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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२५८

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कृषाण ( २५१ ) कृषाणः कृषिक: (पु०) हलवाहा। किसान | कृषिः ( स्त्री० ) १ जुसाई | २ कृषि | किसानी /- कर्मन् (न०) खेती 1-जीविन्, ( वि० ) किसानी पेशा खेती करके निर्वाह करनेवाला । फलं, (न०) खेती की पैदावार 1--सेवा, (स्त्री०) किसानी खेतिहरपन | कृषीवलः (पु०) किसान। काश्तकार | खेतिहर | कृष्करः (पु०) शिव जी । [ हुआ। २ जोता (पु०) व्यास जी का नाम :-पक्षः, (पु० ) अँधियारा पाख। यदी ---मृगः (5० ) काला हिरन। -मुखः, - वक्त्रः, -- वदनः, (पु०) काले सुख का वानर यजुर्वेदः, (पु०) तैतरीय या कृष्ण यजुर्वेद |-लोहः, (पु०) चुम्बक पत्थर | वर्णः, (पु०) १ फाला रङ्ग २ राहुमह । ३ शुद्ध --वर्मन, (पु०) १ अग्नि २ राहुग्रह | ३ ओछा थादमी।वेशा, (स्त्री० ) एक नदी का नाम । -शकुनिः, ( पु० ) काफ। कौआ । --सारः, (पु०) चित्तीदार हिरम। --शृङ्गः (पु०) भैंसा /- सखः, - सारथिः, (पु०) श्रीकृष्ण । - 1 कृष्णाम् ( न० ) १ कालापन। कालिख अँधियारी २ खोदा । ३ सुर्मा | ४ आँख की पुसली । ५ काली मिर्च या गोल मिर्च | ६ सोसा। कृष्ट (वि० ) १ खींचा हुआ। आकृष्ट कृष्टिः (स्त्री०) विद्वान आदमी (स्त्री०) १ खिचाव आकर्षया | २ जुलाई। कृष्ण ( वि० ) 1 काबा | २ दुष्ट | बुरा । कृष्णकम् (न० ) काले हिरन का चमड़ा। कृष्णः (पु०) १ काला रङ्ग । २ काला मृग | ३ क ४ कोकित १ २ कृष्णपण अँधेरा पास ६ कलियुग ७ भगवान विष्णु का झाठवाँ अवतार | कृष्णलं ( न० ) हुँघची । जो कंसादि दुर्दान्त दैस्यों के नाश के लिये मथुरा कृप्यलः (पु०) हुँचची का पौधा में हुआ था और जिनके चरियों से भागवतादि | कृष्णा ( श्री० ) १ नौपदी | २ दक्षिण भारत की पुराण और महाभारतादि इतिहास पूर्ण हैं | एक नदी का नाम । महाभारत के रचयिता कृष्णद्वैपायन व्यास | 8 अर्जुन का नाम । १० अगर की लकड़ी - अगुरु, (न०) एकप्रकार के चन्दन की लकड़ी- प्रचलः, (पु०) रैवतक पहाब का नाम।-अजिनं, ( म० ) काले मृग का धर्म ।-~~-अयस्, (न० ) कृ (धा० परस्मै०) [किरति-कीर्ण ] १ बखेरना । असं, छितराना उडेलना | फेंकना | २भगा देना | ३ ढकना | भर देना | छिपा देना श्रमियम् (न०) लोहा । कान्ति- सार लोहा ।~-प्रध्वन, अर्चिस (पु०) धाग। -अमी (स्त्री०) भाज कृष्ण अष्टमी, जो श्रीकृष्ण जी के जन्म की तिथि है। आवासः, ( पु० ) अक्षर या बरगद का पेड़-उदर, ( पु० ) एक प्रकार का सर्पदं ( ० ) लाल कमल 1-~-कर्मन्, (वि० ) असदाचरणी । पापी दोषी दुष्ट अपराधी ।-काकः, (पु०) कृत् (धा० उभ०) {कीर्तयति-कीर्तयते, कोर्वित] १ उल्लेख करना । पुनरावृत्ति करना उच्चारण करना २ कहना पड़ना घोषित करना । सूचना देना। ३ लेना । पुकारना ४ स्तव करना। प्रशंसा करना महत्व बढ़ाना । स्मरण रखना। I जंगली फाफ या पहाड़ी कौणा -काय:, (पु० ) लृप् (घा० आत्म०) [कल्पने, क्लस] १ योग्य होना। भैसा। -कोहलः, (पु० ) जुधारी। --गतिः, उपयुक्त होना। रजाभन्द करना पूर्ण करना। पैदा करना । २ भलीभाँति व्यवस्थित होना। तारा, 1 । ( पु० ) आग -श्रीवः, (पु० ) शिव - (पु०) सुग विशेष भ्रमर 1- धनं, (न० ) पुरे बेईमानी फरके कमाया हुआ धन -देहः, (पु०) भौंरा । ढङ्ग से या -द्वैपायनः, सफल होना। ३ होना घटित होना ४ तैयार होना [निजन्तु] १ तैयार करना । व्यवस्था करना । २ अनुकूल होना ३ शरीक होना। कृष्णिका (स्त्री० ) राई । कृष्णिमन् (पु०) कालापन कृष्णी (स्त्री०) अँधियारी रात ।