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पुटसंख्या
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चक्षुरादिवत्तु तत् |
२२८
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चमसवदविशेषात् |
१२०
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चरणादिति चेन्न |
२४४
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चराचरव्यपाश्रयस्तु |
२०१
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चितितन्मात्रेण |
४०३
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छ
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छन्दत उभयाविरोधातू |
३०७
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छन्दोऽभिधानान्नेति |
५०
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ज
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जगद्वाचित्वात् |
१२७
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जगद्वयापारावर्जं |
४०९
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जन्माद्यस्य यतः |
६
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जीवमुख्यप्राणलिङ्गात् |
५७,१२८
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ज्ञेयत्वावचनाच्च |
११८
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ज्ञोऽत एव |
२०२
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ज्योतिराद्यधिष्ठानं तु |
२३०
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ज्योतिरुपक्रमातु |
१२१
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ज्योतिर्दर्शनात् |
११३
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ज्योतिश्चरणाभिधानात् |
४८
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ज्योतिषि भावाच |
१०६
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ज्योतिषैकेषाम् |
१२५
|
त
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त इन्द्रियाणि तत् |
२३१
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तच्छ्रुतेः |
३३९
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तटितोऽधि वरुणः |
३९१
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पुटसंख्या
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ततु समन्वयात् |
२३
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तत्पूर्वकत्वाद्वाचः |
२२५
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तत्रापि तद्वयापारात् |
२४७
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तत्स्वाभाव्यापत्तिः |
२५०
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तथा चैकवाक्य |
३४९
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तथान्यप्रतिषेधात् |
२८०
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तथा प्राणाः |
२२३
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तदधिगम उत्तर |
३७२
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तदधीनत्वादर्थवत् |
११८
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तदनन्यत्वमारम्भण |
१४९
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तदन्तरप्रतिपत्तौ |
२३६
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तदभावनिर्धारणे |
१११
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तदभावो नाडीषु |
२५९
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तदभिध्यानादेव तु |
१९८
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तदव्यक्तमाह हि |
२७१
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तदापीते: संसार |
३८१
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तदुपर्यपि बादराणः |
९९
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तदोकोऽग्रज्वलनं |
३८५
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तदुणसारत्वातु |
२०८
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तद्धेतुव्यपदेशाच्च |
३६
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तद्भूतस्य तु न |
३५७
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तद्वतो विधानात् |
३४०
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तन्निर्धारणानियम: |
३१९
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तन्निष्ठस्य मोक्ष |
२७
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तन्मन: प्राण उतरात् |
३७८
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तन्वभावे संध्यवत् |
४०८
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तर्काप्रतिष्ठानादपि |
१४६
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तस्य च नित्यत्वात् |
२३०
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तानि परे तथा ह्याह |
३८४
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