पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६४५

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मरुक ( ६ ) मधा मधुर बि०) १ मा | शहद मिला हुआ २ सुन्दर मनोरक्षक ३ जो सुनने में भला जान पड़े। मधुरं ( ० ) १ मिडास २ शरवत ३ विप ४ हीन जस्ता | . 4 का पेद | यज फत २ नाय | ३ कोंडाय या विनामक | पृष्ठ-कनिका, (खो० ) मीढी खजूर 1- व (०) माधवी लगा ।-वाः- वाजः (पु० ) अनार का पेड़ पीजपुर- वोजपुरं ( 50 ) जंम्भीरी विशेष-मक्षः, क्षाः, ( स्वी० )~~मत्तिक', ( स्त्री० ) शहर की मरखी मज्जनः ( ० ) चाखोड नामक वृ --मदः, ( पु० ) शराब का नशा 1-मस्जिः ( श्री० )-मरजी, (श्रो०) माजती लता - माधवी, (खो० ) १ मदिरा विशेष २ चास- न्सी लता ३ एक रागिनी जो भैरव राम की सहवरी है। वसन्तुनु में फूलने वाला कोई भी फूल । - माध्वीकं ( म० ) भाराव | मदिरा || मधुरिनन् (पु० ) मिठास | -मारक, ( पु० ) शहद की मक्खी। -यटिः | मधुलिका (स्त्री० ) राई | ( स्त्री० ) गन्ना ईस 1- रसः ( पु० ) १ मधूकं (न० ) महु का फूल ईस । ऊस । गन्ना | २ मधुरता | मिडास - मधूकः ( 5 )शहद की मक्खी। महूक। महुए रसा. ( स्त्री० ) १ अँग्रों का गुच्छा | २ दाख दावा। सुनका ।-~-लक्ष्क्षः, (५० ) लाल शोभाख लिहू-लेड - नेहन, (पु० ) शहद का मक्वी वनं (न० ) वह यन जिसमें मनुत्य रहता था और जहाँ पछे से जी ने मथुरा बसाई वन (०) को किल कोयल - वारः, (पु.) मय पीने की रीति स ( पु० ) भैरा असर - शर्करा ( श्री० ) शहद | चीनी -गखः ( पु० ) महुर का पेड़- माम /-सखः, ~ सहाय, ( पु० ) कामदेव - प्रकार का स्थावर विप शहद की मक्खी भौरा स्थानं ( न० ) शहद का वृत्तावर (पु०) कोकिल - हन्, (पु० ) शहद को नष्ट करने वाला या एकत्र करने वाला २ शिकारी पक्षी ३ आगम बतलाने वाला ४ विष्णु का नाम,न्तर कं ( न० ) १ टीन | जस्ता २ मुलेड़ा | कः ( पु० ) १ महुर का पेड़ | २ अशोक पक्षी विशेष 2 शि , P साथि हुड - - शेवं (न०) - , ( पु० ) एक हं ( धन्यया० ) मधुरता से प्रियता से। 1 सूदनः ( पु० ) २ श्री मधुरः (पु० ) : लाल गडा । २ वल । ३ राव। शकर गुड़ धाम बिशेर । -वराडका, मधूती (श्री० ) अ.भ का पेड़ मध्य (वि० ) १ बीच का ||२ मझोला । दरमिनी ३ मतदेतत्व निरपेक्ष + डॉक उचित | (ज्यावि०) मध्यदूरव मध्यम अन्तर | मध्ये (२०) | यो मध्य | मध्य का भाग । २ मध्धः (१०) शर. र का सध्यभाग कमर ३ पेट। ऊदर ४ किसी वस्तु का भातर का भाग ५ मध्यावस्था ६ घड़े की कोख या चक्ली । ७ संगीत में एक सहक जिसके स्वरों का उच्चारण वक्षस्थज से, कण्ठ के भांतर के स्थानों से किया जाता है। साधरणतः इसे बीच का सप्तक मानते हैं। ( न० ) दस अरब की संख्या मध्य (०) पाँच ऊँग जयों में से बीच की ऊँगली

- ङ्गुली ( श्री० ) हाथ को बीच

की ऊँगली - अहः, (पु०) दु.पहर 1 -कर्णः ( पु० ) वे रेखाएं जो बिसी बृत के केन्द्र से परिधि तक खींची जाती हैं । -गत, ( वि० ) २ 1 ( पु० ) एक प्रकार की महली । - जम्नोरं (न०) जैभं री 1- फूलः (पु० ) बेर फल राजयदर । मधुरता ( खो० ) ) १ मिास । सौन्दर्य मनो- मधुर वम् (न० ) ) हरा | ३ सुकुमारता ! फंमजता । } मधूतः ( पु० ) जज मङ्कर का पेड़ । मधूनिका ( स्त्री० ) सूर्या | २ मुझेडी |