पृष्ठम्:अथर्ववेदभाष्यम् भागः २.pdf/३

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

i ओ३म् । आनन्द समाचार | [ श्राप देखिये और अपने मित्रों को भी दिखाइये । ] अथर्ववेदभाष्यम्-ब्रह्मा जी से लेकर सब बड़े २ ऋषि, मुनि, और थोगी जिन वेदों का महत्व गाते आये हैं, और विदेशीय विद्वान् भी जिन की महिमा और अर्थ खोजने में लग रहे हैं, वे अब तक संस्कृत में होने के कारण बड़े कठिन समझे जाते थे, और कुछ विद्वानों को छोड़ सर्वसाधारण उन का अर्थ नहीं समझ सकते थे। ईश्वर के अनुग्रह से इस समय तक ऋग्वेद, यजुर्वेद, और सामवेद का भाषा में अर्थ हो चुका है, और लोगों को उन के मर्म जानने का सौभाग्य मिला है। परन्तु अथर्ववेद का अर्थ अभी तक नागरी भाषा में नहीं था, जो लोगों को बहुत खटक रहा था। बड़ा हर्ष है कि इस महा त्रुटि को पूरा करने के लिये प्रयोग निवासी पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी जी सरल भाषा और संस्कृत में वेद, निघण्टु निरुक्त, व्याकरणादि सत्य शास्त्रों के प्रमाण से भाष्य चनाने में परिश्रम कर रहे हैं । इस वेद में २० छोटे बड़े काण्ड हैं, पूरे एक एक काएंड का भावपूर्ण, संक्षिप्त, स्त्री पुरुषों के समझने योग्य अति सरल भाषा और संस्कृत भाष्य अल्प मूल्य में छुपकर ग्राहकों के पास पहुंचता है। पूरे भाष्य के स्थायी ग्राहकों में नाम लिखाने वाले सज्जनों को नियत मूल्य में से २०) सैकड़ा छूट देकर पुस्तक वी० पी० द्वारा, वा नगद मूल्य पर दिये जाते हैं। वेदप्रेमी श्रीमान् राजे महाराजे, सेठ साहूकार, और विद्वान और सर्व साधारण स्त्री पुरुष स्वाध्याय, पुस्तकालयों और परितोषिकों के लिये भाग्य को भंगायें, और जगत्पिता परमेश्वर के पार मार्थिक और सांसारिक उपदेश, ब्रह्मविद्या, वैद्यक विद्या, शिल्पविद्या, राजविद्या- दि अनेक विद्याओं का तत्व जानकर श्रानन्द भोगे और धर्मात्मा पुरुषार्थी होकर धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति से कीन्तिमान् होवें । भाष्य की छपाई उत्तम और काग़ज़ बढ़िया रायत ऋठपेजी है, और क्रम इस प्रकार है, १~-सूक्त के देवता, छन्द, उपदेश, २-संस्वर मूल मन्त्र, ३० सस्वर पदपाठ ४-मन्त्र के शब्दों को कोष्ठ में देकर सान्वय भाषार्थ, ५ - भा. वार्थ, ६-आवश्यक टिप्पणी, पाठान्तर, अंनुरूपठादि, ७ - प्रत्येक पृष्ठ में निरुक्तादि लाइन देकर सन्देह निवृत्ति के लिये शब्दों और क्रियाओं की व्याकरण, प्रमाणों से सिद्धि | स्थायी ग्राहकों से मूल्य काण्ड १-छुप गया, भूमिका सहित, पृष्ठ २०२, ११) कराड २-छुप गया, पृष्ठ २१२ १) काण्ड ३-शीघ्र प्रकाशित होगा। हवन मन्त्राः - धर्म शिक्षा का उपकारी पुस्तक चारों वेदों के संगृहीत मन्त्र, ईश्वरस्तुति, स्वस्तिवाचन शान्ति करण, हवनमन्त्र, घामदेवगान - सरल भाषा में शब्दार्थ सहित, संशोधित बढ़िया रायल अटपेजी, पृष्ठ ६०, मूल्य ) ॥ रुद्राध्यायः- प्रसिद्ध यजुर्वेद अध्याय १६ (नमस्ते रुद्र मन्यव उतो त इपवे नमः) ब्रह्म निरूपक अर्थ संस्कृत, भाषा और अङ्करेज़ी में, यढ़िया रायल अठ- पेजी, पृट १४८, मूल्य (2) २५ अगस्त १३३१ । पता-पं० दोमकरणदास त्रिवेदी, ५.२ लूकरगंज, प्रयाग ( Allahabad ) ।