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ऋग्वेद-पदपाठः/मण्डलम्-९

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मण्डलम्-९
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-ऋ. वे. ६:७/१६-
(ऋ. वे. ९,१)
स्वादिष्ठया | मदिष्ठया | पवस्व | सोम | धारया | इन्द्राय | पातवे | सुतः // ऋ. वे. ९,१.१ //
रक्षः-हा | विश्व-चर्षणिः | अभि | योनिम् | अयः-हतम् | द्रुणा | सध-स्थम् | आ | असदत् // ऋ. वे. ९,१.२ //
वरिवः-धातमः | भव | मंहिष्ठः | वृत्रहन्-तमः | पर्षि | राधः | मघोनाम् // ऋ. वे. ९,१.३ //
अभि | अर्ष | महानाम् | देवानाम् | वीतिम् | अन्धसा | अभि | वाजम् | उत | श्रवः // ऋ. वे. ९,१.४ //
त्वाम् | अच्छ | चरामसि | तत् | इत् | अर्थम् | दिवे-दिवे | इन्दो इति | त्वे इति | नः | आशसः // ऋ. वे. ९,१.५ //
//१६//.

-ऋ. वे. ६:७/१७-
पुनाति | ते | परि-स्रुतम् | सोमम् | सूर्यस्य | दुहिता | वारेण | शश्वता | तना // ऋ. वे. ९,१.६ //
तम् | ईम् | अण्वीः | स-मर्ये | आ | गृभ्णन्ति | योषणः | दश | स्वसारः | पार्ये | दिवि // ऋ. वे. ९,१.७ //
तम् | ईम् | हिन्वन्ति | अग्रुवः | धमन्ति | बाकुरम् | दृतिम् | त्रि-धातु | वारणम् | मधु // ऋ. वे. ९,१.८ //
अभि | इमम् | अघ्न्याः | उत | श्रीणन्ति | धेनवः | शिशुम् | सोमम् | इन्द्राय | पातवे // ऋ. वे. ९,१.९ //
अस्य | इत् | इन्द्रः | मदेषु | आ | विश्वा | वृत्राणि | जिघ्नते | शूरः | मघा | च | मंहते // ऋ. वे. ९,१.१० //
//१७//.

-ऋ. वे. ६:७/१८-
(ऋ. वे. ९,२)
पवस्व | देव-वीः | अति | पवित्रम् | सोम | रंह्या | इन्द्रम् | इन्दो इति | वृषा | आ | विश // ऋ. वे. ९,२.१ //
आ | वच्यस्व | महि | प्सरः | वृषा | इन्दो इति | द्युम्नवत्-तमः | आ | योनिम् | धर्णसिः | सदः // ऋ. वे. ९,२.२ //
अधुक्षत | प्रियम् | मधु | धारा | सुतस्य | वेधसः | अपः | वसिष्ट | सु-क्रतुः // ऋ. वे. ९,२.३ //
महान्तम् | त्वा | महीः | अनु | आपः | अर्षन्ति | सिन्धवः | यत् | गोभिः | वासयिष्यसे // ऋ. वे. ९,२.४ //
समुद्रः | अप्-सु | ममृजे | विष्टम्भः | धरुणः | दिवः | सोमः | पवित्रे | अस्म-युः // ऋ. वे. ९,२.५ //
//१८//.

-ऋ. वे. ६:७/१९-
अचिक्रदत् | वृषा | हरिः | महान् | मित्रः | न | दर्शतः | सम् | सूर्येण | रोचते // ऋ. वे. ९,२.६ //
गिरः | ते | इन्दो इति | ओजसा | मर्मृज्यन्ते | अपस्युवः | याभिः | मदाय | शुम्भसे // ऋ. वे. ९,२.७ //
तम् | त्वा | मदाय | घृष्वये | ॐ इति | लोक-कृत्नुम् | ईमहे | तव | प्र-शस्तयः | महीः // ऋ. वे. ९,२.८ //
अस्मभ्यम् | इन्दो इति | इन्द्र-युः | मध्वः | पवस्व | धारया | पर्जन्यः | वृष्टिमान्-इव // ऋ. वे. ९,२.९ //
गो-साः | इन्दो इति | नृ-साः | असि | अश्व-साः | वाज-साः | उत | आत्मा | यज्ञस्य | पूर्व्यः // ऋ. वे. ९,२.१० //
//१९//.

-ऋ. वे. ६:७/२०-
(ऋ. वे. ९,३)
एषः | देवः | अमर्त्यः | पर्णवीः-इव | दीयति | अभि | द्रोणानि | आसदम् // ऋ. वे. ९,३.१ //
एषः | देवः | विपा | कृतः | अति | ह्वरांसि | धावति | पवमानः | अदाभ्यः // ऋ. वे. ९,३.२ //
एषः | देवः | विपन्यु-भिः | पवमानः | ऋतयु-भिः | हरिः | वाजाय | मृज्यते // ऋ. वे. ९,३.३ //
एषः | विश्वानि | वार्या | शूरः | यन्-इव | सत्व-भिः | पवमानः | सिसासति // ऋ. वे. ९,३.४ //
एषः | देवः | रथर्यति | पवमानः | दशस्यति | आविः | कृणोति | वग्वनुम् // ऋ. वे. ९,३.५ //
//२०//.

-ऋ. वे. ६:७/२१-
एषः | विप्रैः | अभि-स्तुतः | अपः | देवः | वि | गाहते | दधत् | रत्नानि | दाशुषे // ऋ. वे. ९,३.६ //
एषः | दिवम् | वि | धावति | तिरः | रजांसि | धारया | पवमानः | कनिक्रदत् // ऋ. वे. ९,३.७ //
एषः | दिवम् | वि | आ | असरत् | तिरः | रजांसि | अस्पृतः | पवमानः | सु-अध्वरः // ऋ. वे. ९,३.८ //
एषः | प्रत्नेन | जन्मना | देवः | देवेभ्यः | सुतः | हरिः | पवित्रे | अषर्ति // ऋ. वे. ९,३.९ //
एषः | ॐ इति | स्यः | पुरु-व्रतः | जज्ञानः | जनयन् | इषः | धारया | पवते | सुतः // ऋ. वे. ९,३.१० //
//२१//.

-ऋ. वे. ६:७/२२-
(ऋ. वे. ९,४)
सना | च | सोम | जेषि | च | पवमान | महि | श्रवः | अथ | नः | वस्यसः | कृधि // ऋ. वे. ९,४.१ //
सना | ज्योतिः | सना | स्वः | विश्वा | च | सोम | सौभगा | अथ | नः | वस्यसः | कृधि // ऋ. वे. ९,४.२ //
सना | दक्षम् | उत | क्रतुम् | अप | सोम | मृधः | जहि | अथ | नः | वस्यसः | कृधि // ऋ. वे. ९,४.३ //
पवीतारः | पुनीतन | सोमम् | इन्द्राय | पातवे | अथ | नः | वस्यसः | कृधि // ऋ. वे. ९,४.४ //
त्वम् | सूर्ये | नः | आ | भज | तव | क्रत्वा | तव | ऊति-भिः | अथ | नः | वस्यसः | कृधि // ऋ. वे. ९,४.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ६:७/२३-
तव | क्रत्वा | तव | ऊति-भिः | ज्योक् | पश्येम | सूर्यम् | अथ | नः | वस्यसः | कृधि // ऋ. वे. ९,४.६ //
अभि | अर्ष | सु-आयुध | सोम | द्वि-बर्हसम् | रयिम् | अथ | नः | वस्यसः | कृधि // ऋ. वे. ९,४.७ //
अभि | अर्ष | अनपच्युतः | रयिम् | समत्-सु | ससहिः | अथ | नः | वस्यसः | कृधि // ऋ. वे. ९,४.८ //
त्वाम् | यज्ञैः | अवीवृधन् | पवमान | वि-धर्मणि | अथ | नः | वस्यसः | कृधि // ऋ. वे. ९,४.९ //
रयिम् | नः | चित्रम् | अश्विनम् | इन्दो इति | विश्व-आयुम् | आ | भर | अथ | नः | वस्यसः | कृधि // ऋ. वे. ९,४.१० //
//२३//.

-ऋ. वे. ६:७/२४-
(ऋ. वे. ९,५)
सम्-इद्धः | विश्वतः | पतिः | पवमानः | वि | राजति | प्रीणन् | वृषा | कनिक्रदत् // ऋ. वे. ९,५.१ //
तनूनपात् | पवमानः | शृङ्गेइति | शिशानः | अर्षति | अन्तरिक्षेण | रारजत् // ऋ. वे. ९,५.२ //
ईऌएन्यः | पवमानः | रयिः | वि | राजति | द्यु-मान् | मधोः | धाराभिः | ओजसा // ऋ. वे. ९,५.३ //
बर्हिः | प्राचीनम् | ओजसा | पवमानः | स्तृणन् | हरिः | देवेषु | देवः | ईयते // ऋ. वे. ९,५.४ //
उत् | आतैः | जिहते | बृहत् | द्वारः | देवीः | हिरण्ययीः | पवमानेन | सु-स्तुताः // ऋ. वे. ९,५.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ६:७/२५-
सुशिल्पे इतिसु-शिल्पे | बृहती इति | मही इति | पवमानः | वृषण्यति | नक्तोषसा | न | दर्शते इति // ऋ. वे. ९,५.६ //
उभा | देवा | नृ-चक्षसा | होतारा | दैव्या | हुवे | पवमानः | इन्द्रः | वृषा // ऋ. वे. ९,५.७ //
भारती | पवमानस्य | सरस्वती | इऌआ | मही | इमम् | नः | यज्ञम् | आ | गमन् | तिस्रः | देवीः | सु-पेशसः // ऋ. वे. ९,५.८ //
त्वष्टारम् | अग्र-जाम् | गोपाम् | पुरः-यावानम् | आ | हुवे | इन्दुः | इन्द्रः | वृषा | हरिः | पवमानः | प्रजापतिः // ऋ. वे. ९,५.९ //
वनस्पतिम् | पवमान | मध्वा | सम् | अङ्ग्धि | धारया | सहस्र-वल्शम् | हरितम् | भ्राजमानम् | हिरण्ययम् // ऋ. वे. ९,५.१० //
विश्वे | देवाः | स्वाहा-कृतिम् | पवमानस्य | आ | गत | वायुः | बृहस्पतिः | सूर्यः | अग्निः | इन्द्रः | सजोषसः // ऋ. वे. ९,५.११ //
//२५//.

-ऋ. वे. ६:७/२६-
(ऋ. वे. ९,६)
मन्द्रया | सोम | धारया | वृषा | पवस्व | देव-युः | अव्यः | वारेषु | अस्म-युः // ऋ. वे. ९,६.१ //
अभि | त्यम् | मद्यम् | मदम् | इन्दो इति | इन्द्रः | इति | क्षर | अभि | वाजिनः | अर्वतः // ऋ. वे. ९,६.२ //
अभि | त्यम् | पूर्व्यम् | मदम् | सुवानः | अर्ष | पवित्रे | आ | अभि | वाजम् | उत | श्रवः // ऋ. वे. ९,६.३ //
अनु | द्रप्सासः | इन्दवः | आपः | न | प्रवता | असरन् | पुनानाः | इन्द्रम् | आशत // ऋ. वे. ९,६.४ //
यम् | अत्यम्-इव | वाजिनम् | मृजन्ति | योषणः | दश | वने | क्रीऌअन्तम् | अति-अविम् // ऋ. वे. ९,६.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ६:७/२७-
तम् | गोभिः | वृषणम् | रसम् | मदाय | देव-वीतये | सुतम् | भराय | सम् | सृज // ऋ. वे. ९,६.६ //
देवः | देवाय | धारया | इन्द्राय | पवते | सुतः | पयः | यत् | अस्य | पीपयत् // ऋ. वे. ९,६.७ //
आत्मा | यज्ञस्य | रंह्या | सुस्वाणः | पवते | सुतः | प्रत्नम् | नि | पाति | काव्यम् // ऋ. वे. ९,६.८ //
एव | पुनानः | इन्द्र-युः | मदम् | मदिष्ठ | वीतये | गुहा | चित् | दधिषे | गिरः // ऋ. वे. ९,६.९ //
//२७//.

-ऋ. वे. ६:७/२८-
(ऋ. वे. ९,७)
असृग्रम् | इन्दवः | पथा | धर्मन् | ऋतस्य | सु-श्रियह् | विदानाः | अस्य | योजनम् // ऋ. वे. ९,७.१ //
प्र | धारा | मध्वः | अग्रियः | महीः | अपः | वि | गाहते | हविः | हविष्षु | वन्द्यः // ऋ. वे. ९,७.२ //
प्र | युजः | वाचः | अग्रियः | वृषा | अव | चक्रदत् | वने | सद्म | अभि | सत्यः | अध्वरः // ऋ. वे. ९,७.३ //
परि | यत् | काव्या | कविः | नृम्णा | वसानः | अर्षति | स्वः | वाजी | सिसासति // ऋ. वे. ९,७.४ //
पवमानः | अभि | स्पृधः | विशः | राजा-इव | सीदति | यत् | ईम् | ऋण्वन्ति | वेधसः // ऋ. वे. ९,७.५ //
//२८//.

-ऋ. वे. ६:७/२९-
अव्यः | वारे | परि | प्रियः | हरिः | वनेषु | सीदति | रेभः | वनुष्यते | मती // ऋ. वे. ९,७.६ //
सः | वायुम् | इन्द्रम् | अश्विना | साकम् | मदेन | गच्छति | रण | यः | अस्य | धर्म-भिः // ऋ. वे. ९,७.७ //
आ | मित्रावरुणा | भगम् | मध्वः | पवन्ते | ऊर्मयः | विदानाः | अस्य | शक्म-भिः // ऋ. वे. ९,७.८ //
अस्मभ्यम् | रोदसी इति | रयिम् | मध्वः | वाजस्य | सातये | श्रवः | वसूनि | सम् | जितम् // ऋ. वे. ९,७.९ //
//२९//.

-ऋ. वे. ६:७/३०-
(ऋ. वे. ९,८)
एते | सोमाः | अभि | प्रियम् | इन्द्रस्य | कामम् | अक्षरन् | वर्धन्तः | अस्य | वीर्यम् // ऋ. वे. ९,८.१ //
पुनानासः | चमू-सदः | गच्छन्तः | वायुम् | अश्विना | ते | नः | धान्तु | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. ९,८.२ //
इन्द्रस्य | सोम | राधसे | पुनानः | हार्दि | चोदय | ऋतस्य | योनिम् | आसदम् // ऋ. वे. ९,८.३ //
मृजन्ति | त्वा | दश | क्षिपः | हिन्वन्ति | सप्त | धीतयः | अनु | विप्राः | अमादि षुः // ऋ. वे. ९,८.४ //
देवेभ्यः | त्वा | मदाय | कम् | सृजानम् | अति | मेष्यः | सम् | गोभिः | वासयामसि // ऋ. वे. ९,८.५ //
//३०//.

-ऋ. वे. ६:७/३१-
पुनानः | कलशेषु | आ | वस्त्राणि | अरुषः | हरिः | परि | गव्यानि | अव्यत // ऋ. वे. ९,८.६ //
मघोनः | आ | पवस्व | नः | जहि | विश्वाः | अप | द्विषः | इन्दो इति | सखायम् | आ | विश // ऋ. वे. ९,८.७ //
वृष्टिम् | दिवः | परि | स्रव | द्युम्नम् | पृथिव्याः | अधि | सहः | नः | सोम | पृत्-सु | धाः // ऋ. वे. ९,८.८ //
नृ-चक्षसम् | त्वा | वयम् | इन्द्र-पीतम् | स्वः-विदम् | भक्षीमहि | प्र-जाम् | इषम् // ऋ. वे. ९,८.९ //
//३१//.

-ऋ. वे. ६:७/३२-
(ऋ. वे. ९,९)
परि | प्रिया | दिवः | कविः | वयांसि | नप्त्योः | हितः | सुवानः | याति | कवि-क्रतुः // ऋ. वे. ९,९.१ //
प्र-प्र | क्षयाय | पन्यसे | जनाय | जुष्टः | अद्रुहे | वीती | अर्ष | चनिष्ठया // ऋ. वे. ९,९.२ //
सः | सूनुः | मातरा | शुचिः | जातः | जाते इति | अरोचयत् | महान् | मही | ऋत-वृधा // ऋ. वे. ९,९.३ //
सः | सप्त | धीति-भिः | हितः | नद्यः | अजिन्वत् | अद्रुहः | याः | एकम् | अक्षि | ववृधुः // ऋ. वे. ९,९.४ //
ताः | अभि | सन्तम् | अस्तृतम् | महे | युवानम् | आ | दधुः | इन्दुम् | इन्द्र | तव | व्रते // ऋ. वे. ९,९.५ //
//३२//.

-ऋ. वे. ६:७/३३-
अभि | वह्निः | अमर्त्यः | सप्त | पश्यति | वावहिः | क्रिविः | देवीः | अतर्पयत् // ऋ. वे. ९,९.६ //
अव | कल्पेषु | नः | पुमः | तमांसि | सोम | योध्या | तानि | पुनान | जङ्घनः // ऋ. वे. ९,९.७ //
नु | नव्यसे | नवीयसे | सु-उक्ताय | साधय | पथः | प्रत्न-वत् | रोचय | रुचः // ऋ. वे. ९,९.८ //
पवमान | महि | श्रवः | गाम् | अश्वम् | रासि | वीर-वत् | सना | मेधाम् | सना | स्वः // ऋ. वे. ९,९.९ //
//३३//.

-ऋ. वे. ६:७/३४-
(ऋ. वे. ९,१०)
प्र | स्वानासः | रथाः-इव | अर्वन्तः | न | श्रवस्यवः | सोमासः | राये | अक्रमुः // ऋ. वे. ९,१०.१ //
हिन्वानासः | रथाः-इव | दधन्विरे | गभस्त्योः | भरासः | कारिणाम्-इव // ऋ. वे. ९,१०.२ //
राजानः | न | प्रशस्ति-भिः | सोमासः | गोभिः | अञ्जते | यज्ञः | न | सप्त | धातृ-भिः // ऋ. वे. ९,१०.३ //
परि | सुवानासः | इन्दवः | मदाय | बर्हणा | गिरा | सुताः | अर्षन्ति | धारया // ऋ. वे. ९,१०.४ //
आपानासः | विवस्वतः | जनन्तः | उषसः | भगम् | सूराः | अण्वम् | वि | तन्वते // ऋ. वे. ९,१०.५ //
//३४//.

-ऋ. वे. ६:७/३५-
अप | द्वारा | मतीनाम् | प्रत्नाः | ऋण्वन्ति | कारवः | वृष्णः | हरसे | आयवः // ऋ. वे. ९,१०.६ //
समीचीनासः | आसते | होतारः | सप्त-जामयः | पदम् | एकस्य | पिप्रतः // ऋ. वे. ९,१०.७ //
नाभा | नाभिम् | नः | आ | ददे | चक्षुः | चित् | सूर्ये | सचा | कवेः | अपत्यम् | आ | दुहे // ऋ. वे. ९,१०.८ //
अभि | प्रिया | दिवः | पदम् | अध्वर्यु-भिः | गुहा | हितम् | सूरः | पश्यति | चक्षसा // ऋ. वे. ९,१०.९ //
//३५//.

-ऋ. वे. ६:७/३६-
(ऋ. वे. ९,११)
उप | अस्मै | गायत | नरः | पवमानाय | इन्दवे | अभि | देवान् | इयक्षते // ऋ. वे. ९,११.१ //
अभि | ते | मधुना | पयः | अथर्वाणः | अशिश्रयुः | देवम् | देवाय | देव-यु // ऋ. वे. ९,११.२ //
सः | नः | पवस्व | शम् | गवे | शम् | जनाय | शम् | अर्वते | शम् | राजन् | ओषधीभ्यः // ऋ. वे. ९,११.३ //
बभ्रवे | नु | स्व-तवसे | अरुणाय | दिवि-स्पृशे | सोमाय | गाथम् | अर्चत // ऋ. वे. ९,११.४ //
हस्त-च्युतेभिः | अद्रि-भिः | सुतम् | सोमम् | पुनीतन | मधौ | आ | धावत | मधु // ऋ. वे. ९,११.५ //
//३६//.

-ऋ. वे. ६:७/३७-
नमसा | इत् | उप | सीदत | दध्ना | इत् | अभि | श्रीणीतन | इन्दुम् | इन्द्रे | दधातन // ऋ. वे. ९,११.६ //
अमित्र-हा | वि-चर्षणिः | पवस्व | सोम | शम् | गवे | देवेभ्यः | अनुकाम-कृत् // ऋ. वे. ९,११.७ //
इन्द्राय | सोम | पातवे | मदाय | परि | सिच्यसे | मनः-चित् | मनसः | पतिः // ऋ. वे. ९,११.८ //
पवमान | सु-वीर्यम् | रयिम् | सोम | रिरीहि | नः | इन्दो इति | इन्द्रेण | नः | युजा // ऋ. वे. ९,११.९ //
//३७//.

-ऋ. वे. ६:७/३८-
(ऋ. वे. ९,१२)
सोमाः | असृग्रम् | इन्दवः | सुताः | ऋतस्य | सदने | इन्द्राय | मधुमत्-तमाः // ऋ. वे. ९,१२.१ //
अभि | विप्राः | अनूषत | गावः | वत्सम् | न | मातरः | इन्द्रम् | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ९,१२.२ //
मद-च्युत् | क्षेति | सदने | सिन्धोः | ऊर्मा | विपः-चित् | सोमः | गौरी इति | अधि | श्रितः // ऋ. वे. ९,१२.३ //
दिवः | नाभा | वि-चक्षणः | अव्यः | वारे | महीयते | सोमः | यः | सु-क्रतुः | कविः // ऋ. वे. ९,१२.४ //
यः | सोमः | कलशेषु | आ | अन्तरिति | पवित्रे | आहितः | तम् | इन्दुः | परि | सस्वजे // ऋ. वे. ९,१२.५ //
//३८//.

-ऋ. वे. ६:७/३९-
प्र | वाचम् | इन्दुः | इष्यति | समुद्रस्य | अधि | विष्टपि | जिन्वन् | कोशम् | मधु-श्चुतम् // ऋ. वे. ९,१२.६ //
नित्य-स्तोत्रः | वनस्पतिः | धीनाम् | अन्तरिति | सबः-दुघः | हिन्वानः | मानुषा | युगा // ऋ. वे. ९,१२.७ //
अभि | प्रिया | दिवः | पदा | सोमः | हिन्वानः | अर्षति | विप्रस्य | धारया | कविः // ऋ. वे. ९,१२.८ //
आ | पवमान | धारय | रयिम् | सहस्र-वर्चसम् | अस्मे इति | इन्दो इति | सु-आभुवम् // ऋ. वे. ९,१२.९ //
//३९//.




-ऋ. वे. ६:८/१-
(ऋ. वे. ९,१३)
सोमः | पुनानः | अर्षति | सहस्र-धारः | अति-अविः | वायोः | इन्द्रस्य | निः-कृतम् // ऋ. वे. ९,१३.१ //
पवमानम् | अवस्यवः | विप्रम् | अभि | प्र | गायत | सुष्वाणम् | देव-वीतये // ऋ. वे. ९,१३.२ //
पवन्ते | वाज-सातये | सोमाः | सहस्र-पाजसः | गृणानाः | देव-वीतये // ऋ. वे. ९,१३.३ //
उत | नः | वाज-सातये | पवस्व | बृहतीः | इषः | द्यु-मत् | इन्दो इति | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. ९,१३.४ //
ते | नः | सहस्रिणम् | रयिम् | पवन्ताम् | आ | सु-वीर्यम् | सुवानाः | देवासः | इन्दवः // ऋ. वे. ९,१३.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ६:८/२-
अत्याः | हियानाः | न | हेतृ-भिः | असृग्रम् | वाज-सातये | वि | वारम् | अव्यम् | आशवः // ऋ. वे. ९,१३.६ //
वाश्राः | अर्षन्ति | इन्दवः | अभि | वत्सम् | न | धेनवः | दधन्विरे | गभस्त्योः // ऋ. वे. ९,१३.७ //
जुष्टः | इन्द्राय | मत्सरः | पवमान | कनिक्रदत् | विश्वाः | अप | द्विषः | जहि // ऋ. वे. ९,१३.८ //
अप-घ्नन्तः | अराव्णः | पवमानाः | स्वः-दृशः | योनौ | ऋतस्य | सीदत // ऋ. वे. ९,१३.९ //
//२//.

-ऋ. वे. ६:८/३-
(ऋ. वे. ९,१४)
परि | प्र | असिस्यदत् | कविः | सिन्धोः | ऊर्मौ | अधि | श्रितः | कारम् | बिभ्रत् | पुरु-स्पृहम् // ऋ. वे. ९,१४.१ //
गिरा | यदि | स-बन्धवः | पञ्च | व्राताः | अपस्यवः | परि-कृण्वन्ति | धर्णसिम् // ऋ. वे. ९,१४.२ //
आत् | अस्य | शुष्मिणः | रसे | विश्वे | देवाः | अमत्सत | यदि | गोभिः | वसायते // ऋ. वे. ९,१४.३ //
नि-रिणानः | वि | धावति | जहत् | शर्याणि | तान्वा | अत्र | सम् | जिघ्रते | युजा // ऋ. वे. ९,१४.४ //
नप्तीभिः | यः | विवस्वतः | शुभ्रः | न | ममृजे | युवा | गाः | कृण्वानः | न | निः-निजम् // ऋ. वे. ९,१४.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ६:८/४-
अति | श्रिती | तिरश्चता | गव्या | जिगाति | अण्व्या | वग्नुम् | इयर्ति | यम् | विदे // ऋ. वे. ९,१४.६ //
अभि | क्षिपः | सम् | अग्मत | मर्जयन्तीः | इषः | पतिम् | पृष्ठा | गृभ्णत | वाजिनः // ऋ. वे. ९,१४.७ //
परि | दिव्यानि | मर्मृशत् | विश्वानि | सोम | पार्थिवा | वसूनि | याहि | अस्म-युः // ऋ. वे. ९,१४.८ //
//४//.

-ऋ. वे. ६:८/५-
(ऋ. वे. ९,१५)
एषः | धिया | याति | अण्व्या | शूरः | रथेभिः | आशु-भिः | गच्छन् | इन्द्रस्य | निः-कृतम् // ऋ. वे. ९,१५.१ //
एषः | पुरु | धियायते | बृहते | देव-तातये | यत्र | अमृतासः | आसते // ऋ. वे. ९,१५.२ //
एषः | हितः | वि | नीयते | अन्तरिति | शुभ्र-वता | पथा | यदि | तुञ्जन्ति | भूर्णयः // ऋ. वे. ९,१५.३ //
एषः | शृङ्गाणि | दोधुवत् | शिशीते | यूथ्यः | वृषा | नृम्णा | दधानः | ओजसा // ऋ. वे. ९,१५.४ //
एषः | रुक्मि-भिः | ईयते | वाजी | शुभ्रेभिः | अंशु-भिः | पतिः | सिन्धूनाम् | भवन् // ऋ. वे. ९,१५.५ //
एषः | वसूनि | पिब्दना | परुषा | ययि-वान् | अति | अव | शादेषु | गच्छति // ऋ. वे. ९,१५.६ //
एतम् | मृजन्ति | मर्ज्यम् | उप | द्रोणेषु | आयवः | प्र-चक्राणम् | महीः | इषः // ऋ. वे. ९,१५.७ //
एतम् | ॐ इति | त्यम् | दश | क्षिपः | मृजन्ति | सप्त | धीतयः | सु-आयुधम् | मदिन्-तमम् // ऋ. वे. ९,१५.८ //
//५//.

-ऋ. वे. ६:८/६-
(ऋ. वे. ९,१६)
प्र | ते | सोतारः | ओण्योः | रसम् | मदाय | घृष्वये | सर्गः | न | तक्ति | एतशः // ऋ. वे. ९,१६.१ //
क्रत्वा | दक्षस्य | रथ्यम् | अपः | वसानम् | अन्धसा | गो-साम् | अण्वेषु | सश्चिम // ऋ. वे. ९,१६.२ //
अनप्तम् | अप्-सु | दुस्तरम् | सोमम् | पवित्रे | आ | सृज | पुनीहि | इन्द्राय | पातवे // ऋ. वे. ९,१६.३ //
प्र | पुनानस्य | चेतसा | सोमः | पवित्रे | अर्षति | क्रत्वा | सध-स्थम् | आ | असदत् // ऋ. वे. ९,१६.४ //
प्र | त्वा | नमः-भिः | इन्दवः | इन्द्र | सोमाः | असृक्षत | महे | भराय | कारिणः // ऋ. वे. ९,१६.५ //
पुनानः | रूपे | अव्यव्ये | विश्वाः | अर्षन् | अभि | श्रियः | शूरः | न | गोषु | तिष्ठति // ऋ. वे. ९,१६.६ //
दिवः | न | सानु | पिप्युषी | धारा | सुतस्य | वेधसः | वृथा | पवित्रे | अर्षति // ऋ. वे. ९,१६.७ //
त्वम् | सोम | विपः-चितम् | तना | पुनानः | आयुषु | अव्यः | वारम् | वि | धावसि // ऋ. वे. ९,१६.८ //
//६//.

-ऋ. वे. ६:८/७-
(ऋ. वे. ९,१७)
प्र | निमेन-इव | सिन्धवः | घ्नन्तः | वृत्राणि | भूर्णयः | सोमाः | असृग्रम् | आशवः // ऋ. वे. ९,१७.१ //
अभि | सुवानासः | इन्दवः | वृष्टयः | पृथिवीम्-इव | इन्द्रम् | सोमासः | अक्षरन् // ऋ. वे. ९,१७.२ //
अति-ऊर्मिः | मत्सरः | मदः | सोमः | पवित्रे | अर्षति | वि-घ्नन् | रक्षांसि | देव-युः // ऋ. वे. ९,१७.३ //
आ | कलशेषु | धावति | पवित्रे | परि | सिच्यते | उक्थैः | यज्ञेषु | वर्धते // ऋ. वे. ९,१७.४ //
अति | त्री | सोम | रोचना | रोहन् | न | भ्राजसे | दिवम् | इष्णन् | सूर्यम् | न | चोदयः // ऋ. वे. ९,१७.५ //
अभि | विप्राः | अनूषत | मूर्धन् | यज्ञस्य | कारवः | दधानाः | चक्षति | प्रियम् // ऋ. वे. ९,१७.६ //
तम् | ॐ इति | त्वा | वाजिनम् | नरः | धीभिः | विप्राः | अवस्यवः | मृजन्ति | देव-तातये // ऋ. वे. ९,१७.७ //
मधोः | धाराम् | अनु | क्षर | तीव्रः | सध-स्थम् | आ | असदः | चारुः | ऋताय | पीतये // ऋ. वे. ९,१७.८ //
//७//.

-ऋ. वे. ६:८/८-
(ऋ. वे. ९,१८)
परि | सुवानः | गिरि-स्थाः | पवित्रे | सोमः | अक्षारिति | मदेषु | सर्व-धाः | असि // ऋ. वे. ९,१८.१ //
त्वम् | विप्रः | त्वम् | कविः | मधु | प्र | जातम् | अन्धसः | मदेषु | सर्व-धाः | असि // ऋ. वे. ९,१८.२ //
तव | विश्वे | स-जोषसः | देवासः | पीतिम् | आशत | मदेषु | सर्व-धाः | असि // ऋ. वे. ९,१८.३ //
आ | यः | विश्वानि | वार्या | वसूनि | हस्तयोः | दधे | मदेषु | सर्व-धाः | असि // ऋ. वे. ९,१८.४ //
यः | इमे इति | रोदसी इति | मही इति | सम् | मातरा-इव | दोहते | मदेषु | सर्व-धाः | असि // ऋ. वे. ९,१८.५ //
परि | यः | रोदसी इति | उभे इति | सद्यः | वाजेभिः | अर्षति | मदेषु | सर्व-धाः | असि // ऋ. वे. ९,१८.६ //
सः | शुष्मी | कलशेषु | आ | पुनानः | अचिक्रदत् | मदेषु | सर्व-धाः | असि // ऋ. वे. ९,१८.७ //
//८//.

-ऋ. वे. ६:८/९-
(ऋ. वे. ९,१९)
यत् | सोम | चित्रम् | उक्थ्यम् | दिव्यम् | पार्थिवम् | वसु | तत् | नः | पुननः | आ | भर // ऋ. वे. ९,१९.१ //
युवम् | हि | स्थः | स्वर्पती इतिस्वः-पती | इन्द्रः | च | सोम | गोपती इतिगो-पती | ईशाना | पिप्यतन् | धियः // ऋ. वे. ९,१९.२ //
वृषा | पुनानः | आयुषु | स्तनयन् | अधि | बर्हिषि | हरिः | सन् | योनिम् | आ | असदत् // ऋ. वे. ९,१९.३ //
अवावशन्त | धीतयः | वृषभस्य | अधि | रेतसि | सूनोः | वत्सस्य | मातरः // ऋ. वे. ९,१९.४ //
कुवित् | वृषन्यन्तीभ्यः | पुनानः | गर्भम् | आदधत् | याः | शुक्रम् | दुहते | पयः // ऋ. वे. ९,१९.५ //
उप | शिक्ष | अप-तस्थुषः | भियसम् | आ | धेहि | शत्रुषु | पवमान | विदाः | रयिम् // ऋ. वे. ९,१९.६ //
नि | शत्रोः | सोम | वृष्ण्यम् | नि | शुष्मम् | नि | वयः | तिर | दूरे | वा | सतः | अन्ति | वा // ऋ. वे. ९,१९.७ //
//९//.

