विसकट, विसङ्कट विसंकट ( वि० ) भयानक | खरावना भयप्रद विसङ्कट ) भयकर | ( पु० ) 1 सिंह २ इंगुदी का पेड़ | विसंकट: विसङ्कटः विसंगत विसङ्गत } { वि० ) अयोग्य । असङ्गत । बेमेळ । } ( पु० ) कुसन्धि । सन्धि का अभाव । विसरा ( पु० ) १ गमन प्रस्थान • रवानगी १२ वृद्धि निकास ३ भीड़ भवका गला 1 देव | ४ अत्यधिक परिमाण । ढेरे । ( ७६४ ) विसंधिः विसन्धिः विस्तर: देखो विसर्प का पाँचवा अर्थ विसारं ( न०) १ काठ लकड़ी २ शहतीर लड्डा दिसारिन (वि० ) [स्त्री० -बिसारिणी] १ व्याति फैक्षाव | २ रेंगन फिसलन सरफन। ( 50 ) मछली | 1
- विसिनी देखो विसिनी ।
विसर्गः (पु० ) १ मेरण । स्वाग | २ बहाव | उड़ेलन | विसूचिका ( स्त्री० ) हैज्ञा | टपकान | ३ प्रवेपण | दोड़ना ४ प्रदान भेद दान | ५ विसर्जन | बरखास्तगी ६ छोड़ देना। विसुरां ( न० ) (स्त्री० ) कष्ट। शोक | म प्रस्थान | विछोह र मोक्ष | मुक्ति | १० स्याग कर देना १ ७ उप्सर्जन । (जैसे मज मृत्र का ) | विसूदितं ( न० ) पश्चात्ताप । पछतावा | परिताप विसुरिता ( श्री० ) ज्वर विसूत (व० ० ) १ फैला हुआ | छाया हुधा । या २ धागे बढ़ा हुआ । पसारा हुआ ३ उच्चारित । ( बीप्ति प्रभा। ११ व्याकरणानुसार एक वर्ण जिसका चिन्ह खड़े दो बिन्दु ( : ) होते हैं । १२ सूर्य का दक्षिण अयन | १३ लिङ्ग । जननेन्द्रिय | विसर्पिः (g० ) विसर्विका (श्री० ). विसल देखो विसल विसारः ( पु० ) १ व्याति | फैलाव २ रेंगन फिसलन २ म देना। ५ बरखास्तगी | ६ किसी देवता की बिदा | 1 विसर्जन ( न० ) १ परित्याग स्याग ३ दान | प्रश्न भेंट ३मल का त्याग करना। ४ छोड़ | वितृत्वर (वि० ) [ खी० --- विसृत्वरी] १ फैला हुआ विस्तारित व्यास २ रेंगने वाला। फिसलने वाला } आवाहन का उलटा । ७ वृषोत्सर्ग सौंद दाग | विसृमर (वि० ) रेंगने वाला फिसलने वाला। कर छोड़ना चलने वाला। विसर्जनीय (वि० ) त्यागने योग्य विसर्जनीयः देखो विसर्गः । विसर्जित ( ३० कृ०) प्रेरित स्थक्त २ दस ३ छोड़ा हुआ। त्याग किया हुआ 8 प्रेषित । भेजा हुआ। ५ बरखास्त किया हुआ। विसर्पः ( पु० ) : रेंगना । फिसलना । सरकना | २ इधर उधर घूमना | ३ फैखमा । भ्रमण करता । ४ किसी कर्म का अनाधित और अनपेक्षित परिणाम | प्रदत्त
- रोग विशेष जिसमें उबर के साथ साथ सारे शरीर / विस्तार: ( पु० ) १ विस्तार प्रसार
में छोटी छोटी फुंसियाँ हो जाती हैं। सूखी फैलाव २ विस्तृत विवरण सविस्तर वर्णन 1 ६ व्यासि खुजली ४ विपुलता बहुत्य समूह संख्या आधार विसर्पघ्नं ( म० ) मोम | ६ बैठकी। पीढ़ा। विसर्पणम् ( न० ) १ बैंगना। फिसलना। धीमी चाल ! विस्तरः ( पु० ) १ लंबे या चौड़े होने का भाव से चलना । २ व्याप्ति। प्रसार । बढ़ोत्तरी । फैलाव | २ चौड़ाई। ६ बाय | वृद्धि ४ थ्यो! 1 विसृष्ट ( ६० कृ०) १ प्रेरित व्यक्त | २ रचा हुआ स्पष्ट ३ बढ़ाया हुआ। फेंका हुआ। मेजा हुआ प्रेषित ४ निकाला हुआ बरखास्त किया हुआ ५ फेंका हुआ या चलाया हुआ था छोड़ा हुआ ( अक्ष ) । ६ दिया हुआ ७ बक्शा हुआ | त्यागा हुआ। अगाया हुआ दराया हुआ। विस्त देखो विस्त |