सामग्री पर जाएँ

ऋग्वेद-पदपाठः/मण्डलम्-८

विकिस्रोतः तः
← मण्डलम्-७ ऋग्वेद-पदपाठः
मण्डलम्-८
[[लेखकः :|]]
मण्डलम्-९ →


-ऋ. वे. ५:७/१०-
(ऋ. वे. ८,१)
मा | चित् | अन्यत् | वि | शंसत | सखायः | मा | रिषण्यत | इन्द्रम् | इत् | स्तोत | वृषणम् | सच | सुते | मुहुः | उक्था | च | शंसत // ऋ. वे. ८,१.१ //
अव-क्रक्षिणम् | वृषभम् | यथा | अजुरम् | गाम् | न | चर्षणि-सहम् | वि-द्वेषणम् | सम्-वनना | उभयम्-करम् | मंहिष्ठम् | उभयाविनम् // ऋ. वे. ८,१.२ //
यत् | चित् | हि | त्वा | जनाः | इमे | नाना | हवन्ते | ऊतये | अस्माकम् | ब्रह्म | इदम् | इन्द्र | भूतु | ते | अहा | विश्वा | च | वर्धनम् // ऋ. वे. ८,१.३ //
वि | तर्तूर्यन्ते | मघ-वन् | विपः-चितः | अर्यः | विपः | जनानाम् | उप | क्रमस्व | पुरु-रूपम् | आ | भर | वाजम् | नेदिष्ठम् | ऊतये // ऋ. वे. ८,१.४ //
महे | चन | त्वाम् | अद्रि-वः | परा | शुल्काय | देयाम् | न | सहस्राय | न | अयुताय | वज्रि-वः | न | शताय | शत-मघ // ऋ. वे. ८,१.५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ५:७/११-
वस्यान् | इन्द्र | असि | मे | पितुः | उत | भ्रातुः | अभुञ्जतः | माता | च | मे | छदयथः | समा | वसो इति | वसु-त्वनाय | राधसे // ऋ. वे. ८,१.६ //
क्व | इयथ | क्व | इत् | असि | पुरु-त्रा | चित् | हि | ते | मनः | अलर्षि | युध्म | खज-कृत् | पुरम्-दर | प्र | गायत्राः | अगासिषुः // ऋ. वे. ८,१.७ //
प्र | अस्मै | गायत्रम् | अर्चत | ववातुः | यः | परम्-दरः | याभिः | काण्वस्य | उप | बर्हिः | आसदम् | यासत् | वज्री | भिनत् | पुरः // ऋ. वे. ८,१.८ //
ये | ते | सन्ति | दश-ग्विनः | शतिनः | ये | सहस्रिणः | अश्वासः | ये | ते | वृषणः | रघु-द्रुवः | तेभिः | नः | तूयम् | आ | गहि // ऋ. वे. ८,१.९ //
आ | तु | अद्य | सबः-दुघाम् | हुवे | गायत्र-वेपसम् | इन्द्रम् | धेनुम् | सु-दुघाम् | अन्याम् | इषम् | उरु-धाराम् | अरम्-कृतम् // ऋ. वे. ८,१.१० //
//११//.

-ऋ. वे. ५:७/१२-
यत् | तुदत् | सूरः | एतशम् | वङ्कूइति | वातस्य | पर्णिना | वहत् | कुत्सम् | आर्जुनेयम् | शत-क्रतुः | त्सरत् | गन्धर्वम् | अस्तृतम् // ऋ. वे. ८,१.११ //
यः | ऋते | चित् | अभि-श्रिषः | पुरा | जत्रु-भ्यः | आतृदः | सम्-धाता | सन्धिम् | मघ-वा | पुरु-वसुः | इष्कर्ता | वि-ह्रुतम् | पुनरिति // ऋ. वे. ८,१.१२ //
मा | भूम | निष्ट्याः-इव | इन्द्र | त्वत् | अरणाः-इव | वनानि | न | प्र-जहितानि | अद्रि-वः | दुरोषासः | अमन्महि // ऋ. वे. ८,१.१३ //
अमन्महि | इत् | अनाशवः | अनुग्रासः | च | वृत्र-हन् | सकृत् | सु | ते | महता | शूर | राधसा | अनु | स्तोमम् | मुदीमहि // ऋ. वे. ८,१.१४ //
यदि | स्तोमम् | मम | श्रवत् | अस्माकम् | इन्द्रम् | इन्दवः | तिरः | पवित्रम् | ससृ-वांसः | आशवः | मन्दन्तु | तुग्र्य-वृधः // ऋ. वे. ८,१.१५ //
//१२//.

-ऋ. वे. ५:७/१३-
आ | तु | अद्य | सध-स्तुतिम् | ववातुः | सख्युः | आ | गहि | उप-स्तुतिः | मघोनाम् | प्र | त्वा | अवतु | अध | ते | वश्मि | सु-स्तुतिम् // ऋ. वे. ८,१.१६ //
सोता | हि | सोमम् | अद्रि-भिः | आ | ईम् | एनम् | अप्-सु | धावत | गव्या | वस्त्राइव | वासयन्तः | इत् | नरः | निः | धुक्षन् | वक्षणाभ्यः // ऋ. वे. ८,१.१७ //
अध | ज्मः | अघ | वा | दिवः | बृहतः | रोचनात् | अधि | अया | वर्धस्व | तन्वा | गिरा | मम | आ | जाता | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | पृण // ऋ. वे. ८,१.१८ //
इन्द्राय | सु | मदिन्-तमम् | सोमम् | सोत | वरेण्यम् | शक्रः | एणम् | पीपयत् | विश्वया | धिया | हिन्वानम् | न | वाज-युम् // ऋ. वे. ८,१.१९ //
मा | त्वा | सोमस्य | गल्दया | सदा | याचन् | अहम् | गिरा | भूर्णिम् | मृगम् | न | सवनेषु | चुक्रुधम् | कः | ईशानम् | न | याचिषत् // ऋ. वे. ८,१.२० //
//१३//.

-ऋ. वे. ५:७/१४-
मदेन | इषितम् | मदम् | उग्रम् | उग्रेण | शवसा | विश्वेषाम् | तरुतारम् | मद-च्युतम् | मदे | हि | स्म | ददाति | नः // ऋ. वे. ८,१.२१ //
शेवारे | वार्या | पुरु | देवः | मर्ताय | दाशुषे | सः | सुन्वते | च | स्तुवते | च | रासते | विश्व-गूर्तः | अरि-स्तुतः // ऋ. वे. ८,१.२२ //
आ | इन्द्र | याहि | मत्स्व | चित्रेण | देव | राधसा | सरः | न | प्रासि | उदरम् | सपीति-भिः | आ | सोमेभिः | उरु | स्फिरम् // ऋ. वे. ८,१.२३ //
आ | त्वा | सहस्रम् | आ | शतम् | युक्ताः | रथे | हिरण्यये | ब्रह्म-युजः | हरयः | इन्द्र | केशिनः | वहन्तु | सोम-पीतये // ऋ. वे. ८,१.२४ //
आ | त्वा | रथे | हिरण्यये | हरी इति | मयूर-शेप्या | शिति-पृष्ठा | वहताम् | मध्वः | अन्धसः | विवक्षणस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,१.२५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ५:७/१५-
पिब | तु | अस्य | गिर्वणः | सुतस्य | पूर्वपाः-इव | परि-कृतस्य | रसिनः | इयम् | आसुतिः | चारुः | मदाय | पत्यते // ऋ. वे. ८,१.२६ //
यः | एकः | अस्ति | दंसना | महाम् | उग्रः | अभि | व्रतैः | गमत् | सः | शिप्री | न | सः | योषत् | आ | गमत् | हवम् | न | परि | वर्जति // ऋ. वे. ८,१.२७ //
त्वम् | पुरम् | चरिष्ण्वम् | वधैः | शुष्णस्य | सम् | पिणक् | त्वम् | भाः | अनु | चरः | अध | द्विता | यत् | इन्द्र | हव्यः | भुवः // ऋ. वे. ८,१.२८ //
मम | त्वा | सूरे | उत्-इते | मम | मध्यन्दिने | दिवः | मम | प्र-पित्वे | अपि-शर्वरे | वसो इति | आ | स्तोमासः | अवृत्सत // ऋ. वे. ८,१.२९ //
स्तुहि | स्तुहि | इत् | एते | घ | ते | मंहिष्ठासः | मघोनाम् | निन्दित-अश्वः | प्र-पथी | परम-ज्याः | मघस्य | मेध्य-अतिथे // ऋ. वे. ८,१.३० //
//१५//.

-ऋ. वे. ५:७/१६-
आ | यत् | अश्वान् | वनन्-वतः | श्रद्धया | अहम् | रथे | रुहम् | उत | वामस्य | वसुनः | चिकेतति | यः | अस्ति | याद्वः | पशुः // ऋ. वे. ८,१.३१ //
यः | ऋज्रा | मह्यम् | ममहे | सह | त्वचा | हिरण्यया | एषः | विश्वानि | अभि | अस्तु | सौभगा | आसङ्गस्य | स्वनत्-रथः // ऋ. वे. ८,१.३२ //
अध | प्लायोगिः | अति | दासत् | अन्यान् | आसङ्गः | अग्ने | दश-भिः | सहस्रैः | अध | उक्षणः | दश | मह्यम् | रुशन्तः | नऌआः-इव | सरसः | निः | अतिष्ठन् // ऋ. वे. ८,१.३३ //
अनु | अस्य | स्थूरम् | ददृशे | पुरस्तात् | अनस्थः | ऊरुः | अव-रम्बमाणः | शश्वती | नारी | अभि-चक्ष्य | आह | सु-भद्रम् | अर्य | भोजनम् | बिभर्षि // ऋ. वे. ८,१.३४ //
//१६//.

-ऋ. वे. ५:७/१७-
(ऋ. वे. ८,२)
इदम् | वसो
इति | सुतम् | अन्धः | पिब | सु-पूर्णम् | उदरम् | अनाभयिन् | ररिम | ते // ऋ. वे. ८,२.१ //
नृ-भिः | धूतः | सुतः | अश्नैः | अव्यः | वारैः | परि-पूतः | अश्वः | न | निक्तः | नदीषु // ऋ. वे. ८,२.२ //
तम् | ते | यवम् | यथा | गोभिः | स्वादुम् | अकर्म | श्रीणन्तः | इन्द्र | त्वा | अस्मिन् | सध-मादे // ऋ. वे. ८,२.३ //
इन्द्र | इत् | सोम-पाः | एकः | इन्द्रः | सुत-पाः | विश्व-आयुः | अन्तः | देवान् | मर्त्यान् | च // ऋ. वे. ८,२.४ //
न | यम् | शुक्रः | न | दुः-आशीः | न | तृप्राः | उरु-व्यचसम् | अप-स्पृण्वते | सु-हार्दम् // ऋ. वे. ८,२.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ५:७/१८-
गोभिः | यत् | ईम् | अन्ये | अस्मत् | मृगम् | न | व्राः | मृगयन्ते | अभि-त्सरन्ति | धेनु-भिः // ऋ. वे. ८,२.६ //
त्रयः | इन्द्रस्य | सोमाः | सुतासः | सन्तु | देवस्य | स्वे | क्षये | सुत-पाव्नः // ऋ. वे. ८,२.७ //
त्रयः | कोशासः | श्चोतन्ति | तिस्रः | चम्वः | सु-पूर्णाः | समाने | अधि | भार्मन् // ऋ. वे. ८,२.८ //
शुचिः | असि | पुरुनिः-स्थाः | क्षीरैः | मध्यतः | आशीर्तः | दध्ना | मन्दिष्ठः | शूरस्य // ऋ. वे. ८,२.९ //
इमे | ते | इन्द्र | सोमाः | तीव्राः | अस्मे इति | सुतासः | शुक्राः | आशिरम् | याचन्ते // ऋ. वे. ८,२.१० //
//१८//.

-ऋ. वे. ५:७/१९-
तान् | आशिरम् | पुरोऌआशम् | इन्द्र | इमम् | सोमम् | श्रीणीहि | रेवन्तम् | हि | त्वा | शृणोमि // ऋ. वे. ८,२.११ //
हृत्-सु | पीतासः | युध्यन्ते | दुः-मदासः | न | सुरायाम् | ऊधः | न | नग्नाः | जरन्ते // ऋ. वे. ८,२.१२ //
रेवान् | इत् | रेवतः | स्तोता | स्यात् | त्वावतः | मघोनः | प्र | इत् | ॐ इति | हरि-वः | श्रुतस्य // ऋ. वे. ८,२.१३ //
उक्थम् | चन | शस्यमानम् | अगोः | अरिः | आ | चिकेत | न | गायत्रम् | गीयमानम् // ऋ. वे. ८,२.१४ //
मा | नः | इन्द्र | पीयत्नवे | मा | शर्धते | परा | दाः | शिक्षा | शची-वः | शचीभि ः // ऋ. वे. ८,२.१५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ५:७/२०-
वयम् | ॐ इति | त्वा | ततित्-अर्थाः | इन्द्र | त्वायन्तः | सखायः | कण्वाः | उक्थेभिः | जरन्ते // ऋ. वे. ८,२.१६ //
न | घ | ईम् | अन्यत् | आ | पपन | वज्रिन् | अपसः | नविष्टौ | तव | इत् | ॐ इति | स्तोमम् | चिकेत // ऋ. वे. ८,२.१७ //
इच्छन्ति | देवाः | सुन्वन्तम् | न | स्वप्नाय | स्पृहयन्ति | यन्ति | प्र-मादम् | अतन्द्राः // ऋ. वे. ८,२.१८ //
ओ इति | सु | प्र | याहि | वाजेभिः | मा | हृणीथाः | अभि | अस्मान् | महान्-इव | युव-जानि ः // ऋ. वे. ८,२.१९ //
मो इति | सु | अद्य | दुः-हनावान् | सायम् | करत् | आरे | अस्मत् | अश्रीरः-इव | जामाता // ऋ. वे. ८,२.२० //
//२०//.

-ऋ. वे. ५:७/२१-
विद्म | हि | अस्य | वीरस्य | भूरि-दावारीम् | सु-मतिम् | त्रिषु | जातस्य | मनांस् इ // ऋ. वे. ८,२.२१ //
आ | तु | सिञ्च | कण्व-मन्तम् | न | घ | विद्म | शवसानात् | यशः-तरम् | शतम्-ऊतेः // ऋ. वे. ८,२.२२ //
ज्येष्ठेन | सोतः | इन्द्राय | सोमम् | वीराय | शक्राय | भर | पिबत् | नर्याय // ऋ. वे. ८,२.२३ //
यः | वेदिष्ठः | अव्यथिषु | अश्व-वन्तम् | जरितृ-भ्यः | वाजम् | स्तोतृ-भ्यः | गो--मन्तम् // ऋ. वे. ८,२.२४ //
पन्यम्-पन्यम् | इत् | सोतारः | आ | धावत | मद्याय | सोमम् | वीराय | शूराय // ऋ. वे. ८,२.२५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ५:७/२२-
पाता | वृत्र-हा | सुतम् | आ | घ | गमत् | न | आरे | अस्मत् | नि | यमते | शतम्-ऊतिः // ऋ. वे. ८,२.२६ //
आ | इह | हरी इति | ब्रह्म-युजा | शग्मा | वक्षतः | सखायम् | गीः-भिः | श्रुतम् | गिर्वणसम् // ऋ. वे. ८,२.२७ //
स्वादवः | सोमाः | आ | याहि | श्रीताः | सोमाः | आ | याहि | शिप्रिन् | ऋषि-वः | शची-वः | न | अयम् | अच्छ | सध-मादम् // ऋ. वे. ८,२.२८ //
स्तुतः | च | याः | त्वा | वर्धन्ति | महे | राधसे | नृम्णाय | इन्द्र | कारिणम् | वृधन्तः // ऋ. वे. ८,२.२९ //
गिरः | च | याः | ते | गिर्वाहः | उक्था | च | तुभ्यम् | तानि | सत्रा | दधिरे | शवांसि // ऋ. वे. ८,२.३० //
//२२//.

-ऋ. वे. ५:७/२३-
एव | इत् | एषः | तुवि-कूर्मिः | वाजान् | एकः | वज्र-हस्तः | सनात् | अमृक्तः | दयते // ऋ. वे. ८,२.३१ //
हन्त | वृत्रम् | दक्षिणेन | इन्द्रः | पुरु | पुरु-हूतः | महान् | महीभिः | शचीभिः // ऋ. वे. ८,२.३२ //
यस्मिन् | विश्वाः | चर्षणयः | उत | च्यौत्ना | ज्रयांसि | च | अनु | घ | इत् | मन्दी | मघोनः // ऋ. वे. ८,२.३३ //
एषः | एतानि | चकार | इन्द्रः | विश्वा | यः | अति | शृण्वे | वाज-दावा | मघोनाम् // ऋ. वे. ८,२.३४ //
प्र-भर्ता | रथम् | गव्यन्तम् | अपाकात् | चित् | यम् | अवति | इनः | वसु | सः | हि | वोऌहा // ऋ. वे. ८,२.३५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ५:७/२४-
सनिता | विप्रः | अर्वत्-भिः | हन्ता | वृत्रम् | नृ-भिः | शूरः | सत्यः | अविता | विधन्तम् // ऋ. वे. ८,२.३६ //
यजध्व | एनम् | प्रिय-मेधाः | इन्द्रम् | सत्राचा | मनसा | यः | भूत् | सोमैः | सत्य-मद्वा // ऋ. वे. ८,२.३७ //
गाथ-श्रवसम् | सत्-पतिम् श्रवः-कामम् | पुरु-त्मानम् | कण्वासः | गात | वाजिनम् // ऋ. वे. ८,२.३८ //
यः | ऋते | चित् | गाः | पदेभ्यः | दात् | सखा | नृ-भ्यः | शची-वान् | ये | अस्मिन् | कामम् | अश्रियन् // ऋ. वे. ८,२.३९ //
इत्था | धी-वन्तम् | अद्रि-वः | काण्वम् | मेध्य-अतिथिम् | मेषः | भूतः | अभि | यन् | अयः // ऋ. वे. ८,२.४० //
शिक्ष | विभिन्दो इतिवि-भिन्दो | अस्मै | चत्वारि | अयुता | ददत् | अष्ट | परः | सहस्रा // ऋ. वे. ८,२.४१ //
उत | सु | त्ये इति | पयः-वृधा | माकी इति | रणस्य | नप्त्या | जनि-त्वनाय | ममहे // ऋ. वे. ८,२.४२ //
//२४//.

-ऋ. वे. ५:७/२५-
(ऋ. वे. ८,३)
पिबाअ | सुतस्य | रसिनः | मत्स्व | नः | इन्द्र | गो--मतः | आपिः | नः | बोधि | सध-माद्यः | वृधे | अस्मान् | अवन्तु | ते | धियः // ऋ. वे. ८,३.१ //
भूयाम | ते | सु-मतौ | वाजिनः | वयम् | मा | नः | स्तः | अभि-मातये | अस्मान् | च् इत्राभिः | अवतात् | अभिष्टि-भिः | आ | नः | सुम्नेषु | यमय // ऋ. वे. ८,३.२ //
इमाः | ॐ इति | त्वा | पुरुवसो इतिपुरु-वसो | गिरः | वर्धन्तु | याः | मम | पावक-वर्णाः | शुचयः | विपः-चितः | अभि | स्तोमैः | अनूषत // ऋ. वे. ८,३.३ //
अयम् | सहस्रम् | ऋषि-भिः | सहः-कृतः | समुद्रः-इव | पप्रथे | सत्यः | सः | अस्य | महिमा | गृणे | शवः | यज्ञेषु | विप्र-राज्ये // ऋ. वे. ८,३.४ //
इन्द्रम् | इत् | देव-तातये | इन्द्रम् | प्र-यति | अध्वरे | इन्द्रम् | सम्-ईके | वनिनः | हवामहे | इन्द्रम् | धनस्य | सातये // ऋ. वे. ८,३.५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ५:७/२६-
इन्द्रः | मह्ना | रोदसी इति | पप्रथत् | शवः | इन्द्रः | सूर्यम् | अरोचयत् | इन्द्रे | ह | विश्वा | भुवनानि | येमिरे | इन्द्रे | सुवानासः | इन्दवः // ऋ. वे. ८,३.६ //
अभि | त्वा | पूर्व-पीतये | इन्द्र | स्तोमेभिः | आयवः | सम्-ईचीनासः | ऋभवः | सम् | अस्वरन् | रुद्राः | गृणन्त | पूर्व्यम् // ऋ. वे. ८,३.७ //
अस्य | इत् | इन्द्रः | ववृधे | वृष्ण्यम् | शवः | मदे | सुतस्य | विष्णवि | अद्य | तम् | अस्य | महिमानम् | आयवः | अनु | स्तुवन्ति | पूर्व-था // ऋ. वे. ८,३.८ //
तत् | त्व | यामि | सु-वीर्यम् | तत् | ब्रह्म | पूर्व-चित्तये | येन | यति-भ्यः | भृगवे | धने | हिते | येन | प्रस्कण्वम् | आविथ // ऋ. वे. ८,३.९ //
येन | समुद्रम् | असृजः | महीः | अपः | तत् | इन्द्र | वृष्णि | ते | शवः | सद्यः | सः | अस्य | महिमा | न | सम्-नशे | यम् | क्षोणीः | अनु-चक्रदे // ऋ. वे. ८,३.१० //
//२६//.

-ऋ. वे. ५:७/२७-
शग्धि | नः | इन्द्र | यत् | त्वा | रयिम् | यामि | सु-वीर्यम् | शग्धि | वाजाय | प्रथमम् | सिसासते | शग्धि | स्तोमाय | पूर्व्य // ऋ. वे. ८,३.११ //
शग्धि | नः | अस्य | यत् | ह | पौरम् | आविथ | धियः | इन्द्र | सिसासतः | शग्धि | यथा | रुशमम् | श्यावकम् | कृपम् | इन्द्र | प्र | आवः | स्वः-नरम् // ऋ. वे. ८,३.१२ //
कत् | नव्यः | अतसीनाम् | तुरः | गृणीत | मर्त्यः | नह् | नु | अस्य | महिमानम् | इन्द्रियम् | स्वः | गृणन्तः | आनशुः // ऋ. वे. ८,३.१३ //
कत् | ॐ इति | स्तुवन्तः | ऋत-यन्त | देवता | ऋषिः | कः | विप्रः | ओहते | कदा | हवम् | मघवन् | इन्द्र | सुन्वतः | कत् | ॐ इति | स्तुवतः | आ | गमः // ऋ. वे. ८,३.१४ //
उत् | ॐ इति | त्ये | मधुमत्-तमाः | गिरः | स्तोमासः | ईरते | सत्राजितः | धन-साः | अक्षित-ऊतयः | वाजयन्तः | रथाः-इव // ऋ. वे. ८,३.१५ //
//२७//.

-ऋ. वे. ५:७/२८-
कण्वाः-इव | भृगवः | सूर्याइव | विश्वम् | इत् | धीतन् | आनशुः | इन्द्रम् | स्तोमेभिः | महयन्तः | आयवः | प्रिय-मेधासः | अस्वरन् // ऋ. वे. ८,३.१६ //
युक्ष्व | हि | वृत्रहन्-तम | हरी इति | इन्द्र | परावतः | अर्वाचीनः | मघ-वन् | सोम-पीतये | उग्रः | ऋष्वेभिः | आ | गहि // ऋ. वे. ८,३.१७ //
इमे | हि | ते | कारवः | वावशुः | धिया | विप्रासः | मेध-सातये | सः | त्वम् | नः | मघ-वन् | इन्द्र | गिर्वणः | वेनः | न | शृणुधि | हवम् // ऋ. वे. ८,३.१८ //
निः | इन्द्र | बृहतीभ्यः | वृत्रम् | धनु-भ्यः | अस्फुरः | निः | अर्बुदस्य | मृगयस्य | मायिनः | निः | पर्वतस्य | गाः | आजः // ऋ. वे. ८,३.१९ //
निः | अग्नयः | रुरुचुः | निः | ॐ इति | सूर्यः | निः | सोमः | इन्द्रियः | रसः | निः | अन्तरिक्षात् | अधमः | महाम् | अहिम् | कृषे | तत् | इन्द्र | पैंस्यम् // ऋ. वे. ८,३.२० //
//२८//.

-ऋ. वे. ५:७/२९-
यम् | मे | दुः | इन्द्रः | मरुतः | पाक-स्थामा | कौरयाणः | विश्वेषाम् | त्मना | शोभ् इष्ठम् | उप-इव | दिवि | धावमानम् // ऋ. वे. ८,३.२१ //
रोहितम् | मे | पाक-स्थामा | सु-धुरम् | कक्ष्य-प्राम् | अदात् | रायः | वि-बोधनम् // ऋ. वे. ८,३.२२ //
यस्मै | अन्ये | दश | प्रति | धुरम् | वहन्ति | वह्नयः | अस्तम् | वयः | न | तुग्र्यम् // ऋ. वे. ८,३.२३ //
अत्मा | पितुः | तनूः | वासः | ओजः-दाः | अभि-अञ्जनम् | तुरीयम् | इत् | रोहितस्य | पाक-स्थामानम् | भोजम् | दातारम् | अब्रवम् // ऋ. वे. ८,३.२४ //
//२९//.

-ऋ. वे. ५:७/३०-
(ऋ. वे. ८,४)
यत् | इन्द्र | प्राक् | अपाक् | उदक् | न्यक् | वा | हूयसे | नृ-भिः | सिम | पुरु | नृ-सूतः | असि | आनवे | असि | प्र-शर्ध | तुर्वशे // ऋ. वे. ८,४.१ //
यत् | वा | रुमे | रुशमे | श्यावके | कृपे | इन्द्र | मादयसे | सचा | कण्वासः | त्वा | ब्रह्म-भिः | स्तोम-वाहसः | इन्द्र | आ | यच्छन्ति | आ | गहि // ऋ. वे. ८,४.२ //
यथा | गौरः | अपा | कृतम् | तृष्यन् | एति | अव | इरिणम् | आपित्वे | नः | प्र-पित्वे | तूयम् | आ | गहि | कण्वेषु | सु | सचा | पिब // ऋ. वे. ८,४.३ //
मन्दन्तु | त्वा | मघ-वन् | इन्द्र | इन्दवः | राधः-दयाय | सुन्वते | आमुष्य | सोमम् | अपिबः | चमू इति | सुतम् | ज्येष्ठम् | तत् | दधिषे | सहः // ऋ. वे. ८,४.४ //
प्र | चक्रे | सहसा | सहः | बभञ्ज | मन्युम् | ओजसा | विश्वे | ते | इन्द्र | पृतनायवः | यहो इति | नि | वृक्षाः-इव | येमिरे // ऋ. वे. ८,४.५ //
//३०//.

-ऋ. वे. ५:७/३१-
सहस्रेण-इव | सचते | यवि-युधा | यः | ते | आनट् | उप-स्तुतिम् | पुत्रम् | प्रावर्गम् | कृणुते | सु-वीर्ये | दाश्नोति | नम-उक्ति-भिः // ऋ. वे. ८,४.६ //
मा | भेम | मा | श्रमिष्म | उग्रस्य | सख्ये | तव | महत् | ते | वृष्णः | अभि-चक्ष्यम् | कृतम् | पश्येम | तुर्वशम् | यदुम् // ऋ. वे. ८,४.७ //
सव्याम् | अनु | स्फिग्यम् | ववसे | वृषा | न | दानः | अस्य | रोषति | मध्वा | सम्-पृक्ताः | सारघेण | धेनवः | तूयम् | आ | इहि | द्रव | पिब // ऋ. वे. ८,४.८ //
अश्वी | रथी | सु-रूपः | इत् | गो--मान् | इत् | इन्द्र | ते | सखा | श्वात्र-भाजा | वयसा | सचते | सदा | चन्द्रः | याति | सभाम् | उप // ऋ. वे. ८,४.९ //
ऋश्यः | न | तृष्यन् | अव-पानम् | आ | गहि | पिब | सोमम् | वशान् | अनु | नि-मेघमानः | मघ-वन् | दिवे--दिवे | ओजिष्ठम् | दधिषे | सहः // ऋ. वे. ८,४.१० //
//३१//.

-ऋ. वे. ५:७/३२-
अध्वर्यो इति | द्रावय | त्वम् | सोमम् | इन्द्रः | पिपासति | उप | नूनम् | युयुजे | वृषणा | हरी इति | आ | च | जगाम | वृत्र-हा // ऋ. वे. ८,४.११ //
स्वयम् | चित् | सः | मन्यते | दाशुरिः | जनः | यत्र | सोमस्य | तृम्पसि | इदम् | ते | अन्नम् | युज्यम् | सम्-उक्षितम् | तस्य | इहि | प्र | द्रव | पिब // ऋ. वे. ८,४.१२ //
रथेष्ठाय | अध्वर्यवः | सोमम् | इन्द्राय | सोतन | अधि | ब्रध्नस्य | अद्रयः | वि | चक्षते | सुन्वन्तः | दाशु-अध्वरम् // ऋ. वे. ८,४.१३ //
उप | ब्रध्नम् | ववाता | वृषणा | हरी इति | इन्द्रम् | अप-सु | वक्षतः | अर्वाञ्चम् | त्वा | सप्तयः | अध्वर-श्रियः | वहन्तु | सवना | इत् | उप // ऋ. वे. ८,४.१४ //
प्र | पूषणम् | वृणीमहे | युज्याय | पुरु-वसुम् | सः | शक्र | शिक्ष | पुरु-हूत | नः | धिया | तुजे | राये | वि-मोचन // ऋ. वे. ८,४.१५ //
//३२//.

-ऋ. वे. ५:७/३३-
सम् | नः | शिशीहि | भुरिजोः-इव | क्षुरम् | रास्व | रायः | वि-मोचन | त्वे इति | तत् | नः | सु-वेदम् | उस्रियम् | वसु | यम् | त्वम् | हिनोषि | मर्त्यम् // ऋ. वे. ८,४.१६ //
वेमि | त्वा | पूषन् | ऋञ्जसे | वेमि | स्तोतवे | आघृणे | न | तस्य | वेमि | अरणम् | हि | तत् | वसो इति | स्तुषे | पज्राय | साम्ने // ऋ. वे. ८,४.१७ //
परा | गावः | यवसम् | कत् | चित् | आघृणे | नित्यम् | रेक्णः | अमर्त्य | अस्माकम् | पूषन् | अविता | शिवः | भव | मंहिष्ठः | वाज-सातये // ऋ. वे. ८,४.१८ //
स्थूरम् | राधः | शत-अश्वम् | कुरुङ्गस्य | दिविष्टिषु | राज्ञः | त्वेषस्य | सु-भगस्य | रातिषु | तुर्वशेषु | अमन्महि // ऋ. वे. ८,४.१९ //
धीभिः | सातानि | काण्वस्य | वाजिनः | प्रिय-मेधैः | अभिद्यु-भिः | षष्टिम् | सहस्रा | अनु | निः-मजाम् | अजे | निः | यूथानि | गवाम् | ऋषिः // ऋ. वे. ८,४.२० //
वृक्षाः | चित् | मे | अभि-पित्वे | अररणुः | गाम् | भजन्त | मेहना | अश्वम् | भजन्त | मेहना // ऋ. वे. ८,४.२१ //
//३३//.




-ऋ. वे. ५:८/१-
(ऋ. वे. ८,५)
दूरात् | इह-इव | यत् | सती | अरुण-प्शुः | अशिश्वितत् | वि | भानुम् | विश्वधा | अतनत् // ऋ. वे. ८,५.१ //
नृ-वत् | दस्रा | मनः-युजा | रथेन | पृथु-पाजसा | सचेथेइति | अश्विना | उषसम् // ऋ. वे. ८,५.२ //
युवाभ्याम् | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | प्रति | स्तोमाः | अदृक्षत | वाचम् | दूतः | यथा | ओहिषे // ऋ. वे. ८,५.३ //
पुरु-प्रिया | नः | ऊतये | पुरु-मन्द्रा | पुरुवसूइतिपुरु-वसू | स्तुषे | कण्वासः | अश्विना // ऋ. वे. ८,५.४ //
मंहिष्ठा | वाज-सातमा | इषयन्ता | शुभः | पती इति | गन्तारा | दाशुषः | गृहम् // ऋ. वे. ८,५.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ५:८/२-
ता | सु-देवाय | दाशुषे | सु-मेधाम् | अवि-तारिणीम् | घृतैः | गव्यूतिम् | उक्षतम् // ऋ. वे. ८,५.६ //
आ | नः | स्तोमम् | उप | द्रवत् | तूयम् | श्येनेभिः | आशु-भिः | यातम् | अश्वेभिः | अश्व् इना // ऋ. वे. ८,५.७ //
येभिः | तिस्रः | परावतः | दिवः | विश्वानि | रोचना | त्रीन् | अक्तून् | परि-दीयथः // ऋ. वे. ८,५.८ //
उत | नः | गो--मतीः | इषः | उत | सातीः | अहः-विदा | वि | पथः | सातये | सितम् // ऋ. वे. ८,५.९ //
आ | नः | गो--मन्तम् | अश्विना | सु-वीरम् | सु-रथम् | रयिम् | वोऌहम् | अश्व-वतीः | इषः // ऋ. वे. ८,५.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ५:८/३-
वावृधाना | शुभः | पती इति | दस्रा | हिरण्य-वर्तनी इतिहिरण्य-वर्तनी | पिबतम् | सोम्यम् | मधु // ऋ. वे. ८,५.११ //
अस्मभ्यम् | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | मघवत्-भ्यः | च | स-प्रथः | छर्दिः | यन्तम् | अदाभ्यम् // ऋ. वे. ८,५.१२ //
नि | सु | ब्रह्म | जनानाम् | या | अविष्टम् | तूयम् | आ | गतम् | मो इति | सु | अन्यान् | उप | अरतम् // ऋ. वे. ८,५.१३ //
अस्य | पिबतम् | अश्विना | युवम् | मदस्य | चारुणः | मध्वः | रातस्य | धिष्ण्या // ऋ. वे. ८,५.१४ //
अस्मे इति | आ | वहतम् | रयिम् | शत-वन्तम् | सहस्रिणम् | पुरु-क्षुम् | विश्व-धायसम् // ऋ. वे. ८,५.१५ //
//३//.

-ऋ. वे. ५:८/४-
पुरु-त्रा | चित् | हि | वाम् | नरा | वि-ह्वयन्ते | मनीषिणः | वाघत्-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. ८,५.१६ //
जनासः | वृक्त-बर्हिषः | हविष्मन्तः | अरम्-कृतः | युवाम् | हवन्ते | अश्विना // ऋ. वे. ८,५.१७ //
अस्माकम् | अद्य | वाम् | अयम् | स्तोमः | वाहिष्ठः | अन्तमः | युवाभ्याम् | भूतु | अश्वि ना // ऋ. वे. ८,५.१८ //
यः | ह | वाम् | मधुनः | दृतिः | आहितः | रथ-चर्षणे | ततः | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,५.१९ //
तेन | नः | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | पश्वे | तोकाय | शम् | गवे | वहतम् | पीवरीः | इषः // ऋ. वे. ८,५.२० //
//४//.

-ऋ. वे. ५:८/५-
उत | नः | दिव्याः | इषः | उत | सिन्धून् | अहः-विदा | अप | द्वाराइव | वषर्थः // ऋ. वे. ८,५.२१ //
कदा | वाम् | तौग्र्यः | विधत् | समुद्रे | जहितः | नरा | यत् | वाम् | रथः | वि-भिः | पतात् // ऋ. वे. ८,५.२२ //
युवम् | कण्वाय | नासत्या | अपि-रिप्ताय | हर्म्ये | शश्वत् | ऊतीः | दशस्यथः // ऋ. वे. ८,५.२३ //
ताभिः | आ | यातम् | ऊति-भिः | नव्यसीभिः | सुशस्ति-भिः | यत् | वाम् | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू | हुवे // ऋ. वे. ८,५.२४ //
यथा | चित् | कण्वम् | आवतम् | प्रिय-मेधम् | उप-स्तुतम् | अत्रिम् | शिञ्जारम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,५.२५ //
//५//.

-ऋ. वे. ५:८/६-
यथा | उत | कृत्व्ये | धने | अंशुम् | गोषु | अगस्त्यम् | यथा | वाजेषु | सोभरिम् // ऋ. वे. ८,५.२६ //
एतावत् | वाम् | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू | अतः | वा | भूयः | अश्विना | गृणन्तः | सुम्नम् | ईमहे // ऋ. वे. ८,५.२७ //
रथम् | हिरण्य-वन्धुरम् | हिरण्य-अभीशुम् | अश्विना | आ | हि | स्थाथः | दिवि-स्पृशम् // ऋ. वे. ८,५.२८ //
हिरण्ययीम् | वाम् | रभिः | ईषा | अक्षः | हिरण्ययः | उभा | चक्रा | हिरण्यया // ऋ. वे. ८,५.२९ //
तेन | नः | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | परावतः | चित् | आ | गतम् | उप | इमाम् | सु-स्तुतिम् | मम // ऋ. वे. ८,५.३० //
//६//.

-ऋ. वे. ५:८/७-
आ | वहेथेइति | पराकात् | पूर्वीः | अश्नन्तौ | अश्विना | इषः | दासीः | अमर्त्या // ऋ. वे. ८,५.३१ //
आ | नः | द्युमैः | आ | श्रवः-भिः | आ | राया | यातम् | अश्विना | पुरु-चन्द्रा | नासत्या // ऋ. वे. ८,५.३२ //
आ | इह | वाम् | प्रुषित-प्सवः | वयः | वहन्तु | पर्णिनः | अच्छ | सु-अध्वरम् | जनम् // ऋ. वे. ८,५.३३ //
रथम् | वाम् | अनु-गायसम् | य | इषा | वर्तते | सह | न | चक्रम् | अभि | बाधते // ऋ. वे. ८,५.३४ //
हिरण्ययेन | रथेन | द्रवत्पाणि-भिः | अश्वैः | धी-जवना | नासत्या // ऋ. वे. ८,५.३५ //
//७//.

-ऋ. वे. ५:८/८-
युवम् | मृगम् | जागृ-वांसम् | स्वदथः | वा | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू | ता | नः | पृङ्क्तम् | इषा | रयिम् // ऋ. वे. ८,५.३६ //
ता | मे | अश्विना | सनीनाम् | विध्यातम् | नवानाम् | यथा | चित् | चैद्यः | कशुम् | शतम् | उष्ट्रानाम् | ददत् | सहस्रा | दश | गोनाम् // ऋ. वे. ८,५.३७ //
यः | मे | हिरण्य-सन्दृशः | दश | राज्ञः | अमंहत | अधः-पदाः | इत् | चैद्यस्य | कृष्टयः | चर्म-म्नाः | अभितः | जनाः // ऋ. वे. ८,५.३८ //
माकिः | एना | पथा | गाद्येन | इमे | यन्ति | चेदयः | अन्यः | न | इत् | सूरिः | ओहते | भूर्दावत्-तरः | जनः // ऋ. वे. ८,५.३९ //
//८//.

-ऋ. वे. ५:८/९-
(ऋ. वे. ८,६)
महान् | इन्द्रः | यः | ओजसा | पर्जन्यः | वृष्टिमान्-इव | स्तोमैः | वत्सस्य | ववृधे // ऋ. वे. ८,६.१ //
प्र-जाम् | ऋतस्य | पिप्रतः | प्र | यत् | भरन्त | वह्नयः | विप्राः | ऋतस्य | वाहसा // ऋ. वे. ८,६.२ //
कण्वाः | इन्द्रम् | यत् | अक्रत | स्तोमैः | यज्ञस्य | साधनम् | जामि | ब्रुवते | आयुधम् // ऋ. वे. ८,६.३ //
सम् | अस्य | मन्यवे | विशः | विश्वाः | नमन्त | कृष्टयः | समुद्राय-इव | सिन्धवः // ऋ. वे. ८,६.४ //
ओजः | तत् | अस्य | तित्विषे | उभे इति | यत् | सम्-अवर्तयत् | इन्द्रः | चर्म-इव | रोदसी इति // ऋ. वे. ८,६.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ५:८/१०-
वि | चित् | वृत्रस्य | दोधतः | वज्रेण | शत-पर्वणा | शिरः | बिभेद | वृष्णिना // ऋ. वे. ८,६.६ //
इमाः | अभि | प्र | नोनुमः | विपाम् | अग्रेषु | धीतयः | अग्नेः | शोचिः | न | दिद्युतः // ऋ. वे. ८,६.७ //
गुहा | सतीः | उप | त्मना | प्र | यत् | शोचन्त | धीतयः | कण्वाः | ऋतस्य | धारया // ऋ. वे. ८,६.८ //
प्र | तम् | इन्द्र | नशीमहि | रयिम् | गो--मन्तम् | अश्विनम् | प्र | ब्रह्म | पूर्व-चित्तये // ऋ. वे. ८,६.९ //
अहम् | इत् | हि | पितुः | परि | मेधाम् | ऋतस्य | जग्रभ | अहम् | सूर्यः-इव | अजनि // ऋ. वे. ८,६.१० //
//१०//.

-ऋ. वे. ५:८/११-
अहम् | प्रत्नेन | मन्मना | गिरः | शुम्भामि | कण्व-वत् | येन | इन्द्रः | शुष्मम् | इत् | दधे // ऋ. वे. ८,६.११ //
ये | त्वाम् | इन्द्र | न | तुस्तुवुः | ऋषयः | ये | च | तुस्तुवुः | मम | इत् | वर्धस्व | सु-स्तुतः // ऋ. वे. ८,६.१२ //
यत् | अस्य | मन्युः | अध्वनीत् | वि | वृत्रम् | पर्व-शः | रुजन् | अपः | समुद्रम् | ऐरयत् // ऋ. वे. ८,६.१३ //
नि | शुष्णे | इन्द्र | धर्णसिम् | वज्रम् | जघन्थ | दस्यवि | वृषा | हि | उग्र | शृण्वि षे // ऋ. वे. ८,६.१४ //
न | द्यावः | इन्द्रम् | ओजसा | न | अन्तरिक्षाणि | वज्रिणम् | न | विव्यचन्त | भूमयः // ऋ. वे. ८,६.१५ //
//११//.

-ऋ. वे. ५:८/१२-
यः | ते | इन्द्र | महीः | अपः | स्तभु-यमानः | आ | अशयत् | नि | तम् | पद्यासु | शिश्नथः // ऋ. वे. ८,६.१६ //
यः | इमे इति | रोदसी इति | मही इति | समीची इतिसम्-ईची | सम्-अजग्रभीत् | तमः-भिः | इन्द्र | तम् | गुहः // ऋ. वे. ८,६.१७ //
ये | इन्द्र | यतयः | त्वा | भृगवः | ये | च | तुस्तुवुः | मम | इत् | उग्र | स्रुधि | हवम् // ऋ. वे. ८,६.१८ //
इमाः | ते | इन्द्र | पृश्नयः | घृतम् | दुहते | आशिरम् | एनाम् | ऋतस्य | पिप्युषीः // ऋ. वे. ८,६.१९ //
याः | इन्द्र | प्र-स्वः | त्वा | आसा | गर्भम् | अचक्रिरन् | परि | धर्म-इव | सूर्यम् // ऋ. वे. ८,६.२० //
//१२//.

-ऋ. वे. ५:८/१३-
त्वाम् | इत् | शवसः | पते | कण्वाः | उक्थेन | ववृधुः | त्वाम् | सुतासः | इन्दवः // ऋ. वे. ८,६.२१ //
तव | इत् | इन्द्र | प्र-नीतिषु | उत | प्र-शस्तिः | अद्रि-वः | यज्ञः | वितन्तसाय्यः // ऋ. वे. ८,६.२२ //
आ | नः | इन्द्र | महीम् | इषम् | पुरम् | न | दर्षि | गो--मतीम् | उत | प्र-जाम् | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. ८,६.२३ //
उत | त्यत् | आशु-अश्व्यम् | यत् | इन्द्र | नाहुषीषु | आ | अग्रे | विक्षु | प्र-दीदयत् // ऋ. वे. ८,६.२४ //
अभि | व्रजम् | न | तत्निषे | सूरः | उपाक-चक्षसम् | यत् | इन्द्र | मृऌअयासि | नः // ऋ. वे. ८,६.२५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ५:८/१४-
यत् | अङ्ग | तविषी-यसे | इन्द्र | प्र-राजसि | क्षितीः | महान् | अपारः | ओजसा // ऋ. वे. ८,६.२६ //
तम् | त्वा | हविष्मतीः | विशः | उप | ब्रुवते | ऊतये | उरु-ज्रयसम् | इन्दु-भि ः // ऋ. वे. ८,६.२७ //
उप-ह्वरे | गिरीणाम् | सम्-गथे | च | नदीनाम् | धिया | विप्रः | अजायत // ऋ. वे. ८,६.२८ //
अतः | समुद्रम् | उत्-वतः | चिकित्वान् | अव | पश्यति | यतः | विपानः | एजति // ऋ. वे. ८,६.२९ //
आत् | इत् | प्रत्नस्य | रेतसः | ज्योतिः | पश्यन्ति | वासरम् | परः | यत् | इध्यते | दिवा // ऋ. वे. ८,६.३० //
//१४//.

-ऋ. वे. ५:८/१५-
कण्वासः | इन्द्र | ते | मतिम् | विश्वे | वर्धन्ति | पैंस्यम् | उतो इति | शविष्ठ | वृष्ण्यम् // ऋ. वे. ८,६.३१ //
इमाम् | मे | इन्द्र | सु-स्तुतिम् | जुषस्व | प्र | सु | माम् | अव | उत | प्र | वर्धय | मतिम् // ऋ. वे. ८,६.३२ //
उत | ब्रह्मण्या | वयम् | तुभ्यम् | प्र-वृद्ध | वज्रि-वः | विप्राः | अतक्ष्म | जीवसे // ऋ. वे. ८,६.३३ //
अभि | कण्वाः | अनूषत | आपः | न | प्र-वता | यतीः | इन्द्रम् | वनन्-वती | मतिः // ऋ. वे. ८,६.३४ //
इन्द्रम् | उक्थानि | ववृधुः | समुद्रम्-इव | सिन्धवः | अनुत्त-मन्युम् | अजरम् // ऋ. वे. ८,६.३५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ५:८/१६-
आ | नः | याहि | परावतः | हरि-भ्याम् | हर्यताभ्याम् | इमम् | इन्द्र | सुतम् | पिब // ऋ. वे. ८,६.३६ //
त्वाम् | इत् | वृत्रहन्-तम | जनासः | वृक्त-बर्हिषः | हवन्ते | वाज-सातये // ऋ. वे. ८,६.३७ //
अनु | त्वा | रोदसी इति | उभे इति | चक्रम् | न | वर्ति | एतशम् | अनु | सुवानासः | इन्दवः // ऋ. वे. ८,६.३८ //
मन्दस्व | सु | स्वः-नरे | उत | इन्द्र | शर्यणावति | मत्स्व | विवस्वतः | मती // ऋ. वे. ८,६.३९ //
ववृधानः | उप | द्यवि | वृषा | वज्री | अरोरवीत् | वृत्र-हा | सोम-पातमः // ऋ. वे. ८,६.४० //
//१६//.

-ऋ. वे. ५:८/१७-
ऋषिः | हि | पूर्व-जाः | असि | एकः | ईशानः | ओजसा | इन्द्र | चोष्कूयसे | वसु // ऋ. वे. ८,६.४१ //
अस्माकम् | त्वा | सुतान् | उप | वीत-पृष्ठाः | अभि | प्रयः | शतम् | वहन्तु | हरयः // ऋ. वे. ८,६.४२ //
इमाम् | सु | पूर्व्याम् | धियम् | मधोः | घृतस्य | पिप्युषीम् | कण्वाः | उक्थेन | ववृधुः // ऋ. वे. ८,६.४३ //
इन्द्रम् | इत् | वि-महीनाम् | मेधे | वृणीत | मर्त्यः | इन्द्रम् | सनिष्युः | ऊतये // ऋ. वे. ८,६.४४ //
अर्वाञ्चम् | त्वा | पुरु-स्तुत | प्रियमेध-स्तुता | हरी | सोम-पेयाय | वक्षतः // ऋ. वे. ८,६.४५ //
शतम् | अहम् | तिरिन्दिरे | सहस्रम् | पर्शौ | आ | ददे | राधांसि | याद्वानाम् // ऋ. वे. ८,६.४६ //
त्रीणि | शतानि | अर्वताम् | सहस्रा | दश | गोनाम् | ददुः | पज्राय | साम्ने // ऋ. वे. ८,६.४७ //
उत् | आनट् | ककुहः | दिवम् | उष्ट्रान् | चतुः-युजः | ददत् | श्रवसा | याद्वम् | जनम् // ऋ. वे. ८,६.४८ //
//१७//.

-ऋ. वे. ५:८/१८-
(ऋ. वे. ८,७)
प्र | यत् | वः | त्रि-स्तुभम् | इषम् | मरुतः | विप्रः | अक्षरत् | वि | पर्वतेषु | राजथ // ऋ. वे. ८,७.१ //
यत् | अङ्ग | तविषी-यवः | यामम् | शुभ्राः | अचिध्वम् | नि | पर्वताः | अहासत // ऋ. वे. ८,७.२ //
उत् | ईरयन्त | वायु-भिः | वाश्रासः | पृश्नि-मातरः | धुक्षन्त | पिप्युषीम् | इषम् // ऋ. वे. ८,७.३ //
वपन्ति | मरुतः | मिहम् | प्र | वेपयन्ति | पर्वतान् | यत् | यामम् | यान्ति | वायु-भिः // ऋ. वे. ८,७.४ //
नि | यत् | यामाय | वः | गिरिः | नि | सिन्धवः | वि-धर्मणे | महे | शुष्माय | येमिरे // ऋ. वे. ८,७.५ //
//१८//.

-ऋ. वे. ५:८/१९-
युष्मान् | ॐ इति | नक्तम् | ऊतये | युष्मान् | दिवा | हवामहे | युष्मान् | प्र-यति | अध्वरे // ऋ. वे. ८,७.६ //
उत् | ॐ इति | त्ये | अरुण-प्सवः | चित्राः | यामेभिः | ईरते | वाश्राः | अधि | स्नुना | दिवः // ऋ. वे. ८,७.७ //
सृजन्ति | रश्मिम् | ओजसा | पन्थाम् | सूर्याय | यातवे | ते | भानु-भिः | वि | तस्थिरे // ऋ. वे. ८,७.८ //
इमाम् | मे | मरुतः | गिरम् | इमम् | स्तोमम् | ऋभुक्षणः | इमम् | मे | वनत | हवम् // ऋ. वे. ८,७.९ //
त्रीणि | सरांसि | पृश्नयः | दुदुह्रे | वज्रिणे | मधु | उत्सम् | कवन्धम् | उद्रिणम् // ऋ. वे. ८,७.१० //
//१९//.

-ऋ. वे. ५:८/२०-
मरुतः | यत् | ह | वः | दिवः | सुम्न-यन्तः | हवामहे | आ | तु | नः | उप | गन्तन // ऋ. वे. ८,७.११ //
यूयम् | हि | स्थ | सु-दानवः | रुद्राः | ऋभुक्षणः | दमे | उत | प्र-चेतसः | मदे // ऋ. वे. ८,७.१२ //
आ | नः | रयिम् | मद-च्युतम् | पुरु-क्षुम् | विश्व-धायसम् | इयर्त | मरुतः | दिवः // ऋ. वे. ८,७.१३ //
अधि-इव | यत् | गिरीणाम् | यामम् | शुभ्राः | अचिध्वम् | सुवानैः | मन्दध्वे | इन्दु-भिः // ऋ. वे. ८,७.१४ //
एतावतः | चित् | एषाम् | सुम्नम् | भिक्षेत | मर्त्यः | अदाभ्यस्य | मन्म-भिः // ऋ. वे. ८,७.१५ //
//२०//.

