सुचिन् ( १३६ | हुआ। ३ इशारे या सकेत से बतलाया हुआ ४ कथित | इत्तिला दिया हुआ । प्रकट किया हुआ। ५ जाना हुआ। दरियाफ़्त किया हुआ । सूचिन् (वि०) [ स्त्री०- सूचिनी ] १ छेदने वाला। छेद करने वाला | २ बतलाने वाला | ३ मुखबिरी करने वाला। ४ भेद लेने वाला जासूसी करने वाला ( पु० ) जासूस। भेदिया। सूचिनी ( स्त्री० ) सुई। २ रात । रजनी । सूची देखो सूचि | सूच्य (वि०) सूचना देने योग्य बतलाने लायक सूत् ( अध्यया० ) खर्राटे का शब्द जो सोने के समय प्रायः लोग किया करते हैं। सूत ( व० कृ० ) १ पैदा हुआ। उत्पन्न हुआ। पैदा किया हुआ । २ निकाला हुआ। सुतः ( पु० ) सारथी । रथ हाँकने वाला । २ क्षत्रिय का पुत्र जो ब्राह्मणी माता के गर्भ से उत्पन्न हुआ हो । ३ बंदीजन | भाट । ४ बढ़ई | ५ सूर्य ६ व्यास के एक शिष्य का नाम (पु० न०) पारा । पारद । -तनयः, (पु० ) कर्ण का नाम । -- राजू, ( पु० ) चाँदी । सूतकं ( न० ) १ उत्पत्ति । पैदायश | २ जन्मसूतक | जनन अशौच | सूतकं ( न० ) सूतकः ( पु० ) पारा। पारद । सूतका ( श्री० ) जच्चा स्त्री । वह खी जिसने हाल ही में बच्चा जना हो । सूना ( श्री० ) जच्चा औरत। सूतका । सूतिः ( स्त्री० ) १ उत्पत्ति पैदाइश प्रसव | २ सन्तान। औलाद । ३ निर्गमस्थान | ४ वह स्थान जहाँ सोमरस निकाला जाय । -अशौचं, ( न० ) जननश्रशौच | - गृहं, ( न० ) वह कमरा जिसमें लड़का जना गया हो। प्रसूतिगृह -मासः, ( पु० ) ( = सूतीमासः भी ) वह मास जिसमें बच्चा जना गया हो। ) सूत्र वह कोठा या कमरा जिसमें जंता हुआ हो।- रोगः; (पु० ) वह बीमारी जो बच्चा जनने के बाद हुई हो।-पष्टी. (स्त्री० ) देवी विशेष, जिसका पूजन बच्चा जन्मने के दिन से छठवें दिन किया जाता है। सूत्परं ( न० ) शराब चुत्राने की क्रिया । सुन्या (स्त्री० ) देखो सुत्या | सूतिका ( स्त्रो० ) स्त्री जिसने हाल ही में सन्तान जनी हो।अगारं गृहं, गेहूं, --भवनं (न०) सूत्र ( घा० उ० ) [ सूत्रयति सूत्रित ] १ बाँधना | २ सूत्र के रूप में लिखना या बनाना । ३ क्रमबद्ध करना। ४ खोलना बंधन ढीला करना। f सूत्रं (न०) १ डोरा । डोरी । २ सूत | धागा | ३ तार ४ सूत का ढेर । ५ द्विजों के पहिनने का जनेऊ । ६ कठपुतली का तार या डोरी या वह तार या डोरी जिसे थाम कर कठपुतली नचाई जाती है । ७ संक्षिप्त रूप में बनाया हुआ नियम या सिद्धान्त धोड़े अक्षरों या शब्दों में कहा हुआ ऐसा पद या वचन जो बहुत अर्थ प्रकट करता हो । संक्षिप्त सारगर्भित पद या वचन ।-आत्मन्, ( पु० ) जीवात्मा - आलो (स्त्री० ) माला । हार। -कराठः, ( पु०) १ ब्राह्मण | २ कबूतर | फाक्ता | ३ खंजन | -कर्मन, ( न० ) बढ़ई- गीरी। – कारः, –कृत्, ( पु० ) सूत्र बनाने वाला । —कोणः, – कोणकः ( 30 ) डमरू । - गण्डिका, ( स्त्री० ) जुलाहे का एक औज़ार जो लकड़ी का होता है और कपड़ा बुनने में काम देता है। – धरः, -धार, ( पु० ) १ नाट्यशाला का व्यवस्थापक या प्रधान नट जो भारतीय नाव्यशास्त्र के अनुसार नांदी पाठ के अनन्तर खेले जाने वाले नाटक की प्रस्तावना सुनाता है | २ बढ़ई | ३ सूत्रों का बनाने वाला । है ४ इन्द्र । —पिटकः ( पु० ) बौद्धों के मत के प्रसिद्ध तीन संग्रह-ग्रन्थों में से एक / – पुष्प, (पु०) कपास का वृक्ष । भिद्, ( पु० ) दर्जी । -भृत्, ( पु० ) सूत्रधार यंत्रं, ( न० ) करघा । ढरकी । -वीणा, (स्त्री० ) प्राचीन काल की एक बीणा जिसमें तार की जगह सूत लगाये जाते थे। - वेटनं ( न० ) करवा । ढरकी।
पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९४२
दिखावट