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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१९४

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लगाना | ३ समझना | आशा करना १४ बहस ऊहः ( पु० ) १ अनुमान ( १८७ ) | जानना | पहचानना । करना। विचार करना घटकल १२ परीक्षण और निश्चय करण ३ समझ ४ युतिता युक्ति प्रदर्शन | ५ छूट को पूरा करने वाला खुटिपूरक -~प्रपोहः (=ऊहापोहः ) वर्क वितर्क सेरच । विचार | ऋऋ संस्कृत या नागरी वर्णमाला का सातवाँ वर्ष यह भी एक स्वर है और इसका उच्चारण स्थान मू है। हस्य, दीर्घ और प्लुस के अनुसार इसके तीन भेद हैं। इन भेदों में भी उदात्त, अनुदास और प्लुत के अनुसार प्रत्येक के तीन भेद हैं। फिर इन नौं भेदों में भी प्रत्येक के अनुनासिक और निरनुनासिक दो दो भेद हैं। इस प्रकार सब मिला t करा के अठारह भेद हैं। सुच्छ ● ऊहनम् ( न० ) अनुमान। अटक | ऊहनी ( स्त्री० ) भाहू। बुहारी। ऊहवत् ( वि० ) बुद्धिमान | तीव्र | [ करना | ऊहा (स्त्री० ) अध्याहार । वाक्य में त्रुटि को पूरा ऊहिन् (वि० ) कौन और क्या की बहस कर अटकल लगाने वाला। [ फौज | ऊहिनी (स्त्री० ) १ समूह | समुदाय । २ सेना | ऋ 1- ऋत (वि० ) गंजा | ऋतः (पु०) रीड़ भालू | २ एक पर्वत का नाम । ( न० पु०) १ नक्षत्र द्वारा राशि | २ राशिचक्र की एक राशि चक्रं, (न० ) राशिचक । नाथः - ईश: ( पु० ) चन्द्रमा नेमिः, ( पु० ) विष्णु का नाम --राजू-राजः, ( पु० ) १ चन्द्रमा २ जम्बु जाम्बवान ! रीड़ों के राजा--हरीश्वरः (पु० ) रीछों और लंगूरों के राजा क्षा (५० बहुवचन) सप्तर्षि के सात तारे । ऋताः (स्त्री०) उत्तर दिशा ऋत्तीः (स्त्री०) मादा भालू । ॠ (पु० ) १ऋत्विज । २ काँटा । [पर्वत । श्रुतवत् (पु० ) नरमदा नदी का समीपवर्त्ती एक ऋचू (धा० परस्मै० ) [ ऋचति ] प्रशंसा करना । २ ढकना पर्दा बजना ३ प्रकाशित होना । चमकना । ऋचू ( स्त्री० ) १ ऋचा | २ ऋग्वेद की ऋचा । ३ ऋग्वेद | ४ चमक | दमक १२ प्रशंसा | ६ पूजन | -विधानं, (न०) कतिपय वैदिक कर्मों का विधान, जो ऋग्वेद के मंत्रों को पढ़ कर किये जाते हैं।--वेदः, (पु०) ऋग्वेद संहिता, (स्त्री० ) [ के पिता थे। ऋग्वेद | ॠ (अन्य ) आह्वान, उपहास और निन्दाज्यक्षक अन्यय विशेष | ऋ (धा० पर० ) [ ऋऋच्छति ऋत १ जाना। २ हिलाना ३ प्राप्त करना, पहुँचना मिलना। ४ उत्तेजित करना। (परस्मै०) [ ऋणोति, ऋण ] | १ घायल करना। २ आक्रमण करना। (निजन्त) | [ अर्पयति, अर्पित ] १ फेंकना । जड़ना | रोपना || २ रखना लगाना। टकटकी बांधना। ३ देना । ४ हवाले करना सौंपना ॠ (स्त्री०) १ देवमाता । अविति । २ निन्दा | बुराई । ऋ (०) १ॠा | वेदमंत्र | भग्वेद । ऋण (वि० ) घायल चोटिल चुटीला | ॠषयं ( न० ) १ सम्पत्ति २ विशेषकर मरने पर छोड़ी हुई सम्पत्ति सामान ३ सुर्ख। सोना । -ग्रहणम्, ( न० ) सम्पत्तिका प्राप्त करना। ग्राहः (पु० ) वारिस । उत्तराधिकारी। - -भागः, बटवारा हिस्सा बाँट १२ हिस्सा / भाग ऋविकः ( पु० ) भृगुवंशीय एक ऋषि | यह जमदग्नि ऋचषः ( पु० ) नरक | [ की सीठी | ३ सीठी । 1 पैतृक सम्पत्ति। -भागिन्, -हर, हारिन् ऋषम् (न० ) १ कड़ाही वसला २ सोमनता ( पु० ) १ उत्तराधिकारी २ अन्यतम उत्तराधि | ऋऋच्छ ( भा० पर० ) [ ऋति] ] कहा होना | कारी । सकत होना । २ जाना | ३ क्षमता का न रहना ।