-ऋ. वे. ५:८/२१-
ये | द्रप्साः-इव | रोदसी इति | धमन्ति | अनु | वृष्टि-भिः | उत्सम् | दुहन्तः | अक्षितम् // ऋ. वे. ८,७.१६ //
उत् | ॐ इति | स्वनेभिः | ईरते | उत् | रथैः | उत् | ॐ इति | वायु-भिः | उत् | स्तोमैः | पृश्नि-मातरः // ऋ. वे. ८,७.१७ //
येन | आव | तुर्वशम् | येन | कण्वम् | धन-स्पृतम् | राये | सु | तस्य | धीमहि // ऋ. वे. ८,७.१८ //
इमाः | ॐम् | वः | सु-दानवः | घृतम् | न | पिष्युषीः | इषः | वर्धान् | काण्वस्य | मन्म-भिः // ऋ. वे. ८,७.१९ //
क्व | नूनम् | सु-दानवः | मदथ | वृक्त-बर्हिषः | ब्रह्मा | कः | वः | सपर्यति // ऋ. वे. ८,७.२० //
//२१//.

-ऋ. वे. ५:८/२२-
नहि | स्म | यत् | ह | वः | पुरा | स्तोमेभिः | वृक्त-बर्हिषः | शर्धान् | ऋतस्य | जिन्वथ // ऋ. वे. ८,७.२१ //
सम् | ॐ इति | त्ये | महतीः | अपः | सम् | क्षोणी | सम् | ॐ इति | सूर्यम् | सम् | वज्रम् | पर्व-शः | दधुः // ऋ. वे. ८,७.२२ //
वि | वृत्रम् | पर्व-शः | ययुः | वि | पर्वतान् | अराजिनः | चक्राणाः | वृष्णि | पैंस्यम् // ऋ. वे. ८,७.२३ //
अनु | त्रितस्य | युध्यतः | शुष्मम् | आवन् | उत | क्रतुम् | अनु | इन्द्रम् | वृत्र-तूर्ये // ऋ. वे. ८,७.२४ //
विद्युत्-हस्ताः | अभि-द्यवः | शिप्राः | शीर्षन् | हिरण्ययीः | शुभ्राः | वि | अञ्जत | श्रिये // ऋ. वे. ८,७.२५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ५:८/२३-
उसना | यत् | परावतः | उक्ष्णः | रन्ध्रम् | अयातन | द्यौः | न | चक्रदत् | भिया // ऋ. वे. ८,७.२६ //
आ | नः | मखस्य | दावने | अश्वैः | हिरण्यपाणि-भिः | देवासः | उप | गन्तन // ऋ. वे. ८,७.२७ //
यत् | एषाम् | पृषतीः | रथे | प्रष्टिः | वहति | रोहितः | यान्ति | शुभ्राः | रिणन् | अपः // ऋ. वे. ८,७.२८ //
सु-सोमे | शर्यणावति | आर्जीके | पस्त्य-वति | ययुः | नि-चक्रया | नरः // ऋ. वे. ८,७.२९ //
कदा | गच्छाथ | मरुतः | इत्था | विप्रम् | हवमानम् | मार्डीकेभिः | नाधमानम् // ऋ. वे. ८,७.३० //
//२३//.

-ऋ. वे. ५:८/२४-
कत् | ह | नूनम् | कध-प्रियः | यत् | इन्द्रम् | अजहातन | कः | वः | सखि-त्वे | ओहते // ऋ. वे. ८,७.३१ //
सहो इति | सु | नः | वज्र-हस्तैः | कण्वासः | अग्निम् | मरुत्-भिः | स्तुषे | हिरण्य-वाशीभिः // ऋ. वे. ८,७.३२ //
ओ इति | सु | वृष्णः | प्र-यज्यून् | आ | नव्यसे | सुविताय | ववृत्याम् | चित्र-वाजान् // ऋ. वे. ८,७.३३ //
गिरयः | चित् | नि | जिहते | पर्शानासः | मन्यमानाः | पर्वताः | चित् | नि | येमि रे // ऋ. वे. ८,७.३४ //
आ | अक्ष्ण-यावानः | वहन्ति | अन्तरिक्षेण | पततः | धातारः | स्तुवते | वयः // ऋ. वे. ८,७.३५ //
अग्निः | हि | जानि | पूर्व्यः | छन्दः | न | सूरः | अर्चिषा | ते | भानु-भिः | वि | तस्थ् इरे // ऋ. वे. ८,७.३६ //
//२४//.

-ऋ. वे. ५:८/२५-
(ऋ. वे. ८,८)
आ | नः | विश्वाभिः | ऊति-भिः | अश्विना | गच्छतम् | युवम् | दस्रा | हिरण्य-वर्तनी इतिहिरण्य-वर्तनी | पिबतम् | सोम्यम् | मधु // ऋ. वे. ८,८.१ //
आ | नूनम् | यातम् | अश्विना | रथेन | सूर्य-त्वचा | भुजी इति | हिरण्य-पेशसा | कवी इति | गम्भीर-चेतसा // ऋ. वे. ८,८.२ //
आ | यातम् | नहुषः | परि | आ | अन्तरिक्षात् | सुवृक्ति-भिः | पिबाथः | अश्विना | मधु | कण्वानाम् | सवने | सुतम् // ऋ. वे. ८,८.३ //
आ | नः | यातम् | दिवः | परि | आ | अन्तरिक्षात् | अध-प्रिया | पुत्रः | कण्वस्य | वाम् | इह | सुसाव | सोम्यम् | मधु // ऋ. वे. ८,८.४ //
आ | नः | यातम् | उप-श्रुति | अश्विना | सोम-पीतये | स्वाहा | स्तोमस्य | वर्धना | प्र | कवी इति | धीति-भिः | नरा // ऋ. वे. ८,८.५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ५:८/२६-
यत् | चित् | हि | वाम् | पुरा | ऋषयः | जुहूरे | अवसे | नरा | आ | यातम् | अश्विना | आ | गतम् | उप | इमाम् | सु-स्तुतिम् | मम // ऋ. वे. ८,८.६ //
दिवः | चित् | रोचनात् | अधि | आ | नः | गन्तम् | स्वः-विदा | धीभिः | वत्स-प्रचेतसा | स्तोमेभिः | हवन-श्रुता // ऋ. वे. ८,८.७ //
किम् | अन्ये | परि | आसते | अस्मत् | स्तोमेभिः | अश्विना | पुत्रः | कण्वस्य | वाम् | ऋषिः | गीः-भिः | वत्सः | अवीवृधत् // ऋ. वे. ८,८.८ //
आ | वाम् | विप्रः | इह | अवसे | अह्वत् | स्तोमेभिः | अश्विना | अरिप्रा | वृत्रहन्-तमा | ता | नः | भूतम् | मयः-भुवा // ऋ. वे. ८,८.९ //
आ | यत् | वाम् | योषणा | रथम् | अतिष्ठत् | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | विश्वानि | अश्व् इना | युवम् | प्र | धीतानि | अगच्छतम् // ऋ. वे. ८,८.१० //
//२६//.

-ऋ. वे. ५:८/२७-
अतः | सहस्र-निर्निजा | रथेन | आ | यातम् | अश्विना | वत्सः | वाम् | मधु-मत् | वचः | अशंसीत् | काव्यः | कविः // ऋ. वे. ८,८.११ //
पुरु-मन्द्रा | पुरुवसूइतिपुरु-वसू | मनोतरा | रयीणाम् | स्तोमम् | मे | अश्विनौ | इमम् | अभि | वह्निति | अनूषाताम् // ऋ. वे. ८,८.१२ //
आ | नः | विश्वानि | अश्विना | धत्तम् | राधांसि | अहूया | कृतम् | नः | ऋत्विय-वतः | मा | नः | रीरधतम् | निदे // ऋ. वे. ८,८.१३ //
यत् | नासत्या | परावति | यत् | वा | स्थः | अधि | अम्बरे | अतः | सहस्र-निर्निजा | रथेन | आ | यातम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,८.१४ //
यः | वाम् | नासत्यौ | ऋषिः | गीः-भिः | वत्सः | अवीवृधत् | तस्मै | सहस्र-न् इर्निजम् | इषम् | धत्तम् | घृत-श्चुतम् // ऋ. वे. ८,८.१५ //
//२७//.

-ऋ. वे. ५:८/२८-
प्र | अस्मै | ऊर्जम् | घृत-श्चुतम् | अश्विना | यच्छतम् | युवम् | यः | वाम् | सुम्नाय | तुस्तवत् | वसु-यात् | दानुनः | पती इति // ऋ. वे. ८,८.१६ //
आ | नः | गन्तम् | रिशादसा | इमम् | स्तोमम् | पुरु-भुजा | कृतम् | नः | सु-श्रियः | नरा | इमा | दातम् | अभिष्टये // ऋ. वे. ८,८.१७ //
आ | वाम् | विश्वाभिः | ऊति-भिः | प्रिय-मेधाः | अहूषत | राजन्तौ | अध्वराणाम् | अश्वि ना | याम-हूतिषु // ऋ. वे. ८,८.१८ //
आ | नः | गन्तम् | मयः-भुवा | अश्विना | शम्-भुवा | युवम् | यः | वाम् | विपन्यूइति | धीति-भिः | गीः-भिः | वत्सः | अवीवृधत् // ऋ. वे. ८,८.१९ //
याभिः | कण्वम् | मेध-अतिथिम् | याभिः | वशम् | दश-व्रजम् | याभिः | गो--शर्यम् | आवतम् | ताभिः | नः | अवतम् | नरा // ऋ. वे. ८,८.२० //
//२८//.

-ऋ. वे. ५:८/२९-
याभिः | नरा | त्रसदस्युम् | आवतम् | कृत्व्ये | धने | ताभिः | सु | अस्मान् | अश्विना | प्र | अवतम् | वाज-सातये // ऋ. वे. ८,८.२१ //
प्र | वाम् | स्तोमाः | सु-वृक्तयः | गिरः | वर्धन्तु | अश्विना | पुरु-त्रा | वृत्रहन्-तमा | ता | नः | भूतम् | पुरु-स्पृहा // ऋ. वे. ८,८.२२ //
त्रीणि | पदानि | अश्विनोः | आविः | सन्ति | गुइहा | परः | कवी इति | ऋतस्य | पत्म-भिः | अर्वाक् | जीवेभ्यः | परि // ऋ. वे. ८,८.२३ //
//२९//.

-ऋ. वे. ५:८/३०-
(ऋ. वे. ८,९)
आ | नूनम् | अश्विना | युवम् | वत्सस्य | गन्तम् | अवसे | प्र | अस्मै | यच्छतम् | अवृकम् | पृथु | छर्दिः | युयुतम् | याः | अरातयः // ऋ. वे. ८,९.१ //
यत् | अन्तरिक्षे | यत् | दिवि | यत् | पञ्च | मानुषान् | अनु | नृम्णम् | तत् | धत्तम् | अश्व् इना // ऋ. वे. ८,९.२ //
ये | वाम् | दंसांसि | अश्विना | विप्रासः | परि-ममृशुः | एव | इत् | काण्वस्य | बोधतम् // ऋ. वे. ८,९.३ //
अयम् | वाम् | घर्मः | अश्विना | स्तोमेन | परि | सिच्यते | अयम् | सोमः | मधु-मान् | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | येन | वृत्रम् | चिकेतथः // ऋ. वे. ८,९.४ //
यत् | अप्-सु | यत् | वनस्पतौ | यत् | ओषधीषु | पुरु-दंससा | कृतम् | तेन | मा | अविष्टम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,९.५ //
//३०//.

-ऋ. वे. ५:८/३१-
यत् | नासत्या | भुरण्यथः | यत् | वा | देव | भिषज्यथः | अयम् | वाम् | वत्सः | मति-भिः | न | विन्धते | हविष्मन्तम् | हि | गच्छथः // ऋ. वे. ८,९.६ //
आ | नूनम् | अश्विनोः | ऋषिः | स्तोमम् | चिकेत | वामया | आ | सोमम् | मधुमत्-तमम् | घर्मम् | सिञ्चात् | अथर्वणि // ऋ. वे. ८,९.७ //
आ | नूनम् | रघु-वर्तनिम् | रथम् | तिष्ठाथः | अश्विना | आ | वाम् | स्तोमाः | इमे | मम | नभः | न | चुच्यवीरत // ऋ. वे. ८,९.८ //
यत् | अद्य | वाम् | नासत्या | उक्थैः | आचुच्युवीमहि | यत् | वा | वाणीभिः | अश्विना | एव | इत् | काण्वस्य | बोधतम् // ऋ. वे. ८,९.९ //
यत् | वाम् | कक्षीवान् | उत | यत् | वि-अश्वः | ऋषिः | यत् | वाम् | दीर्घ-तमाः | जुहाव | पृथी | यत् | वाम् | वैन्यः | सदनेषु | एव | इत् | अतः | अश्विना | चेतयेथाम् // ऋ. वे. ८,९.१० //
//३१//.

-ऋ. वे. ५:८/३२-
यातम् | छर्दिः-पौ | उत | नः | परः-पाः | भूतम् | जगत्-पौ | उत | नः | तनू-पा | वर्तिः | तोकाय | तनयाय | यातम् // ऋ. वे. ८,९.११ //
यत् | इन्द्रेण | सरथम् | याथः | अश्विना | यत् | वा | वायुना | भवथः | सम्-ओकसा | यत् | आदित्येभिः | ऋभु-भिः | स-जोषसा | यत् | वा | विष्णोः | वि-क्रमणेषु | तिष्ठथः // ऋ. वे. ८,९.१२ //
यत् | अद्य | अश्विनौ | अहम् | हुवेय | वाज-सातये | यत् | पृत्-सु | तुर्वणे | सहः | तत् | श्रेष्ठम् | अश्विनोः | अवः // ऋ. वे. ८,९.१३ //
आ | नूनम् | यातम् | अश्विना | इमा | हव्यानि | वाम् | हिता | इमे | सोमासः | अधि | तुर्वशे | यदौ | इमे | कण्वेषु | वाम् | अथ // ऋ. वे. ८,९.१४ //
यत् | नासत्या | पराके | आर्वाके | अस्ति | भेषजम् | तेन | नूनम् | वि-मदाय | प्र-चेतसा | छर्दिः | वत्साय | यच्छतम् // ऋ. वे. ८,९.१५ //
//३२//.

-ऋ. वे. ५:८/३३-
अभुत्सि | ॐ इति | प्र | देव्या | साकम् | वाचा | अहम् | अश्विनोः | वि | आवः | देवि | आ | मतिम् | वि | रातिम् | मर्त्येभ्यः // ऋ. वे. ८,९.१६ //
प्र | बोधय | उषः | अश्विना | प्र | देवि | सूनृते | महि | प्र | यज्ञ-होतः | आनुषक् | प्र | मदाय | श्रवः | बृहत् // ऋ. वे. ८,९.१७ //
यत् | उषः | यासि | भानुना | सम् | सूर्येण | रोचसे | आ | ह | अयम् | अश्विनोः | रथः | वर्तिः | याति | नृ-पाय्यम् // ऋ. वे. ८,९.१८ //
यत् | आपीतासः | अंशवः | गावः | न | दुह्रे | ऊध-भिः | यत् | वा | वाणीः | अनूषत | प्र | देव-यन्तः | अश्विना // ऋ. वे. ८,९.१९ //
प्र | द्युम्नाय | प्र | शवसे | प्र | नृ-सह्याय | शर्मणे | प्र | दक्षाय | प्र-चेतसा // ऋ. वे. ८,९.२० //
यत् | नूनम् | धीभिः | अश्विना | पितुः | योना | नि-सीदथः | यत् | वा | सुम्नेभिः | उक्थ्या // ऋ. वे. ८,९.२१ //
//३३//.

-ऋ. वे. ५:८/३४-
(ऋ. वे. ८,१०)
यत् | स्थः | दीर्घ-प्रसद्मनि | यत् | वा | अदः | रोचने | दिवः | यत् | वा | समुद्रे | अधि | आकृते | गृहे | अतः | आ | यातम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,१०.१ //
यत् | वा | यज्ञम् | मनवे | सम्-मिमिक्षथुः | एव | इत् | काण्वस्य | बोधतम् | बृहस्पतिम् | विश्वान् | देवान् | अहम् | हुवे | इन्द्राविष्णूइति | अश्विनौ | आशु-हेषसा // ऋ. वे. ८,१०.२ //
त्या | नु | अश्विना | हुवे | सु-दंससा | गृभे | कृता | ययोः | अस्ति | प्र | नः | सख्यम् | देवेषु | अधि | आप्यम् // ऋ. वे. ८,१०.३ //
ययोः | अधि | प्र | यज्ञाः | असूरे | सन्ति | सूरयः | ता | यज्ञस्य | अध्वरस्य | प्र-चेतसा | स्वधाभिः | या | पिबतः | सोम्यम् | मधु // ऋ. वे. ८,१०.४ //
यत् | अद्य | अश्विनौ | अपाक् | यत् | प्राक् | स्थः | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | यत् | द्रुह्यवि | अनवि | तुर्वशे | यदौ | हुवे | वाम् | अथ | मा | आ | गतम् // ऋ. वे. ८,१०.५ //
यत् | अन्तरिक्षे | पतथः | पुरु-भुजा | यत् | वा | इमे इति | रोदसी इति | अनु | यत् | वा | स्वधाभिः | अधि-तिष्ठथः | रथम् | अतः | आ | यातम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,१०.६ //
//३४//.

-ऋ. वे. ५:८/३५-
(ऋ. वे. ८,११)
त्वम् | अग्ने | व्रत-पाः | असि | देवः | आ | मर्त्येषु | आ | त्वम् | यज्ञेषु | ईड्यः // ऋ. वे. ८,११.१ //
त्वम् | असि | प्र-शस्यः | विदथेषु | सहन्त्य | अग्ने | रथीः | अध्वराणाम् // ऋ. वे. ८,११.२ //
सः | त्वम् | अस्मत् | अप | द्विषः | युयोधि | जात-वेदः | अदेवीः | अग्ने | अरातीः // ऋ. वे. ८,११.३ //
अन्ति | चित् | सन्तम् | अह | यज्ञम् | मर्तस्य | रिपोः | न | उप | वेषि | जात-वेदः // ऋ. वे. ८,११.४ //
मर्ताः | अमर्तस्य | ते | भूरि | नाम | मनामहे | विप्रासः | जात-वेदसः // ऋ. वे. ८,११.५ //
//३५//.

-ऋ. वे. ५:८/३६-
विप्रम् | विप्रासः | अवसे | देवम् | मर्तासः | ऊतये | अग्निम् | गीः-भिः | हवामहे // ऋ. वे. ८,११.६ //
आ | ते | वत्सः | मनः | यमत् | परमात् | चित् | सध-स्थात् | अग्ने | त्वाम्-कामया | गिरा // ऋ. वे. ८,११.७ //
पुरु-त्रा | हि | स-दृङ् | असि | विशः | विश्वाः | अनु | प्र-भुः | समत्-सु | त्वा | हवामहे // ऋ. वे. ८,११.८ //
समत्-सु | अग्निम् | अवसे | वाज-यन्तः | हवामहे | वाजेषु | चित्र-राधसम् // ऋ. वे. ८,११.९ //
प्रत्नः | हि | कम् | ईड्यः | अध्वरेषु | सनात् | च | होता | नव्यः | च | सत्सि | स्वाम् | च | अग्ने | तन्वम् | पिप्रयस्व | अस्मभ्यम् | च | सौभगम् | आ | यजस्व // ऋ. वे. ८,११.१० //
//३६//.



-ऋ. वे. ६:१/१-
(ऋ. वे. ८,१२)
यः | इन्द्र | सोम-पातमः | मदः | शविष्ठ | चेतति | येन | हंसि | नि | अत्रिणम् | तम् | ईमहे // ऋ. वे. ८,१२.१ //
येन | दश-ग्वम् | अध्रि-गुम् | वेप-यन्तम् | स्वः-नरम् | येन | समुद्रम् | आविथ | तम् | ईमहे // ऋ. वे. ८,१२.२ //
येन | सिन्धुम् | महीः | अपः | रथान्-इव | प्र-चोदयः | पन्थाम् | ऋतस्य | यातवे | तम् | ईमहे // ऋ. वे. ८,१२.३ //
इमम् | स्तोमम् | अभिष्टये | घृतम् | न | पूतम् | अद्रि-वः | येन | नु | सद्यः | ओजसा | ववक्षिथ // ऋ. वे. ८,१२.४ //
इमम् | जुषस्व | गिर्वणः | समुद्रः-इव | पिन्वते | इन्द्र | विश्वाभिः | ऊति--भिः | ववक्षिथ // ऋ. वे. ८,१२.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ६:१/२-
यः | नः | देवः | परावतः | सखि-त्वनाय | ममहे | दिवः | न | वृष्टिम् | प्रथयन् | ववक्षिथ // ऋ. वे. ८,१२.६ //
ववक्षुः | अस्य | केतवः | उत | वज्रः | गभस्त्योः | यत् | सूर्यः | न | रोदसी इति | अवर्धयत् // ऋ. वे. ८,१२.७ //
यदि | प्र-वृद्ध | सत्-पते | सहस्रम् | महिषान् | अघः | आत् | इत् | ते | इन्द्रियम् | महि | प्र | ववृधे // ऋ. वे. ८,१२.८ //
इन्द्रः | सूर्यस्य | रश्मि-भिः | नि | अर्शसानम् | ओषति | अग्निः | वनाइव | ससहिः | प्र | ववृधे // ऋ. वे. ८,१२.९ //
इयम् | ते | ऋत्विय-वती | धीतिः | एति | नवीयसी | सपर्यन्ती | पुरु-प्रिया | मि मीते | इत् // ऋ. वे. ८,१२.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ६:१/३-
गर्भः | यज्ञस्य | देव-युः | क्रतुम् | पुनीते | आनुषक् | स्तोमैः | इन्द्रस्य | ववृधे | मिमीते | इत् // ऋ. वे. ८,१२.११ //
सनिः | मित्रस्य | पप्रथे | इन्द्रः | सोमस्य | पीतये | प्राची | वाशी-इव | सुन्वते | मिमीते | इत् // ऋ. वे. ८,१२.१२ //
यम् | विप्राः | उक्थ-वाहसः | अभि-प्रमन्दुः | आयवः | घृतम् | न | पिप्ये | आसनि | ऋतस्य | यत् // ऋ. वे. ८,१२.१३ //
उत | स्व-राजे | अदितिः | स्तोमम् | इन्द्राय | जीजनत् | पुरु-प्रशस्तम् | ऊतये | ऋतस्य | यत् // ऋ. वे. ८,१२.१४ //
अभि | वह्नयः | ऊतये | अनूषत | प्र-शस्तये | न | देव | वि-व्रता | हरी इति | ऋतस्य | यत् // ऋ. वे. ८,१२.१५ //
//३//.

-ऋ. वे. ६:१/४-
यत् | सोमम् | इन्द्र | विष्णवि | यत् | वा | घ | त्रिते | आप्त्ये | यत् | वा | मरुत्-सु | मन्दसे | सम् | इन्दु-भिः // ऋ. वे. ८,१२.१६ //
यत् | वा | शक्र | परावति | समुद्रे | अधि | मन्दसे | अस्माकम् | इत् | सुते | रण | सम् | इन्दु-भिः // ऋ. वे. ८,१२.१७ //
यत् | वा | असि | सुन्वतः | वृधः | यजमानस्य | सत्-पते | उक्थे | वा | यस्य | रण्यसि | सम् | इन्दु-भिः // ऋ. वे. ८,१२.१८ //
देवम्-देवम् | वः | अवसे | इन्द्रम्-इन्द्रम् | गृणीषणि | अध | यज्ञाय | तुर्वणे | वि | आनशुः // ऋ. वे. ८,१२.१९ //
यज्ञेभिः | यज्ञ-वाहसम् | सोमेभिः | सोम-पातमम् | होत्राभिः | इन्द्रम् | ववृधुः | वि | आनशुः // ऋ. वे. ८,१२.२० //
//४//.

-ऋ. वे. ६:१/५-
महीः | अस्य | प्र-नीतयः | पूर्वीः | उत | प्र-शस्तयः | विश्वा | वसूनि | दाशुषे | वि | आनशुः // ऋ. वे. ८,१२.२१ //
इन्द्रम् | वृत्राय | हन्तवे | देवासः | दधिरे | पुरः | इन्द्रम् | वाणीः | अनूषत | सम् | ओजसे // ऋ. वे. ८,१२.२२ //
महान्तम् | महिना | वयम् | स्तोमेभिः | हवन-श्रुतम् | अर्कैः | अभि | प्र | नोनुमः | सम् | ओजसे // ऋ. वे. ८,१२.२३ //
न | यम् | विविक्तः | रोदसी इति | न | अन्तरिक्षाणि | वज्रिणम् | अमात् | इत् | अस्य | तित्विषे | सम् | ओजसः // ऋ. वे. ८,१२.२४ //
यत् | इन्द्र | पृतनाज्ये | देवाः | त्वा | दधिरे | पुरः | आत् | इत् | ते | हर्यता | हरी इति | ववक्षतुः // ऋ. वे. ८,१२.२५ //
//५//.

-ऋ. वे. ६:१/६-
यदा | वृत्रम् | नदी-वृतम् | शवसा | वज्रिन् | अवधीः | आत् | इत् | ते | हर्यता | हरी इति | ववक्षतुः // ऋ. वे. ८,१२.२६ //
यदा | ते | विष्णुः | ओजसा | त्रीणि | पदा | वि-चक्रमे | आत् | इत् | ते | हर्यता | हरी इति | ववक्षतुः // ऋ. वे. ८,१२.२७ //
यदा | ते | हर्यता | हरी इति | ववृधातेइति | दिवे--दिवे | आत् | इत् | ते | विश्वा | भुवनानि | येमिरे // ऋ. वे. ८,१२.२८ //
यदा | ते | मारुतीः | विशः | तुभ्यम् | इन्द्र | नि-येमिरे | आत् | इत् | ते | विश्वा | भुवनान् इ | येमिरे // ऋ. वे. ८,१२.२९ //
यदा | सूर्यम् | अमुम् | दिवि | शुक्रम् | ज्योतिः | अधारयः | आत् | इत् | ते | विश्वा | भुवनानि | येमिरे // ऋ. वे. ८,१२.३० //
इमाम् | ते | इन्द्र | सु-स्तुतिम् | विप्रः | इयर्ति | धीति-भिः | जामिम् | पदाइव | पिप्रतीम् | प्र | अध्वरे // ऋ. वे. ८,१२.३१ //
यत् | अस्य | धामनि | प्रिये | समीचीनासः | अस्वरन् | नाभा | यज्ञस्य | दोहना | प्र | अध्वरे // ऋ. वे. ८,१२.३२ //
सु-वीर्यम् | सु-अश्व्यम् | सु-गव्यम् | इन्द्र | दद्धि | नः | होताइव | पूर्व-चित्तये | प्र | अध्वरे // ऋ. वे. ८,१२.३३ //
//६//.

-ऋ. वे. ६:१/७-
(ऋ. वे. ८,१३)
इन्द्रः | सुतेषु | सोमेषु | क्रतुम् | पुनीते | उक्थ्यम् | विदे | वृधस्य | दक्षसः | महान् | हि | सः // ऋ. वे. ८,१३.१ //
सः | प्रथमे | वि-ओमनि | देवानाम् | सदने | वृधः | सु-पारः | सुश्रवः-तमः | सम् | अप्सु-जित् // ऋ. वे. ८,१३.२ //
तम् | अह्वे | वाज-सातये | इन्द्रम् | भराय | शुष्मिणम् | भव | नः | सुम्ने | अन्तमः | सखा | वृधे // ऋ. वे. ८,१३.३ //
इयम् | ते | इन्द्र | गिर्वणः | रातिः | क्षरति | सुन्वतः | मन्दानः | अस्य | बर्हिषः | वि | राजसि // ऋ. वे. ८,१३.४ //
नूनम् | तत् | इन्द्र | दद्धि | नः | यत् | त्वा | सुन्वन्तः | ईमहे | रयिम् | नः | चित्रम् | आ | भर | स्वः-विदम् // ऋ. वे. ८,१३.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ६:१/८-
स्तोता | यत् | ते | वि-चर्षणिः | अति-प्रशर्धयत् | गिरः | वयाः-इव | अनु | रोहते | जुषन्त | यत् // ऋ. वे. ८,१३.६ //
प्रत्न-वत् | जनय | गिरः | शृणुधि | जरितुः | हवम् | मदे--मदे | ववक्षिथ | सु-कृत्वने // ऋ. वे. ८,१३.७ //
क्रीऌअन्ति | अस्य | सूनृताः | आपः | न | प्र-वता | यतीः | अया | धिया | यः | उच्यते | पतिः | दिवः // ऋ. वे. ८,१३.८ //
उतो इति | पतिः | यः | उच्यते | कृष्टीनाम् | एकः | इत् | वशी | नमः-वृधैः | अवस्यु-भिः | सुते | रण // ऋ. वे. ८,१३.९ //
स्तुहि | श्रुतम् | विपः-चितम् | हरी इति | यस्य | प्र-सक्षिणा | गन्तारा | दाशुषः | गृहम् | नमस्विनः // ऋ. वे. ८,१३.१० //
//८//.

-ऋ. वे. ६:१/९-
तूतुजानः | महे--मते | अश्वेभिः | प्रुषितप्सु-भिः | आ | याहि | यज्ञम् | आशु-भिः | शम् | इत् | हि | ते // ऋ. वे. ८,१३.११ //
इन्द्र | शविष्ठ | सत्-पते | रयिम् | गृणत्-सु | धारय | श्रवः | सूरि-भ्यः | अमृतम् | वसु-त्वनम् // ऋ. वे. ८,१३.१२ //
हवे | त्वा | सूरे | उत्-इते | हवे | मध्यन्दिने | दिवः | जुषाणः | इन्द्र | सप्ति-भिः | नः | आ | गहि // ऋ. वे. ८,१३.१३ //
आ | तु | गहि | प्र | तु | द्रव | मत्स्व | सुतस्य | गो--मतः | तन्तुम् | तनुष्व | पूर्व्यम् | यथा | विदे // ऋ. वे. ८,१३.१४ //
यत् | शक्र | असि | परावति | यत् | अर्वावति | वृत्र-हन् | यत् | वा | समुद्रे | अन्धसः | अविता | इत् | असि // ऋ. वे. ८,१३.१५ //
//९//.

-ऋ. वे. ६:१/१०-
इन्द्रम् | वर्धन्तु | नः | गिरः | इन्द्रम् | सुतासः | इन्दवः | इन्द्रे | हविष्मतीः | विशः | अराणिषुः // ऋ. वे. ८,१३.१६ //
तम् | इत् | विप्राः | अवस्यवः | प्रवत्वतीभिः | ऊति-भिः | इन्द्रम् | क्षोणीः | अवर्धयन् | वयाः-इव // ऋ. वे. ८,१३.१७ //
त्रि-कद्रुकेषु | चेतनम् | देवासः | यज्ञम् | अत्नत | तम् | इत् | वर्धन्तु | नः | गिरः | सदावृधम् // ऋ. वे. ८,१३.१८ //
स्तोता | यत् | ते | अनु-व्रतः | उक्थानि | ऋतु-था | दधे | शुचिः | पावकः | उच्यते | सः | अद्भुतः // ऋ. वे. ८,१३.१९ //
तत् | इत् | रुद्रस्य | चेतति | यह्वम् | प्रत्नेषु | धाम-सु | मनः | यत्र | वि | तत् | दधुः | वि-चेतसः // ऋ. वे. ८,१३.२० //
//१०//.

-ऋ. वे. ६:१/११-
यदि | मे | सख्यम् | आवरः | इमस्य | पाहि | अन्धसः | येन | विश्वाः | अति | द्विषः | अतारिम // ऋ. वे. ८,१३.२१ //
कदा | ते | इन्द्र | गिर्वणः | स्तोता | भवाति | शम्-तमः | कदा | नः | गव्ये | अश्व्ये | वसौ | दधः // ऋ. वे. ८,१३.२२ //
उत | ते | सु-स्तुता | हरी इति | वृषणा | वहतः | रथम् | अजुर्यस्य | मदिन्-तमम् | यम् | ईमहे // ऋ. वे. ८,१३.२३ //
तम् | ईमहे | पुरु-स्तुतम् | यह्वम् | प्रत्नाभिः | ऊति-भिः | नि | बर्हिषि | प्रिये | सदत् | अध | द्विता // ऋ. वे. ८,१३.२४ //
वर्धस्व | सु | पुरु-स्तुत | ऋषि-स्तुताभिः | ऊति-भिः | धुक्षस्व | पिप्युषीम् | इषम् | अव | च | नः // ऋ. वे. ८,१३.२५ //
//११//.

-ऋ. वे. ६:१/१२-
इन्द्र | त्वम् | अविता | इत् | असि | इत्था | स्तुवतः | अद्रि-वः | ऋतात् | इयर्मि | ते | धियम् | मनः-युजम् // ऋ. वे. ८,१३.२६ //
इह | त्या | सध-माद्या | युजानः | सोम-पीतये | हरी इति | इन्द्र | प्रतद्वसूइर्तिप्रतत्-वसू | अभि | स्वर // ऋ. वे. ८,१३.२७ //
अभि | स्वरन्तु | ये | तव | रुद्रासः | सक्षत | श्रियम् | उतो इति | मरुत्वतीः | विशः | अभि | प्रयः // ऋ. वे. ८,१३.२८ //
इमाः | अस्य | प्र-तूर्तयः | पदम् | जुषन्त | यत् | दिवि | नाभा | यज्ञस्य | सम् | दधुः | यथा | विदे // ऋ. वे. ८,१३.२९ //
अयम् | दीर्घाय | चक्षसे | प्राचि | प्र-यति | अध्वरे | मिमीते | यज्ञम् | आनुषक् | व् इ-चक्ष्य // ऋ. वे. ८,१३.३० //
//१२//.

-ऋ. वे. ६:१/१३-
वृषा | अयम् | इन्द्र | ते | रथः | उतो इति | ते | वृषणा | हरी इति | वृषा | त्वम् | शत-क्रतो इतिशत-क्रतो | वृषा | हवः // ऋ. वे. ८,१३.३१ //
वृषा | ग्रावा | वृषा | मदः | वृषा | सोमः | अयम् | सुतः | वृषा | यज्ञः | यम् | इन्वसि | वृषा | हवः // ऋ. वे. ८,१३.३२ //
वृषा | त्वा | वृषणम् | हुवे | वज्रिन् | चित्राभिः | ऊति-भिः | ववन्थ | हि | प्रति-स्तुतिम् | वृषा | हवः // ऋ. वे. ८,१३.३३ //
//१३//.

-ऋ. वे. ६:१/१४-
(ऋ. वे. ८,१४)
यत् | इन्द्र | अहम् | यथा | त्वम् | ईशीय | वस्वः | एकः | इत् | स्तोता | मे | गो--सखा | स्यात् // ऋ. वे. ८,१४.१ //
शिक्षेयम् | अस्मै | दित्सेयम् | शची-पते | मनीषिणे | यत् | अहम् | गो--पतिः | स्याम् // ऋ. वे. ८,१४.२ //
धेनुः | ते | इन्द्र | सूनृता | यजमानाय | सुन्वते | गाम् | अश्वम् | पिप्युषी | दुहे // ऋ. वे. ८,१४.३ //
न | ते | वर्ता | अस्ति | राधसः | इन्द्र | देवः | न | मर्त्यः | यत् | दित्ससि | स्तुतः | मघम् // ऋ. वे. ८,१४.४ //
यज्ञः | इन्द्रम् | अवर्धयत् | यत् | भूमिम् | वि | अवर्तयत् | चक्राणः | ओपशम् | दिवि // ऋ. वे. ८,१४.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ६:१/१५-
वावृधानस्य | ते | वयम् | विश्वा | धनानि | जिग्युषः | ऊतिम् | इन्द्र | आ | वृणीमहे // ऋ. वे. ८,१४.६ //
वि | अन्तरिक्षम् | अतिरत् | मदे | सोमस्य | रोचना | इन्द्रः | यत् | अभिनत् | वलम् // ऋ. वे. ८,१४.७ //
उत् | गाः | आजत् | अङ्गिरः-भ्यः | आविः | कृण्वन् | गुहा | सतीः | अर्वाञ्चम् | नुनुदे | वलम् // ऋ. वे. ८,१४.८ //
इन्द्रेण | रोचना | दिवः | दृऌहानि | दृंहितानि | च | स्थिराणि | न | परानुदे // ऋ. वे. ८,१४.९ //
अपाम् | ऊर्मिः | मदन्-इव | स्तोमः | इन्द्र | अजिर-यते | वि | ते | मदाः | अराजिषुः // ऋ. वे. ८,१४.१० //
//१५//.

-ऋ. वे. ६:१/१६-
त्वम् | हि | स्तोम-वर्धनः | इन्द्र | असि | उक्थ-वर्धनः | स्तोतॄणाम् | उत | भद्र-कृत् // ऋ. वे. ८,१४.११ //
इन्द्रम् | इत् | केशिना | हरी
इति | सोम-पेयाय | वक्षतः | उप | यज्ञम् | सु-राधसम् // ऋ. वे. ८,१४.१२ //
अपाम् | फेनेन | नमुचेः | शिरः | इन्द्र | उत् | अवर्तय्चः | विश्वाः | यत् | अजयः | स्पृधः // ऋ. वे. ८,१४.१३ //
मायाभिः | उत्-सिसृप्सतः | इन्द्र | द्याम् | आरुरुक्षतः | अव | दस्यून् | अधूनुथाः // ऋ. वे. ८,१४.१४ //
असुन्वाम् | इन्द्र | सम्-सदम् | विषूचीम् | वि | अनाशयः | सोम-पाः | उत्-तरः | भवन् // ऋ. वे. ८,१४.१५ //
//१६//.

-ऋ. वे. ६:१/१७-
(ऋ. वे. ८,१५)
तम् | ॐ इति | अभि | प्र | गायत | पुरु-हूतम् | पुरु-स्तुतम् | इन्द्रम् | गीः-भिः | तविषम् | आ | विवासत // ऋ. वे. ८,१५.१ //
यस्य | द्वि-बर्हसः | बृहत् | सहः | दाधार | रोदसी इति | गिरीन् | अज्रान् | अपः | स्वः | वृष-त्वना // ऋ. वे. ८,१५.२ //
सः | राजसि | पुरु-स्तुत | एकः | वृत्राणि | जिघ्नसे | इन्द्र | जैत्रा | श्रवस्या | च | यन्तवे // ऋ. वे. ८,१५.३ //
तम् | ते | मदम् | गृणीमसि | वृषणम् | पृत्-सु | ससहिम् | ॐ इति | लोक-कृत्नुम् | अद्रि-वः | हरि-श्रियम् // ऋ. वे. ८,१५.४ //
येन | ज्योतींषि | आयवे | मनवे | च | विवेदिथ | मन्दानः | अस्य | बर्हिषः | वि | राजसि // ऋ. वे. ८,१५.५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ६:१/१८-
तत् | अद्य | चित् | ते | उक्थिनः | अनु | स्तुवन्ति | पूर्व-था | वृष-पत्नीः | अपः | जय | दिवे--दिवे // ऋ. वे. ८,१५.६ //
तव | त्यत् | इन्द्रियम् | बृहत् | तव | शुष्मम् | उत | क्रतुम् | वज्रम् | शिशाति | धिषणा | वरेण्यम् // ऋ. वे. ८,१५.७ //
तव | द्यौः | इन्द्र | पैंस्यम् | पृथिवी | वर्धति | श्रवः | त्वाम् | आपः | पवर्तासः | च | हिन्विरे // ऋ. वे. ८,१५.८ //
त्वाम् | विष्णुः | बृहन् | क्षयः | मित्रः | गृणाति | वरुणः | त्वाम् | शर्धः | मदति | अनु | मारुतम् // ऋ. वे. ८,१५.९ //
त्वम् | वृषा | जनानाम् | मंहिष्ठः | इन्द्र | जज्ञिषे | सत्रा | विश्वा | सु-अपत्यान् इ | दधिषे // ऋ. वे. ८,१५.१० //
//१८//.

-ऋ. वे. ६:१/१९-
सत्रा | त्वम् | पुरु-स्तुत | एकः | वृत्राणि | तोशसे | न | अन्यः | इन्द्रात् | करणम् | भूयः | इन्वति // ऋ. वे. ८,१५.११ //
यत् | इन्द्र | मन्म-शः | त्वा | नाना | हवन्ते | ऊतये | अस्माकेभिः | नृ-भिः | अत्र | स्वः | जय // ऋ. वे. ८,१५.१२ //
अरम् | क्षयाय | नः | महे | विश्वा | रूपाणि | आविशन् | इन्द्रम् | जैत्राय | हषर्य | शची-पतिम् // ऋ. वे. ८,१५.१३ //
//१९//.

-ऋ. वे. ६:१/२०-
(ऋ. वे. ८,१६)
प्र | सम्-राजम् | चर्षणीनाम् | इन्द्रम् | स्तोता | नव्यम् | गीः-भिः | नरम् | नृ-साहम् | मंहिष्ठम् // ऋ. वे. ८,१६.१ //
यस्मिन् | उक्थानि | रण्यन्ति | विश्वानि | च | श्रवस्या | अपाम् | अवः | न | समुद्रे // ऋ. वे. ८,१६.२ //
तम् | सु-स्तुत्या | विवासे | ज्येष्ठ-राजम् | भरे | कृत्नुम् | महः | वाजिनम् | सनि-भ्यः // ऋ. वे. ८,१६.३ //
यस्य | अनूनाः | गभीराः | मदाः | उरवः | तरुत्राः | हर्षु-मन्तः | शूर-सातौ // ऋ. वे. ८,१६.४ //
तम् | इत् | धनेषु | हितेषु | अधि-वाकाय | हवन्ते | येषाम् | इन्द्रः | ते | जयन्ति // ऋ. वे. ८,१६.५ //
तम् | इत् | च्यौत्नैः | आर्यन्ति | तम् | कृतेभिः | चर्षणयः | एषः | इन्द्रः | वरिवः-कृत् // ऋ. वे. ८,१६.६ //
//२०//.

-ऋ. वे. ६:१/२१-
इन्द्रः | ब्रह्मा | इन्द्रः | ऋषिः | इन्द्रः | पुरु | पुरु-हूतः | महान् | महीभ् इः | शचीभिः // ऋ. वे. ८,१६.७ //
सः | स्तोम्यः | सः | हव्यः | सत्यः | सत्वा | तुवि-कूर्मिः | एकः | चित् | सन् | अभि-भूतिः // ऋ. वे. ८,१६.८ //
तम् | अर्केभिः | तम् | साम-भिः | तम् | गायत्रैः | चर्षणयः | इन्द्रम् | वर्धन्ति | क्षितयः // ऋ. वे. ८,१६.९ //
प्र-नेतारम् | वस्यः | अच्छ | कर्तारम् | ज्योतिः | समत्-सु | ससह्वांसम् | युधा | अमित्रान् // ऋ. वे. ८,१६.१० //
सः | नः | पप्रिः | पारयाति | स्वस्ति | नावा | पुरु-हूतः | इन्द्रः | विश्वा | अति | द्विषः // ऋ. वे. ८,१६.११ //
सः | त्वम् | नः | इन्द्र | वाजेभिः | दशस्य | च | गातु-य | च | अच्छ | च | नः | सुम्नम् | नेषि // ऋ. वे. ८,१६.१२ //
//२१//.

-ऋ. वे. ६:१/२२-
(ऋ. वे. ८,१७)
आ | याहि | सुसुम | हि | ते | इन्द्र | सोमम् | पिब | इमम् | आ | इदम् | बर्हिः | सदः | मम // ऋ. वे. ८,१७.१ //
आ | त्वा | ब्रह्म-युजा | हरी इति | वहताम् | इन्द्र | केशिना | उप | ब्रह्माणि | नः | शृणु // ऋ. वे. ८,१७.२ //
ब्रह्माणः | त्वा | वयम् | युजा | सोम-पाम् | इन्द्र | सोमिनः | सुत-वन्तः | हवामहे // ऋ. वे. ८,१७.३ //
आ | नः | याहि | सुत-वतः | अस्माकम् | सु-स्तुतीः | उप | पिब | सु | शिप्रिन् | अन्धसः // ऋ. वे. ८,१७.४ //
आ | ते | सिञ्चामि | कुक्ष्योः | अनु | गात्रा | वि | धावतु | गृभाय | जिह्वया | मधु // ऋ. वे. ८,१७.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ६:१/२३-
स्वादुः | ते | अस्तु | सम्-सुदे | मधु-मान् | तन्वे | तव | सोमः | शम् | अस्तु | ते | हृदे // ऋ. वे. ८,१७.६ //
अयम् | ॐ इति | त्वा | वि-चर्षणे | जनीः-इव | अभि | सम्-वृतः | प्र | सोमः | इन्द्र | सर्पतु // ऋ. वे. ८,१७.७ //
तुवि-ग्रीवः | वपाउदरः | सु-बाहुः | अन्धसः | मदे | इन्द्रः | वृत्राणि | ज् इघ्नते // ऋ. वे. ८,१७.८ //
इन्द्र | प्र | इहि | पुरः | त्वम् | विश्वस्य | ईशानः | ओजसा | वृत्राणि | वृत्र-हन् | जहि // ऋ. वे. ८,१७.९ //
दीर्घः | ते | अस्तु | अङ्कुशः | येन | वसु | प्र-यच्छसि | यजमानाय | सुन्वते // ऋ. वे. ८,१७.१० //
//२३//.

-ऋ. वे. ६:१/२४-
अयम् | ते | इन्द्र | सोमः | नि-पूतः | अधि | बर्हिषि | आ | इहि | ईम् | अस्य | द्रव | पिब // ऋ. वे. ८,१७.११ //
शाचिगो इतिशाचि-गो | शाचि-पूजन | अयम् | रणाय | ते | सुतः | आखण्डल | प्र | हूयसे // ऋ. वे. ८,१७.१२ //
यः | ते | शृङ्ग-वृषः | नपात् | प्रनपाद् इतिप्र-नपात् | कुण्ड-पाय्यः | नि | अस्मिन् | दध्रे | आ | मनः // ऋ. वे. ८,१७.१३ //
वास्तोः | पते | ध्रुवा | स्थूणा | अंसत्रम् | सोम्यानाम् | द्रप्सः | भेत्ता | पुराम् | शश्वतीनाम् | इन्द्रः | मुनीनाम् | सखा // ऋ. वे. ८,१७.१४ //
पृदाकु-सानुः | यजतः | गो--एषणः | एकः | सन् | अभि | भूयसः | भूर्णिम् | अश्वम् | नयत् | तुजा | पुरः | गृभा | इन्द्रम् | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,१७.१५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ६:१/२५-
(ऋ. वे. ८,१८)
इदम् | ह | नूनम् | एषाम् | सुम्नम् | भिक्षेत | मर्त्यः | आदित्यानाम् | अपूर्व्यम् | सवीमनि // ऋ. वे. ८,१८.१ //
अनर्वाणः | हि | एषाम् | पन्था | आदित्यानाम् | अदब्धाः | सन्ति | पायवः | सुगे--वृधः // ऋ. वे. ८,१८.२ //
तत् | सु | नः | सविता | भगः | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | शर्म | यच्छन्तु | स-प्रथः | यत् | ईमहे // ऋ. वे. ८,१८.३ //
देवेभिः | देवि | अदिते | अरिष्त-भर्मन् | आ | गहि | स्मत् | सूरि-भिः | पुरु-प्रिये | सुशर्म-भिः // ऋ. वे. ८,१८.४ //
ते | हि | पुत्रासः | अदितेः | विदुः | द्वेषांसि | योतवे | अंहोः | चित् | उरु-चक्रयः | अनेहसः // ऋ. वे. ८,१८.५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ६:१/२६-
अदितिः | नः | दिवा | पशुम् | अदितिः | नक्तम् | अद्वयाः | अदितिः | पातु | अंहसः | सदावृधा // ऋ. वे. ८,१८.६ //
उत | स्या | नः | दिवा | मतिः | अदितिः | ऊत्या | आ | गमत् | सा | शम्-ताति | मयः | करत् | अप | स्रिधः // ऋ. वे. ८,१८.७ //
उत | त्या | दैव्या | भिषजा | शम् | नः | करतः | अश्विना | युयुयाताम् | इतः | रपः | अप | स्रिधः // ऋ. वे. ८,१८.८ //
शम् | अग्निः | अग्नि-भिः | करत् | शम् | नः | तपतु | सूर्यः | शम् | वातः | वातु | अरपाः | अप | स्रिधः // ऋ. वे. ८,१८.९ //
अप | अमीवाम् | अप | स्रिधम् | अप | सेधत | दुः-मतिम् | आदित्यासः | युयोतन | नः | अंहसः // ऋ. वे. ८,१८.१० //
//२६//.

-ऋ. वे. ६:१/२७-
युयोत | शरुम् | अस्मत् | आ | आदित्यासः | उत | अमतिम् | ऋधक् | द्वेषः | कृणुत | विश्व-वेदसः // ऋ. वे. ८,१८.११ //
तत् | सु | नः | शर्म | यच्छत | आदित्याः | यत् | मुमोचति | एनस्वन्तम् | चित् | एनसः | सु-दानवः // ऋ. वे. ८,१८.१२ //
यः | नः | कः | चित् | रिरिक्षति | रक्षः-त्वेन | मर्त्यः | स्वैः | सः | एवैः | रिरिषीष्ट | युः | जनः // ऋ. वे. ८,१८.१३ //
सम् | इत् | तम् | अघम् | अश्नवत् | दुः-शंसम् | मर्त्यम् | रिपुम् | यः | अस्म-त्रा | दुः-हनावान् | उप | द्वयुः // ऋ. वे. ८,१८.१४ //
पाक-त्रा | स्थन | देवाः | हृत्-सु | जानीथ | मर्त्यम् | उप | द्वयुम् | च | अद्वयुम् | च | वसवः // ऋ. वे. ८,१८.१५ //
//२७//.

-ऋ. वे. ६:१/२८-
आ | शर्म | पर्वतानाम् | आ | उत | अपाम् | वृणीमहे | द्यावाक्षामा | आरे | अस्मत् | रपः | कृतम् // ऋ. वे. ८,१८.१६ //
ते | नः | भद्रेण | शर्मणा | युष्माकम् | नावा | वसवः | अति | विश्वानि | दुः-इता | पिपर्तन // ऋ. वे. ८,१८.१७ //
तुचे | तनाय | तत् | सु | नः | द्राघीयः | आयुः | जीवसे | आदित्यासः | सु-महसः | कृणोतन // ऋ. वे. ८,१८.१८ //
यज्ञः | हीऌअः | वः | अन्तरः | आदित्याः | अस्ति | मृऌअत | युष्मे इति | इत् | वः | अपि | स्मसि | स-जात्ये // ऋ. वे. ८,१८.१९ //
बृहत् | वरूथम् | मरुताम् | देवम् | त्रातरम् | अश्विना | मित्रम् | ईमहे | वरुणम् | स्वस्तये // ऋ. वे. ८,१८.२० //
अनेहः | मित्र | अर्यमन् | नृ-वत् | वरुण | शंस्यम् | त्रि-वरूथम् | मरुतः | यन्त | नः | छर्दिः // ऋ. वे. ८,१८.२१ //
ये | चित् | हि | मृत्यु-बन्धवः | आदित्याः | मनवः | स्मसि | प्र | सु | नः | आयुः | जीवसे | तिरेतन // ऋ. वे. ८,१८.२२ //
//२८//.

