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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२०

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प्रचित्त अचित्त (वि० ) विचार से परे । जो समझ ही में न आवे अजड अच्छोटनम् ( न० ) शिकार | आखेट | अच्छदम् (न०) निर्मल जल वाला सरोवर । देखो अच् के अन्तर्गत | अचिन्तनीय | (वि०) ६ मन और बुद्धि के परे अबोधगम्य | अज्ञेय । कल्पनातीत २ अकृत । अतुल | ३ आशा से अधिक । अचिन्त्यः ( ० ) ब्रह्म । शिव | अचिंतित, अचिन्तित (वि०) जिसका चिंतन न किया गया हो। विना सोचा विचारा। श्राकस्मिक अच्युत (वि०) जो कभी न गिरे। दृढ़ स्थिर । अवि- चल। (पु०) भगवान् विष्णु का नाम । -अग्रजः (पु०) बलराम या इन्द्र का नाम ।–अंगजः, -- पुत्रः, श्रात्मजः ( पु० ) कामदेव | अनंग | कृष्ण और रुक्मिणी के पुत्र का नाम । श्रावासः, - वासः (५०) अश्वस्थ वृक्ष । वट वृक्ष | अचिर (न०) अल्प । थोड़ा । थोड़ी देर ठहरने या रहने अज् ( धा० परस्मै० ) ( यजति, अजितवीत ) १ धुतिः, वाला। शीघ्र | जल्दी । अंशु, आभा, प्रभा, भासू-रोचिस्- (स्त्री०) चपला, बिजली । अचिरात् (अन्ययात्मक ) तुरन्स, शीघ्रता से [ अचिरेण, अचिर भी इसी अर्थ में प्रयुक्त होते चलना जाना २ हाँकना नेतृत्व करना। ३ फेंकना । लुढ़काना | छिटकाना। ग्रज (वि०) ६ जन्मरहित। अनन्तकाल से वर्तमान -- (पु०) यह ब्रह्मा की उपाधि है। २ विष्णु का शिव का या ब्रह्मा का नाम | ३ जीव | ४ मेदा| बकरा ५ मेषराशि । ६ अन्न विशेष । ७ चन्द्रमा अथवा कामदेव का नाम । अदनी (स्त्री०) एक कटीली वनस्पति । धमासा । - अविकं ( न० ) छोटा पशु । -अश्वं (न०) बकरे । घोड़े। एड़कं (न०) बकरे । मेढ़े। -गरः (पु०) एक बड़ा भारी सर्प । -गरी (स्त्री०) एक पौधे का नाम । -गल 'देखो अजागल'। - जीव:- जीविकः ( पु० ) बकरों की हेड़ (-मारः (पु०) १ कसाई | बूचड़ | २ एक प्रदेश का नाम जो इन दिनों अजमेर के नाम से प्रसिद्ध है। - मोदः ( पु० ) अजमेर का दूसरा नाम । २, युधिष्ठिर की उपाधि । —मोदा - मोदिका (स्त्री०) यह एक अत्यन्त गुणकारी दवाई के पौधे का नाम है । इसेवा भी कहते हैं। -शृङ्गी (स्त्री० ) पौधा विशेष मेदासिंगी । जन (वि०) चलते हुए। हाँकते हुए ।-जः ( पु०) ब्रह्मा अजका, अजिका (स्त्री०) छोटी बकरी । अजकवः ( पु०), अजकवम् (२०) शिव जी के धनुष का नाम । अजकाव: (०), जकायम् (न०) शिवधनुष प्रजगावं- न०) अजगावः (पु०) पिनाक । शिव जी अचित्य, अचिन्त्य अचिंतनीय, ३ अचेतन ( वि० ) १ चेतनारहित | जड़ | २ | संज्ञा- शून्य | मूर्च्छित ३ ज्ञानहीन । अचैतन्यम् (वि० ) चेतनारहित ज्ञानशून्य । जड़ अच्छ (वि०) साफ पवित्र | विशुद्ध |–च्छः (पु०) १ स्फटिक । २ रीछ । भालू |–उदन (अच्छद) साफजल वाला। -दं (न०) कादम्बरी में वर्णित हिमालय पर्वत स्थित एक झील का नाम । -भल्लः ( पु० ) रीछ । भालू । अच्छा (वैदिक ) ( धन्यया० ) श्रोर । तरफ। वाकः ( पु० ) श्रद्धानकर्ता। सोमयज्ञ कराने वालों में से एक धात्विज जो होता का सहवर्ती रहता है। श्रच्छन्दस् १ वह जिसने वेदाध्ययन न किया हो। (यज्ञोपवीत संस्कार होने के पूर्व का बालक) अथवा वेदाध्ययन का अधिकारी | शूद्र | २ जो पद्यमय न हो । च्छिद्र (वि०) भङ्ग । जो टूटा न हो। जो चोटिल न हो। निर्दोष ब्रटिरहित । छ ( न० ) निर्दोष कार्य । निर्दोषता । अन्न (वि ) १ अविरत सतत २ जो खण्डित न हो । ३ अविभक्त । जो पृथक् न किया जा सके। का धनुष | अजड ( वि० ) जो जड़ अर्थात् मूर्ख न हो।