-ऋ. वे. ६:८/१०-
(ऋ. वे. ९,२०)
प्र | कविः | देव-वीतये | अव्यः | वारेभिः | अर्षति | सह्वान् | विश्वाः | अभि | स्पृधः // ऋ. वे. ९,२०.१ //
सः | हि | स्म | जरितृ-भ्यः | आ | वाजम् | गो-मन्तम् | इन्वति | पवमानः | सहस्रिणम् // ऋ. वे. ९,२०.२ //
परि | विश्वानि | चेतसा | मृशसे | पवसे | मती | सः | नः | सोम | श्रवः | विदः // ऋ. वे. ९,२०.३ //
अभि | अर्ष | बृहत् | यशः | मघवत्-भ्यः | ध्रुवम् | रयिम् | इषम् | स्तोतृ-भ्यः | आ | भर // ऋ. वे. ९,२०.४ //
त्वम् | राजा-इव | सु-व्रतः | गिरः | सोम | आ | विवेशिथ | पुनानः | वह्ने | अद्भुत // ऋ. वे. ९,२०.५ //
सः | वह्निः | अप्-सु | दुस्तरः | मृज्यमानः | गभस्त्योः | सोमः | चमूषु | सीदति // ऋ. वे. ९,२०.६ //
क्रीऌउः | मखः | न | मंहयुः | पवित्रम् | सोम | गच्छसि | दधत् | स्तोत्रे | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. ९,२०.७ //
//१०//.

-ऋ. वे. ६:८/११-
(ऋ. वे. ९,२१)
एते | धावन्ति | इन्दवः | सोमाः | इन्द्राय | घृष्वयः | मत्सरासः | स्वः-विदः // ऋ. वे. ९,२१.१ //
प्र-वृण्वन्तः | अभि-युजः | सुस्वये | वरिवः-विदः | स्वयम् | स्तोत्रे | वयः-कृतः // ऋ. वे. ९,२१.२ //
वृथा | क्रीऌअन्तः | इन्दवः | सध-स्थम् | अभि | एकम् | इत् | सिन्धोः | ऊर्मा | वि | अक्षरन् // ऋ. वे. ९,२१.३ //
एते | विश्वानि | वार्या | पवमानासः | आशत | हिताः | न | सप्तयः | रथे // ऋ. वे. ९,२१.४ //
आ | अस्मिन् | पिशङ्गम् | इन्दवः | दधात | वेनम् | आदिशे | यः | अस्मभ्यम् | अरावा // ऋ. वे. ९,२१.५ //
ऋभुः | न | रथ्यम् | नवम् | दधात | केतम् | आदिशे | शुक्राः | पवध्वम् | अर्णसा // ऋ. वे. ९,२१.६ //
एते | ॐ इति | त्ये | अवीवशन् | काष्ठाम् | वाजिनः | अक्रत | सतः | प्र | असाविषुः | मतिम् // ऋ. वे. ९,२१.७ //
//११//.

-ऋ. वे. ६:८/१२-
(ऋ. वे. ९,२२)
एते | सोमासः | आशवः | रथाः-इव | प्र | वाजिनः | सर्गाः | सृष्टाः | अहेषत // ऋ. वे. ९,२२.१ //
एते | वाताः-इव | उरवः | पर्जन्यस्य-इव | वृष्टयः | अग्नेः-इव | भ्रमाः | वृथा // ऋ. वे. ९,२२.२ //
एते | पूताः | विपः-चितः | सोमासः | दधि-आशिरः | विपा | वि | आनशुः | धियः // ऋ. वे. ९,२२.३ //
एते | मृष्टाः | अमर्त्याः | ससृ-वांसः | न | शश्रमुः | इयक्षन्तः | पथः | रजः // ऋ. वे. ९,२२.४ //
एते | पृष्ठानि | रोदसोः | वि-प्रयन्तः | वि | आनशुः | उत | इदम् | उत्-तमम् | रजः // ऋ. वे. ९,२२.५ //
तन्तुम् | तन्वानम् | उत्-तमम् | अनु | प्र-वतः | आशत | उत | इदम् | उत्तमाय्यम् // ऋ. वे. ९,२२.६ //
त्वम् | सोम | पणि-भ्यः | आ | वसु | गव्यानि | धारयः | ततम् | तन्तुम् | अचिक्रदः // ऋ. वे. ९,२२.७ //
//१२//.

-ऋ. वे. ६:८/१३-
(ऋ. वे. ९,२३)
सोमाः | असृग्रम् | आशवः | मधोः | मदस्य | धारया | अभि | विश्वानि | काव्या // ऋ. वे. ९,२३.१ //
अनु | प्रत्नासः | आयवः | पदम् | नवीयः | अक्रमुः | रुचे | जनन्त | सूर्यम् // ऋ. वे. ९,२३.२ //
आ | पवमान | नः | भर | अर्यः | अदाशुषः | गयम् | कृधि | प्रजावतीः | इषः // ऋ. वे. ९,२३.३ //
अभि | सोमासः | आयवः | पवन्ते | मद्यम् | मदम् | अभि | कोशम् | मधु-श्चुतम् // ऋ. वे. ९,२३.४ //
सोमः | अर्षति | धर्णसिः | दधानः | इन्द्रियम् | रसम् | सु-वीरः | अभिशस्ति-पाः // ऋ. वे. ९,२३.५ //
इन्द्राय | सोम | पवसे | देवेभ्यः | सध-माद्यः | इन्दो इति | वाजम् | सिसाससि // ऋ. वे. ९,२३.६ //
अस्य | पीत्वा | मदानाम् | इन्द्रः | वृत्राणि | अप्रति | जघान | जघनत् | च | नु // ऋ. वे. ९,२३.७ //
//१३//.

-ऋ. वे. ६:८/१४-
(ऋ. वे. ९,२४)
प्र | सोमासः | अधन्विषुः | पवमानासः | इन्दवः | श्रीणानाः | अप्-सु | मृञ्जत // ऋ. वे. ९,२४.१ //
अभि | गावः | अधन्विषुः | आपः | न | प्र-वता | यतीः | पुनानाः | इन्द्रम् | आशत // ऋ. वे. ९,२४.२ //
प्र | पवमान | धन्वसि | सोम | इन्द्राय | पातवे | नृ-भिः | यतः | वि | नीयसे // ऋ. वे. ९,२४.३ //
त्वम् | सोम | नृ-मादनः | पवस्व | चर्षणि-सहे | सस्निः | यः | अनु-माद्यः // ऋ. वे. ९,२४.४ //
इन्दो इति | यत् | अद्रि-भिः | सुतः | पवित्रम् | परि-धावसि | अरम् | इन्द्रस्य | धाम्ने // ऋ. वे. ९,२४.५ //
पवस्व | वृत्रहन्-तम | उक्थेभिः | अनु-माद्यः | शुचिः | पावकः | अद्भुतः // ऋ. वे. ९,२४.६ //
शुचिः | पावकः | उच्यते | सोमः | सुतस्य | मध्वः | देव-अवीः | अघशंस-हा // ऋ. वे. ९,२४.७ //
//१४//.

-ऋ. वे. ६:८/१५-
(ऋ. वे. ९,२५)
पवस्व | दक्ष-साधनः | देवेभ्यः | पीतये | हरे | मरुत्-भ्यः | वायवे | मदः // ऋ. वे. ९,२५.१ //
पवमान | धिया | हितः | अभि | योनिम् | कनिक्रदत् | धर्मणा | वायुम् | आ | विश // ऋ. वे. ९,२५.२ //
सम् | देवैः | शोभते | वृषा | कविः | योनौ | अधि | प्रियः | वृत्र-हा | देव-वीतमः // ऋ. वे. ९,२५.३ //
विश्वा | रूपाणि | आ-विशन् | पुनानः | याति | हर्यतः | यत्र | अमृतासः | आसते // ऋ. वे. ९,२५.४ //
अरुषः | जनयन् | गिरः | सोमः | पवते | आयुषक् | इन्द्रम् | गच्छन् | कवि-क्रतुः // ऋ. वे. ९,२५.५ //
आ | पवस्व | मदिन्-तम | पवित्रम् | धारया | कवे | अर्कस्य | योनिम् | आसदम् // ऋ. वे. ९,२५.६ //
//१५//.

-ऋ. वे. ६:८/१६-
(ऋ. वे. ९,२६)
तम् | अमृक्षन्त | वाजिनम् | उप-स्थे | अदितेः | अधि | विप्रासः | अण्व्या | धिया // ऋ. वे. ९,२६.१ //
तम् | गावः | अभि | अनूषत | सहस्र-धारम् | अक्षितम् | इन्दुम् | धर्तारम् | आ | दिवः // ऋ. वे. ९,२६.२ //
तम् | वेधाम् | मेधया | अह्यन् | पवमानम् | अधि | द्यवि | धर्णसिम् | भूरि-धायसम् // ऋ. वे. ९,२६.३ //
तम् | अह्यन् | भुरिजोः | धिया | सम्-वसानम् | विवस्वतः | पतिम् | वाचः | अदाभ्यम् // ऋ. वे. ९,२६.४ //
तम् | सानौ | अधि | जामयः | हरिम् | हिन्वन्ति | अद्रि-भिः | हर्यतम् | भूरि-चक्षसम् // ऋ. वे. ९,२६.५ //
तम् | त्वा | हिन्वन्ति | वेधसः | पवमान | गिरावृधम् | इन्दो इति | इन्द्राय | मत्सरम् // ऋ. वे. ९,२६.६ //
//१६//.

-ऋ. वे. ६:८/१७-
(ऋ. वे. ९,२७)
एषः | कविः | अभि-स्तुतः | पवित्रे | अधि | तोशते | पुनानः | घ्नन् | अप | स्रिधः // ऋ. वे. ९,२७.१ //
एषः | इन्द्राय | वायवे | स्वः-जित् | परि | सिच्यते | पवित्रे | दक्ष-साधनः // ऋ. वे. ९,२७.२ //
एषः | नृ-भिः | वि | नीयते | दिवः | मूर्धा | वृषा | सुतः | सोमः | वनेषु | विश्व-वित् // ऋ. वे. ९,२७.३ //
एषः | गव्युः | अचिक्रदत् | पवमानः | हिरण्य-युः | इन्दुः | सत्राजित् | अस्तृतः // ऋ. वे. ९,२७.४ //
एषः | सूर्येण | हासते | पवमानः | अधि | द्यवि | पवित्रे | मत्सरः | मदः // ऋ. वे. ९,२७.५ //
एषः | शुष्मी | असिस्यदत् | अन्तरिक्षे | वृषा | हरिः | पुनानः | इन्दुः | इन्द्रम् | आ // ऋ. वे. ९,२७.६ //
//१७//.

-ऋ. वे. ६:८/१८-
(ऋ. वे. ९,२८)
एषः | वाजी | हितः | नृ-भिः | विश्व-वित् | मनसः | पतिः | अव्यः | वारम् | वि | धावति // ऋ. वे. ९,२८.१ //
एषः | पवित्रे | अक्षरत् | सोमः | देवेभ्यः | सुतः | विश्वा | धामानि | आ-विशन् // ऋ. वे. ९,२८.२ //
एषः | देवः | शुभायते | अधि | योनौ | अमर्त्यः | वृत्र-हा | देव-वीतमः // ऋ. वे. ९,२८.३ //
एषः | वृषा | कनिक्रदत् | दश-भिः | जामि-भिः | यतः | अभि | द्रोणानि | धावति // ऋ. वे. ९,२८.४ //
एषः | सूर्यम् | अरोचयत् | पवमानः | वि-चर्षणिः | विश्वा | धामानि | विश्व-वित् // ऋ. वे. ९,२८.५ //
एषः | शुष्मी | अदाभ्यः | सोमः | पुनानः | अर्षति | देव-अवीः | अघशंस-हा // ऋ. वे. ९,२८.६ //
//१८//.

-ऋ. वे. ६:८/१९-
(ऋ. वे. ९,२९)
प्र | अस्य | धाराः | अक्षरन् | वृष्णः | सुतस्य | ओजसा | देवान् | अनु | प्र-भूषतः // ऋ. वे. ९,२९.१ //
सप्तिम् | मृजन्ति | वेधसः | गृणन्तः | कारवः | गिरा | ज्योतिः | जज्ञानम् | उक्थ्यम् // ऋ. वे. ९,२९.२ //
सु-सहा | सोम | तानि | ते | पुनानाय | प्रभुवसो इतिप्रभु-वसो | वर्ध | समुद्रम् | उक्थ्यम् // ऋ. वे. ९,२९.३ //
विश्वा | वसूनि | सम्-जयन् | पवस्व | सोम | धारया | इनु | द्वेषांसि | सध्र्यक् // ऋ. वे. ९,२९.४ //
रक्ष | सु | नः | अररुषः | स्वनात् | समस्य | कस्य | चित् | निदः | यत्र | मुमुच्महे // ऋ. वे. ९,२९.५ //
आ | इन्दो इति | पार्थिवम् | रयिम् | दिव्यम् | पवस्व | धारया | द्यु-मन्तम् | शुष्मम् | आ | भर // ऋ. वे. ९,२९.६ //
//१९//.

-ऋ. वे. ६:८/२०-
(ऋ. वे. ९,३०)
प्र | धाराः | अस्य | शुष्मिणः | वृथा | पवित्रे | अक्षरन् | पुनानः | वाचम् | इष्यति // ऋ. वे. ९,३०.१ //
इन्दुः | हियानः | सोतृ-भिः | मृज्यमानः | कनिक्रदत् | इयर्ति | वग्नुम् | इन्द्रियम् // ऋ. वे. ९,३०.२ //
आ | नः | शुष्मम् | नृ-सह्यम् | वीर-वन्तम् | पुरु-स्पृहम् | पवस्व | सोम | धारया // ऋ. वे. ९,३०.३ //
प्र | सोमः | अति | धारया | पवमानः | असिस्यदत् | अभि | द्रोणानि | आसदम् // ऋ. वे. ९,३०.४ //
अप्-सु | त्वा | मधुमत्-तमम् | हरिम् | हिन्वन्ति | अद्रि-भिः | इन्दो इति | इन्द्राय | पीतये // ऋ. वे. ९,३०.५ //
सुनोत | मधुमत्-तमम् | सोमम् | इन्द्राय | वज्रिणे | चारुम् | शर्धाय | मत्सरम् // ऋ. वे. ९,३०.६ //
//२०//.

-ऋ. वे. ६:८/२१-
(ऋ. वे. ९,३१)
प्र | सोमासः | स्वाध्यः | पवमानासः | अक्रमुः | रयिम् | कृण्वन्ति | चेतनम् // ऋ. वे. ९,३१.१ //
दिवः | पृथिव्याः | अधि | भव | इन्दो इति | द्युम्न-वर्धनः | भव | वाजानाम् | पतिः // ऋ. वे. ९,३१.२ //
तुभ्यम् | वाताः | अभि-प्रियः | तुभ्यम् | अर्षन्ति | सिन्धवः | सोम | वर्धन्ति | ते | महः // ऋ. वे. ९,३१.३ //
आ | प्यायस्व | सम् | एतु | ते | विश्वतः | सोम | वृष्ण्यम् | भव | वाजस्य | सम्-गथे // ऋ. वे. ९,३१.४ //
तुभ्यम् | गावः | घृतम् | पयः | बभ्रो इति | दुदुह्रे | अक्षितम् | वर्षिष्ठे | अधि | सानवि // ऋ. वे. ९,३१.५ //
सु-आयुधस्य | ते | सतः | भुवनस्य | पते | वयम् | इन्दो इति | सखि-त्वम् | उश्मसि // ऋ. वे. ९,३१.६ //
//२१//.

-ऋ. वे. ६:८/२२-
(ऋ. वे. ९,३२)
प्र | सोमासः | मद-च्युतः | श्रवसे | नः | मघोनः | सुताः | विदथे | अक्रमुः // ऋ. वे. ९,३२.१ //
आत् | ईम् | त्रितस्य | योषणः | हरिम् | हिन्वन्ति | अद्रि-भिः | इन्दुम् | इन्द्राय | पीतये // ऋ. वे. ९,३२.२ //
आत् | ईम् | हंसः | यथा | गणम् | विश्वस्य | अवीवशत् | मतिम् | अत्यः | न | गोभिः | अज्यते // ऋ. वे. ९,३२.३ //
उभे इति | सोम | अव-चाकशत् | मृगः | न | तक्तः | अर्षसि | सीदन् | ऋतस्य | योनिम् | आ // ऋ. वे. ९,३२.४ //
अभि | गावः | अनूषत | योषा | जारम्-इव | प्रियम् | अगन् | आजिम् | यथा | हितम् // ऋ. वे. ९,३२.५ //
अस्मे इति | धेहि | द्यु-मत् | यशः | मघवत्-भ्यः | च | मह्यम् | च | सनिम् | मेधाम् | उत | श्रवः // ऋ. वे. ९,३२.६ //
//२२//.

-ऋ. वे. ६:८/२३-
(ऋ. वे. ९,३३)
प्र | सोमासः | विपः-चितः | अपाम् | न | यन्ति | ऊर्मयः | वनानि | महिषाः-इव // ऋ. वे. ९,३३.१ //
अभि | द्रोणानि | बभ्रवः | शुक्राः | ऋतस्य | धारया | वाजम् | गो-मन्तम् | अक्षरन् // ऋ. वे. ९,३३.२ //
सुताः | इन्द्राय | वायवे | वरुणाय | मरुत्-भ्यः | सोमाः | अर्षन्ति | विष्णवे // ऋ. वे. ९,३३.३ //
तिस्रः | वाचः | उत् | ईरते | गावः | मिमन्ति | धेनवः | हरिः | एति | कनिक्रदत् // ऋ. वे. ९,३३.४ //
अभि | ब्रह्मीः | अनूषत | यह्वीः | ऋतस्य | मातरः | मर्मृज्यन्ते | दिवः | शिशुम् // ऋ. वे. ९,३३.५ //
रायः | समुद्रान् | चतुरः | अस्मभ्यम् | सोम | विश्वतः | आ | पवस्व | सहस्रिणः // ऋ. वे. ९,३३.६ //
//२३//.

-ऋ. वे. ६:८/२४-
(ऋ. वे. ९,३४)
प्र | सुवानः | धारया | तना | इन्दुः | हिन्वानः | अर्षति | रुजत् | दृऌहा | वि | ओजसा // ऋ. वे. ९,३४.१ //
सुतः | इन्द्राय | वायवे | वरुणाय | मरुत्-भ्यः | सोमः | अर्षति | विष्णवे // ऋ. वे. ९,३४.२ //
वृषाणम् | वृष-भिः | यतम् | सुन्वन्ति | सोमम् | अद्रि-भिः | दुहन्ति | शक्मना | पयः // ऋ. वे. ९,३४.३ //
भुवत् | त्रितस्य | मर्ज्यः | भुवत् | इन्द्राय | मत्सरः | सम् | रूपैः | अज्यते | हरिः // ऋ. वे. ९,३४.४ //
अभि | ईम् | ऋतस्य | विष्टपम् | दुहते | पृश्नि-मातरः | चारु | प्रिय-तमम् | हविः // ऋ. वे. ९,३४.५ //
सम् | एनम् | अहुताः | इमाः | गिरः | अर्षन्ति | स-स्रुतः | धेनूः | वाश्रः | अवीवशन् // ऋ. वे. ९,३४.६ //
//२४//.

-ऋ. वे. ६:८/२५-
(ऋ. वे. ९,३५)
आ | नः | पवस्व | धारया | पवमान | रयिम् | पृथुम् | यया | ज्योतिः | विदासि | नः // ऋ. वे. ९,३५.१ //
इन्दो इति | समुद्रम्-ईङ्खय | पवस्व | विश्वम्-एजय | रायः | धर्ता | नः | ओजसा // ऋ. वे. ९,३५.२ //
त्वया | वीरेण | वीर-वः | अभि | स्याम | पृतन्यतः | क्षर | नः | अभि | वार्यम् // ऋ. वे. ९,३५.३ //
प्र | वाजम् | इन्दुः | इष्यति | सिसासन् | वाज-साः | ऋषिः | व्रता | विदानः | आयुधा // ऋ. वे. ९,३५.४ //
तम् | गीः-भिः | वाचम्-ईङ्खयम् | पुनानम् | वासयामसि | सोमम् | जनस्य | गो-पतिम् // ऋ. वे. ९,३५.५ //
विश्वः | यस्य | व्रते | जनः | दाधार | धर्मणः | पतेः | पुनानस्य | प्रभु-वसोः // ऋ. वे. ९,३५.६ //
//२५//.

-ऋ. वे. ६:८/२६-
(ऋ. वे. ९,३६)
असर्जि | रथ्यः | यथा | पवित्रे | चम्वोः | सुतः | कार्ष्मन् | वाजी | नि | अक्रमीत् // ऋ. वे. ९,३६.१ //
सः | वह्निः | सोम | जागृविः | पवस्व | देव-वीः | अति | अभि | कोशम् | मधु-श्चुतम् // ऋ. वे. ९,३६.२ //
सः | नः | ज्योतींषि | पूर्व्य | पवमान | वि | रोचय | क्रत्वे | दक्षाय | नः | हिनु // ऋ. वे. ९,३६.३ //
शुम्भमानः | ऋतयु-भिः | मृज्यमानः | गभस्त्योः | पवते | वारे | अव्यये // ऋ. वे. ९,३६.४ //
सः | विश्वा | दाशुषे | वसु | सोमः | दिव्यानि | पार्थिवा | पवताम् | आ | अन्तरिक्ष्या // ऋ. वे. ९,३६.५ //
आ | दिवः | पृष्ठम् | अश्व-युः | गव्य-युः | सोम | रोहसि | वीर-युः | शवसः | पते // ऋ. वे. ९,३६.६ //
//२६//.

-ऋ. वे. ६:८/२७-
(ऋ. वे. ९,३७)
सः | सुतः | पीतये | वृषा | सोमः | पवित्रे | अर्षति | वि-घ्नन् | रक्षांसि | देव-युः // ऋ. वे. ९,३७.१ //
सः | पवित्रे | वि-चक्षणः | हरिः | अर्षति | धर्णसिः | अभि | योनिम् | कनिक्रदत् // ऋ. वे. ९,३७.२ //
सः | वाजी | रोचना | दिवः | पवमानः | वि | धावति | रक्षः-हा | वारम् | अव्ययम् // ऋ. वे. ९,३७.३ //
सः | त्रितस्य | अधि | सानवि | पवमानः | अरोचयत् | जामि-भिः | सूर्यम् | सह // ऋ. वे. ९,३७.४ //
सः | वृत्र-हा | वृषा | सुतः | वरिवः-वित् | अदाभ्यः | सोमः | वाजम्-इव | असरत् // ऋ. वे. ९,३७.५ //
सः | देवः | कविना | इषितः | अभि | द्रोणानि | धावति | इन्दुः | इन्द्राय | मंहना // ऋ. वे. ९,३७.६ //
//२७//.

-ऋ. वे. ६:८/२८-
(ऋ. वे. ९,३८)
एषः | ॐ इति | स्यः | वृषा | रथः | अव्यः | वारेभिः | अर्षति | गच्छन् | वाजम् | सहस्रिणम् // ऋ. वे. ९,३८.१ //
एतम् | त्रितस्य | योषणः | हरिम् | हिन्वन्ति | अद्रि-भिः | इन्दुम् | इन्द्राय | पीतये // ऋ. वे. ९,३८.२ //
एतम् | त्यम् | हरितः | दश | मर्मृज्यन्ते | अपस्युवः | याभिः | मदाय | शुम्भते // ऋ. वे. ९,३८.३ //
एषः | स्यः | मानुषीषु | आ | श्येनः | न | विक्षु | सीदति | गच्छन् | जारः | न | योषितम् // ऋ. वे. ९,३८.४ //
एषः | स्यः | मद्यः | रसः | अव | चष्टे | दिवः | शिशुः | यः | इन्दुः | वारम् | आ | अविशत् // ऋ. वे. ९,३८.५ //
एषः | स्यः | पीतये | सुतः | हरिः | अर्षति | धर्णसिः | क्रन्दन् | योनिम् | अभि | प्रियम् // ऋ. वे. ९,३८.६ //
//२८//.

-ऋ. वे. ६:८/२९-
(ऋ. वे. ९,३९)
आशुः | अर्ष | बृहत्-मते | परि | प्रियेण | धाम्ना | यत्र | देवाः | इति | ब्रवन् // ऋ. वे. ९,३९.१ //
परि-कृण्वन् | अनिः-कृतम् | जनाय | यातयन् | इषः | वृष्टिम् | दिवः | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,३९.२ //
सुतः | एति | पवित्रे | आ | त्विषिम् | दधानः | ओजसा | वि-चक्षाणः | वि-रोचयन् // ऋ. वे. ९,३९.३ //
अयम् | सः | यः | दिवः | परि | रघु-यामा | पवित्रे | आ | सिन्धोः | ऊर्मा | वि | अक्षरत् // ऋ. वे. ९,३९.४ //
आविवासन् | परावतः | अथो इति | अर्वावतः | सुतः | इन्द्राय | सिच्यते | मधु // ऋ. वे. ९,३९.५ //
समीचीनाः | अनूषत | हरिम् | हिन्वन्ति | अद्रि-भिः | योनौ | ऋतस्य | सीदत // ऋ. वे. ९,३९.६ //
//२९//.

-ऋ. वे. ६:८/३०-
(ऋ. वे. ९,४०)
पुनानः | अक्रमीत् | अभि | विश्वाः | मृधः | वि-चर्षणिः | शुम्भन्ति | विप्रम् | धीति-भिः // ऋ. वे. ९,४०.१ //
आ | योनिम् | अरुणः | रुहत् | गमत् | इन्द्रम् | वृषा | सुतः | ध्रुवे | सदसि | सीदति // ऋ. वे. ९,४०.२ //
नु | नः | रयिम् | महाम् | इन्दो इति | अस्मभ्यम् | सोम | विश्वतः | आ | पवस्व | सहस्रिणम् // ऋ. वे. ९,४०.३ //
विश्वा | सोम | पवमान | द्युम्नानि | इन्दो इति | आ | भर | विदाः | सहस्रिणीः | इषः // ऋ. वे. ९,४०.४ //
सः | नः | पुनानः | आ | भर | रयिम् | स्तोत्रे | सु-वीर्यम् | जरितुः | वर्धय | गिरः // ऋ. वे. ९,४०.५ //
पुनानः | इन्दो इति | आ | भर | सोम | द्वि-बर्हसम् | रयिम् | वृषन् | इन्दो इति | नः | उक्थ्यम् // ऋ. वे. ९,४०.६ //
//३०//.

-ऋ. वे. ६:८/३१-
(ऋ. वे. ९,४१)
प्र | ये | गावः | न | भूर्णयः | त्वेषाः | अयासः | अक्रमुः | घ्नन्तः | कृष्णाम् | अप | त्वचम् // ऋ. वे. ९,४१.१ //
सुवितस्य | मनामहे | अति | सेतुम् | दुः-आव्यम् | साह्वांसः | दस्युम् | अव्रतम् // ऋ. वे. ९,४१.२ //
शृण्वे | वृष्टेः-इव | स्वनः | पवमानस्य | शुष्मिणः | चरन्ति | वि-द्युतः | दिवि // ऋ. वे. ९,४१.३ //
आ | पवस्व | महीम् | इषम् | गो-मत् | इन्दो इति | हिरण्य-वत् | अश्व-वत् | वाज-वत् | सुतः // ऋ. वे. ९,४१.४ //
सः | पवस्व | वि-चर्षणे | आ | माही इति | रोदसी इति | पृण | उषाः | सूर्यः | न | रश्मि-भिः // ऋ. वे. ९,४१.५ //
परि | नः | शर्म-यन्त्या | धारया | सोम | विश्वतः | सर | रसा-इव | विष्टपम् // ऋ. वे. ९,४१.६ //
//३१//.
-ऋ. वे. ६:८/३२-
(ऋ. वे. ९,४२)
जनयन् | रोचना | दिवः | जनयन् | अप्-सु | सूर्यम् | वसानः | गाः | अपः | हरिः // ऋ. वे. ९,४२.१ //
एषः | प्रत्नेन | मन्मना | देवः | देवेभ्यः | परि | धारया | पवते | सुतः // ऋ. वे. ९,४२.२ //
ववृधानाय | तूर्वये | पवन्ते | वाज-सातये | सोमाः | सहस्र-पाजसः // ऋ. वे. ९,४२.३ //
दुहानः | प्रत्नम् | इत् | पयः | पवित्रे | परि | सिच्यते | क्रन्दन् | देवान् | अजीजनत् // ऋ. वे. ९,४२.४ //
अभि | विश्वानि | वार्या | अभि | देवान् | ऋत-वृधः | सोमः | पुनानः | अर्षति // ऋ. वे. ९,४२.५ //
गो-मत् | नः | सोम | वीर-वत् | अश्व-वत् | वाज-वत् | सुतः | पवस्व | बृहतीः | इषः // ऋ. वे. ९,४२.६ //
//३२//.

-ऋ. वे. ६:८/३३-
(ऋ. वे. ९,४३)
यः | अत्यः-इव | मृज्यते | गोभिः | मदाय | हर्यतः | तम् | गीः-भिः | वासयामसि // ऋ. वे. ९,४३.१ //
तम् | नः | विश्वाः | अवस्युवः | गिरः | शुम्भन्ति | पूर्व-था | इन्दुम् | इन्द्राय | पीतये // ऋ. वे. ९,४३.२ //
पुनानः | याति | हर्यतः | सोमः | गीः-भिः | परि-कृतः | विप्रस्य | मेध्य-अतिथेः // ऋ. वे. ९,४३.३ //
पवमान | विदाः | रयिम् | अस्मभ्यम् | सोम | सु-श्रियम् | इन्दो इति | सहस्र-वर्चसम् // ऋ. वे. ९,४३.४ //
इन्दुः | अत्यः | न | वाज-सृत् | कनिक्रन्ति | पवित्रे | आ | यत् | अक्षाः | अति | देव-युः // ऋ. वे. ९,४३.५ //
पवस्व | वाज-सातये | विप्रस्य | गृणतः | वृधे | सोम | रास्व | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. ९,४३.६ //
//३३//.




-ऋ. वे. ७:१/१-
(ऋ. वे. ९,४४)
प्र | नः | इन्दो इति | महे | तने | ऊर्मिम् | न | बिभ्रत् | अर्षसि | अभि | देवान् | अयास्यः // ऋ. वे. ९,४४.१ //
मती | जुष्टः | धिया | हितः | सोमः | हिन्वे | परावति | विप्रस्य | धारया | कविः // ऋ. वे. ९,४४.२ //
अयम् | देवेषु | जागृविः | सुतः | एति | पवित्रे | आ | सोमः | याति | वि-चर्षणिः // ऋ. वे. ९,४४.३ //
सः | नः | पवस्व | वाज-युः | चक्राणः | चारुम् | अध्वरम् | बर्हिष्मान् | आ | विवासति // ऋ. वे. ९,४४.४ //
सः | नः | भगाय | वायवे | विप्र-वीरः | सदावृधः | सोमः | देवेषु | आ | यमत् // ऋ. वे. ९,४४.५ //
सः | नः | अद्य | वसुत्तये | क्रतु-वित् | गातुवित्-तमः | वाजम् | जेषि | श्रवः | बृहत् // ऋ. वे. ९,४४.६ //
//१//.

-ऋ. वे. ७:१/२-
(ऋ. वे. ९,४५)
सः | पवस्व | मदाय | कम् | नृ-चक्षा | देव-वीतये | इन्दो इति | इन्द्राय | पीतये // ऋ. वे. ९,४५.१ //
सः | नः | अर्ष | अभि | दूत्यम् | त्वम् | इन्द्राय | तोशसे | देवान् | सखि-भ्यः | आ | वरम् // ऋ. वे. ९,४५.२ //
उत | त्वाम् | अरुणम् | वयम् | गोभिः | अञ्ज्मः | मदाय | कम् | वि | नः | राये | दुरः | वृधि // ऋ. वे. ९,४५.३ //
अति | ॐ इति | पवित्रम् | अक्रमीत् | वाजी | धुरम् | न | यामनि | इन्दुः | देवेषु | पत्यते // ऋ. वे. ९,४५.४ //
सम् | ईम् इति | सखायः | अस्वरन् | वने | क्रीऌअन्तम् | अति-अविम् | इन्दुम् | नावाः | आनूषत // ऋ. वे. ९,४५.५ //
तया | पवस्व | धारया | यया | पीतः | वि-चक्षसे | इन्दो इति | स्तोत्रे | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. ९,४५.६ //
//२//.

-ऋ. वे. ७:१/३-
(ऋ. वे. ९,४६)
असृग्रन् | देव-वीतये | अत्यासः | कृत्व्याः-इव | क्षरन्तः | पर्वत-वृधः // ऋ. वे. ९,४६.१ //
परि-कृतासः | इन्दवः | योषा-इव | पित्र्य-वती | वायुम् | सोमाः | असृक्षत // ऋ. वे. ९,४६.२ //
एते | सोमासः | इन्दवः | प्रयस्वन्तः | चमू इति | सुताः | इन्द्रम् | वर्धन्ति | कर्म-भिः // ऋ. वे. ९,४६.३ //
आ | धावत | सु-हस्त्यः | शुक्रा | गृभ्णीत | मन्थिना | गोभिः | श्रीणीत | मत्सरम् // ऋ. वे. ९,४६.४ //
सः | पवस्व | धनम्-जय | प्र-यन्ता | राधसः | महः | अस्मभ्यम् | सोम | गातु-वित् // ऋ. वे. ९,४६.५ //
एतम् | मृजन्ति | मर्ज्यम् | पवमानम् | दश | क्षिपः | इन्द्राय | मत्सरम् | मदम् // ऋ. वे. ९,४६.६ //
//३//.

-ऋ. वे. ७:१/४-
(ऋ. वे. ९,४७)
अया | सोमः | सु-कृत्यया | महः | चित् | अभि | अवर्धत | मन्दानः | उत् | वृष-यते // ऋ. वे. ९,४७.१ //
कृतानि | इत् | अस्य | कर्त्वा | चेतन्ते | दस्यु-तर्हणा | ऋणा | च | धृष्णुः | चयते // ऋ. वे. ९,४७.२ //
आत् | सोमः | इन्द्रियः | रसः | वज्रः | सहस्र-साः | भुवत् | उक्थम् | यत् | अस्य | जायते // ऋ. वे. ९,४७.३ //
स्वयम् | कविः | वि-धर्तरि | विप्राय | रत्नम् | इच्छति | यदि | मर्मृज्यते | धियः // ऋ. वे. ९,४७.४ //
सिसासतुः | रयीणाम् | वाजेषु | अर्वताम्-इव | भरेषु | जिग्युषाम् | असि // ऋ. वे. ९,४७.५ //
//४//.