-ऋ. वे. ६:१/२९-
(ऋ. वे. ८,१९)
तम् | गूर्धय | स्वः-नरम् | देवासः | देवम् | अरतिम् | दधन्विरे | देव-त्रा | हव्यम् | आ | ऊहिरे // ऋ. वे. ८,१९.१ //
विभूत-रातिम् | विप्र | चित्र-शोचिषम् | अग्निम् | ईऌइष्व | यन्तुरम् | अस्य | मेघस्य | सोम्यस्य | सोभरे | प्र | ईम् | अध्वराय | पूर्व्यम् // ऋ. वे. ८,१९.२ //
यजिष्ठम् | त्वा | ववृमहे | देवम् | देव-त्रा | होतारम् | अमर्त्यम् | अस्य | यज्ञस्य | सु-क्रतुम् // ऋ. वे. ८,१९.३ //
ऊर्जः | नपातम् | सु-भगम् | सु-दीदितिम् | अग्निम् | श्रेष्ठ-शोचिषम् | सः | नः | मित्रस्य | वरुणस्य | सः | अपाम् | आ | सुम्नम् | यक्षते | दिवि // ऋ. वे. ८,१९.४ //
यः | सम्-इधा | यः | आहुती | यः | वेदेन | ददाश | मर्तः | अग्नये | यः | नमसा | सु-अध्वरः // ऋ. वे. ८,१९.५ //
//२९//.

-ऋ. वे. ६:१/३०-
तस्य | इत् | अर्वन्तः | रंहयन्ते | आशवः | तस्य | द्युम्नि-तमम् | यशः | न | तम् | अंहः | देव-कृतम् | कुतः | चन | न | मर्त्य-कृतम् | नशत् // ऋ. वे. ८,१९.६ //
सु-अग्नयः | वः | अग्नि-भिः | स्याम | सूनो इति | सहसः | ऊर्जाम् | पते | सु-वीरः | त्वम् | अस्म-युः // ऋ. वे. ८,१९.७ //
प्र-शंसमानः | अतिथिः | न | मित्रियः | अग्निः | रथः | न | वेद्यः | त्वेइत् इ | क्षेमासः | अपि | सन्ति | साधवः | त्वम् | राजा | रयीणाम् // ऋ. वे. ८,१९.८ //
सः | अद्धा | दाशु-अध्वरः | अग्ने | मर्तः | सु-भग | सः | प्र-शंस्यः | सः | धीभिः | अस्तु | सनिता // ऋ. वे. ८,१९.९ //
यस्य | त्वम् | ऊर्ध्वः | अध्वराय | तिष्ठसि | क्षयत्-वीरः | सः | साधते | सः | अर्वत्-भिः | सनिता | सः | विपन्यु-भिः | सः | शूरैः | सनिता | कृतम् // ऋ. वे. ८,१९.१० //
//३०//.

-ऋ. वे. ६:१/३१-
यस्य | अग्निः | वपुः | गृहे | स्तोमम् | चनः | दधीत | विश्व-वार्यः | हव्या | वा | वेविषत् | विषः // ऋ. वे. ८,१९.११ //
विप्रस्य | वा | स्तुवतः | सहसः | यहो इति | मक्षु-तमस्य | रातिषु | अवः-देवम् | उपरि-मर्त्यम् | कृधि | वसो इति | विविदुषः | वचः // ऋ. वे. ८,१९.१२ //
यः | अग्निम् | हव्यदाति-भिः | नमः-भिः | वा | सु-दक्षम् | आविवासति | गिरा | वा | अजिर-शोचिषम् // ऋ. वे. ८,१९.१३ //
सम्-इधा | यः | नि-शिती | दाशत् | अदितिम् | धाम-भिः | अस्य | मर्त्यः | विश्वा | इत् | सः | धीभिः | सु-भगः | जनान् | अति | द्युम्नैः | उद्गः-इव | तारिषत् // ऋ. वे. ८,१९.१४ //
तत् | अग्ने | द्युम्नम् | आ | भर | यत् | ससहत् | सदने | कम् | चित् | अत्रिणम् | मन्युम् | जनस्य | दुः-ध्यः // ऋ. वे. ८,१९.१५ //
//३१//.

-ऋ. वे. ६:१/३२-
येन | चष्टे | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | येन | नासत्या | भगः | वयम् | तत् | ते | शवसा | गातुवित्-तमाः | इन्द्रत्वाऊताः | विधेमहि // ऋ. वे. ८,१९.१६ //
ते | घ | अग्ने | सु-आध्यः | ये | त्वा | विप्र | नि-दधिरे | नृ-चक्षसम् | विप्रासः | देव | सु-क्रतुम् // ऋ. वे. ८,१९.१७ //
ते | इत् | वेदिम् | सु-भग | ते | आहुतिम् | ते | सोतुम् | चक्रिरे | दिवि | त् ए | इत् | वाजेभिः | जिग्युः | महत् | धनम् | ये | त्वे इति | कामम् | नि- एरिरे // ऋ. वे. ८,१९.१८ //
भद्रः | नः | अग्निः | आहुतः | भद्रा | रातिः | सु-भग | भद्रः | अध्वरः | भद्राः | उत | प्र-शश्तयः // ऋ. वे. ८,१९.१९ //
भद्रम् | मनः | कृणुष्व | वृत्र-तूर्ये | येन | समत्-सु | ससहः | अव | स्थ् इरा | तनुहि | भूरि | शर्धताम् | वनेम | ते | अभिष्टि-भिः // ऋ. वे. ८,१९.२० //
//३२//.

-ऋ. वे. ६:१/३३-
इऌए | गिरा | मनुः-हितम् | यम् | देवाः | दूतम् | अरतिम् | नि-एरिरे | यजिष्ठम् | हव्य-वाहनम् // ऋ. वे. ८,१९.२१ //
तिग्म-जम्भाय | तरुणाय | राजते | प्रयः | गायसि | अग्नये | यः | पिंशते | सूनृताभिः | सु-वीर्यम् | अग्निः | घृतेभिः | आहुतः // ऋ. वे. ८,१९.२२ //
यदि | घृतेभिः | आहुतः | वाशीम् | अग्निः | भरते | उत् | च | अव | च | असुरः-इव | निः-निजम् // ऋ. वे. ८,१९.२३ //
यः | हव्यानि | ऐरयत | मनुः-हितः | देवः | आसा | सु-गन्धिना | विवासते | वार्याणि | सु-अध्वरः | होता | देवः | अमर्त्यः // ऋ. वे. ८,१९.२४ //
यत् | अग्ने | मर्त्यः | त्वम् | स्याम् | अहम् | मित्र-महः | अमर्त्यः | सहसः | सूनो इति | आहुत // ऋ. वे. ८,१९.२५ //
//३३//.

-ऋ. वे. ६:१/३४-
न | त्वा | रासीय | अभि-शस्तये | वसो इति | न | पाप-त्वाय | सन्त्य | न | मे | स्तोता | अमति-वा | न | दुः-हितः | स्यात् | अग्ने | न | पापया // ऋ. वे. ८,१९.२६ //
पितुः | न | पुत्रः | सु-भृतः | दुरोणे | आ | देवान् | एतु | प्र | नः | हविः // ऋ. वे. ८,१९.२७ //
तव | अहम् | अग्ने | ऊति-भिः | नेदिष्ठाभिः | सचेय | जोषम् | आ | वसो इति | सदा | देवस्य | मर्त्यः // ऋ. वे. ८,१९.२८ //
तव | क्रत्वा | सनेयम् | तव | राति-भिः | अग्ने | तव | प्रशश्ति-भिः | त्वाम् | इत् | आहुः | प्र-मतिम् | वसो इति | मम | अग्ने | हर्षस्व | दातवे // ऋ. वे. ८,१९.२९ //
प्र | सः | अग्ने | तव | ऊति-भिः | सु-वीराभिः | तिरते | वाजभर्म-भिः | यस्य | त्वम् | सख्यम् | आवरः // ऋ. वे. ८,१९.३० //
//३४//.

-ऋ. वे. ६:१/३५-
तव | द्रप्सः | नील-वान् | वाशः | ऋत्वियः | इन्धानः | सिष्णो इति | आ | ददे | त्वम् | महीनाम् | उषसाम् | असि | प्रियः | क्षपः | वस्तुषु | राजसि // ऋ. वे. ८,१९.३१ //
तम् | आ | अगन्म | सोभरयः | सहस्र-मुष्कम् | सु-अभिष्टिम् | अवसे | सम्-राजन् | त्रासदस्यवम् // ऋ. वे. ८,१९.३२ //
यस्य | ते | अग्ने | अन्ये | अग्नयः | उप-क्षितः | वयाः-इव | विपः | न | द्युम्ना | नि | युवे | जनानाम् | तव | क्षत्राणि | वर्धयन् // ऋ. वे. ८,१९.३३ //
यम् | आदित्यासः | अद्रुहः | पारम् | नयथ | मर्त्यम् | मघोनाम् | विश्वेषाम् | सु-दानवः // ऋ. वे. ८,१९.३४ //
यूयम् | राजानः | कम् | चित् | चर्षणि-सहः | क्षयन्तम् | मानुषान् | अनु | वयम् | ते | वः | वरुण | मित्र | अर्यमन् | स्याम | इत् | ऋतस्य | रथ्यः // ऋ. वे. ८,१९.३५ //
अदात् | मे | पौरु-कुत्स्यः | पञ्चाशतम् | त्रसदस्युः | वधूनाम् | मंहिष्ठः | अर्यः | सत्-पतिः // ऋ. वे. ८,१९.३६ //
उत | मे | प्रयियोः | वयियोः | सु-वास्त्वाः | अधि | तुग्वनि | तिसॄणाम् | सप्ततीनाम् | श्यावः | प्र-नेता | भुवत् | वसुः | दियानाम् | पतिः // ऋ. वे. ८,१९.३७ //
//३५//.

-ऋ. वे. ६:१/३६-
(ऋ. वे. ८,२०)
आ | गन्ता | मा | रिषण्यत | प्र-स्थावानः | मा | अप | स्थात | स-मन्यवः | स्थि रा | चित् | नमयिष्णवः // ऋ. वे. ८,२०.१ //
वीऌउपवि-भिः | मरुतः | ऋभुक्षणः | आ | रुद्रासः | सुदीति-भिः | इषा | नः | अद्य | आ | गत् अ | पुरु-स्पृहः | यज्ञम् | आ | सोभरी-यवः // ऋ. वे. ८,२०.२ //
विद्म | हि | रुद्रियाणाम् | शुष्मम् | उग्रम् | मरुताम् | शमी-वताम् | विष्णोः | एषस्य | मीऌहुषाम् // ऋ. वे. ८,२०.३ //
वि | द्वीपानि | पापतन् | तिष्ठत् | दुच्छुना | उभे इति | युजन्त | रोदसी इति | प्र | धन्वानि | ऐरत | शुभ्र-खादयः | यत् | एजथ | स्व-भानवः // ऋ. वे. ८,२०.४ //
अच्युता | चित् | वः | अज्मन् | आ | नानदति | पर्वतासः | वन्चस्पतिः | भूमिः | यामेषु | रेजते // ऋ. वे. ८,२०.५ //
//३६//.

-ऋ. वे. ६:१/३७-
अमाय | वः | मरुतः | यातवे | द्यौः | जिहीते | उत्-तरा | बृहत् | यत्र | नरः | देदिशते | तनूषु | आ | त्वक्षांसि बहु-ओजसः // ऋ. वे. ८,२०.६ //
स्वधाम् | अनु | श्रियम् | नरः | महि | त्वेषाः | अम-वन्तः | वृष-प्सवः | वहन्ते | अह्रुत-प्सवः // ऋ. वे. ८,२०.७ //
गोभिः | वाणः | अज्यते | सोभरीणाम् | रथे | कोशे | हिरण्यये | गो--बन्धवः | सु-जातासः | इषे | भुजे | महान्तः | नः | स्परसे | नु // ऋ. वे. ८,२०.८ //
प्रति | वः | वृषत्-अञ्जयः | वृष्णे | शर्धाय | मारुताय | भरध्वम् | हव्या | वृष-प्रयाव्णे // ऋ. वे. ८,२०.९ //
वृषणश्वेन | मरुतः | वृष-प्सुना | रथेन | वृष-नाभिना | आ | श्येनासः | न | पक्षिणः | वृथा | नरः | हव्या | नः | वीतयेगत // ऋ. वे. ८,२०.१० //
//३७//.

-ऋ. वे. ६:१/३८-
समानम् | अञ्जि | एषाम् | वि | भ्राजन्ते | रुक्मासः | अधि | बाहुषु | दविद्युतति | ऋष्टयः // ऋ. वे. ८,२०.११ //
ते | उग्रासः | वृषणः | उग्र-बाहवः | नकिः | तनूषु | येतिरे | स्थिरा | धन्वान् इ | आयुधा | रथेषु | वः | अनीकेषु | अधि | श्रियः // ऋ. वे. ८,२०.१२ //
येषाम् | अर्णः | न | स-प्रथः | नाम | त्वेषम् | शश्वताम् | एकम् | इत् | भुजे | वयः | न | पित्र्यम् | सहः // ऋ. वे. ८,२०.१३ //
तान् | वन्दस्व | मरुतः | तान् | उप | स्तुहि | तेषाम् | हि | धुनीनाम् | अराणाम् | न | चरमः | तत् | एषाम् | दाना | मह्ना | तत् | एषाम् // ऋ. वे. ८,२०.१४ //
सु-भगः | सः | वः | ऊतिषु | आस | पूर्वासु | मरुतः | वि-उष्टिषु | यः | वा | नूनम् | उत | असति // ऋ. वे. ८,२०.१५ //
//३८//.

-ऋ. वे. ६:१/३९-
यस्य | वा | यूयम् | प्रति | वाजिनः | नरः | आ | हव्या | वीतये | गथ | अभि | सः | द्युम्नैः | उत | वाजसाति-भिः | सुम्ना | वः | धूतयः | नशत् // ऋ. वे. ८,२०.१६ //
यथा | रुद्रस्य | सूनवः | दिवः | वशन्ति | असुरस्य | वेधसः | युवानः | तथा | इत् | असत् // ऋ. वे. ८,२०.१७ //
ये | च | अर्हन्ति | मरुतः | सु-दानवः | स्मत् | मीऌहुषः | चरन्ति | ये | अतः | चित् | आ | नः | उप | वस्यसा | हृदा | युवानः | आ | ववृध्वम् // ऋ. वे. ८,२०.१८ //
यूनः | ॐ इति | सु | नविष्ठया | वृष्णः | पावकान् | अभि | सोभरे | गिरा | गाय | गाः-इव | चकृर्षत् // ऋ. वे. ८,२०.१९ //
सहाः | ये | सन्ति | मुष्टिहाइव | हव्यः | विश्वासु | पृत्-सु | होतृषु | वृष्णः | चन्द्रान् | न | सुश्रवः-तमान् | गिरा | वन्दस्व | मरुतः | अह // ऋ. वे. ८,२०.२० //
//३९//.

-ऋ. वे. ६:१/४०-
गावः | चित् | घ | स-मन्यवः | स-जात्येन | मरुतः | स-बन्धवः | रिहते | ककुभः | मिथः // ऋ. वे. ८,२०.२१ //
मर्तः | चित् | वः | नृतवः | रुक्म-वक्षसः | उप | भ्रातृ-त्वम् | आ | अयति | अधि | नः | गात | मरुतः | सदा | हि | वः | आपि-त्वम् | अस्ति | नि-ध्रुवि // ऋ. वे. ८,२०.२२ //
मरुतः | मारुतस्य | नः | आ | भेषजस्य | वहत | सु-दानवः | यूयम् | सखायः | सप्तयः // ऋ. वे. ८,२०.२३ //
याभिः | सिन्धुम् | अवथ | याभिः | तूर्वथ | याभिः | दशस्यथ | क्रिविम् | मयः | नः | भूत | ऊति-भिः | मयः-भुवः | शिवाभिः | असच-द्विषः // ऋ. वे. ८,२०.२४ //
यत् | सिन्धौ | यत् | असिक्न्याम् | यत् | समुद्रेषु | मरुतः | सु-बर्हिषः | यत् | पर्वतेषु | भेषजम् // ऋ. वे. ८,२०.२५ //
विश्वम् | पश्यन्तः | विभृथ | तनूषु | आ | तेन | नः | अधि | वोचत | क्षमा | रपः | मरुतः | आतुरस्य | नः | इष्कर्त | वि-ह्रुतम् | पुनरिति // ऋ. वे. ८,२०.२६ //
//४०//.




-ऋ. वे. ६:२/१-
(ऋ. वे. ८,२१)
वयम् | ॐ इति | त्वाम् | अपूर्व्य | स्थूरम् | न | कत् | चित् | भरन्तः | अवस्यवः | वाजे | चित्रम् | हवामहे // ऋ. वे. ८,२१.१ //
उप | त्वा | कर्मन् | ऊतये | सः | नः | युवा | उग्रः | चकाम | यः | धृषत् | त्वाम् | इत् | हि | अवितारम् | ववृमहे | सखायः | इन्द्र | सानसिम् // ऋ. वे. ८,२१.२ //
आ | याहि | इमे | इन्दवः | अश्व-पते | गो--पते | उर्वरापते | सोमम् | सोम-पते | पिब // ऋ. वे. ८,२१.३ //
वयम् | हि | त्वा | बन्धु-मन्तम् | अबन्धवः | विप्रासः | इन्द्र | येमिम | या | ते | धामानि | वृषभ | तेभिः | आ | गहि | विश्वेभिः | सोम-पीतये // ऋ. वे. ८,२१.४ //
सीदन्तः | ते | वयः | यथा | गो--श्रीते | मधौ | मदिरे | विवक्षणे | अभि | त्वाम् | इन्द्र | नोनुमः // ऋ. वे. ८,२१.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ६:२/२-
अच्छ | च | त्वा | एना | नमसा | वदामसि | किम् | मुहुः | चित् | वि | दीधयः | सन्ति | कामासः | हरि-वः | ददिः | त्वम् | स्मः | वयम् | सन्ति | नः | धियः // ऋ. वे. ८,२१.६ //
नूत्नाः | इत् | इन्द्र | ते | वयम् | ऊती | अभूम | नहि | नु | ते | अद्रि-वः | विद्म | पुरा | परीणसः // ऋ. वे. ८,२१.७ //
विद्म | सखि-त्वम् | उत | शूर | भोज्यम् | आ | ते | ता | वज्रिन् | ईमहे | उतो इति | समस्मिन् | आ | शिशीहि | नः | वसो इति | वाजे | सु-शिप्र | गो--मति // ऋ. वे. ८,२१.८ //
यः | नः | इदम्-इदम् | पुरा | प्र | वस्यः | आनिनाय | तम् | ॐ इति | वः | स्तुषे | सखायः | इन्द्रम् | ऊतये // ऋ. वे. ८,२१.९ //
हरि-अश्वम् | सत्-पतिम् | चर्षणि-सहम् | सः | हि | स्म | यः | अमन्दत | आ | तु | नः | सः | वयति | गव्यम् | अश्व्यम् | स्तोतृ-भ्यः | मघ-वा | शतम् // ऋ. वे. ८,२१.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ६:२/३-
त्वया | ह | स्वित् | युजा | वयम् | प्रति | श्वसन्तम् | वृषभ | ब्रुवीमहि | संस्थे | जनस्य | गो--मतः // ऋ. वे. ८,२१.११ //
जयेम | कारे | पुरु-हूत | कारिणः | अभि | तिष्ठेम | दुः-ध्यः | नृ-भिः | वृत्रम् | हन्याम | शूशुयाम | च | अवेः | इन्द्र | प्र | नः | धियः // ऋ. वे. ८,२१.१२ //
अभ्रातृव्यः | अना | त्वम् | अनापिः | इन्द्र | जनुषा | सनात् | असि | युधा | इत् | आपि-त्वम् | इच्छसे // ऋ. वे. ८,२१.१३ //
नकिः | रेवन्तम् | सख्याय | विन्दसे | पीयन्ति | ते | सुराश्वः | यदा | कृणोषि | नदनुम् | सम् | ऊहसि | आत् | इत् | पिताइव | हूयसे // ऋ. वे. ८,२१.१४ //
मा | ते | अमाजुरः | यथा | मूरासः | इन्द्र | सख्ये | त्वावतः | नि | सदाम | सचा | सुते // ऋ. वे. ८,२१.१५ //
//३//.

-ऋ. वे. ६:२/४-
मा | ते | गो--दत्र | निः | अराम | राधसः | इन्द्र | मा | ते | गृहामहि | दृऌहा | चित् | अर्यः | प्र | मृश | अभि | आ | भर | न | ते | दामानः | आदभे // ऋ. वे. ८,२१.१६ //
इन्द्रः | वा | घ | इत् | इयत् | मघम् | सरस्वती | वा | सु-भगा | ददिः | वसु | त्वम् | वा | चित्र | दाशुषे // ऋ. वे. ८,२१.१७ //
चित्रः | इत् | राजा | राजकाः | इत् | अन्यके | यके | सरस्वतीम् | अनु | पर्जन्यः-इव | ततनत् | हि | वृष्ट्या | सहस्रम् | अयुता | ददत् // ऋ. वे. ८,२१.१८ //
//४//.

-ऋ. वे. ६:२/५-
(ऋ. वे. ८,२२)
ओ इति | त्यम् | अह्वे | आ | रथम् | अद्य | दंसिष्ठम् | ऊतये | यम् | अश्विना | सु-हवा | रुद्र-वर्तनी इतिरुद्र-वर्तनी | आ | सूर्यायै | तस्थथुः // ऋ. वे. ८,२२.१ //
पूर्व-आपुषम् | सु-हवम् | पुरु-स्पृहम् | भुज्युम् | वाजेषु | पूर्व्यम् | सचनावन्तम् | सुमति-भिः | सोभरे | वि-द्वेषसम् | अनेहसम् // ऋ. वे. ८,२२.२ //
इह | त्या | पुरु-भूतमा | देवा | नमः-भिः | अश्विना | अर्वाचीना | सु | अवसे | करामहे | गन्तारा | दाशुषः | गृहम् // ऋ. वे. ८,२२.३ //
युवः | रथस्य | परि | चक्रम् | ईयते | ईर्मा | अन्यत् | वाम् | इषण्यति | अस्मान् | अच्छ | सु-मतिः | वाम् | शुभः | पती इति | आ | धेनुः-इव | धावतु // ऋ. वे. ८,२२.४ //
रथः | यः | वाम् | त्रि-वन्धुरः | हिरण्य-अभीशुः | अश्विना | परि | द्यावापृथ् इवी इति | भूषति | श्रुतः | तेन | नासत्या | आ | गतम् // ऋ. वे. ८,२२.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ६:२/६-
दशस्यन्ता | मनवे | पूर्व्यम् | दिवि | यवम् | वृकेण | कर्षथः | ता | वाम् | अद्य | सुमति-भिः | शुभः | पती इति | अश्विना | प्र | स्तुवीमहि // ऋ. वे. ८,२२.६ //
उप | नः | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | यातम् | ऋतस्य | पथि-भिः | येभिः | तृक्षिम् | वृषणा | त्रासदस्यवम् | महे | क्षत्राय | जिन्वथः // ऋ. वे. ८,२२.७ //
अयम् | वाम् | अद्रि-भिः | सुतः | सोमः | नरा | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू | आ | यातम् | सोम-पीतये | पिबतम् | दाशुषः | गृहे // ऋ. वे. ८,२२.८ //
आ | हि | रुहतम् | अश्विना | रथे | कोशे | हिरण्यये | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू | युञ्जाथाम् | पीवरीः | इषः // ऋ. वे. ८,२२.९ //
याभिः | पक्थम् | अवथः | याभिः | अध्रि-गुम् | याभिः | बभ्रुम् | वि-जोषसम् | ताभिः | नः | मक्षु | तूयम् | अश्विना | आ | गतम् | भिषज्यतम् | यत् | आतुरम् // ऋ. वे. ८,२२.१० //
//६//.

-ऋ. वे. ६:२/७-
यत् | अध्रि-गावः | अध्रिगूइत्य् अध्रि-गू | इदा | चित् | अह्नः | अश्विना | हवामहे | वयम् | गीः-भिः | विपन्यवः // ऋ. वे. ८,२२.११ //
ताभिः | आ | यातम् | वृषणा | उप | मे | हवम् | विश्व-प्सुम् | विश्व-वार्यम् | इषा | मंहिष्ठा | पुरु-भूतमा | नरा | याभिः | क्रिविम् | ववृधुः | ताभिः | आ | गतम् // ऋ. वे. ८,२२.१२ //
तौ | इदा | चित् | अहानाम् | तौ | अश्विना | वन्दमानः | उप | ब्रुवे | तौ | ॐ इति | नमः-भिः | ईमहे // ऋ. वे. ८,२२.१३ //
तौ | इत् | दोषा | तौ | उषसि | शुभः | पती इति | ता | यामन् | रुद्रवर्तनी इतिरुद्र-वर्तनी | मा | नः | मर्ताय | रिपवे | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | परः | रुद्रौ | अति | ख्यतम् // ऋ. वे. ८,२२.१४ //
आ | सुग्म्याय | सुग्म्यम् | प्रातरिति | रथेन | अश्विना | वा | सक्षणी इति | हुवे | पिताइव | सोभरी // ऋ. वे. ८,२२.१५ //
//७//.

-ऋ. वे. ६:२/८-
मनः-जवसा | वृषणा | मद-च्युता | मक्षुम्-गमाभिः | ऊति-भिः | आरात्तात् | चित् | भूतम् | अस्मे इति | अवसे | पूर्वी-भिः | पुरु-भोजसा // ऋ. वे. ८,२२.१६ //
आ | नः | अश्व-वत् | अश्विना | वर्तिः | यासिष्टम् | मधु-पातमा | नरा | गो--मत् | दस्रा | हिरण्य-वत् // ऋ. वे. ८,२२.१७ //
सु-प्रावर्गम् | सु-वीर्यम् | सुष्ठु | वार्यम् | अनाधृष्टम् | रक्षस्विना | अस्मिन् | आ | वाम् | आयाने | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | विश्वा | वामानि | धीमहि // ऋ. वे. ८,२२.१८ //
//८//.

-ऋ. वे. ६:२/९-
(ऋ. वे. ८,२३)
ईऌइष्व | हि | प्रतीव्यम् | यजस्व | जात-वेदसम् | चरिष्णु-धाऊमम् | अगृभीत-शोचिषम् // ऋ. वे. ८,२३.१ //
दामानम् | विश्व-चर्षणे | अग्निम् | विश्व-मनः | गिरा | उत | स्तुषे | वि-स्पधर्सः | रथानाम् // ऋ. वे. ८,२३.२ //
येषाम् | आबाधः | ऋग्मियः | इषः | पृक्षः | च | नि-ग्रभे | उप-विदा | वह्निः | विन्दते | वसु // ऋ. वे. ८,२३.३ //
उत् | अस्य | शोचिः | अस्थात् | दीदियुषः | वि | अजरम् | तपुः-जम्भस्य | सु-द्युतः | गण-श्रियः // ऋ. वे. ८,२३.४ //
उत् | ॐ इति | तिष्ठ | सु-अध्वर | स्तवानः | देव्या | कृपा | अभि-ख्या | भासा | बृहता | शुशुक्वनिः // ऋ. वे. ८,२३.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ६:२/१०-
अग्ने | याहि | सुशस्ति-भिः | हव्या | जुह्वानः | आनुषक् | यथा | दूतः | बभूथ | हव्य-वाहनः // ऋ. वे. ८,२३.६ //
अग्निम् | वः | पूर्व्यम् | हुवे | होतारम् | चर्षणीनाम् | तम् | अया | वाचा | गृणे | तम् | ॐ इति | वः | स्तुषे // ऋ. वे. ८,२३.७ //
यज्ञेभिः | अद्भुत-क्रतुम् | यम् | कृपा | सूदयन्ते | इत् | मित्रम् | न | जने | सु-धि तम् | ऋत-वनि // ऋ. वे. ८,२३.८ //
ऋत-वानम् | ऋत-यवः | यज्ञस्य | साधनम् | गिरा | उषः | एनम् | जुजुषुः | नमसः | पदे // ऋ. वे. ८,२३.९ //
अच्छ | नः | अङ्गिरः-तमम् | यज्ञासः | यन्तु | सम्-यतः | होता | यः | अस्ति | विक्षु | आ | यशः-तमः // ऋ. वे. ८,२३.१० //
//१०//.

-ऋ. वे. ६:२/११-
अग्ने | तव | त्ये | अजर | इन्धानासः | बृहत् | भाः | अश्वाः-इव | वृषणः | तवि षी-यवः // ऋ. वे. ८,२३.११ //
सः | त्वम् | नः | ऊर्जाम् | पते | रयिम् | रास्व | सु-वीर्यम् | प्र | अव | नः | तोके | तनये | समत्-सु | आ // ऋ. वे. ८,२३.१२ //
यत् | वै | ॐ इति | विश्पतिः | शितः | सु-प्रीतः | मनुषः | विशि | विश्वा | इत् | अग्निः | प्रति | रक्षांसि | सेधति // ऋ. वे. ८,२३.१३ //
श्रुष्टी | अग्ने | नवस्य | मे | स्तोमस्य | वीर | विश्पते | नि | मायिनः | तपुषा | रक्षसः | दह // ऋ. वे. ८,२३.१४ //
न | तस्य | मायया | चन | रिपुः | ईशीत | मर्त्यः | यः | अग्नये | ददाश | हव्यदाति-भिः // ऋ. वे. ८,२३.१५ //
//११//.

-ऋ. वे. ६:२/१२-
वि-अश्वः | त्वा | वसु-विदम् | उक्षण्युः | अप्रीणात् | ऋषिः | महः | राये | तम् | ॐ इति | त्वा | सम् | इधीमहि // ऋ. वे. ८,२३.१६ //
उशना | काव्यः | त्वा | नि | होतारम् | असादयत् | आयजिम् | त्वा | मनवे | जात-वेदसम् // ऋ. वे. ८,२३.१७ //
विश्वे | हि | त्वा | स-जोषसः | देवासः | दूतम् | अक्रत | श्रुष्टी | देव | प्रथमः | यज्ञियः | भुवः // ऋ. वे. ८,२३.१८ //
इमम् | घ | वीरः | अमृतम् | दूतम् | कृण्वीत | मर्त्यः | पावकम् | कृष्ण-वर्तनि म् | वि-हायसम् // ऋ. वे. ८,२३.१९ //
तम् | हुवेम | यत-स्रुचः | सु-भासम् | शुक्र-शोचिषम् | विशाम् | अग्निम् | अजरम् | प्रत्नम् | ईड्यम् // ऋ. वे. ८,२३.२० //
//१२//.

-ऋ. वे. ६:२/१३-
यः | अस्मै | हव्यदाति-भिः | आहुतिम् | मर्तः | अविधत् | भूरि | पोषम् | सः | धत्ते | वीर-वत् | यशः // ऋ. वे. ८,२३.२१ //
प्रथमम् | जात-वेदसम् | अग्निम् | यज्ञेषु | पूर्व्यम् | प्रति | स्रुक् | एति | नमसा | हविष्मती // ऋ. वे. ८,२३.२२ //
आभिः | विधेम | अग्नये | ज्येष्ठाभिः | व्यश्व-वत् | मंहिष्ठाभिः | मति-भिः | शुक्र-शोचिषे // ऋ. वे. ८,२३.२३ //
नूनम् | अर्च | वि-हायसे | स्तोमेभिः | स्थूरयूप-वत् | ऋषे | वैयश्व | दम्याय | अग्नये // ऋ. वे. ८,२३.२४ //
अतिथिम् | मानुषाणाम् | सूनुम् | वनस्पतीनाम् | विप्राः | अग्निम् | अवसे | प्रत्नम् | ईऌअते // ऋ. वे. ८,२३.२५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ६:२/१४-
महः | विश्वान् | अभि | सतः | अभि | हव्यानि | मानुषा | अग्ने | नि | सत्सि | नमसा | अधि | बर्हिषि // ऋ. वे. ८,२३.२६ //
वंस्व | नः | वार्या | पुरु | वंस्व | रायः | पुरु-स्पृहः | सु-वीर्यस्य | प्रजावतः | यशस्वतः // ऋ. वे. ८,२३.२७ //
त्वम् | वरो इति | सु-षाम्णे | अग्ने | जनाय | चोदय | सदा | वसो इति | रातिम् | यविष्ठ | शश्वते // ऋ. वे. ८,२३.२८ //
त्वम् | हि | सु-प्रतूः | असि | त्वम् | नः | गो--मतीः | इषः | महः | रायः | सात् इम् | अग्ने | अप | वृधि // ऋ. वे. ८,२३.२९ //
अग्ने | त्वम् | यशाः | असि | आ | मित्रावरुणा | वह | ऋत-वाना | सम्-राजा | पूत-दक्षसा // ऋ. वे. ८,२३.३० //
//१४//.

-ऋ. वे. ६:२/१५-
(ऋ. वे. ८,२४)
सखायः | आ | शिषामहि | ब्रह्म | इन्द्राय | वज्रिणे | स्तुषे | ॐ इति | सु | वः | नृ-तमाय | धृष्णवे // ऋ. वे. ८,२४.१ //
शवसा | हि | असि | श्रुतः | वृत्र-हत्येन | वृत्र-हा | मघैः | मघोनः | अति | शूर | दाशसि // ऋ. वे. ८,२४.२ //
सः | नः | स्तवानः | आ | भर | रयिम् | चित्रश्रवः-तमम् | निरेके | चित् | यः | हरि-वः | वसुः | ददिः // ऋ. वे. ८,२४.३ //
आ | निरेकम् | उत | प्रियम् | इन्द्र | दर्षि | जनानाम् | धृषता | धृष्णो इति | स्तवमानः | आ | भर // ऋ. वे. ८,२४.४ //
न | ते | सव्यम् | न | दक्षिणम् | हस्तम् | वरन्ते | आमुरः | न | परि-बाधः | हरि-वः | गो--इष्टिषु // ऋ. वे. ८,२४.५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ६:२/१६-
आ | त्वा | गोभिः-इव | व्रजम् | गीः-भिः | ऋणोमि | अद्रि-वः | आ | स्म | कामम् | जरितुः | आ | मनः | पृण // ऋ. वे. ८,२४.६ //
विश्वानि | विश्व-मनसः | धिया | नः | वृत्रहन्-तम | उग्र | प्रनेतरित् इप्र-नेतः | अधि | सु | वसो इति | गहि // ऋ. वे. ८,२४.७ //
वयम् | ते | अस्य | वृत्र-हन् | विद्याम | शूर | नव्यसः | वसोः | स्पार्हस्य | पुरु-हूत | राधसः // ऋ. वे. ८,२४.८ //
इन्द्र | यथा | हि | अस्ति | ते | अपरि-इतम् | नृतो इति | शवः | अमृक्ता | रातिः | पुरु-हूत | दाशुषे // ऋ. वे. ८,२४.९ //
आ | वृषस्व | महामह | महे | नृ-तम | राधसे | दृऌहः | चित् | दृह्य | मघ-वन् | मघत्तये // ऋ. वे. ८,२४.१० //
//१६//.

-ऋ. वे. ६:२/१७-
नु | अन्यत्र | चित् | अद्रि-वः | त्वत् | नः | जग्मुः | आशसः | मघ-वन् | शग्धि | तव | तत् | नः | ऊति-भिः // ऋ. वे. ८,२४.११ //
नहि | अङ्ग | नृतो इति | त्वत् | अन्यम् | विन्दामि | राधसे | राये | द्युम्नाय | शवसे | च | गिर्वणः // ऋ. वे. ८,२४.१२ //
आ | इन्दुम् | इन्द्राय | सिञ्चत | पिबाति | सोम्यम् | मधु | प्र | राधसा | चोदयाते | महि-त्वना // ऋ. वे. ८,२४.१३ //
उपो इति | हरीणाम् | पतिम् | दक्षम् | पृञ्चन्तम् | अब्रवम् | नूनम् | श्रुधि | स्तुवतः | अश्व्यस्य // ऋ. वे. ८,२४.१४ //
नहि | अङ्ग | पुरा | चन | जज्ञे | वीर-तरः | त्वत् | नकिः | राया | न | एव-था | न | भन्दना // ऋ. वे. ८,२४.१५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ६:२/१८-
आ | इत् | ॐ इति | मध्वः | मदिन्-तरम् | सिञ्च | वा | अध्वर्यो इति | अन्धसः | एव | हि | वीरः | स्तवते | सदावृधः // ऋ. वे. ८,२४.१६ //
इन्द्र | स्थातः | हरीणाम् | नकिः | ते | पूर्व्य-स्तुतिम् | उत् | आनंश | शवसा | न | भन्दना // ऋ. वे. ८,२४.१७ //
तम् | वः | वाजानाम् | पतिम् | अहूमहि | श्रवस्यवः | अप्रायु-भिः | यज्ञेभिः | ववृधेन्यम् // ऋ. वे. ८,२४.१८ //
एतो इति | नु | इन्द्रम् | स्तवाम | सखायः | स्तोम्यम् | नरम् | कृष्टीः | यः | विश्वाः | अभि | अस्ति | एकः | इत् // ऋ. वे. ८,२४.१९ //
अगो--रुधाय | गो--इषे | द्युक्षाय | दस्म्यम् | वचः | घृतात् | स्वादीयः | मधुनः | च | वोचत // ऋ. वे. ८,२४.२० //
//१८//.

-ऋ. वे. ६:२/१९-
यस्य | अमितानि | वीर्या | न | राधः | परि-एतवे | ज्योतिः | न | विश्वम् | अभि | अस्ति | दक्षिणा // ऋ. वे. ८,२४.२१ //
स्तुहि | इन्द्रम् | व्यश्व-वत् | अनूर्मिम् | वाजिनम् | यमम् | अर्यः | गयम् | मंहमानम् | वि | दाशुषे // ऋ. वे. ८,२४.२२ //
एव | नूनम् | उप | स्तुहि | वैयश्व | दशमम् | नवम् | सु-विद्वांसम् | चर्कृत्यम् | चरणीनाम् // ऋ. वे. ८,२४.२३ //
वेत्थ | हि | निः-ऋतीनाम् | वज्र-हस्त | परि-वृजम् | अहः-अहः | शुन्ध्युः | परिपदाम्-इव // ऋ. वे. ८,२४.२४ //
तत् | इन्द्र | अवः | आ | भर | येन | दंसिष्ठ | कृत्वने | द्विता | कुत्साय | शिश्नथः | नि | चोदय // ऋ. वे. ८,२४.२५ //
//१९//.

-ऋ. वे. ६:२/२०-
तम् | ॐ इति | त्वा | नूनम् | ईमहे | नव्यम् | दंसिष्ठ | सन्यसे | सः | त्वम् | नः | वि श्वाः | अभि-मातीः | सक्षणिः // ऋ. वे. ८,२४.२६ //
यः | ऋक्षात् | अंहसः | मुचत् | यः | वा | आर्यात् | सप्त | सिन्धुषु | वधः | दासस्य | तुवि-नृम्ण | नीनमः // ऋ. वे. ८,२४.२७ //
यथा | वरो इति | सु-साम्णे | सनि-भ्यः | आ | अवहः | रयिम् | वि-अश्वेभ्यः | सु-भगे | वाज् इनी-वति // ऋ. वे. ८,२४.२८ //
आ | नार्यस्य | दक्षिणा | वि-अश्वान् | एतु | सोमिनः | स्थूरम् | च | राधः | शत-वत् | सहस्र-वत् // ऋ. वे. ८,२४.२९ //
यत् | त्वा | पृच्छात् | ईजानः | कुहया | कुहयाकृते | एषः | अप-श्रितः | वलः | गो--मतीम् | अव | तिष्ठति // ऋ. वे. ८,२४.३० //
//२०//.

-ऋ. वे. ६:२/२१-
(ऋ. वे. ८,२५)
ता | वाम् | विश्वस्य | गोपा | देवा | देवेषु | यज्ञिया | ऋत-वाना | यजसे | पूत-दक्षसा // ऋ. वे. ८,२५.१ //
मित्रा | तना | न | रथ्या | वरुणः | यः | च | सु-क्रतुः | सनात् | सु-जाता | तनया | धृत-व्रता // ऋ. वे. ८,२५.२ //
ता | माता | विश्व-वेदसा | असुर्याय | प्र-महसा | मही | जजान | अदितिः | ऋत-वरी // ऋ. वे. ८,२५.३ //
महान्ता | मित्रावरुणा | सम्-राजा | देवौ | असुरा | ऋत-वानौ | ऋतम् | आ | घोषतः | बृहत् // ऋ. वे. ८,२५.४ //
नपाता | शवसः | महः | सूनू इति | दक्षस्य | सुक्रतूइतिसु-क्रतू | सृप्रदानूइतिसृप्र-दानू | इषः | वास्तु | अधि | क्षितः // ऋ. वे. ८,२५.५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ६:२/२२-
सम् | या | दानूनि | येमथुः | दिव्याः | पार्थिवीः | इषः | नभस्वतीः | आ | वाम् | चरन्तु | वृष्टयः // ऋ. वे. ८,२५.६ //
अधि | या | बृहतः | दिवः | अभि | यूथाइव | पश्यतः | ऋत-वाना | सम्-राजा | नमसे | हिता // ऋ. वे. ८,२५.७ //
ऋत-वाना | नि | सेदतुः | साम्-राज्याय | सुक्रतूइतिसु-क्रतू | धृत-व्रता | क्षत्रिया | क्षत्रम् | आशतुः // ऋ. वे. ८,२५.८ //
अक्ष्णः | चित् | गातुवित्-तरा | अनुल्बणेन | चक्षसा | नि | चित् | मिषन्ता | नि-चिरा | नि | चिक्यतुः // ऋ. वे. ८,२५.९ //
उत | नः | देवी | अदितिः | उरुष्यताम् | नासत्या | उरुष्यन्तु | मरुतः | वृद्ध-शवसः // ऋ. वे. ८,२५.१० //
//२२//.

-ऋ. वे. ६:२/२३-
ते | नः | नावम् | उरुष्यत | दिवा | नक्तम् | सु-दानवः | अरिष्यन्तः | नि | पायु-भिः | सचेमहि // ऋ. वे. ८,२५.११ //
अघ्नते | विष्णवे | वयम् | अरिष्यन्तः | सु-दानवे | श्रुधि | स्व-यावन् | सिन्धो इति | पूर्व-चित्तये // ऋ. वे. ८,२५.१२ //
तत् | वार्यम् | वृणीमहे | वरिष्ठम् | गोपयत्यम् | मित्रः | यत् | पान्ति | वरुणः | यत् | अर्यमा // ऋ. वे. ८,२५.१३ //
उत | नः | सिन्धुः | अपाम् | तत् | मरुतः | तत् | अश्विना | इन्द्रः | विष्णुः | मीढवांसः | स-जोषसः // ऋ. वे. ८,२५.१४ //
ते | हि | स्म | वनुषः | नरः | अभि-मातिम् | कयस्य | चित् | तिग्मम् | न | क्षोदः | प्रति-घ्नन्ति | भूर्णयः // ऋ. वे. ८,२५.१५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ६:२/२४-
अयम् | एकः | इत्था | पुरु | उरु | चष्टे | वि | विश्पतिः | तस्य | व्रतानि | अनु | वः | चरामसि // ऋ. वे. ८,२५.१६ //
अनु | पूर्वाणि | ओक्या | साम्-राज्यस्य | सश्चिम | मित्रस्य | व्रता | वरुणस्य | दीर्घ-श्रुत् // ऋ. वे. ८,२५.१७ //
परि | यः | रश्मिना | दिवः | अन्तान् | ममे | पृथिव्याः | उभे इति | आ | पप्रौ | रोदसी इति | महित्वा // ऋ. वे. ८,२५.१८ //
उत् | ॐ इति | स्यः | शरणे | दिवः | ज्योतिः | अयंस्त | सूर्यः | अग्निः | न | शुक्रः | सम्-इधानः | आहुतः // ऋ. वे. ८,२५.१९ //
वचः | दीर्घ-प्रसद्मनि | ईशे | वाजस्य | गो--मतः | ईशे | हि | पित्वः | अविषस्य | दावने // ऋ. वे. ८,२५.२० //
//२४//.

-ऋ. वे. ६:२/२५-
तत् | सूर्यम् | रोदसी इति | उभे इति | दोषा | वस्तोः | उप | ब्रुवे | भोजेषु | अस्मान् | अभि | उत् | चर | सदा // ऋ. वे. ८,२५.२१ //
ऋज्रम् | उक्षण्यायने | रजतम् | हरयाणे | रथम् | युक्तम् | असनाम | सु-सामनि // ऋ. वे. ८,२५.२२ //
ता | मे | अश्व्यानाम् | हरीणाम् | नि-तोशना | उतो इति | नु | कृत्व्यानाम् | नृ-वाहसा // ऋ. वे. ८,२५.२३ //
स्मदभीशूइतिस्मत्-अभीशू | कशावन्ता | विप्रा | नविष्ठया | मती | महः | वाजि नौ | अर्वन्ता | सचा | असनम् // ऋ. वे. ८,२५.२४ //
//२५//.

-ऋ. वे. ६:२/२६-
(ऋ. वे. ८,२६)
युवोर् ॐ इति | सु | रथम् | हुवे | सध-स्तुत्याय | सूरिषु | अतूर्त-दक्षा | वृषणा | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू // ऋ. वे. ८,२६.१ //
युवम् | वरो इति | सु-साम्णे | महे | तने | नासत्या | अवः-भिः | याथः | वृषणा | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू // ऋ. वे. ८,२६.२ //
ता | वाम् | अद्य | हवामहे | हव्येभिः | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | पूर्वीः | इषः | इषयन्तौ | अति | क्षपः // ऋ. वे. ८,२६.३ //
आ | वाम् | वाहिष्ठः | अश्विना | रथः | यातु | श्रुतः | नरा | उप | स्तोमान् | तुरस्य | दर्शथः | श्रिये // ऋ. वे. ८,२६.४ //
जुहुराणा | चित् | अश्विना | आ | मन्येथाम् | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू | युवम् | हि | रुद्रा | पर्षथः | अति | द्विषः // ऋ. वे. ८,२६.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ६:२/२७-
दस्रा | हि | विश्वम् | आनुषक् | मक्षु-भिः | परि-दीयथः | धियम्-जिन्वा | मधु-वर्णा | शुभः | पती इति // ऋ. वे. ८,२६.६ //
उप | नः | यातम् | अश्विना | राया | विश्व-पुषा | सह | मघ-वाना | सु-वीरौ | अनप-च्युता // ऋ. वे. ८,२६.७ //
आ | मे | अस्य | प्रतीव्यम् | इन्द्रनासत्या | गतम् | देवा | देवेभिः | अद्य | सचनः-तमा // ऋ. वे. ८,२६.८ //
वयम् | हि | वाम् | हवामहे | उक्षण्यन्तः | व्यश्व-वत् | सुमति-भिः | उप | विप्रौ | इह | आ | गतम् // ऋ. वे. ८,२६.९ //
अश्विना | सु | ऋषे | स्तुहि | कुवित् | ते | श्रवतः | हवम् | नेदीयसः | कूऌअयातः | पणीन् | उत // ऋ. वे. ८,२६.१० //
//२७//.

-ऋ. वे. ६:२/२८-
वैयश्वस्य | श्रुतम् | नरा | उतो इति | मे | अस्य | वेदथः | स-जोषसा | वरुणः | मित्रः | अर्यमा // ऋ. वे. ८,२६.११ //
युवादत्तस्य | धिष्ण्या | युवानीतस्य | सूरि-भिः | अहः-अहः | वृषणा | मह्यम् | शिक्षतम् // ऋ. वे. ८,२६.१२ //
यः | वाम् | यज्ञेभिः | आवृतः | अधि-वस्त्रा | वधूः-इव | सपर्यन्ता | शुभे | चक्रातेइति | अश्विना // ऋ. वे. ८,२६.१३ //
यः | वाम् | उरुव्यचः-तमम् | चिकेतति | नृ-पाय्यम् | वर्तिः | अश्विना | परि | यातम् | अस्मयू इत्य् अस्म-यू // ऋ. वे. ८,२६.१४ //
अस्मभ्यम् | सु | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू | यातम् | वर्तिः | नृ-पाय्यम् | विषुद्रुहाइव | यज्ञम् | ऊहथुः | गिरा // ऋ. वे. ८,२६.१५ //
//२८//.

-ऋ. वे. ६:२/२९-
वाहिष्ठः | वाम् | हवानाम् | स्तोमः | दूतः | हुवत् | नरा | युवाभ्याम् | भूतु | अश्विना // ऋ. वे. ८,२६.१६ //
यत् | अदः | दिवः | अर्णवे | इषः | वा | मदथः | गृहे | श्रुतम् | इत् | मे | अमर्त्या // ऋ. वे. ८,२६.१७ //
उत | स्या | श्वेत-यावरी | वाहिष्ठा | वाम् | नदीनाम् | सिन्धुः | हिरण्य-वर्तनि ः // ऋ. वे. ८,२६.१८ //
स्मत् | एतया | सु-कीर्त्या | अश्विना | श्वेतया | धिया | वहेथेइति | शुभ्र-यावाना // ऋ. वे. ८,२६.१९ //
युक्ष्व | हि | त्वम् | रथ-सहा | युवस्व | पोष्या | वसो इति | आत् | नः | वायो इति | मधु | पिब | अस्माकम् | सवना | आ | गहि // ऋ. वे. ८,२६.२० //
//२९//.

-ऋ. वे. ६:२/३०-
तव | वायो इति | ऋतः-पते | त्वष्टुः | जामातः | अद्भुत | अवांसि | आ | वृणीमहे // ऋ. वे. ८,२६.२१ //
त्वष्टुः | जामातरम् | वयम् | ईशानम् | रायः | ईमहे | सुत-वन्तः | वायुम् | द्युम्ना | जनासः // ऋ. वे. ८,२६.२२ //
वायो इति | याहि | शिव | आ | दिवः | वहस्व | सु | सु-अश्व्यम् | वहस्व | महः | पृथु-पक्षसा | रथे // ऋ. वे. ८,२६.२३ //
त्वाम् | हि | सुप्सरः-तमम् | नृ-सदनेषु | हूमहे | ग्रावाणम् | न | अश्व-पृष्ठम् | मंहना // ऋ. वे. ८,२६.२४ //
सः | त्वम् | नः | देव | मनसा | वायो इति | मन्दानः | अग्रियः | कृधि | वाजान् | अपः | धियः // ऋ. वे. ८,२६.२५ //
//३०//.

