सामग्री पर जाएँ

अथर्ववेदः/काण्डं २०/सूक्तम् १३२

विकिस्रोतः तः
← सूक्तं २०.१३१ अथर्ववेदः - काण्डं २०
सूक्तं २०.१३२
कुन्तापसूक्तानि
सूक्तं २०.१३३ →

आदलाबुकमेककम् ॥१॥
अलाबुकं निखातकम् ॥२॥
कर्करिको निखातकः ॥३॥
तद्वात उन्मथायति ॥४॥
कुलायं कृणवादिति ॥५॥
उग्रं वनिषदाततम् ॥६॥
न वनिषदनाततम् ॥७॥
क एषां कर्करी लिखत्॥८॥
क एषां दुन्दुभिं हनत्॥९॥
यदीयं हनत्कथं हनत्॥१०॥
देवी हनत्कुहनत्॥११॥
पर्यागारं पुनःपुनः ॥१२॥
त्रीण्युष्ट्रस्य नामानि ॥१३॥
हिरण्य इत्येके अब्रवीत्॥१४॥
द्वौ वा ये शिशवः ॥१५॥
नीलशिखण्डवाहनः ॥१६॥