पृष्ठम्:गीताशास्त्रार्थविवेकः.djvu/१

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॥ श्रीश्रीगौरहरिर्जयति ॥ प्रकाशितग्रन्थसंख्या- १३६

  • श्रीमद्भगवद्गीता **

श्रीपाद विश्वनाथ चक्रवर्तिमहोदयविरचित- “सारार्थवपिरणी” टोकया एवं श्रीयुत- बलदेवविद्याभूषरण महोदय विरचित "गीताभूषरण" भाष्ये रण समलंकृता सम्वत् - २०२३ - न्यौछावर- ४ रु५० ८पैसे प्रकाशक- कृष्णदासबाबा कुमुमसरोवर राधा कुण्ड