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चन्द्रहणाधिकारः ३६७ इति श्रीब्रह्मगुप्तविरचिते ब्रह्मस्फुटसिद्धान्ते चन्द्रग्रहणाधिकारश्चतुर्थः समाप्तः अब इस अध्याय के उपसंहार को कहते हैं। हि. भा.-मन (छाद्य बिम्ब और अदक विम्ब के मान) विमर्दधे, स्थित्यर्ध, वलन (आक्षवलन, आयनवलन और स्पष्टवलन) इष्टग्रास, मध्यग्रहण समय, एतदादि विषयों में बीस आर्या श्लोक हैं जिसमें ऐसा चौथा चन्द्रग्रहणध्याय है इति ॥२०॥ इति श्रीब्रह्मगुप्तविरचित ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त में चन्द्रग्रहणाधिकार (चतुर्याधिकार) समाप्त हुआ । &N•