क्षेत्रिक क्षामणः अन्य किसी ने मूलग्रन्थकार के नाम से स्वयं बना कर ग्रन्थ में जोड़ दिया हो। पुस्तक में ऊपर से मिलाया हुआ पाठ | क्षेपणम् ( न० ) १ फेंकना | डालना । भेजना। बत- --ज, (वि०) १ क्षेत्रोत्पन्न | २ शरीरोत्पन्न । - जः, ( पु० ) १२ प्रकार के पुत्रों में से एक । नियोग द्वारा उत्पन्न पुत्र-जात, (वि० ) दूसरे की भार्या में उत्पन्न किया हुआ पुत्र । —ज्ञ, (वि०) : स्थलों का जानकार | २ चतुर । दु । - ज्ञः, (पु०) १ जीवात्मा | २ परमात्मा । ३ । दुराचारी मनमौजी । ४ किसान 1-पतिः, (पु० ) जमीन- दार | – पदं, ( पु० ) किसी देवता के उद्देश्य से उत्सर्ग किया हुआ पवित्र स्थल । -पालः, (पु०) १ खेस का रखैया या रखवाला । २ देवता लाना । २ व्यतीत करना। ३ छोड़ जाना। ४ गाली देना | ५ गुफना या गोफन नामक एक यंत्र जिसमें रख कर कण दूर तक फेंका जाता है। क्षेपणः ) ( स्त्री० ) १ डाँड़ | २ Heी पकड़ने का क्षेपणी ) जाल | २ गोफ था गुफना जिससे कंकण दूर तक फेंके जाते हैं। क्षेम (वि०) १ सुरक्षित | प्रसन्न | २ सुखी | नीरोग | मः ( पु० ) ) ! शान्ति | प्रसन्नता | चैन । सुख । क्षेमम् (न० ) ) नीरोगता | २ अनामय । निर्विज्ञता रता | ३ रक्षित | सुरक्षित । ४ जो वस्तु पास है। उसका रक्षण। ५ मोच अनन्तसुख । ( पु० ) एक प्रकार का सुगन्ध द्रव्य | कर, (-क्षेमंकर) (चि० ) शुभ । मङ्गलकारी । विशेष जो खेत की रखवाली करता है। ३ शिव जी की उपाधि । -फलं, (न० ) खेत की लंबाई चौड़ाई का माँप । - भक्तिः, (स्त्री० ) खेत का विभाग /-भूमिः, ( स्त्री० ) भूमि जिसमें खेती की जाती है। -विद्, ( वि० ) क्षेत्रज्ञ | ( पु० ) १ किसान | २ आध्यात्मिक ज्ञान । सम्पन्न विद्वान। ३ जीवात्मा । —स्थ, (वि०) मिन् (वि०) [ स्त्री० –क्षेमिणी ] सुरक्षित | पवित्र स्थल में रहने वाला । आनन्दित । ( २६७ ) क्षेत्रिक (वि० ) [ स्त्री० –क्षेत्रिकी ] क्षेत्र सम्बन्धी । क्षेत्रिकः ( पु० ) १ किसान ।२ जोता । है ( धा० परस्मै० ) [ क्षायति, क्षाम ] बरबाद करना । दुर्बल होना । नष्ट करना । क्षेत्रिन् ( पु० ) १ कृषक । २ ( नाममात्र का ) जोता। ३ जीवात्मा । ४ परमात्मा । क्षेत्रिय ( वि० ) १ खेस सम्बन्धी । २ असाध्य । क्षैरायं ( न० ) १ नाश । २ दुबलापन | क्षेत्र ( न० ) १ खेतों का समूह | २ खेव । क्षेत्रियम् ( न० ) १ आभ्यन्तरिक रोग | २ चरागाह । तैरेय (वि०) [स्त्री०-क्षैरेयीं] : दुधार | दूध वाला। गोचर भूमि । २ दूध सम्बन्धी । तोड: (पु० ) हाथी बाँधने का खूँटा । क्षणिः ताण } (स्त्री० ) १ भूमि । २ एक की संख्या । |क्षातृ (पु०) मूसल । बट्टा | धन | क्षोदः (पु० ) १ घुटाई । पिसाई २ सय उखली । ३ रज | धूल कण - क्षम्, (वि० ) जाँच, अनुसन्धान या परीक्षा में ठहरने योग्य | क्षोदिमन् ( 50 ) सूक्ष्मता क्षेत्रियः ( पु० ) लम्पट व्यभिचारी । क्षेपः ( पु० ) १ उछालना। फैकना । पटकना । घूमना । अवयवों का चालन ! २ फैक। पटक | ३ भेजना। रवाना करना । ४ दे पटकना १५ भङ्ग करना। (नियम) तोड़ना । ६ व्यतीत कर डालना । ७ विलम्ब दीर्घसूत्रता |८ तिरस्कार अपशब्द | ६ अपमान । अप्रतिष्ठा । १० अभिमान । ११ गुलदस्ता । घमण्ड क्षेपक (वि० ) १ फैकने वाला | भेजने वाला | २ मिलावटी। बीच में घुसेड़ा हुआ। ३ अपमान- कारक । गालीगलौज वाला । क्षेपकः ( पु० ) मिलावटी या बनावटी भाग। किसी ग्रन्थ का वह अँश जो मूलग्रन्थकार का न हो कर क्षाभः ( पु० ) १ हिलाना | चलना | उडालना | २ ● भटका देना । ३ उत्तेजना घबड़ाहट उत्पात । उचंग | क्षोभणं ( न० ) उत्तेजना | भदक | क्षोभणः ( पु० ) कामदेव के पाँच बाणों में से एक।
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