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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७९२

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विलेखन विलेखनं ( न० ) सरोधना: छीलना धारी करना। चिह्न बनाना। ( ७८k ) विलेपनं ( न० ) १ लेप करने या लगाने की क्रिया २ क्षेप | मरहम | ३ चन्दन, केसर आदि कोई भी सुगन्ध द्रव्य जो शरीर में लगाई जाय । विलेपः ( पु० ) १ शरीर आदि पर चुप कर लगाने की चीज़ लेप २ पलस्तर ३ गारा। विलेपनी ( खो० ) १ स्त्री जिसके शरीर पर सुगन्ध द्रव्य लगाये गये हों। २ सुवेशा स्त्री | ३ चावल की कॉजी | 1 विपिका ( स्त्री० विलेपी ( श्री० ) विलेप्यः ( पु० ) भाव की माँही । 1 विलोकनं ( न० ) १ चितवन | अवलोकन १२ रष्टि विलोकित ( व० ० ) १ देखा हुआ | २ जाँचा हुआ। पड़ताला हुआ। विचारा हुआ। विलोकितं ( न० ) चितवन । भलफ। विलोचनं (न० ) आँख नेत्र आँसू विलोडनं ( म० ) हिलाना हुलाना । करना। बिलोना। मथना (०) आन्दोलित बिलोडित (५० कृ० ) हिलाया हुआ हुआ। मथा हुआ। विलोडितं ( न० ) माठात | विलोपः (५० ) : किसी वस्तु को लेकर भाग जाने की क्रिया । लूटपाट अपहरण २ अभाव विखोया नाश | विलोपनं ( न० ) १ काटना । २ लेभागना । ३ नाशन। विनाशन | विलोभः (०) आकर्षण लालच । प्रलोभन । बहकाना फुसलाना | विजाभनं ( न० ) १ लाभ दिलाने या लुभाने की क्रिया २ बहकाने या फुसलाने की क्रिया ३ प्रशंसा | चापलुसी । विलोम (वि० ) [ श्री० - विलोमी ]: विपरीत। उलटा प्रतिकूल | २ पिछड़ा हुआ पीछे पड़ा विवधः हुचा ३ विपरीन क्रम किया हुआ। -जात, वर्ण, ( वि० ) दिप- रीत क्रम से उत्पन्न अर्थात ऐसी माता से उत्पा जिसकी जाति, उसके पति से ऊँची हो। ऊंची जाति की माता और माता की अपेक्षा हीन जाति के पिता से उत्पन्न सन्तन (०) ---विधिः, (पु० ) विपरीत किया वह क्रिया जो तसे यादि की ओर को शाय। उलटी ओर से होने वाली किया (-जिड़, ( पृ० ) हाथी विलोमं ( न० ) रहट यंत्र विशेष | रूप से जल निकालने का + वित्तोमः ( पु० ) १ विपरीत क्रम १२ कुत्ता ३ सौंप ४ वरुण का नाम । विलोमी (स्त्री० ) ऑबलः | आँचलको विलीन ( वि० ) १ हिलने तुलने वाला कोंपने बाजा। चंचल | २ ढीला | अस्तव्यस्त विखरे हुए ( बाल ) ।

विजोहितः ( पु० ) रुद्र का नाम ।
विल्ल देखो बिल्ल |

विल्वः (पु० ) वेल का पेड़ विवता (स्त्री०) १ बोखने की अभिलाषा | २ इच्छा । अभिलाषा ३ अर्थ | भाव | ४ इरादा। अभि- प्राय | उद्देश्य विवक्षित ( वि० ) १ जिसके कहने की इच्छा हो । २ इच्छित अपेक्षित ३ मिय ● विवक्षितं ( ० ) १ इरादा | उद्देश्य | अभिप्राय | २ भाव । अर्थ विवतु ( वि० ) बोलने या कोई बात कहने की इच्छा करने वाला । विवत्सा (स्त्री० ) वह गाय जिसका बखरा न हो। विवधः ( पु० ) १ वह लकड़ी जो बैदों के कंधों पर. योभ खींचने के लिये रक्खी जाती है जुवाठा। २ राजमार्ग | आम रास्ता ३ बोका ४ धनाज की राशि ५ पड़ा। स० श० कौ० १२