-ऋ. वे. ६:२/३१-
(ऋ. वे. ८,२७)
अग्निः | उक्थे | पुरः-हितः | ग्रावाणः | बर्हिः | अध्वरे | ऋचा | यामि | मरुतः | ब्रह्मणः | पतिम् | देवान् | अवः | वरेण्यम् // ऋ. वे. ८,२७.१ //
आ | पशुम् | गासि | पृथिवीम् | वनस्पतीन् | उषसा | नक्तम् | ओषधीः | विश्वे | च | नः | वसवः | विश्व-वेदसः | धीनाम् | भूत | प्र-अवितारः // ऋ. वे. ८,२७.२ //
प्र | सु | नः | एतु | अध्वरः | अग्ना | देवेषु | पूर्व्यः | आदित्येषु | प्र | वरुणे | धृत-व्रते | मरुत्-सु | विश्व-भानुषु // ऋ. वे. ८,२७.३ //
विश्वे | हि | स्म | मनवे | विश्व-वेदसः | भुवन् | वृधे | रिशादसः | अरिष्टेभिः | पायु-भिः | विश्व-वेदसः | यन्त | नः | अवृकम् | छर्दिः // ऋ. वे. ८,२७.४ //
आ | नः | अद्य | स-मनसः | गन्त | विश्वे | स-जोषसः | ऋचा | गिरा | मरुतः | देवि | अदिते | सदने | पस्त्ये | महि // ऋ. वे. ८,२७.५ //
//३१//.

-ऋ. वे. ६:२/३२-
अभि | प्रिया | मरुतः | या | वः | अश्व्या | हव्या | मित्र | प्र-याथन | आ | बर्हिः | इन्द्रः | वरुणः | तुराः | नरः | आदित्यासः | सदन्तु | नः // ऋ. वे. ८,२७.६ //
वयम् | वः | वृक्त-बर्हिषः | हित-प्रयसः | आनुषक् | सुत-सोमासः | वरुण | हवामहे | मनुष्वत् | इद्ध-अग्नयः // ऋ. वे. ८,२७.७ //
आ | प्र | यात | मरुतः | विष्णो इति | अश्विना | पूषन् | माकीनया | धिया | इन्द्रः | आ | यातु | प्रथमः | सनिष्यु-भ् इः | वृषा | यः | वृत्र-हा | गृणे // ऋ. वे. ८,२७.८ //
वि | नः | देवासः | अद्रुहः | अच्छिद्रम् | शर्म | यच्छत | न | यत् | दूरात् | वसवः | नु | चित् | अन्तितः | वराऊथम् | आदधर्षति // ऋ. वे. ८,२७.९ //
अस्ति | हि | वः | सजात्यम् | रिशादसः | देवासः | अस्ति | आप्यम् | प्र | नः | पूर्वस्मै | सुविताय | वोचत | मक्षु | सुम्नाय | नव्यसे // ऋ. वे. ८,२७.१० //
//३२//.

-ऋ. वे. ६:२/३३-
इदा | हि | वः | उप-स्तुतिम् | इदा | वामस्य | भक्तये | उप | वः | विश्व-वेदसः | नमस्युः | आ | असृक्षि | अन्याम्-इव // ऋ. वे. ८,२७.११ //
उत् | ॐ इति | स्यः | वः | सविता | सु-प्रनीतयः | अस्थात् | ऊर्ध्वः | वरेण्यः | नि | द्व् इ-पादः | चतुः-पादः | अर्थिनः | अविश्रन् | पतयिष्णवः // ऋ. वे. ८,२७.१२ //
देवम्-देवम् | वः | अवसे | देवम्-देवम् | अभिष्टये | देवम्-देवम् | हुवेम | वाज-सातये | गृणन्तः | देव्या | धिया // ऋ. वे. ८,२७.१३ //
देवासः | हि | स्म | मनवे | स-मन्यवः | विश्वे | साकम् | स-रातयः | ते | नः | अद्य | ते | अपरम् | तुचे | तु | नः | भवन्तु | वरिवः-विदः // ऋ. वे. ८,२७.१४ //
प्र | वः | शंसामि | अद्रुहः | सम्-स्थे | उप-स्तुतीनाम् | न | तम् | धूर्तिः | वरुण | मित्र | मर्त्यम् | यः | वः | धाम-भ्यः | अविधत् // ऋ. वे. ८,२७.१५ //
प्र | सः | क्षयम् | तिरते | वि | महीः | इषः | यः | वः | वराय | दाशति | प्र | प्र-जाभिः | जायते | धर्मणः | परि | अरिष्टः | सर्वः | एधते // ऋ. वे. ८,२७.१६ //
//३३//.

-ऋ. वे. ६:२/३४-
ऋते | सः | विन्दते | युधः | सु-गेभिः | याति | अध्वनः | अर्यमा | मित्रः | वरुणः | स-रातयः | यम् | त्रायन्ते | स-जोषसः // ऋ. वे. ८,२७.१७ //
अज्रे | चित् | अस्मै | कृणुथ | नि-अञ्चनम् | दुः-गे | चित् | आ | सु-सरणम् | एषा | चित् | अस्मात् | अशनिः | परः | नु | सा | अस्रेधन्ती | वि | नश्यतु // ऋ. वे. ८,२७.१८ //
यत् | अद्य | सूर्यः | उत्-यति | प्रिय-क्षत्राः | ऋतम् | दध | यत् | नि-म्रुचि | प्र-बुधि | विश्व-वेदसः | यत् | वा | मध्यन्दिने | दिवः // ऋ. वे. ८,२७.१९ //
यत् | वा | अभि-पित्वे | असुराः | ऋतम् | यते | छर्दिः | येम | वि | दाशुषे | वयम् | तत् | वः | वसवः | विश्व-वेदसः | उप | स्थेयाम | मध्ये | आ // ऋ. वे. ८,२७.२० //
यत् | अद्य | सूरे | उत्-इते | यत् | मध्यन्दिने | आतुचि | वामम् | धत्थ | मनवे | वि श्व-वेदसः | जुह्वानाय | प्र-चेतसे // ऋ. वे. ८,२७.२१ //
वयम् | तत् | वः | सम्-राजः | आ | वृणीमहे | पुत्रः | न | बहु-पाय्यम् | अश्याम | तत् | आदित्याः | जुह्वतः | हविः | येन | वस्यः | अनशामहै // ऋ. वे. ८,२७.२२ //
//३४//.

-ऋ. वे. ६:२/३५-
(ऋ. वे. ८,२८)
ये | त्रिंशति | त्रयः | परः | देवासः | बर्हिः | आ | असदन् | विदन् | अह | द्विता | असनम् // ऋ. वे. ८,२८.१ //
वरुणः | मित्रः | अर्यमा | स्मद्राति-साचः | अग्नयः | पत्नी-वन्तः | वषट्-कृटाः // ऋ. वे. ८,२८.२ //
ते | नः | गोपाः | अपाच्याः | ते | उदक् | ते | इत्था | न्यक् | पुरस्तात् | सर्वया | विशा // ऋ. वे. ८,२८.३ //
यथा | वशन्ति | देवाः | तथा | इत् | असत् | तत् | एषाम् | नकिः | आ | मिनत् | अरावा | चन | मर्त्यः // ऋ. वे. ८,२८.४ //
सप्तानाम् | सप्त | ऋष्टयः | सप्त | द्युम्नानि | एषाम् | सप्तो इति | अधि | श्रियः | धिरे // ऋ. वे. ८,२८.५ //
//३५//.

-ऋ. वे. ६:२/३६-
(ऋ. वे. ८,२९)
बभ्रुः | एकः | विषुणः | सूनरः | युवा | अञ्जि | अङ्क्ते | हिरण्ययम् // ऋ. वे. ८,२९.१ //
योनिम् | एकः | आ | ससाद | द्योतनः | अन्तः | देवेषु | मेधिरः // ऋ. वे. ८,२९.२ //
वाशीम् | एकः | बिभर्ति | हस्ते | आयसीम् | अन्तः | देवेषु | नि-ध्रुविः // ऋ. वे. ८,२९.३ //
वज्रम् | एकः | बिभर्ति | हस्ते | आहितम् | तेन | वृत्राणि | जिघ्नते // ऋ. वे. ८,२९.४ //
तिग्मम् | एकः | बिभर्ति | हस्ते | आयुधम् | शुचिः | उग्रः | जलाष-भेषजः // ऋ. वे. ८,२९.५ //
पथः | एकः | पीपाय | तस्करः | यथा | एषः | वेद | नि-धीनाम् // ऋ. वे. ८,२९.६ //
त्रीणि | एकः | उरु-गायः | वि | चक्रमे | यत्र | देवासः | मदन्ति // ऋ. वे. ८,२९.७ //
वि-भिः | द्वा | चरतः | एकया | सह | प्र | प्रवासाइव | वसतः // ऋ. वे. ८,२९.८ //
सदः | द्वा | चक्रातेइति | उप-मा | दिवि | सम्-राजा | सर्पिर्-आसुती इतिसर्पिः-आसुती // ऋ. वे. ८,२९.९ //
अर्चन्तः | एके | महि | साम | मन्वत | तेन | सूर्यम् | अरोचयन् // ऋ. वे. ८,२९.१० //
//३६//.

-ऋ. वे. ६:२/३७-
(ऋ. वे. ८,३०)
नहि | वः | अस्ति | अर्भकः | देवासः | न | कुमारकः | विश्वे | सतः-महान्तः | इत् // ऋ. वे. ८,३०.१ //
इति | स्तुतासः | असथ | रिशादसः | ये | स्थ | त्रयः | च | त्रिंशत् | च | मनोः | देवाः | यज्ञियासः // ऋ. वे. ८,३०.२ //
ते | नः | त्राध्वम् | ते | अवत | ते | ॐ इति | नः | अधि | वोचत | मा | नः | पथः | पित्र्यात् | मानवात् | अधि | दूरम् | नैष्ट | परावतः // ऋ. वे. ८,३०.३ //
ये | देवासः | इह | स्थन | विश्वे | वैश्वानराः | उत | अस्मभ्यम् | शर्म | स-प्रथः | गवे | अश्वाय | यच्छत // ऋ. वे. ८,३०.४ //
//३७//.

-ऋ. वे. ६:२/३८-
(ऋ. वे. ८,३१)
यः | यजाति | यजाते | इत् | सुनवत् | च | पचाति | च | ब्रह्मा | इत् | इन्द्रस्य | चाकनत् // ऋ. वे. ८,३१.१ //
पुरोऌआशम् | यः | अस्मै | सोमम् | ररते | आशिरम् | पात् | इत् | तम् | शक्रः | अंहसः // ऋ. वे. ८,३१.२ //
तस्य | द्यु-माम् | असत् | रथः | देव-जूतः | सः | शूशुवत् | विश्वा | वन्वन् | अमित्रिया // ऋ. वे. ८,३१.३ //
अस्य | प्रजावती | गृहे | असश्चन्ती | दिवे--दिवे | इऌआ | धेनु-मती | दुहे // ऋ. वे. ८,३१.४ //
या | दम्पती इतिदम्-पती | स-मनसा | सुनुतः | आ | च | धावतः | देवासः | नित्यया | आश् इरा // ऋ. वे. ८,३१.५ //
//३८//.

-ऋ. वे. ६:२/३९-
प्रति | प्राशव्यान् | इतः | सम्यञ्चा | बर्हिः | आशातेइति | न | ता | वाजेषु | वायतः // ऋ. वे. ८,३१.६ //
न | देवानाम् | अपि | ह्नुतः | सु-मतिम् | न | जुगुक्षतः | श्रवः | बृहत् | विवासतः // ऋ. वे. ८,३१.७ //
पुत्रिणा | ता | कुमारिणा | विश्वम् | आयुः | वि | अश्नुतः | उभा | हिरण्य-पेशसा // ऋ. वे. ८,३१.८ //
वीति-होत्रा | कृतद्वसूइतिकृतत्-वसू | दशस्यन्ता | अमृताय | कम् | सम् | ऊधः | रोमशम् | हतः | देवेषु | कृणुतः | दुवः // ऋ. वे. ८,३१.९ //
आ | शर्म | पर्वतानाम् | वृणीमहे | नदीनाम् | आ | विष्णोः | सचाभुवः // ऋ. वे. ८,३१.१० //
//३९//.

-ऋ. वे. ६:२/४०-
आ | एतु | पूषा | रयिः | भगः | स्वस्ति | सर्व-धातमः | उरुः | अध्वा | स्वस्तये // ऋ. वे. ८,३१.११ //
अरमतिः | अनर्वणः | विश्वः | देवस्य | मनसा | आदित्यानाम् | अनेहः | इत् // ऋ. वे. ८,३१.१२ //
यथा | नः | मित्रः | अर्यमा | वरुणः | सन्ति | गोपाः | सु-गाः | ऋतस्य | पन्थाः // ऋ. वे. ८,३१.१३ //
अग्निम् | वः | पूर्व्यम् | गिरा | देवम् | ईऌए | वसूनाम् | सपर्यन्तः | पुरु-प्रियम् | मित्रम् | न | क्षेत्र-साधसम् // ऋ. वे. ८,३१.१४ //
मक्षु | देव-वतः | रथः | शूरः | वा | पृत्-सु | कासु | चित् | देवानाम् | यः | इत् | मनः | यजमानः | इयक्षति | अभि | इत् | अयज्वनः | भुवत् // ऋ. वे. ८,३१.१५ //
न | यजमान | रिष्यसि | न | सुन्वान | न | देवयो इतिदेव-यो | देवानाम् | यः | इत् | मनः | यजमानः | इयक्षति | अभि | इत् | अयज्वनः | भुवत् // ऋ. वे. ८,३१.१६ //
नकिः | तम् | कर्मणा | नशत् | न | प्र | योषत् | न | योषति | देवानाम् | यः | इत् | मनः | यजमानः | इयक्षति | अभि | इत् | अयज्वनः | भुवत् // ऋ. वे. ८,३१.१७ //
असत् | अत्र | सु-वीर्यम् | उत | त्यत् | आशु-अश्व्यम् | देवानाम् | यः | इत् | मनः | यजमानः | इयक्षति | अभि | इत् | अयज्वनः | भुवत् // ऋ. वे. ८,३१.१८ //
//४०//.




-ऋ. वे. ६:३/१-
(ऋ. वे. ८,३२)
प्र | कृतानि | ऋजीषिणः | कण्वाः | इन्द्रस्य | गाथया | मदे | सोमस्य | वोचत // ऋ. वे. ८,३२.१ //
यः | सृबिन्दम् | अनर्शनिम् | पिप्रुम् | दासम् | अहीशुवम् | वधीत् | उग्रः | रिणन् | अपः // ऋ. वे. ८,३२.२ //
नि | अर्बुदस्य | विष्टपम् | वर्ष्माणम् | बृहतः | तिर | कृषे | तत् | इन्द्र | पैंस्यम् // ऋ. वे. ८,३२.३ //
प्रति | श्रुताय | वः | धृषत् | तूर्णाशम् | न | गिरेः | अधि | हुवे | सु-शिप्रम् | ऊतये // ऋ. वे. ८,३२.४ //
सः | गोः | अश्वस्य | वि | व्रजम् | मन्दानः | सोम्येभ्यः | पुरम् | न | शूर | दर्षसि // ऋ. वे. ८,३२.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ६:३/२-
यदि | मे | ररणः | सुते | उक्थे | वा | दधसे | चनः | आरात् | उप | स्वधा | आ | गहि // ऋ. वे. ८,३२.६ //
वयम् | घ | ते | अपि | स्मसि | स्तोतारः | इन्द्र | गिर्वणः | त्वम् | नः | जिन्व | सोम-पाः // ऋ. वे. ८,३२.७ //
उत | नः | पितुम् | आ | भर | सम्-रराणः | अवि-क्षितम् | मघ-वन् | भूरि | ते | वसु // ऋ. वे. ८,३२.८ //
उत | नः | गो-मतः | कृधि | हिरण्य-वतः | अश्विनः | इऌआभिः | सम् | रभेमहि // ऋ. वे. ८,३२.९ //
बृबत्-उक्थम् | हवामहे | सृप्र-करस्नम् | ऊतये | साधु | कृण्वन्तम् | अवसे // ऋ. वे. ८,३२.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ६:३/३-
यः | सम्-स्थे | चित् | शत-क्रतुः | आत् | ईम् | कृणोति | वृत्र-हा | जरितृ-भ्यः | पुरु-वसुः // ऋ. वे. ८,३२.११ //
सः | नः | शक्रः | चित् | आ | शकत् | दान-वान् | अन्तर-आभरः | इन्द्रः | विश्वाभिः | ऊति-भिः // ऋ. वे. ८,३२.१२ //
यः | रायः | अवनिः | महान् | सु-पारः | सुन्वतः | सखा | तम् | इन्द्रम् | अभि | गायत // ऋ. वे. ८,३२.१३ //
आयन्तारम् | महि | स्थिरम् | पृतनासु | श्रवः-जितम् | भूरेः | ईशानम् | ओजसा // ऋ. वे. ८,३२.१४ //
नकिः | अस्य | शचीनाम् | नि-यन्ता | सूनृतानाम् | नकिः | वक्ता | न | दात् | इति // ऋ. वे. ८,३२.१५ //
//३//.

-ऋ. वे. ६:३/४-
न | नूनम् | ब्रह्मणाम् | ऋणम् | प्राशूनाम् | अस्ति | सुन्वताम् | न | सोमः | अप्रता | पपे // ऋ. वे. ८,३२.१६ //
पन्ये | इत् | उप | गायत | पन्ये | उक्थानि | शंसत | ब्रह्म | कृणोत | पन्ये | इत् // ऋ. वे. ८,३२.१७ //
पन्यः | आ | दर्दिरत् | शता | सहस्रा | वाजी | अवृतः | इन्द्रः | यः | यज्वनः | वृधः // ऋ. वे. ८,३२.१८ //
वि | सु | चर | स्वधाः | अनु | कृष्टीनाम् | अनु | आहुवः | इन्द्र | पिब | सुतानाम् // ऋ. वे. ८,३२.१९ //
पिब | स्व-धैनवानाम् | उत | यः | तुग्र्ये | सचा | उत | अयम् | इन्द्र | यः | तव // ऋ. वे. ८,३२.२० //
//४//.

-ऋ. वे. ६:३/५-
अति | इहि | मन्यु-साविनम् | सुसु-वांसम् | उप-अरणे | इमम् | रातम् | सुतम् | पिब // ऋ. वे. ८,३२.२१ //
इहि | तिस्रः | परावतः | इहि | पञ्च | जनान् | अति | धेनाः | इन्द्र | अव-चाकशत् // ऋ. वे. ८,३२.२२ //
सूर्यः | रश्मिम् | यथा | सृज | त्वा | यच्छन्तु | मे | गिरः | निम्नम् | आपः | न | सध्र्यक् // ऋ. वे. ८,३२.२३ //
अध्वर्यो इति | आ | तु | हि | सिञ्च | सोमम् | वीराय | शिप्रिणे | भर | सुतस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,३२.२४ //
यः | उद्नः | फलि-गम् | भिनत् | न्यक् | सिन्धून् | अव-असृजत् | यः | गोषु | पक्वम् | धारयत् // ऋ. वे. ८,३२.२५ //
//५//.

-ऋ. वे. ६:३/६-
अहन् | वृत्रम् | ऋचीषमः | और्ण-वाभम् | अहीशुवम् | हिमेन | अविध्यत् | अर्बुदम् // ऋ. वे. ८,३२.२६ //
प्र | वः | उग्राय | निः-तुरे | अषाऌहाय | प्र-सक्षिणे | देवत्तम् | ब्रह्म | गायत // ऋ. वे. ८,३२.२७ //
यः | विश्वानि | अभि | व्रता | सोमस्य | मदे | अन्धसः | इन्द्रः | देवेषु | चेतति // ऋ. वे. ८,३२.२८ //
इह | त्या | सध-माद्या | हरी इति | हिरण्य-केश्या | वोऌहाम् | अभि | प्रयः | हितम् // ऋ. वे. ८,३२.२९ //
अर्वाञ्चम् | त्वा | पुरु-स्तुत | प्रियमेध-स्तुता | हरी इति | सोम-पेयाय | वक्षतः // ऋ. वे. ८,३२.३० //
//६//.

-ऋ. वे. ६:३/७-
(ऋ. वे. ८,३३)
वयम् | घ | त्वा | सुत-वन्तः | आपः | न | वृक्त-बर्हिषः | पवित्रस्य | प्र-स्रवणेषु | वृत्र-हन् | परि | स्तोतारः | आसते // ऋ. वे. ८,३३.१ //
स्वरन्ति | त्वा | सुते | नरः | वसो इति | निरेके | उक्थिनः | कदा | सुतम् | तृषाणः | ओकः | आ | गमः | इन्द्र | स्वब्दी-इव | वंसगः // ऋ. वे. ८,३३.२ //
कण्वेभिः | धृष्णो इति | आ | धृषत् | वाजम् | दर्षि | सहस्रिणम् | पिशङ्ग-रूपम् | मघ-वन् | वि-चर्षणे | मक्षु | गो--मन्तम् | ईमहे // ऋ. वे. ८,३३.३ //
पाहि | गाय | अन्धसः | मदे | इन्द्राय | मेध्य-अतिथे | यः | सम्-मिश्लः | हर्योः | यः | सुते | सचा | वज्री | रथः | हिरण्ययः // ऋ. वे. ८,३३.४ //
यः | सु-सव्यः | सु-दक्षिणः | इनः | यः | सु-क्रतुः | गृणे | यः | आकरः | सहस्रा | यः | शत-मघः | इन्द्रः | यः | पूः-भित् | आरितः // ऋ. वे. ८,३३.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ६:३/८-
यः | धृषितः | यः | अवृतः | यः | अस्ति | श्मश्रुषु | श्रितः | विभूत-द्युम्नः | च्यवनः | पुरु-स्तुतः | क्रत्वा | गौः-इव | शाकिनः // ऋ. वे. ८,३३.६ //
कः | ईम् | वेद | सुते | सचा | पिबन्तम् | कत् | वयः | दधे | अयम् | यः | पुरः | वि-भिनत्ति | ओजसा | मन्दानः | शिप्री | अन्धसः // ऋ. वे. ८,३३.७ //
दाना | मृगः | न | वारणः | पुरु-त्रा | चरथम् | दधे | नकिः | त्वा | नि | यमत् | आ | सुते | गमः | महान् | चरसि | ओजसा // ऋ. वे. ८,३३.८ //
यः | उग्रः | सन् | अनिः-स्तृतः | स्थिरः | रणाय | संस्कृतः | यदि | स्तोतुः | मघ-वा | शृणवत् | हवम् | न | इन्द्रः | योषति | आ | गमत् // ऋ. वे. ८,३३.९ //
सत्यम् | इत्था | वृषा | इत् | असि | वृष-जूतिः | नः | अवृतः | वृषा | हि | उग्र | शृण्विषे | परावति | वृषः | अर्वावति | श्रुतः // ऋ. वे. ८,३३.१० //
//८//.

-ऋ. वे. ६:३/९-
वृषणः | ते | अभीशवः | वृषा | कशा | हिरण्ययी | वृषा | रथः | मघ-वन् | वृषणा | हरी इति | वृषा | त्वम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो // ऋ. वे. ८,३३.११ //
वृषा | सोता | सुनोतु | ते | वृषन् | ऋजीपिन् | आ | भर | वृषा | दधन्वे | वृषणम् | नदीषु | आ | तुभ्यम् | स्थातः | हरीणाम् // ऋ. वे. ८,३३.१२ //
आ | इन्द्र | याहि | पीतये | मधु | शविष्ठ | सोम्यम् | न | अयम् | अच्छ | मघ-वा | शृणवत् | गिरः | ब्रह्म | उक्था | च | सु-क्रतुः // ऋ. वे. ८,३३.१३ //
वहन्तु | त्वा | रथेस्थाम् | आ | हरयः | रथ-युजः | तिरः | चित् | अर्यम् | सवनानि | वृत्र-हन् | अन्येषाम् | या | शतक्रतो इतिशत-क्रतो // ऋ. वे. ८,३३.१४ //
अस्माकम् | अद्य | अन्तमम् | स्तोमम् | धिष्व | महामह | अस्माकम् | ते | सवना | सन्तु | शम्-तमा | मदाय | द्युक्ष | सोम-पाः // ऋ. वे. ८,३३.१५ //
//९//.

-ऋ. वे. ६:३/१०-
नहि | सः | तव | नः | मम | शास्त्रे | अन्यस्य | रण्यति | यः | अस्मान् | वीरः | आ | अनयत् // ऋ. वे. ८,३३.१६ //
इन्द्रः | चित् | घ | तत् | अब्रवीत् | स्त्रियाः | अशास्यम् | मनः | उतो इति | अह | क्रतुम् | रघुम् // ऋ. वे. ८,३३.१७ //
सप्ती इति | चित् | घ | मद-च्युता | मिथुना | वहतः | रथम् | एव | इत् | धूः | वृष्णः | उत्-तरा // ऋ. वे. ८,३३.१८ //
अधः | पश्यस्व | मा | उपरि | सम्-तराम् | पादकौ | हर | मा | ते | कश-प्लकौ | दृशन् | स्त्री | हि | ब्रह्मा | बभूविथ // ऋ. वे. ८,३३.१९ //
//१०//.

-ऋ. वे. ६:३/११-
(ऋ. वे. ८,३४)
आ | इन्द्र | याहि | हरि-भिः | उप | कण्वस्य | सु-स्तुतिम् | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.१ //
आ | त्वा | ग्रावा | वदन् | इह | सोमी | घोषेण | यच्छतु | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.२ //
अत्र | वि | नेमिः | एषाम् | उराम् | न | धूनुते | वृकः | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.३ //
आ | त्वा | कण्वाः | इह | अवसे | हवन्ते | वाज-सातये | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.४ //
दधामि | ते | सुतानाम् | वृष्णे | न | पूर्व-पाय्यम् | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ६:३/१२-
स्मत्-पुरन्धिः | नः | आ | गहि | विश्वतः-धीः | नः | ऊतये | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.६ //
आ | नः | याहि | महे--मते | सहस्र-ऊते | शत-मघ | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.७ //
आ | त्वा | होता | मनुः-हितः | देव-त्रा | वक्षत् | ईड्यः | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.८ //
आ | त्वा | मद-च्युता | हरी इति | श्येनम् | पक्षाइव | वक्षतः | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.९ //
आ | याहि | अर्यः | आ | परि | स्वाहा | सोमस्य | पीतये | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.१० //
//१२//.

-ऋ. वे. ६:३/१३-
आ | नः | याहि | उप-श्रुति | उक्थेषु | रणय | इह | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.११ //
स-रूपैः | आ | सु | नः | गहि | सम्-भृतैः | सम्भृत-अश्वः | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.१२ //
आ | याहि | पर्वतेभ्यः | समुद्रस्य | अधि | विष्टपः | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.१३ //
आ | नः | गव्यानि | अश्व्या | सहस्रा | शूर | दर्दृहि | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.१४ //
आ | नः | सहस्र-शः | भर | अयुतानि | शतानि | च | दिवः | अमुष्य | शासतः | दिवम् | यय | दिवावसो इतिदिवावसो // ऋ. वे. ८,३४.१५ //
आ | यत् | इन्द्रः | च | दद्वहे इति | सहस्रम् | वसु-रोचिषः | ओजिष्ठम् | अश्व्यम् | पशुम् // ऋ. वे. ८,३४.१६ //
ये | ऋज्राः | वात-रंहसः | अरुषासः | रघु-स्यदः | भ्राजन्ते | सूर्याः-इव // ऋ. वे. ८,३४.१७ //
पारावतस्य | रातिषु | द्रवत्-चक्रेषु | आशुषु | तिष्ठम् | वनस्य | मध्ये | आ // ऋ. वे. ८,३४.१८ //
//१३//.

-ऋ. वे. ६:३/१४-
(ऋ. वे. ८,३५)
अग्निना | इन्द्रेण | वरुणेन | विष्णुना | आदित्यैः | रुद्रैः | वसु-भिः | सचाभुवा | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.१ //
विश्वाभिः | धीभिः | भुवनेन | वाजिना | दिवा | पृथिव्या | अद्रि-भिः | सचाभुवा | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.२ //
विश्वैः | देवैः | त्रि-भिः | एकादशैः | इह | अत्-भिः | मरुत्-भिः | भृगु-भिः | सचाभुवा | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.३ //
जुषेथाम् | यज्ञम् | बोधतम् | हवस्य | मे | विश्वा | इह | देवौ | सवना | अव | गच्छतम् | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.४ //
स्तोमम् | जुषेथाम् | युवशाइव | कन्यनाम् | विश्वा | इह | देवौ | सवना | अव | गच्छतम् | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.५ //
गिरः | जुषेथाम् | अध्वरम् | जुषेथाम् | विश्वा | इह | देवौ | सवना | अव | गच्छतम् | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.६ //
//१४//.

-ऋ. वे. ६:३/१५-
हारिद्रवाइव | पतथः | वना | इत् | उप | सोमम् | सुतम् | महिषाइव | अव | गच्छथः | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.७ //
हंसौ-इव | पतथः | अध्वगौ-इव | सोमम् | सुतम् | महिषाइव | अव | गच्छथः | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.८ //
श्येनौ-इव | पतथः | हव्य-दातये | सोमम् | सुतम् | महिषाइव | अव | गच्छथः | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.९ //
पिबतम् | च | तृप्णुतम् | च | आ | च | गच्छतम् | प्र-जाम् | च | धत्तम् | द्रविणम् | च | धत्तम् | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.१० //
जयतम् | च | प्र | स्तुतम् | च | प्र | च | अवतम् | प्र-जाम् | च | धत्तम् | द्रविणम् | च | धत्तम् | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.११ //
हतम् | च | शत्रून् | यततम् | च | मित्रिणः | प्र-जाम् | च | धत्तम् | द्रविणम् | च | धत्तम् | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.१२ //
//१५//.

-ऋ. वे. ६:३/१६-
मित्रावरुण-वन्तौ | उत | धर्म-वन्ता | मरुत्वन्ता | जरितुः | गच्छथः | हवम् | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.१३ //
अङ्गिरस्वन्तौ | उत | विष्णु-वन्ता | मरुत्वन्ता | जरितुः | गच्छथः | हवम् | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.१४ //
ऋभु-मन्ता | वृषणा | वाज-वन्ता | मरुत्वन्ता | जरितुः | गच्छथः | हवम् | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.१५ //
ब्रह्म | जिन्वतम् | उत | जिन्वतम् | धियः | हतम् | रक्षांसि | सेधतम् | अमीवाः | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.१६ //
क्षत्रम् | जिन्वतम् | उत | जिन्वतम् | नॄन् | हतम् | रक्षांसि | सेधतम् | अमीवाः | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.१७ //
धेनूः | जिन्वतम् | उत | जिन्वतम् | विशः | हतम् | रक्षांसि | सेधतम् | अमीवाः | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.१८ //
//१६//.

-ऋ. वे. ६:३/१७-
अत्रेः-इव | शृणुतम् | पूर्व्य-स्तुतिम् | श्याव-अश्वस्य | सुन्वतः | मद-च्युता | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.१९ //
सर्गान्-इव | सृजतम् | सु-स्तुतीः | उप | श्याव-अश्वस्य | सुन्वतः | मद-च्युता | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.२० //
रश्मीन्-इव | यच्छतम् | अध्वरान् | उप | श्याव-अश्वस्य | सुन्वतः | मद-च्युता | स-जोषसौ | उषसा | सूर्येण | च | सोमम् | पिबतम् | अश्विना // ऋ. वे. ८,३५.२१ //
अर्वाक् | रथम् | नि | यच्छतम् | पिबतम् | सोम्यम् | मधु | आ | यातम् | अश्विना | आ | गतम् | अवस्युः | वाम् | अहम् | हुवे | धत्तम् | रत्नानि | दाशुषे // ऋ. वे. ८,३५.२२ //
नमः-वाके | प्र-स्थिते | अध्वरे | नरा | विवक्षणस्य | पीतये | आ | यातम् | अश्विना | आ | गतम् | अवस्युः | वाम् | अहम् | हुवे | धत्तम् | रत्नानि | दाशुषे // ऋ. वे. ८,३५.२३ //
स्वाहाकृतस्य | तृम्पतम् | सुतस्य | देवौ | अन्धसः | आ | यातम् | अश्विना | आ | गतम् | अवस्युः | वाम् | अहम् | हुवे | धत्तम् | रत्नानि | दाशुषे // ऋ. वे. ८,३५.२४ //
//१७//.

-ऋ. वे. ६:३/१८-
(ऋ. वे. ८,३६)
अविता | असि | सुन्वतः | वृक्त-बर्हिषः | पिब | सोमम् | मदाय | कम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | यम् | ते | भागम् | अधारयन् | विश्वाः | सेहानः | पृतनाः | उरु | ज्रयः | सम् | अप्सु-जित् | मरुत्वान् | इन्द्र | सत्-पते // ऋ. वे. ८,३६.१ //
प्र | अव | स्तोतारम् | मघ-वन् | अव | त्वाम् | पिब | सोमम् | मदाय | कम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | यम् | ते | भागम् | अधारयन् | विश्वाः | सेहानः | पृतनाः | उरु | ज्रयः | सम् | अप्सु-जित् | मरुत्वान् | इन्द्र | सत्-पते // ऋ. वे. ८,३६.२ //
ऊर्जा | देवान् | अवसि | ओजसा | त्वाम् | पिब | सोमम् | मदाय | कम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | यम् | ते | भागम् | अधारयन् | विश्वाः | सेहानः | पृतनाः | उरु | ज्रयः | सम् | अप्सु-जित् | मरुत्वान् | इन्द्र | सत्-पते // ऋ. वे. ८,३६.३ //
जनिता | दिवः | जनिता | पृथिव्याः | पिब | सोमम् | मदाय | कम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | यम् | ते | भागम् | अधारयन् | विश्वाः | सेहानः | पृतनाः | उरु | ज्रयः | सम् | अप्सु-जित् | मरुत्वान् | इन्द्र | सत्-पते // ऋ. वे. ८,३६.४ //
जनिता | अश्वानाम् | जनिता | गवाम् | असिपिब | सोमम् | मदाय | कम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | यम् | ते | भागम् | अधारयन् | विश्वाः | सेहानः | पृतनाः | उरु | ज्रयः | सम् | अप्सु-जित् | मरुत्वान् | इन्द्र | सत्-पते // ऋ. वे. ८,३६.५ //
अत्रीणाम् | स्तोमम् | अद्रि-वः | महः | कृधि | पिब | सोमम् | मदाय | कम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | यम् | ते | भागम् | अधारयन् | विश्वाः | सेहानः | पृतनाः | उरु | ज्रयः | सम् | अप्सु-जित् | मरुत्वान् | इन्द्र | सत्-पते // ऋ. वे. ८,३६.६ //
श्याव-अश्वस्य | सुन्वतः | तथा | शृणु | यथा | अशृणोः | अत्रेः | कर्माणि | कृण्वतः | प्र | त्रसदस्युम् | आविथ | त्वम् | एकः | इत् | नृ-सह्ये | इन्द्र | ब्रह्माणि | वर्धयन् // ऋ. वे. ८,३६.७ //
//१८//.

-ऋ. वे. ६:३/१९-
(ऋ. वे. ८,३७)
प्र | इदम् | ब्रह्म | वृत्र-तूर्येषु | आविथ | प्र | सुन्वतः | शची-पते | इन्द्र | विश्वाभिः | ऊति-भिः | माध्यन्दिनस्य | सवनस्य | वृत्र-हन् | अनेद्य | पिब | सोमस्य | वज्रि-वः // ऋ. वे. ८,३७.१ //
सेहानः | उग्र | पृतनाः | अभि | द्रुहः | शची-पते | इन्द्र | विश्वाभिः | ऊति-भिः | माध्यन्दिनस्य | सवनस्य | वृत्र-हन् | अनेद्य | पिब | सोमस्य | वज्र् इ-वः // ऋ. वे. ८,३७.२ //
एक-राट् | अस्य | भुवनस्य | राजसि | शची-पते | इन्द्र | विश्वाभिः | ऊति-भिः | माध्यन्दिनस्य | सवनस्य | वृत्र-हन् | अनेद्य | पिब | सोमस्य | वज्रि--वः // ऋ. वे. ८,३७.३ //
स-स्थावाना | यवयसि | त्वम् | एकः | इत् | शची-पते | इन्द्र | विश्वाभिः | ऊति-भ् इः | माध्यन्दिनस्य | सवनस्य | वृत्र-हन् | अनेद्य | पिब | सोमस्य | वज्रि-वः // ऋ. वे. ८,३७.४ //
क्षेमस्य | च | प्र-युजः | च | त्वम् | ईशिषे | शची-पते | इन्द्र | विश्वाभिः | ऊति--भिः | माध्यन्दिनस्य | सवनस्य | वृत्र-हन् | अनेद्य | पिब | सोमस्य | वज्रि-वः // ऋ. वे. ८,३७.५ //
क्षत्राय | त्वम् | अवसि | न | त्वम् | आविथ | शची-पते | इन्द्र | विश्वाभिः | ऊति-भिः | माध्यन्दिनस्य | सवनस्य | वृत्र-हन् | अनेद्य | पिब | सोमस्य | वज्रि-वः // ऋ. वे. ८,३७.६ //
श्याव-अश्वस्य | रेभतः | तथा | शृणु | यथा | अशृणोः | अत्रेः | कर्माणि | कृण्वतः | प्र | त्रसदस्युम् | आविथ | त्वम् | एकः | इत् | नृ-सह्ये | इन्द्र | ब्रह्माणि | वर्धयन् // ऋ. वे. ८,३७.७ //
//१९//.

-ऋ. वे. ६:३/२०-
(ऋ. वे. ८,३८)
यज्ञस्य | हि | स्थः | ऋत्विजा | सस्नी इति | वाजेषु | कर्मसु | इन्द्राग्नी इति | तस्य | बोधतम् // ऋ. वे. ८,३८.१ //
तोषासा | रथ-यावाना | वृत्र-हना | अपराजिता | इन्द्राग्नी इति | तस्य | बोधतम् // ऋ. वे. ८,३८.२ //
इदम् | वाम् | मदिरम् | मधु | अधुक्षन् | अद्रि-भिः | नरः | इन्द्राग्नी इति | तस्य | बोधतम् // ऋ. वे. ८,३८.३ //
जुषेथाम् | यज्ञम् | इष्टये | सुतम् | सोमम् | सधस्तुती इतिसध-स्तुती | इन्द्राग्नी इति | आ | गतम् | नरा // ऋ. वे. ८,३८.४ //
इमा | जुषेथाम् | सवना | येभिः | हव्यानि | ऊहथुः | इन्द्राग्नी इति | आ | गतम् | नरा // ऋ. वे. ८,३८.५ //
इमाम् | गायत्र-वर्तनिम् | जुषेथाम् | सु-स्तुतिम् | मम | इन्द्राग्नी इति | आ | गतम् | नरा // ऋ. वे. ८,३८.६ //
//२०//.

-ऋ. वे. ६:३/२१-
प्रातर्याव-भिः | आ | गतम् | देवेभिः | जेन्यावसूइति | इन्द्राग्नी इति | सोम-पीतये // ऋ. वे. ८,३८.७ //
श्याव-अश्वस्य | सुन्वतः | अत्रीणाम् | शृणुतम् | हवम् | इन्द्राग्नी इति | सोम-पीतये // ऋ. वे. ८,३८.८ //
एव | वाम् | अह्वे | ऊतये | यथा | अहुवन्त | मेधिराः | इन्द्राग्नी इति | सोम-पीतये // ऋ. वे. ८,३८.९ //
आ | अहम् | सरस्वती-वतोः | इन्द्राग्न्योः | अवः | वृणे | याभ्याम् | गायत्रम् | ऋच्यते // ऋ. वे. ८,३८.१० //
//२१//.

-ऋ. वे. ६:३/२२-
(ऋ. वे. ८,३९)
अग्निम् | अस्तोषि | ऋग्मियम् | अग्निम् | ईऌआ | यजध्यै | अग्निः | देवान् | अनक्तु | नः | उभे इति | हि | विदथेइति | कविः | अन्तरिति | चरति | दूत्यम् | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,३९.१ //
नि | अग्ने | नव्यसा | वचः | तनूषु | शंसम् | एषाम् | नि | अरातीः | रराव्णाम् | विश्वाः | अर्यः | अरातीः | इतः | युच्छन्तु | आमुरः | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,३९.२ //
अग्ने | मन्मानि | तुभ्यम् | कम् | घृतम् | न | जुह्वे | आसनि | सः | देवेषु | प्र | चिकि द्धि | त्वम् | हि | असि | पूर्व्यः | शिवः | दूतः | विवस्वतः | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,३९.३ //
तत्-तत् | अग्निः | वयः | दधे | यथायथा | कृपण्यति | ऊर्जाआहुतिः | वसूनाम् | शम् | च | योः | च | मयः | दधेविश्वस्यै देवहूत्यै | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,३९.४ //
सः | चिकेत | सहीयसा | अग्निः | चित्रेण | कर्मणा | सः | होता | शश्वतीनाम् | दक्षिणाभिः | अभि-वृतः | इनोति | च | प्रतीव्यम् | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,३९.५ //
//२२//.

-ऋ. वे. ६:३/२३-
अग्निः | जाता | देवानाम् | अग्निः | वेद | मर्तानाम् | अपीच्यम् | अग्निः | सः | द्रविणः-दाः | अग्निः | द्वारा | वि | ऊर्णुते | सु-आहुतः | नवीयसा | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,३९.६ //
अग्निः | देवेषु | सम्-वसुः | सः | विक्षु | यज्ञियासु | आ | सः | मुदा | काव्या | पुरु | विश्वम् | भूम-इव | पुष्यति | देवः | देवेषु | यज्ञियः | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,३९.७ //
यः | अग्निः | सप्त-मानुषः | श्रितः | विश्वेषु | सिन्धुषु | तम् | आ | अगन्म | त्रि--पस्त्यम् | मन्धातुः | दस्युहन्-तमम् | अग्निम् | यज्ञेषु | पूर्व्यम् | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,३९.८ //
अग्निः | त्रीणि | त्रि-धातूनि | आ | क्षेति | विदथा | कविः | सः | त्रीन् | एकादशान् | इह | यक्षत् | च | पिप्रयत् | च | नः | विप्रः | दूतः | परि-कृतः | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,३९.९ //
त्वम् | नः | अग्ने | आयुषु | त्वम् | देवेषु | पूर्व्य | वस्वः | एकः | इरज्यसि | त्वाम् | आपः | परि-स्रुतः | परि | यन्ति | स्व-सेतवः | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,३९.१० //
//२३//.

-ऋ. वे. ६:३/२४-
(ऋ. वे. ८,४०)
इन्द्राग्नी इति | युवम् | सु | नः | सहन्ता | दासथः | रयिम् | येन | दृऌहा | समत्-सु | आ | वीऌउ | चित् | सहिषीमहि | अग्निः | वनाइव | वाते | इत् | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४०.१ //
नहि | वाम् | वव्रयामहे | अथ | इन्द्रम् | इत् | यजामहे | शविष्ठम् | नृणाम् | नरम् | सः | नः | कदा | चित् | अर्वता | गमत् | आ | वाज-सातये | गमत् | आ | मेध-सातये | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४०.२ //
ता | हि | मध्यम् | भराणाम् | इन्द्राग्नी इति | अधि-क्षितः | ता | ॐ इति | कवि-त्वना | कवी इति | पृच्छ्यमाना | सखी-यते | सम् | धीतम् | अश्नुतम् | नरा | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४०.३ //
अभि | अर्च | नभाक-वत् | इन्द्राग्नी इति | यजसा | गिरा | ययोः | विश्वम् | इदम् | जगत् | इयम् | द्यौः | पृथिवी | मही | उप-स्थे | बिभृतः | वसु | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४०.४ //
प्र | ब्रह्माणि | नभाक-वत् | इन्द्राग्नि-भ्याम् | इरज्यत | या | सप्त-बुध्नम् | अर्णवम् | जिह्म-बारम् | अप-ऊर्णुतः | इन्द्रः | ईशानः | ओजसा | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४०.५ //
अपि | वृश्च | पुराण-वत् | व्रततेः-इव | गुष्पितम् | ओजः | दासस्य | दम्भय | वयम् | तत् | अस्य | सम्-भृतम् | वसु | इन्द्रेण | वि | भजेमहि | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४०.६ //
//२४//.

-ऋ. वे. ६:३/२५-
यत् | इन्द्राग्नी इति | जनाः | इमे | वि-ह्वयन्ते | तना | गिरा | अस्माकेभिः | नृ-भिः | वयम् | ससह्याम | पृतन्यतः | वनुयाम | वनुष्यतः | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४०.७ //
या | नु | श्वेतौ | अवः | दिवः | उत्-चरातः | उप | द्यु-भिः | इन्द्राग्न्योः | अनु | व्रतम् | उहानाः | यन्ति | सिन्धवः | यान् | सीम् | बन्धात् | अमुञ्चताम् | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४०.८ //
पूर्वीः | ते | इन्द्र | उप-मातयः | पूर्वीः | उत | प्र-शस्तयः | सूनो इति | हिन्वस्य | हरि-वः | वस्वः | वीरस्य | आपृचः | या | नु | साधन्त | नः | धियः | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४०.९ //
तम् | शिशीत | सुवृक्ति-भिः | त्वेषम् | सत्वानम् | ऋग्मियम् | उतो इति | नु | चित् | यः | ओजसा | शुष्णस्य | आण्डानि | भेदति | जेषत् | स्वः-वतीः | अपः | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४०.१० //
तम् | शिशीत | सु-अध्वरम् | सत्यम् | सत्वानम् | ऋग्मियम् | उतो इति | नु | चित् | यः | ओजसा | शुष्णस्य | आण्डानि | भेदति | जेषत् | स्वः-वतीः | अपः | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४०.११ //
एव | इन्द्राग्नि-भ्याम् | पितृ-वत् नवीयः | मन्धातृ-वत् | अङ्गिरस्वत् | अवाचि | त्रि-धातुना | शर्मणा | पातम् | अस्मान् | वयम् | स्याम | पतयः | रयीणाम् // ऋ. वे. ८,४०.१२ //
//२५//.

-ऋ. वे. ६:३/२६-
(ऋ. वे. ८,४१)
अस्मै | ॐ इति | सु | प्र-भूतये | वरुणाय | मरुत्-भ्यः | अर्च | विदुः-तरेभ्यः | यः | धीता | मानुषाणाम् | पश्वः | गाः-इव | रक्षति | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४१.१ //
तम् | ॐ इति | सु | समना | गिरा | पितॄणाम् | च | मन्म-भिः | नाभाकस्य | प्रसस्ति-भिः | यः | सिन्धूनाम् | उप | उत्-अये | सप्त-स्वसा | सः | मध्यमः | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४१.२ //
सः | क्षपः | परि | सस्वजे | नि | उस्रः | मायया | दधे | सः | विश्वम् | परि | दर्शतः | तस्य | वेनीः | अनु | व्रतम् | उषः | तिस्रः | अवर्धयन् | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४१.३ //
यः | ककुभः | नि-धारयः | पृथिव्याम् | अधि | दर्शतः | सः | माता | पूर्व्यम् | पदम् | तत् | वरुणस्य | सप्त्यम् | सः | हि | गोपाः-इव | इर्यः | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४१.४ //
यः | धर्ता | भुवनानाम् | यः | उस्राणाम् | अपीच्या | वेद | नामानि | गुह्या | सः | कविः | काव्या | पुरु | रूपम् | द्यौः-इव | पुष्यति | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४१.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ६:३/२७-
यस्मिन् | विश्वानि | काव्या | चक्रे | नाभिः-इव | श्रिता | त्रितम् | जूती | सपर्यत | व्रजे | गावः | न | सम्-युजे | युजे | अश्वाम्न् | अयुक्षत | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४१.६ //
यः | आसु | अत्कः | आशये | विश्वा | जातानि | एषाम् | परि | धामानि | मर्मृशत् | वरुणस्य | पुरः | गयः | विश्वे | देवाः | अनु | व्रतम् | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४१.७ //
सः | समुद्रः | अपीच्यः | तुरः | द्याम्-इव | रोहति | नि | यत् | आसु | यजुः | दधे | सः | मायाः | अर्चिना | पदा | अस्तृणात् | नाकम् | आ | अरुहत् | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४१.८ //
यस्य | श्वेता | वि-चक्षणा | तिस्रः | भूमीः | अधि-क्षितः | त्रिः | उत्-तराणि | पप्रतुः | वरुणस्य | ध्रुवम् | सदः | सः | सप्तानाम् | इरज्यति | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४१.९ //
यः | श्वेतान् | अधि-निर्निजः | चक्रे | कृष्णान् | अनु | व्रता | सः | धाम | पूर्व्यम् | ममे | यः | स्कम्भेन | वि | रोदसी इति | अजः | न | द्याम् | अधारयत् | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४१.१० //
//२७//.

-ऋ. वे. ६:३/२८-
(ऋ. वे. ८,४२)
अस्तभ्नात् | द्याम् | असुरः | विश्व-वेदाः | अमिमीत | वरिमाणम् | पृथिव्याः | आ | असीदत् | विश्वा | भुवनानि | सम्-राट् | विश्वा | इत् | तानि | वरुणस्य | व्रतानि // ऋ. वे. ८,४२.१ //
एव | वन्दस्व | वरुणम् | बृहन्तम् | नमस्य | धीरम् | अमृतस्य | गोपाम् | सः | नः | शर्म | त्रि-वरूथम् | वि | यंसत् | पतम् | नः | द्यावापृथिवी इति | उप-स्थे // ऋ. वे. ८,४२.२ //
इमाम् | धियम् | शिक्षमाणस्य | देव | क्रतुम् | दक्षम् | वरुण | सम् | शिशाधि | यया | अति | विश्वा | दुः-इता | तरेम | सु-तर्माणम् | अधि | नावम् | रुहेम // ऋ. वे. ८,४२.३ //
आ | वाम् | ग्रावाणः | अश्विना | धीभिः | विप्राः | अचुच्यवुः | नासत्या | सोम-पीतये | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४२.४ //
यथा | वाम् | अत्रिः | अश्विना | गीः-भिः | विप्रः | अजोहवीत् | नासत्या | सोम-पीतये | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४२.५ //
एव | वाम् | अह्वे | ऊतये | यथा | अहुवन्त | मेधिराः | नासत्या | सोम-पीतये | नभन्ताम् | अन्यके | समे // ऋ. वे. ८,४२.६ //
//२८//.

-ऋ. वे. ६:३/२९-
(ऋ. वे. ८,४३)
इमे | विप्रस्य | वेधसः | अग्नेः | अस्तृत-यज्वनः | गिरः | स्तोमासः | ईरते // ऋ. वे. ८,४३.१ //
अस्मै | ते | प्रति-हर्यते | जात-वेदः | वि-चर्षणे | अग्ने | जनामि | सु-स्तुतिम् // ऋ. वे. ८,४३.२ //
आरोकाः-इव | घ | इत् | अह | तिग्माः | अग्ने | तव | त्विषः | दत्-भिः | वनानि | बप्सति // ऋ. वे. ८,४३.३ //
हरयः | धूम-केतवः | वात-जूताः | उप | द्यवि | यतन्ते | वृथक् | अग्नयः // ऋ. वे. ८,४३.४ //
एते | त्ये | वृथक् | अग्नयः | इद्धासः | सम् | अदृक्षत | उषसाम्-इव | केतवः // ऋ. वे. ८,४३.५ //
//२९//.

