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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७३३

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लाक ( ( पु० ) १ राजा | २ बाह्मण | ३ पास | शरद -उक्ति, ( स्त्री० १ कहावत | मलल । सार्व- जनिक मत !-- उत्तर, (दि० ) अलौकिक । असाधारण । असामान्य उत्तरः ( पु० ) राजा-एपणा. ( स्त्री० ) स्वर्गसुख प्राप्ति की कामना :-कराटकः, ( पु० ) वह जो समाज का कराटक विरोधी या हानिकर हो । दुष्टप्राणी | -कथा : स्त्री० प्रमिद्ध प्राचीन कहानी - कर्तृ, कृ. ( पु० ) संसार का रचने या बनाने वाला 1-गाथा, ( स्त्री० ) प्रचलित गीत - चक्षुस, (न०) सूर्य |– बारित्रं, (न०) संसार का ढग ।-जननी, (स्त्री० । लक्ष्मी जी का नाम । - जित्, ( पु० ) १ बुद्धदेव | २ कोई भी संसार विजयी । —ज्ञ, ( वि० ) संसार का ज्ञाता 1- ज्येष्ठः, ( पु० ) बुद्धदेव की उपाधि । - तत्त्वं ( न० ) मानव जाति का ज्ञान । - तुषारः, (पु०) | लोकंपृण ( वि० ) संसार व्यापी । कपूर । - त्रय, ( न० ) त्रयी, (स्त्री० ) स्वर्ग, म और पातल-तीनों लोकों को समष्टि 1- धातृ, ( पु० ) शिव जी का नाम । -नाथः ( पु० ) १ ब्राह्मण | २ विष्णु | ३ शिव | ४ राजा महाराज ५ बौद्ध /-नेतू ( पु० ) शिव जी की उपाधि 1-पः --पालः, ( घु० ) दिग्पाल | इनकी संख्या है।-पतिः, ७२६) लोत - लोचनं. ( न० ) सूर्य 1-वचनं, ( न० ) - वादः, ( पु० ) - वार्ता, ( स्त्री० ) अफवाह किंवदन्ती । - विद्विट ( वि० ) वह जो सब को नापसंद हो या जिसे सब नापसंद करें।-लोक- विधिः, ( पु० ) १ प्रचलित पद्धति । २ संसार का रचयिता | विश्रुत, ( वि० ) जगद्विख्यात | संसार भर में प्रसिद्ध वृत्तं, (न० ) लोक- रीति | गप्पाष्टक । —श्रुतिः ( स्त्री० ) १ जन- श्रुति | अफवाह | २ जगप्रसिद्धि या कीर्ति /- सङ्कः, ( पु० ) संसार की गड़बड़ी। गोलमाल । --संग्रहः, (पु० ) संसार का कल्याण या सब की भलाई ।-साक्षिन्, ( पु० ) १ ब्रह्मा १२ अग्नि । सिद्ध, ( वि० ) मामूली । प्रचलित । रसूमी | लोकनं ( न० ) अवलोकन चितवन । ( पु० ) १ ब्रह्मा । २ विष्णु ३ राजा महा- राज। -पथः, - पद्धति, ( स्त्री० ) सार्वजनिक व्यवहार या कार्य करने का ढंग - पितामहः, ( पु० ) ब्रह्मा जी । - प्रकाशनः, ( पु० ) सूर्य - प्रवादः, ( पु० ) किंवदन्ती । अफवाह |- प्रसिद्ध, (वि० ) विश्वविख्यात ।-बन्धुः, - बान्धवः, ( पु० ) सूर्य 1 – बाह्य – वाह्य, ( वि० ) १ लोकबहिष्कृत | समाज से खारिज या निकाला हुआ। २ संसार से निराला अकेला । वाह्यः, (. पु० ) जातिच्युत । - मर्यादा, (स्त्री०) लौकिक व्यवहार लौकिक चलन या रस्म । - मातृ, (स्त्री० ) लक्ष्मी जी |मार्गः, ( पु० ) लौकिक चलन। – यात्रा, ( स्त्री० ) १ व्यवहार । २ व्यापार | ३ आजीविका /- रक्षः ( पु० ) राजा महाराज । --रंजनं, (न० ) सर्वप्रियता | लोच ( धा० आ० ) [ लोचते ] देखना। लोचं ( न० ) आँसू । लोचकः ( पु० ) १ मूर्खपुरुष २ आँख की पुतली | ३ दीपक की कालिख या काजल । सुर्मा । अँजन | ४ कर्णभूषण विशेष ५ काला या आसमानी वस्त्र । ६ धनुष का रोदा। शीशफूल | ८ साँप की कैचुली । १० झुर्रियाँ पड़ा हुआ चर्म । ११ सुर्री पड़ी हुई भौँएँ । १२ केला का पेड़ | लोचनं ( न० ) १ देखन चितवन । श्रवलोकन | २ आँख । -गोचरः, – पथः, –मार्गः (पु०) दृष्टि की दौड़। - हिता, ( स्त्री० ) नीलाथोथा । तूतिया ! लोट (धा० पर० ) [ लोटति ] पागल होना । मूर्ख होना । लोठः ( पु० ) भूमि पर लेटना। लोड् ( घा० पर० ) [ लोडति ] पागल होना । मूर्ख होना । लोडनं ( न०) हिलाना । डुलाना । लोणारः ( पु० ) निमक विशेष | लोतः ( पु० ) १ आँसू | २ चिन्ह | निशान |