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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२६१

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कैटभः ( २५४ ) कोटीरः कैटभः (पु० ) एक दैत्य जो विष्णु के हाथ से मारा | कोकनदं ( न० ) लाल कमल । गया था। रिः जित्, रिपुः, हन्, ( पु० ) विष्णु । कैतकं (न० ) केतकी का फूल । कैतवं ( न० ) १ जुआ का दाँव | २ झूठ। कपट छल । जाल । ठगी कैतवः (पु०) १ उग | छलिया | २ जुआरी ३ धतूरा कैतवप्रयोगः ( पु० ) चालाकी । ठगी । कैतववादः ( पु० ) छल | प्रवञ्चना | जाल । कैदार: ( पु० ) चावल । धन्न | कैदारम् (न० ) खेतों का समुदाय । कैमुतिकः ( पु० ) न्याय विशेष | P कोटर: ( पु० ) ) माता । २ बालग्रह | कैरवः ( पु० ) १ ज्वारी। ठग | प्रवञ्चक | २ शत्रु - बंधुः ( पु० ) चन्द्रमा कैरवम् ( न० ) कोकावेली । सफेद कमल जो चन्द्रमा | कोटरम् (न० ) ) की चाँदनी में खिलता है। कैरविन ( पु० ) चन्द्रम कैरविणी (स्त्री०) १ कमल का पौधा जिसमें सफेद कमल के फूल लगे हों 1 २ सरोवर जिसमें सफेद कमल के फूलों का वाहुल्य हो । ३ सफेद कमलों का समूह | धूर्त | जुआ | चालाकी । कैरवी (स्त्री० ) चन्द्रमा की चाँदनी । जुन्हाई । कैलासः ( पु० ) हिमालय पर्वत का शिखर विशेष | -नाथः, ( पु० ) १ शिवजी | २ कुबेरजी। कैवर्तः ( पु० ) मल्लाह । मछुआ । माहीगीर । कैवल्यं ( न० ) १ एकत्व । एकान्तता । २ व्यक्तित्व | ३ मोच विशेष | कोकाहः (पु० ) सफेद कमल । कोकिलः ( पु० ) १ कोयल । २ अधजली लकड़ी । -आवासः, - उत्सवः, (पु०) आम का वृक्ष | कोंकः, कोडूः ) ( पु० ( बहुवचन ) सहा पर्वस कोंकणः, कोडूणः ) और समुद्र के बीच का भूखण्ड प्रदेश विशेष | कोंकणा, कोङ्कणा ( स्त्री० ) जमदग्नि की पत्नी रेणुका का नाम । - सुतः, (पु० ) परशुराम | कोजागर: ( पु०) आश्विनी पूर्णिमा के दिवस का उत्सव विशेष । कोटः ( पु० ) १ गढ़। किला | २ शाला झोंपड़ी । ३ बांकापन । ४ दाढ़ी। वृत का खोड़र। ( स्त्री० ) १ बाणासुर की कोटरी कोटवी कोटिः ) कोटी । ( स्त्री० ) नंगी स्त्री | २ दुर्गा देवी । (स्त्री० ) १ कमान की मुड़ी हुई नोंक । २ नोंक। छोर । ३ अस्त्र की नका धार ४ चरम बिन्दु। आधिक्य । सर्वोत्कृष्टता। १ चन्द्रकला । ६ कढ़ार की संख्या ७ समकोण त्रिभुज की एक भुजा ८ श्रेणी कक्षा विभाग | ३ राज्य सल्तनत १० विवादग्रस्त प्रश्न का एक पक्ष ईश्वरः, ( पु० ) करोड़पति । - जित्, (वि० ) कालिदास की उपाधि । -पात्रं, (न० ) पतवार 1-पालः, ( पु० ) दुर्गरक्षक /- वेधिन्, (वि०) क्लिष्टकर्मा । बड़ा कठिन काम करने वाला । कैशिक ( वि० ) [ स्त्री० - कैशिको ] केशों जैसा । बालों की तरह मिहीन । कैशिक ( न० ) बालों का परिमाय । कैशिकः ( पु० ) प्रेमभाव । कामुकता । [ वृत्ति | कैशिकी (स्त्रि० ) कौशिकी | नाट्य शास्त्र की एक कैशोरं ( न० ) किशोर अवस्था जो १ से १२ वर्ष कोटिशः } (पु०) हँगा। पाटा । तक रहती है। कैश्यं ( न० ) सम्पूर्णकेश । कोटिक ( वि० ) अत्यन्त उच्च काम करने वाला । कोटिर: ( पु० ) १ साधुओं के सिर के बालों की चोटी जिसे वे माथे के ऊपर बाँध लेते हैं और जो सींग की तरह जान पड़ती है। २ न्योला । ३ इन्द्र । कोटिशः ( अव्यया० ) करोड़ों । असंख्य । कोकः (पु०) १ भेड़िया | २ चक्रवाक | ३ कोकिल । कोढीरः ( पु० ) १ मुकुट | ताज २ कसँगी। चोटी। ४ सेंद्रक | ५ विष्णु । - देवः, ( पु० ) कबुतर ३ साधुओं के सिर की चोटी जिसे वे सींग की - बुधः ( पु० ) सूर्य । शक्ल में माथे के ऊपर बाँध लिया करते हैं।