-ऋ. वे. ६:३/३०-
कृष्णा | रजांसि | पत्सुतः | प्र-याणे | जात-वेदसः | अग्निः | यत् | रोधति | क्षम् इ // ऋ. वे. ८,४३.६ //
धासिम् | कृण्वानः | ओषधीः | बप्सत् | अग्निः | न | वायति | पुनः | यन् | तरुणीः | अपि // ऋ. वे. ८,४३.७ //
जिह्वाभिः | अह | नन्नमत् | अर्चिषा | जञ्जणाभवन् | अग्निः | वनेषु | रोचते // ऋ. वे. ८,४३.८ //
अप्-सु | अग्ने | सधिः | तव | सः | ओषधीः | अनु | रुध्यसे | गर्भे | सन् | जायसे | पुनरिति // ऋ. वे. ८,४३.९ //
उत् | अग्ने | तव | तत् | घृतात् | अर्चिः | रोचते | आहुतम् | निंसानम् | जुह्वः | मुखे // ऋ. वे. ८,४३.१० //
//३०//.

-ऋ. वे. ६:३/३१-
उक्ष-अन्नाय | वशाअन्नाय | सोम-पृष्ठाय | वेधसे | स्तोमैः | विधेम | अग्नये // ऋ. वे. ८,४३.११ //
उत | त्वा | नमसा | वयम् | होतः | वरेण्यक्रतो इतिवरेण्य-क्रतो | अग्ने | समित्-भिः | ईमहे // ऋ. वे. ८,४३.१२ //
उत | त्वा | भृगु-वत् | शुचे | मनुष्वत् | अग्ने | आहुत | अङ्गिरस्वत् | हवामहे // ऋ. वे. ८,४३.१३ //
त्वम् | हि | अग्ने | अग्निना | विप्रः | विप्रेण | सन् | सता | सखा | सख्या | सम्-इध्यसे // ऋ. वे. ८,४३.१४ //
सः | त्वम् | विप्राय | दाशुषे | रयिम् | देहि | सहस्रिणम् | अग्ने | वीर-वतीम् | इषम् // ऋ. वे. ८,४३.१५ //
//३१//.

-ऋ. वे. ६:३/३२-
अग्ने | भ्रातरिति | सहः-कृत | रोहित्-अश्व | शुचि-व्रत | इमम् | स्तोमम् | जुषस्व | मे // ऋ. वे. ८,४३.१६ //
उत | त्वा | अग्ने | मम | स्तुतः | वाश्राय | प्रति-हर्यते | गो--स्थम् | गावः-इव | आशत // ऋ. वे. ८,४३.१७ //
तुभ्यम् | ताः | अङ्गिरः-तम | विश्वाः | सु-क्षितयः | पृथक् | अग्ने | कामाय | येमिरे // ऋ. वे. ८,४३.१८ //
अग्निम् | धीभिः | मनीषिणः | मेधिरासः | विपः-चितः | अद्म-सद्याय | हिन्विरे // ऋ. वे. ८,४३.१९ //
तम् | त्वाम् | अज्मेषु | वाजिनम् | तन्वानाः | अग्ने | अध्वरम् | वह्निम् | होतारम् | ईऌअते // ऋ. वे. ८,४३.२० //
//३२//.

-ऋ. वे. ६:३/३३-
पुरु-त्रा | हि | सदृङ् | असि | विशः | विश्वाः | अनु | प्र-भुः | समत्-सु | त्वा | हवामहे // ऋ. वे. ८,४३.२१ //
तम् | ईऌइष्व | यः | आहुतः | अग्निः | वि-भ्राजते | घृतैः | इमम् | नः | शृणवत् | हवम् // ऋ. वे. ८,४३.२२ //
तम् | त्वा | वयम् | हवामहे | शृण्वन्तम् | जात-वेदसम् | अग्ने | घ्नन्तम् | अप | द्विषः // ऋ. वे. ८,४३.२३ //
विशाम् | राजानम् | अद्भुतम् | अधि-अक्षम् | धर्मणाम् | इमम् | अग्निम् | ईऌए | सः | ॐ इति | श्रवत् // ऋ. वे. ८,४३.२४ //
अग्निम् | विश्वायु-वेपसम् | मर्यम् | न | वाजिनम् | हितम् | सप्तिम् | न | वाजयामसि // ऋ. वे. ८,४३.२५ //
//३३//.

-ऋ. वे. ६:३/३४-
घ्नन् | मृध्राणि | अप | द्विषः | दहन् | रक्षांसि | विश्वहा | अग्ने | तिग्मेन | दीदि हि // ऋ. वे. ८,४३.२६ //
यम् | त्वा | जनासः | इन्धते | मनुष्वत् | अङ्गिरः-तम | अग्ने | सः | बोधि | मे | वचः // ऋ. वे. ८,४३.२७ //
यत् | अग्ने | दिवि-जाः | असि | अप्सु-जाः | वा | सहः-कृत | तम् | त्वा | गीः-भिः | हवामहे // ऋ. वे. ८,४३.२८ //
तुभ्यम् | घ | इत् | ते | जनाः | इमे | विश्वाः | सु-क्षितयः | पृथक् | धासिम् | हिन्वन्ति | अत्तवे // ऋ. वे. ८,४३.२९ //
ते | घ | इत् | अग्ने | सु-आध्यः | अहा | विश्वा | नृ-चक्षसः | तरन्तः | स्याम | दुः-गहा // ऋ. वे. ८,४३.३० //
//३४//.

-ऋ. वे. ६:३/३५-
अग्निम् | मन्द्रम् | पुरु-प्रियम् | शीरम् | पावक-शोचिषम् | हृत्-भिः | मन्द्रेभिः | ईमहे // ऋ. वे. ८,४३.३१ //
सः | त्वम् | अग्ने | विभावसुः | सृजन् | सूर्यः | न | रश्मि-भिः | शर्धन् | तमांसि | जिघ्नसे // ऋ. वे. ८,४३.३२ //
तत् | ते | सहस्वः | ईमहे | दात्रम् | यत् | न | उप-दस्यति | त्वत् | अग्ने | वायर्म् | वसु // ऋ. वे. ८,४३.३३ //
//३५//.

-ऋ. वे. ६:३/३६-
(ऋ. वे. ८,४४)
सम्-इधा | अग्निम् | दुवस्यत | घृतैः | बोधयत | अतिथिम् | आ | अस्मिन् | हव्या | जुहोतन // ऋ. वे. ८,४४.१ //
अग्ने | स्तोमम् | जुषस्व | मे | वर्धस्व | अनेन | मन्मना | प्रति | सु-उक्तानि | हर्य | नः // ऋ. वे. ८,४४.२ //
अग्निम् | दूतम् | पुरः | दधे | हव्य-वाहम् | उप | ब्रुवे | देवान् | आ | सादयात् | इह // ऋ. वे. ८,४४.३ //
उत् | ते | बृहन्तः | अर्चयः | सम्-इधानस्य | दीदि-वः | अग्ने | शुक्रासः | ईरते // ऋ. वे. ८,४४.४ //
उप | त्वा | जुह्वः | मम | घृताचीः | यन्तु | हर्यत | अग्ने | हव्या | जुषस्व | नः // ऋ. वे. ८,४४.५ //
//३६//.

-ऋ. वे. ६:३/३७-
मन्द्रम् | होतारम् | ऋत्विजम् | चित्र-भानुम् | विभावसुम् | अग्निम् | ईऌए | सः | ॐ इति | श्रवत् // ऋ. वे. ८,४४.६ //
प्रत्नम् | होतारम् | ईड्यम् | जुष्टम् | अग्निम् | कवि-क्रतुम् | अध्वराणाम् | अभि-श्रियम् // ऋ. वे. ८,४४.७ //
जुषाणः | अङ्गिरः-तम | इमा | हव्यानि | आनुषक् | अग्ने | यज्ञम् | नय | ऋतु-था // ऋ. वे. ८,४४.८ //
सम्-इधानः | ॐ इति | सन्त्य | शुक्र-शोचे | इह | आ | वह | चिकित्वान् | दैव्यम् | जनम् // ऋ. वे. ८,४४.९ //
विप्रम् | होतारम् | अद्रुहम् | धूम-केतुम् | विभावसुम् | यज्ञानाम् | केतुम् | ईमहे // ऋ. वे. ८,४४.१० //
//३७//.

-ऋ. वे. ६:३/३८-
अग्ने | नि | पाहि | नः | त्वम् | प्रति | स्म | देव | रिषतः | भिन्धि | द्वेषः | सहः-कृत // ऋ. वे. ८,४४.११ //
अग्निः | प्रत्नेन | मन्मना | शुम्भानः | तन्वम् | स्वाम् | कविः | विप्रेण | ववृधे // ऋ. वे. ८,४४.१२ //
ऊर्जः | नपातम् | आ | हुवे | अग्निम् | पावक-शोचिषम् | अस्मिन् | यज्ञे | सु-अध्वरे // ऋ. वे. ८,४४.१३ //
सः | नः | मित्र-महः | त्वम् | अग्ने | शुक्रेण | शोचिषा | देवैः | आ | सत्सि | बर्हि षि // ऋ. वे. ८,४४.१४ //
यः | अग्निम् | तन्वः | दमे | देवम् | मर्तः | सपर्यति | तस्मै | इत् | दीदयत् | वसु // ऋ. वे. ८,४४.१५ //
//३८//.

-ऋ. वे. ६:३/३९-
अग्निः | मूर्धा | दिवः | ककुत् | पतिः | पृथिव्याः | अयम् | अपाम् | रेतांसि | जिन्वति // ऋ. वे. ८,४४.१६ //
उत् | अग्ने | शुचयः | तव | शुक्राः | भ्राजन्तः | ईरते | तव | ज्योतींषि | अर्चयः // ऋ. वे. ८,४४.१७ //
ईशिषे | वार्यस्य | हि | दात्रस्य | अग्ने | स्वः-पतिः | स्तोता | स्याम् | तव | शमर्णि // ऋ. वे. ८,४४.१८ //
त्वाम् | अग्ने | मनीषिणः | त्वाम् | हिन्वन्ति | चित्ति-भिः | त्वाम् | वर्धन्तु | नः | ग् इरः // ऋ. वे. ८,४४.१९ //
अदब्धस्य | स्वधावतः | दूतस्य | रेभतः | सदा | अग्नेः | सख्यम् | वृणीमहे // ऋ. वे. ८,४४.२० //
//३९//.

-ऋ. वे. ६:३/४०-
अग्निः | शुचिव्रत-तमः | शुचिः | विप्रः | शुचिः | कविः | शुचिः | रोचते | आहुतः // ऋ. वे. ८,४४.२१ //
उत | त्वा | धीतयः | मम | गिरः | वृधन्तु | विस्वहा | अग्ने | सख्यस्य | बोधि | नः // ऋ. वे. ८,४४.२२ //
यत् | अग्ने | स्याम् | अहम् | त्वम् | त्वम् | वा | घ | स्याः | अहम् | स्युः | ते | सत्याः | इह | आशिषः // ऋ. वे. ८,४४.२३ //
वसुः | वसु-पतिः | हि | कम् | असि | अग्ने | विभावसुः | स्याम | ते | सु-मतौ | अपि // ऋ. वे. ८,४४.२४ //
अग्ने | धृत-व्रताय | ते | समुद्राय-इव | सिन्धवः | गिरः | वाश्रासः | ईरते // ऋ. वे. ८,४४.२५ //
//४०//.

-ऋ. वे. ६:३/४१-
युवानम् | विश्पतिम् | कविम् | विश्व-अदम् | पुरु-वेपसम् | अग्निम् | शुम्भामि | मन्म-भिः // ऋ. वे. ८,४४.२६ //
यज्ञानाम् | रथ्ये | वयम् | तिग्म-जम्भाय | वीऌअवे | स्तोमैः | इषेम | अग्नये // ऋ. वे. ८,४४.२७ //
अयम् | अग्ने | त्वे इति | अपि | जरिता | भूतु | सन्त्य | तस्मै | पावक | मृऌअय // ऋ. वे. ८,४४.२८ //
धीरः | हि | असि | अद्म-सत् | विप्रः | न | जागृविः | सदा | अग्ने | दीदयसि | द्यवि // ऋ. वे. ८,४४.२९ //
पुरा | अग्ने | दुः-इतेभ्यः | पुरा | मृध्रेभ्यः | कवे | प्र | नः | आयुः | वसो इति | तिर // ऋ. वे. ८,४४.३० //
//४१//.

-ऋ. वे. ६:३/४२-
(ऋ. वे. ८,४५)
आ | घ | ये | अग्निम् | इन्धते | स्तृणन्ति | बर्हिः | आनुषक् | येषाम् | इन्द्रः | युवा | सखा // ऋ. वे. ८,४५.१ //
बृहन् | इत् | इध्मः | एषाम् | भूरि | शस्तम् | पृथु | स्वरुः | येषाम् | इन्द्रः | युवा | सखा // ऋ. वे. ८,४५.२ //
अयुद्धः | इत् | युधा | वृतम् | शूरः | आ | अजति | सत्व-भिः | येषाम् | इन्द्रः | युवा | सखा // ऋ. वे. ८,४५.३ //
आ | बुन्दम् | वृत्र-हा | ददे | जातः | पृच्छत् | वि | मातरम् | के | उग्राः | के | ह | शृण्विरे // ऋ. वे. ८,४५.४ //
प्रति | त्वा | शवसी | वदत् | घिरौ | अप्सः | न | योधिषत् | यः | ते | शत्रु-त्वम् | आचके // ऋ. वे. ८,४५.५ //
//४२//.

-ऋ. वे. ६:३/४३-
उत | त्वम् | मघ-वन् | शृणु | यः | ते | वष्टि | ववक्षि | तत् | यत् | वीऌअयासि | वीऌउ | तत् // ऋ. वे. ८,४५.६ //
यत् | आजिम् | याति | आजि-कृत् | इन्द्रः | स्वश्व-युः | उप | रथि-तमः | रथीनाम् // ऋ. वे. ८,४५.७ //
वि | सु | विश्वाः | अभि-युजः | वज्रिन् | विष्वक् | यथा | वृह | भव | नः | सुश्रवः-तमः // ऋ. वे. ८,४५.८ //
अस्माकम् | सु | रथम् | पुरः | इन्द्रः | कृणोतु | सातये | न | यम् | धूर्वन्ति | धूतर्यः // ऋ. वे. ८,४५.९ //
वृज्याम | ते | परि | द्विषः | अरम् | ते | शक्र | दावने | गमेम | इत् | इन्द्र | गो--मतः // ऋ. वे. ८,४५.१० //
//४३//.

-ऋ. वे. ६:३/४४-
शनैः | चित् | यन्तः | अद्रि-वः | अश्व-वन्तः | शत-ग्विनः | विवक्षणाः | अनेहसः // ऋ. वे. ८,४५.११ //
ऊर्ध्वा | हि | ते | दिवे--दिवे | सहस्रा | सूनृता | शता | जरितृ-भ्यः | वि-मंहते // ऋ. वे. ८,४५.१२ //
विद्म | हि | त्वा | धनम्-जयम् | इन्द्र | दृऌहा | चित् | आरुजम् | आदारिणम् | यथा | गयम् // ऋ. वे. ८,४५.१३ //
ककुहम् | चित् | त्वा | कवे | मन्दन्तु | धृष्णो इति | इन्दवः | आ | त्वा | पणिम् | यत् | ईमहे // ऋ. वे. ८,४५.१४ //
यः | ते | रेवान् | अदाशुरिः | प्र-ममर्ष | मघत्तये | तस्य | नः | वेदः | आ | भर // ऋ. वे. ८,४५.१५ //
//४४//.

-ऋ. वे. ६:३/४५-
इमे | ॐ इति | त्वा | वि | चक्षते | सखायः | इन्द्र | सोमिनः | पुष्ट-वन्तः | यथा | पशुम् // ऋ. वे. ८,४५.१६ //
उत | त्वा | अबधिरम् | वयम् | श्रुत्-कर्णम् | सन्तम् | ऊतये | दूरात् | इह | हवामहे // ऋ. वे. ८,४५.१७ //
यत् | शुश्रूयाः | इमम् | हवम् | दुः-मर्षम् | चक्रियाः | उत | भवेः | आपिः | नः | अन्तमः // ऋ. वे. ८,४५.१८ //
यत् | चित् | हि | ते | अपि | व्यथिः | जगन्वांसः | अमन्महि | गो--दाः | इत् | इन्द्र | बोधि | नः // ऋ. वे. ८,४५.१९ //
आ | त्वा | रम्भम् | न | जिव्रयः | ररभ्म | शवसः | पते | उश्मसि | त्वा | सध-स्थे | आ // ऋ. वे. ८,४५.२० //
//४५//.

-ऋ. वे. ६:३/४६-
स्तोत्रम् | इन्द्राय | गायत | पुरु-नृम्णाय | सत्वने | नकिः | यम् | वृण्वते | युधि // ऋ. वे. ८,४५.२१ //
अभि | त्वा | वृषभ | सुते | सुतम् | सृजामि | पीतये | तृम्प | वि | अश्नुहि | मदम् // ऋ. वे. ८,४५.२२ //
मा | त्वा | मूराः | अविष्यवः | मा | उप-हस्वानः | आ | दभन् | माकीम् | ब्रह्म-द्विषः | वनः // ऋ. वे. ८,४५.२३ //
इह | त्वा | गो--परीणसा | महे | मन्दन्तु | राधसे | सरः | गौरः | यथा | पिब // ऋ. वे. ८,४५.२४ //
या | वृत्र-हा | परावति | सना | नवा | च | चुच्युवे | ता | संसत्-सु | प्र | वोचत // ऋ. वे. ८,४५.२५ //
//४६//.

-ऋ. वे. ६:३/४७-
अपिबत् | कद्रुवः | सुतम् | इन्द्रः | सहस्र-बाह्वे | अत्र | अदेदिष्ट | पैंस्यम् // ऋ. वे. ८,४५.२६ //
सत्यम् | तत् | तुर्वशे | यदौ | विदानः | अह्नवाय्यम् | वि | आनट् | तुर्वणे | शमि // ऋ. वे. ८,४५.२७ //
तरणिम् | वः | जनानाम् | त्रदम् | वाजस्य | गो--मतः | समानम् | ॐ इति | प्र | शंसिषम् // ऋ. वे. ८,४५.२८ //
ऋभुक्षणम् | न | वर्तवे | उक्थेषु | तुग्र्य-वृधम् | इन्द्रम् | सोमे | सचा | सुते // ऋ. वे. ८,४५.२९ //
यः | कृन्तत् | इत् | वि | योन्यम् | त्रि-शोकाय | गिरिम् | पृथुम् | गो--भ्यः | गातुम् | निः-एतवे // ऋ. वे. ८,४५.३० //
//४७//.

-ऋ. वे. ६:३/४८-
यत् | दधिषे | मनस्यसि | मन्दानः | प्र | इत् | इयक्षसि | मा | तत् | कः | इन्द्र | मृऌअय // ऋ. वे. ८,४५.३१ //
दभ्रम् | चित् | हि | त्वावतः | कृतम् | शृण्वे | अधि | क्षमि | जिगातु | इन्द्र | ते | मनः // ऋ. वे. ८,४५.३२ //
तव | इत् | ॐ इति | ताः | सु-कीर्तयः | असन् | उत | प्र-शस्तयः | यत् | इन्द्र | मृऌअयासि | नः // ऋ. वे. ८,४५.३३ //
मा | नः | एकस्मिन् | आगसि | मा | द्वयोः | उत | त्रिषु | वधीः | मा | शूर | भूरिषु // ऋ. वे. ८,४५.३४ //
बिभय | हि | त्वावतः | उग्रात् | अभि-प्रभङ्गिणः | दस्मात् | अहम् | ऋति-सहः // ऋ. वे. ८,४५.३५ //
//४८//.

-ऋ. वे. ६:३/४९-
मा | सख्युः | शूनम् | आ | विदे | मा | पुत्रस्य | प्रभुवसो इतिप्रभु-वसो | आवृत्वत् | भूतु | ते | मनः // ऋ. वे. ८,४५.३६ //
कः | नु | मर्याः | अमिथितः | सखा | सखायम् | अब्रवीत् | जहा | कः | अस्मत् | ईषते // ऋ. वे. ८,४५.३७ //
एवारे | वृषभ | सुते | असिन्वन् | भूरि | आवयः | श्वघ्नी-इव | नि-वता | चरन् // ऋ. वे. ८,४५.३८ //
आ | ते | एता | वचः-युजा | हरी इति | गृभ्णे | समत्-रथा | यत् | ईम् | ब्रह्म-भ्यः | इत् | ददः // ऋ. वे. ८,४५.३९ //
भिन्धि | विश्वाः | अपः | द्विषः | परि | बाधः | जहि | मृधः | वसु | स्पार्हम् | तत् | आ | भर // ऋ. वे. ८,४५.४० //
यत् | वीऌऔ | इन्द्र | यत् | स्थिरे | यत् | पर्शाने | पराभृतम् | वसु | स्पार्हम् | तत् | आ | भर // ऋ. वे. ८,४५.४१ //
यस्य | ते | विश्व-मानुषः | भूरेः | दत्तस्य | वेदति | वसु | स्पार्हम् | तत् | आ | भर // ऋ. वे. ८,४५.४२ //
//४९//.



-ऋ. वे. ६:४/१-
(ऋ. वे. ८,४६)
त्वावतः | पुरुवसो इतिपुरु-वसो | वयम् | इन्द्र | प्रनेतरितिप्र-नेतः | स्मसि | स्थातः | हरीणाम् // ऋ. वे. ८,४६.१ //
त्वाम् | हि | सत्यम् | अद्रि-वः | विद्म | दातारम् | इषाम् | विद्म | दातारम् | रयीणाम् // ऋ. वे. ८,४६.२ //
आ | यस्य | ते | महिमानम् | शतम्-ऊते | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | गीः-भिः | गृणन्ति | कारवः // ऋ. वे. ८,४६.३ //
सु-नीथः | घ | सः | मर्त्यः | यम् | मरुतः | यम् | अर्यमा | मित्रः | पान्ति | अद्रुहः // ऋ. वे. ८,४६.४ //
दधानः | गो--मत् | अश्व-वत् | सु-वीर्यम् | आदित्य-जूतः | एधते | सदा | राया | पुरु-स्पृहा // ऋ. वे. ८,४६.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ६:४/२-
तम् | इन्द्रम् | दानम् | ईमहे | शवसानम् | अभीर्वम् | ईशानम् | रायः | ईमहे // ऋ. वे. ८,४६.६ //
तस्मिन् | हि | सन्ति | ऊतयः | विश्वाः | अभीरवः | सचा | तम् | आ | वहन्तु | सप्तयः | पुरु-वसुम् | मदाय | हरयः | सुतम् // ऋ. वे. ८,४६.७ //
यः | ते | मदः | वरेण्यः | यः | इन्द्र | वृत्रहन्-तमः | यः | आददिः | स्वः | नृ-भिः | यः | पृतनासु | दुस्तरः // ऋ. वे. ८,४६.८ //
यः | दुस्तरः | विश्व-वार | श्रवाय्यः | वाजेषु | अस्ति | तरुता | सः | नः | शविष्ठ | सवना | आ | वसो इति | गहि | गमेम | गो--मति | व्रजे // ऋ. वे. ८,४६.९ //
गव्यः | सु | णः | यथा | पुरा | अश्व-या | उत | रथ-या | वरिवस्य | महामह // ऋ. वे. ८,४६.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ६:४/३-
नहि | ते | शूर | राधसः | अन्तम् | विन्दामि | सत्रा | दशस्य | नः | मघ-वन् | नु | चित् | अद्रि-वः | धियः | वाजेभिः | आविथ // ऋ. वे. ८,४६.११ //
यः | ऋष्वः | श्रवयत्-सखा | विश्वा | इत् | सः | वेद | जनिम | पुरु-स्तुतः | तम् | विश्वे | मानुषा | युगा | इन्द्रम् | हवन्ते | तविषम् | यत-स्रुचः // ऋ. वे. ८,४६.१२ //
सः | नः | वाजेषु | अविता | पुरु-वसुः | पुरः-स्थाता | मघ-वा | वृत्र-हा | भुवत् // ऋ. वे. ८,४६.१३ //
अभि | वः | वीरम् | अन्धसः | मदेषु | गाय | गिरा | महा | वि-चेतसम् | इन्द्रम् | नाम | श्रुत्यम् | शाकिनम् | वचः | यथा // ऋ. वे. ८,४६.१४ //
ददिः | रेक्णः | तन्वे | ददिः | वसु | ददिः | वाजेषु | पुरु-हूत | वाजिनम् | नूनम् | अथ // ऋ. वे. ८,४६.१५ //
//३//.

-ऋ. वे. ६:४/४-
विश्वेषाम् | इरज्यन्तम् | वसूनाम् | ससह्वांसम् | चित् | अस्य | वर्पसः | कृप-यतः | नूनम् | अति | अथ // ऋ. वे. ८,४६.१६ //
महः | सु | वः | अरम् | इषे | स्तवामहे | मीऌहुषे | अरम्-गमाय | जग्मये | यज्ञेभिः | गीः-भिः | विश्व-मनुषाम् | मरुताम् | इयक्षसि | गाये | त्वा | नमसा | गि रा // ऋ. वे. ८,४६.१७ //
ये | पातयन्ते | अज्म-भिः | गिरीणाम् | स्नु-भिः | एषाम् | यज्ञम् | महि-स्वणीनाम् | सुम्नम् | तुवि-स्वणीनाम् | प्र | अध्वरे // ऋ. वे. ८,४६.१८ //
प्र-भङ्गम् | दुः-मतीनाम् | इन्द्र | शविष्ठ | आ | भर | रयिम् | अस्मभ्यम् | युज्यम् | चोदयत्-मते | ज्येष्ठम् | चोदयत्-मते // ऋ. वे. ८,४६.१९ //
सनितरिति | / सु-सनितः | उग्र | चित्र | चेतिष्ठ | सूनृत | प्र-सहा | सम्-राट् | सहुरिम् | सहन्तम् | भुज्युम् | वाजेषु | पूर्व्यम् // ऋ. वे. ८,४६.२० ////४//.

-ऋ. वे. ६:४/५-
आ | सः | एतु | यः | ईवत् | आ | अदेवः | पूर्तम् | आददे | यथा | चित् | वशः | अश्व्यः | पृथु-श्रवसि | कानीते | अस्याः | वि-उषि | आददे // ऋ. वे. ८,४६.२१ //
षष्टिम् | सहस्रा | अश्व्यस्य | अयुता | असनम् | उष्ट्रानाम् | विंशतिम् | शता | दश | श्यावीनाम् | शता | दश | त्रि-अरुषीणाम् | दश | गवाम् | सहस्रा // ऋ. वे. ८,४६.२२ //
दश | श्यावाः | ऋधत्-रयः | वीत-वारासः | आशवः | मथ्राः | नेमिम् | नि | ववृतुः // ऋ. वे. ८,४६.२३ //
दानासः | पृथु-श्रवसः | कानीतस्य | सु-राधसः | रथम् | हिरण्ययम् | ददत् | मंहिष्ठः | सूरिः | अभूत् | वर्षिष्ठम् | अकृत | श्रवः // ऋ. वे. ८,४६.२४ //
आ | नः | वायो इति | महे | तने | याहि | मखाय | पाजसे | वयम् | हि | ते | चकृम | भूरि | दावने | सद्यः | चित् | महि | दावने // ऋ. वे. ८,४६.२५ //
//५//.

-ऋ. वे. ६:४/६-
यः | अश्वेभिः | वहते | वस्ते | उस्राः | त्रिः | सप्त | सप्ततीनाम् | एभिः | सोमेभिः | सोमसुत्-भिः | सोम-पाः | दानाय | शुक्रपूत-पाः // ऋ. वे. ८,४६.२६ //
यः | मे | इमम् | चित् | ॐ इति | त्मना | अमन्दत् | चित्रम् | दावने | अरटवे | अक्षे | नहुषे | सु-कृत्वनि | सुकृत्-तराय | सु-क्रतुः // ऋ. वे. ८,४६.२७ //
उचथ्ये | वपुषि | यः | स्व-राट् | उत | वायो
इति | घृत-स्नाः | अश्व-इषितम् | रजः-इषितम् | शुनाइषितम् | प्र | अज्म | तत् | इदम् | नु | तत् // ऋ. वे. ८,४६.२८ //
अघ | प्रियम् | इषिराय | षष्टिम् | सहस्रा | असनम् | अश्वानाम् | इत् | न | वृष्णाम् // ऋ. वे. ८,४६.२९ //
गावः | न | यूथम् | उप | यन्ति | वध्रयः | उप | मा | यन्ति | वध्रयः // ऋ. वे. ८,४६.३० //
अध | यत् | चारथे | गणे | शतम् | उष्ट्रान् | अचिक्रदत् | अध | श्वित्नेषु | विंशतिम् | शता // ऋ. वे. ८,४६.३१ //
शतम् | दासे | बल्बूथे | विप्रः | तरुक्षे | आ | ददे | ते | ते | वायो इति | इमे | जनाः | मदन्ति | इन्द्र-गोपाः | मदन्ति | देव-गोपाः // ऋ. वे. ८,४६.३२ //
अध | स्या | योषणा | मही | प्रतीची | वशम् | अश्व्यम् | अधि-रुक्मा | वि | नीयते // ऋ. वे. ८,४६.३३ //
//६//.

-ऋ. वे. ६:४/७-
(ऋ. वे. ८,४७)
महि | वः | महताम् | अवः | वरुण | मित्र | दाशुषे | यम् | आदित्याः | अभि | द्रुहः | रक्षथ | न | ईम् | अघम् | नशत् | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.१ //
विद | देवाः | अघानाम् | आदित्यासः | अप-आकृतिम् | पक्षा | वयः | यथा | उपरि | वि | अस्मे इति | शर्म | यच्छत | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.२ //
वि | अस्मे इति | अधि | शर्म | तत् | पक्षा | वयः | न | यन्तन | विश्वानि | विश्व-वेदसः | वरूथ्या | मनामहे | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.३ //
यस्मै | अरासत | क्षयम् | जीवातुम् | च | प्र-चेतसः | मनोः | विश्वस्य | घ | इत् | इमे | आदित्याः | रायः | ईशते | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.४ //
परि | नः | वृणजन् | अघा | दुः-गाणि | रथ्यः | यथा | स्याम | इत् | इन्द्रस्य | शर्मणि | आदित्यानाम् | उत | अवसि | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ६:४/८-
परि-ह्वृता | इत् | अना | जनः | युष्मादत्तस्य | वायति | देवाः | अदभ्रम् | आश | वः | यम् | आदित्याः | अहेतन | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.६ //
न | तम् | तिग्मम् | चन | त्यजः | न | द्रासत् | अभि | तम् | गुरु | यस्मै | ॐ इति | शर्म | स-प्रथः | आदित्यासः | अराध्वम् | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.७ //
युष्मे इति | देवाः | अपि | स्मसि | युध्यन्तः-इव | वर्मसु | यूयम् | महः | नः | एनसः | यूयम् | अर्भात् | उरुष्यत | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.८ //
अदितिः | नः | उरुष्यतु | अदितिः | शर्म | यच्छतु | माता | मित्रस्य | रेवतः | अयर्म्णः | वरुणस्य | च | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.९ //
यत् | देवाः | शर्म | शरणम् | यत् | भद्रम् | यत् | अनातुरम् | त्रि-धातु | यत् | वरूथ्यम् | तत् | अस्मासु | वि | यन्तन | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.१० //
//८//.

-ऋ. वे. ६:४/९-
आदित्याः | अव | हि | ख्यत | अधि | कूलात्-इव | स्पशः | सु-तीर्थम् | अर्वतः | यथा | अनु | नः | नेषथ | सु-गम् | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.११ //
न | इह | भद्रम् | रक्षस्विने | न | अव-यै | न | उप-यै | उत | गवे | च | भद्रम् | धेनवे | वीराय | च | श्रवस्यते | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.१२ //
यत् | आविः | यत् | अपीच्यम् | देवासः | अस्ति | दुः-कृतम् | त्रिते | तत् | विश्वम् | आप्त्ये | आरे | अस्मत् | दधातन | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.१३ //
यत् | च | गोषु | दुः-स्वप्न्यम् | यत् | च | अस्मे इति | दुहितः | दिवः | त्रिताय | तत् | विभावरि | आप्त्याय | परा | वह | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.१४ //
निष्कम् | वा | घ | कृणवते | स्रजम् | वा | दुहितः | दिवः | त्रिते | दुः-स्वप्न्यम् | सर्वम् | आप्त्ये | परि | दद्मसि | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.१५ //
//९//.

-ऋ. वे. ६:४/१०-
तत्-अन्नाय | तत्-अपसे | तम् | भागम् | उप-सेदुषे | त्रिताय | च | द्विताय | च | उषः | दुः-स्वप्न्यम् | वह | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.१६ //
यथा | कलाम् | यथा | शफम् | यथा | ऋणम् | सम्-नयामसि | एव | दुः-स्वप्न्यम् | सर्वम् | आप्त्ये | सम् | नयामसि | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.१७ //
अजैष्म | अद्य | असनाम | च | अभूम | अनागसः | वयम् | उषः | यस्मात् | दुः-स्वप्न्यात् | अभैष्म | अप | तत् | उच्छतु | अनेहसः | वः | ऊतयः | सु-ऊतयः | वः | ऊतयः // ऋ. वे. ८,४७.१८ //
//१०//.

-ऋ. वे. ६:४/११-
(ऋ. वे. ८,४८)
स्वादोः | अभक्षि | वयसः | सु-मेधाः | सु-आध्यः | वरिवोवित्-तरस्य | विश्वे | यम् | देवाः | उत | मर्त्यासः | मधु | ब्रुवन्तः | अभि | सम्-चरन्ति // ऋ. वे. ८,४८.१ //
अन्तरिति | च | प्र | अगाः | अदितिः | भवासि | अव-याता | हरसः | दैव्यस्य | इन्दो इति | इन्द्रस्य | सख्यम् | जुषाणः | श्रौष्टी-इव | धुरम् | अनु | राये | ऋध्याः // ऋ. वे. ८,४८.२ //
अपाम | सोमम् | अमृताः | अभूम | अगन्म | ज्योतिः | अविदाम | देवान् | किम् | नूनम् | अस्मान् | कृणवत् | अराति | किम् | ॐ इति | धूर्तिः | अमृत | मर्त्यस्य // ऋ. वे. ८,४८.३ //
शम् | नः | भव | हृदे | आ | पीतः | इन्दो इति | पिताइव | सोम | सूनवे | सु-शेवः | सखाइव | सख्ये | उरु-शंस | धीरः | प्र | नः | आयुः | जीवसे | सोम | तारीः // ऋ. वे. ८,४८.४ //
इमे | मा | पीताः | यशसः | उरुष्यवः | रथम् | न | गावः | सम् | अनाह | पर्व-सु | ते | मा | रक्षन्तु | विस्रसः | चरित्रात् | उत | मा | स्रामात् | यवयन्तु | इन्दवः // ऋ. वे. ८,४८.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ६:४/१२-
अग्निम् | न | मा | मथितम् | सम् | दिदीपः | प्र | चक्षय | कृणुहि | वस्यसः | नः | अथ | हि | ते | मदे | आ | सोम | मन्ये | रेवान्-इव | प्र | चर | पुष्टिम् | अच्छ // ऋ. वे. ८,४८.६ //
इषिरेण | ते | मनसा | सुतस्य | भक्षीमहि | पित्र्यस्य-इव | रायः | सोम | राजन् | प्र | नः | आयूंषि | तारीः | अहानि-इव | सूर्यः | वासराणि // ऋ. वे. ८,४८.७ //
सोम | राजन् | मृऌअय | नः | स्वस्ति | तव | स्मसि | व्रत्याः | तस्य | विद्धि | अलर्ति | दक्षः | उत | मन्युः | इन्दो इति | मा | नः | अर्यः | अनु-कामम् | परा | दाः // ऋ. वे. ८,४८.८ //
त्वम् | हि | नः | तन्वः | सोम | गोपाः | गात्रे--गात्रे | नि-ससत्थ | नृ-चक्षाः | यत् | ते | वयम् | प्र-मिनाम | व्रतानि | सः | नः | मृऌअ | सु-सखा | देव | वस्यः // ऋ. वे. ८,४८.९ //
ऋदूदरेण | सख्या | सचेय | यः | मा | न | रिष्येत् | हरि-अश्व | पीतः | अयम् | यः | सोमः | नि | अधायि | अस्मे इति | तस्मै | इन्द्रम् | प्र-तिरम् | एमि | आयुः // ऋ. वे. ८,४८.१० //
//१२//.

-ऋ. वे. ६:४/१३-
अप | त्याः | अस्थुः | अनिराः | अमीवाः | निः | अत्रसन् | तमिषीचीः | अभैषुः | आ | सोमः | अस्मान् | अरुहत् | वि-हायाः | अगन्म | यत्र | प्र-तिरन्ते | आयुः // ऋ. वे. ८,४८.११ //
यः | नः | इन्दुः | पितरः | हृत्-सु | पीतः | अमर्त्यः | मर्त्यान् | आविवेश | तस्मै | सोमाय | हविषा | विधेम | मृऌईके | अस्य | सु-मतौ | स्याम // ऋ. वे. ८,४८.१२ //
त्वम् | सोम | पितृ-भिः | सम्-विदानः | अनु | द्यावापृथिवी इति | आ | ततन्थ | तस्मै | ते | इन्दो इति | हविषा | विधेम | वयम् | स्याम | पतयः | रयीणाम् // ऋ. वे. ८,४८.१३ //
त्रातारः | देवाः | अधि | वोचत | नः | मा | नः | नि-द्रा | ईशत | मा | उत | जल्पिः | वयम् | सोमस्य | विश्वह | प्रियासः | सु-वीरासः | विदथम् | आ | वदेम // ऋ. वे. ८,४८.१४ //
त्वम् | नः | सोम | विश्वतः | वयः-धाः | त्वम् | स्वः-वित् | आ | विश | नृ-चक्षाः | त्वम् | नः | इन्दो इति | ऊति-भिः | स-जोषाः | पाहि | पश्चातात् | उत | वा | पुरस्तात् // ऋ. वे. ८,४८.१५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ६:४/१४-
(ऋ. वे. ८,४९)
अभि | प्र | वः | सु-राधसम् | इन्द्रम् | अर्च | यथा | विदे | यः | जरितृ-भ्यः | मघ-वा | पुरु-वसुः | सहस्रेण-इव | शिक्षति // ऋ. वे. ८,४९.१ //
शतानीकाइव | प्र | जिगाति | धृष्णु-या | हन्ति | वृत्राणि | दाशुषे | गिरेः-इव | प्र | रसाः | अस्य | पिन्विरे | दत्राणि | पुरु-भोजसः // ऋ. वे. ८,४९.२ //
आ | त्वा | सुतासः | इन्दवः | मदाः | ये | इन्द्र | गिर्वणः | आपः | न | वज्रिन् | अनु | ओक्यम् | सरः | पृणन्ति | शूर | राधसे // ऋ. वे. ८,४९.३ //
अनेहसम् | प्र-तरणम् | विवक्षणम् | मध्वः | स्वादिष्ठम् | ईम् | पिब | आ | यथा | मन्दसानः | किरासि | नः | प्र | क्षुद्राइव | त्मना | धृषत् // ऋ. वे. ८,४९.४ //
आ | नः | स्तोमम् | उप | द्रवत् | हियानः | अश्वः | न | सोतृ-भिः | यम् | ते | स्वधावन् | स्वदयन्ति | धेनवः | इन्द्र | कण्वेषु | रातयः // ऋ. वे. ८,४९.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ६:४/१५-
उग्रम् | न | वीरम् | नमसा | उप | सेदिम | वि-भूतिम् | अक्षित-वसुम् | उद्री-इव | वज्रिन् | अवतः | न | सिञ्चते | क्षरन्ति | इन्द्र | धीतयः // ऋ. वे. ८,४९.६ //
यत् | ह | नूनम् | यत् | वा | यज्ञे | यत् | वा | पृथिव्याम् | अधि | अतः | नः | यज्ञम् | आशु-भिः | महे--मते | उग्रः | उग्रेभिः | आ | गहि // ऋ. वे. ८,४९.७ //
अजिरासः | हरयः | ये | ते | आशवः | वाताः-इव | प्र-सक्षिणः | येभिः | अपत्यम् | मनुषः | परि-ईयसे | येभिः | विश्वम् | स्वः | दृशे // ऋ. वे. ८,४९.८ //
एतावतः | ते | ईमहे | इन्द्र | सुम्नस्य | गो--मतः | यथा | प्र | आवः | मघ-वन् | मेध्य-अतिथिम् | यथा | नीप-अतिथिम् | धने // ऋ. वे. ८,४९.९ //
यथा | कण्वे | मघ-वन् | त्रसदस्यवि | यथा | पक्थे | दश-व्रजे | यथा | गो--शर्ये | असनोः | ऋजिश्वनि | इन्द्र | गो--मत् | हिरण्य-वत् // ऋ. वे. ८,४९.१० //
//१५//.

-ऋ. वे. ६:४/१६-
(ऋ. वे. ८,५०)
प्र | सु | श्रुतम् | सु-राधसम् | अर्च | शक्रम् | अभिष्टये | यः | सुन्वते | स्तुवते | काम्यम् | वसु | सहस्रेण-इव | मंहते // ऋ. वे. ८,५०.१ //
शत-अनीकाः | हेतयः | अस्य | दुस्तराः | इन्द्रस्य | सम्-इषः | महीः | गिर् इः | न | भुज्मा | मघवत्-सु | पिन्वते | यत् | ईम् | सुताः | अमन्दिषुः // ऋ. वे. ८,५०.२ //
यत् | ईम् | सुतासः | इन्दवः | अभि | प्रियम् | अमन्दिषुः | आपः | न | धायि | सवनम् | मे | आ | वसो इति | दुघाइव | उप | दाशुषे // ऋ. वे. ८,५०.३ //
अनेहसम् | वः | हवमानम् | ऊतये | मध्वः | क्षरन्ति | धीतयः | आ | त्वा | वसो इति | हवमानासः | इन्दवः | उप | स्तोत्रेषु | दधिरे // ऋ. वे. ८,५०.४ //
आ | नः | सोमे | सु-अध्वरे | इयानः | अत्यः | न | तोशते | यम् | ते | स्वदावन् | स्वदन्ति | गूर्त्यः | पौरे | छन्दयसे | हवम् // ऋ. वे. ८,५०.५ //
//१६//.

-ऋ. वे. ६:४/१७-
प्र | वीरम् | उग्रम् | विविचिम् | धन-स्पृतम् | वि-भूतिम् | राधसः | महः | उद्री-इव | वज्रिन् | अवतः | वसु-त्वना | सदा | पीपेथ | दाशुषे // ऋ. वे. ८,५०.६ //
यत् | ह | नूनम् | परावति | यत् | वा | पृथिव्याम् | दिवि | युजानः | इन्द्र | हरि-भिः | महे--मते | ऋष्वः | ऋष्वेभिः | आ | गहि // ऋ. वे. ८,५०.७ //
रथिरासः | हरयः | ये | ते | अस्रिधः | ओजः | वातस्य | पिप्रति | येभिः | नि | दस्युम् | मनुषः | नि-घोषयः | येभिः | स्वर् इति स्वः | परि-ईयसे // ऋ. वे. ८,५०.८ //
एतावतः | ते | वसो इति | विद्याम | शूर | नव्यसः | यथा | प्र | आवः | एतशम् | कृत्व्ये | धने | यथा | वशम् | दश-व्रजे // ऋ. वे. ८,५०.९ //
यथा | कण्वे | मघ-वन् | मेधे | अध्वरे | दीर्घ-नीथे | दमूनसि | यथा | गो--शर्ये | असिसासः | अद्रि-वः | मयि | गोत्रम् | हरि-श्रियम् // ऋ. वे. ८,५०.१० //
//१७//.

-ऋ. वे. ६:४/१८-
(ऋ. वे. ८,५१)
यथा | मनौ | साम्-वरणौ | सोमम् | इन्द्र | अपिबः | सुतम् | नीप-अतिथौ | मघ-वन् | मेध्य-अतिथौ | पुष्टि-गौ | श्रुष्टि-गौ | सचा // ऋ. वे. ८,५१.१ //
पार्षद्वाणः | प्रस्कण्वम् | सम् | असादयत् | शयानम् | जिव्रिम् | उद्धितम् | सहस्राणि | असिसासत् | गवाम् | ऋषिः | त्वाऊतः | दस्यवे | वृकः // ऋ. वे. ८,५१.२ //
यः | उक्थेभिः | न | विन्धते | चिकित् | यः | ऋषि-चोदनः | इन्द्रम् | तम् | अच्छ | वद | नव्यस्या | मती | अरिष्यन्तम् | न | भोजसे // ऋ. वे. ८,५१.३ //
यस्मै | अर्कम् | सप्त-शीर्षाणम् | आनृचुः | त्रि-धातुम् | उत्-तमे | पदे | सः | तु | इमा | विश्वा | भुवनानि | चिक्रदत् | आत् | इत् | जनिष्ट | पैंस्यम् // ऋ. वे. ८,५१.४ //
यः | नः | दाता | वसूनाम् | इन्द्रम् | तम् | हूमहे | वयम् | विद्म | हि | अस्य | सु-मतिम् | नवीयसीम् | घमेम | गो--मति | व्रजे // ऋ. वे. ८,५१.५ //
//१८//.

-ऋ. वे. ६:४/१९-
यस्मै | त्वम् | वसो इति | दानाय | शिक्षसि | सः | रायः | पोषम् | अश्नुते | तम् | त्वा | वयम् | मघ-वन् | इन्द्र | गिर्वणः | सुत-वन्तः | हवामहे // ऋ. वे. ८,५१.६ //
कदा | चन | स्तरीः | असि | न | इन्द्र | सश्चसि | दाशुषे | उप-उप | इत् | नु | मघ-वन् | भूयः | इत् | नु | ते | दानम् | देवस्य | पृच्यते // ऋ. वे. ८,५१.७ //
प्र | यः | ननक्षे | अभि | ओजसा | क्रिविम् | वधैः | शुष्णम् | नि-घोषयन् | यदा | इत् | अस्तम्भीत् | प्रथयन् | अमूम् | दिवम् | आत् | इत् | जनिष्ट | पार्थिवः // ऋ. वे. ८,५१.८ //
यस्य | अयम् | विश्वः | आर्यः | दासः | शेवधि-पाः | अरिः | तिरः | चित् | अर्ये | रुशमे | पवीरवि | तुभ्य | इत् | सः | अज्यते | रयिः // ऋ. वे. ८,५१.९ //
तुरण्यवः | मधु-मन्तम् | घृत-श्चुतम् | विप्रासः | अर्कम् | आनृचुः | अस्मे इति | रयिः | पप्रथे | वृष्ण्यम् | शवः | अस्मे इति | सुवानासः | इन्दवः // ऋ. वे. ८,५१.१० //
//१९//.

-ऋ. वे. ६:४/२०-
(ऋ. वे. ८,५२)
यथा | मनौ | विवस्वति | सोमम् | शक्र | अपिबः | सुतम् | यथा | त्रिते | छन्दः | इन्द्र | जुजोषसि | आयौ | मादयसे | सचा // ऋ. वे. ८,५२.१ //
पृषध्रे | मेध्ये | मातरिश्वनि | इन्द्र | सुवाने | अमन्दथाः | यथा | सोमम् | दश-शिप्रे | दश-ओण्ये | स्यूम-रश्मौ | ऋजूनसि // ऋ. वे. ८,५२.२ //
यः | उक्था | केवला | दधे | यः | सोमम् | धृषिता | अपिबत् | यस्मै | विष्णुः | त्रीणि | पदा | वि-चक्रमे | उप | मित्रस्य | धर्म-भिः // ऋ. वे. ८,५२.३ //
यस्य | त्वम् | इन्द्र | स्तोमेषु | चाकनः | वाजे | वाजिन् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | तम् | त्वा | वयम् | सुदुघाम्-इव | गो--दुहः | जुहूमसि | श्रवस्यवः // ऋ. वे. ८,५२.४ //
यः | नः | दाता | सः | नः | पिता | महान् | उग्रः | ईशान-कृत् | अयामन् | उग्रः | मघ-वा | पुरु-वसुः | गोः | अश्वस्य | प्र | दातु | नः // ऋ. वे. ८,५२.५ //
//२०//.

-ऋ. वे. ६:४/२१-
यस्मै | त्वम् | वसो इति | दानाय | मंहसे | सः | रायः | पोषम् | इन्वति | वसु-यवः | वसु-पतिम् | शत-क्रतुम् | स्तोमैः | इन्द्रम् | हवामहे // ऋ. वे. ८,५२.६ //
कदा | चन | प्र | युच्छसि | उभे इति | नि | पासि | जन्मनी इति | / तुरीय | आदित्य | हवनम् | ते | इन्द्रियम् | आ | तस्थौ | अमृतम् | दिवि // ऋ. वे. ८,५२.७ //
यस्मै | त्वम् | मघ-वन् | इन्द्र | गिर्वणः | शिक्षो इति | शिक्षसि | दाशुषे | अस्माकम् | गिरः | उत | सुस्तुतिम् | वसो इति | कण्व-वत् | शृणुधि | हवम् // ऋ. वे. ८,५२.८ //
अस्तावि | मन्म | पूर्व्यम् | ब्रह्म | इन्द्राय | वोचत | पूर्वीः | ऋतस्य | बृहतीः | अनूषत | स्तोतुः | मेधाः | असृक्षत // ऋ. वे. ८,५२.९ //
सम् | इन्द्रः | रायः | बृहतीः | अधूनुत | सम् | क्षोणी इति | सम् | ॐ इति | सूर्यम् | सम् | शुक्रासः | शुचयः | सम् | गो--आशिरः | सोमाः | इन्द्रम् | अमन्दिषुः // ऋ. वे. ८,५२.१० //
//२१//.

-ऋ. वे. ६:४/२२-
(ऋ. वे. ८,५३)
उप-मम् | त्वा | मघोनाम् | ज्येष्ठम् | च | वृषभाणाम् | पुर्भित्-तमम् | मघ-वन् | इन्द्र | गो--विदम् | ईशानम् | रायः | ईमहे // ऋ. वे. ८,५३.१ //
यः | आयुम् | कुत्सम् | अतिथि-ग्वम् | अर्दयः | ववृधानः | दिवे--दिवे | तम् | त्वा | वयम् | हरि-अश्वम् | शत-क्रतुम् | वाज-यन्तः | हवामहे // ऋ. वे. ८,५३.२ //
आ | नः | विश्वेषाम् | रसम् | मध्वः | सिञ्चन्तु | अद्रयः | ये | परावति | सुन्व् इरे | जनेषु | आ | ये | अर्वावति | इन्दवः // ऋ. वे. ८,५३.३ //
विश्वा | द्वेषांसि | जहि | च | अवच | आ | कृधि | विश्वे | सन्वन्तु | आ | वसु | शीष्टेषु | चित् | ते | मदिरासः | अंशवः | यत्र | सोमस्य | तृम्पसि // ऋ. वे. ८,५३.४ //
//२२//.

