निठानम् ( 3 ) यता योग्यता | सर्वाङ्गपूर्णता २ समाप्ति । ६ : निष्पेषः किसी डामा या नाटक का दुःखान्त । ७ नाश । मृत्यु | किसी निश्चित समय पर इस संसार से अन्तर्धान होना । ८ निश्चय | faeserमक ज्ञान | ६ याचना | १० कष्ट | पीड़ा | सन्ताप चिन्ता | ठानम् ( न० ) चटनी | मसाला | ( न० ) ) ( पु० ) टीवं ष्ठीवः ष्ठेवः ष्टेवं ( पु० ) ( न० ) ष्टीवनम् (न० ) डेवनम् ( न० ) ठीवितं ( न० ). ठुर ( वि० ) १ कठिन | कड़ा | सख्त २ तीव्र | सीधण | उग्र | ३ नृशंस । कड़ेजी का । संगदिल । ४ बेलगाम । निर्लज्ज । बड़बोला । ध्ठ्यूत ( व० कु० ) थूका हुआ | उगला हुआ । फैका हुआ । १ थूक | २ एक दवा जिसके सेवन से रोगी का कफ निकलने लगता है। ट्युतिः ( स्त्री० ) थूक | खकार । का ध्यात १ (वि० ) १ कुशल । निपुण । पटु । होशियार। विशेषज्ञ। किसी विषय का बहुत अच्छा ज्ञाता या जानकार | विज्ञ। पारङ्गत | २ सुचारु रूप से सम्पन्न किया हुआ । ३ श्रेष्ठतर । प्पक (वि० ) १ काढ़ा निकाला हुआ। औटाया हुआ। डवाला हुआ । भली भाँति राँधा हुआ। प्पतनं ( न० ) १ झपट कर निकलना । शीघ्र बाहिर आना । _व्पत्तिः ( स्त्री० ) १ जन्म | पैदावार | २ पक्का- वस्था। परिपाक । ३ समाप्ति । अन्त । अनिपटेरा । _ध्पन्न ( व० कृ० ) १ उत्पन्न हुआ। पैदा हुआ ! निकला हुआ | २ पूर्ण | समाप्त | सिद्ध । ३ तत्पर । निस ( पु० ) ) मिलाकर रगड़ना। पीसना | निष्पेषणम् (न० ) ) कूटना | कुचलना | चूर्ण पवनम् ( न० ) फटकना । घ्पादनम् ( न० ) १ पूर्णता । समाप्ति । सिद्धि । २ निष्पत्ति करना । सम्पादन करना पूर्ण करना। प्पावः (पु०) १ फटक कर अनाज को साफ करना । २ सूप से निकली हुई हवा ३ पवन | प्पीडितः ( च० ० ) निचोड़ा हुआ। दो को एकत्र कर दबाया हुआ। करना | निप्रवाणम् ) निप्रवाणि S ( न० ) कोरा वस्त्र | निस (अव्यया० ) निषेध | सफलता । निश्चय | पूर्णता | उपभोग | तरण | भग्न करण । बाहिर | दूर नहीं बिना रहित। [समासों में जिस के 'स्' का 'र' हो जाता है। कराटक, (निष्कराटक (वि०) १ कौंडों से रहित | २ शत्रुओं से शून्य | ३ भय से रहित । –कन्द (निष्कन्द) (वि०) कंद से रहित । --कपट (= निष्कपड़, ) ( वि० ) कपट या छूल से रहित । --कम्प, (= निकम्प ) ( वि० ) गतिहीन | स्थिर दृढ़ | श्रवल थचल | करुण. (= निकरुण) ( वि० ) करुणाशून्य | निष्ठूर | क्रूर 1-कल, ( = निष्कत, ) ( वि० ) १ विना हिस्सों का | समूचा । २ हस्वाकार | छोटा किया हुआ । ३ नपुंसक बांझ | अंगभङ्ग किया हुआ । विकलाङ्ग । - कलः (= निष्कलः ) ( पु० ) १ श्राधार । २ ब्रहा का नाम । –कला, ( स्त्री० ) कली, (स्त्री० ) बूढ़ी औरत जिसके बालबच्चे होने की सम्भावना न रही हो अथवा जिसका रजस्वला धर्म से होना बंद हो गया हो । –कलङ्क, ( = निष्कलङ्क ) ( वि० ) निर्दोष । कलङ्क से रहित । -कपाय, (= निष्कषाय ) (वि०) १ मैल से रहित। साफ | २ दुष्ट वासनाओं से शून्य | -काम, (= निष्काम ) ( वि० ) कामनाओं या इच्छाओं से रहित । २ समस्त सांसारिक वासनाओं से रहित । –कामं, (= निष्कामम् ) ( श्रव्या० ) बेमर्जी । अनिच्छापूर्वक कारण, (=निष्कारण ) ( वि०) १ अनावश्यक २ निस्वार्थ भाव से । स्त्रार्थ से रहित । ३ निराधार 1-कालकः, ( = निष्कालकः ) ( पु० ) वह प्रायश्चित्ती जिसका मुण्डन हुआ हो। और जो शरीर में घी लगाये हो । – कालिक, ( = निष्कालिक ) ( वि० ) जिसका जीवन काल समाप्त होने पर हो। जिसके जीवन के दिन इने गिने रह गये हो। अजेय | अजय्य । किञ्चन
पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/४५०
दिखावट