-ऋ. वे. ७:१/५-
(ऋ. वे. ९,४८)
तम् | त्वा | नृम्णानि | विभ्रतम् | सध-स्थेषु | महः | दिवः | चारुम् | सु-कृत्यया | ईमहे // ऋ. वे. ९,४८.१ //
संवृक्त-धृष्णुम् | उक्थ्यम् | महामहिव्रतम् | मदम् | शतम् | पुरः | रुरुक्षणिम् // ऋ. वे. ९,४८.२ //
अतः | त्वा | रयिम् | अभि | राजानम् | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | दिवः | सु-पर्णः | अव्यथिः | भरत् // ऋ. वे. ९,४८.३ //
विश्वस्मै | इत् | स्वः | दृशे | साधारणम् | रजः-तुरम् | गोपाम् | ऋतस्य | विः | भरत् // ऋ. वे. ९,४८.४ //
अध | हिन्वानः | इन्द्रियम् | ज्यायः | महि-त्वम् | आनशे | अभिष्टि-कृत् | वि-चर्षणिः // ऋ. वे. ९,४८.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ७:१/६-
(ऋ. वे. ९,४९)
पवस्व | वृष्टिम् | आ | सु | नः | अपाम् | ऊर्मिम् | दिवः | परि | अयक्ष्माः | बृहतीः | इषः // ऋ. वे. ९,४९.१ //
तया | पवस्व | धारया | यया | गावः | इह | आगमन् | जन्यासः | उप | नः | गृहम् // ऋ. वे. ९,४९.२ //
घृतम् | पवस्व | धारया | यज्ञेषु | देव-वीतमः | अस्मभ्यम् | वृष्टिम् | आ | पव // ऋ. वे. ९,४९.३ //
सः | नः | ऊर्जे | वि | अव्ययम् | पवित्रम् | धाव | धारया | देवासः | शृणवन् | हि | कम् // ऋ. वे. ९,४९.४ //
पवमानः | असिस्यदत् | रक्षांसि | अप-जङ्घनत् | प्रत्न-वत् | रोचयन् | रुचः // ऋ. वे. ९,४९.५ //
//६//.

-ऋ. वे. ७:१/७-
(ऋ. वे. ९,५०)
उत् | ते | शुष्मासः | ईरते | सिन्धोः | ऊर्मेः-इव | स्वनः | वाणस्य | चोदय | पविम् // ऋ. वे. ९,५०.१ //
प्र-सवे | ते | उत् | ईरते | तिस्रः | वाचः | मखस्युवः | यत् | अव्ये | एषि | सानवि // ऋ. वे. ९,५०.२ //
अव्यः | वारे | परि | प्रियम् | हरिम् | हिन्वन्ति | अद्रि-भिः | पवमानम् | मधु-श्चुतम् // ऋ. वे. ९,५०.३ //
आ | पवस्व | मदिन्-तम | पवित्रम् | धारया | कवे | अर्कस्य | योनिम् | आसदम् // ऋ. वे. ९,५०.४ //
सः | पवस्व | मदिन्-तम | गोभिः | अञ्जानः | अक्तु-भिः | इन्दो इति | इन्द्राय | पीतये // ऋ. वे. ९,५०.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ७:१/८-
(ऋ. वे. ९,५१)
अध्वर्यो इति | अद्रि-भिः | सुतम् | सोमम् | पवित्रे | आ | सृज | पुनीहि | इन्द्राय | पातवे // ऋ. वे. ९,५१.१ //
दिवः | पीयूषम् | उत्-तमम् | सोमम् | इन्द्राय | वज्रिणे | सुनोत | मधुमत्-तमम् // ऋ. वे. ९,५१.२ //
तव | त्ये | इन्दो इति | अन्धसः | देवाः | मधोः | वि | अश्नते | पवमानस्य | मरुतः // ऋ. वे. ९,५१.३ //
त्वम् | हि | सोम | वर्धयन् | सुतः | मदाय | भूर्णये | वृषन् | स्तोतारम् | ऊतये // ऋ. वे. ९,५१.४ //
अभि | अर्ष | वि-चक्षण | पवित्रम् | धारया | सुतः | अभि | वाजम् | उत | श्रवः // ऋ. वे. ९,५१.५ //
//८//.

-ऋ. वे. ७:१/९-
(ऋ. वे. ९,५२)
परि | द्युक्षः | सनत्-रयिः | भरत् | वाजम् | नः | अन्धसा | सुवानः | अषर् | पवित्रे | आ // ऋ. वे. ९,५२.१ //
तव | प्रत्नेभिः | अध्व-भिः | अव्यः | वारे | परि | प्रियः | सहस्र-धारः | यात् | तना // ऋ. वे. ९,५२.२ //
चरुः | न | यः | तम् | ईङ्खय | इन्दो इति | न | दानम् | ईङ्खय | वधैः | वधस्नो इतिवध-स्नो | ईङ्खय // ऋ. वे. ९,५२.३ //
नि | शुष्मम् | इन्दो इति | एषाम् | पुरु-हूत | जनानाम् | यः | अस्मान् | आदिदेशति // ऋ. वे. ९,५२.४ //
शतम् | नः | इन्दो इति | ऊति-भिः | सहस्रम् | वा | शुचीणाम् | पवस्व | मंहयत्-रयिः // ऋ. वे. ९,५२.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ७:१/१०-
(ऋ. वे. ९,५३)
उत् | ते | शुष्मासः | अस्थुः | रक्षः | भिन्दन्तः | अद्रि-वः | नुदस्व | याः | परि-स्पृधः // ऋ. वे. ९,५३.१ //
अया | नि-जघ्निः | ओजसा | रथ-सङ्गे | धने | हिते | स्तवै | अबिभ्युषा | हृदा // ऋ. वे. ९,५३.२ //
अस्य | व्रतानि | न | आधृषे | पवमानस्य | दुः-ध्या | रुज | यः | त्वा | पृतन्यति // ऋ. वे. ९,५३.३ //
तम् | हिन्वन्ति | मद-च्युतम् | हरिम् | नदीषु | वाजिनम् | इन्दुम् | इन्द्राय | मत्सरम् // ऋ. वे. ९,५३.४ //
//१०//.

-ऋ. वे. ७:१/११-
(ऋ. वे. ९,५४)
अस्य | प्रत्नाम् | अनु | द्युतम् | शुक्रम् | दुदुह्रे | अह्रयः | पयः | सहस्र-साम् | ऋषिम् // ऋ. वे. ९,५४.१ //
अयम् | सूर्यः-इव | उप-दृक् | अयम् | सरांसि | धावति | सप्त | प्र-वतः | आ | दिवम् // ऋ. वे. ९,५४.२ //
अयम् | विश्वानि | तिष्ठति | पुनानः | भुवना | उपरि | सोमः | दिवः | न | सूर्यः // ऋ. वे. ९,५४.३ //
परि | नः | देव-वीतये | वाजान् | अर्षसि | गो-मतः | पुनानः | इन्दो इति | इन्द्र-युः // ऋ. वे. ९,५४.४ //
//११//.

-ऋ. वे. ७:१/१२-
(ऋ. वे. ९,५५)
यवम्-यवम् | नः | अन्धसा | पुष्टम्-पुष्तम् | परि | स्रव | सोम | विश्वा | च | सौभगा // ऋ. वे. ९,५५.१ //
इन्दो इति | यथा | तव | स्तवः | यथा | ते | जातम् | अन्धसः | नि | बर्हिषि | प्रिये | सदः // ऋ. वे. ९,५५.२ //
उत | नः | गो-वित् | अश्व-वित् | पवस्व | सोम | अन्धसा | मक्षु-तमेभिः | अह-भिः // ऋ. वे. ९,५५.३ //
यः | जिनाति | न | जीयते | हन्ति | शत्रुम् | अभि-इत्य | सः | पवस्व | सहस्र-जित् // ऋ. वे. ९,५५.४ //
//१२//.

-ऋ. वे. ७:१/१३-
(ऋ. वे. ९,५६)
परि | सोमः | ऋतम् | बृहत् | आशुः | पवित्रे | अर्षति | वि-घ्नन् | रक्षांसि | देव-युः // ऋ. वे. ९,५६.१ //
यत् | सोमः | वाजम् | अर्षति | शतम् | धाराः | अपस्युवः | इन्द्रस्य | सख्यम् | आ-विशन् // ऋ. वे. ९,५६.२ //
अभि | त्वा | योषणः | दश | जारम् | न | कन्या | अनूषत | मृज्यसे | सोम | सातये // ऋ. वे. ९,५६.३ //
त्वम् | इन्द्राय | विष्णवे | स्वादुः | इन्दो इति | परि | स्रव | नॄन् | स्तोतॄन् | पाहि | अंहसः // ऋ. वे. ९,५६.४ //
//१३//.

-ऋ. वे. ७:१/१४-
(ऋ. वे. ९,५७)
प्र | ते | धाराः | असश्चतः | दिवः | न | यन्ति | वृष्टयः | अच्छ | वाजम् | सहस्रिणम् // ऋ. वे. ९,५७.१ //
अभि | प्रियाणि | काव्या | विश्वा | चक्षाणः | अर्षति | हरिः | तुञ्जानः | आयुधा // ऋ. वे. ९,५७.२ //
सः | मर्मृजानः | आयु-भिः | इभः | राजा-इव | सु-व्रतः | श्येनः | न | वंसु | सीदति // ऋ. वे. ९,५७.३ //
सः | नः | विश्वा | दिवः | वसु | उतो इति | पृथिव्याः | अधि | पुनानः | इन्दो इति | आ | भर // ऋ. वे. ९,५७.४ //
//१४//.

-ऋ. वे. ७:१/१५-
(ऋ. वे. ९,५८)
तरत् | सः | मन्दी | धावति | धारा | सुतस्य | अन्धसः | तरत् | सः | मन्दी | धावति // ऋ. वे. ९,५८.१ //
उस्रा | वेद | वसूनाम् | मर्तस्य | देवी | अवसः | तरत् | सः | मन्दी | धावति // ऋ. वे. ९,५८.२ //
ध्वस्रयोः | पुरु-सन्त्योः | आ | सहस्राणि | दद्महे | तरत् | सः | मन्दी | धावति // ऋ. वे. ९,५८.३ //
आ | ययोः | त्रिंशतम् | तना | सहस्राणि | च | दद्महे | तरत् | सः | मन्दी | धावति // ऋ. वे. ९,५८.४ //
//१५//.

-ऋ. वे. ७:१/१६-
(ऋ. वे. ९,५९)
पवस्व | गो-जित् | अश्व-जित् | विश्व-जित् | सोम | रण्य-जित् | प्रजावत् | रत्नम् | आ | भर // ऋ. वे. ९,५९.१ //
पवस्व | अत्-भ्यः | अदाभ्यः | पवस्व | ओषधीभ्यः | पवस्व | धिषणाभ्यः // ऋ. वे. ९,५९.२ //
त्वम् | सोम | पवमानः | विश्वानि | दुः-इता | तर | कविः | सीद | नि | बर्हिषि // ऋ. वे. ९,५९.३ //
पवमान | स्वः | विदः | जायमानः | अभवः | महान् | इन्दो इति | विश्वान् | अभि | इत् | असि // ऋ. वे. ९,५९.४ //
//१६//.

-ऋ. वे. ७:१/१७-
(ऋ. वे. ९,६०)
प्र | गायत्रेण | गायत | पवमानम् | वि-चर्षणिम् | इन्दुम् | सहस्र-चक्षसम् // ऋ. वे. ९,६०.१ //
त्वम् | त्वा | सहस्र-चक्षसम् | अथो इति | सहस्र-भर्णसम् | अति | वारम् | अपाविषुः // ऋ. वे. ९,६०.२ //
अति | वारान् | पवमानः | असिस्यदत् | कलशान् | अभि | धावति | इन्द्रस्य | हार्दि | आ-विशन् // ऋ. वे. ९,६०.३ //
इन्द्रस्य | सोम | राधसे | शम् | पवस्व | वि-चर्षणे | प्रजावत् | रेतः | आ | भर // ऋ. वे. ९,६०.४ //
//१७//.

-ऋ. वे. ७:१/१८-
(ऋ. वे. ९,६१)
अया | वीती | परि | स्रव | यः | ते | इन्दो इति | मदेषु | आ | अव-अहन् | नवतीः | नव // ऋ. वे. ९,६१.१ //
पुरः | सद्यः | इथाधिये | दिवः-दासाय | शम्बरम् | अध | त्यम् | तुर्वशम् | यदुम् // ऋ. वे. ९,६१.२ //
परि | नः | अश्वम् | अश्व-वित् | गो-मत् | इन्दो इति | हिरण्य-वत् | क्षरा | सहस्रिणीः | इषः // ऋ. वे. ९,६१.३ //
पवमानस्य | ते | वयम् | पवित्रम् | अभि-उन्दतः | सखि-त्वम् | आ | वृणीमहे // ऋ. वे. ९,६१.४ //
ये | ते | पवित्रम् | ऊर्मयः | अभि-क्षरन्ति | धारया | तेभिः | नः | सोम | मृऌअय // ऋ. वे. ९,६१.५ //
//१८//.

-ऋ. वे. ७:१/१९-
सः | नः | पुनानः | आ | भर | रयिम् | वीर-वतीम् | इषम् | ईशानः | सोम | विश्वतः // ऋ. वे. ९,६१.६ //
एतम् | ॐ इति | त्यम् | दश | क्षिपः | मृजन्ति | सिन्धु-मातरम् | सम् | आदित्येभिः | अख्यत // ऋ. वे. ९,६१.७ //
सम् | इन्द्रेण | उत | वायुना | सुतः | एति | पवित्रे | आ | सम् | सूर्यस्य | रश्मि-भिः // ऋ. वे. ९,६१.८ //
सः | नः | भगाय | वायवे | पूष्णे | पवस्व | मधु-मान् | चारुः | मित्रे | वरुणे | च // ऋ. वे. ९,६१.९ //
उच्चा | ते | जातम् | अन्धसः | दिवि | सत् | भूमिः | आ | ददे | उग्रम् | शर्म | महि | श्रवः // ऋ. वे. ९,६१.१० //
//१९//.

-ऋ. वे. ७:१/२०-
एना | विश्वानि | अर्यः | आ | द्युम्नानि | मानुषाणाम् | सिसासन्तः | वनामहे // ऋ. वे. ९,६१.११ //
सः | नः | इन्द्राय | यज्यवे | वरुणाय | मरुत्-भ्यः | वरिवः-वित् | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,६१.१२ //
उपो इति | सु | जातम् | अप्-तुरम् | गोभिः | भङ्गम् | परि-कृतम् | इन्दुम् | देवाः | अयासिषुः // ऋ. वे. ९,६१.१३ //
तम् | इत् | वर्धन्तु | नः | गिरः | वत्सम् | संशिश्वरीः-इव | यः | इन्द्रस्य | हृदम्-सनिः // ऋ. वे. ९,६१.१४ //
अर्ष | नः | सोम | शम् | गवे | धुक्षस्व | पिप्युषीम् | इषम् | वर्ध | समुद्रम् | उक्थ्यम् // ऋ. वे. ९,६१.१५ //
//२०//.

-ऋ. वे. ७:१/२१-
पवमानः | अजीजनत् | दिवः | चित्रम् | न | तन्यतुम् | ज्योतिः | वैश्वानरम् | बृहत् // ऋ. वे. ९,६१.१६ //
पवमानस्य | ते | रसः | मदः | राजन् | अदुच्छुनः | वि | वारम् | अव्यम् | अर्षति // ऋ. वे. ९,६१.१७ //
पवमान | रसः | तव | दक्षः | वि | राजति | द्यु-मान् | ज्योतिः | विश्वम् | स्वः | दृशे // ऋ. वे. ९,६१.१८ //
यः | ते | मदः | वरेण्यः | तेन | पवस्व | अन्धसा | देव-अवीः | अघशंस-हा // ऋ. वे. ९,६१.१९ //
जघ्निः | वृत्रम् | अमित्रियम् | सस्निः | वाजम् | दिवे-दिवे | गो-साः | ॐ इति | अश्व-साः | असि // ऋ. वे. ९,६१.२० //
//२१//.

-ऋ. वे. ७:१/२२-
सम्-मिश्लः | अरुषः | भव | सु-उपस्थाभिः | न | धेनु-भिः | सीदम् | श्येनः | न | योनिम् | आ // ऋ. वे. ९,६१.२१ //
सः | पवस्व | यः | आविथ | इन्द्रम् | वृत्राय | हन्तवे | वव्रि-वांसम् | महीः | अपः // ऋ. वे. ९,६१.२२ //
सु-वीरासः | वयम् | धना | जयेम | सोम | मीढवः | पुनानः | वर्ध | नः | गिरः // ऋ. वे. ९,६१.२३ //
त्वा-ऊतासः | तव | अवसा | स्याम | वन्वन्तः | आमुरः | सोम | व्रतेषु | जागृहि // ऋ. वे. ९,६१.२४ //
अप-घ्नन् | पवते | मृधः | अप | सोमः | अराव्णः | गच्छन् | इन्द्रस्य | निः-कृतम् // ऋ. वे. ९,६१.२५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ७:१/२३-
महः | नः | रायः | आ | भर | पवमान | जहि | मृधः | रास्व | इन्दो इति | वीर-वत् | यसः // ऋ. वे. ९,६१.२६ //
न | त्वा | शतम् | चन | हुतः | राधः | दित्सन्तम् | आ | मिनन् | यत् | पुनानः | मखस्यसे // ऋ. वे. ९,६१.२७ //
पवस्व | इन्दो इति | वृषा | सुतः | कृधि | नः | यशसः | जने | विश्वाः | अप | द्विषः | जहि // ऋ. वे. ९,६१.२८ //
अस्य | ते | सख्ये | वयम् | तव | इन्दो इति | द्युम्ने | उत्-तमे | ससह्याम | पृतन्यतः // ऋ. वे. ९,६१.२९ //
या | ते | भीमानि | आयुधा | तिग्मानि | सन्ति | धूर्वणे | रक्ष | समस्य | नः | निदः // ऋ. वे. ९,६१.३० //
//२३//.

-ऋ. वे. ७:१/२४-
(ऋ. वे. ९,६२)
एते | असृग्रम् | इन्दवः | तिरः | पवित्रम् | आशवः | विश्वानि | अभि | सौभगा // ऋ. वे. ९,६२.१ //
वि-घ्नन्तः | दुः-इता | पुरु | सु-गा | तोकाय | वाजिनः | तना | कृण्वन्तः | अर्वते // ऋ. वे. ९,६२.२ //
कृण्वन्तः | वरिवः | गवे | अभि | अर्षन्ति | सु-स्तुतिम् | इऌआम् | अस्मभ्यम् | सम्-यतम् // ऋ. वे. ९,६२.३ //
असावि | अंशुः | मदाय | अप्-सु | दक्षः | गिरि-स्थाः | श्येनः | न | योनिम् | आ | असदत् // ऋ. वे. ९,६२.४ //
शुभ्रम् | अन्धः | देव-वातम् | अप्-सु | धूतः | नृ-भिः | सुतः | स्वदन्ति | गावः | पयः-भिः // ऋ. वे. ९,६२.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ७:१/२५-
आत् | ईम् | अश्वम् | न | हेतारः | अशूशुभन् | अमृताय | मध्वः | रसम् | सध-मादे // ऋ. वे. ९,६२.६ //
याः | ते | धाराः | मधु-श्चुतः | असृग्रम् | इन्दो इति | ऊतये | ताभिः | पवित्रम् | आ | असदः // ऋ. वे. ९,६२.७ //
सः | अर्ष | इन्द्राय | पीतये | तिरः | रोमाणि | अव्यया | सीदन् | योना | वनेषु | आ // ऋ. वे. ९,६२.८ //
त्वम् | इन्दो इति | परि | स्रव | स्वादिष्ठः | अङ्गिरः-भ्यः | वरिवः-वित् | घृतम् | पयः // ऋ. वे. ९,६२.९ //
अयम् | वि-चर्षणिः | हितः | पवमानः | सः | चेतति | हिन्वानः | आप्यम् | बृहत् // ऋ. वे. ९,६२.१० //
//२५//.

-ऋ. वे. ७:१/२६-
एषः | व्र्षा | वृष-व्रतः | पवमानः | अशस्ति-हा | करत् | वसूनि | दाशुषे // ऋ. वे. ९,६२.११ //
आ | पवस्व | सहस्रिणम् | रयिम् | गो-मन्तम् | अश्विनम् | पुरु-चन्द्रम् | पुरु-स्पृहम् // ऋ. वे. ९,६२.१२ //
एषः | स्यः | परि | सिच्यते | मर्मृज्यमानः | आयु-भिः | उरु-गायः | कवि-क्रतुः // ऋ. वे. ९,६२.१३ //
सहस्र-ऊतिः | शत-मघः | वि-मानः | रजसः | कविः | इन्द्राय | पवते | मदः // ऋ. वे. ९,६२.१४ //
गिरा | जातः | इह | स्तुतः | इन्दुः | इन्द्राय | धीयते | विः | योना | वसतौ-इव // ऋ. वे. ९,६२.१५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ७:१/२७-
पवमानः | सुतः | नृ-भिः | सोमः | वाजम्-इव | असर्चत् | चमूषु | शक्मना | आसदम् // ऋ. वे. ९,६२.१६ //
तम् | त्रि-पृष्ठे | त्रि-बन्धुरे | रथे | युञ्जन्ति | यातवे | ऋषीणाम् | सप्त | धीति-भिः // ऋ. वे. ९,६२.१७ //
तम् | सोतारः | धन-स्पृतम् | आशुम् | वाजाय | यातवे | हरिम् | हिनोत | वाजिनम् // ऋ. वे. ९,६२.१८ //
आ-विशन् | कलशम् | सुतः | विश्वा | अर्षन् | अभि | श्रियः | शूरः | न | गोषु | तिष्ठति // ऋ. वे. ९,६२.१९ //
आ | ते | इन्दो इति | मदाय | कम् | पयः | दुहन्ति | आयवः | देवाः | देवेभ्यः | मधु // ऋ. वे. ९,६२.२० //
//२७//.

-ऋ. वे. ७:१/२८-
आ | नः | सोमम् | पवित्रे | आ | सृजत | मधुमत्-तमम् | देवेभ्यः | देवश्रुत्-तमम् // ऋ. वे. ९,६२.२१ //
एते | सोमाः | असृक्षत | गृणानाः | श्रवसे | महे | मदिन्-तमस्य | धारया // ऋ. वे. ९,६२.२२ //
अभि | गव्यानि | वीतये | नृम्णा | पुनानः | अर्षसि | सनत्-वाजः | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,६२.२३ //
उत | नः | गो-मतीः | इषः | विश्वाः | अर्ष | परि-स्तुभः | गृणानः | जमत्-अग्निना // ऋ. वे. ९,६२.२४ //
पवस्व | वाचः | अग्नियः | सोम | चित्राभिः | ऊति-भिः | अभि | विश्वानि | काव्या // ऋ. वे. ९,६२.२५ //
//२८//.

-ऋ. वे. ७:१/२९-
त्वम् | समुद्रियाः | अपः | अग्रियः | वाचः | ईरयन् | पवस्व | विश्वम्-एजय // ऋ. वे. ९,६२.२६ //
तुभ्य | इमा | भुवना | कवे | महिम्ने | सोम | तस्थिरे | तुभ्यम् | अर्षन्ति | सिन्धवः // ऋ. वे. ९,६२.२७ //
प्र | ते | दिवः | न | वृष्टयः | धाराः | यन्ति | असश्चतः | अभि | शुक्राम् | उप-स्तिरम् // ऋ. वे. ९,६२.२८ //
इन्द्राय | इन्दुम् | पुनीतन | उग्रम् | दक्षाय | साधनम् | ईशानम् | वीति-राधसम् // ऋ. वे. ९,६२.२९ //
पवमानः | ऋतः | कविः | सोमः | पवित्रम् | आ | असदत् | दधत् | स्तोत्रे | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. ९,६२.३० //
//२९//.

-ऋ. वे. ७:१/३०-
(ऋ. वे. ९,६३)
आ | पवस्व | सहस्रिणम् | रयिम् | सोम | सु-वीर्यम् | अस्मे इति | श्रवांसि | धारय // ऋ. वे. ९,६३.१ //
इषम् | ऊर्जम् | च | पिन्वसः | इन्द्राय | मत्सरिन्-तमः | चमूषु | आ | नि | सीदसि // ऋ. वे. ९,६३.२ //
सुतः | इन्द्राय | विष्णवे | सोमः | कलशे | अक्षरत् | मधु-मान् | अस्तु | वायवे // ऋ. वे. ९,६३.३ //
एते | असृग्रम् | आशवः | अति | ह्वरांसि | बभ्रवः | सोमाः | ऋतस्य | धारया // ऋ. वे. ९,६३.४ //
इन्द्रम् | वर्धन्तः | अप्-तुरः | कृण्वन्तः | विश्वम् | आर्यम् | अप-घ्नन्तः | अराव्णः // ऋ. वे. ९,६३.५ //
//३०//.

-ऋ. वे. ७:१/३१-
सुताः | अनु | स्वम् | आ | रजः | अभि | अर्षन्ति | बभ्रवः | इन्द्रम् | गच्छन्तः | इन्दवः // ऋ. वे. ९,६३.६ //
अया | पवस्व | धारया | यया | सूर्यम् | अरोचयः | हिन्वानः | मानुषीः | अपः // ऋ. वे. ९,६३.७ //
अयुक्त | सूरः | एतशम् | पवमानः | मनौ | अधि | अन्तरिक्षेण | यातवे // ऋ. वे. ९,६३.८ //
उत | त्याः | हरितः | दश | सूरः | अयुक्त | यातवे | इन्दुः | इन्द्रः | इति | ब्रुवन् // ऋ. वे. ९,६३.९ //
परि | इतः | वायवे | सुतम् | गिरः | इन्द्राय | मत्सरम् | अव्यः | वारेषु | सिञ्चत // ऋ. वे. ९,६३.१० //
//३१//.

-ऋ. वे. ७:१/३२-
पवमान | विदाः | रयिम् | अस्मभ्यम् | सोम | दुस्तरम् | यः | दुः-नशः | वनुष्यता // ऋ. वे. ९,६३.११ //
अभि | अर्ष | सहस्रिणम् | रयिम् | गो-मन्तम् | अश्विनम् | अभि | वाजम् | उत | श्रवः // ऋ. वे. ९,६३.१२ //
सोमः | देवः | न | सूर्यः | अद्रि-भिः | पवते | सुतः | दधानः | कलशे | रसम् // ऋ. वे. ९,६३.१३ //
एते | धामानि | आर्या | शुक्राः | ऋतस्य | धारया | वाजम् | गो-मन्तम् | अक्षरन् // ऋ. वे. ९,६३.१४ //
सुताः | इन्द्राय | वज्रिणे | सोमासः | दधि-आशिरः | पवित्रम् | अति | अक्षरन् // ऋ. वे. ९,६३.१५ //
//३२//.

-ऋ. वे. ७:१/३३-
प्र | सोम | मधुमत्-तमः | राये | अर्ष | पवित्रे | आ | मदः | यः | देव-वीतमः // ऋ. वे. ९,६३.१६ //
तम् | ईम् इति | मृजन्ति | आयवः | हरिम् | नदीषु | वाजिनम् | इन्दुम् | इन्द्राय | मत्सरम् // ऋ. वे. ९,६३.१७ //
आ | पवस्व | हिरण्य-वत् | अश्व-वत् | सोम | वीर-वत् | वाजम् | गो-मन्तम् | आ | भर // ऋ. वे. ९,६३.१८ //
परि | वाजे | न | वाज-युम् | अव्यः | वारेषु | सिञ्चत | इन्द्राय | मधुमत्-तमम् // ऋ. वे. ९,६३.१९ //
कविम् | मृजन्ति | मर्ज्यम् | धीभिः | विप्राः | अवस्यवः | वृषा | कनिक्रत् | अषर्ति // ऋ. वे. ९,६३.२० //

//३३//.

-ऋ. वे. ७:१/३४-
वृषणम् | धीभिः | अप्-तुरम् | सोमम् | ऋतस्य | धारया | मती | विप्राः | सम् | अस्वरन् // ऋ. वे. ९,६३.२१ //
पवस्व | देव | आयुषक् | इन्द्रम् | गच्छतु | ते | मदः | वायुम् | आ | रोह | धर्मणा // ऋ. वे. ९,६३.२२ //
पवमान | नि | तोशसे | रयिम् | सोम | श्रवाय्यम् | प्रियः | समुद्रम् | आ | विश // ऋ. वे. ९,६३.२३ //
अप-घ्नन् | पावसे | मृधः | क्रतु-वित् | सोम | मत्सरः | नुदस्व | अदेव-युम् | जनम् // ऋ. वे. ९,६३.२४ //
पवमानाः | असृक्षत | सोमाः | शुक्रासः | इन्दवः | अभि | विश्वानि | काव्या // ऋ. वे. ९,६३.२५ //
//३४//.

-ऋ. वे. ७:१/३५-
पवमानासः | आशवः | शुभ्राः | असृग्रम् | इन्दवः | घ्नन्तः | विश्वाः | अप | द्विषः // ऋ. वे. ९,६३.२६ //
पवमानाः | दिवः | परि | अन्तरिक्षात् | असृक्षत | पृथिव्याः | अधि | सानवि // ऋ. वे. ९,६३.२७ //
पुनानः | सोम | धारया | इन्दो इति | विश्वा | अप | स्रिधः | जहि | रक्षांसि | सुक्रतो इतिसु-क्रतो // ऋ. वे. ९,६३.२८ //
अप-घ्नन् | सोम | रक्षसः | अभि | आर्ष | कनिक्रदत् | द्यु-मन्तम् | शुष्मम् | उत्-तमम् // ऋ. वे. ९,६३.२९ //
अस्मे इति | वसूनि | धारय | सोम | दिव्यानि | पार्थिवा | इन्दो इति | विश्वानि | वार्या // ऋ. वे. ९,६३.३० //
//३५//.

-ऋ. वे. ७:१/३६-
(ऋ. वे. ९,६४)
वृषा | सोम | द्यु-मान् | असि | वृषा | देव | वृष-व्रतः | वृषा | धर्माणि | दधिषे // ऋ. वे. ९,६४.१ //
वृष्णः | ते | वृष्ण्यम् | शवः | वृषा | वनम् | वृषा | मदः | सत्यम् | वृषन् | वृषा | इत् | असि // ऋ. वे. ९,६४.२ //
अश्वः | न | चक्रदः | वृषा | सम् | गाः | इन्दो इति | सम् | अर्वतः | वि | नः | राये | दुरः | वृधि // ऋ. वे. ९,६४.३ //
असृक्षत | प्र | वाजिनः | गव्या | सोमासः | अश्व-या | शुक्रासः | वीर-या | आशवः // ऋ. वे. ९,६४.४ //
शुम्भमानाः | ऋतयु-भिः | मृज्यमानाः | गभस्त्योः | पवन्ते | वारे | अव्यये // ऋ. वे. ९,६४.५ //
//३६//.

-ऋ. वे. ७:१/३७-
ते | विश्वा | दाशुषे | वसु | सोमाः | दिव्यानि | पार्थिवा | पवन्ताम् | आ | अन्तरिक्ष्या // ऋ. वे. ९,६४.६ //
पवमानस्य | विश्व-वित् | प्र | ते | सर्गाः | असृक्षत | सूर्यस्य-इव | न | रश्मयः // ऋ. वे. ९,६४.७ //
केतुम् | कृण्वन् | दिवः | परि | विश्वा | रूपा | अभि | आर्षसि | समुद्रः | सोम | पिन्वसे // ऋ. वे. ९,६४.८ //
हिन्वानः | वाचम् | इष्यसि | पवमान | वि-धर्मणि | अक्रान् | देवः | न | सूर्यः // ऋ. वे. ९,६४.९ //
इन्दुः | पविष्ट | चेतनः | प्रियः | कवीनाम् | मती | सृजत् | अश्वम् | रथीः-इव // ऋ. वे. ९,६४.१० //
//३७//.

-ऋ. वे. ७:१/३८-
ऊर्मिः | यः | ते | पवित्रे | आ | दव-अवीः | परि-अक्षरत् | सीदन् | ऋतस्य | योनिम् | आ // ऋ. वे. ९,६४.११ //
सः | नः | अर्ष | पवित्रे | आ | मदः | यः | देव-वीतमः | इन्दो इति | इन्द्राय | पीतये // ऋ. वे. ९,६४.१२ //
इषे | पवस्व | धारया | मृज्यमानः | मनीषि-भिः | इन्दो इति | रुचा | अभि | गाः | इहि // ऋ. वे. ९,६४.१३ //
पुनानः | वरिवः | कृधि | ऊर्जम् | जनाय | गिर्वणः | हरे | सृजानः | आशिरम् // ऋ. वे. ९,६४.१४ //
पुनानः | देव-वीतये | इन्द्रस्य | याहि | निः-कृतम् | द्युतानः | वाजि-भिः | यतः // ऋ. वे. ९,६४.१५ //
//३८//.

