पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/१००

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

उल्ब चतुर्वेदीकोष । १०० उल्बण, ( त्रि.) स्पष्ट | प्रकट | श्राधिक्य । उशनस् (पुं.) भृगुपुत्र शुक्र । शुक्राचार्य | दैत्यगुरु । उशिन्, ( गु. ) उद्यत । तत्पर । राजी । उशीर, (पुं. न. ) खस । उष् (क्रि. ) मारना । जलाना । उप, ( स्त्री. ) सबैख | सड़का | मुकमुका । उष, (पुं.) गुग्गुल | खारी मिट्टी | कामी । उषण, (न. ) तीत चीज़ जैसे मिर्च, पीपल, सोंठ इत्यादि । उप्रणा, ( सी. ) पीपल । उपर्बुध, ( पुं. ) श्रमि । चित्रक वृक्ष | उपस्, (न. ) प्रत्यूष । प्रातःकाल | उपसी, (स्त्री) दिन को नाश करने वाली । संझा | सन्ध्या | उषा, ( स्त्री. ) सबेरा | बाणासुर की कन्या | अनिरुद्ध की स्त्री | उषत (पु.) श्रीकृष्ण का पौत्र | सूर्य । प्रयुम्न का पुत्र । उषित, (त्रि.) बासी रखा हुआ | जला हुआ | स्थित । ठहरा रहा । उष्ट्र, ( पुं. ) ऊँट | उष्ण, ( गु.) गरम | धूप | पियाज | नरकभेद | दक्ष । चतुर । उष्णांशु, ( पुं. ) सूर्य । गरम किरन वाला । उष्णीष, (पुं. ) गरमी नाश करने वाली । पटका | पगड़ी | मुकुट | किरीट | उष्म, (पुं.) निदाघ । गरमीत | धूप | उष्मपा (पुं. ) भृगुपुत्र । पितरों में से एक । उत्र, (पुं.) रस वाली । किरनें । बैल | गाय । चमकदार | उत्रि, ( स्त्री. ) प्रातः बेला | चमक | प्रकाश | उस्रिक, (पुं. ) नाटा बैल । ऊ ऊ, नागरी वर्णमाला का छठवाँ अक्षर । झ, ([अव्य.) सम्बोधन | वाक्य का आरम्भ । दया। रक्षा । r ऊ ऊ, ( पुं. ) महादेव | चन्द्रमा | बचाने वाला ऊत, ( ) सूत से गुथा हुआ । बुना हुआ | ऊढ़, (त्रि.) विवाहित । उठाया हुआ | ले जाया गया । ऊति, (स्त्री.) सीना। बचाना । ऊधन्, ( सं . ) छाती | दिल । थन । ऐन | मेघ । बादल | ऊधसू, (न. ) मेड़ | लेवा | धन | ऊन, (त्रि. ) हीन । असमाप्त । निर्बल कम । अधूरा | ऊम्, ([अव्य. ) प्रश्न | निन्दा | क्रोधवाक्य ऊय्, तातों को फैलाना | बुनना ऊररी (श्रव्य) श्रङ्गीकार | विस्तार | फैलाक | ऊरव्य, ( पुं. ) भगवान् की ऊरू से उत्पन्न वैश्य । ऊरु, (पुं.) घुटने के ऊपर का भाग । जहा । जाँघ । ऊरुपर्वन् (पुं. ) घुटना । जानु । ऊर्जजीना, (क्रि.) जोर करना । ऊर्ज, (पुं. ) कातिक का महीना | बल । उत्साह | दिलेरी | ऊर्जस्थल, (त्रि.) बलवान् । ऊर्जित, ( ( त्रि. ) प्रसिद्ध | जड़ा बली । वर । ऊर्णनाभि, (पु. ) मकड़ी । भौ के बीच का गोलाकार रोम समूह जो महापुरुष होने का चिह्न है। ऊर्णा, (त्रि.) ऊन । पशम | भँवर | दोनों भौ के बीच का रोम समूह " ऊर्णासनाथ" कादम्बरी | ऊर्णायु, ( पुं. ) मेष । कम्बल । मकड़ी । क्षण भर में टूटने वाला । ऊर्णु, (क्रि.) ढाकना । ऊर्जू, ( त्रि. ) ऊपर की ओर । ऊँचा । ऊर्द्धकएठी, ( स्त्री, महाशतावरी लता । बेल ।