पितृक ( पु० ) पिता के नातेदार पियल के लोग भक्त (वि०) पिता का आज्ञाकारी भलि ( पु० ) पिता की भक्ति पिता में पूज्य बुद्धि !-- वाला । भोजनम्, ( म० ) १ पितरों को अर्पण किया | पित्र्यं (न० ) १ मघा नक्षत्र तर्जनी और अँगूठे के बीच का हथेली का भाग। पिश्यः (पु० ) १ ज्येष्ठ भ्राता | २ मात्र मास । पिया ( स्त्री० ) : मघा नक्षत्र | २ पूर्णिमा | हुआ भोजन | २ उरद /-भ्रातृः, (पु० ) चाचा मन्दिरं, ( म० ) १ पिता का घर | २ श्मशान । कयलान 1-मेधः, (पु० ) वैदिक अन्त्येष्टि कर्म का भेद विशेष यज्ञः, ( ए ० ) वर्पयादि । पितृतर्पण | राजू, (पु०) -राजः, ( पु० ) राजन. ( पु० ) यमराज || -रूप (पु० ) शिव लोकः, (पु० ) यह लोक जिसमें पितृगण रहते हैं। वंशः, ३ लवादा चादर ४ टकन ढकना ! पहना हुआ। ( पु० ) पिता का कुल 1-वनं, (न० ) पिधानकम् ( न० ) १ म्यान | परतला | २ ढकना | कबस्नान | श्मशान 1-वसतिः, ( स्त्री० ) - विधायक (वि०) विपाने वाला ढकने वाला । समन् ( न० ) फवस्तान | श्मशान श्रखंड (व० कृ० ) 1 बंधा हुआ ( न०) पितृवाद |-- स्वस (श्री० ) बुधा । - प्वत्रीयः, ( पु० ) चचेरा भाई । फुफेरा भाई ! -सन्निम, ( वि० ) : चैतृक | सन्ध्या काल | स्थानीयः, ( पु० ) अभिभावक | पितृ स्थानीय!-हन्, हत्या, ( स्त्री० ) पिता की २ पोशाक की तरह धारण किया हुआ ३ दिपा हुआ। ४ दिदा हुआ घुसा हुआ। २ लपेटा हुआ। ढका हुआ। पिनाकं ( न० ) } 1 शिव जी का धनुर । २ पिनाकः (पु० ) त्रिशूल ३ धनुष हत्या करने वाला । ४ डंडा या घड़ी धूल की दृष्टि । गीत, घृक, धृत-पाणि (पु० ) शिव जी के नामान्तर । पिनाकिन् ( पु० ) शिव जी का नामान्तर । | विपतिपत् (पु० ) पक्षो । चिड़िया पिवति (वि० ) पतनशील गिरने वाला। ¡ पिप्पर पिय ( वि० ) १ पैतृक पिता सम्बन्धी । पुरखो का | पुरवनी : २ मृत पितरों से सम्बन्ध रखने ज़ुक ( वि० ) १ पिता सम्बन्धी पुरखों का । पुश्तैनी | २ अन्त्येष्टि क्रिया सम्बन्धी व्यः ( पु० ) १ पिता का भाई। चाचा । चचा २ कोई भी पुरुष आतीय वयोवृद्ध नातेदार अमावास्या | पित्सत् ( ५० ) पक्षी । वित्सलः ( पु० ) मार्ग | रास्ता सड़क | राह| विधानं ( न० ) १ श्राच्छादन | छिपाना २ म्यान | तं ( न० ) एक तरल पदार्थ जो शरीर के भीतर | विपतिः (पु० ) चिड़िया यकृत में बनता है 1-तीसारः (०) पित्त के प्रकोप से उत्पन्न दस्तों का रोग। --- पिपासा ( स्त्री० ) ध्यास तृषा | पिपासित उपहत, ( वि० ) पिस प्रकोप से पीड़ित-पिपासिन ( क्रि० ) प्यासा कोपः, ( पु० ) पिता क्षोभः, ( पु० ) पित्त का प्रकोप ~~ज्वरः, ( पु० ) पित्त के प्रकेाप से उत्पन्न ज्वर ।~~प्रकोपः, ( पु० ) पित्त का विकार।~~ रक्त, ( न० ) रक्त पित्त रक्ता- धिक्य 1--विदग्ध, ( वि० ) पित्त विकार से निर्बल किया गया ।— शमन, -हर, (पि०) पित्त के विकारों को दूर करने वाला। पिपासु पिपील: ( पु० ) पिपीली ( बी० ) पिपलकः ( पु० ) चेटा | चींटी | } चींटी पिपतिकं ( न०') सुवर्णं विशेष | पिरीलिका ( खी० ) माड़ा चींटी १- परिसर्पणम्, पिपीलिकः ( पु० ) चींटी ( न० ) चीटियों का इधर उधर भ्रमण | क्ल ( बि० ) पित्त को उभावने वाला पित्तकारी | पिप्पलः ( पु० ) १ वट वृक्ष | २ स्थन की ढेपनी | कुर्ती या जाकेट की आस्तीन लं (न०) 1 पीतल । धातु विशेष | २ भोजपत्र । |
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