पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/१५२

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गात्र चतुर्वेदीकोष । १५२ ढीला गात्र, ( किं. ) शिथिल पड़ना । पड़ना । गात्र, (न. ) देह | शरीर । हाथी के आगे की जा | गाथा, ( स्त्री. ) प्राकृत | देशी भाषा में रचा हुआ श्लोक अथवा गीत । गाधू, (क्रि. ) ठहरना । गुथना । पाने को इच्छा करना । गाध, (पुं.) स्थान । लिप्सा | बुछ कुछ गहरा । गाधि, ( पुं. ) कन्नौज का चन्द्रवंशी एक राजा । विश्वामित्र के पिता का नाम । गाधिज, (पुं.) विश्वामित्र । गाधेय, ( पुं. ) विश्वामित्र । गान, (न. ) गीत | ध्वनि । सुर गान्दिनी, ( स्त्री. ) गङ्गा । यादववंश में अक्रर की जननी । गान्धर्व, (पुं. ) गन्धर्वसम्बन्धी विवाह, विवाह जो वर कन्या की इच्छानुसार हुआ हो । -वेद, सामवेद का एक उपवेद । सङ्गीतशास्त्र | गान्धार, (पुं.) रागविशेष । कन्धार देश में उत्पन्न । ( न. ) गन्धक । गान्धांरराज, (पुं.) दुर्योधन का नाना सुबल, उसका पुत्र शकुनि, दुर्योधन का मामा । गान्धारी, (स्त्री.) दुर्योधन की माता । धृतराष्ट्र की स्त्री | गान्धिक, (पुं. ) गंन्धी । इत्र, तेल बेचने वाला | गायत्री (स्त्री.) जो गाते हुए को बचावे । वेद का मंत्रविशेष । छः वा आठ अक्षरों के पाद का बन्द | गायन, (त्रि.) गानोपजीबी । गान द्वारा पेट पालने वाला । गारुड़, (न. ) मरकतमणि । विष का मंत्र | स्वर्ण | गारुडिक, (पुं. ) विषषैद्य । गुग्गु i गारुमत् (न. ) जिसका देवता गरुड़ हो । मरकतमणि । गार्हपत्य, ( पुं. ) एक प्रकार के यज्ञ का अग्नि । गार्हस्थ्य, ( गु. ) गृहस्थों का अनुष्ठेय कर्म । गृहस्थों का धर्म । गालव, (पुं. ) बोध का पेड़ | एक मुनि का नाम । गालि, ( पुं. ) शाप । निन्दा | बुरा वचन | गाहू, ( कि. ) बिलोना । भली भाँति देखना गिर-रा, ( स्त्री. ) वाक्य | वचन | वाणी । गिरि, ( पुं. ) पहाड़ । पर्वत । दसनामी गुसाई संन्यासियों में से एक की उपाधि । ( स्त्री.) बालमूषिका । गिरिज, (न. ) बादल | लोहा | शिलाजीत | गौरी । पार्वती । गिरिदुर्ग, ( न. ) पहाड़ी गढ़ । गिरिभिद्, ( पुं. ) इन्द्र गिरिश, ( पुं. ) पर्वत पर सोने वाला | शिव | गिरिसुत, ( पुं. ) पर्वत का पुत्र । मैनाक नामक पहाड़। (स्री. ) पार्वती । गिरीश, (पुं.) महादेव । शिव । गिलित, ( गु. ) खाया हुआ | गीत, ( न. ) गाना | गीता, (स्त्री. ) गुरु और शिष्य की कल्पना से उपदेश के रूप में दी हुई शिक्षा | गीति, (स्त्री.) गाना | आर्य्या छन्द विशेष | गीर्णि, ( स्त्री. ) खाना । स्तुति | बड़ाई | गीर्वाण, .) वाणी ही जिसका शर है । देव । गोष्पति, (पुं. ) वाणियों का स्वामी । देव- गुरु बृहस्पति । गु, (क्रि. ) शब्द करना । मल का छोड़ना । गुग्गुल, ( पुं. ) गन्धद्रव्य | यह धूनी देने के काम में लाया जाता है। लाल सुहाँजना |