-ऋ. वे. ७:१/३९-
प्र | हिन्वानासः | इन्दवः | अच्छ | समुद्रम् | आशवः | धिया | जूताः | असृक्षत // ऋ. वे. ९,६४.१६ //
मर्मृजानासः | आयवः | वृथा | समुद्रम् | इन्दवः | अग्मन् | ऋतस्य | योनिम् | आ // ऋ. वे. ९,६४.१७ //
परि | नः | याहि | अस्म-युः | विश्वा | वसूनि | ओजसा | पाहि | नः | शर्म | वीर-वत् // ऋ. वे. ९,६४.१८ //
मिमाति | वह्निः | एतशः | पदम् | युजानः | ऋक्व-भिः | प्र | यत् | समुद्रे | आहितः // ऋ. वे. ९,६४.१९ //
आ | यत् | योनिम् | हिरण्ययम् | आशुः | ऋतस्य | सीदति | जहाति | अप्र-चेतसः // ऋ. वे. ९,६४.२० //
//३९//.

-ऋ. वे. ७:१/४०-
अभि | वेनाः | अनूषत | इयक्षन्ति | प्र-चेतसः | मज्जन्ति | अवि-चेतसः // ऋ. वे. ९,६४.२१ //
इन्द्राय | इन्दो इति | मरुत्वते | पवस्व | मधुमत्-तमः | ऋतस्य | योनिम् | आसदम् // ऋ. वे. ९,६४.२२ //
तम् | त्वा | विप्राः | वचः-विदः | परि | कृण्वन्ति | वेधसः | सम् | त्वा | मृजन्ति | आयवः // ऋ. वे. ९,६४.२३ //
रसम् | ते | मित्रः | अर्यमा | पिबन्ति | वरुणः | कवे | पवमानस्य | मरुतः // ऋ. वे. ९,६४.२४ //
त्वम् | सोम | विपः-चितम् | पुनानः | वाचम् | इष्यसि | इन्दो इति | सहस्र-भर्णसम् // ऋ. वे. ९,६४.२५ //
//४०//.

-ऋ. वे. ७:१/४१-
उतो इति | सहस्र-भर्णसम् | वाचम् | सोम | मखस्युवम् | पुनानः | इन्दो इति | आ | भर // ऋ. वे. ९,६४.२६ //
पुनानः | इन्दो इति | एषाम् | पुरु-हूत | जनानाम् | प्रियः | समुद्रम् | आ | विश // ऋ. वे. ९,६४.२७ //
दविद्युतत्या | रुचा | परि-स्तोभन्त्या | कृपा | सोमाः | शुक्राः | गो-आशिरः // ऋ. वे. ९,६४.२८ //
हिन्वानः | हेतृ-भिः | यतः | आ | वाजम् | वाजी | अक्रमीत् | सीदन्तः | वनुषः | यथा // ऋ. वे. ९,६४.२९ //
ऋधक् | सोम | स्वस्तये | सम्-जग्मानः | दिवः | कविः | पवस्व | सूर्यः | दृशे // ऋ. वे. ९,६४.३० //
//४१//.




-ऋ. वे. ७:२/१-
(ऋ. वे. ९,६५)
हिन्वन्ति | सूरम् | उस्रयः | स्वसारः | जामयः | पतिम् | महाम् | इन्दुम् | महीयुवः // ऋ. वे. ९,६५.१ //
पवमान | रुचारुचा | देवः | देवेभ्यः | परि | विश्वा | वसूनि | आ | विश // ऋ. वे. ९,६५.२ //
आ | पवमान | सु-स्तुतिम् | वृष्टिम् | देवेभ्यः | दुवः | इषे | पवस्व | सम्-यतम् // ऋ. वे. ९,६५.३ //
वृषा | हि | असि | भानुना | द्यु-मन्तम् | त्वा | हवामहे | पवमान | सु-आध्यः // ऋ. वे. ९,६५.४ //
आ | पावस्व | सु-वीर्यम् | मन्दमानः | सु-आयुध | इहो इति | सु | इन्दो इति | आ | गहि // ऋ. वे. ९,६५.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ७:२/२-
यत् | अत्-भिः | परि-सिच्यसे | मृज्यमानः | गभस्त्योः | द्रुणा | सध-स्थम् | अश्नुषे // ऋ. वे. ९,६५.६ //
प्र | सोमाय | व्यश्व-वत् | पवमानाय | गायत | महे | सहस्र-चक्षसे // ऋ. वे. ९,६५.७ //
यस्य | वर्णम् | मधु-श्चुतम् | हरिम् | हिन्वन्ति | अद्रि-भिः | इन्दुम् | इन्द्राय | पीतये // ऋ. वे. ९,६५.८ //
तस्य | ते | वाजिनः | वयम् | विश्वा | धनानि | जिग्युषः | सखि-त्वम् | आ | वृणीमहे // ऋ. वे. ९,६५.९ //
वृषा | पवस्व | धारया | मरुत्वते | च | मत्सरः | विश्वा | दधानः | ओजसा // ऋ. वे. ९,६५.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ७:२/३-
तम् | त्वा | धर्तारम् | ओण्योः | पवमान | स्वः-दृशम् | हिन्वे | वाजेषु | वाजिनम् // ऋ. वे. ९,६५.११ //
अया | चित्तः | विपा | अनया | हरिः | पवस्व | धारया | युजम् | वाजेषु | चोदय // ऋ. वे. ९,६५.१२ //
आ | नः | इन्दो इति | महीम् | इषम् | पवस्व | विश्व-दर्शतः | अस्मभ्यम् | सोम | गातु-वित् // ऋ. वे. ९,६५.१३ //
आ | कलशाः | अनूषत | इन्दो इति | धाराभिः | ओजसा | आ | इन्द्रस्य | पीतये | विश // ऋ. वे. ९,६५.१४ //
यस्य | ते | मद्यम् | रसम् | तीव्रम् | दुहन्ति | अद्रि-भिः | सः | पवस्व | अभि | माति-हा // ऋ. वे. ९,६५.१५ //
//३//.

-ऋ. वे. ७:२/४-
राजा | मेधाभिः | ईयते | पवमानः | मनौ | अधि | अन्तरिक्षेण | यातवे // ऋ. वे. ९,६५.१६ //
आ | नः | इन्दो इति | शत-ग्विनम् | गवाम् | पोषम् | सु-अश्व्यम् | वह | भगत्तिम् | ऊतये // ऋ. वे. ९,६५.१७ //
आ | नः | सोम | सहः | जुवः | रूपम् | न | वर्चसे | भर | सुस्वानः | देव-वीतये // ऋ. वे. ९,६५.१८ //
अर्ष | सोम | द्युमत्-तमः | अभि | द्रोणानि | रोरुवत् | सीदन् | श्येनः | न | योनिम् | आ // ऋ. वे. ९,६५.१९ //
अप्साः | इन्द्राय | वायवे | वरुणाय | मरुत्-भ्यः | सोमः | अर्षति | विष्णवे // ऋ. वे. ९,६५.२० //
//४//.

-ऋ. वे. ७:२/५-
इषम् | तोकाय | नः | दधत् | अस्मभ्यम् | सोम | विश्वतः | आ | पवस्व | सहस्रिणम् // ऋ. वे. ९,६५.२१ //
ये | सोमासः | परावति | ये | अर्वावति | सुन्विरे | ये | वादः | शर्यणावति // ऋ. वे. ९,६५.२२ //
ये | आर्जीकेषु | कृत्व-सु | ये | मध्ये | पस्त्यानाम् | ये | वा | जनेषु | पञ्च-सु // ऋ. वे. ९,६५.२३ //
ते | नः | वृष्टिम् | दिवः | परि | पवन्ताम् | आ | सु-वीर्यम् | सुवानाः | देवासः | इन्दवः // ऋ. वे. ९,६५.२४ //
पवते | हर्यतः | हरिः | गृणानः | जमत्-अग्निना | हिन्वानः | गोः | अधि | त्वचि // ऋ. वे. ९,६५.२५ //
//५//.

-ऋ. वे. ७:२/६-
प्र | शुक्रासः | वयः-जुवः | हिन्वानासः | न | सप्तयः | श्रीणानाः | अप्-सु | मृञ्जत // ऋ. वे. ९,६५.२६ //
तम् | त्वा | सुतेषु | आभुवः | हिन्विरे | देव-तातये | सः | पवस्व | अनया | रुचा // ऋ. वे. ९,६५.२७ //
आ | ते | दक्षम् | मयः-भुवम् | वह्निम् | अद्य | वृणीमहे | पान्तम् | आ | पुरु-स्पृहम् // ऋ. वे. ९,६५.२८ //
आ | मन्द्रम् | आ | वरेण्यम् | आ | विप्रम् | आ | मनीषिणम् | पान्तम् | आ | पुरु-स्पृहम् // ऋ. वे. ९,६५.२९ //
आ | रयिम् | आ | सु-चेतुनम् | आ | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | तनूषु | आ | पान्तम् | आ | पुरु-स्पृहम् // ऋ. वे. ९,६५.३० //
//६//.

-ऋ. वे. ७:२/७-
(ऋ. वे. ९,६६)
पवस्व | विश्व-चर्षणे | अभि | विश्वानि | काव्या | सखा | सखि-भ्यः | ईड्यः // ऋ. वे. ९,६६.१ //
ताभ्यम् | विश्वस्य | राजसि | ये | पवमान | धामनी इति | प्रतीची इति | सोम | तस्थतुः // ऋ. वे. ९,६६.२ //
परि | धामानि | यानि | ते | त्वम् | सोम | असि | विश्वतः | पवमान | ऋतु-भिः | कवे // ऋ. वे. ९,६६.३ //
पवस्व | जनयन् | इषः | अभि | विश्वानि | वार्या | सखा | सखि-भ्यः | ऊतये // ऋ. वे. ९,६६.४ //
तव | शुक्रासः | अर्चयः | दिवः | पृष्ठे | वि | तन्वते | पवित्रम् | सोम | धाम-भिः // ऋ. वे. ९,६६.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ७:२/८-
तव | इमे | सप्त | सिन्धवः | प्र-शिषम् | सोम | सिस्रते | तुभ्यम् | धावन्ति | धेनवः // ऋ. वे. ९,६६.६ //
प्र | सम | याहि | धारया | सुतः | इन्द्राय | मत्सरः | दधानः | अक्षिति | श्रवः // ऋ. वे. ९,६६.७ //
सम् | ॐ इति | त्वा | धीभिः | अस्वरन् | हिन्वतीः | सप्त | जामयः | विप्रम् | आजा | विवस्वतः // ऋ. वे. ९,६६.८ //
मृजन्ति | त्वा | सम् | अग्रुवः | अव्ये | जीरौ | अधि | स्वनि | रेभः | यत् | अज्यसे | वने // ऋ. वे. ९,६६.९ //
पवमानस्य | ते | कवे | वाजिन् | सर्गाः | असृक्षत | अर्वन्तः | न | श्रवस्यवः // ऋ. वे. ९,६६.१० //
//८//.

-ऋ. वे. ७:२/९-
अच्छ | कोशम् | मधु-श्चुतम् | असृग्रम् | वारे | अव्यये | अवावशन्त | धीतयः // ऋ. वे. ९,६६.११ //
अच्छ | समुद्रम् | इन्दवः | अस्तम् | गावः | न | धेनवः | अग्मन् | ऋतस्य | योनिम् | आ // ऋ. वे. ९,६६.१२ //
प्र | नः | इन्दो इति | महे | रणे | आपः | अर्षन्ति | सिन्धवः | यत् | गोभिः | वासयिष्यसे // ऋ. वे. ९,६६.१३ //
अस्य | ते | सख्ये | वयम् | इयक्षन्तः | त्वा-ऊतयः | इन्दो इति | सखि-त्वम् | उश्मसि // ऋ. वे. ९,६६.१४ //
आ | पावस्व | गो-इष्टये | महे | सोम | नृ-चक्षसे | आ | इन्द्रस्य | जठरे | विश // ऋ. वे. ९,६६.१५ //
//९//.

-ऋ. वे. ७:२/१०-
महान् | असि | सोम | ज्येष्ठः | उग्राणाम् | इन्दो इति | ओजिष्ठः | युध्वा | सन् | शश्वत् | जिगेथ // ऋ. वे. ९,६६.१६ //
यः | उग्रेभ्यः | चित् | ओजीयान् | शूरेभ्यः | चित् | शूर-तरः | भूरि-दाभ्यः | चित् | मंहीयान् // ऋ. वे. ९,६६.१७ //
त्वम् | सोम | सूरः | आ | इषः | तोकस्य | साता | तनूनाम् | वृणीमहे | सख्याय | वृणीमहे | युज्याय // ऋ. वे. ९,६६.१८ //
अग्ने | आयूंषि | पवसे | आ | सुव | ऊर्जम् | इषम् | च | नः | आरे | बाधस्व | दुच्छुनाम् // ऋ. वे. ९,६६.१९ //
अग्निः | ऋषिः | पवमानः | पाञ्च-जन्यः | पुरः-हितः | तम् | ईमहे | महागयम् // ऋ. वे. ९,६६.२० //
//१०//.

-ऋ. वे. ७:२/११-
अग्ने | पवस्व | सु-अपाः | अस्मे इति | वर्चः | सु-वीर्यम् | दधत् | रयिम् | मयि | पोषम् // ऋ. वे. ९,६६.२१ //
पवमानः | अति | स्रिधः | अभि | अर्षति | सु-स्तुतिम् | सूरः | न | विश्व-दर्शतः // ऋ. वे. ९,६६.२२ //
सः | मर्मृजानः | आयु-भिः | प्रयस्वान् | प्रयसे | हितः | इन्दुः | अत्यः | वि-चक्षणः // ऋ. वे. ९,६६.२३ //
पवमानः | ऋतम् | बृहत् | शुक्रम् | ज्योतिः | अजीजनत् | कृष्णा | तमांसि | जङ्घनत् // ऋ. वे. ९,६६.२४ //
पवमानस्य | जङ्घ्नतः | हरेः | चन्द्राः | असृक्षत | जीराः | अजिर-शोचिषः // ऋ. वे. ९,६६.२५ //
//११//.

-ऋ. वे. ७:२/१२-
पवमानः | रथि-तमः | शुभ्रेभिः | शुभ्रशः-तमः | हरि-चन्द्रः | मरुत्-गणः // ऋ. वे. ९,६६.२६ //
पवमानः | वि | अश्नवत् | रश्मि-भिः | वाज-सातमः | दधत् | स्तोत्रे | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. ९,६६.२७ //
प्र | सुवानः | इन्दुः | अक्षारिति | पवित्रम् | अति | अव्ययम् | पुनानः | इन्दुः | इन्द्रम् | आ // ऋ. वे. ९,६६.२८ //
एषः | सोमः | अधि | त्वचि | गवाम् | क्रीऌअति | अद्रि-भिः | इन्द्रम् | मदाय | जोहुवत् // ऋ. वे. ९,६६.२९ //
यस्य | ते | द्युम्न-वत् | पयः | पवमान | आभृतम् | दिवः | तेन | नः | मृऌअ | जीवसे // ऋ. वे. ९,६६.३० //
//१२//.

-ऋ. वे. ७:२/१३-
(ऋ. वे. ९,६७)
त्वम् | सोम | असि | धारयुः | मन्द्रः | ओजिष्ठः | अध्वरे | पवस्व | मंहयत्-रयिः // ऋ. वे. ९,६७.१ //
त्वम् | सुतः | नृ-मादनः | दधन्वान् | मत्सरिन्-तमः | इन्द्राय | सूरिः | अन्धसा // ऋ. वे. ९,६७.२ //
त्वम् | सुस्वानः | अद्रि-भिः | अभि | अर्ष | कनिक्रदत् | द्यु-मन्तम् | शुष्मम् | उत्-तमम् // ऋ. वे. ९,६७.३ //
इन्दुः | हिन्वानः | अर्षति | तिरः | वाराणि | अव्यया | हरिः | वाजम् | अचिक्रदत् // ऋ. वे. ९,६७.४ //
इन्दो इति | वि | अव्यम् | अर्षसि | वि | श्रवांसि | वि | सौभगा | वि | वाजान् | सोम | गो-मतः // ऋ. वे. ९,६७.५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ७:२/१४-
आ | नः | इन्दो इति | शत-ग्विनम् | रयिम् | गो-मन्तम् | अश्विनम् | भर | सोम | सहस्रिणम् // ऋ. वे. ९,६७.६ //
पवमानासः | इन्दवः | तिरः | पवित्रम् | आशवः | इन्द्रम् | यामेभिः | आशत // ऋ. वे. ९,६७.७ //
ककुहः | सोम्यः | रसः | इन्दुः | इन्द्राय | पूर्व्यः | आयुः | पवते | आयवे // ऋ. वे. ९,६७.८ //
हिन्वन्ति | सूरम् | उस्रयः | पवमानम् | मधु-श्चुतम् | अभि | गिरा | सम् | अस्वरन् // ऋ. वे. ९,६७.९ //
अविता | नः | अज-अश्वः | पूषा | यामनि-यामनि | आ | भक्षत् | कन्यासु | नः // ऋ. वे. ९,६७.१० //
//१४//.

-ऋ. वे. ७:२/१५-
अयम् | सोमः | कपर्दिने | घृतम् | न | पवते | मधु | आ | भक्षत् | कन्यासु | नः // ऋ. वे. ९,६७.११ //
अयम् | ते | आघृणे | सुतः | घृतम् | न | पवते | शुचि | आ | भक्षत् | कन्यासु | नः // ऋ. वे. ९,६७.१२ //
वाचः | जन्तुः | कवीनाम् | पवस्व | सोम | धारया | देवेषु | रत्न-धाः | असि // ऋ. वे. ९,६७.१३ //
आ | कलशेषु | धावति | श्येनः | वर्म | वि | गाहते | अभि | द्रोणा | कनिक्रदत् // ऋ. वे. ९,६७.१४ //
परि | प्र | सोम | ते | रसः | असर्जि | कलशे | सुतः | श्येनः | न | तक्तः | अर्षति // ऋ. वे. ९,६७.१५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ७:२/१६-
पवस्व | सोम | मन्दयन् | इन्द्राय | मधुमत्-तमः // ऋ. वे. ९,६७.१६ //
असृग्रन् | देव-वीतये | वाज-यन्तः | रथाः-इव // ऋ. वे. ९,६७.१७ //
ते | सुतासः | मदिन्-तमाः | शुक्राः | वायुम् | असृक्षत // ऋ. वे. ९,६७.१८ //
ग्राव्णा | तुन्नः | अभि-स्तुतः | पवित्रम् | सोम | गच्छसि | दधत् | स्तोत्रे | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. ९,६७.१९ //
एषः | तुन्नः | अभि-स्तुतः | पवित्रम् | अति | गाहते | रक्षः-हा | वारम् | अव्ययम् // ऋ. वे. ९,६७.२० //
//१६//.

-ऋ. वे. ७:२/१७-
यत् | अन्ति | यत् | च | दूरके | भयम् | विन्दति | माम् | इह | पवमान | वि | तत् | जहि // ऋ. वे. ९,६७.२१ //
पवमानः | सः | अद्य | नः | पवित्रेण | वि-चर्षणिः | यः | पोता | सः | पुनातु | नः // ऋ. वे. ९,६७.२२ //
यत् | ते | पवित्रम् | अर्चिषि | अग्ने | वि-ततम् | अन्तः | आ | ब्रह्म | तेन | पुनीहि | नः // ऋ. वे. ९,६७.२३ //
यत् | ते | पवित्रम् | अर्चि-वत् | अग्ने | तेन | पुनीहि | नः | ब्रह्म-सवैः | पुनीहि | नः // ऋ. वे. ९,६७.२४ //
उभाभ्याम् | देव | सवितः | पवित्रेण | सवेन | च | माम् | पुनीहि | विश्वतः // ऋ. वे. ९,६७.२५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ७:२/१८-
त्रि-भिः | त्वम् | देव | सवितः | वर्षिष्ठैः | सोम | धाम-भिः | अग्ने | दक्षैः | पुनीहि | नः // ऋ. वे. ९,६७.२६ //
पुनन्तु | माम् | देव-जनाः | पुनन्तु | वसवः | धिया | विश्वे | देवाः | पुनीत | मा | जात-वेदः | पुनीहि | मा // ऋ. वे. ९,६७.२७ //
प्र | प्यायस्व | प्र | स्यन्दस्व | सोम | विश्वेभिः | अंशु-भिः | देवेभ्यः | उत्-तमम् | हविः // ऋ. वे. ९,६७.२८ //
उप | प्रियम् | पनिप्नतम् | युवानम् | आहुति-वृधम् | अगन्म | बिभ्रतः | नमः // ऋ. वे. ९,६७.२९ //
अलाय्यस्य | परशुः | ननाश | तम् | आ | पवस्व | देव | सोम | आखुम् | चित् | एव | देव | सोम // ऋ. वे. ९,६७.३० //
यः | पावमानीः | अधि-एति | ऋषि-भिः | सम्-भृतम् | रसम् | सर्वम् | सः | पूतम् | अश्नाति | स्वदितम् | मातरिश्वना // ऋ. वे. ९,६७.३१ //
पावमानीः | यः | अधि-एति | ऋषि-भिः | सम्-भृतम् | रसम् | तस्मै | सरस्वती | दुहे | क्षीरम् | सर्पिः | मधु | उदकम् // ऋ. वे. ९,६७.३२ //
//१८//.

-ऋ. वे. ७:२/१९-
(ऋ. वे. ९,६८)
प्र | देवम् | अच्छ | मधु-मन्तः | इन्दवः | असिस्यदन्त | गावः | आ | न | धेनवः | बर्हि-सदः | वचनावन्तः | ऊध-भिः | परि-स्रुतम् | उस्रियाः | निः-निजम् | धिरे // ऋ. वे. ९,६८.१ //
सः | रोरुवत् | अभि | पूर्वाः | अचिक्रदत् | उप-आरुहः | श्रथयन् | स्वादते | हरिः | तिरः | पवित्रम् | परि-यन् | उरु | ज्रयः | नि | शर्याणि | दधते | देवः | आ | वरम् // ऋ. वे. ९,६८.२ //
वि | यः | ममे | यम्या | संयती इतिसम्-यती | मदः | साकाम्-वृधा | पयसा | पिन्वत् | अक्षिता | मही इति | अपारे इति | रजसी इति | वि-वेविदत् | अभि-व्रजन् | अक्षितम् | पाजः | आ | ददे // ऋ. वे. ९,६८.३ //
सः | मातरा | वि-चरन् | वाज-यन् | अपः | प्र | मेधिरः | स्वधया | पिन्वते | पदम् | अंशुः | यवेन | पिपिशे | यतः | नृ-भिः | सम् | जामि-भिः | नसते | रक्षते | शिरः // ऋ. वे. ९,६८.४ //
सम् | दक्षेण | मनसा | जायते | कविः | ऋतस्य | गर्भः | नि-हितः | यमा | परः | यूना | ह | सन्ता | प्रथमम् | वि | जज्ञतुः | गुहा | हितम् | जनिम | नेमम् | उत्-यतम् // ऋ. वे. ९,६८.५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ७:२/२०-
मन्द्रस्य | रूपम् | विविदुः | मनीषिणः | श्येनः | यत् | अन्धः | अभरत् | परावतः | तम् | मर्जयन्त | सु-वृधम् | नदीषु | आ | उशन्तम् | अंशुम् | परि-यन्तम् | ऋग्मियम् // ऋ. वे. ९,६८.६ //
त्वाम् | मृजन्ति | दश | योषणः | सुतम् | सोम | ऋषि-भिः | मति-भिः | धीति-भिः | हितम् | अव्यः | वारेभिः | उत | देवहूति-भिः | नृ-भिः | यतः | वाजम् | आ | दर्षि | सातये // ऋ. वे. ९,६८.७ //
परि-प्रयन्तम् | वय्यम् | सु-संसदम् | सोमम् | मनीषाः | अभि | अनूषत | स्तुभः | यः | धारया | मधु-मान् | ऊर्मिणा | दिवः | इयर्ति | वाचम् | रयिषाट् | अमर्त्यः // ऋ. वे. ९,६८.८ //
अयम् | दिवः | इयर्ति | विश्वम् | आ | रजः | सोमः | पुनानः | कलशेषु | सीदति | अत्-भिः | गोभिः | मृज्यते | अद्रि-भिः | सुतः | पुनानः | इन्दुः | वरिवः | विदत् | प्रियम् // ऋ. वे. ९,६८.९ //
एव | नः | सोम | परि-सिच्यमानः | वयः | दधत् | चित्र-तमम् | पवस्व | अद्वेषे | द्यावापृथिवी इति | हुवेम | देवाः | धत्त | रयिम् | अस्मे इति | सु-वीरम् // ऋ. वे. ९,६८.१० //
//२०//.

-ऋ. वे. ७:२/२१-
(ऋ. वे. ९,६९)
इषुः | न | धन्वन् | प्रति | धीयते | मतिः | वत्सः | न | मातुः | उप | सर्जि | ऊर्धनि | उरुधारा-इव | दुहे | अग्रे | आयती | अस्य | व्रतेषु | अपि | सोमः | इष्यते // ऋ. वे. ९,६९.१ //
उपो इति | मतिः | पृच्यते | सिअयते | मधु | मन्द्र-अजनी | चोदते | अन्तः | आसनि | पवमानः | सम्-तनिः | प्रघ्नताम्-इव | मधु-मान् | द्रप्सः | परि | वारम् | अर्षति // ऋ. वे. ९,६९.२ //
अव्ये | वधू-युः | पवते | परि | त्वचि | श्रथ्नाईते | नप्तीः | अदितेः | ऋतम् | यते | हरिः | अक्रान् | यजतः | सम्-यतः | मदः | नृम्ना | शिशानः | महिषः | न | शोभते // ऋ. वे. ९,६९.३ //
उक्षा | मिमाति | प्रति | यन्ति | धेनवः | देवस्य | देवीः | उप | यन्ति | निः-कृतम् | अति | अक्रमीत् | अर्जुनम् | वारम् | अव्ययम् | अत्कम् | न | निक्तम् | परि | सोमः | अव्यत // ऋ. वे. ९,६९.४ //
अमृक्तेन | रुशता | वाससा | हरिः | अमर्त्यः | निः-निजानः | परि | व्यत | दिवः | पृष्ठम् | बर्हणा | निः-निजे | कृत | उप-स्तरणम् | चम्वोः | नभस्मयम् // ऋ. वे. ९,६९.५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ७:२/२२-
सूर्यस्य-इव | रश्मयः | द्रवयित्नवः | मत्सरासः | प्र-सुपः | साकम् | ईरते | तन्तुम् | ततम् | परि | सर्गासः | आशवः | न | इन्द्रात् | ऋते | पवते | धाम | किम् | चन // ऋ. वे. ९,६९.६ //
सिन्धोः-इव | प्रवणे | निम्ने | आशवः | वृष-च्युताः | मदासः | गातुम् | आशत | शम् | नः | नि-वेशे | द्वि-पदे | चतुः-पदे | अस्मे इति | वाजाः | सोम | तिष्ठन्तु | कृष्टयः // ऋ. वे. ९,६९.७ //
आ | नः | पवस्व | वसु-मत् | हिरण्य-वत् | अश्व-वत् | गो-मत् | यव-मत् | सु-वीर्यम् | यूयम् | हि | सोम | पितरः | मम | स्थन | दिवः | मूर्धानः | प्र-स्थिताः | वयः-कृतः // ऋ. वे. ९,६९.८ //
एते | सोमाः | पवमानासः | इन्द्रम् | रथाः-इव | प्र | ययुः | सातिम् | अच्छ | सुताः | पवित्रम् | अति | यन्ति | अव्यम् | हित्वी | वव्रिम् | हरितः | वृष्टिम् | अच्छ // ऋ. वे. ९,६९.९ //
इन्दो इति | इन्द्राय | बृहते | पवस्व | सु-मृऌईकः | अनवद्यः | रिशादाः | भर | चन्द्राणि | गृणते | वसूनि | देवैः | द्यावापृथिवी इति | प्र | अवतम् | नः // ऋ. वे. ९,६९.१० //
//२२//.

-ऋ. वे. ७:२/२३-
(ऋ. वे. ९,७०)
त्रिः | अस्मै | सप्त | धेनवः | दुदुह्रे | सत्याम् | आशिरम् | पूर्व्ये | व्योमनि | चत्वारि | अन्या | भुवनानि | निर्णिजे | चारूणि | चक्रे | यत् | ऋतैः | अवर्धत // ऋ. वे. ९,७०.१ //
सः | भिक्षमाणः | अमृतस्य | चारुणः | उभे इति | द्यावा | काव्येन | वि | शश्रथे | तेजिष्ठाः | अपः | मंहना | परि | व्यत | यदि | देवस्य | श्रवसा | सदः | विदुः // ऋ. वे. ९,७०.२ //
ते | अस्य | सन्तु | केतवः | अमृत्यवः | अदाभ्यासः | जनुषी इति | उभे इति | अनु | येभिः | नृम्णा | च | देव्या | च | पुनते | आत् | इत् | राजानम् | मननाः | अगृभ्णत // ऋ. वे. ९,७०.३ //
सः | मृज्यमानः | दश-भिः | सुकर्म-भिः | प्र | मध्यमासु | मातृषु | प्र-मे | सचा | व्रतानि | पानः | अमृतस्य | चारुणः | उभे इति | नृ-चक्षाः | अनु | पश्यते | विशौ // ऋ. वे. ९,७०.४ //
सः | मर्मृजानः | इन्द्रियाय | धायसे | आ | उभे इति | अन्तरिति | रोदसी इति | हर्षते | हितः | वृषा | शुष्मेण | बाधते | वि | दुः-मतीः | आदेदिशानः | शयर्हा-इव | शुरुधः // ऋ. वे. ९,७०.५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ७:२/२४-
सः | मातरा | न | ददृशानः | उस्रियः | नानदत् | एति | मरुताम्-इव | स्वनः | जानन् | ऋतम् | प्रथमम् | यत् | स्वः-नरम् | प्र-शस्तये | कम् | अवृणीत | सु-क्रतुः // ऋ. वे. ९,७०.६ //
रुवति | भीमः | वृषभः | तविष्यया | शृङ्गेइति | शिशानः | हरिणी इति | वि-चक्षणः | आ | योनिम् | सोमः | सु-कृतम् | नि | सीदति | गव्ययी | त्वक् | भवति | निः-निक् | अव्ययी // ऋ. वे. ९,७०.७ //
शुचिः | पुनानः | तन्वम् | अरेपसम् | अव्ये | हरिः | नि | अधाविष्ट | सानवि | जुष्टः | मित्राय | वरुणाय | वायवे | त्रि-धातु | मधु | क्रियते | सुकर्म-भिः // ऋ. वे. ९,७०.८ //
पवस्व | सोम | देव-वीतये | वृषा | इन्द्रस्य | हार्दि | सोम-धानम् | आ | विश | पुरा | नः | बाधात् | दुः-इता | अति | पारय | क्षेत्र-वित् | हि | दिशः | आह | वि-पृच्छते // ऋ. वे. ९,७०.९ //
हितः | न | सप्तिः | अभि | वाजम् | अर्ष | न्द्रस्य | इन्दो इति | जठरम् | आ | पवस्व | नावा | न | सिन्धुम् | अति | पर्षि | विद्वान् | शूरः | न | युध्यन् | अव | नः | निदः | स्परितिस्पः // ऋ. वे. ९,७०.१० //
//२४//.

-ऋ. वे. ७:२/२५-
(ऋ. वे. ९,७१)
आ | दक्षिणा | सृज्यते | शुष्मी | आसदम् | वेति | द्रुहः | रक्षसः | पाति | जागृविः | हरिः | ओपशम् | कृणुते | नभः | पयः | उप-स्तिरे | चम्वोः | ब्रह्म | निः-निजे // ऋ. वे. ९,७१.१ //
प्र | कृष्टिहा-इव | शूषः | एति | रोरुवत् | असुर्यम् | वर्णम् | नि | रिणीते | अस्य | तम् | जहाति | वव्रिम् | पितुः | एति | निः-कृतम् | उप-प्रुतम् | कृणुते | निः-निजम् | तना // ऋ. वे. ९,७१.२ //
अद्रि-भिः | सुतः | पवते | गभस्त्योः | वृषायते | नभसा | वेपते | मती | सः | मोदते | नसते | साधते | गिरा | नेनिक्ते | अप्-सु | यजते | परीमणि // ऋ. वे. ९,७१.३ //
परि | द्युक्षम् | सहसः | पर्वत-वृधम् | मध्वः | सिञ्चन्ति | हर्म्यस्य | सक्षणिम् | आ | यस्मिन् | गावः | सुहुत-आदः | ऊधनि | मूर्धन् | श्रीणन्ति | अग्रियम् | वरीम-भिः // ऋ. वे. ९,७१.४ //
सम् | ईम् इति | रथम् | न | भुरिजोः | अहेषत | दश | स्वसारः | अदितेः | उप-स्थे | आ | जिगात् | उप | ज्रयति | गोः | अपीच्यम् | पदम् | यत् | अस्य | मतुथाः | अजीजनन् // ऋ. वे. ९,७१.५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ७:२/२६-
श्येनः | न | योनिम् | सदनम् | धिया | कृतम् | हिरण्ययम् | आसदम् | देवः | आ | ईषति | आ | ईम् इति | रिणन्ति | बर्हिषि | प्रियम् | गिरा | अश्वः | न | देवान् | अपि | एति | यज्ञियः // ऋ. वे. ९,७१.६ //
परा | वि-अक्तः | अरुषः | दिवः | कविः | वृषा | त्रि-पृष्ठः | अनविष्ट | गाः | अभि | सहस्र-नीतिः | यतिः | परायतिः | रेभः | न | पूर्वीः | उषसः | वि | राजति // ऋ. वे. ९,७१.७ //
त्वेषम् | रूपम् | कृणुते | वर्णः | अस्य | सः | यत्र | अशयत् | सम्-ऋता | सेधति | स्रिधः | अप्साः | याति | स्वधया | दैव्यम् | जनम् | सम् | सु-स्तुती | नसते | सम् | गो-अग्रया // ऋ. वे. ९,७१.८ //
उक्षा-इव | यूथा | परि-यन् | अरावीत् | अधि | त्विषीः | अधित | सूर्यस्य | दिव्यः | सु-पर्णः | अव | चक्षत | क्षाम् | सोमः | परि | क्रतुना | पश्यते | जाः // ऋ. वे. ९,७१.९ //
//२६//.