-ऋ. वे. ६:४/२३-
इन्द्र | नेदीयः | आ | इत् | इहि | मित-मेधाभिः | ऊति-भिः | आ | शम्-तम | शम्-तमाभिः | अभिष्टि-भिः | आ | सु-आपे | स्वापि-भिः // ऋ. वे. ८,५३.५ //
आजि-तुरम् | सत्-पतिम् | विश्व-चर्षणिम् | कृधि | प्र-जासु | आभगम् | प्र | सु | तिर | शचीभिः | ये | ते | उक्थिनः | क्रतुम् | पुनते | आनुषक् // ऋ. वे. ८,५३.६ //
यः | ते | साधिष्ठः | अवसे | ते | स्याम | भरेषु | ते | वयम् | होत्राभिः | उत | देवहूति-भिः | सस-वांसः | मनामहे // ऋ. वे. ८,५३.७ //
अहम् | हि | ते | हरि-वः | ब्रह्म | वाज-युः | आजिम् | यामि | सदा | ऊति-भिः | त्वाम् | इत् | एव | तम् | अमे | सम् | अश्व-युः | गव्युः | अग्रे | मथीनाम् // ऋ. वे. ८,५३.८ //
//२३//.

-ऋ. वे. ६:४/२४-
(ऋ. वे. ८,५४)
एतत् | ते | इन्द्र | वीर्यम् | गीः-भिः | गृणन्ति | कारवः | ते | स्तोभन्तः | ऊर्जम् | आवन् | घृत-श्चुतम् | पौरासः | नक्षन् | धीति-भिः // ऋ. वे. ८,५४.१ //
नक्षन्ते | इन्द्रम् | अवसे | सु-कृत्यया | येषाम् | सुतेषु | मन्दसे | यथा | सम्-वर्ते | अमदः | यथा | कृशे | एव | अस्मे इति | इन्द्र | मत्स्व // ऋ. वे. ८,५४.२ //
आ | नः | विश्वे | स-जोषसः | देवासः | गन्तन | उप | नः | वसवः | रुद्राः | अवसे | नः | आ | गमन् | शृण्वन्तु | मरुतः | हवम् // ऋ. वे. ८,५४.३ //
पूषा | विष्णुः | हवनम् | मे | सरस्वती | अवन्तु | सप्त | सिन्धवः | आपः | वातः | पर्वतासः | वनस्पतिः | शृणोतु | पृथिवी | हवम् // ऋ. वे. ८,५४.४ //
//२४//.

-ऋ. वे. ६:४/२५-
यत् | इन्द्र | राधः | अस्ति | ते | माघोनम् | मघवत्-तम | तेन | नः | बोधि | सध-माद्यः | वृधे | भगः | दानाय | वृत्र-हन् // ऋ. वे. ८,५४.५ //
आजि-पते | नृ-पते | त्वम् | इत् | हि | नः | वाजे | आ | वक्षि | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | वीती | होत्राभिः | उत | देववीति-भिः | सस-वांसः | वि | शृण्विरे // ऋ. वे. ८,५४.६ //
सन्ति | हि | अर्ये | आशिषः | इन्द्रे | आयुः | जनानाम् | अस्मान् | नक्षस्व | मघ-वन् | उप | अवसे | धुक्षस्व | पिप्युषीम् | इषम् // ऋ. वे. ८,५४.७ //
वयम् | ते | इन्द्र | स्तोमेभिः | विधेम | त्वम् | अस्माकम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | महि | स्थूरम् | शशयम् | राधः | अह्रयम् | प्रस्कण्वाय | नि | तोशय // ऋ. वे. ८,५४.८ //
//२५//.

-ऋ. वे. ६:४/२६-
(ऋ. वे. ८,५५)
भूरि | इत् | इन्द्रस्य | वीर्यम् | वि | अख्यम् | अभि | आ | अयति | राधः | ते | दस्यवे | वृक // ऋ. वे. ८,५५.१ //
शतम् | श्वेतासः | उक्षणः | दिवि | तारः | न | रोचन्ते | मह्ना | दिवम् | न | तस्तभुः // ऋ. वे. ८,५५.२ //
शतम् | वेणूम् | शतम् | शुनः | शतम् | चर्माणि | म्लातानि | शतम् | मे | बल्बज-स्तुकाः | अरुषीणाम् | चतुः-शतम् // ऋ. वे. ८,५५.३ //
सु-देवाः | स्थ | काण्वायनाः | वयः-वयः | वि-चरन्तः | अश्वासः | न | चङ्क्रमत // ऋ. वे. ८,५५.४ //
आत् | इत् | साप्तस्य | चर्किरन् | न | अनूनस्य | महि | श्रवः | श्यावीः | अति-ध्वसन् | पथः | चक्षुषा | चन | सम्-नशे // ऋ. वे. ८,५५.५ //
//२६//.

-ऋ. वे. ६:४/२७-
(ऋ. वे. ८,५६)
प्रति | ते | दस्यवे | वृक | राधः | अदर्शि | अह्रयम् | द्यौः | न | प्रथिना | शवः // ऋ. वे. ८,५६.१ //
दश | मह्यम् | पौत-क्रतः | सहस्रा | दस्यवे | वृकः | नित्यात् | रायः | अमंहत // ऋ. वे. ८,५६.२ //
शतम् | मे | गर्दभानाम् | शतम् | ऊर्णावतीनाम् | शतम् | दासान् | अति | स्रजः // ऋ. वे. ८,५६.३ //
तत्रो इति | अपि | प्र | अणीयत | पूत-क्रतायै | वि-अक्ता | अश्वानाम् | इत् | न | यूथ्याम् // ऋ. वे. ८,५६.४ //
अचेति | अग्निः | चिकितुः | हव्य-वाट् | सः | सुमत्-रथः | अग्निः | शुक्रेण | शोचिषा | बृहत् | सूरः | अरोचत | दिवि | सूर्यः | अरोचत // ऋ. वे. ८,५६.५ //
//२७//.

-ऋ. वे. ६:४/२८-
(ऋ. वे. ८,५७)
युवम् | देवा | क्रतुना | पूर्व्येण | युक्ताः | रथेन | तविषम् | यजत्रा | आ | अगच्छतम् | नासत्या | शचीभिः | इदम् | तृतीयम् | सवनम् | पिबाथः // ऋ. वे. ८,५७.१ //
युवाम् | देवाः | त्रयः | एकादशासः | सत्याः | सत्यस्य | ददृशे | पुरस्तात् | अस्माकम् | यज्ञम् | सवनम् | जुषाणा | पातम् | सोमम् | अश्विना | दीद्यग्नी इतिदीदि-अग्नी // ऋ. वे. ८,५७.२ //
पनाय्यम् | तत् | अश्विना | कृतम् | वाम् | वृषभः | दिवः | रजसः | पृथिव्याः | सहस्रम् | शंसाः | उत | ये | गविष्टौ | सर्वान् | इत् | तान् | उप | यात | पिबध्यै // ऋ. वे. ८,५७.३ //
अयम् | वाम् | भागः | नि-हितः | यजत्रा | इमाः | गिरः | नासत्या | उप | यातम् | पि बतम् | सोमम् | मधु-मन्तम् | अस्मे इति | प्र | दाश्वांसम् | अवतम् | शचीभिः // ऋ. वे. ८,५७.४ //
//२८//.

-ऋ. वे. ६:४/२९-
(ऋ. वे. ८,५८)
यम् | ऋत्विजः | बहुधा | कल्पयन्तः | स-चेतसः | यज्ञम् | इमम् | वहन्ति | यः | अनूचानः | ब्राह्मणः | युक्तः | आसीत् | का | स्वित् | तत्र | यजमानस्य | सम्-वित् // ऋ. वे. ८,५८.१ //
एकः | एव | अग्निः | बहुधा | सम्-इद्धः | एकः | सूर्यः | विश्वम् | अनु | प्र-भूतः | एका | एव | उषाः | सर्वम् | इदम् | वि | भाति | एकम् | वै | इदम् | वि | बभूव | सर्वम् // ऋ. वे. ८,५८.२ //
ज्योतिष्मन्तम् | केतु-मन्तम् | त्रि-चक्रम् | सु-खम् | रथम् | सु-सदम् | भूरि-वारम् | चित्र-मघा | यस्य | योगे | अधि-जज्ञे | तम् | वाम् | हुवे | अति | रिक्तम् | पिबध्यै // ऋ. वे. ८,५८.३ //
//२९//.

-ऋ. वे. ६:४/३०-
(ऋ. वे. ८,५९)
इमानि | वाम् | भाग-धेयानि | सिस्रते | इन्द्रावरुणा | प्र | महे | सुतेषु | वाम् | यज्ञे--यज्ञे | ह | सवना | भुरण्यथः | यत् | सुन्वते | यजमानाय | शिक्षथः // ऋ. वे. ८,५९.१ //
निः-सिध्वरीः | ओषधीः | आपः | आस्ताम् | इन्द्रावरुणा | महिमानम् | आशत | या | सिस्रतुः | रजसः | पारे | अध्वनः | ययोः | शत्रुः | नकिः | अदेवः | ओहते // ऋ. वे. ८,५९.२ //
सत्यम् | तत् | इन्द्रावरुणा | कृशस्य | वाम् | मध्वः | ऊर्मिम् | दुहते | सप्त | वाणीः | ताभिः | दाश्वांसम् | अवतम् | शुभः | पती इति | यः | वाम् | अदब्धः | अभि | पाति | चित्ति-भिः // ऋ. वे. ८,५९.३ //
घृत-प्रुषः | सौम्याः | जीर-दानवः | सप्त | स्वसारः | सदने | ऋतस्य | याः | ह | वाम् | इन्द्रावरुणा | घृत-श्चुतः | ताभिः | धत्तम् | यजमानाय | शिक्षतम् // ऋ. वे. ८,५९.४ //
//३०//.

-ऋ. वे. ६:४/३१-
अवोचाम | महते | सौभगाय | सत्यम् | त्वेषाभ्याम् | महिमानम् | इन्द्रियम् | अस्मान् | सु | इन्द्रावरुणा | घृत-श्चुतः | त्रि-भिः | साप्तेभिः | अवतम् | शुभः | पती इति // ऋ. वे. ८,५९.५ //
इन्द्रावरुणा | यत् | ऋषि-भ्यः | मनीषाम् | वाचः | मतिम् | श्रुतम् | अदत्तम् | अग्रे | यानि | स्थानानि | असृजन्त | धीराः | यज्ञम् | तन्वानाः | तपसा | अभि | अपश्यम् // ऋ. वे. ८,५९.६ //
इन्द्रावरुणा | सौमनसम् | अदृप्तम् | रायः | पोषम् | यजमानेषु | धत्तम् | प्र-जाम् | पुष्टिम् | भूतिम् | अस्मासु | धत्तम् | दीर्घायु-त्वाय | प्र | तिरतम् | नः | आयुः // ऋ. वे. ८,५९.७ //
//३१//.

-ऋ. वे. ६:४/३२-
(ऋ. वे. ८,६०)
अग्ने | आ | याहि | अग्नि-भिः | होतारम् | त्वा | वृणीमहे | आ | त्वाम् | अनक्तु | प्र-यता | हविष्मती | यजिष्ठम् | बर्हिः | आसदे // ऋ. वे. ८,६०.१ //
अच्छ | हि | त्वा | सहसः | सूनो इति | अङ्गिरः | स्रुचः | चरन्ति | अध्वरे | ऊर्जः | नपातम् | घृत-केशम् | ईमहे | अग्निम् | यज्ञेषु | पूर्व्यम् // ऋ. वे. ८,६०.२ //
अग्ने | कविः | वेधाः | असि | होता | पावक | यक्ष्यः | मन्द्रः | यजिष्ठः | अध्वरेषु | ईड्यः | विप्रेभिः | शुक्र | मन्म-भिः // ऋ. वे. ८,६०.३ //
अद्रोघम् | आ | वह | उशतः | यविष्ठ्य | देवान् | अजस्र | वीतये | अभि | प्रयांसि | सु-धिता | आ | वसो इति | गहि | मन्दस्व | धीति-भिः | हितः // ऋ. वे. ८,६०.४ //
त्वम् | इत् | स-प्रथाः | असि | अग्ने | त्रातः | ऋतः | कविः | त्वाम् | विप्रासः | सम्-इधान | दीदि-वः | आ | विवासन्ति | वेधसः // ऋ. वे. ८,६०.५ //
//३२//.

-ऋ. वे. ६:४/३३-
शोच | शोचिष्ठ | दीदिहि | विशे | मयः | रास्व | स्तोत्रे | महान् | असि | देवानाम् | शर्मन् | मम | सन्तु | सूरयः | शत्रु-सहः | सु-अग्नयः // ऋ. वे. ८,६०.६ //
यथा | चित् | ऋद्धम् | अतसम् | अग्ने | सम्-जूर्वसि | क्षमि | एव | दह | मित्र-महः | यः | अस्म-ध्रुक् | दुः-मन्मा | कः | च | वेनति // ऋ. वे. ८,६०.७ //
मा | नः | मर्ताय | रिपवे | रक्षस्विने | मा | अघ-शंसाय | रीरधः | अस्रेधत्-भिः | तरणि-भिः | यविष्ठ्य | शिवेभिः | पाहि | पायु-भिः // ऋ. वे. ८,६०.८ //
पाहि | नः | अग्ने | एकया | पाहि | उत | द्वितीयया | पाहि | गीः-भिः | तिसृ-भिः | ऊर्जाम् | पते | पाहि | चतसृ-भिः | वसो इति // ऋ. वे. ८,६०.९ //
पाहि | विश्वस्मात् | रक्षसः | अराव्णः | प्र | स्म | वाजेषु | नः | अव | त्वाम् | इत् | हि | नेदिष्ठम् | देव-तातये | आपिम् | नक्षामहे | वृधे // ऋ. वे. ८,६०.१० //
//३३//.

-ऋ. वे. ६:४/३४-
आ | नः | अग्ने | वयः-वृधम् | रयिम् | पावक | शंस्यम् | रास्व | च | नः | उप-माते | पुरु-स्पृहम् | सु-नीती | स्वयशः-तरम् // ऋ. वे. ८,६०.११ //
येन | वंसाम | पृतनासु | शर्धतः | तरन्तः | अर्यः | आदिशः | सः | त्वम् | नः | वर्ध | प्र-यसा | शचीवसो इतिशची-वसो | जिन्व | धियः | वसु-विदः // ऋ. वे. ८,६०.१२ //
शिशानः | वृषभः | यथा | अग्निः | शृङ्गे | दविध्वत् | तिग्माः | अस्य | हनवः | न | प्रति-धृषे | सु-जम्भः | सहसः | यहुः // ऋ. वे. ८,६०.१३ //
नहि | ते | अग्ने | वृषभ | प्रति-धृषे | जम्भासः | यत् | वि-तिष्ठसे | सः | त्वम् | नः | होतरिति | सु-हुतम् | हविः | कृधि | वंस्व | नः | वार्या | पुरु // ऋ. वे. ८,६०.१४ //
शेषे | वनेषु | मात्रोः | सम् | त्वा | मर्तासः | इन्धते | अतन्द्रः | हव्या | वहसि | हविः-कृतः | आत् | इत् | देवेषु | राजसि // ऋ. वे. ८,६०.१५ //
//३४//.

-ऋ. वे. ६:४/३५-
सप्त | होतारः | तम् | इत् | ईऌअते | त्वा | अग्ने | सु-त्यजम् | अह्रयम् | भिनत्सि | अद्र् इम् | तपसा | वि | शोचिषा | प्र | अग्ने | तिष्ठ | जनान् | अति // ऋ. वे. ८,६०.१६ //
अग्निम्-अग्निम् | वः | अध्रि-गुम् | हुवेम | वृक्त-बर्हिषः | अग्निम् | हित-प्रयसः | शश्वतीषु | आ | होतारम् | चर्षणीनाम् // ऋ. वे. ८,६०.१७ //
केतेन | शर्मन् | सचते | सु-सामनि | अग्ने | तुभ्यम् | चिकित्वना | इषण्यया | नः | पुरु-रूपम् | आ | भर | वाजन् | नेदिष्ठम् | ऊतये // ऋ. वे. ८,६०.१८ //
अग्ने | जरितः | विश्पतिः | तेपानः | देव | रक्षसः | अप्रोषि-वान् | गृह-पतिः | महान् | असि | दिवः | पायुः | दिरोण-युः // ऋ. वे. ८,६०.१९ //
मा | नः | रक्षः | आ | वेशीत् | आघृणिवसो इत्य् आघृणि-वसो | मा | यातुः | यातु-मावताम् | परः-गव्यूति | अनिराम् | अप | क्षुधम् | अग्ने | सेध | रक्षस्विनः // ऋ. वे. ८,६०.२० //
//३५//.

-ऋ. वे. ६:४/३६-
(ऋ. वे. ८,६१)
उभयम् | शृणवत् | च | नः | इन्द्रः | अर्वाक् | इदम् | वचः | सत्राच्या | मघ-वा | सोम-पीतये | धिया | शविष्ठः | आ | गमत् // ऋ. वे. ८,६१.१ //
तम् | हि | स्व-राजम् | वृषभम् | तम् | ओजसे | धिषणे | निः-ततक्षतुः | उत | उप-मानाम् | प्रथमः | नि | सीदसि | सोम-कामम् | हि | ते | मनः // ऋ. वे. ८,६१.२ //
आ | वृषस्व | पुरुवसो इतिपुरु-वसो | सुतस्य | इन्द्र | अन्धसः | विद्म | हि | त्वा | हरि-वः | पृत्-सु | ससहिम् | अधृष्टम् | चित् | दधृष्वणिम् // ऋ. वे. ८,६१.३ //
अप्रामि-सत्य | मघ-वन् | तथा | इत् | असत् | इन्द्र | क्रत्वा | यथा | वशः | सनेम | वाजम् | तव | शिप्रिन् | अवसा | मक्षु | चित् | यन्तः | अद्रि-वः // ऋ. वे. ८,६१.४ //
शग्धि | ॐ इति | सु | शची-पते | इन्द्र | विश्वाभिः | ऊति-भिः | भगम् | न | हि | त्वा | यशसम् | वसु-विदम् | अनु | शूर | चरामसि // ऋ. वे. ८,६१.५ //
//३६//.

-ऋ. वे. ६:४/३७-
पौरः | अश्वस्य | पुरु-कृत् | गवाम् | असि | उत्सः | देव | हिरण्ययः | नकिः | ह् इ | दानम् | परि-मर्धिषत् | त्वे इति | यत्-यत् | यामि | तत् | आ | भर // ऋ. वे. ८,६१.६ //
त्वम् | हि | आ | इहि | चेरवे | विदाः | भगम् | वसुत्तये | उत् | ववृषस्व | मघ-वन् | गो--इष्टये | उत् | इन्द्र | अश्वम्-इष्टये // ऋ. वे. ८,६१.७ //
त्वम् | पुरु | सहस्राणि | शतानि | च | यूथा | दानाय | मंहसे | आ | पुरम्-दरम् | चकृम | विप्र-वचसः | इन्द्रम् | गायन्तः | अवसे // ऋ. वे. ८,६१.८ //
अविप्रः | वा | यत् | अविधत् | विप्रः | वा | इन्द्र | ते | वचः | सः | प्र | ममन्दत् | त्वाया | शतक्रतो इतिशात-क्रतो | प्राचामन्यो इतिप्राचामन्यो | अहम्-सन // ऋ. वे. ८,६१.९ //
उग्र-बाहुः | म्रक्ष-कृत्वा | पुरम्-दरः | यदि | मे | शृणवत् | हवम् | वसूयवो वसुपतिं शतक्रतुम् स्तोमैर् इन्द्रम् हवामहे // ऋ. वे. ८,६१.१० //
//३७//.

-ऋ. वे. ६:४/३८-
न | पापासः | मनामहे | न | अरायासः | न | जल्हवः | यत् | इत् | नु | इन्द्रम् | वृषणम् | सचा | सुते | सखायम् | कृणवामहै // ऋ. वे. ८,६१.११ //
उग्रम् | युयुज्म | पृतनासु | ससहिम् | ऋण-कातिम् | अदाभ्यम् | वेद | भृमम् | चित् | सनिता | रथि-तमः | वाजिनम् | यम् | इत् | ॐ इति | नशत् // ऋ. वे. ८,६१.१२ //
यतः | इन्द्र | भयामहे | ततः | नः | अभयम् | कृधि | मघ-वन् | शग्धि | तव | तम् | नः | ऊति-भिः | वि | द्विषः | वि | मृधः | जहि // ऋ. वे. ८,६१.१३ //
त्वम् | हि | राधः-पते | राधसः | महः | क्षयस्य | असि | विधतः | तम् | त्वा | वयम् | मघ-वन् | इन्द्र | गिर्वणः | सुत-वन्तः | हवामहे // ऋ. वे. ८,६१.१४ //
इन्द्रः | स्पट् | उत | वृत्र-हा | परः-पाः | नः | वरेण्यः | सः | नः | रक्षिषत् | चरमम् | सः | मध्यमम् | सः | पश्चात् | पातु | नः | पुरः // ऋ. वे. ८,६१.१५ //
//३८//.

-ऋ. वे. ६:४/३९-
त्वम् | नः | पश्चात् | अधरात् | उत्तरात् | पुरः | इन्द्र | नि | पाहि | विश्वतः | आरे | अस्मत् | कृणुहि | दैव्यम् | भयम् | आरे | हेतीः | अदेवीः // ऋ. वे. ८,६१.१६ //
अद्य-अद्य | श्वः-श्वः | इन्द्रस् | त्रास्व | परे | च | नः | विश्वा | च | नः | जरितॄन् | सत्-पते | अहा | दिवा | नक्तम् | च | रक्षिषः // ऋ. वे. ८,६१.१७ //
प्र-भङ्गी | शूरः | मघ-वा | तुवि-मघः | सम्-मिश्लः | वीर्याय | कम् | उभा | ते | बाहू इति | वृषणा | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | नि | या | वज्रम् | मिमिक्षतुः // ऋ. वे. ८,६१.१८ //
//३९//.

-ऋ. वे. ६:४/४०-
(ऋ. वे. ८,६२)
प्रो इति | अस्मै | उप-स्तुतिम् | भरत | यत् | जुजोषति | उक्थैः | इन्द्रस्य | माहिनम् | वयः | वर्धन्ति | सोमिनः | भद्राः | इन्द्रस्य | रातयः // ऋ. वे. ८,६२.१ //
अयुजः | असमः | नृ-भिः | एकः | कृष्टीः | अयास्यः | पूर्वीः | अति | प्र | ववृधे | विश्वा | जातानि | ओजसा | भद्राः | इन्द्रस्य | रातयः // ऋ. वे. ८,६२.२ //
अहितेन | चित् | अर्वता | जीर-दानुः | सिषासति | प्र-वाच्यम् | इन्द्र | तत् | तव | वीर्याणि | करिष्यतः | भद्राः | इन्द्रस्य | रातयः // ऋ. वे. ८,६२.३ //
आ | याहि | कृणवाम | ते | इन्द्र | ब्रह्माणि | वर्धना | येभिः | शविष्ठ | चाकनः | भद्रम् | इह | श्रवस्यते | भद्राः | इन्द्रस्य | रातयः // ऋ. वे. ८,६२.४ //
धृषतः | चित् | धृषत् | मनः | कृणोषि | इन्द्र | यत् | त्वम् | तीव्रैः | सोमैः | सपर्यतः | नमः-भिः | प्रति-भूषतः | भद्राः | इन्द्रस्य | रातयः // ऋ. वे. ८,६२.५ //
अव | चष्टे | ऋचीषमः | अवतान्-इव | मानुषः | जुष्टवी | दक्षस्य | सोमिनः | सखायम् | कृणुते | युजम् | भद्राः | इन्द्रस्य | रातयः // ऋ. वे. ८,६२.६ //
//४०//.

-ऋ. वे. ६:४/४१-
विश्वे | ते | इन्द्र | वीर्यम् | देवाः | अनु | क्रतुम् | ददुः | भुवः | विश्वस्य | गो--पतिः | पुरु-स्तुत | भद्राः | इन्द्रस्य | रातयः // ऋ. वे. ८,६२.७ //
गृणे | तत् | इन्द्र | ते | शवः | उप-मम् | देव-तातये | यत् | हंसि | वृत्रम् | ओजसा | शची-पते | भद्राः | इन्द्रस्य | रातयः // ऋ. वे. ८,६२.८ //
समनाइव | वपुष्यतः | कृणवत् | मानुषा | युगा | विदे | तत् | इन्द्रः | चेतनम् | अघ | श्रुतः | भद्राः | इन्द्रस्य | रातयः // ऋ. वे. ८,६२.९ //
उत् | जातम् | इन्द्र | ते | शवः | उत् | त्वाम् | उत् | तव | क्रतुम् | भूरिगो इतिभूरि-गो | भूरि | ववृधुः | मघ-वन् | तव | शर्मणि | भद्राः | इन्द्रस्य | रातयः // ऋ. वे. ८,६२.१० //
अहम् | च | त्वम् | च | वृत्र-हन् | सम् | युज्याव | सनि-भ्यः | आ | अराति-वा | चि त् | अद्रि-वः | अनु | नौ | शूर | मंसते | भद्राः | इन्द्रस्य | रातयः // ऋ. वे. ८,६२.११ //
सत्यम् | इर् | वै | ॐ इति | तम् | वयम् | इन्द्रम् | स्तवाम | न | अनृतम् | महान् | असुन्वतः | वधः | भूरि | ज्योतींषि | सुन्वतः | भद्राः | इन्द्रस्य | रातयः // ऋ. वे. ८,६२.१२ //
//४१//.

-ऋ. वे. ६:४/४२-
(ऋ. वे. ८,६३)
सः | पूर्व्यः | महानाम् | वेनः | क्रतु-भिः | आनजे | यस्य | द्वारा | मनुः | पिता | देवेषु | धियः | आनजे // ऋ. वे. ८,६३.१ //
दिवः | मानम् | न | उत् | सदन् | सोम-पृष्ठासः | अद्रयः | उक्था | ब्रह्म | च | शंस्या // ऋ. वे. ८,६३.२ //
सः | विद्वांन् | अङ्गिरः-भ्यः | इन्द्रः | गाः | अवृणोत् | अप | स्तुषे | तत् | अस्य | पैंस्यम् // ऋ. वे. ८,६३.३ //
सः | प्रत्न-था | कवि-वृधः | इन्द्रः | वाकस्य | वक्षणिः | शिवः | अर्कस्य | होमनि | अस्म-त्रा | गन्तु | अवसे // ऋ. वे. ८,६३.४ //
आत् | ॐ इति | नु | ते | अनु | क्रतुम् | स्वाहा | वरस्य | यज्यवः | श्वात्रम् | अर्काः | अनूषत | इन्द्र | गोत्रस्य | दावने // ऋ. वे. ८,६३.५ //
इन्द्रे | विश्वानि | वीर्या | कृतानि | कर्त्वानि | च | यम् | अर्काः | अध्वरम् | विदुः // ऋ. वे. ८,६३.६ //
//४२//.

-ऋ. वे. ६:४/४३-
यत् | पाञ्च-जन्यया | विशा | इन्द्रे | घोषाः | असृक्षत | अस्तृणात् | बर्हणा | विपः | अर्यः | मानस्य | सः | क्षयः // ऋ. वे. ८,६३.७ //
इयम् | ॐ इति | ते | अनु-स्तुतिः | चकृषे | तानि | पैंस्या | प्र | आवः | चक्रस्य | वर्तनिम् // ऋ. वे. ८,६३.८ //
अस्य | वृष्णः | वि-ओदने | उरु | क्रमिष्ट | जीवसे | यवम् | न | पश्वः | आ | ददे // ऋ. वे. ८,६३.९ //
तत् | दधानाः | अवस्यवः | युष्माभिः | दक्ष-पितरः | स्याम | मरुत्वतः | वृधे // ऋ. वे. ८,६३.१० //
बट् | ऋत्वियाय | धाम्नै | ऋक्व-भिः | शूर | नोनुमः | जेषाम | इन्द्र | त्वया | युजा // ऋ. वे. ८,६३.११ //
अस्मे इति | रुद्राः | मेहना | पर्वतासः | वृत्र-हत्ये | भर-हूतौ | स-जोषाः | यः | शंसते | स्तुवते | धायि | पज्रः | इन्द्र-ज्येष्टाः | अस्मान् | अवन्तु | देवाः // ऋ. वे. ८,६३.१२ //
//४३//.

-ऋ. वे. ६:४/४४-
(ऋ. वे. ८,६४)
उत् | त्वा | मन्दन्तु | स्तोमाः | कृणुष्व | राधः | अद्रि-वः | अव | ब्रह्म-द्विषः | जहि // ऋ. वे. ८,६४.१ //
पदा | पणीन् | अराधसः | नि | बाधस्व | महान् | असि | नहि | त्वा | कः | चन | प्रति // ऋ. वे. ८,६४.२ //
त्वम् | ईशिषे | सुतानाम् | इन्द्र | त्वम् | असुतानाम् | त्वम् | राजा | जनानाम् // ऋ. वे. ८,६४.३ //
आ | इहि | प्र | इहि | क्षयः | दिवि | आघोषन् | चर्षणीणाम् | आ | उभे इति | पृणासि | रोदसी इति // ऋ. वे. ८,६४.४ //
त्यम् | चित् | पर्वतम् | गिरिम् | शत-वन्तम् | सहस्रिणम् | वि | स्तोतृ-भ्यः | रुरोजिथ // ऋ. वे. ८,६४.५ //
वयम् | ॐ इति | त्वा | दिवा | सुते | वयम् | नक्तम् | हवामहे | अस्माकम् | कामम् | आ | पृण // ऋ. वे. ८,६४.६ //
//४४//.

-ऋ. वे. ६:४/४५-
क्व | स्यः | वृषभः | युवा | तुवि-ग्रीवः | अनानतः | ब्रह्मा | कः | तम् | सपर्यति // ऋ. वे. ८,६४.७ //
कस्य | स्वित् | सवनम् | वृषा | जुजुष्वान् | अव | गच्छति | इन्द्रम् | कः | ॐ इति | स्वित् | आ | चके // ऋ. वे. ८,६४.८ //
कम् | ते | दानाः | असक्षत | वृत्र-हन् | कम् | सु-वीर्या | उक्थे | कः | ॐ इति | स्वित् | अन्तमः // ऋ. वे. ८,६४.९ //
अयम् | ते | मानुषे | जने | सोमः | पूरुषु | सूयते | तस्य | आ | इहि | प्र | द्रव | प् इब // ऋ. वे. ८,६४.१० //
अयम् | ते | शर्यणावति | सु-सोमायाम् | अधि | प्रियः | आर्जीकीये | मदिन्-तमः // ऋ. वे. ८,६४.११ //
तम् | अद्य | राधसे | महे | चारुम् | मदाय | घृष्वये | आ | इहि | ईम् | इन्द्र | द्रव | पिब // ऋ. वे. ८,६४.१२ //
//४५//.

-ऋ. वे. ६:४/४६-
(ऋ. वे. ८,६५)
यत् | इन्द्र | प्राक् | अपाक् | उदक् | न्यक् | वा | हूयसे | नृ-भिः | आ | याहि | तूयम् | आशु-भिः // ऋ. वे. ८,६५.१ //
यत् | वा | प्र-स्रवणे | दिवः | मादयासे | स्वः-नरे | यत् | वा | समुद्रे | अन्धसः // ऋ. वे. ८,६५.२ //
आ | त्वा | गीः-भिः | महाम् | उरुम् | हुवे | गाम्-इव | भोजसे | इन्द्र | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,६५.३ //
आ | ते | इन्द्र | महिमानम् | हरयः | देव | ते | महः | रथे | वहन्तु | बिभ्रतः // ऋ. वे. ८,६५.४ //
इन्द्र | गृणीषे | ॐ इति | स्तुषे | महान् | उग्रः | ईशान-कृत् | आ | इहि | नः | सुतम् | पिब // ऋ. वे. ८,६५.५ //
सुत-वन्तः | त्वा | वयम् | प्रयस्वन्तः | हवामहे | इदम् | नः | बर्हि ः | आसदे // ऋ. वे. ८,६५.६ //
//४६//.

-ऋ. वे. ६:४/४७-
यत् | चित् | हि | शश्वताम् | असि | इन्द्र | साधारणः | त्वम् | तम् | त्वा | वयम् | हवामहे // ऋ. वे. ८,६५.७ //
इदम् | ते | सोम्यम् | मधु | अधुक्षन् | अद्रि-भिः | नरः | जुषाणः | इन्द्र | तत् | पि ब // ऋ. वे. ८,६५.८ //
विश्वान् | अर्यः | विपः-चितः | अति | ख्यः | तूयम् | आ | गहि | अस्मे इति | धेहि | श्रवः | बृहत् // ऋ. वे. ८,६५.९ //
दाता | मे | पृषतीनाम् | राजा | हिरण्य-वीनाम् | मा | देवाः | मघ-वा | रिषत् // ऋ. वे. ८,६५.१० //
सहस्रे | पृषतीनाम् | अधि | चन्द्रम् | बृहत् | पृथु | शुक्रम् | हिरण्यम् | आ | ददे // ऋ. वे. ८,६५.११ //
नपातः | दुः-गहस्य | मे | सहस्रेण | सु-राधसः | श्रवः | देवेषु | अक्रत // ऋ. वे. ८,६५.१२ //
//४७//.

-ऋ. वे. ६:४/४८-
(ऋ. वे. ८,६६)
तरः-भिः | वः | विदत्-वसुम् | इन्द्रम् | स-बाधः | ऊतये | बृहत् | गायन्तः | सुत-सोमे | अध्वरे | हुवे | भरम् | न | कारिणम् // ऋ. वे. ८,६६.१ //
न | यम् | दुध्राः | वरन्ते | न | स्थिराः | मुरः | मदे | सु-शिप्रम् | अन्धसः | यः | आदृत्य | शशमानाय | सुन्वते | दाता | जरित्रे | उक्थ्यम् // ऋ. वे. ८,६६.२ //
यः | शक्रः | मृक्षः | अश्व्यः | यः | वा | कीजः | हिरण्ययः | सः | ऊर्वस्य | रेजयति | अप-वृतिम् | इन्द्रः | गव्यस्य | वृत्र-हा // ऋ. वे. ८,६६.३ //
निखातम् | चित् | यः | पुरु-सम्भृतम् | वसु | उत् | इत् | वपति | दाशुषे | वज्री | सु-शि प्रः | हरि-अश्वः | इत् | करत् | इन्द्रः | क्रत्वा | यथा | वशत् // ऋ. वे. ८,६६.४ //
यत् | ववन्थ | पुरु-स्तुत | पुरा | चित् | शूर | नृणाम् | वयम् | तत् | ते | इन्द्र | सम् | भरामसि | यज्ञम् | उक्थम् | तुरम् | वचः // ऋ. वे. ८,६६.५ //
//४८//.

-ऋ. वे. ६:४/४९-
सचा | सोमेषु | पुरु-हूत | वज्रि-वः | मदाय | द्युक्ष | सोम-पाः | त्वम् | इत् | हि | ब्रह्म-कृते | काम्यम् | वसु | देष्ठः | सुन्वते | भुवः // ऋ. वे. ८,६६.६ //
वयम् | एनम् | इदा | ह्यः | अपीपेम | इह | वज्रिणम् | तस्मै | ॐ इति | अद्य | समना | सुतम् | भर | आ | नूनम् | भूषत | श्रुते // ऋ. वे. ८,६६.७ //
वृकः | चित् | अस्य | वारणः | उरामथिः | आ | वयुनेषु | भूषति | सः | इमम् | नः | स्तोमम् | जुजुषाणः | आ | गहि | इन्द्र | प्र | चित्रया | धिया // ऋ. वे. ८,६६.८ //
कत् | ॐ इति | नु | अस्य | अकृतम् | इन्द्रस्य | अस्ति | पैंस्यम् | केनो इति | नु | कम् | श्रोमतेन | न | शिश्रुवे | जनुषः | परि | वृत्र-हा // ऋ. वे. ८,६६.९ //
कत् | ॐ
इति | महीः | अधृष्टाः | अस्य | तविषीः | कत् | ॐ इति | वृत्र-घ्नः | अस्तृतम् | इन्द्रः | विश्वान् | बेक-नाटान् | अहः-दृषः | उत | क्रत्वा | पणीन् | अभि // ऋ. वे. ८,६६.१० //
//४९//.

-ऋ. वे. ६:४/५०-
वयम् | घ | ते | अपूर्व्या | इन्द्र | ब्रह्माणि | वृत्र-हन् | पुरु-तमासः | पुरु-हूत | वज्रि-वः | भृतिम् | न | प्र | भरामसि // ऋ. वे. ८,६६.११ //
पूर्वीः | चित् | हि | त्वे इति | तुवि-कूर्मिन् | आशसः | हवन्ते | इन्द्र | ऊतयः | तिरः | चित् | अर्यः | सवना | वसो इति | गहि | शविष्ठ | श्रुधि | मे | हवम् // ऋ. वे. ८,६६.१२ //
वयम् | घ | ते | त्वे इति | इत् | ॐ इति | इन्द्र | विप्राः | अपि | स्मसि | नहि | त्वत् | अन्यः | पुरु-हूत | कः | चन | मघ-वन् | अस्ति | मर्डिता // ऋ. वे. ८,६६.१३ //
त्वम् | नः | अस्याः | अमतेः | उत | क्षुधः | अभि-शस्तेः | अव | स्पृधि | त्वम् | नः | ऊती | तव | चित्रया | धिया | शिक्ष | शचिष्ठ | गातु-वित् // ऋ. वे. ८,६६.१४ //
सोमः | इत् | वः | सुतः | अस्तु | कलयः | मा | बिभीतन | अप | इत् | एषः ध्वस्मा | अयति | स्वयम् | घ | एषः | अप | अयति // ऋ. वे. ८,६६.१५ //
//५०//.

-ऋ. वे. ६:४/५१-
(ऋ. वे. ८,६७)
त्यान् | नु | क्षत्रियान् | अवः | आदित्यान् | याचिषामहे | सु-मृऌईकान् | अभिष्टये // ऋ. वे. ८,६७.१ //
मित्रः | नः | अति | अंहतिम् | वरुणः | पर्षत् | अर्यमा | आदित्यासः | यथा | विदुः // ऋ. वे. ८,६७.२ //
तेषाम् | हि | चित्रम् | उक्थ्यम् | वरूथम् | अस्ति | दाशुषे | आदित्यानाम् | अरम्-कृते // ऋ. वे. ८,६७.३ //
महि | वः | महताम् | अवः | वरुण | मित्र | अर्यमन् | अवांसि | आ | वृणीमहे // ऋ. वे. ८,६७.४ //
जीवान् | नः | अभि | धेतन | आदित्यासः | पुरा | हथात् | कत् | ह | स्थ | हवन-श्रुतः // ऋ. वे. ८,६७.५ //
//५१//.

-ऋ. वे. ६:४/५२-
यत् | वः | श्रान्ताय | सुन्वते | वरूथम् | अस्ति | यत् | छर्दिः | तेन | नः | अधि | वोचत // ऋ. वे. ८,६७.६ //
अस्ति | देवाः | अंहोः | उरु | अस्ति | रत्नम् | अनागसः | आदित्याः | अद्भुत-एनसः // ऋ. वे. ८,६७.७ //
मा | नः | सेतुः | सिसेत् | अयम् | महे | वृणक्तु | नः | परि | इन्द्रः | इत् | हि | श्रुतः | वशी // ऋ. वे. ८,६७.८ //
मा | नः | मृचा | रिपूणाम् | वृजिनानाम् | अविष्यवः | देवाः | अभि | प्र | मृक्षत // ऋ. वे. ८,६७.९ //
उत | त्वाम् | अदिते | महि | अहम् | देवि | उप | ब्रुवे | सु-मृऌईकाम् | अभिष्टये // ऋ. वे. ८,६७.१० //
//५२//.

-ऋ. वे. ६:४/५३-
पर्षि | दीने | गभीरे | आ | उग्र-पुत्रे | जिघांसतः | माकिः | तोकस्य | नः | रिषत् // ऋ. वे. ८,६७.११ //
अनेहः | नः | उरु-व्रजे | उरूचि | वि | प्र-सर्तवे | कृधि | तोकाय | जीवसे // ऋ. वे. ८,६७.१२ //
ये | मूर्धानः | क्षितीनाम् | अदब्धासः | स्व-यशसः | व्रता | रक्षन्ते | अद्रुहः // ऋ. वे. ८,६७.१३ //
ते | नः | आस्नः | वृकाणाम् | आदित्यासः | मुमोचत | स्तेनम् | बद्धम्-इव | अदिते // ऋ. वे. ८,६७.१४ //
अपो इति | सु | नः | इयम् | शरुः | आदित्याः | अप | दुः-मतिः | अस्मत् | एतु | अजघ्नुषी // ऋ. वे. ८,६७.१५ //
//५३//.

-ऋ. वे. ६:४/५४-
शश्वत् | हि | वः | सु-दानवः | आदित्याः | ऊति-भिः | वयम् | पुरा | नूनम् | बुभुज्महे // ऋ. वे. ८,६७.१६ //
शश्वन्तम् | हि | प्र-चेतसः | प्रति-यन्तम् | चित् | एनसः | देवाः | कृणुथ | जीवसे // ऋ. वे. ८,६७.१७ //
तत् | सु | नः | नव्यम् | सन्यसे | आदित्याः | यत् | मुमोचति | बन्धात् | बद्धम्-इव | अदिते // ऋ. वे. ८,६७.१८ //
न | अस्माकम् | अस्ति | तत् | तरः | आदित्यासः | अति-स्कदे | यूयम् | अस्मभ्यम् | मृऌअत // ऋ. वे. ८,६७.१९ //
मा | नः | हेतिः | विवस्वतः | आदित्याः | कृत्रिमा | शरुः | पुरा | नु | जरसः | वधीत् // ऋ. वे. ८,६७.२० //
वि | सु | द्वेषः | वि | अंहतिम् | आदित्यासः | वि | सम्-हितम् | विष्वक् | वि | वृहत | रपः // ऋ. वे. ८,६७.२१ //
//५४//.



-ऋ. वे. ६:५/१-
(ऋ. वे. ८,६८)
आ | त्वा | रथम् | यथा | ऊतये | सुम्नाय | वर्तयामसि | तुवि-कूर्मिम् | ऋति-सहम् | इन्द्र | शविष्ठ | सत्-पते // ऋ. वे. ८,६८.१ //
तुवि-शुष्म | तुविक्रतो इतितुवि-क्रतो | शची-वः | विश्वया | मते | आ | पप्राथ | महि-त्वना // ऋ. वे. ८,६८.२ //
यस्य | ते | महिना | महः | परि | ज्मायन्तम् | ईयतुः | हस्ता | वज्रम् | हिरण्ययम् // ऋ. वे. ८,६८.३ //
विश्वानरस्य | वः | पतिम् | अनानतस्य | शवसः | एवैः | च | चर्षणीनाम् | ऊती | हुवे | रथानाम् // ऋ. वे. ८,६८.४ //
अभिष्टये | सदावृधम् | स्वः-मीऌहेषु | यम् | नरः | नाना | हवन्ते | ऊतये // ऋ. वे. ८,६८.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ६:५/२-
परः-मात्रम् | ऋचीषमम् | इन्द्रम् | उग्रम् | सु-राधसम् | ईशानम् | चित् | वसूनाम् // ऋ. वे. ८,६८.६ //
तम्-तम् | इत् | राधसे | महे | इन्द्रम् | चोदामि | पीतये | यः | पूर्व्याम् | अनु-स्तुत् इम् | ईशे | कृष्टीनाम् | नृतुः // ऋ. वे. ८,६८.७ //
न | यस्य | ते | शवसान | सख्यम् | आनंश | मर्त्यः | नकिः | शवांसि | ते | नशत् // ऋ. वे. ८,६८.८ //
त्वाऊतासः | त्वा | युजा | अप्-सु | सूर्ये | महत् | धनम् | जयेम | पृत्-सु | वज्रि-वः // ऋ. वे. ८,६८.९ //
तम् | त्वा | यज्ञेभिः | ईमहे | तम् | गीः-भिः | गिर्वणः-तम | इन्द्र | यथा | चित् | आविथ | वाजेषु | पुरु-माय्यम् // ऋ. वे. ८,६८.१० //
//२//.

-ऋ. वे. ६:५/३-
यस्य | ते | स्वादु | सख्यम् | स्वाद्वी | प्र-नीतिः | अद्रि-वः | यज्ञः | वितन्तसाय्यः // ऋ. वे. ८,६८.११ //
उरु | नः | तन्वे | तने | उरु | क्षयाय | नः | कृधि | उरु | नः | यन्धि | जीवसे // ऋ. वे. ८,६८.१२ //
उरुम् | नृ-भ्यः | उरुम् | गवे | उरुम् | रथाय | पन्थाम् | देव-वीतिम् | मनामहे // ऋ. वे. ८,६८.१३ //
उप | मा | षट् | द्वाद्वा | नरः | सोमस्य | हर्ष्या | तिष्ठन्ति | स्वादु-रातयः // ऋ. वे. ८,६८.१४ //
ऋज्रौ | इन्द्रोते | आ | ददे | हरी इति | ऋक्षस्य | सूनवि | आश्व-मेधस्य | रोहिता // ऋ. वे. ८,६८.१५ //
//३//.

-ऋ. वे. ६:५/४-
सु-रथान् | आतिथि-ग्वे | सु-अभीशून् | आर्क्षे | आश्व-मेधे | सु-पेशसः // ऋ. वे. ८,६८.१६ //
षट् | अश्वान् | आतिथि-ग्वे | इन्द्रोते | वधू-मतः | सचा | पूत-क्रतौ | सनम् // ऋ. वे. ८,६८.१७ //
आ | एषु | चेतत् | वृषण्-वती | अन्तः | ऋज्रेषु | अरुषी | सु-अभीशुः | कशावती // ऋ. वे. ८,६८.१८ //
न | युष्मे इति | वाज-बन्धवः | निनित्सुः | चन | मर्त्यः | अवद्यम् | अधि | दीधरत् // ऋ. वे. ८,६८.१९ //
//४//.

-ऋ. वे. ६:५/५-
(ऋ. वे. ८,६९)
प्र-प्र | वः | त्रि-स्तुभम् | इषम् | मन्दत्-वीराय | इन्दवे | धिया | वः | मेध-सातये | पुरम्-ध्या | आ | विवासति // ऋ. वे. ८,६९.१ //
नदम् | वः | ओदतीनाम् | नदम् | योयुवतीनाम् | पतिम् | वः | अघ्न्यानाम् | धेनूनाम् | इषुध्यसि // ऋ. वे. ८,६९.२ //
ताः | अस्य | सूद-दोहसः | सोमम् | श्रीणन्ति | पृश्नयः | जन्मन् | देवानाम् | व् इशः | त्रिषु | आ | रोचने | दिवः // ऋ. वे. ८,६९.३ //
अभि | प्र | गो--पतिम् | गिरा | इन्द्रम् | अर्च | यथा | विदे | सूनुम् | सत्यस्य | सत्-पतिम् // ऋ. वे. ८,६९.४ //
आ | हरयः | ससृज्रिरे | अरुषीः | अधि | बर्हिषि | यत्र | अभि | सम्-नवामहे // ऋ. वे. ८,६९.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ६:५/६-
इन्द्राय | गावः | आशिरम् | दुदुह्रे | वज्रिणे | मधु | यत् | सीम् | उप-ह्वरे | विदत् // ऋ. वे. ८,६९.६ //
उत् | यत् | ब्रध्नस्य | विष्टपम् | गृहम् | इन्द्रः | च | गन्वहि | मध्वः | पीत्वा | सचेवहि | त्रिः | सप्त | सख्युः | पदे // ऋ. वे. ८,६९.७ //
अर्चत | प्र | अर्चत | प्रिय-मेधासः | अर्चत | अर्चन्तु | पुत्रकाः | उत | पुरम् | न | धृष्णु | अर्चत // ऋ. वे. ८,६९.८ //
अव | स्वराति | गर्गरः | गोधा | परि | सनिस्वनत् | पिङ्गा | परि | चनिस्कदत् | इन्द्राय | ब्रह्म | उत्-यतम् // ऋ. वे. ८,६९.९ //
आ | यत् | पतन्ति | एन्यः | सु-दुघाः | अनप-स्फुरः | अप-स्फुरम् | गृभायत | सोमम् | इन्द्राय | पातवे // ऋ. वे. ८,६९.१० //
//६//.

-ऋ. वे. ६:५/७-
अपात् | इन्द्रः | अपात् | अग्निः | विश्वे | देवाः | अमत्सत | वरुणः | इत् | इह | क्षयत् | तम् | आपः | अभि | अनूषत | वत्सम् | संशिश्वरीः-इव // ऋ. वे. ८,६९.११ //
सु-देवः | असि | वरुण | यस्य | ते | सप्त | सिन्धवः | अनु-क्षरन्ति | काकुदम् | सूर्म्यम् | सुषिराम्-इव // ऋ. वे. ८,६९.१२ //
यः | व्यतीन् | अफाणयत् | सु-युक्तान् | उप | दाशुषे | तक्वः | नेता | तत् | इत् | वपुः | उप-मा | यः | अमुच्यत // ऋ. वे. ८,६९.१३ //
अति | इत् | ॐ इति | शक्रः | अहते | इन्द्रः | विश्वाः | अति | द्विषः | भिनत् | कनीनः | ओदनम् | पच्यमानम् | परः | गिरा // ऋ. वे. ८,६९.१४ //
अर्भकः | न | कुमारकः | अधि | तिष्ठत् | नवम् | रथम् | सः | पक्षत् | महिषम् | मृगम् | पित्रे | मात्रे | विभु-क्रतुम् // ऋ. वे. ८,६९.१५ //
आ | तु | सु-शिप्र | दम्-पते | रथम् | तिष्ठ | हिरण्ययम् | अध | द्युक्षम् | सचेवहि | सहस्र-पादम् | अरुषम् | स्वस्ति-गाम् | अनेहसम् // ऋ. वे. ८,६९.१६ //
तम् | घ | ईम् | इत्था | नमस्विनः | उप | स्व-राजम् | आसते | अर्थम् | चित् | अस्य | सु-धितम् | यत् | एतवे | आवर्तयन्ति | दावने // ऋ. वे. ८,६९.१७ //
अनु | प्रत्नस्य | ओकसः | प्रिय-मेधासः | एषाम् | पूर्वाम् | अनु | प्र-यति म् | वृक्त-बर्हिषः | हित-प्रयसः | आशत // ऋ. वे. ८,६९.१८ //
//७//.

-ऋ. वे. ६:५/८-
(ऋ. वे. ८,७०)
यः | राजा | चर्षणीनाम् | याता | रथेभिः | अध्रि-गुः | विश्वासाम् | तरुता | पृतनानाम् | ज्येष्ठः | यः | वृत्र-हा | गृणे // ऋ. वे. ८,७०.१ //
इन्द्रम् | तम् | शुम्भ | पुरु-हन्मन् | अवसे | यस्य | द्विता | वि-धर्तरि | हस्ताय | वज्रः | प्रति | धायि | दर्शतः | महः | दिवे | न | सूर्यः // ऋ. वे. ८,७०.२ //
नकिः | तम् | कर्मणा | नशत् | यः | चकार | सदावृधम् | इन्द्रम् | न | यज्ञैः | विश्व-गूर्तम् | ऋभ्वसम् | अधृष्टम् | धृष्णु-ओजसम् // ऋ. वे. ८,७०.३ //
अषाऌहम् | उग्रम् | पृतनासु | ससहिम् | यस्मिन् | महीः | उरु-ज्रयः | सम् | धेनवः | जायमाने | अनोनवुः | द्यावः | क्षामः | अनोनवुः // ऋ. वे. ८,७०.४ //
यत् | द्यावः | इन्द्र | ते | शतम् | शतम् | भूमीः | उत | स्युरितिस्युः | न | त्वा | वज्र् इन् | सहस्रम् | सूर्याः | अनु | न | जातम् | अष्ट | रोदसी इति // ऋ. वे. ८,७०.५ //
//८//.

