सरुगण सावधान | २ मन की एका अतां । २ धार्मिक व्रत पनिष्ठा सुता ऐसा लगा जो नित्य न हो। विरुद्ध (न०) वे खाद्य पदार्थ जो मिला कर खाये जाने पर अवगुण करें, अर्थात् रोगों की उत्पत्ति करें। संयमनं (न०) १ रोक | निग्रह | २ खिचाव | तनाव || संचागिन् (वि० ) १ संयुक्त | युक्त | २ मिन्नवैया । ३ बंधन ४ बंदी करने की क्रिया | संयोजन (न० ) १ मेल । मिलाप | २ मैथुन | समागम | आत्मसंयम । ६ धार्मिक व्रत । ७ चार घरों का | संरक्षः, (दु० ) रक्षण | हिकात | देख रेख १ चौकोर चौगान । निगरानी | संयत्त सयत्त ( वि० ) १ तैयार सक्षख संयमः, (पु० ) १ निग्रह रोक } संयमन: ( पु० ) शासक संयमनी ( श्री० ) यमराज की नगरी का नाम । संयमित ( ० ० ) : निग्रह किया हुआ २ बौधा हुआ बेड़ी डाला हुआ। ३ रोका हुआ। संयमिन् (वि० ) संयमी । निग्रह । ( पु०) सपस्त्री | ऋषि सानु । संयानं (न०) १ सहगमन। साथ जाना । २ यात्रा सफ़र मैं मुरदे को ले चलना। संयानः ( पु० ) साँचा | संयाम देखो संयम | 1 संयाचः ( पु० ) गुझिया पिराक पकवान विशेष | संयुक्त (४० १०) जुदा हुआ । लगा हुआ । मिला हुआ। २ मिश्रित घाल मेल । ३ साथ धावा हुआ ४ सम्पन्न समन्वित । २ लिये हुए । संयुगः ( पु० ) १ संयोग समागम १ युद्ध भिहन्त लड़ाई -( ० ) तुच्छ 1 संयुज (वि०) संयुक्त सम्बन्ध युक्त संयुत (च० कृ० ) १ मिला हुआ । जुड़ा हुआ । संयुक्त २ सम्पन्न | समन्वित } संयोगः (पु०) समागम मेल मिलान मिलाप २ वैशेषिक दर्शन के २४ गुणों में से एक 1२ जोड़ लेना। मिला लेना। अर्मुक्त कर लेना | ४ जोड़| जोड़ी दो राजाओं के बीच किसी समान उद्देश्य की सिद्धि के लिये सम्धि व्याकरण में दो या अधिक व्यों का मेल । ७ दो ग्रहों या नक्षत्रों का समागम का नामान्तर-पृथक्त्वं. (न० ) ( न्याय में ) ६ 1 संरक्षणं, (न० ) १ हिफाजत निगरानी | रक्षा | देखरेख | २ अधिकार | कक्षा | संरक्त, (व० ० ) १ रंगीन | लाल | २ धनुरागवान् | आ। प्रेम सम्म ३ क्रोधान्वित कुपित
- सुग्ध प्रेम में फँसा हुआ। २ सुन्दर मनो-
मुग्धकारी | ३ संख्ध, (व० ० ) १ उत्तेजित जोश में भरा हुआ २ इन्ध उद्विग्न ३ क्रोध में भरा हुआ | क्रुद्र । ४ फूला हुआ सूजा हुआ बड़ा हुआ। वृद्धि को प्राप्त । ६ अभिभूत 1 मग्न | आकूलित। संरम्भः (पु० ) आरम्भ | २ उत्पात | उपद्रव हंगामा ३ आन्दोलन उत्तेजना पोभ ४ उत्सुकता उत्करका उत्साह २ कोध दोष | कोप | ६ अभिमान | घमंड | ७ गर्मी और सूजन से फूल उठना परुष, (वि० ) कोध के कारण रूप या रूखा-रस, (वि० ) य कुद -वेगः (पु० ) क्रोध की प्रचण्डता । संरम्भिन् (वि० )[ स्त्री०-संरम्भिणी ] उत्ते- जित | उद्विग्न २ कोयु क्रोधाविष्ट । ३ अभिमानी। अहंकारी संरागः (पु० ) ३ रंगत २ अनुराग | स्नेह | ३को कोप । } संराधनं ( न० ) आराधना करके प्रसन्न करने की क्रिया २ सम्पादन ३ गम्भीरध्यानमग्नता । गम्भीर विचार | संरावः ( 50 ) 5 कोलाहल शोर । होहल्ला गड़- बड़ी | शिव जी | संख्या (व० कृ० ) टुकड़े टुकड़े किया हुआ। टूदा हुआ।