ब्राह्मणकः ब्राह्मणकः ( पु० ) १ नाम मात्र का ब्राह्मण | निकृष्ट अथवा अयोग्य ब्राह्मण | २ उस देश विशेष का नाम जहाँ रखप्रिय ब्राह्मण वास करते थे । ब्राह्मणा (अन्य ) १ ब्राह्मणों में | २ ब्राह्मण की दशा में । ब्राह्मणसिन् (१० ) सोमयाग में ब्रह्म का सहकारी एक ऋत्विक् ! ब्राह्मणी (स्त्री० ) : ब्राह्मण जाति की स्त्री | २ ब्राह्मण की पत्नी ३ वृद्धि | ४ गिरगट की जाति का एक नुष्टान । धार्मिक कृत्यों की रस्म । ६ रोहिणी नक्षत्र | दुर्गा माल विवाह से परिणीत स्की । ब्राह्मण की पत्नी । १० रुखरी विशेष | 29 पीतल १२ एक नही का नाम 1-केन्द्रः ( पु० ) बाराही कंद --गायत्री, ( की० ) एक वैदिक छन्द | इसमें ४२ वर्ष होते हैं।--- जगती. ( स्त्री० ) वैदिक छन्द विशेष, जिसमें ७२ वर्ण होते हैं। -- पंक्ति (स्त्री० ) वैदिक छन्द विशेष, जिसमें ६० वर्ण होते हैं 1-वृहती. ( स्त्री० ) वैदिकद्र जिसमें २४ वर्ण होते हैं। जन्तु विशेष ग्रामिन्. ( पु० ) ब्राह्मणी का ब्राह्मच ( वि० ) [ स्त्री० --ब्राह्मची ] ३ ब्राह्मणों से यहा उपपति । सम्बन्धी २ परग्र सम्बन्धी ब्राह्मराय (वि० ) ब्राह्मणत्व । सम्बन्ध रखने वाला -उत ( न० ) ब्रह्मयज्ञ ब्राह्मण्यं ( न० ) १ ब्राह्मणत्व | २ ब्राह्मणों का समुदाय | ब्राह्मरायः ( पु० ) शनिग्रह का नामान्सर | ब्राह्मी (स्त्री० ) १ ग्रह्म की मूर्तिमंती शक्ति । २ सरस्वती | ३ वाणी | ४ कहानी कथा | २ धर्मा भ ● भ-संस्कृत वर्णमाला का चौबीसवाँ व्यञ्जन और पव का चौथा वर्ण। इसका उच्चारण स्थान श्रेष्ठ है और इसका प्रयत्न संवार, नाद और घोष है । यह महाप्राण है और इसका अल्पप्राण ब" है। भं ( न. ) १ नक्षत्र २ राशि | ३ ग्रह | ४ तारा। ३ सत्ताइस की संख्या ६ मधुमक्खी । भः ( पु० ) १ शुक्र ग्रह । २ भ्रम माया-ईनः -- ईशः, (पु० ) सूर्य 1- गणाः वर्गः, (पु०) १ सितारों का समुदाय । २ राशिचक्र | ३ राशिचक्र में ग्रहों का भ्रमण। - गोलः, (पु० ) नक्षत्रचक्र | • चक्रं. - मण्डलं, ( न० ) राशिचक्र |- पतिः, (पु० ) चन्द्रमा 1- सूचक ( पु० ) ज्योतिषी " भक्त भक्तिका ( स्त्री० ) गेंदवल्ला का खेल। भक्त (च० कृ०) १ बाँटा हुआ । निर्दिष्ट किया हुआ १२ : ब्राह्मचं ( न० ) आश्चर्य। विस्मय ध्रुव (०) बनायी। ब्रू ( घा० [ जोति, व्रते ह, ] कहना | २ बोलना | ३ पुकारना | ४ उत्तर देना। ब्लेस्कं (न० ) फंदा | जाल | पाश । विभाजित | ३ पूजन किया हुआ | ४ संलग्न | ३ अनुरक्त ६ सम्हारा हुआ। पकाया हुआ - शु०) भूख । भोजन करने की रसोइया । पदार्थों से अभिलापः इच्छा - साधकः, ( पु० ) पाचक /कंसः, (पु० ) भोजन के भरी हुई थाली-करः (पु ) एक प्रकार का सुगन्धित द्रव्य जो अनेक अन्य द्रव्यों को मिला कर बनाया जाता है। - कारः, (पु०) रसोइया | पात्रक 1-छन्द, (न० ) भूख --दासः, (पु०) भोजन मात्र पाने पर खिदमत करने वाला।---द्वेषः ( पु० ) भोजन के प्रति अरुचि । - मराडं, (न०) मौंद। --रोचन, ( वि० / भूख बढ़ाने वाला - वत्सल, ( वि० ) भक्तों पर कृपा करने वाला । -शाला, (स्त्री० ) प्रार्थियों से मुलाकात करने का कमरा भोजन गृह सं० श० को०
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