-ऋ. वे. ६:५/९-
आ | पप्राथ | महिना | वृष्ण्या | वृषन् | विश्वा | शविष्ठ | शवसा | अस्मान् | अव | मघ-वन् | गो--मति | व्रजे | वज्रिन् | चित्राभिः | ऊति-भिः // ऋ. वे. ८,७०.६ //
न | सीम् | अदेवः | आपत् | इषम् | दीर्घायो इतिदीर्घ-आयो | मर्त्यः | एत-ग्वा | चित् | यः | एतशा | युयोजते | हरी इति | इन्द्रः | युयोजते // ऋ. वे. ८,७०.७ //
तम् | वः | महः | महाय्यम् | इन्द्रम् | दानाय | सक्षणिम् | यः | गाधेषु | यः | आअरणेषु | हव्यः | वाजेषु | अस्ति | हव्यः // ऋ. वे. ८,७०.८ //
उत् | ॐ इति | सु | णः | वसो इति | महे | मृशस्व | शूर | राधसे | उत् | ॐ इति | सु | मह्यै | मघ-वन् | मघत्तये | उत् | इन्द्र | श्रवसे | महे // ऋ. वे. ८,७०.९ //
त्वम् | नः | इन्द्र | ऋत-युः | त्वानिदः | नि | तृम्पसि | मध्ये | वसिष्व | तुवि-नृम्ण | ऊर्वोः | नि | दासम् | शिश्नथः | हथैः // ऋ. वे. ८,७०.१० //
//९//.

-ऋ. वे. ६:५/१०-
अन्य-व्रतम् | अमानुषम् | अयज्वानम् | अदेव-युम् | अव | स्वः | सखा | दुधुवीत | पर्वतः | सु-घ्नाय | दस्युम् | पर्वतः // ऋ. वे. ८,७०.११ //
त्वम् | नः | इन्द्र | आसाम् | हस्ते | शविष्ठ | दावने | धानानाम् | न | सम् | गृभाय | अस्म-युः | द्विः | सम् | गृभाय | अस्म-युः // ऋ. वे. ८,७०.१२ //
सखायः | क्रतुम् | इच्छत | कथा | राधाम | शरस्य | उप-स्तुतिम् | भोजः | सूरिः | यः | अह्रयः // ऋ. वे. ८,७०.१३ //
भूरि-भिः | समह | ऋषि-भिः | बर्हिष्मत्-भिः | स्तविष्यसे | यत् | इत्थम् | एकम् | एकम् | इत् | शर | वत्सान् | पराददः // ऋ. वे. ८,७०.१४ //
कर्ण-गृह्य | मघ-वा | शौर-देव्यः | वत्सम् | नः | त्रि-भ्यः | आ | अनयत् | अजाम् | सूरिः | न | धातवे // ऋ. वे. ८,७०.१५ //
//१०//.

-ऋ. वे. ६:५/११-
(ऋ. वे. ८,७१)
त्वम् | नः | अग्ने | महः-भिः | पाहि | विश्वस्याः | अरातेः | उत | द्विषः | मर्त्यस्य // ऋ. वे. ८,७१.१ //
नहि | मन्युः | पौरुषेयः | ईशे | हि | वः | प्रिय-जात | त्वम् | इत् | असि | क्षपावान् // ऋ. वे. ८,७१.२ //
सः | नः | विश्वेभिः | देवेभिः | ऊर्जः | नपात् | भद्र-शोचे | रयिम् | देहि | विश्व-वारम् // ऋ. वे. ८,७१.३ //
न | तम् | अग्ने | अरातयः | मर्तम् | युवन्त | रायः | यम् | त्रायसे | दाश्वांसम् // ऋ. वे. ८,७१.४ //
यम् | त्वम् | विप्र | मेध-सातौ | अग्ने | हिनोषि | धनाय | सः | तव | ऊती | गोषु | गन्ता // ऋ. वे. ८,७१.५ //
//११//.

-ऋ. वे. ६:५/१२-
त्वम् | रयिम् | पुरु-वीरम् | अग्ने | दाशुषे | मर्ताय | प्र | नः | नय | वस्यः | अच्छ // ऋ. वे. ८,७१.६ //
उरुष्य | णः | मा | परा | दाः | अघ-यते | जत-वेदः | दुः-आध्ये | मर्ताय // ऋ. वे. ८,७१.७ //
अग्ने | माकिः | ते | देवस्य | रातिम् | अदेवः | युयोत | त्वम् | ईशिषे | वसूनाम् // ऋ. वे. ८,७१.८ //
सः | नः | वस्वः | उप | मासि | ऊर्जः | नपात् | माहिनस्य | सखे | वसो इति | जरितृ-भ्यः // ऋ. वे. ८,७१.९ //
अच्छ | नः | शीर-शोचिषम् | गिरः | यन्तु | दर्शतम् | अच्छ | यज्ञासः | नमसा | पुरु-वसुम् | पुरु-प्रशस्तम् | ऊतये // ऋ. वे. ८,७१.१० //
//१२//.

-ऋ. वे. ६:५/१३-
अग्निम् | सूनुम् | सहसः | जात-वेदसम् | दानाय | वार्याणाम् | द्विता | यः | भूत् | अमृतः | मर्त्येषु | आ | होता | मन्द्र-तमः | विशि // ऋ. वे. ८,७१.११ //
अग्निम् | वः | देव-यज्यया | अग्निम् | प्र-यति | अध्वरे | अग्निम् | धीषु | प्रथमम् | अग्निम् | अर्वति | अग्निम् | क्षैत्राय | साधसे // ऋ. वे. ८,७१.१२ //
अग्निः | इषाम् | सख्ये | ददातु | नः | ईशे | यः | वार्याणाम् | अग्निम् | तोके | तनये | शश्वत् | ईमहे | वसुम् | सन्तम् | तनू-पाम् // ऋ. वे. ८,७१.१३ //
अग्निम् | ईऌइष्व | अवसे | गाथाभिः | शीर-शोचिषम् | अग्निम् | राये | पुरु-मीऌह | श्रुतम् | नरः | अग्निम् | सु-दीतये | छर्धिः // ऋ. वे. ८,७१.१४ //
अग्निम् | द्वेषः | योतवै | नः | गृणीमसि | अग्निम् | शम् | योः | च | दातवे | विश्वासु | विक्षु | अविताइव | हव्यः | भुवत् | वस्तुः | ऋषूणाम् // ऋ. वे. ८,७१.१५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ६:५/१४-
(ऋ. वे. ८,७२)
हविः | कृणुध्वम् | आ | गमत् | अध्वर्युः | वनते | पुनरिति | विद्वान् | अस्य | प्र-शासनम् // ऋ. वे. ८,७२.१ //
नि | तिग्मम् | अभि | अंशुम् | सीदत् | होता | मनौ | अधि | जुषाणः | अस्य | सख्यम् // ऋ. वे. ८,७२.२ //
अन्तः | इच्छन्ति | तम् | जने | रुद्रम् | परः | मनीषया | गृभ्णन्ति | जिह्वया | ससम् // ऋ. वे. ८,७२.३ //
जामि | अतीतपे | धनुः | वयः-धाः | अरुहत् | वनम् | दृषदम् | जिह्वया | आ | अवधीत् // ऋ. वे. ८,७२.४ //
चरन् | वत्सः | रुशन् | इह | नि-दातारम् | न | विन्दते | वेति | स्तोतव्र् | अम्ब्यम् // ऋ. वे. ८,७२.५ //
//१४//.

-ऋ. वे. ६:५/१५-
उतो इति | नु | अस्य | यत् | महत् | अश्व-वत् | योजनम् | बृहत् | दामा | रथस्य | ददृशे // ऋ. वे. ८,७२.६ //
दुहन्ति | सप्त | एकाम् | उप | द्वा | पञ्च | सृजतः | तीर्थे | सिन्धोः | अधि | स्वरे // ऋ. वे. ८,७२.७ //
आ | दश-भिः | विवस्वतः | इन्द्रः | कोशम् | अचुच्यवीत् | खेदया | त्रि-वृता | दिवः // ऋ. वे. ८,७२.८ //
परि | त्रि-धातुः | अध्वरम् | जूर्णिः | एति | नवीयसी | मध्वा | होतारः | अञ्जते // ऋ. वे. ८,७२.९ //
सिञ्चन्ति | नमसा | अवतम् | उच्चाचक्रम् | परि-ज्मानम् | नीचीन-बारम् | अक्षितम् // ऋ. वे. ८,७२.१० //
//१५//.

-ऋ. वे. ६:५/१६-
अभि-आरम् | इत् | अद्रयः | नि-सिक्तम् | पुष्करे | मधु | अवतस्य | वि-सर्जने // ऋ. वे. ८,७२.११ //
गावः | उप | अवत | अवतम् | मही इति | यज्ञस्य | रप्सुदा | उभा | कर्णा | हिरण्यया // ऋ. वे. ८,७२.१२ //
आ | सुते | सिञ्चत | श्रियम् | रोदस्योः | अभि-श्रियम् | रसा | दधीत | वृषभम् // ऋ. वे. ८,७२.१३ //
ते | जानत | स्वम् | ओक्यम् | सम् | वत्सासः | न | मातृ-भिः | मिथः | नसन्त | जामि-भिः // ऋ. वे. ८,७२.१४ //
उप | स्रक्वेषु | बप्सतः | कृण्वते | धरुणम् | दिवि | इन्द्रे | अग्ना | नमः | स्वः // ऋ. वे. ८,७२.१५ //
//१६//.

-ऋ. वे. ६:५/१७-
अधुक्षत् | पिप्युषीम् | इषम् | ऊर्जम् | सप्त-पदीम् | अरिः | सूर्यस्य | सप्त | रश्मि-भिः // ऋ. वे. ८,७२.१६ //
सोमस्य | मित्रावरुणा | उत्-इता | सूरे | आ | ददे | तत् | आतुरस्य | भेषजम् // ऋ. वे. ८,७२.१७ //
उतो
इति | नु | अस्य | यत् | पदम् | हर्यतस्य | नि-धान्यम् | परि | द्याम् | जिह्वया | अतनत् // ऋ. वे. ८,७२.१८ //
//१७//.

-ऋ. वे. ६:५/१८-
(ऋ. वे. ८,७३)
उत् | ईराथाम् | ऋत-यते | युञ्जाथाम् | अश्विना | रथम् | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.१ //
निमिषः | चित् | जवीयसा | रथेन | आ | यातम् | अश्विना | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.२ //
उप | स्तृणीतम् | अत्रये | हिमेन | घर्मम् | अश्विना | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.३ //
कुह | स्थः | कुह | जग्मथुः | कुह | श्येनाइव | पेतथुः | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.४ //
यत् | अद्य | कर्हि | कर्हि | चित् | शुश्रूयातम् | इमम् | हवम् | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.५ //
//१८//.

-ऋ. वे. ६:५/१९-
अश्विना | याम-हूतमा | नेदिष्ठम् | यामि | आप्यम् | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.६ //
अवन्तम् | अत्रये | गृहम् | कृणुतम् | युवम् | अश्विना | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.७ //
वरेथे | अग्निम् | आतपः | वदते | वल्गु | अत्रये | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.८ //
प्र | सप्त-वध्रिः | आशसा | धाराम् | अग्नेः | अशायत | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.९ //
इह | आ | गतम् | वृषण्-वसूइतिवृषण्-वसू | शृणुतम् | मे | इमम् | हवम् | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.१० //
//१९//.

-ऋ. वे. ६:५/२०-
किम् | इदम् | वाम् | पुराण-वत् | जरतोः-इव | शस्यते | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.११ //
समानम् | वाम् | स-जात्यम् | समानः | बन्धुः | अश्विना | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.१२ //
यः | वाम् | रजांसि | अश्विना | रथः | वि-याति | रोदसी इति | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.१३ //
आ | नः | गव्येभिः | अश्व्यैः | सहस्रैः | उप | गच्छतम् | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.१४ //
मा | नः | गव्येभिः | अश्व्यैः | सहस्रेभिः | अति | ख्यतम् | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.१५ //
अरुण-प्सुः | उषाः | अभूत् | अकः | ज्योतिः | ऋत-वरी | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.१६ //
अश्विना | सु | वि-चाकशत् | वृक्षम् | परशुमान्-इव | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.१७ //
पुरम् | न | धृष्णो इति | आ | रुज | कृष्णया | बाधितः | विशा | अन्ति | सत् | भूतु | वाम् | अवः // ऋ. वे. ८,७३.१८ //
//२०//.

-ऋ. वे. ६:५/२१-
(ऋ. वे. ८,७४)
विशः-विसः | वः | अतिथिम् | वाज-यन्तः | पुरु-प्रियम् | अग्निम् | वः | दुयर्म् | वचः | स्तुषे | शूषस्य | मन्म-भिः // ऋ. वे. ८,७४.१ //
यम् | जनासः | हविष्मन्तः | मित्रम् | न | सर्पिः-आसुतिम् | प्र-शंसन्ति | प्रशस्ति-भिः // ऋ. वे. ८,७४.२ //
पन्यासम् | जात-वेदसम् | यः | देव-ताति | उत्-यता | हव्यानि | ऐरयत् | दिवि // ऋ. वे. ८,७४.३ //
आ | अगन्म | वृत्रहन्-तमम् | ज्येष्ठम् | अग्निम् | आनवम् | यस्य | श्रुतर्वा | बृहन् | आर्क्षः | अनीके | एधते // ऋ. वे. ८,७४.४ //
अमृतम् | जात-वेदसम् | तिरः | तमांसि | दर्शतम् | घृत-आहवनम् | ईड्यम् // ऋ. वे. ८,७४.५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ६:५/२२-
स-बाधः | यम् | जनाः | इमे | अग्निम् | हव्येभिः | ईऌअते | जुह्वानासः | यत-स्रुचः // ऋ. वे. ८,७४.६ //
इयम् | ते | नव्यसी | मतिः | अग्ने | अधायि | अस्मत् | आ | मन्द्र | सु-जात | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | अमूर | दस्म | अतिथे // ऋ. वे. ८,७४.७ //
सा | ते | अग्ने | शम्-तमा | चनिष्ठा | भवतु | प्रिया | तया | वर्धस्व | सु-स्तुतः // ऋ. वे. ८,७४.८ //
सा | द्युम्नैः | द्युम्निनी | बृहत् | उप-उप | श्रवसि | श्रवः | दधीत | वृत्र-तूर्ये // ऋ. वे. ८,७४.९ //
अश्वम् | इत् | गाम् | रथ-प्राम् | त्वेषम् | इन्द्रम् | न | सत्-पतिम् | यस्य | श्रवांसि | तूर्वथ | पन्यम्-पन्यम् | च | कृष्टयः // ऋ. वे. ८,७४.१० //
//२२//.

-ऋ. वे. ६:५/२३-
यम् | त्वा | गोपवनः | गिरा | चनिष्ठत् | अग्ने | अङ्गिरः | सः | पावक | श्रुधि | हवम् // ऋ. वे. ८,७४.११ //
यम् | त्वा | जनासः | ईऌअते | स-बाधः | वाज-सातये | सः | बोधि | वृत्र-तूर्ये // ऋ. वे. ८,७४.१२ //
अहम् | हुवानः | आर्क्षे | श्रुतर्वणि | मद-च्युति | शर्धांसि-इव | स्तुकाविनाम् | मृक्षा | शीर्षा | चतुर्णाम् // ऋ. वे. ८,७४.१३ //
माम् | चत्वारः | आशवः | शविष्ठस्य | द्रवित्नवः | सु-रथासः | अभि | प्रयः | वक्षन् | वयः | न | तुग्र्यम् // ऋ. वे. ८,७४.१४ //
सत्यम् | इत् | त्वा | महे--नदि | परुष्णि | अव | देदिशम् | न | ईम् | आपः | अश्व-दातरः | शविष्ठात् | अस्ति | मर्त्यः // ऋ. वे. ८,७४.१५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ६:५/२४-
(ऋ. वे. ८,७५)
युक्ष्व | हि | देव-हूतमान् | अश्वान् | अग्ने | रथीः-इव | नि | होता | पूर्व्यः | सदः // ऋ. वे. ८,७५.१ //
उत | नः | देव | देवान् | अच्छ | वोचः | विदुः-तरः | श्रत् | विश्वा | वार्या | कृधि // ऋ. वे. ८,७५.२ //
त्वम् | ह | यत् | यविष्ठ्य | सहसः | सूनो इति | आहुत | ऋत-वा | यज्ञियः | भुवः // ऋ. वे. ८,७५.३ //
अयम् | अग्निः | सहस्रिणः | वाजस्य | शतिनः | पतिः | मूर्धा | कविः | रयीणाम् // ऋ. वे. ८,७५.४ //
तम् | नेमिम् | ऋभवः | यथा | आ | नमस्व | सहूति-भिः | नेदीयः | यज्ञम् | अङ्गिरः // ऋ. वे. ८,७५.५ //
//२४//.

-ऋ. वे. ६:५/२५-
तस्मै | नूनम् | अभि-द्यवे | वाचा | वि-रूप | नित्यया | वृष्णे | चोदस्व | सु-स्तुति म् // ऋ. वे. ८,७५.६ //
कम् | ॐ इति | स्वित् | अस्य | सेनया | अग्नेः | अपाक-चक्षसः | पणिम् | गोषु | स्तरामहे // ऋ. वे. ८,७५.७ //
मा | नः | देवानाम् | विशः | प्रस्नातीः-इव | उस्राः | कृशम् | न | हासुः | अघ्न्याः // ऋ. वे. ८,७५.८ //
मा | नः | समस्य | दुः-ध्यः | परि-द्वेषसः | अंहतिः | ऊर्मिः | न | नावम् | आ | वधीत् // ऋ. वे. ८,७५.९ //
नमः | ते | अग्ने | ओजसे | गृणन्ति | देव | कृष्टयः | अमैः | अमित्रम् | अर्दय // ऋ. वे. ८,७५.१० //
//२५//.

-ऋ. वे. ६:५/२६-
कुवित् | सु | नः | गो--इष्टये | अग्ने | सम्-वेषिषः | रयिम् | उरु-कृत् | उरु | नः | कृधि // ऋ. वे. ८,७५.११ //
मा | नः | अस्मिन् | महाधने | परा | वर्क | भार-भृत् | यथा | सम्-वर्गम् | सम् | रयिम् | जय // ऋ. वे. ८,७५.१२ //
अन्यम् | अस्मत् | भियै | इयम् | अग्ने | सिसक्तु | दुच्छुना | वर्ध | नः | अम-वत् | शवः // ऋ. वे. ८,७५.१३ //
यस्य | अजुषत् | नमस्विनः | शमीम् | अदुः-मखस्य | वा | तम् | घ | इत् | अग्निः | वृधा | अवति // ऋ. वे. ८,७५.१४ //
परस्याः | अधि | सम्-वतः | अवरान् | अभि | आ | तर | यत्र | अहम् | अस्मि | तान् | अव // ऋ. वे. ८,७५.१५ //
विद्म | हि | ते | पुरा | वयम् | अग्ने | पितुः | यथा | अवसः | अध | ते | सुम्नम् | ईमहे // ऋ. वे. ८,७५.१६ //
//२६//.

-ऋ. वे. ६:५/२७-
(ऋ. वे. ८,७६)
इमम् | नु | मायिनम् | हुवे | इन्द्रम् | ईशानम् | ओजसा | मरुत्वन्तम् | न वृञ्जसे // ऋ. वे. ८,७६.१ //
अयम् | इन्द्रः | मरुत्-सखा | वि | वृत्रस्य | अभिनत् | शिरः | वज्रेण | शत-पर्वणा // ऋ. वे. ८,७६.२ //
ववृधानः | मरुत्-सखा | इन्द्रः | वि | वृत्रम् | ऐरयत् | सृजन् | समुद्रियाः | अपः // ऋ. वे. ८,७६.३ //
अयम् | ह | येन | वै | इदम् | स्वः | मरुत्वता | जितम् | इन्द्रेण | सोम-पीतये // ऋ. वे. ८,७६.४ //
मरुत्वन्तम् | ऋजीषिणम् | ओजस्वन्तम् | वि-रप्शिनम् | इन्द्रम् | गीः-भिः | हवामहे // ऋ. वे. ८,७६.५ //
इन्द्रम् | प्रत्नेन | मन्मना | मरुत्वन्तम् | हवामहे | अस्य | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,७६.६ //
//२७//.

-ऋ. वे. ६:५/२८-
मरुत्वान् | इन्द्र | मीढवः | पिब | सोमम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | अस्मिन् | यज्ञे | पुरु-स्तुत // ऋ. वे. ८,७६.७ //
तुभ्य | इत् | इन्द्र | मरुत्वते | सुताः | सोमासः | अद्रि-वः | हृदा | हूयन्ते | उक्थिनः // ऋ. वे. ८,७६.८ //
पिब | इत् | इन्द्र | मरुत्-सखा | सुतम् | सोमम् | दिविष्टिषु | वज्रम् | शिशानः | ओजसा // ऋ. वे. ८,७६.९ //
उत्-तिष्ठन् | ओजसा | सह | पीत्वी | शिप्रेइति | अवेपयः | सोमम् | इन्द्र | चमू इति | सुतम् // ऋ. वे. ८,७६.१० //
अनु | त्वा | रोदसी इति | उभे
इति | क्रक्षमाणम् | अकृपेताम् | इन्द्र | यत् | दस्यु-हा | अभवः // ऋ. वे. ८,७६.११ //
वाचम् | अष्टापदीम् | अहम् | नव-स्रक्तिम् | ऋत-स्पृशम् | इन्द्रात् | परि | तन्वम् | ममे // ऋ. वे. ८,७६.१२ //
//२८//.

-ऋ. वे. ६:५/२९-
(ऋ. वे. ८,७७)
जज्ञानः | नु | शत-क्रतुः | वि | पृच्छत् | इति | मातरम् | के | उग्राः | के | ह | शृण्विरे // ऋ. वे. ८,७७.१ //
आत् | ईम् | शवसी | अब्रवीत् | और्ण-वाभम् | अहीशुवम् | ते | पुत्र | सन्तु | निः-तुरः // ऋ. वे. ८,७७.२ //
सम् | इत् | तान् | वृत्र-हा | अखिदत् | खे | अरान्-इव | खेदया | प्र-वृद्धः | दस्युहा | अभवत् // ऋ. वे. ८,७७.३ //
एकया | प्रति-धा | अपिबत् | साकम् | सरांसि | त्रिंशतम् | इन्द्रः | सोमस्य | काणुका // ऋ. वे. ८,७७.४ //
अभि | गन्धर्वम् | अतृणत् | अबुध्नेषु | रजः-सु | आ | इन्द्रः | ब्रह्म-भ्यः | इत् | वृधे // ऋ. वे. ८,७७.५ //
//२९//.

-ऋ. वे. ६:५/३०-
निः | अविध्यत् | गिरि-भ्यः | आ | धारयत् | पक्वम् | ओदनम् | इन्द्रः | बुन्दम् | सु-आततम् // ऋ. वे. ८,७७.६ //
शत-ब्रध्नः | इषुः | तव | सहस्र-पर्णः | एकः | इत् | यम् | इन्द्र | चकृषे | युजम् // ऋ. वे. ८,७७.७ //
तेन | स्तोतृ-भ्यः | आ | भर | नृ-भ्यः | नारि-भ्यः | अत्तवे | सद्यः | जातः | ऋभु-स्थिर // ऋ. वे. ८,७७.८ //
एता | च्यौत्नानि | ते | कृता | वर्षिष्ठानि | परीणसा | हृदा | वीऌउ | अधारयः // ऋ. वे. ८,७७.९ //
विश्वा | इत् | ता | विष्णुः | आ | अभरत् | उरु-क्रमः | त्वाइषितः | शतम् | महिषान् | क्षीर-पाकम् | ओदनम् | वराहम् | इन्द्रः | एमुषम् // ऋ. वे. ८,७७.१० //
तुवि-क्षम् | ते | सु-कृतम् | सु-मयम् | धनुः | साधुः | बुन्दः | हिरण्ययः | उभा | ते | बाहू इति | रण्या | सु-संस्कृता | ऋदु-पे | चित् | ऋदु-वृधा // ऋ. वे. ८,७७.११ //
//३०//.

-ऋ. वे. ६:५/३१-
(ऋ. वे. ८,७८)
पुरोऌआशम् | नः | अन्धसः | इन्द्र | सहस्रम् | आ | भर | शता | च | शूर | गोनाम् // ऋ. वे. ८,७८.१ //
आ | नः | भर | वि-अञ्जनम् | गाम् | अश्वम् | अभि-अञ्जनम् | सचा | मना | हिरण्यया // ऋ. वे. ८,७८.२ //
उत | नः | कर्ण-शोभना | पुरूणि | धृष्णो
इति | आ | भर | त्वम् | हि | शृण्विषे | वसो इति // ऋ. वे. ८,७८.३ //
नकीम् | वृधीकः | इन्द्र | ते | न | सु-साः | न | सु-दाः | उत | न | अन्यः | त्वत् | शूर | वाघतः // ऋ. वे. ८,७८.४ //
नकीम् | इन्द्रः | नि-कर्तवे | न | शक्रः | परि-शक्तवे | विश्वम् | शृणोति | पश्यति // ऋ. वे. ८,७८.५ //
//३१//.

-ऋ. वे. ६:५/३२-
सः | मन्युम् | मर्त्यानाम् | अदब्धः | नि | चिकीषते | पुरा | निदः | चिकीषते // ऋ. वे. ८,७८.६ //
क्रत्वः | इत् | पूर्णम् | उदरम् | तुरस्य | अस्ति | विधतः | वृत्र-घ्नः | सोम-पाव्नः // ऋ. वे. ८,७८.७ //
त्वे इति | वसूनि | सम्-गता | विश्वा | च | सोम | सौभगा | सु-दातु | अपरि-ह्वृता // ऋ. वे. ८,७८.८ //
त्वाम् | इत् | यव-युः | मम | कामः | गव्युः | हिरण्ययुः | त्वाम् | अश्व-युः | आ | ईषते // ऋ. वे. ८,७८.९ //
तव | इत् | इन्द्र | अहम् | आशसा | हस्ते | दात्रम् | चन | आ | ददे | दिनस्य | वा | मघ-वन् | सम्-भृतस्य | वा | पूर्धि | यवस्य | काशिना // ऋ. वे. ८,७८.१० //
//३२//.

-ऋ. वे. ६:५/३३-
(ऋ. वे. ८,७९)
अयम् | कृत्नुः | अगृभीतः | विश्व-जित् | उत्-भित् | इत् | सोमः | ऋषिः | विप्रः | काव्येन // ऋ. वे. ८,७९.१ //
अभि | ऊर्णोति | यत् | नग्नम् | भिषक्ति | विश्वम् | यत् | तुरम् | प्र | ईम् | अन्धः | ख्यत् | निः | श्रोणः | भूत् // ऋ. वे. ८,७९.२ //
त्वम् | सोम | तनूकृत्-भ्यः | द्वेषः-भ्यः | अन्य-कृतेभ्यः | उरु | यन्ता | असि | वरूथम् // ऋ. वे. ८,७९.३ //
त्वम् | चित्ती | तव | दक्षैः | दिवः | आ | पृथिव्याः | ऋजीषिन् | यावीः | अघस्य | चित् | द्वेषः // ऋ. वे. ८,७९.४ //
अर्थिनः | यन्ति | च | इत् | अर्थम् | गच्छान् | इत् | ददुषः | रातिम् | ववृज्युः | तृष्यतः | कामम् // ऋ. वे. ८,७९.५ //
//३३//.

-ऋ. वे. ६:५/३४-
विदत् | यत् | पूर्व्यम् | नष्टम् | उत् | ईम् | ऋत-युम् | ईरयत् | प्र | ईम् | आयुः | तारीत् | अतीर्णम् // ऋ. वे. ८,७९.६ //
सु-शेवः | नः | मृऌअयाकुः | अदृप्त-क्रतुः | अवातः | भव | नः | सोम | शम् | हृदे // ऋ. वे. ८,७९.७ //
मा | नः | सोम | सम् | वीविजः | मा | वि | बीभिषथा | राजन् | मा | नः | हार्दि | त्विषा | वधीः // ऋ. वे. ८,७९.८ //
अव | यत् | स्वे | सध-स्थे | देवानाम् | दुः-मतीः | ईक्षे | राजन् | अप | द्विषः | सेध | मीढवः | अप | स्रिधः | सेध // ऋ. वे. ८,७९.९ //
//३४//.

-ऋ. वे. ६:५/३५-
(ऋ. वे. ८,८०)
नहि | अन्यम् | बला | अकरम् | मर्डितारम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | त्वम् | नः | इन्द्र | मृऌअय // ऋ. वे. ८,८०.१ //
यः | नः | शश्वत् | पुरा | आविथ | अमृध्रः | वाज-सातये | सः | त्वम् | नः | इन्द्र | मृऌअय // ऋ. वे. ८,८०.२ //
किम् | अङ्ग | रध्र-चोदनः | सुन्वानस्य | अविता | इत् | असि | कुवित् | सु | इन्द्र | णः | शकः // ऋ. वे. ८,८०.३ //
इन्द्र | प्र | नः | रथम् | अव | पश्चात् | चित् | सन्तम् | अद्रि-वः | पुरस्तात् | एनम् | मे | कृधि // ऋ. वे. ८,८०.४ //
हन्तो इति | नु | किम् | आससे | प्रथमम् | नः | रथम् | कृधि | उप-मम् | वाज-यु | श्रवः // ऋ. वे. ८,८०.५ //
//३५//.

-ऋ. वे. ६:५/३६-
अव | नः | वाज-युम् | रथम् | सु-करम् | ते | किम् | इत् | परि | अस्मान् | सु | जिग्युषः | कृधि // ऋ. वे. ८,८०.६ //
इन्द्र | दृह्यस्व | पूः | असि | भद्रा | ते | एति | निः-कृतम् | इयम् | धीः | ऋत्विय-वती // ऋ. वे. ८,८०.७ //
मा | सीम् | अवद्ये | आ | भाक् | उर्वी | काष्ठा | हितम् | धनम् | अप-आवृक्ताः | अरत्नयः // ऋ. वे. ८,८०.८ //
तुरीयम् | नाम | यज्ञियम् | यदा | करः | तत् | उश्मसि | आत् | इत् | पतिः | नः | ओहसे // ऋ. वे. ८,८०.९ //
अवीवृधत् | वः | अमृताः | अमन्दीत् | एक-द्यूः | देवाः | उत | याः | च | देवीः | तस्मै | ॐ इति | राधः | कृणुत | प्र-शस्तम् | प्रातः | मक्षु | धियावसुः | जगम्यात् // ऋ. वे. ८,८०.१० //
//३६//.

-ऋ. वे. ६:५/३७-
(ऋ. वे. ८,८१)
आ | तु | नः | इन्द्र | क्षु-मन्तम् | चित्रम् | ग्राभम् | सम् | गृभय | महाहस्ती | दक्षिणेन // ऋ. वे. ८,८१.१ //
विद्म | हि | त्वा | तुवि-कूर्मिम् | तुवि-देष्णम् | तुवी-मघम् | तुवि-मात्रम् | अवः-भि ः // ऋ. वे. ८,८१.२ //
नहि | त्वा | शूर | देवाः | न | मर्तासः | दित्सन्तम् | भीमम् | न | गाम् | वारयन्ते // ऋ. वे. ८,८१.३ //
एतो इति | नु | इन्द्रम् | स्तवाम | ईशानम् | वस्वः | स्व-राजम् | न | राधसा | मर्धिषत् | नः // ऋ. वे. ८,८१.४ //
प्र | स्तोषत् | उप | गासिषत् | श्रवत् | साम | गीयमानम् | अभि | राधसा | जुगुरत् // ऋ. वे. ८,८१.५ //
//३७//.

-ऋ. वे. ६:५/३८-
आ | नः | भर | दक्षिणेन | अभि | सव्येन | प्र | मृश | इन्द्र | मा | नः | वसोः | निः | भाक् // ऋ. वे. ८,८१.६ //
उप | क्रमस्व | आ | भर | धृषता | धृष्णो इति | जनानाम् | अदाशूः-तरस्य | वेदः // ऋ. वे. ८,८१.७ //
इन्द्र | यः | ॐ इति | नु | ते | अस्ति | वाजः | विप्रेभिः | सनित्वः | अस्माभिः | सु | तम् | सनुहि // ऋ. वे. ८,८१.८ //
सद्यः-जुवः | ते | वाजाः | अस्मभ्यम् | विश्व-चन्द्राः | वशैः | च | मक्षु | जरन्ते // ऋ. वे. ८,८१.९ //
//३८//.




-ऋ. वे. ६:६/१-
(ऋ. वे. ८,८२)
आ | प्र | द्रव | परावतः | अर्वावतः | च | वृत्र-हन् | मध्वः | प्रति | प्र-भर्मणि // ऋ. वे. ८,८२.१ //
तीव्राः | सोमासः | आ | गहि | सुतासः | मादयिष्णवः | पिब | दधृक् | यथा | ओचिषे // ऋ. वे. ८,८२.२ //
इषा | मन्दस्व | आत् | ॐ इति | ते | अरम् | वराय | मन्यवे | भुवत् | ते | इन्द्र | शम् | हृदे // ऋ. वे. ८,८२.३ //
आ | तु | असत्रो इति | आ | गहि | नि | उक्थानि | च | हूयस्चे | उप-मे | रोचने | दिवः // ऋ. वे. ८,८२.४ //
तुभ्य | अयम् | अद्रि-भिः | सुतः | गोभिः | श्रीतः | मदाय | कम् | प्र | सोमः | इन्द्र | हूयते // ऋ. वे. ८,८२.५ //
//१//.

-ऋ. वे. ६:६/२-
इन्द्र | श्रुधि | सु | मे | हवम् | अस्मे इति | सुतस्य | गो--मतः | वि | पीतिम् | तृप्तिम् | अश्नुहि // ऋ. वे. ८,८२.६ //
यः | इन्द्र | चमसेषु | आ | सोमः | चमूषु | ते | सुतः | पिब | इत् | अस्य | त्वम् | ईशिषे // ऋ. वे. ८,८२.७ //
यः | अप्-सु | चन्द्रमाः-इव | सोमः | चमूषु | ददृशे | पिब | इत् | अस्य | त्वम् | ईशिषे // ऋ. वे. ८,८२.८ //
यम् | ते | श्येनः | पदा | अभरत् | तिरः | रजांसि | अस्पृतम् | पिब | इत् | अस्य | त्वम् | ईशिषे // ऋ. वे. ८,८२.९ //
//२//.

-ऋ. वे. ६:६/३-
(ऋ. वे. ८,८३)
देवानाम् | इत् | अवः | महत् | तत् | आ | वृणीमहे | वयम् | वृष्णाम् | अस्मभ्यम् | ऊतये // ऋ. वे. ८,८३.१ //
ते | नः | सन्तु | युजः | सदा | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | वृधासः | च | प्र-चेतसः // ऋ. वे. ८,८३.२ //
अति | नः | विष्पिता | पुरु | नौभिः | अपः | न | पर्षथ | यूयम् | ऋतस्य | रथ्य्शः // ऋ. वे. ८,८३.३ //
वामम् | नः | अस्तु | अर्यमन् | वामम् | वरुण | शंस्यम् | वामम् | हि | आवृणीमहे // ऋ. वे. ८,८३.४ //
वामस्य | हि | प्र-चेतसः | ईशानासः | रिशादसः | न | ईम् | आदित्याः | अघस्ययत् // ऋ. वे. ८,८३.५ //
//३//.

-ऋ. वे. ६:६/४-
वयम् | इत् | वः | सु-दानवः | क्षियन्तः | यान्तः | अध्वन् | आ | देवाः | वृधाय | हूमहे // ऋ. वे. ८,८३.६ //
अधि | नः | इन्द्र | एषाम् | विष्णो इति | स-जात्यानाम् | इत | मरुतः | अश्विना // ऋ. वे. ८,८३.७ //
प्र | भ्रातृत्-वम् | सु-दानवः | अध | द्विता | समान्या | मातुः | गर्भे | भरामहे // ऋ. वे. ८,८३.८ //
यूयम् | हि | स्थ | सु-दानवः | इन्द्र-ज्येष्ठाः | अभि-द्यवः | अध | चित् | वः | उत | ब्रुवे // ऋ. वे. ८,८३.९ //
//४//.

-ऋ. वे. ६:६/५-
(ऋ. वे. ८,८४)
प्रेष्ठम् | वः | अतिथिम् | स्तुषे | मित्रम्-इव | प्रियम् | अग्निम् | रथम् | न | वेद्यम् // ऋ. वे. ८,८४.१ //
कविम्-इव | प्र-चेतसम् | यम् | देवासः | अध | द्विता | नि | मर्त्येषु | आदधुः // ऋ. वे. ८,८४.२ //
त्वम् | यविष्ठ | दाशुषः | नॄन् | पाहि | शृणुधि | गिरः | रक्ष | तोकम् | उत | त्मना // ऋ. वे. ८,८४.३ //
कया | ते | अग्ने | अङ्गिरः | ऊर्जः | नपात् | उप-स्तुतिम् | वराय | देव | मन्यवे // ऋ. वे. ८,८४.४ //
दाशेम | कस्य | मनसा | यज्ञस्य | सहसः | यहो इति | कत् | ॐ इति | वोचे | इदम् | नमः // ऋ. वे. ८,८४.५ //
//५//.

-ऋ. वे. ६:६/६-
अध | त्वम् | हि | नः | करः | विश्वाः | अस्मभ्यम् | सु-क्षितीः | वाज-द्रविणसः | गिरः // ऋ. वे. ८,८४.६ //
कस्य | नूनम् | परीणसः | धियः | जिन्वसि | दम्-पते | गो--साता | यस्य | ते | गिरः // ऋ. वे. ८,८४.७ //
तम् | मर्जयन्त | सु-क्रतुम् | पुरः-यावानम् | आजिषु | स्वेषु | क्षयेषु | वाजिनम् // ऋ. वे. ८,८४.८ //
क्षेति | क्षेमेभिः | साधु-भिः | नकिः | यम् | घ्नन्ति | हन्ति | यः | अग्ने | सु-वीरः | एधते // ऋ. वे. ८,८४.९ //
//६//.

-ऋ. वे. ६:६/७-
(ऋ. वे. ८,८५)
आ | मे | हवम् | नासत्या | अश्विना | गच्छतम् | युवम् | मध्वः | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,८५.१ //
इमम् | मे | स्तोमम् | अश्विना | इमम् | मे | शृणुतम् | हवम् | मध्वः | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,८५.२ //
अयम् | वाम् | कृष्णः | अश्विना | हवते | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | मध्वः | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,८५.३ //
शृणुतम् | जरितुः | हवम् | कृष्णस्य | स्तुवतः | नरा | मध्वः | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,८५.४ //
छर्दिः | यन्तम् | अदाभ्यम् | विप्राय | स्तुवते | नरा | मध्वः | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,८५.५ //
//७//.

-ऋ. वे. ६:६/८-
गच्छतम् | दाशुषः | गृहम् | इत्था | स्तुवतः | अश्विना | मध्वः | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,८५.६ //
युञ्जाथाम् | रासभम् | रथे | वीऌउ-अङ्गे | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू | मध्वः | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,८५.७ //
त्रि-वन्धुरेण | त्रि-वृता | रथेन | आ | यातम् | अश्विना | मध्वः | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,८५.८ //
नु | मे | गिरः | नासत्या | अश्विना | प्र | अवतम् | युवम् | मध्वः | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,८५.९ //
//८//.

-ऋ. वे. ६:६/९-
(ऋ. वे. ८,८६)
उभा | हि | दस्रा | भिषजा | मयः-भुवा | उभा | दक्षस्य | वचसः | बभूवथुः | ता | वाम् | विश्वकः | हवते | तनू-कृथे | मा | नः | वि | यौष्टम् | सख्या | मुमोचतम् // ऋ. वे. ८,८६.१ //
कथा | नूनम् | वाम् | वि-मनाः | उप | स्तवत् | युवम् | धियम् | ददथुः | वस्यः-इष्टये | ता | वाम् | विश्वकः | हवते | तनू-कृथे | मा | नः | वि | यौष्टम् | सख्या | मुमोचतम् // ऋ. वे. ८,८६.२ //
युवम् | हि | स्म | पुरु-भुजा | इमम् | एधतुम् | विष्णाप्वे | ददथुः | वस्यः-इष्टये | ता | वाम् | विश्वकः | हवते | तनू-कृथे | मा | नः | वि | यौष्टम् | सख्या | मुमोचतम् // ऋ. वे. ८,८६.३ //
उत | त्यम् | वीरम् | धन-साम् | ऋजीषिणम् | दूरे | चित् | सन्तम् | अवसे | हवामहे | यस्य | स्वादिष्ठा | सु-मतिः | पितुः | यथा | मा | नः | वि | यौष्टम् | सख्या | मुमोचतम् // ऋ. वे. ८,८६.४ //
ऋतेन | देवः | सविता | शम्-आयते | ऋतस्य | शृङ्गम् | उर्विया | वि | पप्रथे | ऋतम् | ससाह | महि | चित् | पृतन्यतः | मा | नः | वि | यौष्टम् | सख्या | मुमोचतम् // ऋ. वे. ८,८६.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ६:६/१०-
(ऋ. वे. ८,८७)
द्युम्नी | वाम् | स्तोमः | अश्विना | क्रिविः | न | सेके | आ | गतम् | मध्वः | सुतस्य | सः | दिवि | प्रियः | नरा | पातम् | गौरौ-इव | इरिणे // ऋ. वे. ८,८७.१ //
पिबतम् | घर्मम् | मधु-मन्तम् | अश्विना | आ | बर्हिः | सीदतम् | नरा | ता | मन्दसाना | मनुषः | दुरोणे | आ | नि | पाचम् | वेदसा | वयः // ऋ. वे. ८,८७.२ //
आ | वाम् | विश्वाभिः | ऊति-भिः | प्रिय-मेधाः | अहूषत | ता | वर्तिः | यातम् | उप | वृक्त-बर्हिषः | जुष्टम् | यज्ञम् | दिविष्टिषु // ऋ. वे. ८,८७.३ //
पिबतम् | सोमम् | मधु-मन्तम् | अश्विना | आ | बर्हिः | सीदतम् | सु-मत् | ता | ववृधानौ | उप | सु-स्तुतिम् | दिवः | गन्तम् | गौरौ-इव | इरिणम् // ऋ. वे. ८,८७.४ //
आ | नूनम् | यातम् | अश्विना | अश्वेभिः | प्रुषितप्सु-भिः | दस्रा | हिरण्यवर्तनी इतिहिरण्य-वर्तनी | शुभः | पती इति | पातम् | सोमम् | ऋत-वृधा // ऋ. वे. ८,८७.५ //
वयम् | हि | वाम् | हवामहे | विपन्यवः | विप्रासः | वाज-सातये | ता | वल्गू इति | दस्रा | पुरु-दंससा | धिया | अश्विना | श्रुष्टी | आ | गतम् // ऋ. वे. ८,८७.६ //
//१०//.

-ऋ. वे. ६:६/११-
(ऋ. वे. ८,८८)
तम् | वः | दस्मम् | ऋति-सहम् | वसोः | मन्दानम् | अन्धसः | अभि | वत्सम् | न | स्वसरेषु | धेनवः | इन्द्रम् | गीः-भिः | नवामहे // ऋ. वे. ८,८८.१ //
द्युक्षम् | सु-दानुम् | तविषीभिः | आवृतम् | गिरिम् | न | पुरु-भोजसम् | क्षु-मन्तम् | वाजम् | शतिनम् | सहस्रिणम् | मक्षु | गो--मन्तम् | ईमहे // ऋ. वे. ८,८८.२ //
न | त्वा | बृहन्तः | अद्रयः | वरन्ते | इन्द्र | वीऌअवः | यत् | दित्ससि | स्तुवते | मावते | वसु | नकिः | तत् | आ | मिनाति | ते // ऋ. वे. ८,८८.३ //
योद्धा | असि | क्रत्वा | शवसा | उत | दंसना | विश्वा | जाता | अभि | मज्मना | आ | त्वा | अयम् | अर्कः | ऊतये | ववर्तति | यम् | गोतमाः | अजीजनन् // ऋ. वे. ८,८८.४ //
प्र | हि | रिरिक्षे | ओजसा | दिवः | अन्तेभ्यः | परि | न | त्वा | विव्याच | रजः | इन्द्र | पार्थिवम् | अनु | स्वधाम् | ववक्षिथ // ऋ. वे. ८,८८.५ //
नकिः | परिष्टिः | मघ-वन् | मघस्य | ते | यत् | दाशुषे | दशस्यसि | अस्माकम् | बोधि | उचथस्य | चोदिता | मंहिष्ठः | वाज-सातये // ऋ. वे. ८,८८.६ //
//११//.

-ऋ. वे. ६:६/१२-
(ऋ. वे. ८,८९)
बृहत् | इन्द्राय | गायत | मरुतः | वृत्रहम्-तमम् | येन | ज्योतिः | अजनयन् | ऋत-वृधः | देवम् | देवाय | जागृवि // ऋ. वे. ८,८९.१ //
अप | अधमत् | अभि-शस्तीः | अशस्ति-हा | अथ | इन्द्रः | द्युम्नी | आ | अभवत् | देवाः | ते | इन्द्र | सख्याययेमिरे | बृहद्भानो इतिबृहत्-भानो | मरुत्-गण // ऋ. वे. ८,८९.२ //
प्र | वः | इन्द्राय | बृहते | मरुतः | ब्रह्म | अर्चत | वृत्रम् | हनति | वृत्र-हा | शत-क्रतुः | वज्रेण | शत-पर्वणा // ऋ. वे. ८,८९.३ //
अभि | प्र | भर | धृषता | धृषत्-मनः | श्रवः | चित् | ते | असत् | बृहत् | अर्षन्तु | आपः | जवसा | वि | मातरः | हनः | वृत्रम् | जय | स्वः // ऋ. वे. ८,८९.४ //
यत् | जायथ | अपूर्व्य | मघ-वन् | वृत्र-हत्याय | तत् | पृथिवीम् | अप्रथयः | तत् | अस्तभ्नाः | उत | द्याम् // ऋ. वे. ८,८९.५ //
तत् | ते | यज्ञः | अजायत | तत् | अर्कः | उत | हस्कृतिः | तत् | विश्वम् | अभि-भूः | अस् इ | यत् | जातम् | यत् | च | जन्त्वम् // ऋ. वे. ८,८९.६ //
आमासु | पक्वम् | ऐरयः | आ | सूर्यम् | रोहयः | दिवि | घर्मम् | न | सामन् | तपत | सुवृक्ति-भिः | जुष्टम् | गिर्वणसे | बृहत् // ऋ. वे. ८,८९.७ //
//१२//.

-ऋ. वे. ६:६/१३-
(ऋ. वे. ८,९०)
आ | नः | विश्वासु | हव्यः | इन्द्रः | समत्-सु | भूषतु | उप | ब्रह्माणि | सवनानि | वृत्र-हा | परम-ज्याः | ऋचीषमः // ऋ. वे. ८,९०.१ //
त्वम् | दाता | प्रथमः | राधसाम् | असि | असि | सत्यः | ईशान-कृत् | तुवि-द्युम्नस्य | युज्या | आ | वृणीमहे | पुत्रस्य | शवसः | महः // ऋ. वे. ८,९०.२ //
ब्रह्म | ते | इन्द्र | गिर्वणः | क्रियन्ते | अनतिद्भुता | इमा | जुषस्व | हरि-अश्व | योजना | इन्द्र | या | ते | अमन्महि // ऋ. वे. ८,९०.३ //
त्वम् | हि | सत्यः | मघ-वन् | अनानतः | वृत्रा | भूरि | नि-ऋञ्जसे | सः | त्वम् | शविष्ठ | वज्र-हस्त | दाशुषे | अर्वाञ्चम् | रयिम् | आ | कृधि // ऋ. वे. ८,९०.४ //
त्वम् | इन्द्र | यशाः | असि | ऋजीषी | शवसः | पते | त्वम् | वृत्राणि | हंसि | अप्रतीनि | एकः | इत् | अनुत्ता | चर्षणि-धृता // ऋ. वे. ८,९०.५ //
तम् | ॐ इति | त्वा | नूनम् | असुर | प्र-चेतसम् | राधः | भागम्-इव | ईमहे | मही-इव | कृत्तिः | शरणा | ते | इन्द्र | प्र | ते | सुम्ना | नः | अश्नवत् // ऋ. वे. ८,९०.६ //
//१३//.

-ऋ. वे. ६:६/१४-
(ऋ. वे. ८,९१)
कन्या | वाः | आव-यती | सोमम् | अपि | स्रुता | अविदत् | अस्तम् | भरन्ती | अब्रवीत् | इन्द्राय | सुनवै | त्वा | शक्राय | सुनवै | त्वा // ऋ. वे. ८,९१.१ //
असौ | यः | एषि | वीरकः | गृहम्-गृहम् | वि-चाकशत् | इमम् | जम्भ-सुतम् | पिब | धानावन्तम् | करम्भिणम् | अपूप-वन्तम् | उक्थिनम् // ऋ. वे. ८,९१.२ //
आ | चन | त्वा | चिकित्सामः | अधि | चन | त्वा | न | इमसि | शनैः-इव | शनकैः-इव | इन्द्राय | इन्दो इति | परि | स्रव // ऋ. वे. ८,९१.३ //
कुवित् | शकत् | कुवित् | करत् | कुवित् | नः | वस्यसः | करत् | कुवित् | पति-द्विषः | यतीः | इन्द्रेण | सम्-गमामहै // ऋ. वे. ८,९१.४ //
इमानि | त्रीणि | विष्टपा | तानि | इन्द्र | वि | रोहय | शिरः | ततस्य | उर्वराम् | आत् | इदम् | मे | उप | उदरे // ऋ. वे. ८,९१.५ //
असौ | च | या | नः | उर्वरा | आत् | इमाम् | तन्वम् | मम | अथो इति | ततस्य | यत् | शिरः | सर्वा | ता | रोमशा | कृधि // ऋ. वे. ८,९१.६ //
खे | रथस्य | खे | अनसः | खे | युगस्य | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | अपालाम् | इन्द्र | त्रिः | पूत्वी | अकृणोः | सूर्य-त्वचम् // ऋ. वे. ८,९१.७ //
//१४//.

-ऋ. वे. ६:६/१५-
(ऋ. वे. ८,९२)
पान्तम् | आ | वः | अन्धसः | इन्द्रम् | अभि | प्र | गायत | विश्व-सहम् | शत-क्रतुम् | मंहिष्ठम् | चर्षणीनाम् // ऋ. वे. ८,९२.१ //
पुरु-हूतम् | पुरु-स्तुतम् | गाथान्यम् | सन-श्रुतम् | इन्द्रः | इति | ब्रवीतन // ऋ. वे. ८,९२.२ //
इन्द्रः | इत् | नः | महानाम् | दता | वाजानाम् | नृतुः | महान् | अभि-ज्ञु | आ | यमत् // ऋ. वे. ८,९२.३ //
अपात् | ॐ
इति | शिप्री | अन्धसः | सु-दक्षस्य | प्र-होषिणः | इन्दोः | इन्द्रः | यव-आशिरः // ऋ. वे. ८,९२.४ //
तम् | ॐ इति | अभि | प्र | अर्चत | इन्द्रम् | सोमस्य | पीतये | तत् | इत् | हि | अस्य | वर्धनम् // ऋ. वे. ८,९२.५ //
//१५//.

