७५

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झग चतुर्वेदीकोष । १७५ झग-ति, (श्रव्य. ) शीघ्र | एक बार ही । भङ्कार, (पुं. ) भरे की गूज झङकृति, ( स्त्री. ) काँसे के बर्तन का शब्द । झन्झा, ( स्त्री. ) एक प्रकार का शब्द । बड़ा वायु, जिसके साथ जल भी हो । झट्, (क्रि. ) एकत्र होना झटिति, (अन्य ) शीघ्र । उसी समय | तत्क्षण | झणत्कार, (पुं.) नूपुर, कङ्कण आदि का शब्द । झम्प, ( पुं. ) वेगपूर्वक ऊपर से नीचे गिरना | कूदना | झर, (पुं. ) करना । । झर्च, (क्रि. ) कहना । घुड़कना झर्चर, (पुं.) ढोल कलियुग। नदविशेष बाजा । झल्लरी, ( स्त्री. ) वाद्यविशेष | साफ़ | गीला | ढोल । झष, ( कि. ) मारना । लेना । बन्द करना | झष, (पुं.) मच्छ ताप | धूप | वन | झषकेतु (पुं.) मछली का निशान वाला । कामदेव झाट, (पुं.) लताच्छादित स्थान फोड़ा को धोना । झामक, (न.) बहुत पकी हुई ईट । झिङ्गिनी, (स्त्री.) वृक्षविशेष । उल्का । झिली, (स्त्री.) झींगुर झुण्ट, ( पुं.) स्तम्ब । झाड़ी । झ, (क्रि. ) पुसना पड़ना । बूढ़ा होना । झड, (पुं. ) सुपारी का वृक्ष भ्यु, (क्रि.) जाना । डोलना । ञ ञ, (पुं.) बैल । शुक | तिरछे हो कर गमन करना । सङ्गीत | गाना । घर्घर शब्द । घुरघुराना । . 1 टक्, ( कि. ) बाँधना | टक्कर, (पुं.) शिव जी । टगर, (गु.) तिरछी आँख वाला। गड़बड़ी क्रीड़ा | ट ट, ( पुं.) टङ्कार (धनुष की ) | बौना । चतु- थौश। शपथ । पृथिवी । नारियल की नरेरी । टङ्क, (क्रि. ) बाँधना । जोड़ना । ढकना । टङ्क, (पुं. ) कुदाली । कुल्हाड़ी | खड्ग | ख • की म्यान । उतार | कोप । अहङ्कार | अभिमान । टाङ्ग दरार । दर्रा । बनैले सेव का वृक्ष । सुहागा । चाँदी का माप जो चार माशे होता है। अङ्कित मुद्रा | टङ्कक, (पुं. ) चाँदी का रुपया | मोहर । टङ्कन, ( पुं.) खारविशेष | सुहागा । टङ्कटीक, (पुं.) शिव जी का नाम । टङ्कार, (पुं. ) धनुष के रोदे को खींच कर छोड़ने पर जो शब्द होता है उसे टङ्कार कहते हैं । टङ्किका, ( स्त्री. ) कुल्हाड़ी | कुदाली । टट्टनी, ( स्त्री. ) घरेलू छोटी छिपकली । टट्टरी (स्त्री.) वाद्ययंत्रविशेष | हँसी की बात झूठ । ढोल । टट्टुर, ( पुं. ) ढोल का शब्द । टलू, टाङ्कम्, (क्रि. ) गड़बड़ में पड़ना । ●) मद्यविशेष । टाङ्कर, (पुं.) लम्पट व्यभिचारी पुरुष । टाङ्कार, (सं.) झनङ्कार टङ्कार टार, (पुं. ) घोड़ा । बालमैथुनकारी । टिकू, (क्रि.) जाना । डोलना । टिटि (ट्टि ) भ, (पुं.) टि टि बोलने वाला टिटहरी चिड़िया | टिप्. (क्रि. ) प्रेरणा करना । चलाना | फेंकना । ढालना । टिप्पणी-नी, ( स्त्री. ) टीका | टीकू, (क्रि. ) जाना | टीका, (स्त्री.) कठिन पद्यों का सरल अर्थ अथवा भाषान्तर | दु, ( सं . ) सोना । वह जो इच्छानुसार अपना रूप बदल सके । कामदेव |