-ऋ. वे. ७:२/२७-
(ऋ. वे. ९,७२)
हरिम् | मृजन्ति | अरुषः | न | युज्यते | सम् | धेनु-भिः | कलशे | सोमः | अज्यते | उत् | वाचम् | ईरयति | हिन्वते | मती | पुरु-स्तुतस्य | कति | चित् | परि-प्रियः // ऋ. वे. ९,७२.१ //
साकम् | वदन्ति | बहवः | मनीषिणः | इन्द्रस्य | सोमम् | जठरे | यत् | आदुहुः | यदि | मृजन्ति | सु-गभस्तयः | नरः | स-नीऌआभिः | दश-भिः | काम्यम् | मधु // ऋ. वे. ९,७२.२ //
अरममाणः | अति | एति | गाः | अभि | सूर्यस्य | प्रियम् | दुहितुः | तिरः | रवम् | अनु | अस्मै | जोषम् | अभरत् | विनम्-गृसः | सम् | द्वयीभिः | स्वसृ-भिः | क्षेति | जामि-भिः // ऋ. वे. ९,७२.३ //
नृ-धूतः | अद्रि-सुतः | बर्हिषि | प्रियः | पतिः | गवाम् | प्र-दिवः | इन्दुः | ऋत्वियः | पुरन्धि-वान् | मनुषः | यज्ञ-साधनः | शुचिः | धिया | पवते | सोमः | इन्द्र | ते // ऋ. वे. ९,७२.४ //
नृबाहु-भ्याम् | चोदितः | धारया | सुतः | अनु-स्वधम् | पवते | सोमः | इन्द्र | ते | आ | अप्राः | क्रतून् | सम् | अजैः | अध्वरे | मतीः | वेः | न | द्रुषत् | चम्वोः | आ | असदत् | हरिः // ऋ. वे. ९,७२.५ //
//२७//.

-ऋ. वे. ७:२/२८-
अंशुम् | दुहन्ति | स्तनयन्तम् | अक्षितम् | कविम् | कवयः | अपसः | मनीषिणः | सम् | ईम् इति | गावः | मतयः | यन्ति | सम्-यतः | ऋतस्य | योना | सदने | पुनः-भुवः // ऋ. वे. ९,७२.६ //
नाभा | पृथिव्याः | धरुणः | महः | दिवः | अपाम् | ऊर्मौ | सिन्धुषु | अन्तः | उक्षितः | इन्द्रस्य | वज्रः | वृषभः | विभु-वसुः | सोमः | हृदे | पवते | चारु | मत्सरः // ऋ. वे. ९,७२.७ //
सः | तु | पवस्व | परि | पार्थिवम् | रजः | स्तोत्रे | शिक्षन् | आधून्वते | च | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | मा | नः | निः | भाक् | वसुनः | सादन-स्पृशः | रयिम् | पिशङ्गम् | बहुलम् | वसीमहि // ऋ. वे. ९,७२.८ //
आ | तु | नः | इन्दो इति | शत-दातु | अश्व्यम् | सहस्र-दातु | पशु-मत् | हिरण्य-वत् | उप | मास्व | बृहतीः | रेवतीः | इषः | अधि | स्तोत्रस्य | पवमान | नः | गहि // ऋ. वे. ९,७२.९ //
//२८//.

-ऋ. वे. ७:२/२९-
(ऋ. वे. ९,७३)
स्रक्वे | द्रप्सस्य | धमतः | सम् | अस्वरन् | ऋतस्य | योना | सम् | अरन्त | नाभयः | त्रीन् | सः | मूर्ध्नः | असुरः | चक्रे | आरभे | सत्यस्य | नावः | सु-कृतम् | अपीपरन् // ऋ. वे. ९,७३.१ //
सम्यक् | सम्यञ्चः | महिषाः | अहेषत | सिन्धोः | ऊर्मौ | अधि | वेनाः | अवीविपन् | मधोः | धाराभिः | जनयन्तः | अर्कम् | इत् | प्रियाम् | इन्द्रस्य | तन्वम् | अवीवृधन् // ऋ. वे. ९,७३.२ //
पवित्र-वन्तः | परि | वाचम् | आसते | पितआ | एषाम् | प्रत्नः | अभि | रक्षति | व्रतम् | महः | समुद्रम् | वरुणः | तिरः | दधे | धीराः | इत् | शेकुः | धरुणेषु | आरभम् // ऋ. वे. ९,७३.३ //
सहस्र-धारे | अव | ते | सम् | असरन् | दिवः | नाके | मधु-जिह्वाः | असश्चतः | अस्य | स्पशः | न | नि | मिषन्ति | भूर्णयः | पदे-पदे | पाशिनः | सन्ति | सेतवः // ऋ. वे. ९,७३.४ //
पितुः | मातुः | अधि | आ | ये | सम्-अस्वरन् | ऋचा | शोचन्तः | सम्-दहन्तः | अव्रतान् | इन्द्र-द्विष्टाम् | अप | धमन्ति | मायया | त्वचम् | असिक्नीम् | भूमनः | दिवः | परि // ऋ. वे. ९,७३.५ //
//२९//.

-ऋ. वे. ७:२/३०-
प्रत्नात् | मानात् | अधि | आ | ये | सम्-अस्वरन् | श्लोक-यन्त्रासः | रभसस्य | मन्तवः | अप | अनक्षासः | बधिराः | अहासत | ऋतस्य | पन्थाम् | न | तरन्ति | दुः-कृतः // ऋ. वे. ९,७३.६ //
सहस्र-धारे | वि-तते | पवित्रे | आ | वाचम् | पुनन्ति | कवयः | मनीषिणः | रुद्रासः | एषाम् | इषिरासः | अद्रुहः | स्पशः | सु-अञ्चः | सु-दृशः | नृ-चक्षसः // ऋ. वे. ९,७३.७ //
ऋतस्य | गोपाः | न | दभाय | सु-क्रतुः | त्री | सः | पवित्रा | हृदि | अन्तः | आ | दधे | विद्वान् | सः | विश्वा | भुवना | अभि | पश्यति | अव | अजुष्टान् | विध्यति | कर्ते | अव्रतान् // ऋ. वे. ९,७३.८ //
ऋतस्य | तन्तुः | वि-ततः | पवित्रे | आ | जिह्वायाः | अग्रे | वरुणस्य | मायया | धीराः | चित् | तत् | सम्-इनक्षन्तः | आशत | अत्र | कर्तम् | अव | पदाति | अप्र-भुः // ऋ. वे. ९,७३.९ //
//३०//.

-ऋ. वे. ७:२/३१-
(ऋ. वे. ९,७४)
शिशुः | न | जातः | अव | चक्रदत् | वने | स्वः | यत् | वाजी | अरुषः | सिसासति | दिवः | रेतसा | सचते | पयः-वृधा | तम् | ईमहे | सु-मती | शर्म | स-प्रथः // ऋ. वे. ९,७४.१ //
दिवः | यः | स्कम्भः | धरुणः | सु-आततः | आपूर्णः | अंशुः | परि-एति | विश्वतः | सः | इमे इति | मही इति | रोदसी इति | यक्षत् | आवृता | समीचीने इतिसम्-ईचीने | दाहार | सम् | इषः | कविः // ऋ. वे. ९,७४.२ //
महि | प्सरः | सु-कृतम् | सोम्यम् | मधु | उर्वी | गव्यूतिः | अदितेः | ऋतम् | यते | ईशे | यः | वृष्टेः | इतः | उस्रियः | वृषा | अपाम् | नेता | यः | इतः-ऊतिः | ऋग्मियः // ऋ. वे. ९,७४.३ //
आत्मन्-वत् | नभः | दुह्यते | घृतम् | पयः | ऋतस्य | नाभिः | अमृतम् | वि | जायते | समीचीनाः | सु-दानवः | प्रीणन्ति | तम् | नरः | हितम् | अव | मेहन्ति | पेरवः // ऋ. वे. ९,७४.४ //
अरावीत् | अंशुः | सचमानः | ऊर्मिणा | देव-अव्यम् | मनुषे | पिन्वति | त्वचम् | दधाति | गर्भम् | अदितेः | उप-स्थे | आ | येन | तोकम् | च | तनयम् | च | धामहे // ऋ. वे. ९,७४.५ //
//३१//.

-ऋ. वे. ७:२/३२-
सहस्र-धारे | अव | ताः | असश्चतः | तृतीये | सन्तु | रजसि | प्रजावतीः | चतस्रः | नाभः | नि-हिताः | अवः | दिवः | हविः | भरन्ति | अमृतम् | घृत-श्चुतः // ऋ. वे. ९,७४.६ //
श्वेतम् | रूपम् | कृणुते | यत् | सिसासति | सोमः | मीढवान् | असुरः | वेद | भूमनः | धिया | शमी | सचते | सः | ईम् | अभि | प्र-वत् | दिवः | कवन्धम् | अव | दर्षत् | उद्रिणम् // ऋ. वे. ९,७४.७ //
अध | श्वेतम् | कलशम् | गोभिः | अक्तम् | कार्ष्मन् | आ | वाजी | अक्रमीत् | सस-वान् | आ | हिन्विरे | मनसा | देव-यन्तः | कक्षीवते | शत-हिमाय | गोनाम् // ऋ. वे. ९,७४.८ //
अत्-भिः | सोम | पपृचानस्य | ते | रसः | अव्यः | वारम् | वि | पवमान | धावति | सः | मृज्यमानः | कवि-भिः | मदिन्-तम | स्वदस्व | इन्द्राय | पवमान | पीतये // ऋ. वे. ९,७४.९ //
//३२//.

-ऋ. वे. ७:२/३३-
(ऋ. वे. ९,७५)
अभि | प्रियाणि | पवते | चनः-हितः | नामानि | यह्वः | अधि | येषु | वर्धते | आ | सूर्यस्य | बृहतः | बृहन् | अधि | रथम् | विष्वञ्चम् | अरुहत् | वि-चक्षणः // ऋ. वे. ९,७५.१ //
ऋतस्य | जिह्वा | पवते | मधु | प्रियम् | वक्ता | पतिः | धियः | अस्याः | अदाभ्यः | दधाति | पुत्रः | पित्रोः | अपीच्यम् | नाम | तृतीयम् | अधि | रोचने | दिवः // ऋ. वे. ९,७५.२ //
अव | द्युतानः | कलशान् | अचिक्रदन् | नृ-भिः | वेमानः | कोशे | आ | हिरण्यये | अभि | ईम् | ऋतस्य | दोहनाः | अनूषत | अधि | त्रि-पृष्ठः | उषसः | वि | राजति // ऋ. वे. ९,७५.३ //
अद्रि-भिः | सुतः | मति-भिः | चनः-हितः | प्र-रोचयन् | रोदसी इति | मातरा | शुचिः | रोमाणि | अव्या | समया | वि | धावति | मधोः | धारा | पिन्वमाना | दिवे-दिवे // ऋ. वे. ९,७५.४ //
परि | सोम | प्र | धन्व | स्वस्तये | नृ-भिः | पुनानः | अभि | वासय | आशिरम् | ये | ते | मदाः | आहनसः | वि-हायसः | तेभिः | इन्द्रम् | चोदय | दातवे | मघम् // ऋ. वे. ९,७५.५ //
//३३//.



-ऋ. वे. ७:३/१-
(ऋ. वे. ९,७६)
धर्ता | दिवः | पवते | कृत्व्यः | रसः | दक्षः | देवानाम् | अनु-माद्यः | नृ-भिः | हरिः | सृजानः | अत्यः | न | सत्व-भिः | वृथा | पाजांसि | कृणुते | नदीषु | आ // ऋ. वे. ९,७६.१ //
शूरः | न | धत्ते | आयुधा | गभस्त्योः | स्वर् इति स्वः | सिसासन् | रथिरः | गो-इष्टिषु | इन्द्रस्य | शुष्मम् | ईरयन् | अपस्यु-भिः | इन्दुः | हिन्वानः | अज्यते | मनीषि-भिः // ऋ. वे. ९,७६.२ //
इन्द्रस्य | सोम | पवमानः | ऊर्मिणा | तविष्यमाणः | जठरेषु | आ | विश | प्र | नः | पिन्व | वि-द्युत् | अभ्रा-इव | रोदसी इति | धिया | न | वाजान् | उप | मासि | शश्वतः // ऋ. वे. ९,७६.३ //
विश्वस्य | राजा | पवते | स्वः-दृशः | ऋतस्य | धीतिम् | ऋषिषाट् | अवीवशत् | यः | सूर्यस्य | असिरेण | मृज्यते | पिता | मतीनाम् | असमष्ट-काव्यः // ऋ. वे. ९,७६.४ //
वृषा-इव | यूथा | परि | कोशम् | अर्षसि | अपाम् | उप-स्थे | वृषभः | कनिक्रदत् | सः | इन्द्राय | पवसे | मत्सरिन्-तमः | यथा | जेषाम | सम्-इथे | त्वा-ऊतयः // ऋ. वे. ९,७६.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ७:३/२-
(ऋ. वे. ९,७७)
एषः | प्र | कोशे | मधु-मान् | अचिक्रदत् | इन्द्रस्य | वज्रः | वपुषः | वपुः-तरः | अभि | ईम् | ऋतस्य | सु-दुघाः | घृत-श्चुतः | वाश्राः | अर्षन्ति | पयसा-इव | धेनवः // ऋ. वे. ९,७७.१ //
सः | पूर्व्यः | पवते | यम् | दिवः | परि | श्येनः | मथायत् | इषितः | तिरः | रजः | सः | मध्वः | आ | युवते | वेविजानः | इत् | कृशानोः | अस्तुः | मनसा | अह | बिभ्युषा // ऋ. वे. ९,७७.२ //
ते | नः | पूर्वासः | उपरासः | इन्दवः | महे | वाजाय | धन्वन्तु | गो-मते | ईक्षेण्यासः | अह्यः | न | चारवः | ब्रह्म-ब्रह्म | ये | जुजुषुः | हविः-हविः // ऋ. वे. ९,७७.३ //
अयम् | नः | विद्वान् | वनवत् | वनुष्यतः | इन्दुः | सत्राचा | मनसा | पुरु-स्तुतः | इनस्य | यः | सदने | गर्भम् | आदधे | गवाम् | उरुब्जम् | अभि | अषर्ति | व्रजम् // ऋ. वे. ९,७७.४ //
चक्रिः | दिवः | पवते | कृत्व्यः | रसः | महान् | अदब्धः | वरुणः | हुरुक् | यते | असावि | मित्रः | वृजनेषु | यज्ञियः | अत्यः | न | यूथे | वृष-युः | कनिक्रदत् // ऋ. वे. ९,७७.५ //
//२//.

-ऋ. वे. ७:३/३-
(ऋ. वे. ९,७८)
प्र | राजा | वाचम् | जनयन् | असिस्यदत् | अपः | वसानः | अभि | गाः | इयक्षति | गृभ्णाति | रिप्रम् | अविः | अस्य | तान्वा | शुद्धः | देवानाम् | उप | याति | निः-कृतम् // ऋ. वे. ९,७८.१ //
इन्द्राय | सोम | परि | सिच्यसे | नृ-भिः | नृ-चक्षाः | ऊर्मिः | कविः | अज्यसे | वने | पूर्वीः | हि | ते | स्रुतयः | सन्ति | यातवे | सहस्रम् | अश्वाः | हरयः | चमू-सदः // ऋ. वे. ९,७८.२ //
समुद्रियाः | अप्सरसः | मनीषिणम् | आसीनाः | अन्तः | अभि | सोमम् | अक्षरन् | ताः | ईम् | हिन्वन्ति | हर्म्यस्य | सक्षणिम् | याचन्ते | सुम्नम् | पवमानम् | अक्षितम् // ऋ. वे. ९,७८.३ //
गो-जित् | नः | सोमः | रथ-जित् | हिरण्य-जित् | स्वः-जित् | अप्-जित् | पवते | सहस्र-जित् | यम् | देवासः | चक्रिरे | पीतये | मदम् | स्वादिष्ठम् | द्रप्सम् | अरुणम् | मयः-भुवम् // ऋ. वे. ९,७८.४ //
एतानि | सोम | पवमानः | अस्म-युः | सत्यानि | कृण्वन् | द्रविणानि | अर्षसि | जहि | शत्रुम् | अन्तिके | दूरके | च | यः | उर्वीम् | गव्यूतिम् | अभयम् | च | नः | कृधि // ऋ. वे. ९,७८.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ७:३/४-
(ऋ. वे. ९,७९)
अचोदसः | नः | धन्वन्तु | इन्दवः | प्र | सुवानासः | बृहत्-दिवेषु | हरयः | वि | च | नशन् | नः | इषः | अरातयः | अर्यः | नशन्त | सनिषन्त | नः | धियः // ऋ. वे. ९,७९.१ //
प्र | नः | धन्वन्तु | इन्दवः | मद-च्युतः | धना | वा | येभिः | अर्वतः | जुनीमसि | तिरः | मर्तस्य | कस्य | चित् | परि-ह्वृतिम् | वयम् | धनानि | विश्व-धा | भरेमहि // ऋ. वे. ९,७९.२ //
उत | स्वस्याः | अरात्याः | अरिः | हि | सः | उत | अन्यस्याः | अरात्याः | वृकः | हि | सः | धन्वन् | न | तृष्णा | सम् | अरीत | तान् | अभि | सोम | जहि | पवमान | दुः-आध्यः // ऋ. वे. ९,७९.३ //
दिवि | ते | नाभा | परमः | यः | आददे | पृथिव्याः | ते | रुरुहुः | सानवि | क्षिपः | अद्रयः | त्वा | बप्सति | गोः | अधि | त्वचि | अप्-सु | त्वा | हस्तैः | दुदुहुः | मनीषिणः // ऋ. वे. ९,७९.४ //
एव | ते | इन्दो इति | सु-भ्वम् | सु-पेशसम् | रसम् | तुञ्जन्ति | प्रथमाः | अभि-श्रियः | निदम्-निदम् | पवमान | नि | तारिषः | आविः | ते | शुष्मः | भवतु | प्रियः | मदः // ऋ. वे. ९,७९.५ //
//४//.

-ऋ. वे. ७:३/५-
(ऋ. वे. ९,८०)
सोमस्य | धारा | पवते | नृ-चक्षसः | ऋतेन | देवान् | हवते | दिवः | परि | बृहस्पतेः | रवथेन | वि | दिद्युते | समुद्रासः | न | सवनानि | विव्यचुः // ऋ. वे. ९,८०.१ //
यम् | त्वा | वाजिन् | अघ्न्याः | अभि | अनूषता | अयः-हतम् | योनिम् | आ | रोहसि | द्यु-मान् | मघोनाम् | आयुः | प्र-तिरत् | महि | श्रव | इन्द्राय | सोम | पवसे | वृषा | मदः // ऋ. वे. ९,८०.२ //
आ | इन्द्रस्य | कुक्षा | पवते | मदिन्-तमः | ऊर्जम् | वसानः | श्रवसे | सु-मङ्गलः | प्रत्यङ् | सः | विश्वा | भुवना | अभि | पप्रथे | क्रीऌअन् | हरिः | अत्यः | स्यन्दते | वृषा // ऋ. वे. ९,८०.३ //
तम् | त्वा | देवेभ्यः | मधुमत्-तमम् | नरः | सहस्र-धारम् | दुहते | दश | क्षिपः | नृ-भिः | सोम | प्र-च्युतः | ग्राव-भिः | सुतः | विश्वान् | देवान् | आ | पवस्व | सहस्र-जित् // ऋ. वे. ९,८०.४ //
तम् | त्वा | हस्तिनः | मधु-मन्तम् | अद्रि-भिः | दुहन्ति | अप्-सु | वृषभम् | दश | क्षिपः | इन्द्रम् | सोम | मादयन् | दैव्यम् | जनम् | सिन्धोः-इव | ऊर्मिः | पवमानः | अर्षसि // ऋ. वे. ९,८०.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ७:३/६-
(ऋ. वे. ९,८१)
प्र | सोमस्य | पवमानस्य | ऊर्मयः | इन्द्रस्य | यन्ति | जठरम् | सु-पेशसः | दध्ना | यत् | ईम् | उत्-नीताः | यशसा | गवाम् | दानाय | शूरम् | उत्-अमन्दिषुः | सुताः // ऋ. वे. ९,८१.१ //
अच्छ | हि | सोमः | कलशान् | असिस्यदत् | अत्यः | न | वोऌहा | रघु-वर्तनिः | वृषा | अथ | देवानाम् | उभयस्य | जन्मनः | विद्वान् | अश्नोति | अमुतः | इतः | च | यत् // ऋ. वे. ९,८१.२ //
आ | नः | सोम | पवमानः | किर | वसु | इन्दो इति | भव | मघ-वा | राधसः | महः | शिक्ष | वयः-धः | वसवे | सु | चेतुना | मा | नः | गयम् | आरे | अस्मत् | परा | सिचः // ऋ. वे. ९,८१.३ //
आ | नः | पूषा | पवमानः | सु-रातयः | मित्रः | गच्छन्तु | वरुणः | स-जोषसः | बृहस्पतिः | मरुतः | वायुः | अश्विना | त्वष्टा | सविता | सु-यमा | सरस्वती // ऋ. वे. ९,८१.४ //
उभे
इति | द्यावापृथिवी इति | विश्वम्-इन्वे | अर्यमा | देवः | अदितिः | वि-धाता | भगः | नृ-शंसः | उरु | अन्तरिक्षम् | विश्वे | देवाः | पवमानम् | जुषन्त // ऋ. वे. ९,८१.५ //
//६//.

-ऋ. वे. ७:३/७-
(ऋ. वे. ९,८२)
असावि | सोमः | अरुषः | वृषा | हरिः | राजा-इव | दस्मः | अभि | गाः | अचिक्रदत् | पुनानः | वारम् | परि | एति | अव्ययम् | श्येनः | न | योनिम् | घृत-वन्तम् | आसदम् // ऋ. वे. ९,८२.१ //
कविः | वेधस्या | परि | एषि | माहिनम् | अत्यः | न | मृष्टः | अभि | वाजम् | अर्षसि | अप-सेधन् | दुः-इता | सोम | मृऌअय | घृतम् | वसानः | परि | यासि | निः-निजम् // ऋ. वे. ९,८२.२ //
पर्जन्यः | पिता | महिषस्य | पर्णिनः | नाभा | पृथिव्याः | गिरिषु | क्षयम् | दधे | स्वसारः | आपः | अभि | गाः | उत | असरन् | सम् | ग्राव-भिः | नसते | वीते | अध्वरे // ऋ. वे. ९,८२.३ //
जाया-इव | पत्यौ | अधि | शेव | मंहसे | पज्रायाः | गर्भ | शृणुहि | ब्रवीमि | ते | अन्तः | वाणीषु | प्र | चार | सु | जीवसे | अनिन्द्यः | वृजने | सोम | जागृहि // ऋ. वे. ९,८२.४ //
यथा | पूर्वेभ्यः | शत-साः | अमृध्रः | सहस्र-साः | परि-अयाः | वाजम् | इन्दो इति | एव | पवस्व | सुविताय | नव्यसे | तव | व्रतम् | अनु | आपः | सचन्ते // ऋ. वे. ९,८२.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ७:३/८-
(ऋ. वे. ९,८३)
पवित्रम् | ते | वि-ततम् | ब्रह्मणः | पते | प्र-भुः | गात्राणि | परि | एषि | विश्वतः | अतप्त-तनूः | न | तत् | आमः | अश्नुते | शृतासः | इत् | वहन्तः | तत् | सम् | आशत // ऋ. वे. ९,८३.१ //
तपोः | पवित्रम् | वि-ततम् | दिवः | पदे | शोचन्तः | अस्य | तन्तवः | वि | अस्थिरन् | अवन्ति | अस्य | पवीतारम् | आशवः | दिवः | पृष्थम् | अधि | तिष्ठन्ति | चेतसा // ऋ. वे. ९,८३.२ //
अरूरुचत् | उषसः | पृश्निः | अग्रियः | उक्षा | बिभर्ति | भुवनानि | वाज-युः | मायाविनः | ममिरे | अस्य | मायया | नृ-चक्षसः | पितरः | गर्भम् | आ | दधुः // ऋ. वे. ९,८३.३ //
गन्धर्वः | इत्था | पदम् | अस्य | रक्षति | पाति | देवानाम् | जनिमानि | अद्भुतः | गृभ्णाति | रिपुम् | नि-धया | निधापतिः | सुकृत्-तमाः | मधुनः | भक्षम् | आशत // ऋ. वे. ९,८३.४ //
हविः | हविष्मः | महि | सद्म | दैव्यम् | नभः | वसानः | परि | यासि | अध्वरम् | राजा | पवित्र-रथः | वाजम् | आ | अरुहः | सहस्र-भृष्टिः | जयसि | श्रवः | बृहत् // ऋ. वे. ९,८३.५ //
//८//.

-ऋ. वे. ७:३/९-
(ऋ. वे. ९,८४)
पवस्व | देव-मादनः | वि-चर्षणिः | अप्साः | इन्द्राय | वरुणाय | वायवे | कृधि | नः | अद्य | वरिवः | स्वस्ति-मत् | उरु-क्षितौ | गृणीहि | दैव्यम् | जनम् // ऋ. वे. ९,८४.१ //
आ | यः | तस्थौ | भुवनानि | अमर्त्यः | विश्वानि | सोमः | परि | तानि | अर्षति | कृण्वन् | सम्-चृतम् | वि-चृतम् | अभिष्टये | इन्दुः | सिसक्ति | उषसम् | न | सूर्यः // ऋ. वे. ९,८४.२ //
आ | यः | गोभिः | सृज्यते | ओषधीषु | आ | देवानाम् | सुम्ने | इषयन् | उप-वसुः | आ | वि-द्युता | पवते | धारया | सुतः | इन्द्रम् | सोमः | मादयन् | दैव्यम् | जनम् // ऋ. वे. ९,८४.३ //
एषः | स्यः | सोमः | पवते | सहस्र-जित् | हिन्वानः | वाचम् | इषिराम् | उषः-बुधम् | इन्दुः | समुद्रम् | उत् | इयर्ति | वायु-भिः | आ | इन्द्रस्य | हार्दि | कलशेषु | सीदति // ऋ. वे. ९,८४.४ //
अभि | त्यम् | गावः | पयसा | पयः-वृधम् | सोमम् | श्रीणन्ति | मति-भिः | स्वः-विदम् | धनम्-जयः | पवते | कृत्व्यः | रसः | विप्रः | कविः | काव्येन | स्वः-चनाः // ऋ. वे. ९,८४.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ७:३/१०-
(ऋ. वे. ९,८५)
इन्द्राय | सोम | सु-सुतः | परि | स्रव | अप | अमीवा | भवतु | रक्षसा | सह | मा | ते | रसस्य | मत्सत | द्वयाविनः | द्रविणस्वन्तः | इह | सन्तु | इन्दवः // ऋ. वे. ९,८५.१ //
अस्मान् | स-मर्ये | पवमान | चोदय | दक्षः | देवानाम् | असि | हि | प्रियः | मदः | जहि | शत्रून् | अभि | आ | भन्दनायतः | पिब | इन्द्र | सोमम् | अव | नः | मृधः | जहि // ऋ. वे. ९,८५.२ //
अदब्धः | इन्दो इति | पवसे | मदिन्-तमः | आत्मा | इन्द्रस्य | भवसि | धासिः | उत्-तमः | अभि | स्वरन्ति | बहवः | मनीषिणः | राजानम् | अस्य | भुवनस्य | निंसते // ऋ. वे. ९,८५.३ //
सहस्र-नीथः | शत-धारः | अद्भुतः | इन्द्राय | इन्दुः | पवते | काम्यम् | मधु | जयन् | क्षेत्रम् | अभि | अर्ष | जयन् | अप | उरुम् | नः | गातुम् | कृणु | सोम | मीढवः // ऋ. वे. ९,८५.४ //
कनिक्रदत् | कलशे | गोभिः | अज्यसे | वि | अव्ययम् | समया | वारम् | अर्षसि | मर्मृज्यमानः | अत्यः | न | सानसिः | इन्द्रस्य | सोम | जठरे | सम् | अक्षरः // ऋ. वे. ९,८५.५ //
स्वादुः | पवस्व | दिव्याय | जन्मने | स्वादुः | इन्द्राय | सुहवीतु-नाम्ने | स्वादुः | मित्राय | वरुणाय | वायवे | बृहस्पतये | मधु-मान् | अदाभ्यः // ऋ. वे. ९,८५.६ //
//१०//.

-ऋ. वे. ७:३/११-
अत्यम् | मृजन्ति | कलशे | दश | क्षिपः | प्र | विप्राणाम् | मतयः | वाचः | ईरते | पवमानाः | अभि | अर्षन्ति | सु-स्तुतिम् | आ | इन्द्रम् | विशन्ति | मदिरासः | इन्दवः // ऋ. वे. ९,८५.७ //
पवमानः | अभि | अर्ष | सु-वीर्यम् | उर्वीम् | गव्यूतिम् | महि | शर्म | स-प्रथः | माकिः | नः | अस्य | परि-सूतिः | ईशत | इन्दो इति | जयेम | त्वया | धनम्-धनम् // ऋ. वे. ९,८५.८ //
अधि | द्याम् | अस्थात् | वृषभः | वि-चक्षणः | अरूरुचात् | वि | दिवः | रोचना | कविः | राजा | पवित्रम् | अति | एति | रोरुवत् | दिवः | पीयूषम् | दुहते | नृ-चक्षसः // ऋ. वे. ९,८५.९ //
दिवः | नाके | मधु-जिह्वाः | असश्चतः | वेनाः | दुहन्ति | उक्षणम् | गिरि-स्थाम् | अप्-सु | द्रप्सम् | ववृधानम् | समुद्रे | आ | सिन्धोः | ऊर्मा | मधु-मन्तम् | पवित्रे | आ // ऋ. वे. ९,८५.१० //
नाके | सु-पर्णम् | उपपप्ति-वांसम् | गिरः | वेनानाम् | अकृपन्त | पूर्वीः | शिशुम् | रिहन्ति | मतयः | पनिप्नतम् | हिरण्ययम् | शकुनम् | क्षामणि | स्थाम् // ऋ. वे. ९,८५.११ //
ऊर्ध्वः | गन्धर्वः | अधि | नाके | अस्थात् | विश्वा | रूपा | प्र्चति-चक्षाणः | अस्य | भानुः | शुक्रेण | शोचिषा | वि | अद्यौत् | प्र | अरूरुचत् | रोदसी इति | मातरा | शुचिः // ऋ. वे. ९,८५.१२ //
//११//.

-ऋ. वे. ७:३/१२-
(ऋ. वे. ९,८६)
प्र | ते | आशवः | पवमान | धी-जवः | मदाः | अर्षन्ति | रघुजाः-इव | त्मना | दिव्याः | सु-पर्णाः | मधु-मन्तः | इन्दवः | मदिन्-तमासः | परि | कोशम् | आसते // ऋ. वे. ९,८६.१ //
प्र | ते | मदासः | मदिरासः | आशवः | असृक्षत | रथ्यासः | यथा | पृथक् | धेनुः | न | वत्सम् | पयसा | अभि | वज्रिणम् | इन्द्रम् | इन्दवः | मधु-मन्तः | ऊर्मयः // ऋ. वे. ९,८६.२ //
अत्यः | न | हियानः | अभि | वाजम् | अर्ष | स्वः-वित् | कोशम् | दिवः | अद्रि-मातरम् | वृषा | पवित्रे | अधि | सानौ | अव्यये | सोमः | पुनानः | इन्द्रियाय | धायसे // ऋ. वे. ९,८६.३ //
प्र | ते | आश्विनीः | पवमान | धी-जुवः | दिव्याः | असृग्रन् | पयसा | धरीमणि | प्र | अन्तः | ऋषयः | स्थाविरीः | असृक्षत | ये | त्वा | मृजन्ति | ऋषि-साण | वेधसः // ऋ. वे. ९,८६.४ //
विश्वा | धामानि | विश्व-चक्षः | ऋभ्वसः | प्र-भोः | ते | सतः | परि | यन्ति | केतवः | वि-आनशिः | पवसे | सोम | धर्म-भिः | पतिः | विश्वस्य | भुवनस्य | राजसि // ऋ. वे. ९,८६.५ //
//१२//.

-ऋ. वे. ७:३/१३-
उभयतः | पवमानस्य | रश्मयः | ध्रुवस्य | सतः | परि | यन्ति | केतवः | यदि | पवित्रे | अधि | मृज्यते | हरिः | सत्ता | नि | योना | कलशेषु | सीदति // ऋ. वे. ९,८६.६ //
यज्ञस्य | केतुः | पवते | सु-अध्वरः | सोमः | देवानाम् | उप | याति | निः-कृतम् | सहस्र-धारः | परि | कोशम् | अर्षति | वृषा | पवित्रम् | अति | एति | रोरुवत् // ऋ. वे. ९,८६.७ //
राजा | समुद्रम् | नद्यः | वि | गाहते | अपाम् | ऊर्मिम् | सचते | सिन्धुषु | श्रितः | अधि | अस्थाट् | सानु | पवमानः | अव्ययम् | नाभा | पृथिव्याः | धरुणः | महः | दिवः // ऋ. वे. ९,८६.८ //
दिवः | न | सानु | स्तनयन् | अचिक्रदत् | द्यौः | च | यस्य | पृथिवी | च | धर्म-भिः | इन्द्रस्य | सख्यम् | पवते | वि-वेविदत् | सोमः | पुनानः | कलशेषु | सीदति // ऋ. वे. ९,८६.९ //
ज्योतिः | यज्ञस्य | पवते | मधु | प्रियम् | पिता | देवानाम् | जनिता | विभु-वसुः | दधाति | रत्नम् | स्वधयोः | अपीच्यम् | मदिन्-तमः | मत्सरः | इन्द्रियः | रसः // ऋ. वे. ९,८६.१० //
//१३//.