-ऋ. वे. ६:६/१६-
अस्य | पीत्वा | मदानाम् | देवः | देवस्य | ओजसा | विश्वा | अभि | भुवना | भुवत् // ऋ. वे. ८,९२.६ //
त्यम् | ॐ इति | वः | सत्रासहम् | विश्वासु | गीर्षु | आयतम् | आ | च्यवयसि | ऊतये // ऋ. वे. ८,९२.७ //
युध्मम् | सन्तम् | अनर्वाणम् | सोम-पाम् | अनप-च्युतम् | नरम् | अवार्य-क्रतुम् // ऋ. वे. ८,९२.८ //
शिक्ष | नः | इन्द्र | रायः | आ | पुरु | विद्वान् | ऋचीषम | अव | नः | पार्ये | धने // ऋ. वे. ८,९२.९ //
अतः | चित् | इन्द्र | नः | उप | आ | याहि | शत-वाजया | इषा | सहस्र-वाजया // ऋ. वे. ८,९२.१० //
//१६//.

-ऋ. वे. ६:६/१७-
अयाम | धी-वतः | धियः | अर्वत्-भिः | शक्र | गो--दरे | जयेम | पृत्-सु | वज्र् इ-वः // ऋ. वे. ८,९२.११ //
वयम् | ॐ इति | त्वा | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | गावः | न | यवसेषु | आ | उक्थेषु | रणयामसि // ऋ. वे. ८,९२.१२ //
विश्वा | हि | मर्त्य-त्वना | अनु-कामा | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | अगन्म | वज्रिन् | आशसः // ऋ. वे. ८,९२.१३ //
त्वे इति | सु | पुत्र | शवसः | अवृत्रन् | काम-कातयः | न | त्वाम् | इन्द्र | अति | रिच्यते // ऋ. वे. ८,९२.१४ //
सः | नः | वृषन् | सनिष्ठया | सम् | घोरया | द्रवित्न्वा | धिया | अविड्ढि | पुरम्-ध्या // ऋ. वे. ८,९२.१५ //
//१७//.

-ऋ. वे. ६:६/१८-
यः | ते | नूनम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | इन्द्र | द्युम्नि-तमः | मदः | तेन | नूनम् | मदे | मदेः // ऋ. वे. ८,९२.१६ //
यः | ते | चित्रश्रवः-तमः | यः | इन्द्र | वृत्रहन्-तमः | यः | ओजः-दातमः | मदः // ऋ. वे. ८,९२.१७ //
विद्म | हि | यः | ते | अद्रि-वः | त्वादत्तः | सत्य | सोम-पाः | विश्वासु | दस्म | कृष्टिषु // ऋ. वे. ८,९२.१८ //
इन्द्राय | मद्वने | सुतम् | परि | स्तोभन्तु | नः | गिरः | अर्कम् | अर्चन्तु | कारवः // ऋ. वे. ८,९२.१९ //
यस्मिन् | विश्वाः | अधि | श्रियः | रणन्ति | सप्त | सम्-सदः | इन्द्रम् | सुते | हवामहे // ऋ. वे. ८,९२.२० //
//१८//.

-ऋ. वे. ६:६/१९-
त्रि-कद्रुकेषु | चेतनम् | देवासः | यज्ञम् | अत्नत | तम् | इत् | वर्धन्तु | नः | गिरः // ऋ. वे. ८,९२.२१ //
आ | त्वा | विशन्तु | इन्दवः | समुद्रम्-इव | सिन्धवः | न | त्वाम् | इन्द्र | अति | रिच्यते // ऋ. वे. ८,९२.२२ //
विव्यक्थ | महिना | वृषन् | भक्षम् | सोमस्य | जागृवे | यः | इन्द्र | जठरेषु | ते // ऋ. वे. ८,९२.२३ //
अरम् | ते | इन्द्र | कुक्षये | सोमः | भवतु | वृत्र-हन् | अरम् | धाम-भ्यः | इन्दवः // ऋ. वे. ८,९२.२४ //
अरम् | अश्वाय | गायति | श्रुत-कक्षः | अरम् | गवे | अरम् | इन्द्रस्य | धाम्ने // ऋ. वे. ८,९२.२५ //
अरम् | हि | स्म | सुतेषु | नः | सोमेषु | इन्द्र | भूषसि | अरम् | ते | शक्र | दावने // ऋ. वे. ८,९२.२६ //
//१९//.

-ऋ. वे. ६:६/२०-
पराकात्तात् | चित् | अद्रि-वः | त्वाम् | नक्षन्त | नः | गिरः | अरम् | गमाम | ते | वयम् // ऋ. वे. ८,९२.२७ //
एव | हि | असि | वीर-युः | एव | शूरः | उत | स्थिरः | एव | ते | राध्यम् | मनः // ऋ. वे. ८,९२.२८ //
एव | रातिः | तुवि-मघ | विश्वेभिः | धायि | धातृ-भिः | अध | चित् | इन्द्र | मे | सचा // ऋ. वे. ८,९२.२९ //
मो इति | सु | ब्रह्माइव | तन्द्रयुः | भुवः | वाजानाम् | पते | मत्स्व | सुतस्य | गो--मतः // ऋ. वे. ८,९२.३० //
मा | नः | इन्द्र | अभि | आदिशः | सूरः | अक्तुषु | आ | यमन् | त्वा | युजा | वनेम | तत् // ऋ. वे. ८,९२.३१ //
त्वया | इत् | इन्द्र | युजा | वयम् | प्रति | ब्रुवीमहि | स्पृधः | त्वम् | अस्माकम् | तव | स्मसि // ऋ. वे. ८,९२.३२ //
त्वाम् | इत् | हि | त्वायवः | अनु-नोनुवतः | चरान् | सखायः | इन्द्र | कारवः // ऋ. वे. ८,९२.३३ //
//२०//.

-ऋ. वे. ६:६/२१-
(ऋ. वे. ८,९३)
उत् | घ | इत् | अभि | श्रुत-मघम् | वृषभम् | नर्य-अपसम् | अस्तारम् | एषि | सूयर् // ऋ. वे. ८,९३.१ //
नव | यः | नवतिम् | पुरः | बिभेद | बाहु-ओजसा | अहिम् | च | वृत्र-हा | अवधीत् // ऋ. वे. ८,९३.२ //
सः | नः | इन्द्रः | शिवः | सखा | अश्व-वत् | गो--मत् | यव-मत् | उरुधाराइव | दोहते // ऋ. वे. ८,९३.३ //
यत् | अद्य | कत् | च | वृत्र-हन् | उत्-अगाः | अभि | सूर्य | सर्वम् | तत् | इन्द्र | ते | वशे // ऋ. वे. ८,९३.४ //
यत् | वा | प्र-वृद्ध | सत्-पते | न | मरै | इति | मन्यसे | उतो इति | तत् | सत्यम् | इत् | तव // ऋ. वे. ८,९३.५ //
//२१//.

-ऋ. वे. ६:६/२२-
ये | सोमासः | परावति | ये | अर्वावति | सुन्विरे | सर्वान् | तान् | इन्द्र | गच्छसि // ऋ. वे. ८,९३.६ //
तम् | इन्द्रम् | वाजयामसि | महे | वृत्राय | हन्तवे | सः | वृषा | वृषभः | भुवत् // ऋ. वे. ८,९३.७ //
इन्द्रः | सः | दामने | कृतः | ओजिष्ठः | सः | मदे | हितः | द्युम्नी | श्लोकी | सः | सोम्यः // ऋ. वे. ८,९३.८ //
गिरा | वज्रः | न | सम्-भृतः | स-बलः | अनप-च्युतः | ववक्षे | ऋष्वः | अस्तृतः // ऋ. वे. ८,९३.९ //
दुः-गे | चित् | नः | सु-गम् | कृधि | गृणानः | इन्द्र | गिर्वणः | त्वम् | च | मघ-वन् | वशः // ऋ. वे. ८,९३.१० //
//२२//.

-ऋ. वे. ६:६/२३-
यस्य | ते | नु | चित् | आदिशम् | न | मिनन्ति | स्व-राज्यम् | न | देवः | न | अध्रि-गुः | जनः // ऋ. वे. ८,९३.११ //
अध | ते | अप्रति-स्कुतम् | देवी इति | शुष्मम् | सपर्यतः | उभे इति | सु-शिप्र | रोदसिइति // ऋ. वे. ८,९३.१२ //
त्वम् | एतत् | अधारयः | कृष्णासु | रोहिणीषु | च | परुष्णीषु | रुशत् | पयः // ऋ. वे. ८,९३.१३ //
वि | यत् | अहे | अध | त्विषः | विश्वे | देवासः | अक्रमुः | विदत् | मृगस्य | तान् | अमः // ऋ. वे. ८,९३.१४ //
आत् | ॐ इति | मे | नि-वरः | भुवत् | वृत्र-हा | अदिष्ट | पैंस्यम् | अजात-शत्रुः | अस्तृतः // ऋ. वे. ८,९३.१५ //
//२३//.

-ऋ. वे. ६:६/२४-
श्रुतम् | वः | वृत्रहन्-तमम् प्र शर्धञ् चर्षणीनाम् | आ शुषेराधसे महे // ऋ. वे. ८,९३.१६ //
अया | धिया | च | गव्य-या | पुरु-नामन् | पुरु-स्तुत | यत् | सोमे--सोमे | आ | अभवः // ऋ. वे. ८,९३.१७ //
बोधित्-मनाः | इत् | अस्तु | नः | वृत्र-हा | भूरि-आसुतिः | शृणोतु | शुक्रः | आशिषम् // ऋ. वे. ८,९३.१८ //
कया | त्वम् | नः | ऊत्या | अभि | प्र | मन्दसे | वृषन् | कया | स्तोतृ-भ्यः | आ | भर // ऋ. वे. ८,९३.१९ //
कस्य | वृषा | सुते | सचा | नियुत्वान् | वृषभः | रणत् | वृत्र-हा | सोम-पीतये // ऋ. वे. ८,९३.२० //
//२४//.

-ऋ. वे. ६:६/२५-
अभि | सु | नः | त्वम् | रयिम् | मन्दसानः | सहस्रिणम् | प्र-यन्ता | बोधि | दाशुषे // ऋ. वे. ८,९३.२१ //
पत्नी-वन्तः | सुताः | इमे | उशन्तः | यन्ति | वीतये | अपाम् | जग्मिः | नि-चुम्पुणः // ऋ. वे. ८,९३.२२ //
इष्टाः | होत्राः | असृक्षत | इन्द्रम् | वृधासः | अध्वरे | अच्छ | अव-भृथम् | ओजसा // ऋ. वे. ८,९३.२३ //
इह | त्या | सध-माद्या | हरी इति | हिरण्य-केश्या | वोऌहाम् | अभि | प्रयः | हितम् // ऋ. वे. ८,९३.२४ //
तुभ्यम् | सोमाः | सुताः | इमे | स्तीर्णम् | बर्हिः | विभावसो इतिविभावसो | स्तोतृ-भ्यः | इन्द्रम् | आ | वह // ऋ. वे. ८,९३.२५ //
//२५//.

-ऋ. वे. ६:६/२६-
आ | ते | दक्षम् | वि | रोचना | दधत् | रत्ना | वि | दाशुषे | स्तोतृ-भ्यः | इन्द्रम् | अर्चत // ऋ. वे. ८,९३.२६ //
आ | ते | दधामि | इन्द्रियम् | उक्था | विश्वा | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | स्तोतृ-भ्यः | इन्द्र | मृऌअय // ऋ. वे. ८,९३.२७ //
भद्रम्-भद्रम् | नः | आ | भर | इषम् | ऊर्जम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | यत् | इन्द्र | मृऌअयासि | नः // ऋ. वे. ८,९३.२८ //
सः | नः | विश्वानि | आ | भर | सुवितानि | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | यत् | इन्द्र | मृऌअयासि | नः // ऋ. वे. ८,९३.२९ //
त्वाम् | इत् | वृत्रहन्-तम | सुत-वन्तः | हवामहे | यत् | इन्द्र | मृऌअयासि | नः // ऋ. वे. ८,९३.३० //
//२६//.

-ऋ. वे. ६:६/२७-
उप | नः | हरि-भिः | सुतम् | याहि | मदानाम् | पते | उप | नः | हरि-भिः | सुतम् // ऋ. वे. ८,९३.३१ //
द्विता | यः | वृत्रहन्-तमः | विदे | इन्द्रः | शत-क्रतुः | उप | नः | हरि-भिः | सुतम् // ऋ. वे. ८,९३.३२ //
त्वम् | हि | वृत्र-हन् | एषाम् | पाता | सोमानाम् | असि | उप | नः | हरि-भिः | सुतम् // ऋ. वे. ८,९३.३३ //
इन्द्रः | इषे | ददातु | नः | ऋभुक्षणम् | ऋभुम् | रयिम् | वाजी | ददातु | वाजिनम् // ऋ. वे. ८,९३.३४ //
//२७//.

-ऋ. वे. ६:६/२८-
(ऋ. वे. ८,९४)
गौः | धयति | मरुताम् | श्रवस्युः | मता | मघोनाम् | युक्ता | वह्निः | रथानाम् // ऋ. वे. ८,९४.१ //
यस्याः | देवाः | उप-स्थे | व्रता | विश्वे | धारयन्ते | सूर्यामासा | दृशे | कम् // ऋ. वे. ८,९४.२ //
तत् | सु | नः | विश्वे | अर्यः | आ | सदा | गृणन्ति | कारवः | मरुतः | सोम-पीतये // ऋ. वे. ८,९४.३ //
अस्ति | सोमः | अयम् | सुतः | पिबन्ति | अस्य | मरुतः | उत | स्व-राजः | अश्विना // ऋ. वे. ८,९४.४ //
पिबन्ति | मित्रः | अर्यमा | तना | पूतस्य | वरुणः | त्रि-सधस्थस्य | जावतः // ऋ. वे. ८,९४.५ //
उतो इति | नु | अस्य | जोषम् | आ | इन्द्रः | सुतस्य | गो--मतः | प्रातः | होताइव | मत्सति // ऋ. वे. ८,९४.६ //
//२८//.

-ऋ. वे. ६:६/२९-
कत् | अत्विषन्त | सूरयः | तिरः | आपः-इव | स्रिधः | अर्षन्ति | पूत-दक्षसः // ऋ. वे. ८,९४.७ //
कत् | वः | अद्य | महानाम् | देवानाम् | अवः | वृणे | त्मना | च | दस्म-वर्चसाम् // ऋ. वे. ८,९४.८ //
आ | ये | विश्वा | पार्थिवानि | पप्रथन् | रोचना | दिवः | मरुतः | सोम-पीतये // ऋ. वे. ८,९४.९ //
त्यान् | नु | पूत-दक्षसः | दिवः | वः | मरुतः | हुवे | अस्य | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,९४.१० //
त्यान् | नु | ये | वि | रोदसी इति | तस्तभुः | मरुतः | हुवे | अस्य | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,९४.११ //
त्यम् | नु | मारुतम् | गणम् | गिरि-स्थाम् | वृषणम् | हुवे | अस्य | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. ८,९४.१२ //
//२९//.

-ऋ. वे. ६:६/३०-
(ऋ. वे. ८,९५)
आ | त्वा | गिरः | रथीः-इव | अस्थुः | सुतेषु | गिर्वणः | अभि | त्वा | सम् | अनूषत | इन्द्र | वत्सम् | न | मातरः // ऋ. वे. ८,९५.१ //
आ | त्वा | शुक्राः | अचुच्यवुः | सुतासः | इन्द्र | गिर्वणः | पिब | तु | अस्य | अन्धसः | इन्द्र | विश्वासु | ते | हितम् // ऋ. वे. ८,९५.२ //
पिब | सोमम् | मदाय | कम् | इन्द्र | श्येन-आभृतम् | सुतम् | त्वम् | हि | शश्वतीनाम् | पतिः | राजा | विशाम् | असि // ऋ. वे. ८,९५.३ //
श्रुधि | हवम् | तिरश्च्याः | इन्द्र | यः | त्वा | सपर्यति | सु-वीर्यस्य | गो--मतः | रायः | पूर्धि | महान् | असि // ऋ. वे. ८,९५.४ //
इन्द्र | यः | ते | नवीयसीम् | गिरम् | मन्द्राम् | अजीजनत् | चिकित्वित्-मनसम् | ध् इयम् | प्रत्नाम् | ऋतस्य | पिप्युषीम् // ऋ. वे. ८,९५.५ //
//३०//.

-ऋ. वे. ६:६/३१-
तम् | ॐ इति | स्तवाम | यम् | गिरः | इन्द्रम् | उक्थानि | ववृधुः | पुरूणि | अस्य | पैंस्या | सिसासन्तः | वनामहे // ऋ. वे. ८,९५.६ //
एतो इति | नु | इन्द्रम् | स्तवाम | शुद्धम् | शुद्धेन | साम्ना | शुद्धैः | उक्थैः | ववृध्वांसम् | शुद्धः | आशीः-वान् | ममत्तु // ऋ. वे. ८,९५.७ //
इन्द्र | शुद्धः | नः | आ | गहि | शुद्धः | शुद्धाभिः | ऊति-भिः | शुद्धः | रयिम् | नि | धारय | शुद्धः | ममद्धि | सोम्यः // ऋ. वे. ८,९५.८ //
इन्द्र | शुद्धः | हि | नः | रयिम् | शुद्धः | रत्नानि | दाशुषे | शुद्धः | वृत्राणि | जिघ्नसे | शुद्धः | वाजम् | सिसाससि // ऋ. वे. ८,९५.९ //
//३१//.

-ऋ. वे. ६:६/३२-
(ऋ. वे. ८,९६)
अस्मै | उषसः | आ | अतिरन्त | यामम् | इन्द्राय | नक्तम् | ऊर्म्याः | सु-वाचः | अस्मै | आपः | मातरः | सप्त | तस्थुः | नृ-भ्यः | तराय | सिन्धवः | सु-पाराः // ऋ. वे. ८,९६.१ //
अति-विद्धा | विथुरेण | चित् | अस्रा | त्रिः | सप्त | सानु | सम्-हिता | गिरीणाम् | न | तत् | देवः | न | मर्त्यः | तुतुर्यात् | यानि | प्र-वृद्धः | वृषभः | चकार // ऋ. वे. ८,९६.२ //
इन्द्रस्य | वज्रः | आयसः | नि-मिश्लः | इन्द्रस्य | बाह्वोः | भूयिष्ठम् | ओजः | शीर्षन् | इन्द्रस्य | क्रतवः | निरेके | आसन् | आ | ईषन्त | श्रुत्यै | उपाके // ऋ. वे. ८,९६.३ //
मन्ये | त्वा | यज्ञियम् | यज्ञियानाम् | मन्ये | त्वा | च्यवनम् | अच्युतानाम् | मन्ये | त्वा | सत्वनाम् | इन्द्र | केतुम् | मन्ये | त्वा | वृषभम् | चर्षणीनाम् // ऋ. वे. ८,९६.४ //
आ | यत् | वज्रम् | बाह्वोः | इन्द्र | धत्से | मद-च्युतम् | अहये | हन्तवै | ॐ इति | प्र | पर्वताः | अनवन्त | प्र | गावः | प्र | ब्रह्माणः | अभि-नक्षन्तः | इन्द्रम् // ऋ. वे. ८,९६.५ //
//३२//.

-ऋ. वे. ६:६/३३-
तम् | ॐ इति | स्तवाम | यः | इमा | जजान | विश्वा | जातानि | अवराणि | अस्मात् | इन्द्रेण | मित्रम् | दिधिषेम | गीः-भिः | उपो इति | नमः-भिः | वृषभम् | विशेम // ऋ. वे. ८,९६.६ //
वृत्रस्य | त्वा | श्वसथात् | ईषमाणाः | विश्वे | देवाः | अजहुः | ये | सखायः | मरुत्-भिः | इन्द्र | सख्यम् | ते | अस्तु | अथ | इमाः | विश्वाः | पृतनाः | जयासि // ऋ. वे. ८,९६.७ //
त्रिः | षष्टिः | त्वा | मरुतः | ववृधानाः | उस्राः-इव | राशयः | यज्ञियासः | उप | त्वा | इमः | कृधि | नः | भाग-धेयम् | शुष्मम् | ते | एना | हविषा | विधेम // ऋ. वे. ८,९६.८ //
तिग्मम् | आयुधम् | मरुताम् | अनीकम् | कः | ते | इन्द्र | प्रति | वज्रम् | दधर्ष | अनायुधासः | असुराः | अदेवाः | चक्रेण | तान् | अप | वप | ऋजीषिन् // ऋ. वे. ८,९६.९ //
महे | उग्राय | तवसे | सु-वृक्तिम् | प्र | ईरय | शिव-तमाय | पश्वः | गिवार्हसे | गिरः | इन्द्राय | पूर्वीः | धेहि | तन्वे | कुवित् | अङ्ग | वेदत् // ऋ. वे. ८,९६.१० //
//३३//.

-ऋ. वे. ६:६/३४-
उक्थ-वाहसे | वि-भ्वे | मनीषाम् | द्रुणा | न | पारम् | ईरय | नदीनाम् | नि | स्पृश | धिया | तन्वि | श्रुतस्य | जुष्ट-तरस्य | कुवित् | अङ्ग | वेदत् // ऋ. वे. ८,९६.११ //
तत् | विविड्ढि | यत् | ते | इन्द्रः | जुजोषत् | स्तुहि | सु-स्तुतिम् | नमसा | विवास | उप | भूष | जरितः | मा | रुवण्यः | श्रावया | वाचम् | कुवित् | अङ्ग | वेदत् // ऋ. वे. ८,९६.१२ //
अव | द्रप्सः | अंशु-मतीम् | अतिष्ठत् | इयानः | कृष्णः | दश-भिः | सहस्रैः | आवत् | तम् | इन्द्रः | शच्या | धमन्तम् | अप | स्नेहितीः | नृ-मनाः | अधत्त // ऋ. वे. ८,९६.१३ //
द्रप्सम् | अपश्यम् | विषुणे | चरन्तम् | उप-ह्वरे | नद्यः | अंशु-मत्याः | नभः | न | कृष्णम् | अवतस्थि-वांसम् | इष्यामि | वः | वृषणः | युध्यत | आजौ // ऋ. वे. ८,९६.१४ //
अध | द्रप्सः | अंशु-मत्याः | उप-स्थे | अधारयत् | तन्वम् | तित्विषाणः | विशः | अदेवीः | अभि | आचरन्तीः | बृहस्पतिना | युजा | इन्द्रः | ससहे // ऋ. वे. ८,९६.१५ //
//३४//.

-ऋ. वे. ६:६/३५-
त्वम् | ह | त्यत् | सप्त-भ्यः | जायमानः | अशत्रु-भ्यः | अभवः | शत्रुः | इन्द्र | गूऌहे | द्यावापृथिवी इति | अनु | अविन्दः | विभ्मत्-भ्यः | भुवनेभ्यः | रणम् | धाः // ऋ. वे. ८,९६.१६ //
त्वम् | ह | त्यत् | अप्रति-मानम् | ओजः | वज्रेण | वज्रिन् | धृषितः | जघन्थ | त्वम् | शुष्णस्य | अव | अतिरः | वधत्रैः | त्वम् | गाः | इन्द्र | शच्या | इत् | अविन्दः // ऋ. वे. ८,९६.१७ //
त्वम् | ह | त्यत् | वृषभ | चर्षणीनाम् | घनः | वृत्राणाम् | तविषः | बभूथ | त्वम् | सिन्धून् | असृजः | तस्तभानान् | त्वम् | अपः | अजयः | दास-पत्नीः // ऋ. वे. ८,९६.१८ //
सः | सु-क्रतुः | रणिता | यः | सुतेषु | अनुत्त-मन्युः | यः | अहाइव | रेवान् | यः | एकः | इत् | नरि | अपांसि | कर्ता | सः | वृत्र-हा | प्रति | इत् | अन्यम् | आहुः // ऋ. वे. ८,९६.१९ //
सः | वृत्र-हा | इन्द्रः | चर्षणि-धृत् | तम् | सु-स्तुत्या | हव्यम् | हुवेम | सः | प्र-अविता | मघ-वा | नः | अधि-वक्ता | सः | वाजस्य | श्रवस्यस्य | दाता // ऋ. वे. ८,९६.२० //
सः | वृत्र-हा | इन्द्रः | ऋभुक्षाः | सद्यः | जज्ञानः | हव्यः | बभूव | कृण्वन् | अपांसि | नर्या | पुरूणि | सोमः | न | पीतः | हव्यः | सखि-भ्यः // ऋ. वे. ८,९६.२१ //
//३५//.

-ऋ. वे. ६:६/३६-
(ऋ. वे. ८,९७)
याः | इन्द्र | भुजः | आ | अभरः | स्वः-वान् | असुरेभ्यः | स्तोतारम् | इत् | मघ-वन् | अस्य | वर्धय | ये | च | त्वे इति | वृक्त-बर्हिषः // ऋ. वे. ८,९७.१ //
यम् | इन्द्र | दधिषे | त्वम् | अश्वम् | गाम् | भागम् | अव्ययम् | यजमाने | सुन्वत् इ | दक्षिणावति | तस्मिन् | तम् | धेहि | मा | पणौ // ऋ. वे. ८,९७.२ //
यः | इन्द्र | सस्ति | अव्रतः | अनु-स्वापम् | अदेव-युः | स्वैः | सः | एवैः | मुमुरत् | पोष्यम् | रयिम् | सनुतः | धेहि | तम् | ततः // ऋ. वे. ८,९७.३ //
यत् | शक्र | असि | परावति | यत् | अर्वावति | वृत्र-हन् | अतः | त्वा | गीः-भि ः | द्यु-गत् | इन्द्र | केशि-भिः | सुत-वान् | आ | विवासति // ऋ. वे. ८,९७.४ //
यत् | वा | असि | रोचने | दिवः | समुद्रस्य | अधि | विष्टपि | यत् | पार्थिवे | सदने | वृत्रहन्-तम | यत् | अन्तरिक्षे | आ | गहि // ऋ. वे. ८,९७.५ //
//३६//.

-ऋ. वे. ६:६/३७-
सः | नः | सोमेषु | सोम-पाः | सुतेषु | शवसः | पते | मादयस्व | राधसा | सूनृतावता | इन्द्र | राया | परीणसा // ऋ. वे. ८,९७.६ //
मा | नः | इन्द्र | परा | वृणक् | भव | नः | सध-माद्यः | त्वम् | नः | ऊती | त्वम् | इत् | नः | आप्यम् | मा | नः | इन्द्र | परा | वृणक् // ऋ. वे. ८,९७.७ //
अस्मे इति | इन्द्र | सचा | सुते | नि | षद | पीतये | मधु | कृधि | जरित्रे | मघ-वन् | अवः | महत् | अस्मे इति | इन्द्र | सचा | सुते // ऋ. वे. ८,९७.८ //
न | त्वा | देवासः | आशत | न | मर्त्यासः | अद्रि-वः | विश्वा | जातानि | शवसा | अभि-भूः | असि | न | त्वा | देवासः | आशत // ऋ. वे. ८,९७.९ //
विश्वाः | पृतनाः | अभि-भूतरम् | नरम् | स-जूः | ततक्षुः | इन्द्रम् | जजनुः | च | राजसे | क्रत्वा | वरिष्ठम् | वरे | आमुरिम् | उत | उग्रम् | ओजिष्ठम् | तवसम् | तरस्विनम् // ऋ. वे. ८,९७.१० //
//३७//.

-ऋ. वे. ६:६/३८-
सम् | ईम् | रेभासः | अस्वरन् | इन्द्रम् | सोमस्य | पीतये | स्वः-पतिम् | यत् | ईम् | वृधे | धृत-व्रतः | हि | ओजसा | सम् | ऊति-भिः // ऋ. वे. ८,९७.११ //
नेमिम् | नमन्ति | चक्षसा | मेषम् | विप्राः | अभि-स्वरा | सु-दीतयः | वः | अद्रुहः | अपि | कर्णे | तरस्विनः | सम् | ऋक्व-भिः // ऋ. वे. ८,९७.१२ //
तम् | इन्द्रम् | जोहवीमि | मघ-वानम् | उग्रम् | सत्रा | दधानम् | अप्रति-स्कुतम् | शवांसि | मंहिष्ठः | गीः-भिः | आ | च | यज्ञियः | ववर्तत् | राये | नः | व् इश्वा | सु-पथा | कृणोतु | वज्री // ऋ. वे. ८,९७.१३ //
त्वम् | पुरः | इन्द्र | चिकित् | एनाः | वि | ओजसा | सविष्ठ | शक्र | नाशयध्यै | त्वत् | विश्वानि | भुवनानि | वज्रिन् | द्यावा | रेजेतेइति | पृथिवी इति | च | भीषा // ऋ. वे. ८,९७.१४ //
तत् | मा | ऋतम् | इन्द्र | शूर | चित्र | पातु | अपः | न | वज्रिन् | दुः-इता | अति | पर्ष् इ | भूरि | कदा | नः | इन्द्र | रायः | आ | दशस्येः | विश्व-प्स्न्यस्य | स्पृहयाय्यस्य | राजन् // ऋ. वे. ८,९७.१५ //
//३८//.



-ऋ. वे. ६:७/१-
(ऋ. वे. ८,९८)
इन्द्राय | साम | गायत | विप्राय | बृहते | बृहत् | धर्म-कृते | विपः-चिते | पनस्यवे // ऋ. वे. ८,९८.१ //
त्वम् | इन्द्र | अभि-भूः | असि | त्वम् | सूर्यम् | अरोचयः | विश्व-कर्मा | विश्व-देवः | महान् | असि // ऋ. वे. ८,९८.२ //
वि-भ्राजन् | ज्योतिषा | स्वः | अगच्छः | रोचनम् | दिवः | देवाः | ते | इन्द्र | सख्याय | येमिरे // ऋ. वे. ८,९८.३ //
आ | इन्द्र | नः | गधि | प्रियः | सत्राजित् | अगोह्यः | गिरिः | न | विश्वतः | पृथुः | पतिः | दिवः // ऋ. वे. ८,९८.४ //
अभि | हि | सत्य | सोम-पाः | उभे इति | बभूथ | रोदसी इति | / इन्द्र | असि | सुन्वतः | वृधः | पतिः | दिवः // ऋ. वे. ८,९८.५ //
त्वम् | हि | शश्वतीनाम् | इन्द्र | दर्ता | पुराम् | असि | हन्ता | दस्योः | मनोः | वृधः | पतिः | दिवः // ऋ. वे. ८,९८.६ //
//१//.

-ऋ. वे. ६:७/२-
अध | हि | इन्द्र | गिर्वणः | उप | त्वा | कामान् | महः | ससृज्महे | उत् | एव | यन्तः | उद-भिः // ऋ. वे. ८,९८.७ //
वाः | न | त्वा | यव्याभिः | वर्धन्ति | शूर | ब्रह्माणि | ववृध्वांसम् | चित् | अद्रि--वः | दिवे--दिवे // ऋ. वे. ८,९८.८ //
युञ्जन्ति | हरी इति | इषिरस्य | गाथया | उरौ | रथे | उरु-युगे | इन्द्र-वाहा | वचः-युजा // ऋ. वे. ८,९८.९ //
त्वम् | नः | इन्द्र | आ | भर | ओजः | नृम्णम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | वि-चर्षणे | आ | वीरम् | पृतनासहम् // ऋ. वे. ८,९८.१० //
त्वम् | हि | नः | पिता | वसो इति | त्वम् | मता | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | बभूविथ | अध | ते | सुम्नम् | ईमहे // ऋ. वे. ८,९८.११ //
त्वाम् | शुष्मिन् | पुरु-हूत | वाजयन्तम् | उप | ब्रुवे | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | सः | नः | रास्व | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. ८,९८.१२ //
//२//.

-ऋ. वे. ६:७/३-
(ऋ. वे. ८,९९)
त्वाम् | इदा | ह्यः | नरः | अपीप्यन् | वज्रिन् | भूर्णयः | सः | इन्द्र | स्तोम-वाहसाम् | इह | श्रुधि | उप | स्वसरम् | आ | गहि // ऋ. वे. ८,९९.१ //
मत्स्व | सु-शिप्र | हरि-वः | तत् | ईमहे | त्वे इति | आ | भूषन्ति | वेधसः | तव | श्रवांसि | उप-मानि | उक्थ्या | सुतेषु | इन्द्र | गिर्वणः // ऋ. वे. ८,९९.२ //
श्रायन्तः-इव | सूर्यम् | विश्वा | इत् | इन्द्रस्य | भक्षत | वसूनि | जाते | जनमाने | ओजसा | प्रति | भागम् | न | दीधिम // ऋ. वे. ८,९९.३ //
अनर्श-रातिम् | वसु-दाम् | उप | स्तुहि | भद्राः | इन्द्रस्य | रातयः | सः | अस्य | कामम् | विधतः | न | रोषति | मनः | दानाय | चोदयन् // ऋ. वे. ८,९९.४ //
त्वम् | इन्द्र | प्र-तूर्तिषु | अभि | विश्वाः | असि | स्पृधः | अशस्ति-हा | जनिता | वि श्व-तूः | असि | त्वम् | तूर्य | तरुष्यतः // ऋ. वे. ८,९९.५ //
अनु | ते | शुष्मम् | तुरयन्तम् | ईयतुः | क्षोणी इति | शिशुम् | न | मातरा | विश्वाः | ते | स्पृधः | श्नथयन्त | मन्यवे | वृत्रम् | यत् | इन्द्र | तूर्वसि // ऋ. वे. ८,९९.६ //
इतः | ऊती | वः | अजरम् | प्र-हेतारम् | अप्र-हितम् | आशुम् | जेतारम् | हेतारम् | रथि-तमम् | अतूर्तम् | तुग्र्य-वृधम् // ऋ. वे. ८,९९.७ //
इष्कर्तारम् | अनिः-कृतम् | सहः-कृतम् | शतम्-ऊतिम् | शत-क्रतुम् | समानम् | इन्द्रम् | अवसे | हवामहे | वसवानम् | वसु-जुवम् // ऋ. वे. ८,९९.८ //
//३//.

-ऋ. वे. ६:७/४-
(ऋ. वे. ८,१००)
अयम् | ते | एमि | तन्वा | पुरस्तात् | विश्वे | देवाः | अभि | मा | यन्ति | पश्चात् | यदा | मह्यम् | दीधरः | भागम् | इन्द्र | आत् | इत् | मया | कृणवः | वीर्याणि // ऋ. वे. ८,१००.१ //
दधामि | ते | मधुनः | भक्षम् | अग्रे | हितः | ते | भागः | सुतः | अस्तु | सोमः | असः | च | त्वम् | दक्षिणतः | सखा | मे | अध | वृत्राणि | जङ्घनाव | भूरि // ऋ. वे. ८,१००.२ //
प्र | सु | स्तोमम् | भरत | वाज-यन्तः | इन्द्राय | सत्यम् | यदि | सत्यम् | अस्ति | न | इन्द्रः | अस्ति | इति | नेमः | ॐ इति | त्वः | आह | कः | ईम् | ददर्श | कम् | अभि | स्तवाम // ऋ. वे. ८,१००.३ //
अयम् | अस्ति | जरितरिति | पश्य | मा | इह | विश्वा | जातानि | अभि | अस्मि | मह्ना | ऋतस्य | मा | प्र-दिशः | वर्धयन्ति | आदर्दिरः | भुवना | दर्दरीमि // ऋ. वे. ८,१००.४ //
आ | यत् | मा | वेनाः | अरुहन् | ऋतस्य | एकम् | आसीनम् | हर्यतस्य | पृष्ठे | मनः | चित् | मे | हृदे | आ | प्रति | अवोचत् | अचिक्रदन् | शिशु-मन्तः | सखायः // ऋ. वे. ८,१००.५ //
विश्वा | इत् | ता | ते | सवनेषु | प्र-वाच्या | या | चकर्थ | मघ-वन् | इन्द्र | सुन्वते | पारावतम् | यत् | पुरु-सम्भृतम् | वसु | अप-अवृणोः | शरभायः | ऋषि-बन्धवे // ऋ. वे. ८,१००.६ //
//४//.

-ऋ. वे. ६:७/५-
प्र | नूनम् | धावत | पृथक् | न | इह | यः | वः | अवावरीत् | नि | सीम् | वृत्रस्य | मर्मणि | वज्रम् | इन्द्रः | अपीपतत् // ऋ. वे. ८,१००.७ //
मनः-जवाः | अयमानः | आयसीम् | अतरत् | पुरम् | दिवम् | सु-पर्णः | गत्वाय | सोमम् | वज्रिणः | आ | अभरत् // ऋ. वे. ८,१००.८ //
समुद्रे | अन्तरिति | शयते | उद्ना | वज्रः | अभि-वृतः | भरन्ति | अस्मै | सम्-यतः | पुरः-प्रस्रवणाः | बलिम् // ऋ. वे. ८,१००.९ //
यत् | वाक् | वदन्ती | अवि-चेतनानि | राष्ट्री | देवानाम् | नि-ससाद | मन्द्रा | चतस्रः | ऊर्जम् | दुदुहे | पयांसि | क्व | स्वित् | अस्याः | परमम् | जगाम // ऋ. वे. ८,१००.१० //
देवीम् | वाचम् | अजनयन्त | देवाः | ताम् | विश्व-रूपाः | पशवः | वदन्ति | सा | नः | मन्द्रा | इषम् | ऊर्जम् | दुहाना | धेनुः | वाक् | अस्मान् | उप | सु-स्तुता | एतु // ऋ. वे. ८,१००.११ //
सखे | विष्णो इति | वि-तरम् | वि | क्रमस्व | द्यौः | देहि | लोकम् | वज्राय | वि-स्कभे | हनाव | वृत्रम् | रिणचाव | सिन्धून् | इन्द्रस्य | यन्तु | प्र-सवे | वि-सृष्टाः // ऋ. वे. ८,१००.१२ //
//५//.

-ऋ. वे. ६:७/६-
(ऋ. वे. ८,१०१)
ऋधक् | इत्था | सः | मर्त्यः | शशमे | देव-तातये | यः | नूनम् | मित्रावरुणौ | अभिष्टये | आचक्रे | हव्य-दातये // ऋ. वे. ८,१०१.१ //
वर्षिष्ठ-क्षत्रौ | उरु-चक्षसा | नरा | राजाना | दीर्घश्रुत्-तमा | ता | बाहुता | न | दंसना | रथर्यतः | साकम् | सूर्यस्य | रश्मि-भिः // ऋ. वे. ८,१०१.२ //
प्र | यः | वाम् | मित्रावरुणा | अजिरः | दूतः | अद्रवत् | अयः-शीर्षा | मदे--रघुः // ऋ. वे. ८,१०१.३ //
न | यः | सम्-पृच्छे | न | पुनः | हवीतवे | न | सम्-वादाय | रमते | तस्मात् | नः | अद्य | सम्-ऋतेः | उरुष्यतम् | बाहु-भ्याम् | नः | उरुष्यतम् // ऋ. वे. ८,१०१.४ //
प्र | मित्राय | प्र | अर्यम्णे | सचथ्यम् | ऋतवसो इत्य् ऋत-वसो | वरूथ्यम् | वरुणे | छन्द्यम् | वचः | स्तोत्रम् | राज-सु | गायत // ऋ. वे. ८,१०१.५ //
//६//.

-ऋ. वे. ६:७/७-
ते | हिन्विरे | अरुणम् | जेन्यम् | वसु | एकम् | पुत्रम् | तिसॄणाम् | ते | धामानि | अमृताः | मर्त्यानाम् | अदब्धाः | अभि | चक्षते // ऋ. वे. ८,१०१.६ //
आ | मे | वचांसि | उत्-यता | द्युमत्-तमानि | कर्त्वा | उभा | यातम् | नासत्या | स-जोषसा | प्रति | हव्यानि | वीतये // ऋ. वे. ८,१०१.७ //
रातिम् | यत् | वाम् | अरक्षसम् | हवामहे | युवाभ्याम् | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | प्राचीम् | होत्राम् | प्र-तिरन्तौ | इतम् | नरा | गृणाना | जमत्-अग्निना // ऋ. वे. ८,१०१.८ //
आ | नः | यज्ञम् | दिवि-स्पृशम् | वायो इति | याहि | सुमन्म-भिः | अन्तरिति | पवित्रे | उपरि | श्रीणानः | अयम् | शुक्रः | अयामि | ते // ऋ. वे. ८,१०१.९ //
वेति | अध्वर्युः | पथि-भिः | रजिष्ठैः | प्रति | हव्यानि | वीतये | अध | नियुत्वः | उभ्यस्य | नः | पिब | शुचिम् | सोमम् | गो--आशिरम् // ऋ. वे. ८,१०१.१० //
//७//.

-ऋ. वे. ६:७/८-
बट् | महान् | असि | सूर्य | बट् | आदित्य | महान् | असि | महः | ते | सतः | महिमा | पनस्यते | अद्धा | देव | महान् | असि // ऋ. वे. ८,१०१.११ //
बट् | सूर्य | श्रवसा | महान् | असि | सत्रा | देव | महान् | असि | मह्ना | देवानाम् | असुर्यः | पुरः-हितः | वि-भु | ज्योतिः | अदाभ्यम् // ऋ. वे. ८,१०१.१२ //
इयम् | या | नीची | अर्किणी | रूपा | रोहिण्या | कृता | चित्राइव | प्रति | अदर्शि | आयती | अन्तः | दश-सु | बाहुषु // ऋ. वे. ८,१०१.१३ //
प्र-जाः | ह | तिस्रः | अति-आयम् | ईयुः | नि | अन्याः | अर्कम् | अभितः | विविश्रे | बृहत् | ह | तस्थौ भुवनेषु | अन्तरिति | पवमानः | हरितः | आ | विवेश // ऋ. वे. ८,१०१.१४ //
माता | रुद्राणाम् | दुहिता | वसूनाम् | स्वसा | आदित्यानाम् | अमृतस्य | नाभिः | प्र | नु | वोचम् | चिकितुषे | जनाय | मा | गाम् | अनागाम् | अदितिम् | वधिष्ट // ऋ. वे. ८,१०१.१५ //
वचः-विदम् | वाचम् | उत्-ईरयन्तीम् | विश्वाभिः | धीभिः | उप-तिष्ठमानाम् | देवीम् | देवेभ्यः | परि | आईयुषीम् | गाम् | आ | मा | अवृक्त | मर्त्यः | दभ्र-चेताः // ऋ. वे. ८,१०१.१६ //
//८//.

-ऋ. वे. ६:७/९-
(ऋ. वे. ८,१०२)
त्वम् | अग्ने | बृहत् | वयः | दधासि | देव | दाशुषे | कविः | गृह-पतिः | युवा // ऋ. वे. ८,१०२.१ //
सः | नः | ईऌआनया | सह | देवान् | अग्ने | दुवस्युवा | चिकित् | विभानो इतिवि-भानो | आ | वह // ऋ. वे. ८,१०२.२ //
त्वया | ह | स्वित् | युजा | वयम् | चोदिष्ठेन | यविष्ठ्य | अभि | स्मः | वाज-सातये // ऋ. वे. ८,१०२.३ //
और्वभृगु-वत् | शुचिम् | अप्नवान-वत् | आ | हुवे | अग्निम् | समुद्र-वाससम् // ऋ. वे. ८,१०२.४ //
हुवे | वात-स्वनम् | कविम् | पर्जन्य-क्रन्द्यम् | सहः | अग्निम् | समुद्र-वाससम् // ऋ. वे. ८,१०२.५ //
//९//.

-ऋ. वे. ६:७/१०-
आ | सवम् | सवितुः | यथा | भगस्य-इव | भुजिम् | हुवे | अग्निम् | समुद्र-वाससम् // ऋ. वे. ८,१०२.६ //
अग्निम् | वः | वृधन्तम् | अध्वराणाम् | पुरु-तमम् | अच्छ | नप्त्रे | सहस्वते // ऋ. वे. ८,१०२.७ //
अयम् | यथा | नः | आभुवत् | त्वष्टा | रूपाइव | तक्ष्या | अस्य | क्रत्वा | यशस्वतः // ऋ. वे. ८,१०२.८ //
अयम् | विश्वाः | अभि | श्रियः | अग्निः | देवेषु | पत्यते | आ | वाजैः | उप | नः | गमत् // ऋ. वे. ८,१०२.९ //
विश्वेषाम् | इह | स्तुहि | होतृॠणाम् | यशः-तमम् | अग्निम् | यज्ञेषु | पूर्व्यम् // ऋ. वे. ८,१०२.१० //
//१०//.

-ऋ. वे. ६:७/११-
शीरम् | पावक-शोचिषम् | ज्येष्ठः | यः | दमेषु | आ | दीदाय | दीर्घश्रुत्-तमः // ऋ. वे. ८,१०२.११ //
तम् | अर्वन्तम् | न | सानसिम् | गृणीहि | विप्र | शुष्मिणम् | मित्रम् | न | यातयत्-जनम् // ऋ. वे. ८,१०२.१२ //
उप | त्वा | जामयः | गिरः | देदिशतीः | हविः-कृतः | वायोः | अनीके | अस्थिरन् // ऋ. वे. ८,१०२.१३ //
यस्य | त्रि-धातु | अवृतम् | बर्हिः | तस्थौ | असम्-दिनम् | आपः | चित् | नि | दध | पदम् // ऋ. वे. ८,१०२.१४ //
पदम् | देवस्य | मीऌहुषः | अनाधृष्टाभिः | ऊति-भिः | भद्रा | सूर्यः-इव | उप-दृक् // ऋ. वे. ८,१०२.१५ //
//११//.

-ऋ. वे. ६:७/१२-
अग्ने | घृतस्य | धीति-भिः | तेपानः | देव | शोचिषा | आ | देवान् | वक्षि | यक्षि | च // ऋ. वे. ८,१०२.१६ //
तम् | त्वा | अजनन्त | मातरः | कविम् | देवासः | अङ्गिरः | हव्य-वाहम् | अमर्त्यम् // ऋ. वे. ८,१०२.१७ //
प्र-चेतसम् | त्वा | कवे | अग्ने | दूतम् | वरेण्यम् | हव्य-वाहम् | नि | सेदिरे // ऋ. वे. ८,१०२.१८ //
नहि | मे | अस्ति | अघ्न्या | न | स्व-धितिः | वनन्-वति | अथ | एतादृक् | भरामि | ते // ऋ. वे. ८,१०२.१९ //
यत् | अग्ने | कानि | कानि | चित् | आ | ते | दारूणि | दध्मसि | ता | जुषस्व | यविष्ठ्य // ऋ. वे. ८,१०२.२० //
यत् | अत्ति | उप-जिह्विका | यत् | वम्रः | अति-सर्पति | सर्वम् | तत् | अस्तु | ते | घृतम् // ऋ. वे. ८,१०२.२१ //
अग्निम् | इन्धानः | मनसा | धियम् | सचेत | मर्त्यः | अग्निम् | ईधे | विवस्व-भिः // ऋ. वे. ८,१०२.२२ //
//१२//.

-ऋ. वे. ६:७/१३-
(ऋ. वे. ८,१०३)
अदर्शि | गातुवित्-तमः | यस्मिन् | व्रतानि | आदधुः | उपो इति | सु | जातम् | आर्यस्य | वर्धनम् | अग्निम् | नक्षन्त | नः | गिरः // ऋ. वे. ८,१०३.१ //
प्र | दैवः-दासः | अग्निः | देवान् | अच्छ | न | मज्मना | अनु | मातरम् | पृथिवीम् | वि | ववृते | तस्थौ | नाकस्य | सानवि // ऋ. वे. ८,१०३.२ //
यस्मात् | रेजन्त | कृष्टयः | चर्कृत्यानि | कृण्वतः | सहस्र-साम् | मेधसातौ-इव | त्मना | अग्निम् | धीभिः | सपर्यत // ऋ. वे. ८,१०३.३ //
प्र | यम् | राये | निनीषसि | मर्तः | यः | ते | वसो इति | दाशत् | सः | वीरम् | धत्ते | अग्ने | उक्थ-शंसिनम् | त्मना | सहस्र-पोषि णम् // ऋ. वे. ८,१०३.४ //
सः | दृऌहे | चित् | अभि | तृणत्ति | वाजम् | अर्वता | सः | धत्ते | अक्षिति | श्रवः | त्वे इति | देव-त्रा | सदा | पुरुवसो इतिपुरु-वसो | विश्वा | वामानि | धीमहि // ऋ. वे. ८,१०३.५ //
//१३//.

-ऋ. वे. ६:७/१४-
यः | विश्वा | दयते | वसु | होता | मन्द्रः | जनानाम् | मधोः | न | पात्रा | प्र-थमानि | अस्मै | प्र | स्तोमाः | यन्ति | अग्नये // ऋ. वे. ८,१०३.६ //
अश्वम् | न | गीः-भिः | रथ्यम् | सु-दानवः | मर्मृज्यन्ते | देव-यवः | उभे इति | तोके इति | तनये | दस्म | विश्पते | पर्षि | राधः | मघोनाम् // ऋ. वे. ८,१०३.७ //
प्र | मंहिष्ठाय | गायत | ऋत-व्ने | बृहते | शुक्र-शोचिषे | उप-स्तुतासः | अग्नये // ऋ. वे. ८,१०३.८ //
आ | वंसते | मघ-वा | वीर-वत् | यशः | सम्-इद्धः | द्युम्नी | आहुतः | कुव् इत् | नः | अस्य | सु-मतिः | नवीयसी | अच्छ | वाजेभिः | आगमत् // ऋ. वे. ८,१०३.९ //
प्रेष्ठम् | ॐ इति | प्रियाणाम् | स्तुहि | आसाव | अतिथिम् | अग्निम् | रथानाम् | यमम् // ऋ. वे. ८,१०३.१० //
//१४//.

-ऋ. वे. ६:७/१५-
उत्-इता | यः | नि-दिता | वेदिता | वसु | आ | यज्ञियः | ववर्तति | दुस्तराः | यस्य | प्रवणे | न | ऊर्मयः | धिया | वाजम् | सिसासतः // ऋ. वे. ८,१०३.११ //
मा | नः | हणीताम् | अतिथिः | वसुः | अग्निः | पुरु-प्रशस्तः | एषः | यः | सु-होता | सु-अध्वरः // ऋ. वे. ८,१०३.१२ //
मो इति | ते | रिषन् | ये | अच्छोक्ति-भिः | वसो इति | अग्ने | केभिः | चित् | एवैः | कीरिः | चित् | हि | त्वाम् | ईटे | दूत्याय | रात-हव्यः | सु-अध्वरः // ऋ. वे. ८,१०३.१३ //
आ | अग्ने | याहि | मरुत्-सखा | रुद्रेभिः | सोम-पीतये | सोभर्याः | उप | सु-स्तुति म् | मादयस्व | स्वः-नरे // ऋ. वे. ८,१०३.१४ //
//१५//.