द्रौखायन ( ३१६ अपराध - पु० ) १ दम्भी पापण्डी । २ शिकारी | ३ झूठा चाइनी |– चिन्तनम्, ( न० ) बुरा विचार । -बुद्धि, (वि० ) उपद्रव करने का तुला हुआ | बुद्धिः, (स्त्री० ) विचार | द्रौणायनः ) द्रोणानि (०) द्रोणपुत्र अश्वत्थामा । ) (०) पद की पुत्री जो पाण्डवों का च्याही गयी थी और जिसका कौरवों द्वारा भरी सभा में अपमान, कुरुक्षेत्र के इतिहासप्रसिद्ध महायुद्ध के कारणों में से एक हैं। द्रौपदेय ( पु० ) द्रौपदी का पुत्र ह इन्द्रं ( न० ) १ जोड़ा | २ जानवरों का जुद्द | ३ किसी का भी जोड़ा । ४ भगड़ा | टंडा ५ मएल युद्ध | ६ सन्देह | अनिश्चय | ७ गढ़ी | गढ़ | ८ गुप्तभेद । चर, चारिन् । वि० ) जुट्ट रहने वाले चक्रवाक | चकवा चकई । -भावः, ( पु० ) | विरोध। अनवन/---भिनं, (न०) नर और मादा का विछोह । -भूत, ( दि० ) १ जोड़ा बाँधना | २ सन्दिग्ध 1- युद्धं, (न० ) दो का पारस्परिक | द्वन्द्वः (पु० ) घड़ियाल जिस पर घंटा बजाया जाता है | समास भेद विशेष द्वंद्वशः खडशा: } (अव्यय०) दो दो करके । जुट्ट में। जोड़े में। द्वय ( वि० ) [ स्त्री०-द्वयी ] दुगुना | दुहरा दो प्रकार का - प्रात्मक, ( वि० ) रजसू और तमस् से रहित जिसका मन हो। ऋषि श्रात्मक, ( वि० ) दो प्रकार के स्वभाव का। -वादिन, ( वि० ) दुजिह कपटी | इयं ( न० ) १ जोड़ा जुट्ट । २ दो प्रकार का स्वभाव । ३ मिथ्यापन। द्वयी (स्त्री०) जोड़ । जुद्द परं ( न० ) ) १ तीसरे युग का नाम । पाँसे का वह द्वापरः (१०) पहल जिस पर दो खुदे हों। ३ सन्देह । पशोपेश । श्रनिश्चय । दार ( स्त्री० ) १ दरवाज़ा | फाटक | २ साधन - ) tex स्थः, - स्थितः, ( पु० ) [ द्वाःस्था द्वास्थः, द्वाःस्थितः द्वास्थितः ] द्वारपाल । दरबान । द्वारं ( न० ) १ दरवाज़ा | फाटक | २ रास्ता निकास सानव शरीर के नौ छित्र ३ मार्ग माध्यम | साधन |-अधिपः (पु०) दरबान । कण्टकः, ( ५० ) चटखनी । बैंड़ा। -कपाटा, (पु०) - कपाटं, (न०) किवाड़| पल्ला | गोपः, (पु) नायकः ( पु० ) -पः, ( पु० ) -पालः, ( दु० ) -पालकः, ( पु० ) द्वारपाल दरवान । - दारु, ( पु० ) शीशम / --पट्टः, ( पु० ) १ किवाद । २दरवाज़े की पर्दा । पिराडी, (स्त्री०) दहली। दहलीज़। ड्यों-पिधानः ( पु० ) दरवाज़े की घटखनी । - बलिभुज् ( पु० ) 9 काक | २ गौरैया । —बाहुः, (पु०) पाखा | – यंत्र, (न०) साला | चटखनी । - स्थः, (पु० ) दरबान । द्वारका ) ( स्त्री० ) गुजरात प्रान्त स्थित श्रीकृष्ण की द्वारिका ) राजधानी का नाम । - ईशः, ( पु० ) श्रीकृष्ण | द्वारवती ) (स्त्री०) द्वारका | श्रीकृष्ण की राजधानी द्वारावती ) का नाम 1 । द्वारिकः ) द्वारिन् । (पु०) द्वारपाल । दरवान | द्वि (वि०) [ कर्त्ता द्विवचन---द्वौ, (पु०) द्वे. (स्त्री० ) हे ( न०) दो | दोनों । प्रत, (वि०) दो आँखों वाला अक्षर (वि० ) दो अक्षरों वाला /- अंगुल, (वि० ) दो अंगुल लंबा /- अंगुलं, ( न० ) दो अंगुल की लंबाई -अणुकं, ( पु० ) दो अणुओं का योग । – अर्थ, (वि०) १ दो अर्थ का द्विर्थक । २ जटिल । ३ दो लक्ष्यों वाला । -अशीत, (वि०) ८२ वाँ । अशीतिः, (स्त्री०) ८२ । बयासी । अष्टं (न०) ताँबा - (पु०) दो दिवस की अवधि । -आत्मक, ( वि० ) दो प्रकार का स्वभाव वाला। दो |-- यामुष्यायणः, (पु०) दो बाप का बेटा । एक तो अपने जनक का दूसरे दत्तक पिता का । - ऋचं, ( या द्वर्थचें) ऋचाओं का संग्रह । -कः, -ककारः ( पु० ) १ काक | कौवा /- ककुदः,
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