पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६०९

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मर्क 1 ३ भक्तं ( न० ) १ हिस्सा | अंश बाँट । २ भोजन भात उवाला हुआ कोई भी भोज्य पदार्थ । भक ( पु० ) पूजक पूजन करने वाला। उपासक भक्तिः (स्त्री०) भिन्नता पृथकता। बटवारा । बाँद । २ विभाग अँश हिस्सा ३ अनुराग श्रद्धा 1 ( ६०२ ४ सम्मान सेवा | पूजन । मानप्रदर्शन | ५ विनावट | ६ सजावट । ॐ विशेषण | - नम्र-पूर्व, - पूर्वकं ( अय्यया० ) अनुरागयुक्त 1 सम्मान सहित । -भाज, (वि० ) विश्वस्त | अनुरागवान --मार्गः (पु०) भक्तियोग | भक्ति का यह साधन जिसके द्वारा भगवद् प्राप्ति हो --भोगः (पु० ) भक्ति का साधन । 1 ! भक्तिमत (वि० ) अनुरागी। सच्चा विश्वास रखने वाला । भक्तिल ( वि० ) १ भक्तिदायक | २ विश्वस्त | सच्चा भक्ष ( धा० उभय० ) [ भक्षयति-भक्षयते, भतति ] खाना | भक्षण करना । २ निघटाना |३ खराब करना । नाश करना ४ डसना काटना । भक्षः ( पु० ) भोजन करना । २ भोज्य पदार्थ मक्षक ( वि० ) [खो०- भतिका] १ खाने वाला । २ पेटू । भोजनभट्ट भक्षण (वि०) [ स्त्री० --भक्षणी ] खाने वाला। भक्षणं (न० ) खाना । भक्ष्य (वि०) खाने योग्य-कारः, (पु० ) भयं- कारः भी होता है। नानबाई पाचक रसोइया । भयं ( न० ) भोज्य पदार्थ भगं ( न० ) उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र " ३ 1 1 भगः ( पु० ) १ सूर्य के द्वादश रूपों में से एक । २ चन्द्रमा ३ शिव का रूप विशेष ४ सौभाग्य । २ समृद्धि | ६ गौरव । ७ कीर्ति । मनोहरता । सौन्दर्य | ३ सर्वोत्तमता १० प्रेम | स्नेह । ११ आमोदप्रमोद ॥ १२ सद्गुण । नय । धर्म । १३ उद्योग | प्रयान । १४ निरपेक्षता ( सौंसारिक पदार्थों के प्रति ) १५ मोच | मुक्ति | १६ बल | शक्ति । १७ सर्वव्यापकता ।-१ बबासीर । धर्शरोग |~-मः, (पु० ) शिव जी -अङ्कुरः, ( पु० ) i ) मंझ -देवः, (पु०) पल्ले दर्जे का कामुक या लॅपट -देवता, (स्त्री०) विवाह का अधिष्ठाता देवता। - दैवतं, (न० ) उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र ।-- नन्दनः, ( पु० ) विष्णु - भत्तकः ( पु० ) • कुटना | भडुआ। भगन्दरः एक रोग | भगंदरः ) ( go ) गुदावर्त के किनारे होने वाला भगवत् ( वि० ) १ ऐश्वर्ययुक्त १२ पूज्य | सम्माननीय देवी (पु० ) १ देवता । २ विष्णु | ३ शिव । ४ जिन | ५ बुद्ध देव भगवदीयः ( पु० ) भगवान विष्णु का उपासक भगालं ( न० ) खोपड़ी भगालिन् ( पु० ) शिव । भगिन् (वि० ) [ स्त्री०- भगिनी ] १ समृदुशाली। प्रसन्न । भाग्यवान् । २ प्रतापी शानदार | भगिनिका ( स्त्री० ) वहिन । भगिनी ( स्त्री० ) १ बहिन । २ सौभाग्यवती स्त्री ३ स्त्री / – पतिः, ( पु० ) -भर्तु, ( पु० ) बहनोई । बहिन का पति । - भगिनीयः ( पु० ) भाँजा बहिन का पुत्र । भगीरथः (पु० ) सूर्यवंशी एक प्राचीन राजा का नाम जिसने सप कर गङ्गा को मृत्युलोक में बुलाया । – पथः, - प्रयत्नः, ( पु० ) बड़ा भारी परिश्रम । -सुता, (स्त्री० ) श्रीगङ्गा जी । भग्न ( व० कृ० ) १ टूटा फूटा फटा हुआ। २ परा- जित हसाश | ३ पकड़ा हुआ थामा हुआ। रोका हुआ। ४ निर्बल किया हुआ। ५ भलीभाँति पराजित किया हुआ | ६ नष्ट किया हुआ - आत्मन (पु० ) चन्द्रमा । प्रापद् (वि०) वह जिसने विपत्तियों थथवा अपने दुर्भाग्य पर विजय प्राप्त की हो।—प्राश, (वि०) निराश हताश | उत्साह, (वि०) हतोत्साह। -पृष्ठ (वि० ) १ टूटी हुई पीठ वाला २ सामने आने वाला। -प्रतिज्ञ, ( वि० ) वह जिसने अपनी प्रतिज्ञा तोड़ दी हो। -मनस ( वि० ) हताश - व्रत, ( वि० ) वह जिसने अपना व्रत भङ्ग कर डाला ·