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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१९

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अंगोय अंगोय, अङ्गीय ( दि० ) शरीर सम्बन्धी । अंगुः, अङ्गु (पु० ) हाथ । अगुरिः-अंगुरी, अङ्गुर-अङ्गुरी ( स्त्री० ) उँगुली । अंगुलः, अतः (०) १ उँगली २ अंगुठा ( न० ) अंगुल भैर का नाप, जो आठ यव के वरावर माना जाता है। ( १४ ) १ उंगली } अंगुलि:- अंगुली अंगुरि:-अंगुरी अङ्गुलिः प्रती-अङ्गुर अङ्गुरी जिनके नाम यथाक्रम अंगूठा तर्जनी, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका हैं । २ हाथी की सूंड की नोंक | ३ नाप विशेष | - तोरणं (न०) माथे पर चंदन का अर्धचन्द्राकार पुण्डू ( तिलक ) । - त्राणं (न० ) दस्ताना जो धनुष चलाने वाले अचतुर (वि०) १ चार संख्या से शून्य २ अनिपुण । उँगुलियों में पहना करते थे । तुद्रा, मुद्रिका | अचंडी, प्रचण्डी (वि० ) सीधी गैौ । शान्त स्त्री । ( स्त्री० ) सील मोहर सहित अंगूठी | मोटनं- स्फोटनं ( न० ) अंगुली चटकाना -संज्ञा ( स्त्री० ) उंगली का इशारा या सङ्केत। - संदेशः उंगलियों के इशारे से मनोगत भावों को प्रदर्शित | करना । - सम्भूतः ( पु० ) नख । अंगुलिका, अङ्गुलिका देखो अंगुलिः । अंज, अंगुरा अंगुजीयं, अंगुरीकं, अंगुरीयकं, अङ्गुली, अङ्गुरी, अङ्गुली, अङ्गकं, यकं (न० ) अंगूठी। इसका प्रयोग पुलिस में भी होता है। यथा । "काकुत्स्यस्यांगुलीयक” भट्टी काव्य | अंगुष्ठः, अष्ठः ( पु० ) [१] [अंगूठा | --मात्र (वि० ) अंगूठे के बराबर ( नाप में ) । प्रचित अच् (धा० उभय० ) [ अचित ते, अंचति, आनंव, अंतित ] १ जाना। २ हिलना डुलना । ३ सम्मान करना | ४ प्रार्थना करना | ५ माँगना । पूँचना | अ ( पु० ) व्याकरण शास्त्र में "अचू" स्वर की व्यापाररहित । अक (वि० ) विना पहिये का मंत्री सेनापति रहित (राजा) । अचक्षुस् ( वि० ) अंधा | नेत्रहीन । ( न० ) बुरी रोगिल नेत्र आँख अंगुष्ठः, अङ्गुष्ठचः (पु०) अंगुठे का नाखून या नख । अंगूषः : ( पु० ) १ न्योला । २ सीर । अंघ, यह (धा० आमने०) [ अंघते अद्भुते, धंघति- श्रद्धति ] चलना। २ आरम्भ करना। शीघ्रताकरना । ४ डाँटना। छपटना। फटकारना। भला बुरा कहना | अंघ (न० ) पाप (हि) पैर । २ पेड़ की जड़ | किसी श्लोक का चौथा चरण चतुर्थपाद --पः (पु०) वृक्ष।-पान (वि०) पैर या पैर की उँगुली (लड़कों की तरह) चूसने वाला । स्कन्धः (पु०) गुल्फ | एवी या एड़ी। प्रचंड, अचण्ड ( वि० ) शान्त । जो क्रोधी स्वभाव का न हो। अनाड़ी अचल (वि०) गमन या शक्ति हीन । स्थावर स्थायी । अचलः (पु०) १ पहाड़ | चट्टान | २ कील | काँटा । ३ सात सूचक संख्या अचला (स्त्री० ) पृथिवी अचलं ( न० ) ब्रह्म । अचल-कन्यका, सुता- दुहिता-तनया । ( स्त्री० ) । हिमालय की पुत्री पार्वती । अचलकीला ( स्त्री० ) पृथिवी अचलज, जात ( वि० ) पर्वत से उत्पन्न | अचलजा-जाता (स्त्री० ) पार्वती का नाम । प्रचलत्विष ( पु० ) कोयल | अचल द्विष ( पु० ) पर्वतशत्रु | इन्द्र का नाम जिन्होंने पर्वतों के पंख काट डाले थे। अचलपतिः- राष्ट्र ( पु० ) हिमालय पर्वत का नाम । पर्वतों का स्वामी । अचापल, लय ( वि० ) चञ्चलतारहित । स्थिर | अचापल्यं ( म० ) स्थिरता । व्यचित् (वि० ) (वैदिक) १ जिसमें समझदारी न हो । २ धर्मविचार शून्य जड़ व्यक्ति ( वि० ) ( वैदिक ) १ हुआ २ अविचारित । ३ एकत्र न किया हुआ | बिखरा हुआ।