-ऋ. वे. ७:३/१४-
अभि-क्रन्दन् | कलशम् | वाजी | अर्षति | पतिः | दिवः | शत-धारः | वि-चक्षणः | हरिः | मित्रस्य | सदनेषु | सीदति | मर्मृजानः | अवि-भिः | सिन्धु-भिः | वृषा // ऋ. वे. ९,८६.११ //
अग्रे | सिन्धूनाम् | पवमानः | अर्षति | अग्रे | वाचः | अग्रियः | गोषु | गच्छति | अग्रे | वाजस्य | भजते | महाधनम् | सु-आयुधः | सोतृ-भिः | पूयते | वृषा // ऋ. वे. ९,८६.१२ //
अयम् | मत-वान् | शकुनः | यथा | हितः | अव्ये | ससार | पवमानः | ऊर्मिणा | तव | क्रत्वा | रोदसी इति | अन्तरा | कवे | शुचिः | धिया | पवते | सोम | इन्द्र | ते // ऋ. वे. ९,८६.१३ //
द्रापिम् | वसानः | यजतः | दिवि-स्पृशम् | अन्तरिक्ष-प्राः | भुवनेषु | अर्पितः | स्वः | जज्ञानः | नभसा | अभि | अक्रमीत् | प्रत्नम् | अस्य | पितरम् | आ | विवासति // ऋ. वे. ९,८६.१४ //
सः | अस्य | विशे | महि | शर्म | यच्छति | यः | अस्य | धाम | प्रथमम् | वि-आनशे | पदम् | यत् | अस्य | परमे | वि-ओमनि | अतः | विश्वाः | अभि | सम् | याति | सम्-यतः // ऋ. वे. ९,८६.१५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ७:३/१५-
प्रो इति | अयासीत् | इन्दुः | इन्द्रस्य | निः-कृतम् | सखा | सख्युः | न | प्र | मिनाति | सम्-गिरम् | मर्यः-इव | युवति-भिः | सम् | अर्षति | सोमः | कलशे | शत-याम्ना | पथा // ऋ. वे. ९,८६.१६ //
प्र | वः | धियः | मन्द्र-युवः | विपन्युवः | पनस्युवः | सम्-वसनेषु | अक्रमुः | सोमम् | मनीषाः | अभि | अनूषत | स्तुभः | अभि | धेनवः | पयसा | ईम् | अशिश्रयुः // ऋ. वे. ९,८६.१७ //
आ | नः | सोम | सम्-यतम् | पिप्युषीम् | इषम् | इन्दो इति | पवस्व | पवमानः | अस्रिधम् | या | नः | दोहते | त्रिः | अहन् | असश्चुषी | क्षु-मत् | वाज-वत् | मधु-मत् | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. ९,८६.१८ //
वृषा | मतीनाम् | पवते | वि-चक्षणः | सोमः | अह्नः | प्र-तरीता | उषसः | दिवः | क्राणा | सिन्धूनाम् | कलशान् | अवीवशत् | इन्द्रस्य | हार्दि | आ-विशन् | मनीषि-भिः // ऋ. वे. ९,८६.१९ //
मनीषि-भिः | पवते | पूर्व्यः | कविः | नृ-भिः | यतः | परि | कोशान् | अचिक्रदत् | त्रितस्य | नाम | जनयन् | मधु | क्षरत् | इन्द्रस्य | वायोः | सख्याय | कर्तवे // ऋ. वे. ९,८६.२० //
//१५//.

-ऋ. वे. ७:३/१६-
अयम् | पुनानः | उषसः | वि | रोचयत् | अयम् | सिन्धु-भ्यः | अभवत् | ॐ इति | लोक-कृत् | अयम् | त्रिः | सप्त | दुदुहानः | आशिरम् | सोमः | हृदे | पवते | चारु | मत्सरः // ऋ. वे. ९,८६.२१ //
पवस्व | सोम | दिव्येषु | धाम-सु | सृजानः | इन्दो इति | कलशे | पवित्रे | आ | सीदन् | इन्द्रस्य | जठरे | कनिक्रदत् | नृ-भिः | यतः | सूर्यम् | आ | अरोहयः | दिवि // ऋ. वे. ९,८६.२२ //
अद्रि-भिः | सुतः | पवसे | पवित्रे | आ | इन्दो इति | इन्द्रस्य | जठरेषु | आ-विशन् | त्वम् | नृ-चक्षाः | अभवः | वि-चक्षण | सोम | गोत्रम् | अङ्गिरः-भ्यः | अवृणोः | अप // ऋ. वे. ९,८६.२३ //
त्वाम् | सोम | पवमानम् | सु-आध्यः | अनु | विप्रासः | अमदन् | अवस्यवः | त्वाम् | सु-पर्णः | आ | अभरत् | दिवः | परि | इन्दो इति | विश्वाभिः | मति-भिः | परि-कृतम् // ऋ. वे. ९,८६.२४ //
अव्ये | पुनानम् | परि | वारे | ऊर्मिणा | हरिम् | नवन्ते | अभि | सप्त | धेनवः | अपाम् | उप-स्थे | अधि | आयवः | कविम् | ऋतस्य | योना | महिषाः | अहेषत // ऋ. वे. ९,८६.२५ //
//१६//.

-ऋ. वे. ७:३/१७-
इन्दुः | पुनानः | अति | गाहते | मृधः | विश्वानि | कृण्वन् | सु-पथानि | यज्यवे | गाः | कृण्वानः | निः-निजम् | हर्यतः | कविः | अत्यः | न | क्रीऌअन् | परि | वारम् | अर्षति // ऋ. वे. ९,८६.२६ //
असश्चतः | शत-धाराः | अभि-श्रियः | हरिम् | नवन्ते | अव | ताः | उदन्युवः | क्षिपः | मृजन्ति | परि | गोभिः | आवृतम् | तृतीये | पृष्ठे | अधि | रोचने | दिवः // ऋ. वे. ९,८६.२७ //
तव | इमाः | प्र-जाः | दिव्यस्य | रेतसः | त्वम् | विश्वस्य | भुवनस्य | राजसि | अथ | इदम् | विश्वम् | पवमान | ते | वशे | त्वम् | इन्दो इति | प्रथमः | धाम-धाः | असि // ऋ. वे. ९,८६.२८ //
त्वम् | समुद्रः | असि | विश्व-वित् | कवे | तव | इमाः | पञ्च | प्र-दिशः | वि-धर्मणि | त्वम् | द्याम् | च | पृथिवीम् | च | अति | जभ्रिषे | तव | ज्योतींषि | पवमान | सूर्यः // ऋ. वे. ९,८६.२९ //
त्वम् | पवित्रे | रजसः | वि-धर्मणि | देवेभ्यः | सोम | पवमान | पूयसे | त्वाम् | उशिजः | प्रथमाः | अगृभ्णत | तुभ्य | इमा | विश्वा | भुवनानि | येमिरे // ऋ. वे. ९,८६.३० //
//१७//.

-ऋ. वे. ७:३/१८-
प्र | रेभः | एति | अति | वारम् | अव्ययम् | वृषा | वनेषु | अव | चक्रदत् | हरिः | सम् | धीतयः | वावशानाः | अनूषत | शिशुम् | रिहन्ति | मतयः | पनिप्नतम् // ऋ. वे. ९,८६.३१ //
सः | सूर्यस्य | रश्मि-भिः | परि | व्यत | तन्तुम् | तन्वानः | त्रि-वृतम् | यथा | विदे | नयन् | ऋतस्य | प्र-शिषः | नवीयसीः | पतिः | जनीनाम् | उप | याति | निः-कृतम् // ऋ. वे. ९,८६.३२ //
राजा | सिन्धूनाम् | पवते | पतिः | दिवः | ऋतस्य | याति | पथि-भिः | कनिक्रदत् | सहस्र-धारः | परि | सिच्यते | हरिः | पुनानः | वाचम् | जनयन् | उप-वसुः // ऋ. वे. ९,८६.३३ //
पवमान | महि | अर्णः | वि | धावसि | सूरः | न | चित्रः | अव्ययानि | पव्यया | गभस्ति-पूतः | नृ-भिः | अद्रि-भिः | सुतः | महे | वाजाय | धन्याय | धन्वसि // ऋ. वे. ९,८६.३४ //
इषम् | ऊर्जम् | पवमान | अभि | अर्षसि | श्येनः | न | वंसु | कलशेषु | सीदसि | इन्द्राय | मद्वा | मद्यः | मदः | सुतः | दिवः | विष्टम्भः | उपमः | वि-चक्षणः // ऋ. वे. ९,८६.३५ //
//१८//.

-ऋ. वे. ७:३/१९-
सप्त | स्वसारः | अभि | मातरः | शिशुम् | नवम् | जज्ञानम् | जेन्यम् | विपः-चितम् | अपाम् | गन्धर्वम् | दिव्यम् | नृ-चक्षसम् | सोमम् | विश्वस्य | भुवनस्य | राजसे // ऋ. वे. ९,८६.३६ //
ईशानः | इमा | भुवनानि | वि | ईयसे | युजानः | इन्दो इति | हरितः | सु-पर्ण्यः | ताः | ते | क्षरन्तु | मधु-मत् | घृतम् | पयः | तव | व्रते | सोम | तिष्ठन्तु | कृष्टयः // ऋ. वे. ९,८६.३७ //
त्वम् | नृ-चक्षाः | असि | सोम | विश्वतः | पवमान | वृषभ | ता | वि | धावसि | सः | नः | पवस्व | वसु-मत् | हिरण्य-वत् | वयम् | स्याम | भुवनेषु | जीवसे // ऋ. वे. ९,८६.३८ //
गो-वित् | पवस्व | वसु-वित् | हिरण्य-वित् | रेतः-धाः | इन्दो इति | भुवनेषु | अर्पितः | त्वम् | सु-वीरः | असि | सोम | विश्व-वित् | तम् | त्वा | विप्राः | उप | गिरा | उमे | आसते // ऋ. वे. ९,८६.३९ //
उत् | मध्वः | ऊर्मिः | वननाः | अतिस्थिपत् | अपः | वसानः | महिषः | वि | गाहते | राजा | पवित्र-रथः | वाजम् | आ | अरुहत् | सहस्र-भृष्टिः | जयति | श्रवः | बृहत् // ऋ. वे. ९,८६.४० //
//१९//.

-ऋ. वे. ७:३/२०-
सः | भन्दनाः | उत् | इयर्ति | प्रजावतीः | विश्व-आयुः | विश्वाः | सु-भराः | अहः-दिवि | ब्रह्म | प्रजावत् | रयिम् | अश्व-पस्त्यम् | पीतः | इन्दो इति | इन्द्रम् | अस्मभ्यम् | याचतात् // ऋ. वे. ९,८६.४१ //
सः | अग्रे | अह्नाम् | हरिः | हर्यतः | मदः | प्र | चेतसा | चेतयते | अनु | द्यु-भिः | द्वा | जना | यातयन् | अन्तः | ईयते | नरा | च | शंसम् | दैव्यम् | च | धर्तरि // ऋ. वे. ९,८६.४२ //
अञ्जते | वि | अञ्जते | सम् | अञ्जते | क्रतुम् | रिहन्ति | मधुना | अभि | अञ्जते | सिन्धोः | उत्-श्वासे | पतयन्तम् | उक्षणम् | हिरण्य-पावाः | पशुम् | आसु | गृभ्णते // ऋ. वे. ९,८६.४३ //
विपः-चिते | पवमानाय | गायत | मही | न | धारा | अति | अन्धः | अर्षति | अहिः | न | जूणाम् | अति | सर्पति | त्वचम् | अत्यः | न | क्रीऌअन् | असरत् | वृषा | हरिः // ऋ. वे. ९,८६.४४ //
अग्रे-गः | राजा | आप्यः | तविष्यते | वि-मानः | अह्नाम् | भुवनेषु | अर्पितः | हरिः | घृत-स्नुः | सु-दृशीकः | अर्णवः | ज्योतिः-रथः | पवते | राये | ओक्यः // ऋ. वे. ९,८६.४५ //
//२०//.

-ऋ. वे. ७:३/२१-
असर्जि | स्कम्भः | दिवः | उत्-यतः | मदः | परि | त्रि-धातुः | भुवनानि | अर्षति | अंशुम् | रिहन्ति | मतयः | पनिप्नतम् | गिरा | यदि | निः-निजम् | ऋग्मिणः | ययुः // ऋ. वे. ९,८६.४६ //
प्र | ते | धाराः | अति | अण्वानि | मेष्यः | पुनानस्य | सम्-यतः | यन्ति | रंहयः | यत् | गो-भिः | इन्दो इति | चम्वोः | सम्-अज्यसे | आ | सुवानः | सोम | कलशेषु | सीदसि // ऋ. वे. ९,८६.४७ //
पवस्व | सोम | क्रतु-वित् | नः | उक्थ्यः | अव्यः | वारे | परि | धाव | मधु | प्रियम् | जहि | विश्वान् | रक्षसः | इन्दो इति | अत्रिणः | बृहत् | वदेम | विदथे | सु-वीराः // ऋ. वे. ९,८६.४८ //
//२१//.

-ऋ. वे. ७:३/२२-
(ऋ. वे. ९,८७)
प्र | तु | द्रव | परि | कोशम् | नि | सीद | नृ-भिः | पुनानः | अभि | वाजम् | अर्ष | अश्वम् | न | त्वा | वाजिनम् | मर्जयन्तः | अच्छ | बर्हिः | रशनाभिः | नयन्ति // ऋ. वे. ९,८७.१ //
सु-आयुधः | पवते | देवः | इन्दुः | अशस्ति-हा | वृजनम् | रक्षमाणः | पिता | देवानाम् | जनिता | सु-दक्षः | विष्टम्भः | दिवः | धरुणः | पृथिव्याः // ऋ. वे. ९,८७.२ //
ऋषिः | विप्रः | पुरः-एता | जनानाम् | ऋभुः | धीरः | उशना | काव्येन | सः | चित् | विवेद | नि-हितम् | यत् | आसाम् | अपीच्यम् | गुह्यम् | नाम | गोनाम् // ऋ. वे. ९,८७.३ //
एषः | स्यः | ते | मधु-मान् | इन्द्र | सोमः | वृषा | वृष्णे | परि | पवित्रे | अक्षारिति | सहस्र-साः | शत-साः | भूरि-दावा | शश्वत्-तमम् | बर्हिः | आ | वाजी | अस्थात् // ऋ. वे. ९,८७.४ //
एते | सोमाः | अभि | गव्या | सहस्रा | महे | वाजाय | अमृताय | श्रवांसि | पवित्रेभिः | पवमानाः | असृग्रन् | श्रवस्यवः | न | पृतनाजः | अत्याः // ऋ. वे. ९,८७.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ७:३/२३-
परि | हि | स्म | पुरु-हूतः | जनानाम् | विश्वा | असरत् | भोजना | पूयमानः | अथ | आ | भर | श्येन-भृत | प्रयांसि | रयिम् | तुञ्जानः | अभि | वाजम् | अर्ष // ऋ. वे. ९,८७.६ //
एषः | सिवानः | परि | सोमः | पवित्रे | सर्गः | न | सृष्टः | अदधावत् | अर्वा | तिग्मे | शिशानः | महिषः | न | शृङ्गे | गाः | गव्यन् | अभि | शूरः | न | सत्वा // ऋ. वे. ९,८७.७ //
एषा | आ | ययौ | परमात् | अन्तः | अद्रेः | कू-चित् | सतीः | ऊर्वे | गाः | विवेद | दिवः | न | वि-द्युत् | स्तनयन्ती | अभ्रैः | सोमस्य | ते | पवते | इन्द्र | धारा // ऋ. वे. ९,८७.८ //
उत | स्म | राशिम् | परि | यासि | गोनाम् | इन्द्रेण | सोम | स-रथम् | पुनानः | पूर्वीः | इषः | बृहतीः | जीरदानो इतिजीर-दानो | शिक्ष | सची-वः | तव | ताः | उप-स्तुत् // ऋ. वे. ९,८७.९ //
//२३//.

-ऋ. वे. ७:३/२४-
(ऋ. वे. ९,८८)
अयम् | सोमः | इन्द्र | तुभ्यम् | सुन्वे | तुभ्यम् | पवते | त्वम् | अस्य | पाहि | त्वम् | ह | यम् | चकृषे | त्वम् | ववृषे | इन्दुम् | मदाय | युज्याय | सोमम् // ऋ. वे. ९,८८.१ //
सः | ईम् इति | रथः | न | भुरिषाट् | अयोजि | महः | पुरूणि | सातये | वसूनि | आत् | ईम् इति | विश्वा | नहुष्याणि | जाता | स्वः-साता | वने | ऊर्ध्वा | नवन्त // ऋ. वे. ९,८८.२ //
वायुः | न | यः | नियुत्वान् | इष्ट-यामा | नासत्या-इव | हवे | आ | शम्-भविष्ठः | विश्व-वारः | द्रविणोदाः-इव | त्मन् | पूषा-इव | धी-जवनः | असि | सोम // ऋ. वे. ९,८८.३ //
इन्द्रः | न | यः | महा | कर्माणि | चक्रिः | हन्ता | वृत्राणाम् | असि | सोम | पूः-भित् | पैद्वः | न | हि | त्वम् | अहि-नाम्नाम् | हन्ता | विश्वस्य | असि | सोम | दस्योः // ऋ. वे. ९,८८.४ //
अग्निः | न | यः | वने | आ | सृज्यमानः | वृथा | पाजांसि | कृणुते | नदीषु | जनः | न | युध्वा | महतः | उपब्दिः | इयर्ति | सोमः | पवमानः | ऊर्मिम् // ऋ. वे. ९,८८.५ //
एते | सोमाः | अति | वाराणि | अव्या | दिव्या | न | कोशासः | अभ्र-वर्षाः | वृथा | समुद्रम् | सिन्धवः | न | नीचीः | सुतासः | अभि | कलशान् | असृग्रन् // ऋ. वे. ९,८८.६ //
शुष्मी | शर्धः | न | मारुतम् | पवस्व | अनभि-शस्ता | दिव्या | यथा | विट् | आपः | न | मक्षु | सु-मतिः | भव | नः | सहस्र-अप्साः | पृतनाषाट् | न | यज्ञः // ऋ. वे. ९,८८.७ //
राज्ञः | नु | ते | वरुणस्य | व्रतानि | बृहत् | गभीरम् | तव | सोम | धाम | शुचिः | त्वम् | असि | प्रियः | न | मित्रः | दक्षाय्यः | अर्यमा-इव | असि | सोम // ऋ. वे. ९,८८.८ //
//२४//.

-ऋ. वे. ७:३/२५-
(ऋ. वे. ९,८९)
प्रो इति | स्यः | वह्निः | पथ्याभिः | अस्यान् | दिवः | न | वृष्टिः | पवमानः | अक्षाः | सहस्र-धारः | असदत् | नि | अस्मे इति | मातुः | उप-स्थे | वने | आ | च | सोमः // ऋ. वे. ९,८९.१ //
राजा | सिन्धूनाम् | अवसिष्ट | वासः | ऋतस्य | नावम् | आ | अरुहत् | रजिष्ठाम् | अप्-सु | द्रप्सः | ववृधे | श्येन-जूतः | दुहे | ईम् | पिता | दुहे | ईम् | पितुः | जाम् // ऋ. वे. ९,८९.२ //
सिंहम् | नसन्त | मध्वः | अयासम् | हरिम् | अरुषम् | दिवः | अस्य | पतिम् | शूरः | युत्-सु | प्रथमः | पृच्छते | गाः | अस्य | चक्षसा | परि | पाति | उक्षा // ऋ. वे. ९,८९.३ //
मधु-पृष्ठम् | घोरम् | अयासम् | अश्वम् | रथे | युञ्जन्ति | उरु-चक्रे | ऋष्वम् | स्वसारः | ईम् | जामयः | मर्जयन्ति | स-नाभयः | वाजिनम् | ऊर्जयन्ति // ऋ. वे. ९,८९.४ //
चतस्रः | ईम् | घृत-दुहः | सचन्ते | समाने | अन्तः | धरुणे | नि-सत्ताः | ताः | ईम् | अर्षन्ति | नमसा | पुनानाः | ताः | ईम् | विश्वतः | परि | सन्ति | पूर्वीः // ऋ. वे. ९,८९.५ //
विष्टम्भः | दिवः | धरुणः | पृथिव्याः | विश्वाः | उत | क्षितयः | हस्ते | अस्य | असत् | ते | उत्सः | गृणते | नियुत्वान् | मध्वः | अंशुः | पवते | इन्द्रियाय // ऋ. वे. ९,८९.६ //

वन्वन् | अवातः | अभि | देव-वीतिम् | इन्द्राय | सोम | वृत्र-हा | पवस्व | शग्धि | महः | पुरु-चन्द्रस्य | रायः | सु-वीर्यस्य | पतयः | स्याम // ऋ. वे. ९,८९.७ //
//२५//.

-ऋ. वे. ७:३/२६-
(ऋ. वे. ९,९०)
प्र | हिन्वानः | जनिता | रोदस्योः | रथः | न | वाजम् | सनिष्यन् | चयासीत् | इन्द्रम् | गच्छन् | आयुधा | सम्-शिशानः | विश्वा | वसु | हस्तयोः | आदधानः // ऋ. वे. ९,९०.१ //
अभि | त्रि-पृष्ठम् | वृषणम् | वयः-धाम् | आङ्गूषाणाम् | अवावशन्त | वाणीः | वना | वसानः | वरुणः | न | सिन्धून् | वि | रत्न-धाः | दयते | वार्याणि // ऋ. वे. ९,९०.२ //
शूर-ग्रामः | सर्व-वीरः | सहावान् | जेता | पवस्व | सनिता | धनानि | तिग्म-आयुधः | क्षिप्र-धन्वा | समत्-सु | अषाऌहः | सह्वान् | पृतनासु | शत्रून् // ऋ. वे. ९,९०.३ //
उरु-गव्यूतिः | अभयानि | कृण्वन् | समीचीने इतिसम्-ईचीने | आ | पवस्व | पुरन्धी इतिपुरम्-धी | अपः | सिसासन् | उषसः | स्वः | गाः | सम् | चिक्रदः | महः | अस्मभ्यम् | वाजान् // ऋ. वे. ९,९०.४ //
मत्सि | सोम | वरुणम् | मत्सि | मित्रम् | मत्सि | इन्द्रम् | इन्दो इति | पवमान | विष्णुम् | मत्सि | शर्धः | मारुतम् | मत्सि | देवान् | मत्सि | महाम् | इन्द्रम् | इन्दो इति | मदाय // ऋ. वे. ९,९०.५ //
एव | राजा-इव | क्रतु-मान् | अमेन | विश्वा | घनिघ्नत् | दुः-इता | पवस्व | इन्दो इति | सु-उक्ताय | वचसे | वयः | धाः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ९,९०.६ //
//२६//.



-ऋ. वे. ७:४/१-
(ऋ. वे. ९,९१)
असर्जि | वक्वा | रथ्ये | यथा | आजौ | धिया | मनोता | प्रथमः | मनीषी | दश | स्वसारः | अधि | सानौ | अव्ये | अजन्ति | वह्निम् | सदनानि | अच्छ // ऋ. वे. ९,९१.१ //
वीती | जनस्य | दिव्यस्य | कव्यैः | अधि | सुवानः | नहुष्येभिः | इन्दुः | प्र | यः | नृ-भिः | अमृतः | मर्त्येभिः | मर्मृजानः | अवि-भिः | गोभिः | अत्-भिः // ऋ. वे. ९,९१.२ //
वृषा | वृष्णे | रोरुवत् | अंशुः | अस्मै | पवमानः | रुशत् | ईर्ते | पयः | गोः | सहस्रम् | ऋक्वा | पथि-भिः | वचः-वित् | अध्वस्म-भिः | सूरः | अण्वम् | वि | याति // ऋ. वे. ९,९१.३ //
रुजा | दृऌहा | चित् | रक्षसः | सदांसि | पुनानः | इन्दो इति | ऊर्णुहि | वि | वाजान् | वृश्च | उपरिष्टात् | तुजता | वधेन | ये | अन्ति | दूरात् | उप-नायम् | एषाम् // ऋ. वे. ९,९१.४ //
सः | प्रत्न-वत् | नव्यसे | विश्व-वार | सु-उक्ताय | पथः | कृणुहि | प्राचः | ये | दुः-सहासः | वनुषा | बृहन्तः | तान् | ते | अश्य्चाम | पुरु-कृत् | पुरुक्षो इतिपुरु-क्षो // ऋ. वे. ९,९१.५ //
एव | पुनानः | अपः | स्वः | गाः | अस्मभ्यम् | तोका | तनयानि | भूरि | शम् | नः | क्षेत्रम् | उरु | ज्योतींषि | सोम | ज्योक् | नः | सूर्यम् | दृशये | रिरीहि // ऋ. वे. ९,९१.६ //
//१//.

-ऋ. वे. ७:४/२-
(ऋ. वे. ९,९२)
परि | सुवानः | हरिः | अंशुः | पवित्रे | रथः | न | सर्जि | सनये | हियानः | आपत् | श्लोकम् | इन्द्रियम् | पूयमानः | प्रति | देवान् | अजुषत | प्रयः-भिः // ऋ. वे. ९,९२.१ //
अच्छ | नृ-चक्षाः | असरत् | पवित्रे | नाम | दधानः | कविः | अस्य | योनौ | सीदन् | होता-इव | सदने | चमूषु | उप | ईम् | अग्मन् | ऋषयः | सप्त | विप्राः // ऋ. वे. ९,९२.२ //
प्र | सु-मेधाः | गातु-वित् | विश्व-देवः | सोमः | पुनानः | सदः | एति | नित्यम् | भुवत् | विश्वेषु | काव्येषु | रन्ता | अनु | जनान् | यतते | पञ्च | धीरः // ऋ. वे. ९,९२.३ //
तव | त्ये | सोम | पवमान | निण्ये | विश्वे | देवाः | त्रयः | एकादशासः | दश | स्वधाभिः | अधि | सानौ | अव्ये | मृजन्ति | त्वा | नद्यः | सप्त | यह्वीः // ऋ. वे. ९,९२.४ //
तत् | नु | सत्यम् | पवमानस्य | अस्तु | यत्र | विश्वे | कारवः | सम्-नसन्त | ज्योतिः | यत् | अह्ने | अकृणोत् | ॐ इति | लोकम् | प्र | आवत् | मनुम् | दस्यवे | कः | अभीकम् // ऋ. वे. ९,९२.५ //
पर् | सद्म-इव | पशु-मन्ति | होता | राजा | न | सत्यः | सम्-इतीः | इयानः | सोमः | पुनानः | कलशान् | अयासीत् | सीदन् | मृगः | न | महिषः | वनेषु // ऋ. वे. ९,९२.६ //
//२//.

-ऋ. वे. ७:४/३-
(ऋ. वे. ९,९३)
साकम्-उक्षः | मर्जयन्त | स्वसारः | दश | धीरस्य | धीतयः | धनुत्रीः | हरिः | परि | अद्रवत् | जाः | सूर्यस्य | द्रोणम् | ननक्षे | अत्यः | न | वाजी // ऋ. वे. ९,९३.१ //
सम् | मातृ-भिः | न | शिशुः | वावशानः | वृषा | दधन्वे | पुरु-वारः | अत्-भिः | मर्यः | न | योषाम् | अभि | निः-कृतम् | यन् | सम् | गच्छते | कलशे | उस्रियाभिः // ऋ. वे. ९,९३.२ //
उत | प्र | पिप्ये | ऊधः | अघ्न्यायाः | इन्दुः | धाराभिः | सचते | सु-मेधाः | मूधार्नम् | गावः | पयसा | चमूषु | अभि | श्रीणन्ति | वसु-भिः | न | निक्तैः // ऋ. वे. ९,९३.३ //
सः | नः | देवेभिः | पवमान | रद | इन्दो इति | रयिम् | अश्विनम् | वावशानः | रथिरायताम् | उशती | पुरम्-धिः | अस्मद्र्यक् | आ | दावने | वसूनाम् // ऋ. वे. ९,९३.४ //
नु | नः | रयिम् | उप | मास्व | नृ-वन्तम् | पुनानः | वाताप्यम् | विश्व-चन्द्रम् | प्र | वन्दितुः | इन्दो इति | तारि | आयुः | प्रातः | मक्षु | धियावसुः | जगम्यात् // ऋ. वे. ९,९३.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ७:४/४-
(ऋ. वे. ९,९४)
अधि | यत् | अस्मिन् | वाजिनि-इव | शुभः | स्पर्धन्ते | धियः | सूर्ये | न | विशः | अपः | वृणानः | पवते | कवि-यन् | व्रजम् | न | पशु-वर्धनाय | मन्म // ऋ. वे. ९,९४.१ //
द्विता | वि-ऊर्ण्वन् | अमृतस्य | धाम | स्वः-विदे | भुवनानि | प्रथन्त | धियः | पिन्वानाः | स्वसरे | न | गावः | ऋत-यन्तीः | अभि | ववश्रे | इन्दुम् // ऋ. वे. ९,९४.२ //
परि | यत् | कविः | काव्या | भरते | शूरः | न | रथः | भुवनानि | विश्वा | देवेषु | यशः | मर्ताय | भूषन् | दक्षाय | रायः | पुरु-भूषु | नव्यः // ऋ. वे. ९,९४.३ //
श्रिये | जातः | श्रिये | आ | निः | इयाय | श्रियम् | वयः | जरितृ-भ्यः | दधाति | श्रियम् | वसानाः | अमृत-त्वम् | आयन् | भवन्ति | सत्या | सम्-इथा | मित-द्रौ // ऋ. वे. ९,९४.४ //
इषम् | ऊर्जम् | अभि | अर्ष | अश्वम् | गाम् | उरु | ज्योतिः | कृणुहि | मत्सि | देवान् | विश्वानि | हि | सु-सहा | तानि | तुभ्यम् | पवमान | बाधसे | सोम | शत्रून् // ऋ. वे. ९,९४.५ //
//४//.

-ऋ. वे. ७:४/५-
(ऋ. वे. ९,९५)
कनिक्रन्ति | हरिः | आ | सृज्यमानः | सीदन् | वनस्य | जठरे | पुनानः | नृ-भिः | यतः | कृणुते | निः-निजम् | गाः | अतः | मतीः | जनयत | स्वधाभिः // ऋ. वे. ९,९५.१ //
हरिः | सृजानः | पथ्याम् | ऋतस्य | इयर्ति | वाचम् | अरिता-इव | नावम् | देवः | देवानाम् | गुह्यानि | नाम | आविः | कृणोति | बर्हिषि | प्र-वाचे // ऋ. वे. ९,९५.२ //
अपाम्-इव | इत् | ऊर्मयः | तर्तुराणाः | प्र | मनीषाः | ईरते | सोमम् | अच्छ | नमस्यन्तीः | उप | च | यन्ति | सम् | च | आ | च | विशन्ति | उशतीः | उशन्तम् // ऋ. वे. ९,९५.३ //
तम् | मर्मृजानम् | महिषम् | न | सानौ | अंशुम् | दुहन्ति | उक्षणम् | गिरि-स्थाम् | तम् | वावशानम् | मतयः | सचन्ते | त्रितः | बिभर्ति | वरुणम् | समुद्रे // ऋ. वे. ९,९५.४ //
इष्यन् | वाचम् | उपवक्ता-इव | होतुः | पुनानः | इन्दो इति | वि | स्य | मनीषाम् | इन्द्रः | च | यत् | क्षयथः | सौभगाय | सु-वीर्यस्य | पतयः | स्याम // ऋ. वे. ९,९५.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ७:४/६-
(ऋ. वे. ९,९६)
प्र | सेनानीः | शूरः | अग्रे | रथानाम् | गव्यन् | एति | हर्षते | अस्य | सेना | भद्रान् | कृण्वन् | इन्द्र-हवान् | सखि-भ्यः | आ | सोमः | वस्त्रा | रभसानि | दत्ते // ऋ. वे. ९,९६.१ //
सम् | अस्य | हरिम् | हरयः | मृजन्ति | अश्व-हयैः | अस्नि-शितम् | नमः-भिः | आ | तिष्ठति | रथम् | इन्द्रस्य | सखा | विद्वान् | एन | सु-मतिम् | याति | अच्छ // ऋ. वे. ९,९६.२ //
सः | नः | देव | देव-ताते | पवस्व | महे | सोम | प्सरसे | इन्द्र-पानः | कृण्वन् | अपः | वर्षयन् | द्याम् | उत | इमाम् | उरोः | आ | नः | वरिवस्य | पुनानः // ऋ. वे. ९,९६.३ //
अजीतये | अहतये | पवस्व | स्वस्तये | सर्व-तातये | बृहते | तत् | उशन्ति | विश्वे | इमे | सखायः | तत् | अहम् | वश्मि | पवमान | सोम // ऋ. वे. ९,९६.४ //
सोमः | पवते | जनिता | मतीनाम् | जनिता | दिवः | जनिता | पृथिव्याः | जनिता | अग्नेः | जनिता | सूर्यस्य | जनिता | इन्द्रस्य | जनिता | उत | विष्णोः // ऋ. वे. ९,९६.५ //
//६//.

-ऋ. वे. ७:४/७-
ब्रह्मा | देवानाम् | पद-वीः | कवीनाम् | ऋषिः | विप्राणाम् | महिषः | मृगाणाम् | श्येनः | गृध्राणाम् | स्व-धितिः | वनानाम् | सोमः | पवित्रम् | अति | एति | रेभन् // ऋ. वे. ९,९६.६ //
प्र | अवीविपत् | वाचः | ऊर्मिम् | न | सिन्धुः | गिरः | सोमः | पवमानः | मनीषाः | अन्तरिति | पश्यन् | वृजना | इमा | अवराणि | आ | तिष्ठति | वृषभः | गोषु | जानन् // ऋ. वे. ९,९६.७ //
सः | मत्सरः | पृत्-सु | वन्वन् | अवातः | सहस्र-रेताः | अभि | वाजम् | अर्ष | इन्द्राय | इन्दो इति | पवमानः | मनीषी | अंशोः | ऊर्मिम् | ईरय | गाः | इषण्यन् // ऋ. वे. ९,९६.८ //
परि | प्रियः | कलशे | देव-वातः | इन्द्राय | सोमः | रण्यः | मदाय | सहस्र-धारः | शत-वाजः | इन्दुः | वाजी | न | सप्तिः | समना | जिगाति // ऋ. वे. ९,९६.९ //
सः | पूर्व्यः | वसु-वित् | जायमानः | मृजानः | अप्-सु | दुदुहानः | अद्रौ | अभिशस्ति-पाः | भुवनस्य | राजा | विदत् | गातुम् | ब्रह्मणे | पूयमानः // ऋ. वे. ९,९६.१० //
//७//.

