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पुटसंख्या
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लिङ्गाच्च |
३६६
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लोकवत्त लीला |
१६०
|
व
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वदतीति चेन्न |
१९९
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वाक्यान्वयातू |
१३०
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वाङ्मनसि दर्शनात् |
३७७
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वायुमब्दादविशेष |
३९०
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विकरणत्वान्नेति चेत् |
१५९
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विकल्पोऽविशिष्ट |
३३२
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विकारशब्दान्नेति |
३५
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विकारावर्तेि च |
८११
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विज्ञानादिभावे वा |
१८८
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विद्याकर्मणोरिति तु |
२४८
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विद्यैव निर्धारणात् |
३२३
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विधिर्वा धारणवत् |
३४७
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विपर्ययेण तु क्रमः |
१९९
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विप्रतिषेधाच्च |
१८९
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विप्रतिषेधाश्चासमञ्जसम् |
१६९
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विभागः शतवत् |
६४२
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विरोधः कर्मणीति |
१००
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विवक्षितगुणोप |
६१
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विशेष च दर्शयति |
३९९
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विशेषणभेद |
७५
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विशेषणाच्च |
६७
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विशेषानुग्रहश्च |
३५६
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विशेषितत्वाच |
३९३
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विहितत्वाञ्चाश्रम |
३५४
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वृद्धिहासभाक्त्वम् |
२६७
|
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पुटसंख्या
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वेधाद्यर्थभेदात् |
३०३
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वैद्युतेनैव ततः |
३९२
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वैधर्म्च्याच न स्वप्नादिवत |
१८१
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वैशेष्यात् तद्वादः |
२२४
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वैश्वानरः:साधारण |
७६
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वैषम्यनैघृण्ये न |
१६१
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व्यतिरेकस्तद्भावः |
३२८
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व्यतिरेकानवस्थितेः |
१६५
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व्यतिरेको गन्धवत् |
२०७
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व्यतिहारो विशिषन्ति |
३१५
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व्यपदेशाच्च क्रियायाम् |
२१२
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व्यातेश्च समञ्जसम् |
२९२
|
श
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शक्तिविपर्ययात् |
२१३
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शब्द इति चेन्न |
१०१
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शब्दविशेषातू |
६२
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शब्दश्चातोऽकामकारे |
३३४
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शब्दादेव प्रमितः |
९८
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शब्देभ्य |
१९४
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शमदमाद्युपेतः स्यात् |
३५१
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शास्रदृष्टया तु |
५६
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शास्रयोनित्वात् |
२२
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शिष्टेश्च |
३३४
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शुगस्य तदनादर |
१०७
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शेषत्वात्पुरुषार्थवादः |
३३८
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श्रवणाध्ययनाथ |
१११
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श्रुतत्वाच्च |
३३, २८२
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श्रुतेस्तु शब्दमूलत्वात् |
१५७
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