मास् गन्न बीच का का पेड़ पु > आम ग्रहण (न) अथरा सूर्य क ग्रहण का मकाज दिन (द) दोपहर-दे: (पु० ) १ कमर २ पेड़। उदर ३ हिमालय और के दीन का देश | इसको सामा उशों में इस प्रकार है । उत्तर में हिमालय, दहेण में विन्ध्याचल, पश्चिम में कुरुक्षेत्र और पूर्व में प्रयाग। प्राचीन काल में यही देश आयोँ का प्रधान निवासस्थान था और बहुत पवित्र माना जाता था। ४ मध्यान्ह रेखा - देहः, ( 50 ) उपेन् ( 50 ) देखो मध्यम लोपन्नः ( पु० ) आन पहचान । परेचय ---भागः, ( पु० ) का हिस्सः | २ कमर | - यव, - ( १० ) प्राचीन काल का एक परिमाण जो ६ पीली सरसों के बराबर होता था - रात्रः - रात्रि: (०) रात्र-रेखा ( स्त्री० ) ज्योतिष और भूगोल शास्त्र में वह रेखा जिसकी कल्पना देशान्तर निकालने के लिये की जाती है। यह रेखा उत्तर दक्षिण मानी जाती है और उधरी तथा दक्षिणी ध्रुवों को कारती हुई एक वृत्त बनाती है । - लोकः, ( पु० ) वी वसू + ( वि० ) अधेड़ उम्र का 1-वर्तिन. ( वि० ) बीच का जो मध्य में हो। ( पु० ) पंच | बीच में पहने वाला।वृत्तं, ( न० ) नाभि । सूत्र, (न०) देखो मध्य रेखा :- स्थ, ( चि० ) मध्यवर्ती | २ मोला । ३ उदासीन । तडस्य | ४ निरपेक्ष 1- स्थः ( पु० ) १ दो होने पर उस झगड़े को निपने वाला। बीच में मध्यमं ( न० ) कमर | कटि । पद कर मिटाने वाला २ शिव जी की उपाधि - स्थतं, (न० ) 1 मध्य | बीध | मध्य का देश | ३ कमर 1- स्थानं, (न० ) बांच की जगह । २ अन्तरिक्ष | - म रतस] ( चप्पया० ) वीच से २ बीच में बहुत सो में से । रम ( वि० ) १ मध्यवर्ती बीच का | २ मझोला 1 ३ निरपेड पक्षपात शून्य " रमः ( 50 ) संगत कला के ससस्वरों में से चौथा | ' ३०२ २ ०क राग का मध्य र ४ फरमस्थ राजा | ६ वह जो नायिका के कुपित होने पर अपना अनुराग न करे और उसकी चेष्टायों से उसके मन का भाव ताह ले । ७ साहित्य में तीन प्रकार के गायकों में से एक सूत्रेदार प्रान्तीय शासक सूत्रे का हाकिम अगुलिः. ( पु० ) हाथ की यात्र की ऊँगली 1 - कक्षा, ( खो० ) बीच का ऑगन या सहन (ज्ञात, ( दि० ) मफला दो के बीच का उत्पन्न - न ( पु० ) व्याकरण में यह समास जिसमें प्रथम पद से द्वितीय पर का सम्बन्ध बह लने वाला शब्द सुसया समास से अध्याहृत रहता है। लुप्त-समास/पाण्डवः ( पु० ) अर्जुन पुरुः (०) व्याकरणनुसार तीन पुरुषों में से यह पुरुष जिससे बात की जाय वह पुरुष जिससे कुछ कहा जाय। भूतकः ( पु० ) किसान खेतहर रात्रः (पु.) आधीरात | - लोकः, पु०) बीच का लोक अर्थात् पृथिवी । -संग्रह (पु० ) पुष्पादि साधारण वस्तुओं की भेंट भेज कर दूसरे की स्त्री को अपने ऊपर अनुरक बना लेना [ ध्यासस्मृति के अनुसार "] [भूप भूरसवाडयां सोमनं धावसंदरतः " } - साहसः, ( पु० ) मनुस्मृति के अनुसार पाँच सौ पण तक का अर्थदण्ड या जुरमाना स्य, ( वि० ) बीच का । मध्यमा ( स्त्री० ) १ हाथ की बीच की ऊँगली | २ वह स्थानी लड़की जो विवाह योग्य हो गयी हो। २ कमलगट्टा | ४ वह नायिका जो अपने प्रियतम के प्रेम या देष के अनुसार उसका आदर मान या अपमान करे। स्त्री जो अपनी जवानी की उम्र के यांच पहुॅच हो । सध्यमक (चि० ) [ स्त्री-मध्यमिका ] बीच का बीचों बीच का ।
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