-ऋ. वे. ७:४/८-
त्वया | हि | नः | पितरः | सोम | पूर्वे | कर्माणि | चक्रुः | पवमान | धीराः | वन्वन् | अवातः | परि-धीन् | अप | ऊर्णु | वीरे-भिः | अश्वैः | मघ-वा | भव | नः // ऋ. वे. ९,९६.११ //
यथा | अपवथाः | मनवे | वयः-धाः | अमित्र-हा | वरिवः-वित् | हविष्मान् | एव | पवस्व | द्रविणम् | दधानः | इन्द्रे | सम् | तिष्ठ | जनय | आयुधानि // ऋ. वे. ९,९६.१२ //
पवस्व | सोम | मधु-मान् | ऋत-वा | अपः | वसानः | अधि | सानौ | अव्ये | अव | द्रोणानि | घृत-वन्ति | सीद | मदिन्-तमः | मत्सरः | इन्द्र-पानः // ऋ. वे. ९,९६.१३ //
वृष्टिम् | दिवः | शत-धारः | पवस्व | सहस्र-साः | वाज-युः | देव-वीतौ | सम् | सिन्धु-भिः | कलशे | वावशानः | सम् | उस्रियाभिः | प्र-तिरन् | नः | आयुः // ऋ. वे. ९,९६.१४ //
एषः | स्यः | सोमः | मति-भिः | पुनानः | अत्यः | न | वाजी | तरति | इत् | अरातीः | पयः | न | दुग्धम् | अदितेः | इषिरम् | उरु-इव | गातुः | सु-यमः | न | वोऌहा // ऋ. वे. ९,९६.१५ //
//८//.

-ऋ. वे. ७:४/९-
सु-आयुधः | सोतृ-भिः | पूयमानः | अभि | अर्ष | गुह्यम् | चारु | नाम | अभि | वाजम् | सप्तिः-इव | श्रवस्या | अभि | वायुम् | अभि | गाः | देव | सोम // ऋ. वे. ९,९६.१६ //
शिशुम् | जज्ञानम् | हर्यतम् | मृजन्ति | शुम्भन्ति | वह्निम् | मरुतः | गणेन | कविः | गीः-भिः | काव्येन | कविः | सन् | सोमः | पवित्रम् | अति | एति | रेभन् // ऋ. वे. ९,९६.१७ //
ऋषि-मनाः | यः | ऋषि-कृत् | स्वः-साः | सहस्र-नीथः | पद-वीः | कवीनाम् | तृतीयम् | धाम | महिषः | सिसासन् | सोमः | वि-राजम् | अनु | राजति | स्तुप् // ऋ. वे. ९,९६.१८ //
चमू-सत् | श्येनः | शकुनः | वि-भृत्वा | गो-विन्दुः | द्रप्सः | आयुधानि | बिभ्रत् | अपाम् | ऊर्मिम् | सचमानः | समुद्रम् | तुरीयम् | धाम | महिषः | विवक्ति // ऋ. वे. ९,९६.१९ //
मर्यः | न | शुभ्रः | तन्वम् | मृजानः | अत्यः | न | सृत्वा | सनये | धनानाम् | वृषा-इव | यूथा | परि | कोशम् | अर्षन् | कनिक्रदत् | चम्वोः | आ | विवेश // ऋ. वे. ९,९६.२० //
//९//.

-ऋ. वे. ७:४/१०-
पवस्व | इन्दो इति | पवमानः | महः-भिः | कनिक्रदत् | परि | वाराणि | अर्ष | क्रीऌअन् | चम्वोः | आ | विश | पूयमानः | इन्द्रम् | ते | रसः | मदिरः | ममत्तु // ऋ. वे. ९,९६.२१ //
प्र | अस्य | धाराः | बृहतीः | असृग्रन् | अक्तः | गोभिः | कलशान् | आ | विवेश | साम | कृण्वन् | सामन्यः | विपः-चित् | क्रन्दन् | एति | अभि | सख्युः | न | जामिम् // ऋ. वे. ९,९६.२२ //
अप-घ्नन् | एषि | पवमान | शत्रून् | प्रियाम् | न | जारः | अभि-गीतः | इन्दुः | सीदन् | वनेषु | शकुनः | न | पत्वा | सोमः | पुनानः | कलशेषु | सत्ता // ऋ. वे. ९,९६.२३ //
आ | ते | रुचः | पवमानस्य | सोम | योषा-इव | यन्ति | सु-दुघाः | सु-धाराः | हरिः | आनीतः | पुरु-वारः | अप्-सु | अचिक्रदत् | कलशे | देव-यूनाम् // ऋ. वे. ९,९६.२४ //
//१०//.

-ऋ. वे. ७:४/११-
(ऋ. वे. ९,९७)
अस्य | प्रेषा | हेमना | पूयमानः | देवः | देवेभिः | सम् | अपृक्त | रसम् | सुतः | पवित्रम् | परि | एति | रेभन् | मिता-इव | सद्म | पशु-मन्ति | होता // ऋ. वे. ९,९७.१ //
भद्रा | वस्त्रा | समन्या | वसानः | महान् | कविः | नि-वचनानि | शंसन् | आ | वच्यस्व | चम्वोः | पूयमानः | वि-चक्षणः | जागृविः | देव-वीतौ // ऋ. वे. ९,९७.२ //
सम् | ॐ इति | प्रियः | मृज्यते | सानौ | अव्ये | यशः-तरः | यशसाम् | क्षैतः | अस्मे इति | अभि | स्वर | धन्व | पूयमानः | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ९,९७.३ //
प्र | गायत | अभि | अर्चाम | देवान् | सोमम् | हिनोत | महते | धनाय | स्वादुः | पवाते | अति | वारम् | अव्यम् | आ | सीदाति | कलशम् | देव-युः | नः // ऋ. वे. ९,९७.४ //
इन्दुः | देवानाम् | उप | सख्यम् | आयन् | सहस्र-धारः | पवते | मदाय | नृ-भिः | स्तवानः | अनु | धाम | पूर्वम् | अगन् | इन्द्रम् | महते | सौभगाय // ऋ. वे. ९,९७.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ७:४/१२-
स्तोत्रे | राये | हरिः | अर्ष | पुनानः | इन्द्रम् | मदः | गच्छतु | ते | भराय | देवैः | याहि | स-रथम् | राधः | अच्छ | यूयम् | पात | स्वस्ति-भिः | सदा | नः // ऋ. वे. ९,९७.६ //
प्र | काव्यम् | उशना-इव | ब्रुवाणः | देवः | देवानाम् | जनिम | विवक्ति | महि-व्रतः | शुचि-बन्धुः | पावकः | पदा | वराहः | अभि | एति | रेभन् // ऋ. वे. ९,९७.७ //
प्र | हंसासः | तृपलम् | मन्युम् | अच्छ | अमात् | अस्तम् | वृष-गणाः | अयासुः | आङ्गूष्यम् | पवमानम् | सखायः | दुः-मर्षम् | साकम् | प्र | वदन्ति | वाणम् // ऋ. वे. ९,९७.८ //
सः | रंहते | उरु-गायस्य | जूतिम् | वृथा | क्रीऌअन्तम् | मिमते | न | गावः | परीणसम् | कृणुते | तिग्म-शृङ्गः | दिवा | हरिः | ददृशे | नक्तम् | ऋज्रः // ऋ. वे. ९,९७.९ //
इन्दुः | वाजी | पवते | गो-न्योघाः | इन्द्रे | सोमः | सह | इन्वन् | मदाय | हन्ति | रक्षः | बाधते | परि | अरातीः | वरिवः | कृण्वन् | वृजनस्य | राजा // ऋ. वे. ९,९७.१० //
//१२//.

-ऋ. वे. ७:४/१३-
अध | धारया | मध्वा | पृचानः | तिरः | रोम | पवते | अद्रि-दुग्धः | इन्दुः | इन्द्रस्य | सख्यम् | जुषाणः | देवः | देवस्य | मत्सरः | मदाय // ऋ. वे. ९,९७.११ //
अभि | प्रियाणि | पवते | पुनानः | देवः | देवान् | स्वेन | रसेन | पृञ्चन् | इन्दुः | धर्माणि | ऋतु-था | वसानः | दश | क्षिपः | अव्यत | सानौ | अव्ये // ऋ. वे. ९,९७.१२ //
वृषा | शोणः | अभि-कनिक्रदत् | गाः | नदयन् | एति | पृथिवीम् | उत | द्याम् | इन्द्रस्य-इव | वग्नुः | आ | शृण्वे | आजौ | प्र-चेतयन् | अर्षति | वाचम् | आ | इमाम् // ऋ. वे. ९,९७.१३ //
रसाय्यः | पयसा | पिन्वमानः | ईरयन् | एषि | मधु-मन्तम् | अंशुम् | पवमानः | सम्-तनिम् | एषि | कृण्वन् | इन्द्राय | सोम | परि-सिच्यमानः // ऋ. वे. ९,९७.१४ //
एव | पवस्व | मदिरः | मदाय | उद-ग्राभस्य | नमयन् | वध-स्नैः | परि | वर्णम् | भरमाणः | रुशन्तम् | गव्युः | नः | अर्ष | परि | सोम | सिक्तः // ऋ. वे. ९,९७.१५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ७:४/१४-
जुष्टवी | नः | इन्दो इति | सु-पथा | सु-गानि | उरौ | पवस्व | वरिवांसि | कृण्वन् | घना-इव | विष्वक् | दुः-इतानि | वि-घ्नन् | अधि | स्नुना | धन्व | सानौ | अव्ये // ऋ. वे. ९,९७.१६ //
वृष्टिम् | नः | अर्ष | दिव्याम् | जिगत्नुम् | इऌआवतीम् | शम्-गयीम् | जीर-दानुम् | स्तुका-इव | वीता | धन्व | वि-चिन्वन् | बन्धून् | इमान् | अवरान् | इन्दो इति | वायून् // ऋ. वे. ९,९७.१७ //
ग्रन्थिम् | न | वि | स्य | ग्रथितम् | पुनानः | ऋजुम् | च | गातुम् | वृजिनम् | च | सोम | अत्यः | न | क्रदः | हरिः | आ | सृजानः | मर्यः | देव | धन्व | पस्त्य-वान् // ऋ. वे. ९,९७.१८ //
जुष्टः | मदाय | देव-ताते | इन्दो इति | परि | स्नुना | धन्व | सानौ | अव्ये | सहस्र-धारः | सु-रभिः | अदब्धः | परि | स्रव | वाज-सातौ | नृ-सह्ये // ऋ. वे. ९,९७.१९ //
अरश्मानः | ये | अरथाः | अयुक्ताः | अत्यासः | न | ससृजानासः | आजौ | एते | शुक्रासः | धन्वन्ति | सोमाः | देवासः | तान् | उप | यात | पिबध्यै // ऋ. वे. ९,९७.२० //
//१४//.

-ऋ. वे. ७:४/१५-
एव | नः | इन्दो इति | अभि | देव-वीतिम् | परि | स्रव | नभः | अर्णः | चमूषु | सोमः | अस्मभ्यम् | काम्यम् | बृहन्तम् | रयिम् | ददातु | वीर-वन्तम् | उग्रम् // ऋ. वे. ९,९७.२१ //
तक्षत् | यदि | मनसः | वेनतः | वाक् | ज्येष्ठस्य | वा | धर्मणि | क्षोः | अनीके | आत् | ईम् | आयन् | वरम् | आ | वावशानाः | जुष्टम् | पतिम् | कलशे | गावः | इन्दुम् // ऋ. वे. ९,९७.२२ //
प्र | दानु-दः | दिव्यः | दानु-पिन्वः | ऋतम् | ऋताय | पवते | सु-मेधाः | धर्मा | भुवत् | वृजन्यस्य | राजा | प्र | रास्मि-भिः | दश-भिः | भारि | भूम // ऋ. वे. ९,९७.२३ //
पवित्रेभिः | पवमानः | नृ-चक्षा | राजा | देवानाम् | उत | मर्त्यानाम् | द्विता | भुवत् | रयि-पतिः | रयीणाम् | ऋतम् | भरत् | सु-भृतम् | चारु | इन्दुः // ऋ. वे. ९,९७.२४ //
अर्वान्-इव | श्रवसे | सातिम् | अच्छ | इन्द्रस्य | वायोः | अभि | वीतिम् | अर्ष | सः | नः | सहस्रा | बृहतीः | इषः | दाः | भव | सोम | द्रविणः-वित् | पुनानः // ऋ. वे. ९,९७.२५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ७:४/१६-
देव-अव्यः | नः | परि-सिच्यमानाः | क्षयम् | सु-वीरम् | धन्वन्तु | सोमाः | आयज्यवः | सु-मतिम् | विश्व-वाराः | होतारः | न | दिवि-यजः | मन्द्र-तमाः // ऋ. वे. ९,९७.२६ //
एव | देव | देव-ताते | पवस्व | महे | सोम | प्सरसे | देव-पानः | महः | चित् | हि | स्मसि | हिताः | स-मर्ये | कृधि | सु-स्थाने | रोदसी इति | पुनानः // ऋ. वे. ९,९७.२७ //
अश्वः | न | क्रदः | वृष-भिः | युजानः | सिंहः | न | भीमः | मनसः | जवीयान् | अर्वाचीनैः | पथि-भिः | ये | रजिष्ठाः | आ | पवस्व | सौमनसम् | नः | इन्दो इति // ऋ. वे. ९,९७.२८ //
शतम् | धाराः | देव-जाताः | असृग्रन् | सहस्रम् | एनाः | कवयः | मृजन्ति | इन्दो इति | सनित्रम् | दिवः | आ | पवस्व | पुरः-एता | असि | महतः | धनस्य // ऋ. वे. ९,९७.२९ //
दिवः | न | सर्गाः | अससृग्रम् | अह्नाम् | राजा | न | मित्रम् | प्र | मिनाति | धीरः | पितुः | न | पुत्रः | क्रतु-भिः | यतानः | आ | पवस्व | विशे | अस्यै | अजीतिम् // ऋ. वे. ९,९७.३० //
//१६//.

-ऋ. वे. ७:४/१७-
प्र | ते | धाराः | मधु-मतीः | असृग्रन् | वारान् | यत् | पूतः | अति-एषि | अव्यान् | पवमान | पवसे | धाम | गोनाम् | जज्ञानः | सूर्यम् | अपिन्वः | अर्कैः // ऋ. वे. ९,९७.३१ //
कनिक्रदत् | अनु | पन्थाम् | ऋतस्य | शुक्रः | वि | भासि | अमृतस्य | धाम | सः | इन्द्राय | पवसे | मत्सर-वान् | हिन्वानः | वाचम् | मति-भिः | कवीनाम् // ऋ. वे. ९,९७.३२ //
दिव्यः | सु-पर्णः | अव | चक्षि | सोम | पिन्वन् | धाराः | कर्मणा | देव-वीतौ | आ | इन्दो इति | विश | कलशम् | सोम-धानम् | क्रन्दन् | इहि | सूर्यस्य | उप | रश्मिम् // ऋ. वे. ९,९७.३३ //
तिस्रः | वाचः | ईरयति | प्र | वह्निः | ऋतस्य | धीतिम् | ब्रह्मणः | मनीषाम् | गावः | यन्ति | गो-पतिम् | पृच्छमानाः | सोमम् | यन्ति | मतयः | वावशानाः // ऋ. वे. ९,९७.३४ //
सोमम् | गावः | धेनवः | वावशानाः | सोमम् | विप्राः | मति-भिः | पृच्छमानाः | सोमः | सुतः | पूयते | अज्यमानः | सोमे | अर्काः | त्रि-स्तुभः | सम् | नवन्ते // ऋ. वे. ९,९७.३६ //
//१७//.

-ऋ. वे. ७:४/१८-
एव | नः | सोम | परि-सिच्यमानः | आ | पवस्व | पूयमानः | स्वस्ति | इन्द्रम् | आ | विश | बृहता | रवेण | वर्धय | वाचम् | जनय | पुरम्-धिम् // ऋ. वे. ९,९७.३६ //
आ | जागृविः | विप्रः | ऋता | मतीनाम् | सोमः | पुनानः | असदत् | चमूषु | सपन्ति | यम् | मिथुनासः | नि-कामाः | अध्वर्यवः | रथिरासः | सु-हस्ताः // ऋ. वे. ९,९७.३७ //
सः | पुनानः | उप | सूरे | न | धाता | आ | उभे इति | अप्राः | रोदसी इति | वि | सः | आवर् इत्य् आवः | प्रिया | चित् | यस्य | प्रियसासः | ऊती | सः | तु | धनम् | कारिणे | न | प्र | यंसत् // ऋ. वे. ९,९७.३८ //
सः | वर्धिता | वर्धनः | पूयमानः | सोमः | मीढवान् | अभि | नः | ज्योतिषा | आवीत् | येन | नः | पूर्वे | पितरः | पद-ज्ञाः | स्वः-विदः | अभि | गाः | अद्रिम् | उष्णन् // ऋ. वे. ९,९७.३९ //
अक्रान् | समुद्रः | प्रथमे | वि-धर्मन् | जनयन् | प्र-जाः | भुवनस्य | राजा | वृषा | पवित्रे | अधि | सानौ | अव्ये | बृहत् | सोमः | ववृधे | सुवानः | इन्दुः // ऋ. वे. ९,९७.४० //
//१८//.

-ऋ. वे. ७:४/१९-
महत् | तत् | सोमः | महिषः | चकार | अपाम् | यत् | गर्भः | अवृणीत | देवान् | अदधात् | इन्द्रे | पवमानः | ओजः | अजनयत् | सूर्ये | ज्योतिः | इन्दुः // ऋ. वे. ९,९७.४१ //
मत्सि | वायुम् | इष्टये | राधसे | च | मत्सि | मित्रावरुणा | पूयमानः | मत्सि | शर्धः | मारुतम् | मत्सि | देवान् | मत्सि | द्यावापृथिवी इति | देव | सोम // ऋ. वे. ९,९७.४२ //
ऋजुः | पवस्व | वृजिनस्य | हन्ता | अप | अमीवाम् | बाधमानः | मृधः | च | अभि-श्रीणन् | पयः | पयसा | अभि | गोनाम् | इन्द्रस्य | त्वम् | तव | वयम् | सखायः // ऋ. वे. ९,९७.४३ //
मध्वः | सूदम् | पवस्व | वस्वः | उत्सम् | वीरम् | च | नः | आ | पवस्व | भगम् | च | स्वदस्व | इन्द्राय | पवमानः | इन्दो इति | रयिम् | च | नः | आ | पवस्व | समुद्रात् // ऋ. वे. ९,९७.४४ //
सोमः | सुतः | धारया | अत्यः | न | हित्वा | सिन्धुः | न | निम्नम् | अभि | वाजी | अक्षारिति | आ | योनिम् | वन्यम् | असदत् | पुनानः | सम् | इन्दुः | गोभिः | असरत् | सम् | अत्-भिः // ऋ. वे. ९,९७.४५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ७:४/२०-
एषः | स्यः | ते | पवते | इन्द्र | सोमः | चमूषु | धीरः | उशते | तवस्वान् | स्वः-चक्षाः | रथिरः | सत्य-शुष्मः | कामः | न | यः | देव-यताम् | असर्जि // ऋ. वे. ९,९७.४६ //
एषः | प्रत्नेन | वयसा | पुनानः | तिरः | वर्पांसि | दुहितुः | दधानः | वसानः | शर्म | त्रि-वरूथम् | अप्-सु | होता-इव | याति | समनेषु | रेभन् // ऋ. वे. ९,९७.४७ //
नु | नः | त्वम् | रथिरः | देव | सोम | परि | स्रव | चम्वोः | पूयमानः | अप्-सु | स्वादिष्ठः | मधु-मान् | ऋत-वा | देवः | न | यः | सविता | सत्य-मन्मा // ऋ. वे. ९,९७.४८ //
अभि | वायुम् | वीती | अर्ष | गृणानः | अभि | मित्रावरुणा | पूयमानः | अभि | नरम् | धी-जवनम् | रथे-स्थाम् | अभि | इन्द्रम् | वृषणम् | वज्र-बाहुम् // ऋ. वे. ९,९७.४९ //
अभि | वस्त्रा | सु-वसनानि | अर्ष | अभि | धेनूः | सु-दुघाः | पूयमानः | अभि | चन्द्रा | भर्तवे | नः | हिरण्या | अभि | अश्वान् | रथिनः | देव | सोम // ऋ. वे. ९,९७.५० //
//२०//.

-ऋ. वे. ७:४/२१-
अभि | नः | अर्ष | दिव्या | वसूनि | अभि | विश्वा | पार्थिवा | पूयमानः | अभि | येन | द्रविणम् | अश्नवाम | अभि | आर्षेयम् | जमदग्नि-वत् | नः // ऋ. वे. ९,९७.५१ //
अया | पवा | पवस्व | एना | वसूनि | मांश्चत्वे | इन्दो इति | सरसि | प्र | धन्व | ब्रध्नः | चित् | अत्र | वातः | न | जूतः | पुरु-मेधः | चित् | तकवे | नरम् | दात् // ऋ. वे. ९,९७.५२ //
उत | नः | एना | पवया | पवस्व | अधि | श्रुते | श्रवाय्यस्य | तीर्थे | षष्टिम् | सहस्रा | नैगुतः | वसूनि | वृक्षम् | न | पक्वम् | धूनवत् | रणाय // ऋ. वे. ९,९७.५३ //
महि | इमे इति | अस्य | वृषनाम | शूषे इति | मांश्चत्वे | वा | पृशने | वा | वधत्रेइति | अस्वापयत् | नि-गुतः | स्नेहयत् | च | अप | अमित्रान् | अप | अचितः | अच | इतः // ऋ. वे. ९,९७.५४ //
सम् | त्री | पवित्रा | वि-ततानि | एषि | अनु | एकम् | धावसि | पूयमानः | असि | भगः | असि | दात्रस्य | दाता | असि | मघ-वा | मघवत्-भ्यः | इन्दो इति // ऋ. वे. ९,९७.५५ //
//२१//.
-ऋ. वे. ७:४/२२-
एषः | विश्व-वित् | पवते | मनीषी | सोमः | विश्वस्य | भुवनस्य | राजा | द्रप्सान् | ईरयन् | विदथेषु | इन्दुः | वि | वारम् | अव्यम् | समया | अति | याति // ऋ. वे. ९,९७.५६ //
इन्दुम् | रिहन्ति | महिषाः | अदब्धाः | पदे | रेभन्ति | कवयः | न | गृध्राः | हिन्वन्ति | धीराः | दश-भिः | क्षिपाभिः | सम् | आञ्जते | रूपम् | अपाम् | रसेन // ऋ. वे. ९,९७.५७ //
त्वया | वयम् | पवमानेन | सोम | भरे | कृतम् | वि | चिनुयाम | शश्वत् | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. ९,९७.५८ //
//२२//.

-ऋ. वे. ७:४/२३-
(ऋ. वे. ९,९८)
अभि | नः | वाज-सातमम् | रयिम् | अर्ष | पुरु-स्पृहम् | इन्दो इति | सहस्र-भर्णसम् | तुवि-द्युम्नम् | विभ्व-सहम् // ऋ. वे. ९,९८.१ //
परि | स्यः | सुवानः | अव्ययम् | रथे | न | वर्म | अव्यत | इन्दुः | अभि | द्रूणा | हितः | हियानः | धाराभिः | अक्षारिति // ऋ. वे. ९,९८.२ //
परि | स्यः | सुवानः | अक्षारिति | इन्दुः | अव्ये | मद-च्युतः | धारा | यः | ऊर्ध्वः | अध्वरे | भ्राजा | न | एति | गव्य-युः // ऋ. वे. ९,९८.३ //
सः | हि | त्वम् | देव | शश्वते | वसु | मर्ताय | दाशुषे | इन्दो इति | सहस्रिणम् | रयिम् | शत-आत्मानम् | विवाससि // ऋ. वे. ९,९८.४ //
वयम् | ते | अस्य | वृत्र-हन् | वसो इति | वस्वः | पुरु-स्पृहः | नि | नेदिष्ठ-तमाः | इषः | स्याम | सुम्नस्य | अध्रिगो इत्य् अध्रि-गो // ऋ. वे. ९,९८.५ //
द्विः | यम् | पञ्च | स्व-यशसम् | स्वसारः | अद्रि-संहतम् | प्रियम् | इन्द्रस्य | काम्यम् | प्र-स्नापयन्ति | ऊर्मिणम् // ऋ. वे. ९,९८.६ //
//२३//.

-ऋ. वे. ७:४/२४-
परि | त्यम् | हर्यतम् | हरिम् | बभ्रुम् | पुनन्ति | वारेण | यः | देवान् | विश्वान् | इत् | परि | मदेन | सह | गच्छति // ऋ. वे. ९,९८.७ //
अस्य | वः | हि | अवसा | पान्तः | दक्ष-साधनम् | यः | सूरिषु | श्रवह् | बृहत् | दधे | स्वः | न | हर्यतः // ऋ. वे. ९,९८.८ //
सः | वाम् | यज्ञेषु | मानवी इति | इन्दुः | जनिष्ट | रोदसी इति | देवः | देवी इति | गिरि-स्थाः | अस्रेधन् | तम् | तुवि-स्वनि // ऋ. वे. ९,९८.९ //
इन्द्राय | सोम | पातवे | वृत्र-घ्ने | परि | सिच्यसे | नरे | च | दक्षिणावते | देवाय | सदन-सदे // ऋ. वे. ९,९८.१० //
ते | प्रत्नासः | वि-उष्टिषु | सोमाः | पवित्रे | अक्षरन् | अप-प्रोथन्तः | सनुतः | हुरः-चितः | प्रातरिति | तान् | अप्र-चेतसः // ऋ. वे. ९,९८.११ //
तम् | सखायः | पुरः-रुचम् | यूयम् | वयम् | च | सूरयः | अश्याम | वाज-गन्ध्यम् | सनेम | वाज-पस्त्यम् // ऋ. वे. ९,९८.१२ //
//२४//.

-ऋ. वे. ७:४/२५-
(ऋ. वे. ९,९९)
आ | हर्यताय | धृष्णवे | धनुः | तन्वन्ति | पैंस्यम् | शुक्राम् | वयन्ति | असुराय | निः-निजम् | विपाम् | अग्रे | महीयुवः // ऋ. वे. ९,९९.१ //
अध | क्षपा | परि-कृतः | वाजान् | अभि | प्र | गाहते | यदि | विवस्वतः | धियः | हरिम् | हिन्वन्ति | यातवे // ऋ. वे. ९,९९.२ //
तम् | अस्य | मर्जयामसि | मदः | यः | इन्द्र-पातमः | यम् | गावः | आस-भिः | दधुः | पुरा | नूनम् | च | सूरयः // ऋ. वे. ९,९९.३ //
तम् | गाथया | पुराण्या | पुनानम् | अभि | अनूषत | उतो इति | कृपन्त | धीतयः | देवानाम् | नाम | बिभ्रतीः // ऋ. वे. ९,९९.४ //
तम् | उक्षमाणम् | अव्यये | वारे | पुनन्ति | धर्णसिम् | दूतम् | न | पूर्व-चित्तये | आ | शासते | मनीषिणः // ऋ. वे. ९,९९.५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ७:४/२६-
सः | पुनानः | मदिन्-तमः | सोमः | चमूषु | सीदति | पशौ | न | रेतः | आदधत् | पतिः | वचस्यते | धियः // ऋ. वे. ९,९९.६ //
सः | मृज्यते | सुकर्म-भिः | देवः | देवेभ्यः | सुतः | विदे | यत् | आसु | सम्-ददिः | महीः | अपः | वि | गाहते // ऋ. वे. ९,९९.७ //
सुतः | इन्दो इति | पवित्रे | आ | नृ-भिः | यतः | वि | नीयसे | इन्द्राय | मत्सरिन्-तमः | चमूषु | आ | नि | सीदसि // ऋ. वे. ९,९९.८ //
//२६//.

-ऋ. वे. ७:४/२७-
(ऋ. वे. ९,१००)
अभि | नवन्ते | अद्रुहः | प्रियम् | इन्द्रस्य | काम्यम् | वत्सम् | न | पूर्वे | आयुनि | जातम् | रिहन्ति | मातरः // ऋ. वे. ९,१००.१ //
पुनानः | इन्दो इति | आ | भर | सोम | द्वि-बर्हसम् | रयिम् | त्वम् | वसूनि | पुष्यसि | विश्वानि | दाशुषः | गृहे // ऋ. वे. ९,१००.२ //
त्वम् | धियम् | मनः-युजम् | सृज | वृष्टिम् | न | तन्यतुः | त्वम् | वसूनि | पार्थिवा | दिव्या | च | सोम | पुष्यसि // ऋ. वे. ९,१००.३ //
परि | ते | जिग्युषः | यथा | धारा | सुतस्य | धावति | रंहमाणा | वि | अव्ययम् | वारम् | वाजी-इव | सानसिः // ऋ. वे. ९,१००.४ //
क्रत्वे | दक्षाय | नः | कवे | पवस्व | सोम | धारया | इन्द्राय | पातवे | सुतः | मित्राय | वरुणाय | च // ऋ. वे. ९,१००.५ //
//२७//.

-ऋ. वे. ७:४/२८-
पवस्व | वाज-सातमः | पवित्रे | धारया | सुतः | इन्द्राय | सोम | विष्णवे | देवेभ्यः | मधुमत्-तमः // ऋ. वे. ९,१००.६ //
त्वाम् | रिहन्ति | मातरः | हरिम् | पवित्रे | अद्रुहः | वत्सम् | जातम् | न | धेनवः | पवमान | वि-धर्मणि // ऋ. वे. ९,१००.७ //
पवमान | महि | श्रवः | चित्रेभिः | यासि | रश्मि-भिः | शर्धन् | तमांसि | जिघ्नसे | विश्वानि | दाशुषः | गृहे // ऋ. वे. ९,१००.८ //
त्वम् | द्याम् | च | महि-व्रत | पृथिवीम् | च | अति | जभ्रिषे | प्रति | द्रापिम् | अमुञ्चथाः | पवमान | महि-त्वनास् // ऋ. वे. ९,१००.९ //
//२८//.



-ऋ. वे. ७:५/१-
(ऋ. वे. ९,१०१)
पुरः-जिती | वः | अन्धसः | सुताय | मादयित्नवे | अप | श्वानम् | श्नथिष्टन | सखायः | दीर्घ-जिह्व्यम् // ऋ. वे. ९,१०१.१ //
यः | धारया | पावकया | परि-प्रस्यन्दते | सुतः | इन्दुः | अश्वः | न | कृत्व्यः // ऋ. वे. ९,१०१.२ //
तम् | दुरोषम् | अभि | नरः | सोमम् | विश्वाच्या | धिया | यज्ञम् | हिन्वन्ति | अद्रि-भिः // ऋ. वे. ९,१०१.३ //
सुतासः | मधुमत्-तमाः | सोमाः | इन्द्राय | मन्दिनः | पवित्र-वन्तः | अक्षरन् | देवान् | गच्छन्तु | वः | मदाः // ऋ. वे. ९,१०१.४ //
इन्दुः | इन्द्राय | पवते | इति | देवासः | अब्रुवन् | वाचः | पतिः | मखस्यते | विश्वस्य | ईशानः | ओजसा // ऋ. वे. ९,१०१.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ७:५/२-
सहस्र-धारः | पवते | समुद्रः | वाचम्-ईङ्खयः | सोमः | पतिः | रयीणाम् | सखा | इन्द्रस्य | दिवे-दिवे // ऋ. वे. ९,१०१.६ //
अयम् | पूषा | रयिः | भगः | सोमः | पुनानः | अर्षति | पतिः | विश्वस्य | भूमनः | वि | अख्यत् | रोदसी इति | उभे इति // ऋ. वे. ९,१०१.७ //
सम् | ॐ इति | प्रियाः | अनूषत | गावः | मदाय | घृष्वयः | सोमासः | कृण्वते | पथः | पवमानासः | इन्दवः // ऋ. वे. ९,१०१.८ //
यः | ओजिष्ठः | तम् | आ | भर | पवमान | श्रवाय्यम् | यः | पञ्च | चर्षणीः | अभि | रयिम् | येन | वनामहै // ऋ. वे. ९,१०१.९ //
सोमाः | पवन्ते | इन्दवः | अस्मभ्यम् | गातुवित्-तमाः | मित्राः | सुवानाः | अरेपसः | सु-आध्यः | स्वः-विदः // ऋ. वे. ९,१०१.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ७:५/३-
सुस्वाणासः | वि | अद्रि-भिः | चितानाः | गोः | अधि | त्वचि | इषम् | अस्मभ्यम् | अभितः | सम् | अस्वरन् | वसु-विदः // ऋ. वे. ९,१०१.११ //
एते | पूताः | विपः-चितः | सोमासः | दधि-आशिरः | सूर्यासः | न | दर्शतासः | जिगत्नवः | ध्रुवाः | घृते // ऋ. वे. ९,१०१.१२ //
प्र | सुन्वानस्य | अन्धसः | मर्तः | न | वृत | तत् | वचः | अप | श्वानम् | अराधसम् | हत | मखम् | न | भृगवः // ऋ. वे. ९,१०१.१३ //
आ | जामिः | अत्के | अव्यत | भुजे | न | पुत्रः | ओण्योः | सरत् | जारः | न | योषणाम् | वरः | न | योनिम् | आसदम् // ऋ. वे. ९,१०१.१४ //
सः | वीरः | दक्ष-साधनः | वि | यः | तस्तम्भ | रोदसी इति | हरिः | पवित्रे | अव्यत | वेधाः | न | योनिम् | आसदम् // ऋ. वे. ९,१०१.१५ //
अव्यः | वारेभिः | पवते | सोमः | गव्ये | अधि | त्वचि | कनिक्रदत् | वृषा | हरिः | इन्द्रस्य | अभि | एति | निः-कृतम् // ऋ. वे. ९,१०१.१६ //
//३//.

