पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/११६

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कल कल, (पु. कोमल, चतुर्वेदीकोष । ११६ ) मधुर और स्पष्ट धीमी, आनन्ददायिनी ( आवाज ) | धनपच । साल वृक्ष कलकण्ठ, (पुं.) कोकिल । हंस । पारावत । कबूतर मधुर कण्ठ वाला । कलकल, (पुं.) होहो । कोलाहल । हला गुल्ला । गुलगपाड़ाँ । कलघोष, (पुं.) मीठे कण्ठ वाला । कोइल | कलङ्क, (पुं. ) दांग | धब्बा | चिह्न | अपयश | दोष | त्रुटि | लोहे की जङ्ग | काई । कलंञ्ज, (पु.) पक्षी | विषैले अस्त्र से मारा हुआ हिरन या कोई अन्य जन्तु | तमाखू | ताम्रकूट । दस रुपये भर का माप । कलत, (गु. ) गजा | कलत्र, (न.) चूतड़ | भार्ग्या | पत्नी | स्त्री | कलधौत, (पुं) चाँदी कलध्वनि, (पुं. ) मधुर धीमा शब्द | कबूतर | मोर । कोइल कलन, (पुं.) बेत का झाड़ | चिह्न | एक मास का गर्भ | पकड़ना। गिनना । सम झना | जानना कलभ, (पुं.) हाथी का बच्चा जो पाँच वर्ष का हो चुका हो । धतूरे का पेड़ । कलर्म, (पुं.) चावल, जो मई जून में बोये जाते और दिसम्बर जनवरी में काटे जाते हैं । लेखनी। नरकुल । चोर । गुण्डा | बद- माश । कलम्ब, (पुं. ) तीर | कदम्ब का वृक्ष । कलरच, (पु.) मधुर धीमे शब्द | पिडुकिया । कोइल | कलल, (पुं. न. ) गर्भ की झिल्ली । स्त्री का गुप्त अङ्ग । फलविङ्कङ्ग, (पुं.) गौरइया पक्षी | इन्द्रजौ | चिह्न | धब्बा | कलश, (पुं.) कलसा । घड़ा । मापविशेष जिसमें चौतीस सेर हो । कलह, (पुं.) झगड़ा। तकरार । विवाद। लड़ाई | ^ कलि तलवार रखने की मियान । छल ।"झूठ | मार्ग । कलहंस, (पुं.) राजहंस परमात्मा | सर्वो- त्तम राजा । कला, ( स्त्री. ) किसी वस्तु का एक छोटा अंश । चन्द्रमण्डल का सोलहवाँ भाग | राशि के तीसवें भाग का सठियाँ अंश । चातुर्य | कापट्य | छल । विभूति | सामर्थ्य | नौका | गिनती | मरीचि की स्त्री । कला चौसठ होती हैं - गाना, बजाना आदि। कलाद, (पु. ) अंश लेने वाला | सुनार । कलानिधि, (पुं.) चन्द्रमा | कलानुनादिन, (पु.) भौंरा | गौरड्या पक्षी | कलाप, ( पुं. ) समूह | मोर की पूँछ । गहना | मेखला । तर्कस | चाँद | एक गाँव | व्याकरण विशेष | कलापक, (पुं. ) जिसमें चार श्लोक का एक ही अन्य हो । कलापिन, (पुं.) वट जिसकी शाखा मोरपस के समान हो- बोड़ । कोइल | कलाभृत्', ( पुं. ) चन्द्र | चाँद । कल्लाधारी | श्रमीर मनुष्य | कलावत्, ( पुं. ) कला वाला | चन्द्रमा | कलाधारी। बड़ा आदमी | . कलाविकः, (पुं. ) मुर्गा कलाहकः, (पु. ) काहिली । एक प्रकार का मुँह से बजने वाला बाजा कलि, (पुं. ) झगड़ा । युद्ध से चौथा युग। बहेड़े का वह पहल जिस पर १ शूरवीर। तीर । ( स्त्री. ) कली । कलि-कारक, ( पुं. ) कलि कलह | कराने का चिह्न हो । चार वृक्ष । पाँसे का वाला=नारद | भूम्याट पक्षी । कलिङ्ग, ( गु. ) चतुर चालाक। करंजुए का पेड़ । शिरीष वृक्ष । मक्ष वृक्ष कृष्ण के दूसरे तीर तक और जगनाथ के पूर्व भाग वाला देश ।