-ऋ. वे. ७:५/४-
(ऋ. वे. ९,१०२)
क्राणा | शिशुः | महीनाम् | हिन्वन् | ऋतस्य | दीधितिम् | विश्वा | परि | प्रिया | भुवत् | अध | द्विता // ऋ. वे. ९,१०२.१ //
उप | त्रितस्य | पाष्योः | अभक्त | यत् | गुहा | पदम् | यज्ञस्य | सप्त | धाम-भिः | अध | प्रियम् // ऋ. वे. ९,१०२.२ //
त्रीणि | त्रितस्य | धारया | पृष्ठेषु | आ | ईरय | रयिम् | मिमीते | अस्य | योजना | वि | सु-क्रतुः // ऋ. वे. ९,१०२.३ //
जज्ञानम् | सप्त | मातरः | वेधाम् | अशासत | श्रिये | अयम् | ध्रुवः | रयीणाम् | चिकेत | यत् // ऋ. वे. ९,१०२.४ //
अस्य | व्रते | स-जोषसः | विश्वे | देवासः | अद्रुहः | स्पार्हाः | भवन्ति | रन्तयः | जुषन्त | यत् // ऋ. वे. ९,१०२.५ //
//४//.

-ऋ. वे. ७:५/५-
यम् | ईम् इति | गर्भम् | ऋत-वृधः | दृशे | चारुम् | अजीजनन् | कविम् | मंहिष्ठम् | अध्वरे | पुरु-स्पृहम् // ऋ. वे. ९,१०२.६ //
समीचीने इतिसम्-ईचीने | अभि | त्मना | यह्वी | ऋतस्य | मातरा | तन्वानाः | यज्ञम् | आनुषक् | यत् | अञ्जते // ऋ. वे. ९,१०२.७ //
क्रत्वा | शुक्रेभिः | अक्ष-भिः | ऋणोः | अप | व्रजम् | दिवः | हिन्वन् | ऋतस्य | दीदितिम् | प्र | अध्वरे // ऋ. वे. ९,१०२.८ //
//५//.

-ऋ. वे. ७:५/६-
(ऋ. वे. ९,१०३)
प्र | पुनानाय | वेधसे | सोमाय | वचः | उत्-यतम् | भृतिम् | न | भर | मति-भिः | जुजोषते // ऋ. वे. ९,१०३.१ //
परि | वाराणि | अव्यया | गोभिः | अञ्जानः | अर्षति | त्री | सध-स्था | पुनानः | कृणुते | हरिः // ऋ. वे. ९,१०३.२ //
परि | कोशम् | मधु-श्चुतम् | अव्यये | वारे | अर्षति | अभि | वाणीः | ऋषीणाम् | सप्त | नूषत // ऋ. वे. ९,१०३.३ //
परि | नेता | मतीनाम् | विश्व-देवः | अदाभ्यः | सोमः | पुनानः | चम्वोः | विशत् | हरिः // ऋ. वे. ९,१०३.४ //
परि | दैवीः | अनु | स्वधाः | इन्द्रेण | याहि | स-रथम् | पुनानः | वाघत् | वाघत्-भिः | अमर्त्यः // ऋ. वे. ९,१०३.५ //
परि | सप्तिः | न | वाज-युः | देवः | देवेभ्यः | सुतः | वि-आनशिः | पवमानः | वि | धावति // ऋ. वे. ९,१०३.६ //
//६//.

-ऋ. वे. ७:५/७-
(ऋ. वे. ९,१०४)
सखायः | आ | नि | सीदत | पुनानाय | प्र | गायत | शिशुम् | न | यज्ञैः | परि | भूषत | श्रिये // ऋ. वे. ९,१०४.१ //
सम् | ईम् इति | वत्सम् | न | मातृ-भिः | सृजत | गय-साधनम् | देव-अव्यम् | मदम् | अभि | द्वि-शवसम् // ऋ. वे. ९,१०४.२ //
पुनात | दक्ष-साधनम् | यथा | शर्धाय | वीतये | यथा | मित्राय | वरुणाय | शम्-तमः // ऋ. वे. ९,१०४.३ //
अस्मभ्यम् | त्वा | वसु-विदम् | अभि | वाणीः | अनूषत | गोभिः | ते | वर्णम् | अभि | वासयामसि // ऋ. वे. ९,१०४.४ //
सः | नः | मदानाम् | पते | इन्दो इति | देव-प्सराः | असि | सखा-इव | सख्ये | गातुवित्-तमः | भव // ऋ. वे. ९,१०४.५ //
सनेमि | कृधि | अस्मत् | आ | रक्षसम् | कम् | चित् | अत्रिणम् | अप | अदेवम् | द्वयुम् | अंहः | युयोधि | नः // ऋ. वे. ९,१०४.६ //
//७//.

-ऋ. वे. ७:५/८-
(ऋ. वे. ९,१०५)
तम् | वः | सखायः | मदाय | पुनानम् | अभि | गायत | शिशुम् | न | यज्ञैः | स्वदयन्त | गूर्ति-भिः // ऋ. वे. ९,१०५.१ //
सम् | वत्सः-इव | मातृ-भिः | इन्दुः | हिन्वानः | अज्यते | देव-अवीः | मदः | मति-भिः | परि-कृतः // ऋ. वे. ९,१०५.२ //
अयम् | दक्षाय | साधनः | अयम् | शर्धाय | वीतये | अयम् | देवेभ्यः | मधुमत्-तमः | सुतः // ऋ. वे. ९,१०५.३ //
गो-मत् | नः | इन्दो इति | अश्व-वत् | सुतः | सु-दक्ष | धन्व | शुचिम् | ते | वर्णम् | अधि | गोषु | दीधरम् // ऋ. वे. ९,१०५.४ //
सः | नः | हरीणाम् | पते | इन्दो इति | देवप्सरः-तमः | सखा-इव | सख्ये | नर्यः | रुचे | भव // ऋ. वे. ९,१०५.५ //
सनेमि | त्वम् | अस्मत् | आ | अदेवम् | कम् | चित् | अत्रिणम् | साह्वान् | इन्दो इति | परि | बाधः | अप | द्वयुम् // ऋ. वे. ९,१०५.६ //
//८//.

-ऋ. वे. ७:५/९-
(ऋ. वे. ९,१०६)
इन्द्रम् | अच्छ | सुताः | इमे | वृषणम् | यन्तु | हरयः | श्रुष्टी | जातासः | इन्दवः | स्वः-विदः // ऋ. वे. ९,१०६.१ //
अयम् | भराय | सानसिः | इन्द्राय | पवते | सुतः | सोमः | जैत्रस्य | चेतति | यथा | विदे // ऋ. वे. ९,१०६.२ //
अस्य | इत् | इन्द्रः | मदेषु | आ | ग्राभम् | गृभ्णीत | सानसिम् | वज्रम् | च | वृषणम् | भरत् | सम् | अप्सु-जित् // ऋ. वे. ९,१०६.३ //
प्र | धन्व | सोम | जागृविः | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव | द्यु-मन्तम् | शुष्मम् | आ | भर | स्वः-विदम् // ऋ. वे. ९,१०६.४ //
इन्द्राय | वृषणम् | मदम् | पवस्व | विश्व-दर्शतः | सहस्र-यामा | पथि-कृत् | वि-चक्षणः // ऋ. वे. ९,१०६.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ७:५/१०-
अस्मभ्यम् | गातुवित्-तमः | देवेभ्यः | मधुमत्-तमः | सहस्रम् | याहि | पथि-भिः | कनिक्रदत् // ऋ. वे. ९,१०६.६ //
पवस्व | देव-वीतये | इन्दो इति | धाराभिः | ओजसा | आ | कलशम् | मधु-मान् | सोम | नः | सदः // ऋ. वे. ९,१०६.७ //
तव | द्रप्साः | उद-प्रुतः | इन्द्रम् | मदाय | ववृधुः | त्वाम् | देवासः | अमृताय | कम् | पपुः // ऋ. वे. ९,१०६.८ //
आ | नः | सुतासः | इन्दवः | पुनानाः | धावत | रयिम् | वृष्टि-द्यावः | रीति-आपः | स्वः-विदः // ऋ. वे. ९,१०६.९ //
सोमः | पुनानः | ऊर्मिणा | अव्यः | वारम् | वि | धावति | अग्रे | वाचः | पवमानः | कनिक्रदत् // ऋ. वे. ९,१०६.१० //
//१०//.

-ऋ. वे. ७:५/११-
धीभिः | हिन्वन्ति | वाजिनम् | वने | क्रीऌअन्तम् | अति-अविम् | अभि | त्रि-पृष्ठम् | मतयः | सम् | अस्वरन् // ऋ. वे. ९,१०६.११ //
असर्जि | कलशान् | अभि | मीऌहे | सप्तिः | न | वाज-युः | पुनानः | वाचम् | जनयन् | असिस्यदत् // ऋ. वे. ९,१०६.१२ //
पवते | हर्यतः | हरिः | अति | ह्वरांसि | रंह्या | अभि-अर्षन् | स्तोतृ-भ्यः | वीर-वत् | यशः // ऋ. वे. ९,१०६.१३ //
अया | पवस्व | देव-युः | मधोः | धाराः | असृक्षत | रेभन् | पवित्रम् | परि | एषि | विश्वतः // ऋ. वे. ९,१०६.१४ //
//११//.

-ऋ. वे. ७:५/१२-
(ऋ. वे. ९,१०७)
परि | इतः | सिञ्चत | सुतम् | सोमः | यः | उत्-तमम् | हविः | दधन्वान् | यः | नर्यः | अप्-सु | अन्तः | आ | सुसाव | सोमम् | अद्रि-भिः // ऋ. वे. ९,१०७.१ //
नूनम् | पुनानः | अवि-भिः | परि | स्रव | अदब्धः | सुरभिम्-तरः | सुते | चित् | त्वा | अप्-सु | मादामः | अन्धसा | श्रीणन्तः | गोभिः | उत्-तरम् // ऋ. वे. ९,१०७.२ //
परि | सुवानः | चक्षसे | देव-मादनः | क्रतुः | इन्दुः | वि-चक्षणः // ऋ. वे. ९,१०७.३ //
पुनानः | सोम | धारया | अपः | वसानः | अर्षसि | आ | रत्न-धाः | योनिम् | ऋतस्य | सीदसि | उत्सः | देव | हिरण्ययः // ऋ. वे. ९,१०७.४ //
दुहानः | ऊधः | दिव्यम् | मधु | प्रियम् | प्रत्नम् | सध-स्थम् | आ | असदत् | आपृच्छ्यम् | धरुणम् | वाजी | अर्षति | नृ-भिः | धूतः | वि-चक्षणः // ऋ. वे. ९,१०७.५ //
//१२//.

-ऋ. वे. ७:५/१३-
पुनानः | सोम | जागृविः | अव्यः | वारे | परि | प्रियः | त्वम् | विप्रः | अभवः | अङ्गिरः-तमः | मध्वा | यज्ञम् | मिमिक्ष | नः // ऋ. वे. ९,१०७.६ //
सोमः | मीढवान् | पवते | गातुवित्-तमः | ऋषिः | विप्रः | वि-चक्षणः | त्वम् | कविः | अभवः | देव-वीतमः | आ | सूर्यम् | रोहयः | दिवि // ऋ. वे. ९,१०७.७ //
सोमः | ॐ इति | सुवानः | सोतृ-भिः | अधि | स्नु-भिः | अवीनाम् | अश्वया-इव | हरिता | याति | धारया | मन्द्रया | याति | धारया // ऋ. वे. ९,१०७.८ //
अनूपे | गो-मान् | गोभिः | अक्षारिति | सोमः | दुग्धाभिः | अक्षारिति | समुद्रम् | न | सम्-वरणानि | अग्मन् | मन्दी | मदाय | तोशते // ऋ. वे. ९,१०७.९ //
आ | सोम | सुवानः | अद्रि-भिः | तिरः | वाराणि | अव्यया | जनः | न | पुरि | चम्वोः | विशत् | हरिः | सदः | वनेषु | दधिषे // ऋ. वे. ९,१०७.१० //
//१३//.

-ऋ. वे. ७:५/१४-
सः | ममृजे | तिरः | अण्वानि | मेष्यः | मीऌहे | सप्तिः | न | वाज-युः | अनु-माद्यः | पवमानः | मनीषि-भिः | सोमः | विप्रेभिः | ऋक्व-भिः // ऋ. वे. ९,१०७.११ //
प्र | सोम | देव-वीतये | सिन्धुः | न | पिप्ये | अर्णसा | अंशोः | पयसा | मदि रः | न | जागृविः | अच्छा | कोशम् | मधु-श्चुतम् // ऋ. वे. ९,१०७.१२ //
आ | हर्यतः | अर्जुने | अत्के | अव्यत | प्रियः | सूनुः | न | मर्ज्यः | तम् | ईम् | हिन्वन्ति | अपसः | यथा | रथम् | नदीषु | आ | गभस्त्योः // ऋ. वे. ९,१०७.१३ //
अभि | सोमासः | आयवः | पवन्ते | मद्यम् | मदम् | समुद्रस्य | अधि | विष्टपि | मनीषिणः | मत्सरासः | स्वः-विदः // ऋ. वे. ९,१०७.१४ //
तरत् | समुद्रम् | पवमानः | ऊर्मिणा | राजा | देवः | ऋतम् | बृहत् | अर्षत् | मित्रस्य | वरुणस्य | धर्मणा | प्र | हिन्वानः | ऋतम् | बृहत् // ऋ. वे. ९,१०७.१५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ७:५/१५-
नृ-भिः | येमानः | हर्यतः | वि-चक्षणः | राजा | देवः | समुद्रियः // ऋ. वे. ९,१०७.१६ //
इन्द्राय | पवते | मदः | सोमः | मरुत्वते | सुतः | सहस्र-धारः | अति | अव्यम् | अर्षति | तम् | ईम् इति | मृजन्ति | आयवः // ऋ. वे. ९,१०७.१७ //
पुनानः | चमू इति | जनयन् | मतिम् | कविः | सोमः | देवेषु | रण्यति | अपः | वसानः | परि | गोभिः | उत्-तरः | सीदन् | वनेषु | अव्यत // ऋ. वे. ९,१०७.१८ //
तव | अहम् | सोम | ररण | सख्ये | इन्दो इति | दिवे-दिवे | पुरूणि | बभ्रो इति | नि | चरन्ति | माम् | अव | परि-धीन् | अति | तान् | इहि // ऋ. वे. ९,१०७.१९ //
उत | अहम् | नक्तम् | उत | सोम | ते | दिवा | सख्याय | बभ्रो इति | ऊधनि | घृणा | तपन्तम् | अति | सूर्यम् | परः | शकुनाः-इव | पप्तिम // ऋ. वे. ९,१०७.२० //
//१५//.

-ऋ. वे. ७:५/१६-
मृज्यमानः | सु-हस्त्य | समुद्रे | वाचम् | इन्वसि | रयिम् | पिशङ्गम् | बहुलम् | पुरु-स्पृहम् | पवमान | अभि | अर्षसि // ऋ. वे. ९,१०७.२१ //
मृजानः | वारे | पवमानः | अव्यये | वृषा | अव | चक्रदः | वने | देवानाम् | सोम | पवमान | निः-कृतम् | गोभिः | अञ्जानः | अर्षसि // ऋ. वे. ९,१०७.२२ //
पवस्व | वाज-सातये | अभि | विश्वानि | काव्या | त्वम् | समुद्रम् | प्रथमः | वि | धारयः | देवेभ्यः | सोम | मत्सरः // ऋ. वे. ९,१०७.२३ //
सः | तु | पवस्व | परि | पार्थिवम् | रजः | दिव्या | च | सोम | धर्म-भिः | त्वाम् | विप्रासः | मति-भिः | वि-चक्षण | शुभ्रम् | हिन्वन्ति | धीति-भिः // ऋ. वे. ९,१०७.२४ //
पवमानाः | असृक्षत | पवित्रम् | अति | धारया | मरुत्वन्तः | मत्सराः | इन्द्रियाः | हयाः | मेधाम् | अभि | प्रयांसि | च // ऋ. वे. ९,१०७.२५ //
अपः | वसानः | परि | कोशम् | अर्षति | इन्दुः | हियानः | सोतृ-भिः | जनयन् | ज्योतिः | मन्दनाः | अवीवशत् | गाः | कृण्वानः | न | निः-निजम् // ऋ. वे. ९,१०७.२६ //
//१६//.

-ऋ. वे. ७:५/१७-
(ऋ. वे. ९,१०८)
पवस्व | मधुमत्-तमः | इन्द्राय | सोम | क्रतुवित्-तमः | मदः | महि | द्युक्ष-तमः | मदः // ऋ. वे. ९,१०८.१ //
यस्य | ते | पीत्वा | वृषभः | वृष-यते | अस्य | पीता | स्वः-विदः | सः | सु-प्रकेतः | अभि | अक्रमीत् | इषः | अच्छ | वाजम् | न | एतशः // ऋ. वे. ९,१०८.२ //
त्वम् | हि | अङ्ग | दैव्या | पवमान | जनिमानि | द्युमत्-तमः | अमृत-त्वाय | घोषयः // ऋ. वे. ९,१०८.३ //
येन | नव-ग्वः | दध्यङ् | अप-ऊर्णुते | येन | विप्रासः | आपिरे | देवानाम् | सुम्ने | अमृतस्य | चारुणः | येन | श्रवांसि | आनशुः // ऋ. वे. ९,१०८.४ //
एषः | स्यः | धारया | सुतः | अव्यः | वारेभिः | पवते | मदिन्-तमः | क्रीऌअन् | ऊर्मिः | अपाम्-इव // ऋ. वे. ९,१०८.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ७:५/१८-
यः | उस्रियाः | अप्याः | अन्तः | अश्मनः | निः | गाः | अकृण्तत् | ओजसा | अभि | व्रजम् | तत्निषे | गव्यम् | अश्व्यम् | वर्मी-इव | धृष्णो इति | आ | रुज // ऋ. वे. ९,१०८.६ //
आ | सोत | परि | सिञ्चत | अश्वम् | न | स्तोमम् | अप्-तुरम् | रजः-तुरम् | वन-क्रक्षम् | उद-प्रुतम् // ऋ. वे. ९,१०८.७ //
सहस्र-धारम् | वृषभम् | पयः-वृधम् | प्रियम् | देवाय | जन्मने | ऋतेन | यः | ऋत-जातः | वि-ववृधे | राजा | देवः | ऋतम् | बृहत् // ऋ. वे. ९,१०८.८ //
अभि | द्युम्नम् | बृहत् | यशः | इषः | पते | दिदीहि | देव | देव-युः | वि | कोशम् | मध्यमम् | युव // ऋ. वे. ९,१०८.९ //
आ | वच्यस्व | सु-दक्ष | चम्वोः | सुतः | विशाम् | वह्निः | न | विश्पतिः | वृष्टिम् | दिवः | पवस्व | रीतिम् | अपाम् | जिन्व | गो-इष्टये | धियः // ऋ. वे. ९,१०८.१० //
//१८//.

-ऋ. वे. ७:५/१९-
एतम् | ॐ इति | त्यम् | मद-च्युतम् | सहस्र-धारम् | वृषभम् | दिवः | दुहुः | विश्वा | वसूनि | बिभ्रतम् // ऋ. वे. ९,१०८.११ //
वृषा | वि | जज्ञे | जनयन् | अमर्त्यः | प्र-तपन् | ज्योतिषा | तमः | सः | सु-स्तुतः | कवि-भिः | निः-निजम् | दधे | त्रि-धातु | अस्य | दंससा // ऋ. वे. ९,१०८.१२ //
सः | सुन्वे | यः | वसूनाम् | यः | रायाम् | आनेता | यः | इऌआनाम् | सोमः | यः | सु-क्षितीनाम् // ऋ. वे. ९,१०८.१३ //
यस्य | नः | इन्द्रः | पिबात् | यस्य | मरुतः | यस्य | वा | अर्यमणा | भगः | आ | येन | मित्रावरुणा | करामहे | आ | इन्द्रम् | अवसे | महे // ऋ. वे. ९,१०८.१४ //
इन्द्राय | सोम | पातवे | नृ-भिः | यतः | सु-आयुधः | मदिन्-तमः | पवस्व | मधुमत्-तमः // ऋ. वे. ९,१०८.१५ //
इन्द्रस्य | हार्दि | सोम-धानम् | आ | विश | समुद्रम्-इव | सिन्धवः | जुष्टः | मित्राय | वरुणाय | वायवे | दिवः | विष्टम्भः | उत्-तमः // ऋ. वे. ९,१०८.१६ //
//१९//.

-ऋ. वे. ७:५/२०-
(ऋ. वे. ९,१०९)
परि | प्र | धन्व | इन्द्राय | सोम | स्वादुः | मित्राय | पूष्णे | भगाय // ऋ. वे. ९,१०९.१ //
इन्द्रः | ते | सोम | सुतस्य | पेयाः | क्रत्वे | दक्षाय | विश्वे | च | देवाः // ऋ. वे. ९,१०९.२ //
एव | अमृताय | महे | क्षयाय | सः | शुक्रः | अर्ष | दिव्यः | पीयूषः // ऋ. वे. ९,१०९.३ //
पवस्व | सोम | महान् | समुद्रः | पिता | देवानाम् | विश्वा | अभि | धाम // ऋ. वे. ९,१०९.४ //
शुक्रः | पवस्व | देवेभ्यः | सोम | दिवे | पृथिव्यै | शम् | च | प्र-जायै // ऋ. वे. ९,१०९.५ //
दिवः | धर्ता | असि | शुक्रः | पीयूषः | सत्ये | वि-धर्मन् | वाजी | पवस्व // ऋ. वे. ९,१०९.६ //
पवस्व | सोम | द्युम्नी | सु-धारः | महाम् | अवीनाम् | अनु | पूर्व्यः // ऋ. वे. ९,१०९.७ //
नृ-भिः | येमानः | जज्ञानः | पूतः | क्षरत् | विश्वानि | मन्द्रः | स्वः-वित् // ऋ. वे. ९,१०९.८ //
इन्दुः | पुनानः | प्र-जाम् | उराणः | करत् | विश्वानि | द्रविणानि | नः // ऋ. वे. ९,१०९.९ //
पवस्व | सोम | क्रत्वे | दक्षाय | अश्वः | न | निक्तः | वाजी | धनाय // ऋ. वे. ९,१०९.१० //
//२०//.

-ऋ. वे. ७:५/२१-
तम् | ते | सोतारः | रसम् | मदाय | पुनन्ति | सोमम् | महे | द्युम्नाय // ऋ. वे. ९,१०९.११ //
शिशुम् | जज्ञानम् | हरिम् | मृजन्ति | पवित्रे | सोमम् | देवेभ्यः | इन्दुम् // ऋ. वे. ९,१०९.१२ //
इन्दुः | पविष्ट | चारुः | मदाय | अपाम् | उप-स्थे | कविः | भगाय // ऋ. वे. ९,१०९.१३ //
बिभर्ति | चारु | इन्द्रस्य | नाम | येन | विश्वानि | वृत्रा | जघान // ऋ. वे. ९,१०९.१४ //
पिबन्ति | अस्य | विश्वे | देवासः | गोभिः | श्रीतस्य | नृ-भिः | सुतस्य // ऋ. वे. ९,१०९.१५ //
प्र | सुवानः | अक्षारिति | सहस्र-धारः | तिरः | पवित्रम् | वि | वारम् | अव्यम् // ऋ. वे. ९,१०९.१६ //
सः | वाजी | अक्षारिति | सहस्र-रेताः | अत्-भिः | मृजानः | गोभिः | श्रीणानः // ऋ. वे. ९,१०९.१७ //
प्र | सोम | याहि | इन्द्रस्य | कुक्षा | नृ-भिः | येमानः | अद्रि-भिः | सुतः // ऋ. वे. ९,१०९.१८ //
असर्जि | वाजी | तिरः | पवित्रम् | इन्द्राय | सोमः | सहस्र-धारः // ऋ. वे. ९,१०९.१९ //
अञ्जन्ति | एनम् | मध्वः | रसेन | इन्द्राय | वृष्णे | इन्दुम् | मदाय // ऋ. वे. ९,१०९.२० //
देवेभ्यः | त्वा | वृथा | पाजसे | अपः | वसानम् | हरिम् | मृजन्ति // ऋ. वे. ९,१०९.२१ //
इन्दुः | इन्द्राय | तोशते | नि | तोशते | श्रीणन् | उग्रः | रिणन् | अपः // ऋ. वे. ९,१०९.२२ //
//२१//.

-ऋ. वे. ७:५/२२-
(ऋ. वे. ९,११०)
परि | ॐ इति | सु | प्र | धन्व | वाज-सातये | परि | वृत्राणि | सक्षणिः | द्विषः | तरध्यै | ऋण-याः | नः | ईयसे // ऋ. वे. ९,११०.१ //
अनु | हि | त्वा | सुतम् | सोम | मदामसि | महे | समर्य-राज्ये | वाजान् | अभि | पवमान | प्र | गाहसे // ऋ. वे. ९,११०.२ //
अजीजनः | हि | पवमान | सूर्यम् | वि-धारे | शक्मना | पयः | गो-जीरया | रंहमाणः | पुरन्ध्या // ऋ. वे. ९,११०.३ //
अजीजनः | अमृत | मर्त्येषु | आ | ऋतस्य | धर्मन् | अमृतस्य | चारुणः | सदा | असरः | वाजम् | अच्छ | सनिस्यदत् // ऋ. वे. ९,११०.४ //
अभि-अभि | हि | श्रवसा | ततर्दिथ | उत्सम् | न | कम् | चित् | जन-पानम् | अक्षितम् | शर्याभिः | न | भरमाणः | गभस्त्योः // ऋ. वे. ९,११०.५ //
आत् | ईम् | के | चित् | पश्यमानासः | आप्यम् | वसु-रुचः | दिव्याः | अभि | अनूषत | वारम् | न | देवः | सविता | वि | ऊर्णुते // ऋ. वे. ९,११०.६ //
//२२//.

-ऋ. वे. ७:५/२३-
त्वे इति | सोम | प्रथमाः | वृक्त-बर्हिषः | महे | वाजाय | श्रवसे | धियम् | दधुः | सः | त्वम् | नः | वीर | वीर्याय | चोदय // ऋ. वे. ९,११०.७ //
दिवः | पीयूषम् | पूर्व्यम् | यत् | उक्थ्यम् | महः | गाहात् | दिवः | आ | निः | अधुक्षत | इन्द्रम् | अभि | जायमानम् | सम् | अस्वरन् // ऋ. वे. ९,११०.८ //
अध | यत् | इमे इति | पवमान | रोदसी इति | इमा | च | विश्वा | भुवना | अभि | जज्मना | यूथे | न | निः-स्थाः | वृषभः | वि | तिष्ठसे // ऋ. वे. ९,११०.९ //
सोमः | पुनानः | अव्यये | वारे | शिशुः | न | क्रीऌअन् | पवमानः | अक्षारिति | सहस्र-धारः | शत-वाजः | इन्दुः // ऋ. वे. ९,११०.१० //
एषः | पुनानः | मधु-मान् | ऋत-वा | इन्द्राय | इन्दुः | पवते | स्वादुः | ऊर्मिः | वाज-सनिः | वरिवः-वित् | वयः-धाः // ऋ. वे. ९,११०.११ //
सः | पवस्व | सहमानः | पृतन्यून् | सेधन् | रक्षांसि | अप | दुः-गहाणि | सु-आयुधः | ससह्वान् | सोम | शत्रून् // ऋ. वे. ९,११०.१२ //
//२३//.

-ऋ. वे. ७:५/२४-
(ऋ. वे. ९,१११)
अया | रुचा | हरिण्या | पुनानः | विश्वा | द्वेषांसि | तरति | स्वयुग्व-भिः | सूरः | न | स्वयुग्व-भिः | धारा | सुतस्य | रोचते | पुनानः | अरुषः | हरिः | विश्वा | यत् | रूपा | परि-याति | ऋक्व-भिः | सप्त-आस्येभिः | ऋक्व-भिः // ऋ. वे. ९,१११.१ //
त्वम् | त्यत् | पणीनाम् | विदः | वसु | सम् | मातृ-भिः | मर्जयसि | स्वे | आ | दमे | ऋतस्य | धीति-भिः | दमे | परावतः | न | साम | तत् | यत्र | रणन्ति | धीतयः | त्रिधातु-भिः | अरुषीभिः | वयः | दधे | रोचमानः | वयः | दधे // ऋ. वे. ९,१११.२ //
पूर्वाम् | अनु | प्र-दिशम् | याति | चेकितत् | सम् | रश्मि-भिः | यतते | दर्शतः | रथः | दैव्यः | दर्शतः | रथः | अग्मन् | उक्थानि | पैंस्या | इन्द्रम् | जैत्राय | हर्षयन् | वज्रः | च | यत् | भवथः | अनप-च्युता | समत्-सु | अनप-च्युता // ऋ. वे. ९,१११.३ //
//२४//.

-ऋ. वे. ७:५/२५-
(ऋ. वे. ९,११२)
नानानम् | वै | ॐ इति | नः | धियः | वि | व्रतानि | जनानाम् | तक्षा | रिष्टम् | रुतम् | भिषक् | ब्रह्मा | सुन्वन्तम् | इच्छति | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११२.१ //
जरतीभिः | ओषधीभिः | पर्णेभिः | शकुनानाम् | कार्मारः | अश्म-भिः | द्यु-भिः | हिरण्य-वन्तम् | इच्छति | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११२.२ //
कारुः | अहम् | ततः | भिषक् | उपल-प्रक्षिणी | नना | नानाधियः | वसु-यवः | अनु | गाः-इव | तस्थिम | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११२.३ //
अश्वः | वोऌहा | सुखम् | रथम् | हसनाम् | उप-मन्त्रिणः | शेपः | रोमण्-वन्तौ | भेदौ | वाः | इत् | मण्डूकः | इच्छति | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११२.४ //
//२५//.

-ऋ. वे. ७:५/२६-
(ऋ. वे. ९,११३)
शर्यणावति | सोमम् | इन्द्रः | पिबतु | वृत्र-हा | बलम् | दधानः | आत्मनि | करिष्यन् | वीर्यम् | महत् | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११३.१ //
आ | पवस्व | दिशाम् | पते | आर्जीकात् | सोम | मीढवः | ऋत-वाकेन | सत्येन | श्रद्धया | तपसा | सुतः | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११३.२ //
पर्जन्य-वृद्धम् | महिषम् | तम् | सूर्यस्य | दुहिता | आ | अभरत् | तम् | गन्धर्वाः | प्रति | अगृभ्णन् | तम् | सोमे | रसम् | आ | दधुः | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११३.३ //
ऋतम् | वदन् | ऋत-द्युम्न | सत्यम् | वदन् | सत्य-कर्मन् | श्रद्धाम् | वदन् | सोम | राजन् | धात्रा | सोम | परि-कृत | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११३.४ //
सत्यम्-उग्रस्य | बृहतः | सम् | स्रवन्ति | सम्-स्रवाः | सम् | यन्ति | रसिनः | रसाः | पुनानः | ब्रह्मणा | हरे | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११३.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ७:५/२७-
यत्र | ब्रह्मा | पवमान | छन्दस्याम् | वाचम् | वदन् | ग्राव्णा | सोमे | महीयते | सोमेन | आनन्दम् | जनयन् | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११३.६ //
यत्र | ज्योतिः | अजस्रम् | यस्मिन् | लोके | स्वः | हितम् | तस्मिन् | माम् | धेहि | पवमान | अमृते | लोके | अक्षिते | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११३.७ //
यत्र | राजा | वैवस्वतः | यत्र | अव-रोधनम् | दिवः | यत्र | अमूः | यह्वतीः | आपः | तत्र | माम् | अमृतम् | कृधि | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११३.८ //
यत्र | अनु-कामम् | चरणम् | त्रि-नाके | त्रि-दिवे | दिवः | लोकाः | यत्र | ज्योतिष्मन्तः | तत्र | माम् | अमृतम् | कृधि | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११३.९ //
यत्र | कामाः | नि-कामाः | च | यत्र | ब्रध्नस्य | विष्टपम् | स्वधा | च | यत्र | तृप्तिः | च | तत्र | माम् | अमृतम् | कृधि | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११३.१० //
यत्र | आनन्दाः | च | मोदाः | च | मुदः | प्र-मुदः | आसते | कामस्य | यत्र | आप्ताः | कामाः | तत्र | माम् | अमृतम् | कृधि | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११३.११ //
//२७//.

-ऋ. वे. ७:५/२८-
(ऋ. वे. ९,११४)
यः | इन्दोः | पवमानस्य | अनु | धामानि | अक्रमीत् | तम् | आहुः | सु-प्रजाः | इति | यः | ते | सोम | अविन्धत् | मनः | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११४.१ //
ऋषे | मन्त्र-कृताम् | स्तोमैः | कश्यप | उत्-वर्धयन् | गिरः | सोमम् | नमस्य | राजानम् | यः | जज्ञे | वीरुधाम् | पतिः | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११४.२ //
सप्त | दिशः | नानासूर्याः | सप्त | होतारः | ऋत्विजः | देवाः | आदित्याः | ये | सप्त | तेभिः | सोम | अभि | रक्ष | नः | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११४.३ //
यत् | ते | राजन् | शृतम् | हविः | तेन | सोम | अभि | रक्ष | नः | अराति-वा | मा | नः | तारीत् | मो इति | च | नः | किम् | चन | आममत् | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ९,११४.४ //
//२८//.